Pawari Lokgeet Lyrics Hindi पँवारी गीत पवारी लोकगीत
पांढरी की ओ माता-माय पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
पांढरी की ओ माता-माय
मऽ मानू तू हय भोरी।
आओ-आओ माता-माय
करू तोरी बिनती आज की रात
करजो मराअ् घरअ् वास
दिन खऽ लेजो कू-कू को रेला
रात खऽ लेजो सहिर वास।।
पाण्ढरी को रे हनुमान बाबा
मऽ मानू तू हयअ् भोरो
आओ-आओ रे हनुमान बाबा।
करू तोरी बिनती आज की रात
करजो मराअ् घरअ् वास
दिन खऽ लेजो कूक को रेला
रात खऽ लेजो सहिर वास।।
भैय्या घरअ् भयो नंदलाल पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
भैय्या घरअ् भयो नंदलाल
काहे की डालू घुंगरी
हरो लिलो गहूँ कटाय
ओकी म डाल्हूँ घुंगरी
गांव भर खअ् बुलाहूँ, घुंगरी खिलाहूँ
बीर को बारसा मनाहूँ, बाटहूं मऽ ते घुंगरी
भैय्या घरअ् भयो बारो लाल, बाट्हूँ मऽ ते घुंगरी
भाई का कथन- चल चल बहिना गाय का कोठा
अच्छी-अच्छी गाय निवाड़ ले...बहिना बाई
बहन का कथन- पाँच बरस को बरद मनायो
का करू भैय्या तोरी गाय को
भौजी का कंगना दिला बीरन मखअ्
पाच बरस को बरद मनायो
भाई- भौजी का कंगना ओका, मायका सी आया
कंगना दिया नी जाय ओ बीना बाई
आऊपर कई मांग ले मऽ सीअ्
पाच बरस को बरद मनायो।
झूलना मऽ झूलय बारा रे पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
झूलना मऽ झूलय बारा रे
हुडु...हडु
पारना पअ् डालय वाड्या लगय रमुक
गाई...बारा की गाई...गाई
बारा खऽ कहाँ ते बिलमाऊ
फूल चमेली को देऊ
हडु....हडु
जूजू...मराअ् बारा की गाई...गाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
जूजू...मराअ् बारा की गाई...गाई
एना बारा खअ् कोनअ् मार्यो
हडु...हडु
निन्दर कोनअ् करी एना बारा की
हडु...हडु
मरो बारा हय नांगड़
जसो फुल्ल को टोपर
हडु...हडु...
जूजू....मरा बारा की
गाई....गाई ....
कोयला बाई बोले पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कोयला बाई बोले
जंगल मऽ कोयल बाई बोले
पीहू रे पीहू करअ् रही।
मण्डवा मऽ लाड़ी बाई बोले
बाबुल रे बाबुल करअ् रही।
ओका बाबुल खऽ देओ रे बुलाय
साँवल वर ढूँढ लाहे।।
बेटी देस हिण्डयो परदेस पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
बेटी देस हिण्डयो परदेस
साँवल वरअ् नी मिल्यो
ओका काका ख देओ रे बुलाय
साँवल वरअ् ढूँढ लाहे।
काका भी कहता है- बेटी देस गयो, परदेस गयो
साँवल वर नी मिल्यो
ओका भय्या खऽ देओ रे बुलाय
साँवल वर ढूँढ लाहे।
भाई कहता है- बहिन देस गयो परदेस गयो
साँवल वरअ् नी मिल्यो
सगाई गीत पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
1
भूरी-भूरी मुच्छी को डोकरा, हाट रे हाट बिकाय
सुनो सजन हमरी पहलोड़ी
हमरी पैलोड़ी को अरथ बताव
सुनो सजन हमरी पेलौड़ी
2
अरू जीत लीना हौसी न जीत लीनी
तोखअ् डुक्कर दी रे इनाम
सुनो-सजन हमरी पहलौड़ी
3
जेवत देहि मधुर धुनि गारी। ले ले नाम पुरुष अरू नारी।।
समय सुहावनि गारि बिराजा। हंसत राऊ सुनि सहित समाजा।।
4
आरू नी जीती गण्डिया नऽ नी जीती
आरू ना जीती मूरख गँवार
सुनो सजन हमरी पैलोड़ी
5
तुम कहाँ से आया बे साले उल्टी डण्डी वाले
तुम मालवा से आया बे साले उल्टी डण्डी वाले
तुम छुपते छिपाते आया बे साले उल्टी डण्डी वाले
कुछ आली से कुछ माली से पाँच रुपया दलाली के
