"बुल्ले शाह" एक प्रसिद्ध सूफ़ी संत, कवि और दार्शनिक थे, जिनका असली नाम अब्दुल्ला शाह क़ादरी था। वे पंजाब (अब पाकिस्तान) के रहने वाले थे और 17वीं शताब्दी में हुए। उनकी रचनाएँ मानवीयता, प्रेम, और ईश्वर के साथ सीधा संबंध स्थापित करने पर आधारित हैं। बुल्ले शाह ने समाज में व्याप्त धार्मिक कट्टरता और आडंबरों की आलोचना की और सूफीवाद के जरिए मानवता और प्रेम का संदेश दिया।
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बुल्ले शाह | |
---|---|
जन्म | अब्दुल्ला शाह 1680 |
मौत | 1757-59 क़सूर |
समाधि | क़सूर |
उपनाम | बुल्ला शाह |
पेशा | कवि |
धर्म | इस्लाम |
माता-पिता | पिता: शाह मुहम्मद दरवेश |
क़सूर |
राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई
सद्दो नी मैनूँ धीदो राँझा हीर ना आखो कोई
राँझा मैं विच्च मैं रांझे विच्च होर ख़याल ना कोई
मैं नहीं उह आप है आपनी आप करे दिल-जोई
राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई
हथ खूंडी मेरे अग्गे मंगू मोढे भूरा लोई
बुल्ल्हा' हीर सलेटी वेखो कित्थे जा खलोई
राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई
सद्दो नी मैनूँ धीदो राँझा हीर ना आखो कोई
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
नाम नबी की रतन चढ़ी बूँद पड़ी अल्लाह अल्लाह
रंग-रंगीली ओही खिलावे जो सखी होवे फ़ना-फ़िल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
अलस्तो-बे-रब्बेकुम पीतम बोले सब सखियाँ ने घुँघट खोले
क़ालू-बला ही यूँ कर बोले ला-इलाहा इल-लल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
नहनो-अक़रब की बंसी बजाई मन-अरफ़-नफ़्सह की कूक सुनाई
फ़सम्मा वज्हुल्लाह की धूम मचाई विच दरबार रसूलल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
हाथ जोड़ कर पाँव पड़ुँगी आजिज़ हो कर बिंती करूँगी
झगड़ा कर भर झोली लूँगी नूर मोहम्मद सल्लल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
फ़ज़कुरूनी की होरी बनाऊँ वश्कुरूली पिया को रिझाऊँ
ऐसे पिया के मैं बल-बल जाऊँ कैसा पिया सुब्हान-अल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
सिब्ग़तुल्लाह की भर पिचकारी अल्लाहुस-समद पिया मुँह पर मारी
नूर नबी दा हक़ से जारी नूर मोहम्मद सल्लल्लाह
बुल्लिहा' शौह दी धूम मची है ला-इलाहा इल-लल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
मैनूं इ'श्क़ हुलारे देंदा बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैनूं इ'श्क़ हुलारे देंदा
मूंह चढ़आ यार बुलेंदा
की पुच्छदा हैं की ज़ात सफ़्फ़ात मेरी उहो आदम वाली ज़ात मेरी
नहनो-अक़रब दे विच घात मेरी विच रब्ब दा सिर झुलेंदा
मैनूं इ'श्क़ हुलारे देंदा
किते शिया ते किते सुन्नी ए किते जटाधारी किते मुन्नी ऐ
मेरी सभ से फ़ारग़ कुन्नी ऐ जो कहाँ सो यार मनेंदा
मैनूं इ'श्क़ हुलारे देंदा
बुल्ल्हा' दूरों चल के आया जी उहदी सूरत ने भरमाइआ जी
ओसे पाक जमाल विखाइआ जी उह हिक्क दम ना भुलेंदा
मैनूं इ'श्क़ हुलारे देंदा
मूंह चढ़आ यार बुलेंदा
रातीं जागें करें इ'बादत बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
रातीं जागें करें इ'बादत
रातीं जागण कुत्ते
तैथों उते
भौंकणों बंद मूल ना हुन्दे
जा रूड़ी ते सुत्ते
तैथों उते
ख़सम आपने दा दर ना छड्डदे
भावें वज्जन जुत्ते
तैथों उते
बुल्ल्हे' शाह कोई रखत वेहाज लै
नहीं ते बाज़ी लै गए कुत्ते
तैथों उते
हाजी लोक मक्के नूँ जांदे बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
हाजी लोक मक्के नूँ जांदे
मेरा राँझा माही मक्का
नी मैं कमली हाँ
मैं ते मंग रांझे दी होईआं
मेरा बाबल करदा धक्का
नी मैं कमली हाँ
हाजी लोक मक्के वल्ल जांदे
मेरे घर विच नौशोह मक्का
नी मैं कमली हाँ
विच्चे हाजी विचे गाजी
विच्चे चोर उचक्का
नी मैं कमली हाँ
हाजी लोक मक्के वल्ल जांदे
असाँ जाना तख़त हज़ारे
नी मैं कमली हाँ
जित वल्ल यार उते वल्ल का'बा
भावें फोल किताबाँ चारे
नी मैं कमली हाँ
इस टूने नूँ पढ़ फूकांगी सूरज अगन जलावांगी बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
इस टूने नूँ पढ़ फूकांगी सूरज अगन जलावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
अँखियाँ काजल काले बादल भवाँ से आग लगावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
और बसात नहीं कुझ मेरी जोबन धड़ी गुन्दावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
सत्त समुंदर दिल दे अंदर दिल से लहर उठावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
बिजली हो कर चमक ड्रावां मैं बादल घिर घिर जावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
इ'श्क़ अँगीठी हरमल तारे सूरज अगन चढ़ावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
ना मैं व्याही ना मैं कवारी बेटा गोद खिडावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
बुल्ल्हा' लामकान दी पटड़ी उते बहके नाद वजावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
इह सौन तेरे दरकार नहीं
इक रोज़ जहानों जाना ऐ जा कबरे विच समाना ऐ
तेरा गोशत कीड़िआं खाना ऐ कर चेता मरग विसार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
तेरा साहा नेड़े आया ऐ कुझ्झ चोली दाज रंगाइआ ऐ
क्यूँ आपना आप वंजाइआ ए ऐ ग़ाफ़ल तैनूं सार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
तूं सुत्याँ उ'मर वंजाई ऐ तूं चरखे तन्द ना पाई ऐ
की करसें दाज त्यार नहीं उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
तूँ जिस दिन जोबन मत्ती सैं तूं नाल सईआं दे रत्ती सैं
हो गाफल गल्लीं वत्ती सैं इह भोरा तैनूँ सार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
तूँ मुढ्ढों बहुत कुचज्जी सैं निरलज्ज्यां दी निरलज्जी सैं
तूं खा खा खाने रज्जी सैं हुन ताईं तेरा बार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
अज्ज कल्ल्ह तेरा मुक्कलावा ऐ क्यूँ सुत्ती कर कर दा'वा ऐ
अनडिठ्यां नाल मिलावा ए इह भलके गरम बज़ार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
तूं एस जहानों जाएँगी फिर कदम ना एथे पाएँगी
इह जोबन रूप वंजाएँगी तैं रहना विच संसार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
मंज़ल तेरी दूर दुराडी तूं पौणां विच जंगल वादी
औखा पहुंचन पैर प्यादी दिसदी तूं असवार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
इक इकल्ली तन्हा चलसें जंगल बरबर्र दे विच रुलसें
लै लै तोशा इथों घलसें उथे लैन उधार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
उह खाली ऐ सुंञ हवेली तूं विच रहसें इक्क इकेली
ओथे होसी होर ना बेली साथ किसे दा बार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
जेहड़े सन देसां दे राजे नाल जिन्हां दे वज्जदे वाजे
गए रो रो बेतखते ताजे कोई दुनियाँ दा ए'तिबार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
कित्थे है सुल्तान सिकंदर मौत ना छड्डे पीर पैग़म्बर
सभ्भे छड्ड गए अडंबर कोई एथे पायदार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
किथे यूसुफ़ माह-कन्यानी लई ज़ुलैखां फेर जवानी
कीती मौत ने ओड़क फ़ानी फेर उह हार शिंगार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
कित्थे तख़त सुलेमाँ वाला विच हवा उड्डदा सी बाला
उह भी कादर आप संभाला कोई ज़िंदगी दा ए'तिबार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
कित्थे मीर मलक सुल्ताँ सभ्भे छड्ड छड्ड गए टिकाणा
कोई मार ना बैठे ठाणा लश्कर दा जिन्हां शुमार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
फुल्लाँ फुल्ल चम्बेली लाला सोसन सिंबल सरू निराला
बाद-ए-ख़िज़ाँ कीता बुर हाला नरगस नित ख़ुमार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
जो कुझ करसें सो कुझ पासें नहीं ते ओड़क पिछोतासें
सुंञी कूंज वांङ कुरलासें खंभां बाझ उडार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
डेरा करसें उहनीं जाईंं जिथे सेर पलंग बलाई
खाली रहसन महल सराईं फिर तूँ विरसेदार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
असीं आजिज़ विच कोट इलम दे ओसे आंदे विच कलम दे
बिन कलमे दे नाहीं कंम दे बाझों कलमे पार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
बुल्ल्हा' शौह बिन कोई नाहीं एथों ओथे दोहीं सराईं
सँभल सँभल के कदम टिकाईं फेर आवन दूजी वार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
नी सईयो मैं गई गवाची बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
नी सईयो मैं गई गवाची
खोल घुँघट मुक्ख नाची
जित वल्ल वेखां उत वल्ल ओही कसम ओसे दी होर ना कोई
फैहूना माअकुम फिर गई ध्रोही जब गोर तेरी बाची
नी सईयो मैं गई गवाची
नाम निशान ना मेरा सईयो जो आखां तुसीं चुप्प कर रहियो
इह गुल मूल कसे ना कहियो 'बुल्ल्हा' ख़ूब हकीकत जाची
नी सईयो मैं गई गवाची
खोल घुँघट मुक्ख नाची
पिया पिया करते हमीं पिया हुए अब पिया किस नूँ कहिए बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
पिया पिया करते हमीं पिया हुए अब पिया किस नूँ कहिए
हजर वसल हम दोनों छोड़े अब किस के हो रहिए
पिया पिया करते हमीं पिया हुए
मज्नूँ लाल दीवाने वांङू अब लैला हो रहिए
पिया पिया करते हमीं पिया हुए
बुल्ल्हा' शहु घर मेरे आए अब क्यूँ ता'ने सहिए
पिया पिया करते हमीं पिया हुए
लोकाँ दे भाने चाक चकेटा साडा रब्ब ग़फ़ूर बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
लोकाँ दे भाने चाक चकेटा साडा रब्ब ग़फ़ूर
माही वे तैं मिलिआं सभ दुक्ख होवन दूर
मिलन दी ख़ातर चश्माँ बहंदियाँ सी नित झूर
माही वे तैं मिलिआं सभ दुक्ख होवन दूर
उट्ठ गई हिज्र जुदाई जिगरों ज़ाहर दिसदा नूर
माही वे तैं मिलिआं सभ दुक्ख होवन दूर
बुल्ल्हा' रमज़ समझ दी पाईआ ना नेड़े ना दूर
माही वे तैं मिलिआं सभ दुक्ख होवन दूर
मेरा राँझा हुन कोई होर बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मेरा राँझा हुन कोई होर
तखत मुनव्वर बांगां मिलियां
ताँ सुणियां तखत लाहौर
इ'श्क़ मारे ऐवें फिरदे
जिवें जंगल विच ढोर
राँझा तखत हज़ारे दा साईं
हुन ओथों होया चोर
बुल्ल्हा' शाह असीं मरना नहीं
कबर पाय कोई होर
मेरा राँझा हुन कोई होर
मूंह आई बात ना रहन्दी ए बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
झूठ आखां ते कुझ बचदा ए सच्च आख्यां भांबड़ मचदा ए,
जी दोहां गल्लां तों जचदा ए जच जच के जेहवा कहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
