बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

 खोय देत हो जीवन बिना काम के भजन करो कछु राम के / बुन्देली लोकगीत 

खोय देत हो जीवन बिना काम के, भजन करो कछु राम के।
जी बिन देह जरा न रुकती,
चाहो अन्त समय में मुक्ती
ऐसी करो जतन से जुक्ती,
ध्यान करियों सबेरे न तो शाम के। भजन...
लख चौरासी भटकत आये,
मानुष देह कठिन से पाये,
फिर भी माने न समुझायें,
गलती चक्कर में फंसे बिना राम के। भजन...
ईश्वर मालिक से मुंह फेरे,
दिल से नाम कभऊं न टेरे,
वन के नारि कुटुम्ब के चेरे,
कोरी ममता में फंसे इते आन के। भजन...
छोड़ो मात पिता और भ्राता,
जो हैं तीन लोक के दाता,
करियो उन ईश्वर से नाता,
क्षमा करिहें अपराध अपना जान के। भजन...


गगा को मान बड़ा भारी / बुन्देली लोकगीत 



गंगा को मान बड़ा भारी,
चलो बहनों मुक्ती सुधारी।
तारन के लाने सहज में न आई,
तप करके भागीरथ निकारी। चलो दीदी....
गंगा की धार शम्भू रोकी जटन में
भोला शिवत्रिपुरारी। चलो दीदी....
तीरथ व्रत ऐसे चारों तरफ हैं
गंगा की महिमा है न्यारी। चलो दीदी....
जावे के लाने कछु अड़चन नैयां
दिन भर चले मोटर गाड़ी। चलो दीदी....
गंगा जी जावें परम गति पावें
मन में विश्वास करो भारी। चलो दीदी....
गंगा जी जावे खों सब कोई विचारे
भागों से मिले तारन हारी। चलो दीदी....


गारी गावे जनकपुर की नारिया / बुन्देली लोकगीत 


गारी गावें जनकपुर की नारियां,
दूल्हा श्री रामजी बने
जनक पहुंचे है जाय, विनती कीन्ही समुझाय
कुंअर दीजे पठाय,
हां हो गई कलेऊ की तैयारियां। दूल्हा...
करके सुन्दर वे शृंगार, आये अपने हैं ससुरार
लिये आरती सबईं उतार
रानी लाई हैं पूजा की थालियां। दूल्हा...
दिये उनको आदर सम्मान, लिये वे हैं सबके जजमान
सबने उनसे की पहिचान
कहो कैसे तुम्हारी महारानियाँ। दूल्हा...
आई सोने की थार, परसो व्यंजन बहुत प्रकार
भोजन करते चारों कुमार
सासो परसती है पूड़ी-कचौड़ियां। दूल्हा...

चाय पी पी के दूध घी की कर दई महगाई / बुन्देली लोकगीत 


चाय पी पी के दूध घी की कर दई महंगाई।
बड़ी आफत जा आई।
बेंचे दूध घरे न खावें, लड़का वारे बूंद न पावें।
चाहे पाहुन लो आ जावें
देवी देवता लो होम देशी घी के न पाई।। बड़ी...
घर को बेंचे मोल को धरते, रिश्तेदारों से छल करते,
जे नई बदनामी से डरते,
डालडा से काम चले हाल का सुनाई। बड़ी...
घी और दूध के रहते भूखे, जब तो बदन परे हैं सूखे,
भोजन करत रोज के रूखे
स्वाद गोरस बिना भोजन को समझो न भाई। बड़ी...
देशी घी खों हेरत फिरते, चालीस रुपया सेर बताते,
डालडा तो खूब पिलाते,
बेईमानी की खाते हैं खूब जे कमाई। बड़ी...
जब से चलो चाय को पीना, जिनखों मिले न धड़के सीना
आदत वालों का मुश्किल है जीना,
सुबह शाम उनको परवे न रहाई। बड़ी...
अपना बने चाय के आदी, चालू स्पेशल को स्वादी,
कर दई गौरस की बरबादी।
बीच होटल में जहाँ देखो चाय है दिखाई। बड़ी...