रुपया धोती में छुपया बे साले उल्टी डण्डी वाले
6
तू चल्यो समधी तू चल्यो रे
तू तो नाचत चल्यो
हात मऽ दोना ले चल्यो रे
तू तो पातर चाटत चल्यो।
7
पाठा पऽ जनी भूरी भईस
ओको दूध अकारत जाय
जानो सजन हमरी पैलोड़ी
8
जीत ली सजन न जीत ली रे
घर मअ् हय चतुर सी नार
ओनअ् दी पहेली बताय।।
आरू जोतन लग्या गज मोंगर ओ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
आरू जोतन लग्या गज मोंगर ओ
आरू जोतन लगी नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू जंगल नक्यो गज मोंगर ओ
आरू जंगल नकीऽ नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू सिवान प आयो गज मोंगर ओ
आरू सिवान प आई नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू गोठान प आयो गज मोंगर ओ
आरू गोठान प आयो नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू गल्ली मऽ आयो हर्दया मोंगर ओ
आरू गल्ली मऽ आयी नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू आँगन म आयेा हर्दया मोंगर ओ
आरू आँगन म आयी नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू गड़न लग्या गज मोंगर ओ
आरू छावन लगी नागर-बेलनि ओ
मऽ राऽ राजकुवर घरऽ माण्डोड।।
आरू बाराच डेहरी को माण्डोड़ो ओ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
आरू बाराच डेहरी को माण्डोड़ो ओ
भोराया कलस की बेली पर पटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।
आरू आज को निवता ओना कोनऽ देव घरऽ ओ
आरू गणेश देव संग म रिद्धि-सिद्धि आओ
मऽ नान्दु तोरो माण्डोड़ ओ।।
आरू बाराच डेहरी को माण्डोड़ो ओ
भोराया कलस की बेलि पअ्, पटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता एना महादेव घरऽ ओ
आरू महादेव संग मऽ पारवती आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डाड़ो ओ।।
आरू बारा जो डेहरी को माण्डोड़ो ओ
भोराया कलस की बेलि पअ् पाटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता उते विसन देव घरऽ ओ
आरू विष्णु देव संग मऽ लक्ष्मी जी आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता उते भैरव देवऽ घरऽ ओ
भैरवदेव संग मऽ साती बहिना आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
भोराया कलस की बेलि पऽ
पटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।।
नाराईन देव संग मऽ रीना देवी आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
भोराया आया कलस की बेलि पऽ
पटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता ऊ ते मोती देव घरऽ ओ
छोटे देव संग म पारवती बाई आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
भोराया कलश की बेलि पऽ
पटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता उते बिहारी देवऽ घरऽ ओ
मोती देव संग मऽ पिखोली बाई आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता उते भैरव देवऽ घरऽ ओ
एना बिहारी देव संग म फुन्दा बाई आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
कोन बड़े की नान्दन बेटी, सवा घड़ी दूध नाव्हय वो पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कोनसी बाई को बाहुड़ला उजाय ओ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कोनसी बाई को बाहुड़ला उजाय ओ