जिस पाइआ भेत कलन्दर दा, राह खोज्या आपने अन्दर दा,
उह वासी है सुक्ख मन्दर दा, जिथे कोई ना चढ़दी लहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
इक लाज़म बात अदब दी ए सानूं बात मलूमी सभ दी ए,
हर हर विच सूरत रब्ब दी ए किते ज़ाहर किते छुपेंदी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
एथे दुनियां विच अन्हेरा ए इह तिलकन बाज़ी वेहड़ा ए,
वड़ अन्दर वेखो केहड़ा ए क्युं खफ़तन बाहर ढूंडेदी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
एथे लेखा पायों पसारा ए इहदा वखरा भेत न्यारा ए,
इह सूरत दा चमकारा ए जिवें चिनग दारू विच पैंदी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
किते नाज़ अदा दिखलाईदा, किते हो रसूल मिलाईदा,
किते आशक बण बण आईदा, किते जान जुदाई सहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
जदों ज़ाहर होए नूर हुरीं, जल गए पहाड़ कोह-तूर हुरीं,
तदों दार चढ़े मनसूर हुरीं, ओथे शेखी पेश ना वैंदी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
जे ज़ाहर करां इसरार ताईं, सभ भुल्ल जावन तकरार ताईं,
फिर मारन बुल्ल्हे यार ताईं, एथे मख़फ़ी गल्ल सोहेंदी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
असां पढ़आ इलम तहकीकी ए ओथे इको हरफ़ हकीकी ए,
होर झगड़ा सभ वधीकी ए ऐवें रौला पा पा बहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ए शाह अकल तूं आया कर, सानूं अदब अदाब सिखाइआ कर,
मैं झूठी नूं समझाइआ कर, जो मूरख माहनूं कहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
वाह वाह कुदरत बेपरवाही ए देवे कैदी दे सिर शाही ए,
ऐसा बेटा जाइआ माई ए सभ कलमा उस दा कहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
इस आज़िज़ दा की हीला ए रंग ज़रद ते मुक्खड़ा पीला ए,
जिथे आपे आप वसीला ए ओथे की अदालत कहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
बुल्ल्हा शहु असां थीं वक्ख नहीं, बिन शहु थीं दूजा कक्ख नहीं,
पर वेखन वाली अक्ख नहीं, ताहीं जान जुदाईआं सहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
रैन गई लटके सभ तारे बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
रैन गई लटके सभ तारे
अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
आवागौन सराईं डेरे साथ त्यार मुसाफ़र तेरे
तैं ना सुण्यु कूच नगारे अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
कर लै अज्ज करनी दा बेरा बहुड़ ना होसी आवन तेरा
साथी चलो चल्ल पुकारे अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
क्या सरधन क्या निर्धन पौड़े आपने आपने देश को दौड़े
लद्धा नाम लै लियौ सभारे अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
मोती चूनी पारस पासे पास समुंदर मरो प्यासे
खोल्ह अक्खीं उट्ठ बहु भिकारे अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
बुल्ल्हा' शौह दी पैरीं पड़िए ग़फ़लत छोड़ कुझ हीला करिए
मिरग जतन बिन खेत उजाड़े अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
रैन गई लटके सभ तारे
अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़ वे प्यारिआ बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़ वे प्यारिआ
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
आपे लाईआं कुंडियां तैं ते आपे खिच्चदा हैं डोर
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
अरश कुरसी ते बांगां मिलियां मक्के पै गया शोर
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
डोली पा के लै चल्ले खेड़े ना कुझ उज़र ना ज़ोर
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
जे माए तैनूँ खेड़े प्यारे डोली पा देवीं होर
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
बुल्ल्हा' शौह असाँ मरना नाहीं वे मर गया कोई होर
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
सानूँ आ मिल यार प्यारिआ बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
दूर दूर असाथों ग्युं अजला ते आ के बह रहउं
की कसर कसूर विसारिआ सानूँ आ मिल यार प्यारिआ
मेरा इक अनोखा यार है मेरा ओसे नाल प्यार है
किवें समझें वड परवाइआ सानूँ आ मिल यार प्यारिआ
जदों आपनी आपनी पै गई धी माँ नूँ लुट्ट के लै गई
मूंह बाहरवीं सदी पसारिआ सानूँ आ मिल यार प्यारिआ
दर खुल्ल्हा हश्र अ'ज़ाब दा बुरा हाल होया पंजाब दा
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लग्गदा शोर
हुन मैं मोइ नी मेरीए माँ
पूनी मेरी लैगया काँ
डो डो कर दी मगरे जाँ
पूनी दे दईं साईं दे नाँ
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लग्गदा शोर
बुल्ल्हा' साईं दे नाल प्यार
मेहर इ'नायत करे हज़ार
इहो कौल ते इहो करार
दिलबर दे विच रहणा
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लग्गदा शोर
उल्टे होर ज़माने आए बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
उल्टे होर ज़माने आए
काँ लगड़ नूँ मारन लग्गे चिड़ियाँ जुर्रे खाए
उल्टे होर ज़माने आए
इराकियां नूँ पई चाबक पउंदी गद्धो खोद पवाए
उल्टे होर ज़माने आए
बुल्ल्हा' हुकम हज़ूरों आया तिस नूं कौन हटाए
उल्टे होर ज़माने आए
वाह वाह वाहदत कीना शोर अनहद बांसरी दी घंगोर बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
वाह वाह वाहदत कीना शोर अनहद बांसरी दी घंगोर
असाँ हुन पाइआ तखत लाहौर मेरे घर आया पिया हमारा
जल गए मेरे खोट निखोट लग गई प्रेम सच्चे दी चोट
हुन सूँ ओस खसम दी ओट मेरे घर आया पिया हमारा
हुन क्या कन्नें साल-ओ-साल लगगिआ मस्त प्याला हाथ
हुन मेरी भुल्ल गई ज़ात सफ़्फ़ात मेरे घर आया पिया हमारा
हुन क्या कीने बीस पचास प्रीतम पाई असाँ वल झात
हुन सानूँ सभ जग्ग दिसदा लाल मेरे घर आया पिया हमारा
हुन सानूँ आस दी फ़ाश 'बुल्ल्हा' शहु आया हमरे पास
साईं पुचाई साडी आस मेरे घर आया पिया हमारा
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना
तूँ कदी ते हो स्याना
करके चावड़ चार देहाड़े थीसें अंत निमाणा
ज़ुल्म करें ते लोक सतावें छड्ड दे ज़ुलम सताना
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना
जिस जिस दा वी मान करें तूं सो वी साथ ना जाना
शहर-ए-ख़मोशाँ वेख हमेशां जिस विच जग्ग समाना
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना
भर भर पूर लंघावे डाढा मलक-उल-मौत मुहाना
ऐथे हैन तनते सभ मैं औगुणहार निमाणा
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना
बुल्ल्हा' दुश्मन नाल बरे विच है दुश्मन बल ढाना
महबूब-ए-रब्बानी करे रसाई ख़ौफ़ जाए मलकाना
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना
तूँ कदी ते हो स्याना
राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई
सद्दो नी मैनूँ धीदो राँझा हीर ना आखो कोई
राँझा मैं विच्च मैं रांझे विच्च होर ख़याल ना कोई
मैं नहीं उह आप है आपनी आप करे दिल-जोई
राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई
हथ खूंडी मेरे अग्गे मंगू मोढे भूरा लोई
बुल्ल्हा' हीर सलेटी वेखो कित्थे जा खलोई
राँझा राँझा कर दी नी मैं आपे राँझा होई
सद्दो नी मैनूँ धीदो राँझा हीर ना आखो कोई
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
नाम नबी की रतन चढ़ी बूँद पड़ी अल्लाह अल्लाह
रंग-रंगीली ओही खिलावे जो सखी होवे फ़ना-फ़िल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
अलस्तो-बे-रब्बेकुम पीतम बोले सब सखियाँ ने घुँघट खोले
क़ालू-बला ही यूँ कर बोले ला-इलाहा इल-लल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
नहनो-अक़रब की बंसी बजाई मन-अरफ़-नफ़्सह की कूक सुनाई
फ़सम्मा वज्हुल्लाह की धूम मचाई विच दरबार रसूलल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
हाथ जोड़ कर पाँव पड़ुँगी आजिज़ हो कर बिंती करूँगी
झगड़ा कर भर झोली लूँगी नूर मोहम्मद सल्लल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
फ़ज़कुरूनी की होरी बनाऊँ वश्कुरूली पिया को रिझाऊँ
ऐसे पिया के मैं बल-बल जाऊँ कैसा पिया सुब्हान-अल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
सिब्ग़तुल्लाह की भर पिचकारी अल्लाहुस-समद पिया मुँह पर मारी
नूर नबी दा हक़ से जारी नूर मोहम्मद सल्लल्लाह
बुल्लिहा' शौह दी धूम मची है ला-इलाहा इल-लल्लाह
होरी खेलुँगी कह कर बिस्मिल्लाह
मैनूं इ'श्क़ हुलारे देंदा बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैनूं इ'श्क़ हुलारे देंदा
मूंह चढ़आ यार बुलेंदा
की पुच्छदा हैं की ज़ात सफ़्फ़ात मेरी उहो आदम वाली ज़ात मेरी
नहनो-अक़रब दे विच घात मेरी विच रब्ब दा सिर झुलेंदा
मैनूं इ'श्क़ हुलारे देंदा
किते शिया ते किते सुन्नी ए किते जटाधारी किते मुन्नी ऐ
मेरी सभ से फ़ारग़ कुन्नी ऐ जो कहाँ सो यार मनेंदा
मैनूं इ'श्क़ हुलारे देंदा
बुल्ल्हा' दूरों चल के आया जी उहदी सूरत ने भरमाइआ जी
ओसे पाक जमाल विखाइआ जी उह हिक्क दम ना भुलेंदा
मैनूं इ'श्क़ हुलारे देंदा
मूंह चढ़आ यार बुलेंदा
रातीं जागें करें इ'बादत बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
रातीं जागें करें इ'बादत
रातीं जागण कुत्ते
तैथों उते
भौंकणों बंद मूल ना हुन्दे
जा रूड़ी ते सुत्ते
तैथों उते
ख़सम आपने दा दर ना छड्डदे
भावें वज्जन जुत्ते
तैथों उते
बुल्ल्हे' शाह कोई रखत वेहाज लै
नहीं ते बाज़ी लै गए कुत्ते
तैथों उते
हाजी लोक मक्के नूँ जांदे बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
हाजी लोक मक्के नूँ जांदे
मेरा राँझा माही मक्का
नी मैं कमली हाँ
मैं ते मंग रांझे दी होईआं
मेरा बाबल करदा धक्का
नी मैं कमली हाँ
हाजी लोक मक्के वल्ल जांदे
मेरे घर विच नौशोह मक्का
नी मैं कमली हाँ
विच्चे हाजी विचे गाजी
विच्चे चोर उचक्का
नी मैं कमली हाँ
हाजी लोक मक्के वल्ल जांदे
असाँ जाना तख़त हज़ारे
नी मैं कमली हाँ
जित वल्ल यार उते वल्ल का'बा
भावें फोल किताबाँ चारे
नी मैं कमली हाँ
इस टूने नूँ पढ़ फूकांगी सूरज अगन जलावांगी बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
इस टूने नूँ पढ़ फूकांगी सूरज अगन जलावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
अँखियाँ काजल काले बादल भवाँ से आग लगावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
और बसात नहीं कुझ मेरी जोबन धड़ी गुन्दावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
सत्त समुंदर दिल दे अंदर दिल से लहर उठावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