जशोदा तेरो लाल री वशी मे देवे गारी / बुन्देली लोकगीत 


जशोदा तेरो लाल री वंशी में देवे गारी।
जब हम जावें नीर भरन खों, रोके गैल हमारी।
जशोदा...
जब हम जावें दही बेंचन खों, मांगे दान मुरारी।
जशोदा...
जब हम जावें जल भरने खों, फोरे गगर हमारी।
जशोदा...
वाके गुण में कहा सुनाऊं, लाज लगत है भारी।
जशोदा...
तुम बरजो अपने कान्हा खों, न तो तजिहैं पुरी तिहारी।
जशोदा...


जा मुरली तो मधुर सुना जाव फिर मथुरा खो चले जावो / बुन्देली लोकगीत 


जा मुरली तो मधुर सुनाएं जाव, फिर मथुरा खों चले जावो।
मुरली बजे श्याम की प्यारी, जा में वश कीन्हें बृजनारी,
सोवत जगी राधिका प्यारी।
हमें सुर को तो शब्द सुनाये जाओ। फिर...
तुम बिन हमें कछु न भावे,
जो मन दरसन खों ललचावे, सूरत सपने में दरसावे,
हमें नटवर तुम संगे लिवाए जाओ।। फिर...
सोहे भाल तिलक छवि न्यारे, दोई नैनाहैं रतनारें,
कानन कुण्डल डुले तुम्हारे।
अपना मोहिनी रूप दिखाए जाओ। फिर...
गारी श्रीकृष्ण की प्यारी,
उनके चरणन की बलहारी, जिनको भजते सब संसारी।
हमें चरणन की दासी बनाए जाओ। फिर...

जेमन बैठे जनक जू के द्वारे / बुन्देली लोकगीत 


जेमन बैठे जनक जू के द्वारे,
दशरथ ले कें बरात मोरे लाल
चांदी के पाटा बैठन के लाने,
अंगना में आसन लगाये मोरे लाल।
सोने की झाड़ी गंगाजल पानी,
पीवें के लाने भराये मोरे लाल
पतरी और दोनों में सोने की सींकें
राजा जनक लगाये मोरे लाल
रुच-रुच कर भोजन परोसे जनक जी,
हँस-हँस करें जेवनार मोरे लाल।
छतों अटारी महलों में अपने
सीता की सखियों की भीड़ मोरे लाल।
सारी और सरहज गारी गावें,
महलन बीच उछाह मोरे लाल। जेमन...


देखो खेते किसनवा जाय रहे / बुन्देली लोकगीत 


देखो खेते किसनवा जाय रहें,
वे तो मस्ती में हैं कछु गाय रहें,
गर्मी की तपती दोपहरिया,
उनखों तनकऊ नाहिं खबरिया,
सिर पे धरके चले गठरिया,
वे तो तन मन की सुध बुध भुलाय रहे।
मेहनत खेतन में वे करते,
मेहनत से तनकऊ नहिं डरते, माटी में अन्न उगाते,
देखो खेतन में हल खो चलाय रहे।
कभऊं-कभऊं ओला पड़ जाते,
बादल पानी उन्हें डराते,
पर वे तनकऊ न घबराते,
देखो भगवान खों वे तो मनाय रहे।
गाय बैल की करें रखवारी,
बाद में करते हैं वे ब्यारी, गांवन की शोभा है न्यारी,
धरती खों स्वर्ग बनाय रहे।
कोऊ न बैठे घर में खाली,
लड़का बिटिया और घरवाली,
जीवन की है नीति निराली
अरे सब खों वे सीख सिखाय रहे।