दिनऽ चल्यो राही राछोड़ो- गोविन्दा
कविता बाई को बाहुड़ला उजाय ओ
दिनऽ चल्योराही राछोड़ो- गोविन्दा
एनी दुर्गाबाई को बाहुड़ला उजाय ओ
दिनऽ चल्यो राही राछोड़ो- गोविन्दा
कोनसी बाई को बाहुड़ला उजाय ओ
दिनऽ चल्यो राही राछोड़ो- गोविन्दा
मैना बाई को बाहुड़ला उजाय ओ
दिनऽ चल्यो राही राछोड़ो- गोविन्दा
कोनसी बाई को बाहुड़ला उजाय ओ
दिनऽ चल्यो राही राछोड़ो- गोविन्दा
गाँव पाटिल को का हो रे नाम (नाव) पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
गाँव पाटिल को का हो रे नाम (नाव)
देओ बेटी राछोड़ो।।
ओकीज रनिया को का हो रे नाव (नाव)
देओ बेटी राछोड़ो।।
एनाज पाटिल बेटा को का हो रे नाव (नाम)
देओ बेटी राछोड़ो।।
ओकीज बेटी को का हो रे नाव (नाव)
देओ बेटी राछोड़ो।।
गाँव पाटिल को ज्ञानराव नाव पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
गाँव पाटिल को ज्ञानराव नाव
देओ बेटी राछोड़ो।।
ओकीज रनिया को ज्ञानवती नाव
देओ बेटी राछोड़ो।।
ओकीज बेटा का ज्ञानबा नाव
देओ बेटी राछोड़ो।।
ओकीज बेटी को फूलवती
नाव देओ बेटी राछोड़ो।।
का माँगय पाटिल का माँगय ओ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
का माँगय पाटिल का माँगय ओ
गाँव की बेटी तू का माँगय।
का दीहे पाटिल का दीहे रे
गाँव की बेटी खऽ का दीहे
का माँगय बेटी तू का माँगय ओ
गाँव को पाटिल आय गयो
का माँगय बेटी तू का माँगय ओ
पाटिल की रनिया आय गई।
लम्बी उमर माँग लेजो ओ नान्ही
धन दौलत मत माँगजो ओ
का माँगय बेटी तू का माँगय ओ
लम्बी उमर तू माँगय ले जो।।
बेटी तू गाँव पाटिल सी काजत माँगनो चाव्हय
तू गाँव की बेटी आय, तोखऽ गाँव को पटेल का दीहे तो माँग ले।
राछोड़ो, राछोड़ो पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
राछोड़ो, राछोड़ो
कोनऽ गाँव का रोछोड़ो
राछोड़ो, राछोड़ो
बैतूल बजार का राछोड़ो
राछोड़ो, राछोड़ो
लेओ हमारा राछोड़ो
छीता पऽ सासरवास मत करय ओ माय पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
छीता पऽ सासरवास मत करय ओ माय
माथा अपनो रामऽ खड़्यो थाड़ो
लायी या पराई घऽ की छीता
कारी ओ खुखड़ी पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कारी ओ खुखड़ी
तोनऽ ओसरी ओ ऊखड़ी
कारी ओ कोयल
देयऽ जहेर का बोल
पाँच बोट की चिमटी नऽ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
पाँच बोट की चिमटी नऽ
काशी की हिकमती नऽ
दरना दरत पस्या की लगय धारी
पाज्यो काशी नऽ दूध भारी।।
दरना दरू बाई, गाऊ मऽ माता-पिता पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
दरना दरू बाई, गाऊ मऽ माता-पिता
आऊर गाऊ मऽ राम-सीता।
दरना मऽ दरू, दरू चार गहूँ।
राज करजो मऽरोऽ भाऊ।
दरना मऽ दरू, दरू मऽ कनकी पीट
मऽराऽ माहेर को मुंग्या जीट।।
पंढरपुर की विðल रूखमाई
फुतरी डोरा मऽ दिखाई।।
रूखमाई ते आँगन मऽ
पानी भरय वा राँजन मऽ
दूरऽ सी देखू मऽ मऽराऽ भाई की चाल
डाया हाथ मऽ दिखाय झोला, लाल-लाल।।
कारी ओ खुकड़ी पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कारी ओ खुकड़ी
तोनऽ ओसरी ओ ऊखड़ी
कारी ओ कोयल
देय जहेर का बोल
धीरू चलो ओ मीठी बाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
धीरू चलो ओ मीठी बाई
धीरू चल ओ मीठी बाई
मऽरोऽ फिर खऽ आनो नी होय...