बिजली हो कर चमक ड्रावां मैं बादल घिर घिर जावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
इ'श्क़ अँगीठी हरमल तारे सूरज अगन चढ़ावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
ना मैं व्याही ना मैं कवारी बेटा गोद खिडावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
बुल्ल्हा' लामकान दी पटड़ी उते बहके नाद वजावांगी
टूने कामन करके नी मैं प्यारा यार मनावांगी
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
इह सौन तेरे दरकार नहीं
इक रोज़ जहानों जाना ऐ जा कबरे विच समाना ऐ
तेरा गोशत कीड़िआं खाना ऐ कर चेता मरग विसार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
तेरा साहा नेड़े आया ऐ कुझ्झ चोली दाज रंगाइआ ऐ
क्यूँ आपना आप वंजाइआ ए ऐ ग़ाफ़ल तैनूं सार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
तूं सुत्याँ उ'मर वंजाई ऐ तूं चरखे तन्द ना पाई ऐ
की करसें दाज त्यार नहीं उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
तूँ जिस दिन जोबन मत्ती सैं तूं नाल सईआं दे रत्ती सैं
हो गाफल गल्लीं वत्ती सैं इह भोरा तैनूँ सार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
तूँ मुढ्ढों बहुत कुचज्जी सैं निरलज्ज्यां दी निरलज्जी सैं
तूं खा खा खाने रज्जी सैं हुन ताईं तेरा बार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
अज्ज कल्ल्ह तेरा मुक्कलावा ऐ क्यूँ सुत्ती कर कर दा'वा ऐ
अनडिठ्यां नाल मिलावा ए इह भलके गरम बज़ार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
तूं एस जहानों जाएँगी फिर कदम ना एथे पाएँगी
इह जोबन रूप वंजाएँगी तैं रहना विच संसार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
मंज़ल तेरी दूर दुराडी तूं पौणां विच जंगल वादी
औखा पहुंचन पैर प्यादी दिसदी तूं असवार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
इक इकल्ली तन्हा चलसें जंगल बरबर्र दे विच रुलसें
लै लै तोशा इथों घलसें उथे लैन उधार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
उह खाली ऐ सुंञ हवेली तूं विच रहसें इक्क इकेली
ओथे होसी होर ना बेली साथ किसे दा बार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
जेहड़े सन देसां दे राजे नाल जिन्हां दे वज्जदे वाजे
गए रो रो बेतखते ताजे कोई दुनियाँ दा ए'तिबार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
कित्थे है सुल्तान सिकंदर मौत ना छड्डे पीर पैग़म्बर
सभ्भे छड्ड गए अडंबर कोई एथे पायदार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
किथे यूसुफ़ माह-कन्यानी लई ज़ुलैखां फेर जवानी
कीती मौत ने ओड़क फ़ानी फेर उह हार शिंगार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
कित्थे तख़त सुलेमाँ वाला विच हवा उड्डदा सी बाला
उह भी कादर आप संभाला कोई ज़िंदगी दा ए'तिबार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
कित्थे मीर मलक सुल्ताँ सभ्भे छड्ड छड्ड गए टिकाणा
कोई मार ना बैठे ठाणा लश्कर दा जिन्हां शुमार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
फुल्लाँ फुल्ल चम्बेली लाला सोसन सिंबल सरू निराला
बाद-ए-ख़िज़ाँ कीता बुर हाला नरगस नित ख़ुमार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
जो कुझ करसें सो कुझ पासें नहीं ते ओड़क पिछोतासें
सुंञी कूंज वांङ कुरलासें खंभां बाझ उडार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
डेरा करसें उहनीं जाईंं जिथे सेर पलंग बलाई
खाली रहसन महल सराईं फिर तूँ विरसेदार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
असीं आजिज़ विच कोट इलम दे ओसे आंदे विच कलम दे
बिन कलमे दे नाहीं कंम दे बाझों कलमे पार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
बुल्ल्हा' शौह बिन कोई नाहीं एथों ओथे दोहीं सराईं
सँभल सँभल के कदम टिकाईं फेर आवन दूजी वार नहीं
उट्ठ जाग घुराड़े मार नहीं
नी सईयो मैं गई गवाची
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
नी सईयो मैं गई गवाची
खोल घुँघट मुक्ख नाची
जित वल्ल वेखां उत वल्ल ओही कसम ओसे दी होर ना कोई
फैहूना माअकुम फिर गई ध्रोही जब गोर तेरी बाची
नी सईयो मैं गई गवाची
नाम निशान ना मेरा सईयो जो आखां तुसीं चुप्प कर रहियो
इह गुल मूल कसे ना कहियो 'बुल्ल्हा' ख़ूब हकीकत जाची
नी सईयो मैं गई गवाची
खोल घुँघट मुक्ख नाची
पिया पिया करते हमीं पिया हुए अब पिया किस नूँ कहिए बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
पिया पिया करते हमीं पिया हुए अब पिया किस नूँ कहिए
हजर वसल हम दोनों छोड़े अब किस के हो रहिए
पिया पिया करते हमीं पिया हुए
मज्नूँ लाल दीवाने वांङू अब लैला हो रहिए
पिया पिया करते हमीं पिया हुए
बुल्ल्हा' शहु घर मेरे आए अब क्यूँ ता'ने सहिए
पिया पिया करते हमीं पिया हुए
लोकाँ दे भाने चाक चकेटा साडा रब्ब ग़फ़ूर बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
लोकाँ दे भाने चाक चकेटा साडा रब्ब ग़फ़ूर
माही वे तैं मिलिआं सभ दुक्ख होवन दूर
मिलन दी ख़ातर चश्माँ बहंदियाँ सी नित झूर
माही वे तैं मिलिआं सभ दुक्ख होवन दूर
उट्ठ गई हिज्र जुदाई जिगरों ज़ाहर दिसदा नूर
माही वे तैं मिलिआं सभ दुक्ख होवन दूर
बुल्ल्हा' रमज़ समझ दी पाईआ ना नेड़े ना दूर
माही वे तैं मिलिआं सभ दुक्ख होवन दूर
मेरा राँझा हुन कोई होर बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मेरा राँझा हुन कोई होर
तखत मुनव्वर बांगां मिलियां
ताँ सुणियां तखत लाहौर
इ'श्क़ मारे ऐवें फिरदे
जिवें जंगल विच ढोर
राँझा तखत हज़ारे दा साईं
हुन ओथों होया चोर
बुल्ल्हा' शाह असीं मरना नहीं
कबर पाय कोई होर
मेरा राँझा हुन कोई होर
मूंह आई बात ना रहन्दी ए बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
झूठ आखां ते कुझ बचदा ए सच्च आख्यां भांबड़ मचदा ए,
जी दोहां गल्लां तों जचदा ए जच जच के जेहवा कहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
जिस पाइआ भेत कलन्दर दा, राह खोज्या आपने अन्दर दा,
उह वासी है सुक्ख मन्दर दा, जिथे कोई ना चढ़दी लहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
इक लाज़म बात अदब दी ए सानूं बात मलूमी सभ दी ए,
हर हर विच सूरत रब्ब दी ए किते ज़ाहर किते छुपेंदी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
एथे दुनियां विच अन्हेरा ए इह तिलकन बाज़ी वेहड़ा ए,
वड़ अन्दर वेखो केहड़ा ए क्युं खफ़तन बाहर ढूंडेदी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
एथे लेखा पायों पसारा ए इहदा वखरा भेत न्यारा ए,
इह सूरत दा चमकारा ए जिवें चिनग दारू विच पैंदी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
किते नाज़ अदा दिखलाईदा, किते हो रसूल मिलाईदा,
किते आशक बण बण आईदा, किते जान जुदाई सहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
जदों ज़ाहर होए नूर हुरीं, जल गए पहाड़ कोह-तूर हुरीं,
तदों दार चढ़े मनसूर हुरीं, ओथे शेखी पेश ना वैंदी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
जे ज़ाहर करां इसरार ताईं, सभ भुल्ल जावन तकरार ताईं,
फिर मारन बुल्ल्हे यार ताईं, एथे मख़फ़ी गल्ल सोहेंदी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
असां पढ़आ इलम तहकीकी ए ओथे इको हरफ़ हकीकी ए,
होर झगड़ा सभ वधीकी ए ऐवें रौला पा पा बहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ए शाह अकल तूं आया कर, सानूं अदब अदाब सिखाइआ कर,
मैं झूठी नूं समझाइआ कर, जो मूरख माहनूं कहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
वाह वाह कुदरत बेपरवाही ए देवे कैदी दे सिर शाही ए,
ऐसा बेटा जाइआ माई ए सभ कलमा उस दा कहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
इस आज़िज़ दा की हीला ए रंग ज़रद ते मुक्खड़ा पीला ए,
जिथे आपे आप वसीला ए ओथे की अदालत कहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
बुल्ल्हा शहु असां थीं वक्ख नहीं, बिन शहु थीं दूजा कक्ख नहीं,
पर वेखन वाली अक्ख नहीं, ताहीं जान जुदाईआं सहन्दी ए ।
मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
रैन गई लटके सभ तारे बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
रैन गई लटके सभ तारे
अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
आवागौन सराईं डेरे साथ त्यार मुसाफ़र तेरे
तैं ना सुण्यु कूच नगारे अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
कर लै अज्ज करनी दा बेरा बहुड़ ना होसी आवन तेरा
साथी चलो चल्ल पुकारे अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
क्या सरधन क्या निर्धन पौड़े आपने आपने देश को दौड़े
लद्धा नाम लै लियौ सभारे अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
मोती चूनी पारस पासे पास समुंदर मरो प्यासे
खोल्ह अक्खीं उट्ठ बहु भिकारे अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
बुल्ल्हा' शौह दी पैरीं पड़िए ग़फ़लत छोड़ कुझ हीला करिए
मिरग जतन बिन खेत उजाड़े अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
रैन गई लटके सभ तारे
अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़ वे प्यारिआ बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़ वे प्यारिआ
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
आपे लाईआं कुंडियां तैं ते आपे खिच्चदा हैं डोर
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
अरश कुरसी ते बांगां मिलियां मक्के पै गया शोर
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
डोली पा के लै चल्ले खेड़े ना कुझ उज़र ना ज़ोर
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
जे माए तैनूँ खेड़े प्यारे डोली पा देवीं होर
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
बुल्ल्हा' शौह असाँ मरना नाहीं वे मर गया कोई होर
साडे वल्ल मुखड़ा मोड़
सानूँ आ मिल यार प्यारिआ बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
दूर दूर असाथों ग्युं अजला ते आ के बह रहउं
की कसर कसूर विसारिआ सानूँ आ मिल यार प्यारिआ
मेरा इक अनोखा यार है मेरा ओसे नाल प्यार है
किवें समझें वड परवाइआ सानूँ आ मिल यार प्यारिआ
जदों आपनी आपनी पै गई धी माँ नूँ लुट्ट के लै गई
मूंह बाहरवीं सदी पसारिआ सानूँ आ मिल यार प्यारिआ
दर खुल्ल्हा हश्र अ'ज़ाब दा बुरा हाल होया पंजाब दा
डर हावीए दोज़ख़ मारिआ सानूँ आ मिल यार प्यारिआ
बुल्ल्हा' शहु मेरे घर आवसी मेरी बलदी भा बुझावसी