धनुष यज्ञ साला से मुनि जी आये दो बालक ले आये / बुन्देली लोकगीत 


धनुष यज्ञ साला से मुनि जी आये दो बालक ले आये।
देखो सांवले हैं राम, लखन गोरे हैं माई
शोभा बरनी न जाई।
सो धन्य उनकी माता, जिन गोद है खिलाये। देखो...
जुड़े राजा की समाज,
बड़े-बड़े महाराज, आये लंकाधिराज
धनुष जोर से उठाये धनुष डोले न डुलाये। देखो...
कहत लछिमन से राम, भइया धरती लो थाम,
मची बड़ी धूमधाम
शीश मुनि को नवाये, धनुष लिये हैं उठाये। देखो...
तोड़ शंकर धनु भारी, जाको शब्द भयो भारी
हरसित हो गये नर-नारी
सुनके सुर मुनि फूल हैं बरसाये। देखो...
देखो जानकी जी आई, सखी संग में ले आईं
कर में माल है सुहाई
प्रेम विवश पहिराई न जाई। देखो...

नल बखरी मे लगवा दो साजना / बुन्देली लोकगीत 


नल बखरी में लगवा दो साजना,
बात मोरी नहीं टालना।
बालम होत बड़ी हैरानी,
हमखों भरन पड़त है पानी।
घर में बैठी रहत जिठानी
ननदी छोड़ गई गोबर को डालना। बात...
सासो भोरई आन जगावे, हमखों पानी खों पहुंचावें,
आठ बजे पानी भर पावें,
परो मोड़ा रोवत मेरो पालना। बात...
तुमरो दूर कुआं को पानी, भरतन मेरी चांद पिरानी
तई में होय बैलन की सानी,
दुपरै दस खेप ढोरन खों डारना। बात...
कालों तुमखों हाल सुनावें, सब घर रोजई मूड़ अनावें,
हम तो कछु अई नई कर पावें,
होती रुच-रुच के रोज की टालना। बात...
भोरई उठ कर दफ्तर जइयो,
रुपया पिया जमा कर अइयो
बालम इतनी मान हमारी लइयो,
नई तो पानी न जैहें हम बालमा। बात...

पाल पोस बेटी करी सयानी / बुन्देली लोकगीत 


पाल पोस बेटी करी सयानी
हो गई आज पराई मोरे लाल।
बाबुल कहे बेटी हँस घर जाओ।
माता कहें जल्दी बुलाओ मोरे लाल। पाल...
ससुर जानियो बाबुल की नाईं
सासो खों जानो माता मोरे लाल। पाल...
जेठ जानियों बीरन बड़े से
जेठानी खों जानो भाभी मोरे लाल। पाल...
देवर को जानियो हल्के से बीरन।
देवरानी से करियो दुलार मोरे लाल। पाल...
छोटी ननद खों जानों छोटी बहिना
प्यार से रहियो ससुराल मोरे लाल। पाल...

पिया हो गये तबाह सट्टा हार के फिरन लगे हाथ झार के / बुन्देली लोकगीत 


पिया हो गये तबाह सट्टा हार कें, फिरन लगे हाथ झार कें
सबरी मिटा गृहस्थी डारी,
घर में बचे न लोटा थारी, रोवे लड़कन की महतारी।
गहना जेवर सब लै गए उतार कें फिरन लगे...
रुपया पैसे सबरे हारे, लड़का बिटिया फिरें उघारे,
अब तो फिरें हाथ पसारे।
खाना खरचा खों बल पे उधार कें। फिरन लगे...
हम तो समझा समझा हारे, करजा ऊपर से कर डारे,
उलझन में हैं प्राण हमारे।
कछु घर में न बचो सब हार के। फिरन लगे...
अच्छे-अच्छे सब पछतावें, सट्टा जुआं से पार न पावें,
सबकी नजरन से गिर जावें।
काम करियो तुम सोच विचार के। फिरन लगे हाथ झार के।
पिया हो गये तबाह...।