घर को सराओ सारवन्न पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
घर को सराओ सारवन्न
होय घर को साजरो पन्न।
एनी अस्तोरी को है वो गुन्न
राजा भया ओ माया जन्न।।
एनी अस्तोरी का है वो पाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
एनी अस्तोरी का है वो पाई
राजा भया वो गुसाई।।
पायऽ मऽ हय ओ पायजन पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
पायऽ मऽ हय ओ पायजन
नाति खेलऽ हय माय्हजन।
एना फागुन का महीना मऽ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
एना फागुन का महीना मऽ
परसा का आया ओ फुल्ल
बेटी को देखनूँ हय दुल्ल।।
छीता पर सासर वास मत करय ओ माय पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
छीता पर सासर वास मत करय ओ माय
माथा अपनो राम हय खड़ो
लायी या पर की छीता
एपऽ करय मत अनीता
मखऽ मरन देजो पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मखऽ मरन देजो
एना देवास्या की ओसारी मऽ
निरी सोन्ना भरी गरसोरी मऽ
सोन्ना भरीऽ गरसोरी मऽ
मऽरीऽ माय हय ओ हीरा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मऽरीऽ माय हय ओ हीरा।
कसी बी बान्धू मऽ जूड़ा।।
मऽरीऽ माय का हय ओ ज्ञानी।
दुसरा की नहाय कुई शानी।।
मऽरोऽ जवाई पाटिल पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मऽरोऽ जवाई पाटिल
ओ की माय को किसनदेवऽ।
सारजा कुकू लेव
मऽरोऽ जवाई माय्हजन
ओ की माय को इंदल
मऽरीऽ सारजा सुंदर।।
दरना दरूऽ बाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
दरना दरूऽ बाई
बाई दरूऽते कू कू मैन्दा
बन्दु जेवय मऽरो गोविन्दा।
दरना दरूऽ बाई
दरू ते आड़ा-फाड़ा
जेवय मऽरोऽ गयबी लाड़ा।।
क्रिया-कलाप के गीत / भाग - 1 पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
1
पाट की करी ओ नारी
करीऽ ओ दिलदारी
रूपया मोन्ज्या ओ कलदारी।।
2
पानी पड़य अनुन्नात
बन्ना की भीजय बन्नात।
3
मऽराऽ बन्दुजी की ओ घोड़ी
सरग की हय ओ चिड़ी।।
मऽरा मरनऽ की ओ चिंटी
मऽरा जवाया का ओ हाथी।।
ओनऽ बाँच ली दीया जाती
मैनाऽ रोवय अर्द्धा राती।।
4
बाई गाँव भततर की खारी
एनी खारी का हाय पीक भारी
नारियल दीहे गुनहगारी।
5
पाँढरी की ओ माता मय
पानी सारय ओ मंगरवार।।
6
घरऽ की बहू अन बेटी
पूजा करय ओ दिल भरऽ
मऽराऽ बारा खऽ अच्छो राखजो
7
पाँढरी को हयऽ यू हनुमानऽ
हनुमान ते लट्या धारी।
पानी सारय शनिवारी।।
8
मऽराऽ घरऽ आयो पाव्हना
सयजी पूछय, कोनऽ कोनऽ बाई।
मऽराऽ मैय्या संगऽ ओकी भौजाई।।
9
साधु खऽ साधु पूछय
पंढरपुर केत्ताक दूर
डंका बाजय ओ दिल्ली दरऽ
10
फागुन महीना आयी
होरी एना गाँव का बोहरी
जनवासा धर्यो भारी।।
11
माहेरी जाना साटी
पाय की करी तेजी
रस्ता मऽ बबूर काटी
पाय की चिलंगाठी फाटी।।
12
जीवय रे मऽरोऽ बाण्डो डुण्डो बीरऽ
लेय मखऽ दक्खन को चीरऽ
13
आनऽ ओ माता मऽरीऽ
पूरी ओ तोरी आशा
जाय ओ जताम सोहर बासा
रात को पहर्यो कूकू को लोर्यो
दिनऽख पहर्यो सोहर वासा।।
13
माता-माय करजो तू किरपा
होय रह्यो जीवन हमरो झिलपा।
झल्दी-झल्दी साराजो तू कामऽ
रोज हम लेवा तोरो नामऽ
14
लगाया झाड़, खेत मऽ आम्बा