इनायत दमदम नाल चितारिआ सानूँ आ मिल यार प्यारिआ
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर
नी मेरी बुक्कल दे विच्च चोर
कीहनूं कूक सुणावाँ नी मेरी बुक्कल दे विच्च चोर
चोरी चोरी निकल गया जग विच्च पै गया शोर
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर
मुसलमान सिव्यां तों ड्रदे हिन्दू ड्रदे गोर
दोवें एसे दे विच्च मरदे इहो दोहां दी खोर
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर
किते राम दास किते फ़तह मोहम्मद इहो क़दीमी शोर
मिट गया दोहां दा झगड़ा निकल प्या कुझ होर
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर
अरश मुनव्वर बांगां मिलियां सुणियां तख़्त लाहौर
शाह इ'नायत कुंडियाँ पईआं लुक छुप खिच्चदा डोर
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर
जिस ढूँडाइआ तिस ने पाइआ ना झुर झुर होया मोर
पीर-ए-पीराँ बग़दाद असाडा मुरशद तख़्त लाहौर
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर
इहो तुसीं वी आखो सारे आप गुड्डी आप डोर
मैं दसनां तुसीं पकड़ ल्याउ 'बुल्ल्हे' शाह दा चोर ।
मेरी बुक्कल दे विच्च चोर नी मेरी बुक्कल दे विच्च चोर
मैं गल्ल ओथे दी करदा हाँ बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैं गल्ल ओथे दी करदा हाँ
पर गल्ल करदा वी डरदा हाँ
नाल रूहां दे लारा लाइआ तुसीं चलो मैं नाले आया
एथे परदा चा बणाइआ मैं भरम भुलाइआ फिरदा हाँ
पर गल्ल करदा वी डरदा हाँ
नाल हाकम दे खेल असाडी जे मैं मीरी ताँ मैं फाडी
धरी धराई पूँजी तुहाडी मैं अगला लेखा भरदा हाँ
पर गल्ल करदा वी डरदा हाँ
दे पूँजी मूरख झुंजलाइआ मगर चोराँ दे पैड़ा लाइआ
चोराँ दी मैं पैड़ा लिआया हर शब धाड़े धड़दा हाँ
पर गल्ल करदा वी डरदा हाँ
ना नाल मेरे उह रस्सदा ऐ ना मिन्नत कीती सज्जदा ऐ
जाँ मुड़ बैठां ताँ भज्जदा ऐ मुड़ मिन्नत-ज़ारी करदा हाँ
पर गल्ल करदा वी डरदा हाँ
की सुक्ख पाइआ मैं आण इथे ना मंज़ल ना डेरे जित्थे
घंटा कूच सुणावाँ कित्थे नित्त ऊठ कचावे कड़दा हाँ
पर गल्ल करदा वी डरदा हाँ
बुल्ल्हे' शाह बे-अंत डूंघाई दो जग बीच ना लग्गदी काई
उरार पार दी ख़बर ना काई मैं बे-सिर पैरीं तरदा हाँ
मैं गल्ल ओथे दी करदा हाँ
पर गल्ल करदा वी डरदा हाँ
माटी कुदम करेंदी यार बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
माटी जोड़ा माटी घोड़ा माटी दा असवार
माटी माटी नूं दौड़ाए माटी दा खड़कार
माटी कुदम करेंदी यार
माटी माटी नूँ मारन लग्गी माटी दे हथ्यार
जिस माटी पर बहुती माटी तिस माटी हंकार
माटी कुदम करेंदी यार
माटी बाग़ बगीचा माटी माटी दी गुलज़ार
माटी माटी नूं वेखण आई माटी दी ऐ बहार
माटी कुदम करेंदी यार
हस्स खेड मुड़ माटी होई माटी पायों पसार
बुल्ल्हा' इह बुझारत बुझ्झें लाह सिरों भोएँ मार
माटी कुदम करेंदी यार
तूँ किधरों आया किधर जाणा आपना दस्स टिकाणा बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
तूँ किधरों आया किधर जाणा आपना दस्स टिकाणा
जिस ठाने दा तूँ मान करें तेरे नाल ना जासी ठाना
ज़ुलम करें ते लोक सातवें कसब फड़्यु लुट्ट खाना
महबूब सुबहानी करे आसानी ख़ौफ़ जाए मलकाना
शहर-ए-ख़मोशाँ दे चल वस्सीए जित्थे मुलक समाना
भर भर पूर लंघावे डाढा मलक-उल-मौत मुहाना
करे चावड़ चार देहाड़े ओड़क तूँ उट्ठ जाना
इन्हाँ सभनां थीं ऐ 'बुल्ल्हा' औगुणहार पुराना
तूँ किधरों आया किधर जाणा आपना दस्स टिकाणा
जिस ठाने दा तूँ मान करें तेरे नाल ना जासी ठाना
मैं विच मैं ना रह गई राई बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैं विच मैं ना रह गई राई
जब की पिया संग पीत लगाई
जद वसल विसाल बनाएगा तद गुंगे दा गुड़ खाएगा
सिर पैर ना आपना पाएगा मैं इह होर ना किसे बनाई
जब की पिया संग पीत लगाई
होए नैन नैणां दे बरदे दरशन सै कोहाँ तों करदे
पल्ल पल्ल दौड़न मारे डरदे तैं कोई लालच घत भरमाई
जब की पिया संग पीत लगाई
हुन असाँ वहदत विच घर पाइआ वासा हैरत दे संग आया
जीवन जमन मरन वंजाइआ आपनी सुद्ध बुद्ध रही ना काई
जब की पिया संग पीत लगाई
मैं जाता सी इ'श्क़ सुखाला चहुं नदियाँ दा वहन उजाला
कदी ते अग्ग भड़के कदी पाला नित्त बिरहों अग्ग लगाई
जब की पिया संग पीत लगाई
डेहों डेहों इ'श्क़ नक्कारे बज्जदे आशक वेख उते वल्ल भज्जदे
तड़ तड़ तिड़क गए लड़ लज्जदे लग्ग गिआ नेहुं ताँ शरम सिधाई
जब की पिया संग पीत लगाई
प्यारे बस्स कर बहुती होई तेरा इ'श्क़ मेरी दिल-जोई
तैं बिन मेरा सक्का ना कोई अमाँ बाबल भैन ना भाई
जब की पिया संग पीत लगाई
कदी जा असमानी बहन्दे हो कदी इस जग्ग दा दुक्ख सहन्दे हो
कदी पीर-ए-मुग़ाँ बण बहन्दे हो मैं ताँ इकसे नाच नचाई
जब की पिया संग पीत लगाई
तेरे हिज्रे विच मेरा हुजरा ऐ दुक्ख डाढा मैं पर गुज़रा ऐ
कदे हो मायल मेरा मुजरा ऐ मैं तैथों घोल घुमाई
जब की पिया संग पीत लगाई
तुध कारन मैं ऐसा होया तूं दरवाज़े बंद कर सोया
दर दसवें ते आण खलोया कदे मनने मेरी आश्नाई
जब की पिया संग पीत लगाई
बुल्ल्हा' शहु मैं तेरे वारे हाँ मुक्ख वेखण दे वणजारे हाँ
कुझ असीं वी तेनूँ प्यारे हाँ कि मैं ऐवें घोल घुमाई
जब की पिया संग पीत लगाई
साईं छुप तमाशे नूँ आया बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
साईं छुप तमाशे नूँ आया
तुसीं रल मिल नाम ध्यायो
लटक सजन दी नाहीं छपदी सारी ख़लकत सिक्कदी तप्पदी
तुसीं दूर ना ढूँढण जायो तुसीं रल मिल नाम ध्यायो
रल मिल सईयो अतन पायो इक बन्ने विच जा समाओ
नाले गीत सज्जन दा गायो तुसीं रल मिल नाम ध्यायो
बुल्ल्हा' बात अनोखी एहा नच्चन लग्गी ताँ घुँघट केहा
तुसीं परदा अक्खीं थीं लाहो तुसीं रल मिल नाम ध्यायो
रोज़े हज्ज निमाज़ नी माए बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
रोज़े हज्ज निमाज़ नी माए
मैनूँ पिया ने आण भुलाए
जाँ पिया दियाँ ख़बराँ आईआं मंतक नहव सभ्भे भुल्ल गईआं
उस अनहद तार वजाए रोज़े हज्ज निमाज़ नी माए
जाँ पिया मेरे घर आया भुल्ल गया मैनूं शर्हा वकाइआ
हर मुज़हर विच ऊहा दिसदा अंदर बाहर जलवा जिसदा
लोकाँ खबर ना काए रोज़े हज्ज निमाज़ नी माए
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लग्गदा शोर बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
हुन मैं ते राजी रहनां
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लग्गदा शोर
मैं घर खिला शगूफ़ा होर
वेखियां बाग़ बहाराँ होर
हुन मैनूँ कुझ ना कहणा
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लग्गदा शोर
हुन मैं मोइ नी मेरीए माँ
पूनी मेरी लैगया काँ
डो डो कर दी मगरे जाँ
पूनी दे दईं साईं दे नाँ
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लग्गदा शोर
बुल्ल्हा' साईं दे नाल प्यार
मेहर इ'नायत करे हज़ार
इहो कौल ते इहो करार
दिलबर दे विच रहणा
प्यारिआ सानूँ मिट्ठड़ा ना लग्गदा शोर
उल्टे होर ज़माने आए बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
उल्टे होर ज़माने आए
काँ लगड़ नूँ मारन लग्गे चिड़ियाँ जुर्रे खाए
उल्टे होर ज़माने आए
इराकियां नूँ पई चाबक पउंदी गद्धो खोद पवाए
उल्टे होर ज़माने आए
बुल्ल्हा' हुकम हज़ूरों आया तिस नूं कौन हटाए
उल्टे होर ज़माने आए
वाह वाह वाहदत कीना शोर अनहद बांसरी दी घंगोर बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
वाह वाह वाहदत कीना शोर अनहद बांसरी दी घंगोर
असाँ हुन पाइआ तखत लाहौर मेरे घर आया पिया हमारा
जल गए मेरे खोट निखोट लग गई प्रेम सच्चे दी चोट
हुन सूँ ओस खसम दी ओट मेरे घर आया पिया हमारा
हुन क्या कन्नें साल-ओ-साल लगगिआ मस्त प्याला हाथ
हुन मेरी भुल्ल गई ज़ात सफ़्फ़ात मेरे घर आया पिया हमारा
हुन क्या कीने बीस पचास प्रीतम पाई असाँ वल झात
हुन सानूँ सभ जग्ग दिसदा लाल मेरे घर आया पिया हमारा
हुन सानूँ आस दी फ़ाश 'बुल्ल्हा' शहु आया हमरे पास
साईं पुचाई साडी आस मेरे घर आया पिया हमारा
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना
तूँ कदी ते हो स्याना
करके चावड़ चार देहाड़े थीसें अंत निमाणा
ज़ुल्म करें ते लोक सतावें छड्ड दे ज़ुलम सताना
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना
जिस जिस दा वी मान करें तूं सो वी साथ ना जाना
शहर-ए-ख़मोशाँ वेख हमेशां जिस विच जग्ग समाना
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना
भर भर पूर लंघावे डाढा मलक-उल-मौत मुहाना
ऐथे हैन तनते सभ मैं औगुणहार निमाणा
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना
बुल्ल्हा' दुश्मन नाल बरे विच है दुश्मन बल ढाना
महबूब-ए-रब्बानी करे रसाई ख़ौफ़ जाए मलकाना
प्यारे बिन मस्लहत उट्ठ जाना
तूँ कदी ते हो स्याना
मित्तर प्यारे कारन नी मैं लोक उल्हानें लैनी हाँ बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
लग्गा नेहुं मेरा जिस सेती सरहाने वेख पलंघ दे जीती
आ'लम क्यूँ समझावे रीती मैं डिट्ठे बाझ ना रहनी हाँ
मित्तर प्यारे कारन नी मैं लोक उल्हानें लैनी हाँ
तुसीं समझायो वीरो भोरी रांझन वेंहदा मैथों चोरी
जीहदे इ'श्क़ कीती मैं डोरी मैं नाल आराम ना बहनी हाँ
मित्तर प्यारे कारन नी मैं लोक उल्हानें लैनी हाँ
बिरहों आ वड़िआ विच वेहड़े ज़ोरो ज़ोर देवे तन घेरे
दारू दरद ना बाझों तेरे मैं सज्जणां बाझ मरेनी हाँ
मित्तर प्यारे कारन नी मैं लोक उल्हानें लैनी हाँ
बुल्ल्हे' शाह घर रांझन आवे मैं तत्ती नूँ लै गल लावे
नाल ख़ुशी दे रैन वेहावे नाल ख़ुशी दे रहनी हाँ
मित्तर प्यारे कारन नी मैं लोक उल्हानें लैनी हाँ
मैं ब-क़ैद मैं ब-क़ैद बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैं ब-क़ैद मैं ब-क़ैद
ना रोगी ना वैद
ना मैं मोमन ना मैं काफ़र
ना सईद ना सईद
चौदीं तबकीं सीर असाडा
किते ना हुन्दा कैद
ख़राबात मैं जाल असाडी
ना शोभा ना ऐ'ब
बुल्ल्हा' शहु दी ज़ात की पुछनैं
ना पैदा ना पैद
नी कुटीचल मेरा नाँ बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मुल्लाँ मैनूँ सबक पढ़ाइआ अलफों अग्गे कुझ्झ ना आया
उस दियाँ जुत्तियां खांदी साँ नी कुटीचल मेरा नाँ
किवें किवें दो अक्खियाँ लाईआं रल के सईआं मारन आईआं
नाले मारे बाबल मां नी कुटीचल मेरा नाँ
साहवरे सानूँ वड़न ना देंदे नानक दादक घरों कढेंदे
मेरा पैके नहीउं थाँ नी कुटीचल मेरा नाँ
पढ़न सेती सभ मारन आहींं बिनाँ पढ़आं हुन छड्डदा नाहीं
नी मैं मुड़के कित वल्ल जाँ नी कुटीचल मेरा नाँ
बुल्ल्हा' शहु की लाई मैनूं मत कुझ लग्गे उह ही तैनूँ
तद करेंगा तूं न्यां नी कुटीचल मेरा नाँ
नी मैनूं लग्गड़ा इ'श्क़ अवल्ल दा बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