बड़े जनत से पाली बारी बन्नी / बुन्देली लोकगीत 

 
बड़े जनत से पाली बारी बन्नी,
अब ना राखी जाय मोरे लाल
दूध पिलाए पलना झुलाए,
हो रही आज परायी मोरे लाल।
जब से बेटी भयी सयानी,
ब्याह रचन की ठानी मोरे लाल।
कन्यादान पिता ने कीन्हा,
डोली विदा कर दीन्हीं मोरे लाल।
अंगना में बेटी रुदन मचावें,
काहे भेजत परदेश मोरे लाल।
भैया भेज हम तुम्हें बुला लें,
बाबुल करत कलेष मोरे लाल।
रहियो जनम भर सुख में बेटी,
राखियो घर की लाज मोरे लाल।

बने दूल्हा छवि देखो भगवान की / बुन्देली लोकगीत 


बने दूल्हा छवि देखो भगवान की,
दुल्हन बनी सिया जानकी।
जैसे दूल्हा अवधबिहारी,
तैसी दुल्हन जनक दुलारी,
जाऊ तन मन से बलिहारी।
मनसा पूरन भई सबके अरमान की। दुल्हन बनी...
ठांड़े राजा जनक के द्वार,
संग में चारउ राजकुमार,
दर्शन करते सब नर-नार
धूम छायी है डंका निशान की। दुल्हन बनी...
सिर पर कीट मुकुट को धारें,
बागो बारम्बार संभारे, हो रही फूलन की बौछारें।
शोभा बरनी न जाए धनुष बाण की। दुल्हन बनी...
पण्डित ठांड़े शगुन विचारें,
कोऊ-कोऊ मुख से वेद उचारें।
सखियां करती हैं न्यौछारें,
माया लुट गई है हीरा के खान की। दुल्हन बनी...
कह रहे जनक दोई कर जोर,
सुनियो-सुनियो अवधकिशोर,
कृपा करो हमारी ओर।
हमसे खातिर न बनी जलपान की। दुल्हन बनी...


भागीरथ ने करी तपस्या / बुन्देली लोकगीत 


भागीरथ ने करी तपस्या,
गंगा आन बुलाई मोरे लाल।
सरग लोक से गंगा निकरी,
शंकर जटा समानी मोरे लाल। भागीरथ...
शंकर जटा से निकली गंगा
जमुना मिलन खों धाईं मोरे लाल। भागीरथ...
मिलती बिरियां गंगा झिझकी
हम लुहरी तुम जेठी मोरे लाल। भागीरथ...
हम कारी तुम गोरी कहिये
तुमरोई चलहै नाम मोरे लाल। भागीरथ...
इतनी सुनके गंगा उमड़ी
दोई संग हो गईं मोरे लाल। भागीरथ...
जो कोऊ संगम आन नहाहै,
तर जैहें बैकुंठ मोरे लाल। भागीरथ...

मै देख आई गुइया री / बुन्देली लोकगीत 



मैं देख आई गुइयां री,
जे पारबती के सैंया
सांप की लगी लंगोटी,
करिया चढ़ो, कंधइयां री,
जे पारबती के सैयां।
गांजे भांग की लगी पनरियां,
पीवें लोग लुगइयां री,
जे पारबती के सैयां। मैं देख...
साठ बरस के भोले बाबा,
गौरी हैं लरकइयां री,
जे पारबती के सैयां। मैं देख...
तुलसी दास भजो भगवाना,
हैं तीन लोक के सैयां री,
जे पारबती के सैयां। मैं देख...
मैं देख आई गुइयां री,
जे पारबती के सैयां। मैं देख...