चरऽ गयो बईल ऊ जाम्बा
बरसाल्या बी ध्यान नी राखत
ढोर हन् नऽ खाया सारा खेत।।
15
आदमी पूछय कहाँ गयो झाड़ऽ
झूठ-मूट बताऊ मऽ बाड़ मऽ
बागुड़ मऽ लग गई आगऽ
जल गया आम्बा का झाडऽ
16
गुलजी बाई झुर-झुर मरी
ओकी पोरी पन्ना संगऽ भगरी।
रात मऽ काटू मऽ ते गेहूँ
कथा इनकी कभीच् नी सरी।।
17
तुरसी आबऽ हो गई आलसी
तुरजा जलम भरऽ तरसी।।
इथराय केत्तो ऊ पदर्या
माय-बाप दुही हय हगर्या
पोर्या समझय लाट साहब आफुन खऽ
पयसा नी पास जहेर फाकन खऽ
18
नी कटत मऽसी गहूँ
मऽ केत्तिक आफत सहूँ।
जेठ मऽरोऽ बड़ो अयबी
मारन दौड़य उ गयबी
कहाँ तक ओका जुलम सहूँ।।
19
मऽ राण्डवा भई तबसी।
घरवाला हो गया हवसी।।
ईसर काहे चढ़वय हरदी।
उठाय ले मखऽ झल्दी
यूँ सवसार बन्यो नी नंगत
आदमी देय ऽ सदा दरदी।।
क्रिया-कलाप के गीत / भाग - 2 पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
20
गाँव का सारा हय कठोर
गुड़-रस खाना मऽ चटोर
काटय वी मेहरूज का जसा
पानी बी माँगत नी चकोर।।
21
एनी गल्ली मऽ कोकी ते लाशऽ
बड़ी रही बसात कई रातऽ
गाँव का नटखट हय पोर्या
सुदबंग एक नी सडोर्या।।
22
एक कोठड़ी खऽ केत्ताक मऽ बाटा
गरीबी मऽ होय गिल्लो आटा
उतर्या ओकी अमीरी का छिल्पा
घर में होया आधा दर्जन पिल्का।।
23
गाँव को नाश करय नाशक
सीदा-बी बन रह्या घातक
गुलाम हन् खऽ आवत नी लाज
पोरी पारी साटी वी हय बाज।।
24
गवलिन का घरमऽ वी घुसय
सकुनि का बाप आरू बेटा।
लाज कसी आवत नी उनखऽ
अण्डा जसा गन्ध्या वी लमेटा
25
सवत मरीऽ घुसय आँगन बाड़ी
दूसरा की बननू चाव्हय लाड़ी
केत्तिक खैचय वा जोबन गाड़ी
हो जाहे कुई दिन सामनऽ थाड़ी।।
26
ननद मऽरीऽ बिच्छु जसी चाबय
लोग खऽ खबूदर जसी दाबय
कसी ओकी माय नऽ जनी
ननद मऽरीऽ जरा सी नी गुनी।।
27
राम राया कौशल्या को पूत
अवध का राजा को सपूत।।
महाबीर अंजनी को पूत
लंका जाय बन गयो दूत।।
लछमन सुमित्रा को लाल
जानकी को देवरऽ गोपाल
28
आई, बाई बारा की यादऽ
झूलना मऽ सोयी हय सादऽ
मऽरो ते एकच हाय लाल
दूध सी लाल ओका गाल
मानसी देत नी ध्यानऽ
पकड्या वा पोर्या को कानऽ
दूध-रोटी रोज ऊ माँगय
कहाँ सी लाऊ सवत डांटय।।
इन्दल देव, एत्ती देजो बरखा
चलय हमरी जिनगी को चरखा
किरसान का खेत जेत्ता पक्हे
सौसार वाला रहे ओता हरखा।।
लौंदड़ बड़ी हटेलू पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
लौंदड़ बड़ी हटेलू
या चम्फा घाट घटेलू
या लौंदड़ बड़ी रे हटेलू।।
या चम्फा करत नहाय रे
या लौंदड़ बधत नहाय रे।।
हमरा भैया का आँगन
इमली को झाड़
वा ते करना दारी
चहेंगी छेण्डा डार
ओ ओ घंगरा ते ज्यू
अटक्यों बीचऽ डार
दारी का जीवन का जोबनऽ
हो गया चिन्धा चार
ओ का घर को सैय्या
गयो बनवास
दारी का पोर्यापारी
हो गया दानो दानऽ
सज्जन की जुईया, साजन की जुईया पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
सज्जन की जुईया, साजन की जुईया
सब सजन मिल घेरऽ ले ओ रे
घेर लेओ दारी खऽ घेर लेओ दारी खऽ
ले चलो दारी खऽ रंग महल मऽ
पीहू पुकारै पीहू पुकारै पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
पीहू पुकारै पीहू पुकारै
आठज कमलिया आठज कमलिया