नी मैनूं लग्गड़ा इ'श्क़ अवल्ल दा
अवल्ल दा रोज़ अज़ल्ल दा
विच कड़ाही तल तल जावे तल्यां नूँ चा तलदा
नी मैनूं लग्गड़ा इ'श्क़ अवल्ल दा
मोयां नूँ इह वल वल मारे वल्यां नूँ चा वलदा
नी मैनूं लग्गड़ा इ'श्क़ अवल्ल दा
क्या जाना कोई चिनग कक्खी ऐ नित्त सूल कलेजे सल्लदा
नी मैनूं लग्गड़ा इ'श्क़ अवल्ल दा
तीर जिगर विच लग्गा इ'श्क़ नहीं हलाइआ हल्लदा
नी मैनूं लग्गड़ा इ'श्क़ अवल्ल दा
बुल्ल्हा' शहु दा नेहुं अनोखा नहीं रलाइआ रलदा
नी मैनूं लग्गड़ा इ'श्क़ अवल्ल दा
अवल्ल दा रोज़ अज़ल्ल दा
उल्टी गंग बहाइओ रे साधो तब हर दरसन पाए बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
उल्टी गंग बहाइओ रे साधो तब हर दरसन पाए
प्रेम दी पूनी हाथ में लीजो गुझ्झ मरोड़ी पड़ने ना दीजो
गयान का तक्कला ध्यान का चरखा उल्टा फेर भुवाए
उल्टे पाउँ पर कुंभकरन जाए तब लंका का भेद उपाए
दैहंसर लुट्ट्या हुन लछमन बाकी तब अनहद नाद बजाए
इह गत गुर की पैरों पावें गुर का सेवक तभी सदाए
अमृत मंडल मूँ तब ऐसी दे कि हरी हरि हो जाए
उल्टी गंग बहाइओ रे साधो तब हर दरसन पाए
राँझा जोगीड़ा बण आया
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
राँझा जोगीड़ा बण आया
वाह सांगी साँग रचाइआ
एस जोगी दे नैन कटोरे बाज़ाँ वांङू लैंदे डोरे
मुक्ख डिठ्यां दुक्ख जावन झोरे इन्हाँ अक्खियाँ लाल वंजाइआ
राँझा जोगीड़ा बण आया
एस जोगी दी की निशानी कन्न विच मुन्दरां गल विच गानी
सूरत इस दी यूसुफ़ सानी एस अलफों आहद बणाइआ
राँझा जोगीड़ा बण आया
राँझा जोगी ते मैं जोगयानी इस दी खातर भरसां पाणी
एवें पिछली उमर वेहाणी एस हुन मैनूँ भरमाइआ
राँझा जोगीड़ा बण आया
बुल्ल्हा' शहु दी इह गत बणाई प्रीत पुरानी शोर मचाई
इह गल्ल कीकूं छुपे छुपाई नी तख़त हज़ार्युं धाइआ
राँझा जोगीड़ा बण आया
वाह साँगी साँग रचाइआ
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
कहु किस नूं पार उतारिआ ई ।
आदम कणकों मन्हा कराइआ, आपे मगर शैतान दुड़ाइआ,
कढ्ढ बहशतों ज़मीन रुलाइआ, केड पसार पसारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
ईसा नूं बिन बाप जंमाइआ, नूहे पर तूफान मंगाइआ,
नाल प्यु दे पुत्तर लड़ाइआ, डोब उहनां नूं मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
मूसे नूं कोह-तूर चढ़ाययो, असमाईल नूं ज़िबाह करायओ,
यूनस मच्छी तों निगलाययो, की उहनां नूं रुत्तबे चाढ़आ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
ख़वाब ज़ुलैखां नूं दिखलाययो, यूसफ़ खूह दे विच पवायओ,
भाईआं नूं इलज़ाम दिवाययो, तां मरातब चाढ़आ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
भट्ठ सुलेमान नूं झुकाइओ, इबराहीम चिखा विच पाइओ,
साबर दे तन कीड़े पाययो, हुसन ज़हर दे मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
मनसूर नूं चा सूली दित्ता, राहब दा कढवाइओ पित्ता,
ज़करिया सिर कलवत्तर कीता, फेर उहनां कंम की सारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
शाह सरमद दा गला कटाययो, शमस ने जां सुखन अलायओ,
कुमबइजनी आप कहाययो, सिर पैरों खल्ल उतारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
एस इश्क दे बड़े अडम्बर, इश्क ना छप्पदा बाहर अन्दर,
इश्क कीता शाह शरफ़ कलन्दर, बार्हां वर्हे दरिआ विच ठारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
इश्क लेला दे धुंमां पाईआं, तां मजनूं ने अक्खियां लाईआं,
उहनूं धारां इश्क चुंघाईआं, खूहे बरस गुज़ारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
इश्क होरीं हीर वल्ल धाए, तांहीएं रांझे कन्न पड़वाए,
साहबां नूं जदों व्याहुन आए, सिर मिरज़े दा वारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
सस्सी थलां दे विच रुलाई, सोहनी कच्चे घड़े रुढ़ाई,
रोडे पिच्छे गल्ल गवाई, टुकड़े कर कर मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
फ़ौज़ां कतल कराईआं भाईआं, मशकां चूहआं तों कटवाईआं,
डिट्ठी कुदरत तेरी साईआं, सिर तैथों बलेहारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
कैरों पांडो करन लड़ाईआं, अठारां खूहणियां तदों खपाईआं,
मारन भाई सक्यां भाईआं, की ओथे न्यां नितारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
नमरूद ने वी खुदा सदाइआ, उस ने रब्ब नूं तीर चलाइआ,
मच्छर तों नमरूद मरवाइआ, कारूं ज़मीं निघारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
फिरऔन ने जदों ख़ुदा कहाइआ, नील नदी दे विच आया,
ओसे नाल अशटंड जगाइआ, खुदीयों कर तद मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
लंका चढ़ के नाद बजाययो, लंका राम कोलों लुटवायओ,
हरनाकश कित्ता बहशत बनाययो, उह विच दरवाज़े मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
सीता दैहसर लई बेचारी, तद हनूवंत ने लंका साड़ी,
रावन दी सभ ढाह अटारी, ओड़क रावन मारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
गोपियां नाल की चज्ज कमाइआ, मक्खन कान्ह तों लुटवाइआ,
राजे कंस नूं पकड़ मंगाइआ, बोदीउं पकड़ पछाड़िआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
आपे चा इमाम बणाइआ, उस दे नाल यज़ीद लड़ाइआ,
चौधीं तबकीं शोर मचाइआ, सिर नेज़े 'ते चाढ़आ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
मुग़लां ज़हर प्याले पीते, भूरियां वाले राजे कीते,
सभ असरफ़ फिरन चुप्प कीते, भला उहनां नूं झाड़िआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
बुल्ल्हा शाह फकीर विचारा, कर कर चल्या कूच नगारा,
रौशन जग्ग विच नाम हमारा, नूहों सरज उतारिआ ई ।
रहु रहु उए इश्का मारिआ ई ।
तूँ नहीउं मैं नाहीं वे सज्जणा तूँ नहीउं मैं नाहीं
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
खोले दे परछावें वांङू घुम रेहा मन माहीं
तूँ नहीउं मैं नाहीं वे सज्जणा तूँ नहीउं मैं नाहीं
जाँ बोलां तूं नाले बोलें चुप्प कराँ मन माहीं
तूँ नहीउं मैं नाहीं वे सज्जणा तूँ नहीउं मैं नाहीं
जाँ सौंवां ताँ नाले सौवें जाँ टुरां ताँ राहीं
तूँ नहीउं मैं नाहीं वे सज्जणा तूँ नहीउं मैं नाहीं
बुल्ल्हा' शहु घर आया साडे जिंदड़ी घोल घुमाईं
तूँ नहीउं मैं नाहीं वे सज्जणा तूँ नहीउं मैं नाहीं
मैनूँ दरद अवल्लड़े दी पीड़
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैनूँ दरद अवल्लड़े दी पीड़
मैनूँ दरद अवल्लड़े दी पीड़
आ मियाँ राँझा दे दे नज़ारा मुआ'फ़ करीं तकसीर
मैनूँ दरद अवल्लड़े दी पीड़
तख़त हज़ार्युं राँझा टुरिआ हीर निमानी दा पीर
मैनूं दरद अवल्लड़े दी पीड़
होरनां दे नौशहु आवे जावे की 'बुल्ल्हे' विच तकसीर
मैनूँ दरद अवल्लड़े दी पीड़
वाह वाह छिंझ पई दरबार
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
वाह वाह छिंझ पई दरबार
ख़लक तमाशे आई यार
असाँ अज्ज की कीता ते कल्ल्ह की करना भट्ठ असाडा आया
ऐसी वाह क्यारी बीजी चिड़ियाँ खेत वंजाइआ
जेहड़े मगर प्यादे लग्गे उट्ठ चल्ले पहुते तार
वाह वाह छिंझ पई दरबार
इक्क उल्हामा सईआं दा है दूजा है संसार
नंग नमूज़ एथों दे एथे लाह पगड़ी भोइं मार
नाम साईं दे कंडे लवाए खिल पई गुलज़ार
वाह वाह छिंझ पई दरबार
नढ्ढा गिरदा बुढ्ढा गिरदा आपो आपनी वारी
की बीवी की बांदी लौंडी की धोबन भठ्यारी
अमलां सेती होन नबेड़े नबी लंघावे पार
वाह वाह छिंझ पई दरबार
बुल्ल्हा' शहु नूँ वेखण जावे आपना बहाना करदा
गूनो गूनी भांडे घड़ के ठीकरियां कर धरता
इह तमाशा वेख के चल्ल अगला वेख बज़ार
वाह वाह छिंझ पई दरबार
ख़लक तमाशे आई यार
पड़तालिओ हुन आशक केहड़े
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
नेहुं लग्गा मत गई गवाती, नाहुनो-अकरब ज़ात पछाती
साईं भी शाह रग तों नेड़े पड़तालिओ हुन आशक केहड़े
हीरे हो मुड़ राँझा होई इह गल्ल विरला जाने कोई
चुक्क पए सभ झगड़े झेड़े पड़तालिओ हुन आशक केहड़े
लै बारातां रातीं जागण नूर नबी दे बरसन लागण
उहो वेख असाडे झेड़े पड़तालिओ हुन आशक केहड़े
अनल-हक़ आप कहाइआ लोकाँ मंसूर ना देंदा आपे होका
मुल्लाँ बण बण आवन नेड़े पड़तालिओ हुन आशक केहड़े
बुल्ल्हा' शाह शरियत काज़ी है हकीकत पर भी राज़ी है
साईं घर घर न्याउं नबेड़े पड़तालिओ हुन आशक केहड़े
मैं क्यूँ कर जावाँ का'बे नूँ
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैं क्यूँ कर जावाँ का'बे नूँ
दिल लोचे तख़त हज़ारे नूँ
लोकीं सज्जदा का'बे नूँ करदे साडा सज्जदा यार प्यारे नूँ
दिल लोचे तख़त हज़ारे नूँ
अउगन वेख ना भुल्ल मियाँ राँझा याद करीं एस कारे नूँ
दिल लोचे तख़त हज़ारे नूँ
मैं मनतारू तरन ना जाणां शरम पई तुद्ध तारे नूँ
दिल लोचे तख़त हज़ारे नूँ
तेरा सानी कोई नहीं मिलिआ ढूँड लिआ जग्ग सारे नूँ
दिल लोचे तख़त हज़ारे नूँ
बुल्ल्हा' शहु दी प्रीत अनोखी तारे औगुणहारे नूँ
मैं क्यूँ कर जावाँ का'बे नूं
दिल लोचे तख़त हज़ारे नूँ
मैं पा पढ़िआं तों नस्सना हाँ
मैं पा पढ़िआं तों नस्सना हाँ
मैं पा पढ़िआं तों नस्सना हाँ
कोई मुनसफ्फ हो निरवारे ताँ मैं दस्सनां हाँ
मैं पा पढ़िआं तों नस्सना हाँ
आलम फाज़ल मेरे भाई पा पढ़िआं मेरी अकल गवाई
दे इ'श्क़ दे हुलारे मैं दस्सनां हाँ
मैं पा पढ़िआं तों नस्सना हाँ
सभ इको रंग कपाहीं दा
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
तानी ताना पेटा नालियाँ पीठ नड़ा ते छब्बां छल्लियां
आपो आपने नाम जितावन वक्खो वक्खी जाही दा
सभ इको रंग कपाहीं दा
चौंजी पैंजी खद्दर धूतर मलमल ख़ासा इक्का सूतर
पूनी विचों बाहर आवे भगवा भेस गोसाईं दा
सभ इको रंग कपाहीं दा
कुड़ियां हत्थीं छापां छल्ले आपो आपे नाम सवल्ले
सभ्भा हिक्का चाँदी आखो कंङन चूड़ा बाहीं दा
सभ इको रंग कपाहीं दा
भेडां बक्करियां चारन वाला उठ मझ्झियां दा करे संभाला
रूड़ी उते गद्दो चारे उह भी वागी गांईं दा
सभ इको रंग कपाहीं दा
बुल्ल्हा' शहु दी ज़ात की पुछनैं शाकर हो रज़ाई दा
जे तूँ लोड़ें बाग़ बहाराँ चाकर रहु अराईं दा
सभ इको रंग कपाहीं दा
उट्ठ गए गवांढों यार
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
उट्ठ गए गवांढों यार
रब्बा हुन की करिए
उट्ठ गए हुन बहन्दे नाहीं होया साथ त्यार
रब्बा हुन की करिए
दाढ कलेजे बल बल उठदी भड़के बिरहों नार
रब्बा हुन की करिए
बुल्ल्हा' शहु प्यारे बाझों रहे उरार ना पार
रब्बा हुन की करिए
माए ना मुड़दा इ'श्क़ दीवाना शहु नाल परीतां ला के
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
माए ना मुड़दा इ'श्क़ दीवाना शहु नाल परीतां ला के
इ'श्क़ शर्हा दी लग्ग गई बाज़ी खेडां मैं दायो लगा के