मोरे हर से करे ररिया जनकपुर की सखिया / बुन्देली बुन्देली गारी गीत



मोरे हर से करें ररियां जनकपुर की सखियां।
उनने आतर परसी सो पातर परसी
परस दई दुनिया जनकपुर की सखियां
आलू परसे रतालू परसे,
सो परस दई घुइयां। जनकपुर...
पूड़ी परसी कचौड़ी परसी
सो परस दई गुजियां। जनकपुर...
लडुआ परसे जलेवी परसी,
सो परस दई बुंदियां। जनकपुर...
उनने अमियां परसे, करौंदा परसे,
सो परस दये निबुआ। जनकपुर...


राम लखन दोऊ भैया ही भैया / बुन्देली गारी गीत




राम लखन दोऊ भैया ही भैया,
साधू बने चले जायं मोरे लाल।।
चलत-चलत साधू बागन पहुंचे।
मालिन ने लए बिलमाए मोरे लाल। राम लखन...
घड़ी एक छाया में बिलमायो साधू।
गजरा गुआएं चले जाओ मोरे लाल। राम लखन...
जब वे साधू तालन पहुंचे
धोबिन ने लए बिलमाए मोरे लाल। राम लखन...
चलत-चलत साधू महलन पहुंचे।
रानी ने लए बिलमाए मोरे लाल।
घड़ी एक छाया में बिलमायो साधू।
महलन के शोभा बढ़ाओ मोरे लाल। राम लखन...



सावन बीते जात हमखो ससुराल मे / बुन्देली गारी गीत


सावन बीते जात हमखों ससुराल में,
भइया भूले भरम जाल में।
जिस दिन कीन्हीं विदा हमारी,
सब घर रुदन कियो तो भारी,
अब क्यों हमरी सूरत बिसारी,
वा दिन रो रये खड़े खड़े द्वार में। भइया...
असड़ा मेरी विदा कर दई ती,
रो-रो व्याकुल मैं हो गई थी।
वा दिन तुमने जा कै दई ती,
हम लुआवे आये दिना चार में। भइया...
संग की सखियां मायके जावें,
हम अपने मन में पछतावें,
भइया आवें तो हम जावें,
बहिन डूब रहीं आंसुओं की धार में। भइया...
पूनो तक लो बाट निहारी,
लुआवे आये न बिरन हजारी
जो कऊं हुइयें याद हमारी,
तो आहें जरूर आज काल में। भइया...



सुन लो तुम ध्यान से जिठानी / बुन्देली गारी गीत




सुन लो तुम ध्यान से जिठानी,
हमई रोज भरवीं न पानी
हींसा बटाने खों सब कोई बराबर
करवे खों काम देवरानी। हमई...
संझली ओ मंझली खों नई-नई धुतियाँ
पेहरत हों मैं तो पुरानी
हमई रोज भरवीं ना पानी। सुन...
सास-ससुर इनसे तनकऊ न बोलें
हमखों कहत मनमानी,
हमई रोज भरवीं ना पानी। सुन...
खावे खों बैठूं मैं सबसे पछारे,
तोऊ पे करें निगरानी
हमई रोज भरवीं ना पानी। सुन...
आई बहिन मोरी चारई दिना खों,
तनकऊ न कोऊं खों सुहानी
हमई रोज भरवीं ना पानी। सुन...


हम तुमसे पूछे रानी रुकमणि / बुन्देली गारी गीत


हम तुमसे पूछें, ए रानी रुकमणि।
कृष्ण वर कैसे पायें, मोरे लाल। हम...
चार महीना तो घुमड़ जल बरसो,
हम उरिया तरें ठांड़े मोरे लाल। हम...
चार महीना के जाड़े परत हैं,
हमने गंगा नहाई मोरे लाल। हम...
चार महीना की गरमी पड़त है।
पंचवटी तप कीन्हें मोरे लाल। हम...
इतने तप हम किये हैं माया,
जब कृष्ण वर पाये मोरे लाल। हम...