ओढ़अ लेजो न्याल्ही तोषक रे।।
अलोपी की करना अलोपी की करना
सब सजन मिल घेरऽ लेओ रे।।
कोन राय को बिछुआ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कोन राय को बिछुआ
कोका डाण्डा मऽ जाय रे
आग लगी बाग दरीयाव सी
मऽरोऽ नान्हो सा।।
मऽराऽ भैया को बिछवा
लाल बिछवा
बहिन का डाण्डा मऽ जाय
मऽरोऽ नान्हो सा।।
बहिनऽ ख चाबी पेंदड़ मऽ
डेहर डेहर हिण्डरायी
मऽरो नान्हो सा।।
कोनऽ सहेर को गारोड़ी पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कोनऽ सहेर को गारोड़ी
लायो ओ गारोड़ी
रोढा गाँव को गारोड़ी
बिच्छू की लहर उतार
मऽरोऽ नान्हो सा।।
गढ़ा सी आई गढ़ पाव्हनीन पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
गढ़ा सी आई गढ़ पाव्हनीन
वा गढ़ा सी आई गढ़ पाव्हनीन
ओका भैया खऽ लायो साथ, लल्ला
रात मऽ तारा रघु- मैल्या।
वा कसी चलय चाल, लल्ला
रात मऽ तारा रघु मैल्या।।
वा ठुमकत चलय चाल, लल्ला
रात मऽ तारा रघु मैल्या।।
तोरा कोन सा खसम को गाँव, लल्ला
रात मऽ तारा रघु मैल्या।।
ओका मुन्ना खसम को गाँव, लल्ला
रात मऽ तारा रघु मैल्या।।
ओकी थर-थर कापय पिण्डी
ओकी कमर लहुरिया लेय, लल्ला
रात मऽ तारा रघु- मैल्या।।
गढ़ा सी आई गढ़ पाव्हनीन
ओका भैया खऽ लायो साथ लल्ला
रात मऽ तारा रघु- मैल्या।।
दूर-दूर सी आयो रे लाड़ा धूरऽ -भर्या पाय रे पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
दूर-दूर सी आयो रे लाड़ा धूरऽ -भर्या पाय रे
बुला तोरी बहिन खऽ ते धोहे तोरा पाय रे
बुला तोरी छाया खऽ धोहे तोरा पाय रे
दूर-दूर सी आयो रे लाड़ा धूर- भर्या पाय रे
हमरा भैय्या आँगन रे शोभा बढ़ै बिसन देव पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
हमरा भैय्या आँगन रे शोभा बढ़ै बिसन देव।
ऊ कौन सो भड़वा रे देखन आयो बिसन देवा।।
ऊ देखता-देखता रे का हो हार्यो बिसन देवा।
ऊ देखता-देखता रे, बहनी हारी बिसन देवा।।
ब्रह्मा सरीको रे पोर्या हार्यो बिसन देवा।
पोर्या सरीको रे गोदड़या हार्यो बिसन देवा।।
असो मनीराम आलसी, बिना माँग को आयो पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
असो मनीराम आलसी, बिना माँग को आयो
माँग बाप कय्ह लेतो, माँग लेय खऽ आतो
असो मनीराम आलसी, बिना पान को आयो
बरई बाप कय्ह लेतो, पान लेय खऽ आतो।।
असो मनीराम आलसी, बिना बतेसा को आयो।
बनिया बाप कय्ह लेतो, बतेसा लेय खऽ आतो।।
मुन्ना झोटिंगड़ल्या पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मुन्ना झोटिंगड़ल्या
तोनअ् थोड़ी शक्कर बाटी रे मुन्ना झोटिंगड़ल्या
तोनअ् थोड़ा पैसा बचाया रे मुन्ना झोटिंगड़ल्या
तोनअ् एक-एक पान बाट्या रे मुन्ना झोटिंगड़ल्या
तोनअ् बेला खऽ बेसर घड़ाई रे मुन्ना झोटिंगड़ल्या।।
राधा तोरा घरऽ आया मिजवान पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
राधा तोरा घरऽ आया मिजवान
हमरा आदर करना गे।
तोरी जांघ जबरदस्त, हमराबईल बँधेंगे।।
तोरी नागझिरी का पानी
हमरा बईल पियेंगे।।
तोरा फाटक पऽ दूध
हमरा बईल चरेंगे।।
समधन तोराऽ घरऽ आया मिजवान
हमरा आदर करना गे।।