मारन बोली ते बोली ना बोलां सुणां ना कन्न ला के
वेहड़े विच शैतान नचेंदा उस नूँ रक्ख समझा के
तोड़ शर्हा नूं जित्त लई बाज़ी फिरदी नक्क वढा के
मैं वे अनजानी खेड विगुच्चियां खेडां मैं आके बाके
इह खेडां हुन लगदियां झेडां घर पिया दे आ के
सईआं नाल मैं पावाँ गिद्धा दिलबर लुक्क लुक्क झाके
पुच्छो नी इह क्यूँ शरमांदा जांदा ना भेत बता के
काफ़र काफ़र आखन तैनूँ सारे लोक सुना के
मोमन काफ़र मैनूं दोवें ना दिसदे वहदत दे विच जा हिसार
चोली चुन्नी ते फुक्या झग्गा धूनी शिरक जला के
वारिआ कुफ़र वड्डा मैं दिल थीं तली ते सीस टिका के
मैं वडभागी मारिआ ख़ाविन्द हत्थीं ज़हर पिला के
वसल कराँ मैं नाल सज्जन दे शरम हया गवा के
विच चमन मैं पलंघ विछाइआ यार सुत्ती गल ला के
सिर देही नाल मिल गई सिर देही 'बुल्ल्हा' शहु नूँ पा के
माए ना मुड़दा इ'श्क़ दीवाना शहु नाल परीतां ला के
मैनूँ की होया हुन मैथों गई गवाती मैं
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैनूँ की होया क्यूँ मैनूँ कमली कहन्दी हैं
मैनूँ की होया हुन मैथों गई गवाती मैं
मैं विच वेखां ताँ मैं नहीं हुन्दी मैं विच दिसना एँ मैं
मैनूँ की होया हुन मैथों गई गवाती मैं
सिर तों पैर तीकर वी तूँ हैं अंदर बाहर हैं तूं
मैनूँ की होया हुन मैथों गई गवाती मैं
छुट्ट पई उरारों पारों ना बेड़ी ना नैं
मैनूँ की होया हुन मैथों गई गवाती मैं
मंसूर प्यारे केहा अनल-हक़ कहो कहाइआ कैं
मैनूँ की होया हुन मैथों गई गवाती मैं
बुल्ल्हा' शहु ओसे दा आशक आपना आप वंजाइआ तैं
मैनूँ की होया हुन मैथों गई गवाती मैं
मैं पाइआ ए मैं पाइआ ऐ
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैं पाइआ ए मैं पाइआ ऐ
तैं आप सरूप वटाइआ ऐ
कहूँ तरक किताबाँ पढ़ते हो कहूँ भगत हिन्दू जप करते हो
कहूँ गोरकंडी विच पड़ते हो हर घर घर लाड लडाइआ ऐ
तैं आप सरूप वटाइआ ऐ
किते वैरी हो किते बेली हो किते आप गुरू किते चेली हो
किते मजनूँ हो किते लैला हो हर घट घट बीच समाइआ ऐ
तैं आप सरूप वटाइआ ऐ
कहूँ ग़ाफ़ल कहूँ नमाज़ी हो कहूँ मिम्बर ते बह काज़ी हो
कहूँ तेग़ बहादुर ग़ाज़ी हो कहूँ आपना पंथ बणाइआ ऐ
तैं आप सरूप वटाइआ ऐ
कहूँ मसजद दा वरतारा ऐ कहूँ बण्या ठाकुर-दुआरा ऐ
कहूँ बैरागी जट धारा ऐ कहूँ शैख़न बण बण आया ऐ
तैं आप सरूप वटाइआ ऐ
बुल्ल्हा' शहु दा मैं मुहताज होया महाराज मिले मेरा काज होया
मुझे पिया का दरस मे'राज होया लग्गा इ'श्क़ ताँ इह गुन गाइआ ऐ
मैं पाइआ ऐ मैं पाइआ ऐ
तैं आप सरूप वटाइआ ऐ
वेखो नी प्यारा मैनूँ सुफने में छल गया
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैं सोई होई मुट्ठी आँ मैं वांग ज़ुलैखां कुट्ठी आँ
चा इ'श्क़ ने मैं फट्टी आँ मेरा बंद बंद हिल्ल गया
वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया
मैं स्याणियां सभ बुलाईआं मैं औसियां सभ पवाईआं
जवाब दित्ता नजूमियां मेरी नैणीं नीर उच्छल गया
वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया
नेड़े क्यूँ नहीं आईदा सानूँ दूरों नहीं दिखलाईदा
नज़्ज़ारे तों ड्राईदा कोह तूर पहाड़ जल गया
वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया
पिया ने नैन बान ला के बिरहों सूँ चहचेहा के
फ़रहाद तों कोह कटा के शीरीं सों रल गया
वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया
बुल्ल्हा' आप तों लभाईदा शहु इनायत है पाईदा
नेड़े ही पछोताईदा 'बुल्ल्हा' अज्ज शहु मिल गया
वेखो नी प्यारा मैनूं सुफने में छल गया
मुरली बाज उठी अणघातां
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मुरली बाज उठी अणघातां
सुन के भुल्ल गईआं सभ बाताँ
लग्ग गए अनहद बान न्यारे झूठी दुनियाँ कूड़ पसारे
साईं मुक्ख वेखण वणजारे मैनूं भुल्ल गईआं सभ बाताँ
मुरली बाज उठी अणघातां
हुन मैं चैंचल मिरग फहाइआ ओसे मैनूं बन्न्ह बहाइआ
सिरफ दुगाना इ'श्क़ पढ़ाइआ रह गईआं त्रै चार काताँ
मुरली बाज उठी अणघातां
बूहे आण खलोता यार बाबल पुज्ज प्या तकरार
कलमे नाल जे रहे वेहार नबी मोहम्मद भरे सफातां
मुरली बाज उठी अणघातां
बुल्ल्हे' शाह मैं हुन बरलाई जद दी मुरली काहन बजाई
बावरी हो तुसां वल्ल धाई खोजियां कित वल दस्त बारतां
मुरली बाज उठी अणघातां
परदा किस तों राखी दा
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
परदा किस तों राखी दा
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
पहलों आपे साजन साजे दा हुन दस्सना एँ सबक नमाजे दा
हुन आया आप नज़ारे नूँ विच लैला बण बण झाकी दा
परदा किस तों राखी दा
शाह शम्स दी खल्ल लुहाययो मंसूर नूं सूली दवायओ
ज़करीए सिर कलवत्तर धराययो की लेखा रहआ बाकी दा
परदा किस तों राखी दा
कुन्न केहा फअकून कहाइआ बे-चूनी दा चून बणाइआ
खातर तेरी जगत बणाइआ सिर पर छतर लाैलाकी दा
परदा किस तों राखी दा
हुन साडे वल धाइआ ऐ ना रहन्दा छुपा छुपाइआ ऐ
किते 'बुल्ल्हा' नाम धराइआ ऐ विच ओहला रख्या ख़ाकी दा
परदा किस तों राखी दा
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
वेखो नी शहु इनायत साईं
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
वेखो नी शहु इनायत साईं
मैं नाल करदा किवें अदाईं
कदी आवे कदी आवे नाहीं त्युं त्युं मैनूं भड़कन भाहीं
नाम अल्लाह पैग़ाम सुनाईं मुक्ख वेखण नूं ना तरसाईं
वेखो नी शहु इनायत साईं
बुल्ल्हा' शहु केही आई मैनूँ रात हनेरी उट्ठ टुरदी नै नूँ
जिस ओझढ़ तों सभ कोई ड्रदा सो मैं ढूँडां चाईं चाईं
वेखो नी शहु इनायत साईं
मैं नाल करदा किवें अदाईं
मेरे माही क्यूँ चिर लाइआ ऐ
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
कह 'बुल्ल्हा' हुन प्रेम कहानी जिस तन लागे सो तन जाणे
अंदर झिड़कां बाहर ता'ने नेहुं ला इह सुक्ख पाइआ ऐ
मेरे माही क्यूँ चिर लाइआ ऐ
नैणां कार रोवन दी पकड़ी इक मरना दो जग्ग दी फकड़ी
ब्रेहों जिन्द अवल्ली जकड़ी नी मैं रो रो हाल वंजाइआ ऐ
मेरे माही क्यूँ चिर लाइआ ऐ
मैं प्याला तहकीक लीता ऐ जो भर के मंसूर पीता ऐ
दीदार मे'राज पिया लीता ऐ मैं खूह थीं वुज़ू सजाया ऐ
मेरे माही क्यूँ चिर लाइआ ऐ
इ'श्क़ मुल्लाँ ने बाँग दिवाई शहु आवन दी गल्ल सुणाई
कर नीयत सजदे वल्ल धाई नी मैं मूंह महराब लगाया ऐ
मेरे माही क्यूँ चिर लाइआ ऐ
बुल्ल्हा' शहु घर लपट लगाईं रस्ते में सभ बण तण जाईंं
मैं वेखां आ इ'नायत साईं इस मैनूं शहु मिलाइआ ऐ
मेरे माही क्यूँ चिर लाइआ ऐ
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैं जो तैनूँ आख्या कोई घल्ल सुनेहड़ा
चश्माँ सेज विछाईआं दिल कीता डेरा
लटक चलेंदा आंवदा शाह इ'नायत मेरा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
उह अजेहा कौन है जा आखे जेहड़ा
मैं विच की तकसीर है मैं बरदा तेरा
तैं बाझों मेरा कौन है दिल ढा ना मेरा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
दसत कंगन बाहीं चुड़ियाँ गल नौरंग चोला
माही मैनूँ कर गिआ कोई रावल रौला
जल थल आहींं मारदियां दिल पत्थर मेरा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
क्या तेरी माँग संधूर भरी सोहे रतड़ा चोला
पई वांग समीं मैं कूकदी कर ढोला ढोला
अणगिणवें सूलाँ पा लिआ सूलाँ दा खेरा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
मैं जाता दुक्ख घर आपने दुक्ख पै घर कईआं
जेहा सिर सिर भांबड़ भड़क्या सभ टप्पदियां गईआं
हुन आण पई सिर आपने सभ चुक्क गिआ झेड़ा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
जेहड़ियां साहवरे मत्तियां सोई पेके होवन
शहु जिन्हां दे कायल ऐ चढ़ सेजे सोवन
जिस घर कौंत ना बोलिआ सोई खाली वेढ़ा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
मैं ढूँड शहर भालिआ घल्लां कासद केहड़ा
हुन चढ़ियां डोली प्रेम दी दिल धड़के मेरा
दिलदार मोहम्मद अ’रबी हत्थ पकड़ीं मेरा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
पहली पउड़ी उतरी पुल-सिराते डेरा
हाजी मक्के जाहुन मैं मुक्ख वेखां तेरा
आ इ'नायत कादरी दिल चाहे मेरा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
पहली रात है साल दी दिल खौफ़े मेरा
डूंघी गोर कढेंद्या होया लहदों डेरा
पहला बंद खोल्हद्यां मूंह का'बे मेरा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
मिली है बाँग रसूल दी फुल्ल खिड़्या मेरा
सदा होया मैं हाज़िरी हाँ हाज़र तेरा
हर पल तेरी हाज़िरी इहो सज्दा मेरा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
बुल्ल्हा' भड़कन शहु लई सीने विच भाहीं
औखा पैंडा प्रेम दा सो घटदा नाहीं
पै धक्के दिल विच झेड़ दे सिर धाईं बेरा
मैं उडीकां कर रही कदी आ कर फेरा
सुनो तुम इ'श्क़ की बाज़ी मलायक है कहाँ राज़ी
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
सुनो तुम इ'श्क़ की बाज़ी मलायक है कहाँ राज़ी
यहाँ बिरहों पर है ग़ाज़ी वेखां फिर कौन हारेगा
साजन की भाल हुन होई मैं लहू नैन भर रोई
नच्चे हम लाह कर लोई हैरत के पत्थर मारेगा
महूरत पूछ कर जाऊँ साजन को देखने पाऊँ
उसे मैं ले गले लाऊँ नहीं फिर खुद गुज़ारेगा
इ'श्क़ की तेग़ से मूई नहीं वोह ज़ात की दूई
और पिया पिया कर मूई मोयां विच रूह चितारेगा
साजन की भाल सर दिया लहू मध अपना पिया
कफ़न बाहोँ से सी लिया लहद में पा उतारेगा
बुल्ल्हा' शहु इ'श्क़ है तेरा उसी ने जी लिया मेरा
मेरे घर बार कर फेरा वेखां सिर कौन वारेगा
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
किसे भेखी भेख वटाइआ ऐ
जिस ना दरद की बात कही उस प्रेम नगर ना झात पई
उह डुब्ब मोइ सभ घात गई उह क्यूँ चन्दरी ने जाइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
मानद पलास बणाइओ ई मेरी सूरत चा लिखाइओ ई
मुक्ख काला कर दिखलाइओ ई क्या स्याही रंग लगाइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
इक रब्ब दा नाँ ख़ज़ाना ऐ संग चोराँ याराँ दाना ऐ
उस रहमत दा खसमाना ऐ संग ख़ौफ़ रकीब बणाइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
दूई दूर करो कोई शोर नहीं इह तुरक हिन्दू कोई होर नहीं
सभ साध कहो कोई चोर नहीं हर घट विच आप समाइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
ऐवें क़िस्से काहनूं घड़ना एँ ते गुलिस्ताँ बोस्ताँ पढ़ना एँ
ऐवें बे-मूज़ब क्यूँ लड़ना एँ किस उल्टा वेद पढ़ाइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
शरियत साडी दाई ऐ तरीकत साडी माई ऐ
अग्गों हक्क हकीकत आई ऐ अते मारफतों कुझ पाइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
है विरली बात बतावन दी तुसीं समझो दिल ते लावन दी