हमखो न अखिया दिखाओ मोरे सैया / बुन्देली गारी गीत


हमखों न अंखिया दिखाओ मोरे सैयां।
दइजे में तुमने रुपये गिना लये,
रुपया गिना के कायको बिकाय गये।
अब खरी-खोटी न सुनाओ मोरे सैयां। हमखों...
दइजे के धन पे बने पैसा वारे,
छैल छबीले बने बाबू प्यारे
रौब कछु न जमाओ अब सैयां। हमखों...
चूल्हा न करहों चौका न करहों
बासन न करहों पानी न भरहों
कौनऊ नौकरानी लगाओ मोरे सैयां। हमखों...
सुनतई मुरझा गई शैखी तुम्हारी
बरछी सी लगे जे बतियां हमारी
रोटी बना के खबाओ न सैयां। हमखों...


कही मान लो छोड़ो नसे बाजी कही मान लो / बुन्देली गारी गीत



कही मान लो छोड़ो नसे बाजी, कही मान लो।
चरस पिये धर्म, कर्म लाज शर्म जाय,
ज्ञान जाय ध्यान जाय, मान घट जाये।
कही...
भंग पिये वादी हो जात है सब अंग,
मदरा गांजो कर देत पैसे से तंग।
कही...
मदिरा पिये से हो जात है बदनाम।
थुक-थुक तम्बाकू और बुरो काम।
कही...


कछु नइया धना न्यारे की ठान मे भूलो मत झूठी शान मे /बुन्देली गारी गीत


कछु नइयां धना न्यारे की ठान में, भूलो मत झूठी शान में।
पुरी गली के कये मैं आके, रोजऊ लड़ती सास-ससुर से
देखो रानी कहें समुझाय के,
घर मिट जैहे नाहक आनवान में। भूलो...
सोचो गोरी अपने मन में, उनने दुख सये बालापन में।
हम खों लिये फिरे हाथन में,
दुख होने न दिया छिनमान में। भूलो...
माता-पिता ने कष्ट उठाये, हम खों इतने बड़े बनाये।
सूखी खाके समय बिताये,
आंच आने न दई कबऊ शान में। भूलो...
तुम जाने काहो करैयां, छोड़ो हठ अब पडूं मैं पैयां।
हम खें थूकत लोग लुगइयां,
चर्चा हो रई खेत खलिहान में। भूलो...
तुम तो धना न्यारे की ठाने, हम खों लोग देत है ताने।
भूलो...




कचरिया तोरो व्याव री / बुन्देली गारी गीत



कचरिया तोरो व्याव री,
खरबूजा नेंवतें आइयो।
आलू दूल्हा भटा बराती,
चिरपोंटी सज ल्यइयों,
सजी गड़ेलू बजे तूमरा,
कुम्हड़ा ढोल बजैयो। कचरिया...
चले फटाका आतिशबाजी,
गुइयां आन चलैयो। कचरिया...
केला करेला भये मामा जू,
कैथा ससुर बुलैयो,
सेमे घुइयां भई गोरैयां,
मिरचे दौड़ लगैयों। कचरिया...
पांव पखरई में आये डंगरा,
कन्यादान कलीदो दैयो।
परियो सकारे उठियो अबेरे,
दुफरे चौका लगैयो। कचरिया...
मोड़ा मोड़ी मांगे कलेवा,
दो घूंसा दे दैयो। कचरिया...



अवधपुरी मे चैन परे न / बुन्देली


अवधपुरी में चैन परे न,
बनखों गये रघुराई मोरे लाल
रामलखन और जनकदुलारी,
अब न परत रहाई मोरे लाल
सब रनवास लगत है सूनो,
रोवे कौशला माई मोरे लाल
नगर अयोध्या के सब नर-नारी,
सबरे में उदासी छाई मोरे लाल
जब रथ भयो नगर के बाहर,
दशरथ प्राण गये हैं मोरे लाल
चौदह साल रहे ते वन में,
सहो कठिन दुखदाई मोरे लाल
वन-वन भटकी परी मुसीबत,
शोक सिया खों भारी मोरे लाल


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