हमरा मुन्ना आँगन इमली को झाड़ऽ ते पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
हमरा मुन्ना आँगन इमली को झाड़ऽ ते
बड़ी मिठी इमली ओ।।
वा ते बेला दारी चयढ़ी छेला डारऽ ते
बड़ी मीठी इमली ओ।।
ओको लहँगा जो अटक्यों बीच डारऽ ते
बड़ी मीठी इमली ओ।।
ओका लहँगा का हो गया चिंधाचार ते
बड़ी मीठी इमली ओ।।
ओका घर को सैंया गयो रे बन-वास ते
बड़ी मीठी इमली ओ।।
ओका पोर्या पारी हो गया दानो-दान ते
बड़ी मीठी इमली ओ।।
कौड़ीवाला कौड़ी वाला पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कौड़ीवाला कौड़ी वाला
उतर्या बड़ की छाय लला
रूप कारा बईल परऽ समदिन बठी
हाथ मऽ लम्बो दोर लला
कौड़ी वाला नऽ ले भागी
उ समदी ठोकय पेट लला
कौड़ी वाला कौड़ी वाला
उतर्या बड़ की छाय लला
तुम चल्या समदी तुम चल्या पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
तुम चल्या समदी तुम चल्या
तुम ते नाचतऽ चल्या।
हात मऽ दोना ले चल्या रे
तुम पातर चाटत चल्या
तुम चल्या श्री किसन तुमऽ चल्या
तुम ते नाचतऽ चल्या।
हात मऽ दोना ले चल्या रे
तुम पातर चाटत चल्या
तुम चल्या रमेश देव तुम चल्या।।
तुम ते नाचतऽ चल्या।
हात मऽ दोना ले चल्या रे
तुम पातर चाटत चल्या
समदी चल्या रिसियाय हम सी राम-राम लेअ् लो पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
समदी चल्या रिसियाय हम सी राम-राम लेअ् लो
ओ की बहिन सी करा सलाम हम सी राम-राम लेऽ लो
समदी चल्या रिसियाय हम सी राम-राम लेऽ लो
ओकी रनिया सी करा सलाम हम सी राम-राम लेऽ लो
समदी चल्या रिसियाय हम सी राम-राम लेऽ लो।।
वा ते समदिन कव्हय, मऽ मायका जाऊ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
वा ते समदिन कव्हय, मऽ मायका जाऊ
ते कोखऽ साथ लगाऊ मोरे लाल
असो हमरो भैया चतुर सुजान
ते ओकाच् साथ लगाऊ मोरे लाल
दारी खऽ ले चलो जंगल-जंगल
तेन्दू चार खिलाहूँ, मोरे लाल
ओखऽ ले चलो बड़ की छाय
ते झटक चादरा बिछाहूँ मोरे लाल
दारी उस्या रख्यो श्रीरंग पाल
ते पायतन रख्या चोलना बे लाल
दारी को झटक लियो श्रीरंगपाल
ते लटक रह्यो चोलना बे लाल
वा ते समदिन कव्हय मऽ मायका जाऊ
ते कोखऽ साथ लगाऊ, मोरे लाल
हरी (हिरवी) हरी चोच को, हरो हरो मुरगा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
हरी (हिरवी) हरी चोच को, हरो हरो मुरगा
पानी पेनऽ (पिवन) खऽ नहीं नरबदा।।
बसन खऽ रामटेक जाय ते
रहियो साजन मंदो बारो रे
बाट-बाट रे कि बोयो चना, अड़बाट रे कि बोई मसूर।
नान्हाज् बड़ा साजनबठ्या, बठ्या बड़ा हताई रे पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
नान्हाज् बड़ा साजनबठ्या, बठ्या बड़ा हताई रे
ओमऽ बठ्यो समदी गण्डिया बहुत करय बड़ाई रे।।
धोतीज छोड़ी ओनऽली चवड़ मास बहुत भई हसाई रे
रोंढा गांव की नन्दी मऽते किच्चड़ बह्या, बही गाय रे।।
नान्हाज बड़ा साजन बठ्या बठ्या बड़ा हताई रे।।
ऊँ ते समदी आयो देड़ दमड़ी को पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
ऊँ ते समदी आयो देड़ दमड़ी को
फुटी कौड़ी को।।
हमरो पलंग बन्यो हाय पाँ रूपया को
तोनऽ तड़प लायो देड़ दमड़ी को
फुटी कौड़ी को।।