कोई गत्त दस्सो इस बावन दी इह काहनूं भेत बणाइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
इह पढ़ना इ'ल्म ज़रूर होया पर दसना ना मंज़ूर होया
जिस दस्या सो मंसूर होया इस सूली पकड़ चढ़ाइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
मैनूं किसब ना फिकर तमीज़ कीता दुख तन आरफ बाज़ीद कीता
कर ज़ोह्द किताब मजीद कीता किसे बे-मेहनत नहीं पाइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
इस दुक्ख से किचरक भागेंगा रहें सुत्ता कद तूं जागेंगा
फेर उठदा रोवन लागेंगा किसे ग़फ़लत मार सुलाइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
ग़ैन ऐन दी सूरत इक ठहरा इक नुक्ते दा है फरक पड़ा
जो नुक्ता दिल थीं दूर करा फिर ग़ैन वा ऐन जिताइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
जेहड़ा मन विच लग्गा दुआ' रे इह कौन कहे मैं मूआ रे
तन सभ इनायत हुआ रे फिर 'बुल्ल्हा' नाम धराइआ ऐ
टुक्क बूझ कौन छुप आया ऐ
किसे भेखी भेख वटाइआ ऐ
तैं कित पर पाउं पसारा ऐ
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
तैं कित पर पाउं पसारा ऐ
कोई दम का अथां गुज़ारा ऐ
इक पलक झलक दा मेला ऐ कुझ कर लै इहो वेला ऐ
इक घड़ी ग़नीमत देहाड़ा ऐ तैं कित पर पाउं पसारा ऐ
इक रात सरां दा रहना ऐ एथे आ कर फुल्ल ना बहना ऐ
कल्ल्ह सभ दा कूच नकारा ऐ तैं कित पर पाउं पसारा ऐ
तूँ ओस मकानों आया एँ एथे आदम बण समाइआ एँ
हुन छड्ड मजलस कोई कारा ऐ तैं कित पर पाउं पसारा ऐ
बुल्ल्हा' शहु इह भरम तुम्हारा ऐ सिर चुक्क्या परबत भारा ऐ
उस मंज़ल राह ना खाहड़ा ऐ तैं कित पर पाउं पसारा ऐ
वल पर्दे विच पाइआ यार आपे मेल मिलाइआ ऐ
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
हुन मैं मोइ नी मेरीए माँ मेरी पूनी लै गया काँ
पिच्छे डों डों कर दी जाँ जिस मेरा वतन छुडाया ऐ
वल पर्दे विच पाइआ यार आपे मेल मिलाइआ ऐ
कांवां पूनी दईं पिया दे नाँ तेरियाँ मिन्नतां कर दी हाँ
ज़रबां तेरियाँ जरनी हाँ जिस मैनूं दूर कराइआ ऐ
वल पर्दे विच पाइआ यार आपे मेल मिलाइआ ऐ
हुन मैनूँ भला ना लग्गदा शोर मैं घर खिड़िआ शगूफ़ा होर
बे ना ते ना से ना होर इक्को अलफ़ पढ़ाइआ ऐ
वल पर्दे विच पाइआ यार आपे मेल मिलाइआ ऐ
हुन मैनूं मजनूँ आखो ना दिन दिन लैला हुन्दा जाँ
डेरा यार बणाए ताँ इह तन बंगला बणाइआ ऐ
वल पर्दे विच पाइआ यार आपे मेल मिलाइआ ऐ
बुल्ल्हा' इ'नायत करे हज़ार इहो कौल इहो तकरार
वल पर्दे विच पाइआ यार आपे मेल मिलाइआ ऐ
वाह सोहणियाँ तेरी चाल अजायब लटकाँ नाल चलेंदे ओ
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
आपे ज़ाहर आपे बातन आपे लुक्क लुक्क बहन्दे ओ
आपे मुल्लाँ आपे काज़ी आपे इ'ल्म पढ़ेंदे ओ
वाह सोहणियाँ तेरी चाल अजायब लटकाँ नाल चलेंदे ओ
घत्त ज़न्नार कुफ़र दा गल विच बुत-ख़ाने वड़ बहन्दे ओ
लौलाका-लमा अफ़्लाक विचारे आपे धुम मचेंदे ओ
वाह सोहणियाँ तेरी चाल अजायब लटकाँ नाल चलेंदे ओ
ज़ात तों है अज़राफ रंझेटा लाईआं दी लाज रखेंदे ओ
बुल्ल्हा' शहु अनायत मैनूँ पल पल दरशन देंदे ओ
वाह सोहणियाँ तेरी चाल अजायब लटकाँ नाल चलेंदे ओ
मैनूं छड्ड गए आप लद्द गए मैं विच की तकसीर
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैनूं छड्ड गए आप लद्द गए मैं विच की तकसीर
रातीं नींद ना दिन सुक्ख सुत्ती अक्खीं पलट्या नीर
छवियां ते तलवारां कोलों इ'श्क़ दे तिक्खे तीर
इ'श्क़े जेड ना ज़ालम कोई इह ज़हमत बे-पीर
इक पल सायत आराम ना आवे बुरी ब्रेहों दी पीड़
बुल्ल्हा' शहु जे करे अनायत दुक्ख होवन तग़ईर
मैनूं छड्ड गए आप लद्द गए मैं विच की तकसीर
मैं ढोलन विच फ़रक ना कोई एनुमा फ़ुरमाइआ ई
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैं ढोलन विच फ़रक ना कोई एनुमा फ़ुरमाइआ ई
आयो सजन गल लग्ग सौवां मैं हुन घुँघट पाइआ ई
लंतरानी दस्स के जानी हुन क्यूँ मुक्ख छुपाइआ ई
तन साबर दे कीड़े पाए जो चढ़आ सो पाइआ ई
मंसूर कोलों कुझ ज़ाहर होया सूली पकड़ चढ़ाइआ ई
लंतरानी दस्स के जानी हुन क्यूँ मुक्ख छुपाइआ ई
दस्सो नुक्ता ज़ात इलाही सज्जदा किस कराइआ ई
बुल्ल्हा' शहु दा हुकम ना मन्न्या शैतान ख़्वार कराइआ ई
लंतरानी दस्स के जानी हुन क्यूँ मुक्ख छुपाइआ ई
तुसीं आओ मिल मेरी प्यारी
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
तुसीं आओ मिल मेरी प्यारी
मेरे टुरने दी होई त्यारी
सभ्भे रल के टोरन आईआं आईआं फुफ्फियां चाचियां ताईआं
सभ्भे रोंदियां ज़ारो ज़ारी मेरे टुरने दी होई त्यारी
सभ्भे आखन इह गल्ल जाणी रव्हीं तूँ हर दम हो निमाणी
ताहीं लग्गेगीं ओथे प्यारी मेरे टुरने दी होई त्यारी
सभ्भे टोर घरां नूँ मुड़ियां मैं हो इक इकल्लड़ी टुरियां
होईआं डारों मैं कूंज न्यारी मेरे टुरने दी होई त्यारी
बुल्ल्हा' शहु मेरे घर आवे मैं कुचज्जी नूं लै गल लावे
इको शौह दी ऐ बात प्यारी मेरे टुरने दी होई त्यारी
तुसीं आओ मिल मेरी प्यारी
मेरे टुरने दी होई त्यारी
पानी भर भर गईआं सभ्भे आपो आपनी वार
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
पानी भर भर गईआं सभ्भे आपो आपनी वार
इक भर आईआं इक भर चलियाँ इक खलियाँ बाँह पसार
हार हमेलां पाईआं गल विच्च बाहीं छणके चूड़ा
कुन्नी बुक्क बुक्क मछरियाले सभ अडंबर कूड़ा
अग्गे शहु ने झात ना पाई ऐवें गया शिंगार
पानी भर भर गईआं सभ्भे आपो आपनी वार
हत्थीं महन्दी पैरीं महन्दी सिर ते धड़ी गुन्दाई
तेल फुलेल पानाँ दा बीड़ा दन्दीं मिस्सी लाई
कोई जू सद पईयो ने डाढी विस्सरिआ घर बार
पानी भर भर गईआं सभ्भे आपो आपनी वार
बुल्ल्हा' शहु दे पंध पवें जे ताँ तूँ राह पछाणे
पउ-सतारां पास्युं मंगदा दाय प्या त्रै-काणे
गूँगी डोरी कमली होई जान दी बाज़ी हार
पानी भर भर गईआं सभ्भे आपो आपनी वार
वेखो नी कर गया माही
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
वेखो नी कर गया माही
लै दे के दिल हो गया राही
अमाँ झिड़के बाबल मारे ता'ने देंदे वीर प्यारे
मैं जेही बुरी बुरिआर वे लोका मैनूं देवो ओते वल त्राही
वेखो नी कर गया माही आ बूहे ते नाद वजाइआ अकल फ़िकर सभ चा गवाया
अल्लाह दी सहुं अल्लाह जाणे हस्सद्यां गल विच पै गई फाही
वेखो नी कर गया माही
रहु इश्क़ा की करें अखाड़े शाह मंसूर सूली ते चाढ़े
आन बनी जद नाल असाडे 'बुल्ल्हे' मूंह तों लोई लाही
वेखो नी कर गया माही
लै दे के दिल हो गया राही
मैनूँ सुक्ख दा सुनेहड़ा तूं झब लिआवीं वे
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मैनूँ सुक्ख दा सुनेहड़ा तूं झब लिआवीं वे
पांधिया हो
मैं कुबड़ी मैं डुबड़ी होईआं
मेरे सभ दुक्खड़े बतलावीं वे
पांधिया हो
खुल्हियां लिटां गल दसत परांदा
इह गल्ल आखीं ना शरमावीं वे
पांधिया हो
इक्क लक्ख देंदी मैं दो लक्ख देसां
मैनूं प्यारा आण मिलावीं वे
पांधिया हो
याराँ लिख किताबत भेजी
किते गोशे बह समझावीं वे
पांधिया हो
बुल्ल्हा' शहु दियाँ मुड़न मुहारां
लिख पत्तियाँ तूं झब पावीं वे
मैनूँ सुक्ख दा सुनेहड़ा तूं झब लिआवीं वे
पांधिया हो
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
एस कुसुम्बे दे कंडे भलेरे अड़ अड़ चुन्नड़ी पाड़ी
एस कुसुम्बे दा हाकम करड़ा ज़ालम ऐ पटवारी
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी
एस कुसुम्बे दे चार मुक़द्दम मुआ'मला मंगदे भारी
होरनां चुगिआ फूहआ-फूहआ मैं भर लई पटारी
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी
चुग्ग चुग्ग के मैं ढेरी कीता लत्थे आण बपारी
औखी घाटी मुशकल पैंडा सिर पर गट्ठड़ी भारी
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी
अमलां वालियाँ सभ लंघ गईआं रह गई औगुणहारी
सारी उमरा खेड गवाई ओड़क बाज़ी हारी
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी
अलस्त केहा जद अँखियाँ लाईआं हुन क्यूँ यार विसारी
इक्को घर विच वसदियां रसदियां हुन क्यूँ रही न्यारि
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी
मैं कमीनी कुचज्जी कोहजी बेगुन कौन विचारी
बुल्ल्हा' शौह दे लायक नाहीं शाह इ'नायत तारी
मैं कुसुम्बड़ा चुन चुन हारी
मुल्लाँ मैनूँ मारदा ई
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मुल्लाँ मैनूँ मारदा ई
मुल्लाँ मैनूँ मारदा ई
मुल्लाँ मैनूँ सबक पढ़ाइआ
अलफों अग्गे कुझ ना आया
उह बे ई बे पुकारदा ई
मुल्लाँ मैनूँ मारदा ई
मुल्लाँ मैनूँ मारदा ई
प्यारिआ सँभल के नेहुं ला पिच्छों पछतावेंगा
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
जांदा जा ना आवीं फेर ओथे बे-परवाही ढेर
ओथे डहल खलोंदे शेर तूँ वी फद्ध्या जावेंगा
प्यारिआ सँभल के नेहुं ला पिच्छों पछतावेंगा
खूह विच यूसुफ़ पाइओ ने फड़ विच बज़ार विकाइओ ने
इक्क अट्टी मुल्ल पवाइओ ने तूँ कौडी मुल्ल पवावेंगा
प्यारिआ सँभल के नेहुं ला पिच्छों पछतावेंगा
नेहुं ला वेख ज़ुलैखां लए ओथे आशक तड़फन पए
मजनूँ करदा है है है तूँ ओथों की ल्यावेंगा
प्यारिआ सँभल के नेहुं ला पिच्छों पछतावेंगा
उथे इकना पोसत लुहाईदे इक आरिआं नाल चिराईदे
इक्क सूली पकड़ चढ़ाईदे उथे तूँ वी सीस कटावेंग
प्यारिआ सँभल के नेहुं ला पिच्छों पछतावेंगा
घर कलालां दा तेरे पासे ओथे आवन मस्त प्यासे
भर भर पीवन प्याले कासे तूँ वी जिय ललचावेंगा
प्यारिआ सँभल के नेहुं ला पिच्छों पछतावेंगा
दिलबर हुन ग्युं कित लोउं भलके की जाणां की हो
मस्ताँ दे ना कोल खलो तूं वी मस्त सदावेंगा
प्यारिआ सँभल के नेहुं ला पिच्छों पछतावेंगा
बुल्ल्हा' ग़ैर शर्हा ना हो सुक्ख दी नींदर भर के सो
मूंहों अनुल-हक्क बगो चढ़ सूली डोले गावेंगा
प्यारिआ सँभल के नेहुं ला पिच्छों पछतावेंगा
सदा मैं साहवरिआं घर जाणा
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
सदा मैं साहवरिआं घर जाणा
नी मिल लओ सहेलड़ीयो
तुसां वी होसी अल्लाह भाणा नी मिल लओ सहेलड़ीयो
रंग बरंगी सूल उपट्ठे चम्बड़ जावन मैनूं
दुक्ख अगले मैं नाल लै जावाँ पिछले सौंपां केहनूँ
इक विछोड़ा सईआं दा ज्युं डारों कूंज विछुन्नी
माप्यां मैनूं इह कुझ दित्ता इक चोली इक चुन्नी
दाज इन्हाँ दा वेख के हुन मैं हंझू भर भर रुन्नी
सस्स ननाणां देवन ताहने मुशकल भारी पुन्नी
बुल्ल्हा' शौह सत्तार सुणींदा इक वेला टल जावे
अदल करे ताँ जाह ना काई फ़ज़लों बखरा पावे
सदा मैं साहवरिआं घर जाणा
नी मिल लओ सहेलड़ीयो
मेरे नौशहु दा कित मोल
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मेरे नौशहु दा कित मोल
मेरे नौशहु दा कित मोल
अगले वल्ल दी खबर ना कोई रही किताबाँ फोल
सच्चियां नूँ पए वज्जन पौले झूठियां करन कलोल
चंग चंगेरे परे परेरे असीं आईआं सी अनभोल
बुल्ल्हा' शाह जे बोलांगा हुन कौन सुने मेरे बोल
मेरे नौशहु दा कित मोल
मेरे नौशहु दा कित मोल
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
इह परदा किस तों राखी दा
कारन पीत मीत बण आया मीम दा घुँघट मुक्ख पर पाइआ
अहद ते अहमद नाम धराइआ सिर छतर झुल्ले लाैलाकी दा
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
तुसीं आपे आप ही सारे हो क्यूँ कहन्दे असीं न्यारे हो
आए आपने आप नज़्ज़ारे हो विच बरजक्ख रख्या खाकी दा
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
तुध बाझों दूसरा केहड़ा है क्यूँ पाइआ उल्टा झेड़ा है
इह डिठा बड़ा अंधेरा है हुन आप नूँ आपे आखी दा
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
किते रूमी हो किते शामी हो किते साहब किते गुलामी हो
तुसीं आपने आप तमामी हो कहो खोटा खरा सौ लाखी दा
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
जिस तन विच इ'श्क़ दा जोश होया उह बे-ख़ुद हो बेहोश होया
उह क्यूँ कर रहे ख़ामोश होया जिस प्याला पीता साक़ी दा
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
तुसीं आप असाँ नूँ धाए जी कद रहंदे छुपे छुपाए जी
तुसीं शाह इ'नायत बण आए जी हुन ला ला नैन झमाकी दा
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
बुल्ल्हा' शाह तन भा दी भट्ठी कर अग्ग बाल हड्डां तन माटी कर
इह शौक़ मोहब्बत बाटी कर इह मधूवा इस बिध चाखी दा
क्यूँ ओहले बह बह झाकी दा
तांघ माही दी जलियाँ
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
तांघ माही दी जलियाँ
नित्त काग उडावां खलियाँ
कउडी दमड़े पल्ले ना काई पार वंञन नूं मैं सधराई
नाल मलाहां दे नहीं आश्नाई झेड़ा कराँ वलल्लियां
तांघ माही दी जलियाँ
नै चन्दल दे शोर किनारे घुंमन घेर विच ठाठां मारे
डुब्ब डुब्ब मोए भारे जे शोर कराँ ताँ झल्लियां
तांघ माही दी जलियाँ
नै चन्दल दे डूंघे पाहे तारू गोते खांदे आहे
माही मुंडे पार सिधाए मैं केवल रहियां कल्लियां
तांघ माही दी जलियाँ
नै चन्दल दियाँ तारू फाटां खली उडीकां माही दियाँ वाटां
इ'श्क़ माही दे लाईआं चाटां जे कूकां ताँ मैं गलियाँ
तांघ माही दी जलियाँ
पार झनायों जंगल बेले ओथे खूनी शेर बघेले
झब्ब रब्ब मैनूं माही मेले मैं एस फिकर विच गलियाँ
तांघ माही दी जलियाँ
अद्धी रात लटकदे तारे इक लटके इक लटकणहारे
मैं उट्ठ आई नदी किनारे हुन पार लंघन नूं खलियाँ
तांघ माही दी जलियाँ
मैं मनतारू सार की जाणां वंझ चप्पा ना तुल्हा पुराणा
घुंमन घेर ना टाँग टिकाणा रो रो फाटां तलियां
तांघ माही दी जलियाँ
बुल्ल्हा' शहु घर मेरे आवे हार शिंगार मेरे मन भावे
मूंह मुकट मत्थे तिलक लगावे जे वेखे ताँ मैं भलियाँ
तांघ माही दी जलियाँ
नित्त काग उडावां खलियाँ
तुसीं करो असाडी कारी
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
तुसीं करो असाडी कारी
केही हो गई वेदन भारी
उह घर मेरे विच आया उस आ मैनूँ भरमाइआ
पुच्छो जादू है कि पछुआ उस तों लवो हकीकत सारी
तुसीं करो असाडी कारी
ओहो दिल मेरे विच वस्सदा बैठा नाल असाडे हस्सदा
पुच्छां बाताँ ते उट्ठ नस्सदा लै बाज़ाँ वांङ उडारी
तुसीं करो असाडी कारी
मैं शहु दरिआवां पईआं ठाठां लहराँ दे मूंह गईआं
फड़ के घुंमन घेर भवईआं उपर बरखा रैन अँधियारी
तुसीं करो असाडी कारी
सईआं ऐड छनिच्छर चाए तारे खारिआं हेठ छुपाए
मुंज दियाँ रस्सियाँ नाग बणाए इहनां सेहरां तों बलिहारी
तुसीं करो असाडी कारी
इह जो मुरली कान्ह वजाई दिल मेरे नूँ चोट लगाई
आह दे नाअरे करदी आही मैं रोवाँ ज़ारो ज़ारी
तुसीं करो असाडी कारी
इ'श्क़ दीवाने लीकां लाईआं डाढियां घणियां सत्थां पाईआं
हाँ मैं बक्करी कोल कसाईआं रहन्दा सहम हमेशा भारी
तुसीं करो असाडी कारी
इ'श्क़ रोहेला नाहीं छप्पदा अंदर धरिआ बन्न्हीं नच्चदा
मैनूँ द्यु सुनेहड़ा सच दा मेरी करो कोई ग़म-ख़्वारी
तुसीं करो असाडी कारी
मैं की मेहर मोहब्बत जाणां सईआं करदियाँ ज़ोर धिङाणा
गलगल मेवा की हदवाणा की कोई वैद पसारी
तुसीं करो असाडी कारी
नौ शौह जिस दा बाँस बरेली टुट्टी डालों रही अकेली
कूके बेली बेली बेली उहदी करे कोई दिलदारी
तुसीं करो असाडी कारी
बुल्ल्हा' शौह दे जे मैं जावाँ आपना सिर धड़ फेर ना पावाँ
ओथे जावाँ फेर ना आवाँ एथे ऐवें उ'मर गुज़ारी
तुसीं करो असाडी कारी
वाह वाह रमज़ सजन दी होर
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
वाह वाह रमज़ सजन दी होर
आशक बिनाँ ना समझे कोर
कोठे ते चढ़ दीवाँ होका इ'श्क़ वेहाज्यु कोई ना लोका
इस दा मूल ना खाना धोखा जंगल बस्ती मिले ना ठोर
वाह वाह रमज़ सजन दी होर
आशक दोहीं जहानीं मुट्ठे नाज़ माशूक़ाँ दे उह कुट्ठे
इ'श्क़ दा फटिया कोई ना छुट्टे कीतो सू बाँदा फठ फलोर
वाह वाह रमज़ सजन दी होर
दे दीदार होया जद राही अचणचेत पई गल फाही
डाढी कीती ला-परवाही मैनूँ मिल गया ठग्ग लाहौर
वाह वाह रमज़ सजन दी होर
शीरीं है बिरहों दा खाणा कोह चोटी फ़रहाद निमाणा
यूसुफ़ मिस्र बज़ार विकाणा उस नूं नाहीं वेखण कोर
वाह वाह रमज़ सजन दी होर
लैला मज्नूँ दोवें बरदे सोहनी डुब्बी विच बहर दे
हीर वंझाए सभ्भे घर दे इस दी खिची माही डोर
वाह वाह रमज़ सजन दी होर
आशक फिरदे चुप्प चुपाते जैसे मस्त सदा मध माते
दाम ज़ुल्फ़ दे अंदर फाथे ओथे चल्ले वस्स ना ज़ोर
वाह वाह रमज़ सजन दी होर
जे उह आण मिले दिल-जानी उस तों जान कराँ क़ुर्बानी
सूरत दे विच यूसुफ़ सानी आलम दे विच जिस दा शोर
वाह वाह रमज़ सजन दी होर
बुल्ल्हा' शहु कोई ना वेखे जो वेखे सो किसे ना लेखे
उस दा रंग रूप ना रेखे उह ई होवे हो के चोर
वाह वाह रमज़ सजन दी होर
आशक बिनाँ ना समझे कोर वाह वाह रमज़ सजन दी होर
मेरे क्युं चिर लाइआ माही
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
नी मैं उस तों घोल-घुमाई ।
दरद फ़िराक बथेरा करिआ, इह दुक्ख मैथों जाए ना जरिआ,
टमक असाडे सिर ते धरिआ, डोई बुग़चा लोह कड़ाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
जागद्यां मैं घर विच मुट्ठी, कदी नहीं सां बैठी उट्ठी,
जिस दी सां मैं ओसे कुट्ठी, हुन की कर ल्या बेपरवाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
बुल्ल्हा शहु तेरे तों वारी, मैं बलेहारी लक्ख लक्ख वारी,
तेरी सूरत बहुत प्यारी, मैं वे बिचारी घोल घुमाई ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
मेरे माही दे पंज पीर पनाही, ढूंडन उस नूं विच लोकाई,
मेरे माही ते फ़ज़ल इलाही, जिस ने गैबों तार हिलाई ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
कुन फ़ैकून आवाज़ा आया, तख़त हज़ार्युं रांझा धाइआ,
चूचक' दा उस चाक सदाइआ, उह आहा साहब सफ़ाई ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
चल्ल रांझा मुलतान चलाहें, गौश बहावल पीर मनावें,
आपनी तुरत मुराद ल्यावें, मेरा जी रब्ब मौला चाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
जित्थे इश्क डेरा घत बहन्दा, ओथे सबर करार ना रहन्दा,
कोई छुटकन ऐवें कहन्दा, गल पई प्रेम दी फाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही आ जंञ खेड़िआं दी ढुकी, मैं हुन हीर निमानी मुक्की,
मेरी रत्त सरीरों सुक्की, वल वल मारे बिरहों खाई ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
खेड़ा फुल्ल घोड़े ते चढ़आ, फक्कर धूड़ गरद विच रल्या,
एडा मान क्युं कूड़ा करिआ, उस कीती बेपरवाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
चढ़ के पीर खेड़िआं दा आया, उस ने केहा शोर मचाइआ,
मैनूं माही नज़र ना आया, तांहीएं कीती हाल दुहाई ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
मैं माही दी माही मेरा, गोशत पोसत बेरा-बेरा,
दिन हशर दे करसां झेड़ा, जद देसी दाद इलाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
चूचक काज़ी सद बहाइआ, मैं मन रांझू माही भाइआ,
धक्को धक्क निकाह पढ़ाइआ, उस कीता फ़रज़ अदाई ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
तेल वटना कंधे मल्या, चोया चन्दन मत्थे रल्या,
माही मेरा बेले वड़िआ, मैं की करनी कंङन बाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
होर सभ्भो कुझ दस्सन करिआ, इह दुक्ख जाए ना मैथों जरिआ,
टमक रांझन दे सिर ते धरिआ, मोढे बुग़चा लोह कड़ाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
टमक सुट्ट टिल्ले वल जावे, बैठा उस दा नाम ध्यावे,
कन्न पड़वा के मुन्दरां पावे, गुड़ लै के दो सेर शाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
गुर गोरख नूं पीर मनावे, हीरे हीरे कर कुरलावे,
जिस दे कारन मूंड मुंडावे, उह मूंह पीला ज़रद मलाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
जोगी जोग सिधारन आया, सिर दाढ़ी मूंह मोन मुनाइआ,
इस ते भगवा भेस वटाइआ, काली सेहली गल विच पाई ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
जोगी शहर खेड़िआं दे आवे, जिस घर मतलब से घर पावे,
बूहे जा के नाद बजावे, आपे होया फ़ज़ल इलाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
बूहे पे खुड़ब्यां धङाणे, टुट्ट प्या खप्पर डुल्ल्ह पे दाणे,
इस दे वल छल कौन पछाणे, चीना रुल्ल गया विच पाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
चीना चुन चुन झोली पावे, बैठा हीरे तरफ़ तकावे,
जो कुझ लिख्या लेख सो पावे, रो रो लड़दे नैन सिपाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
इह गल्ल सहती ननद पछाती, दोहां दी वेदन इक्को जाती,
उह वी आही सी मदमाती, ओथे दोहवां सत्थर पाही ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
बुल्ल्हा सहती फन्द चलाइआ, हीर सलेटी नाग लड़ाइआ,
जोगी मंतर झाड़न आया, दुहां दी आस मुराद पुचाई ।
मेरे क्युं चिर लाइआ माही ।
सईयो हुन मैं साजन पाइओ ई
बुल्ले शाह काफिया / काफी Bulle Shah ki Kafiyan
सईयो हुन मैं साजन पाइओ ई
हरि हर दे विच्च समाइओ ई
अना अहद दा गीत सुणाइओ
अना अहमद हूँ फिर फरमाइओ
अना अ’रब बे-ऐन बताइओ
फिर नाम रसूल धराइओ ई
सईयो हुन मैं साजन पाइओ ई
फ़-सम्म-वजहुल्लाहि नूर तेरा
हर हर के बीच ज़ुहूर तेरा
है अल-इनसान मज़कूर तेरा
एथे आपना सिर्र लोकाइओ ई
सईयो हुन मैं साजन पाइओ ई
तूं आइउं ते मैं ना आई
गंज मख़्फ़ी दी तैं मुरली बजाई
आख अलस्त गवाही चाही
ओथे काला-बूला सुणाययो ई
सईयो हुन मैं साजन पाइओ ई
परगट हो कर नूर सदाइओ
अहमद तों मौजूद कराइओ
नाबूदों कर बूद दिखलाइओ
वनफ़ख़्तु फ़ीहि सुणाइओ ई
सईयो हुन मैं साजन पाइओ ई
नहनु-अक़्रब लिख दित्तोई
हुवा मा’कुम सबक दित्तोई
वफ़ी-अनफ़ुसिकुम हुकम कीतोई
फिर केहा घुँघट पाइओ ई
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