हमरो पलंग बन्यो हाय पाँ रूपया को
तोनऽ तड़प लायो देड़ दमड़ी को
फुटी कौड़ी को।।
हमरो पलंग बन्यो हय पाँच रूपया को।।
आवा लिखु आवरी पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
आवा लिखु आवरी
सुआ लिखु ओ मोर
समदिन तोरा गे कारण
जाग्या सारीऽ रात
आवा लिखु ओ आवरी
सुआ लिखु ओ मोर।।
आऊर लिखु गे कारन
आऊर जाग्या सारी रात।।
आवा लिखु ओ आवरी।।
सुआ लिख ओ मोर।।
समदिन तोरा कारण
जाग्या सारी रात।।
कारी-कलैया दारी अलसी को तेल पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कारी-कलैया दारी अलसी को तेल
मनऽ जानी थी वा ते, आई गई बेला दारी।
ओनऽ पेअऽ गयो तेल, बात मनऽ जानी थी
दारी न पेय ऽ लियो तेल, दारी को आय गयो पेट
बात मनऽ जानी थी
घर को सैंय्या पूछय रण्डी, कोको लायो पेटऽ
बात मनऽ जानी थी
कोन राय बोवय जोंधरी, मऽरोऽ साँवरिया ओ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कोन राय बोवय जोंधरी, मऽरोऽ साँवरिया ओ
कोन दारी राखन जाय मऽरीऽ साँवरिया ओ
भैय्या राय बोवय जोन्धरी मऽरोऽ साँवरिया हो
समदन दारी राखन जाय मऽरीऽ साँवरिया ओ
अच्छी राखजो जोंधरी मऽरी साँवरिया ओ
चिड़िया चुन-चुन खाय मऽरीऽ साँवरिया ओ
चिड़िया चुन-चुन खाय मऽरीऽ साँवरिया ओ
अच्छी मारजो गोफन मऽरीऽ साँवरिया ओ
चिड़िया उड़-उड़ जाय।
असीऽ फेरजो गोफन, मऽरीऽ साँवरिया ओ
गोफन गरज-गरज रह्य जाय मऽरी साँवरिया ओ
गोफन गरज-गरज रह्य जाय मऽरी साँवरिया ओ।।
कोन दारी राखन जाय, मऽरी साँवरिया ओ
कोन राय बोवय जोंधरी, मऽरी साँवरिया ओ।।
एनी हबेली मऽ दुहिरा-दुहिरा खम्ब ते पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
एनी हबेली मऽ दुहिरा-दुहिरा खम्ब ते
खामिन-खामिन दिवल्या जलय रे।। एनी...
एनी हबेली मऽ कोनती रव्हय नार ते
खामिन-खामिन दिवल्या जलय रे।। एनी...
एनी हबेली मऽ समदीन नारऽ ते
खामिन-खामिन दिवल्या जलय रे।। एनी...
ओकी टिकली की बड़ी रे जगा-जोत ते
खामिन-खामिन दिवल्या जलय रे।। एनी...
ओकी बिछिया की बड़ी रे इन्कार रे
खामिन-खामिन दिवल्या जलय रे।। एनी...
कहाँ से आयो लखेरा रे, जमुदरिया के बाबा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कहाँ से आयो लखेरा रे, जमुदरिया के बाबा
जैपुर सी आयो लखेरा रे जमुदरिया के बाबा
हरी पीली चूड़ियाँ लायो रे जमुदरिया के बाबा
ओनी समदिन खऽ चूड़ी पेहराजो रे जमुदरिया के बाबा
ओनी समदिन को हाथ गठीलो रे जमुदरिया के बाबा
दारी खऽ दचड़-दचड़ पटक-पटक चूड़ी पेहराओ रे
जमुदरिया के बाबा
कहाँ सी आयो लखेरो रे, जमुदरिया के बाबा
दायजा, बायजा, भुरसो-फट्ट, हिरवो कच्च पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
दायजा, बायजा, भुरसो-फट्ट, हिरवो कच्च
तुरजा, सयजी, कारो किट्ट, फिक्को फट्ट
एक-एक घुँघरू ओना चन्दू का पाय मऽ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
एक-एक घुँघरू ओना चन्दू का पाय मऽ
एक-एक घुँघरू ओना चन्दू का पाय मऽ
रमकत-झमकत पनिया ख जाय रे
घघरी जो फूटी साले कुँवन का माझ मऽ
घनघड़ी जो अटकी साले मूछ हन का बाल मऽ
ठिनकत-ठिनकत बहिनी कोरा जाओ रे।
कोनऽ तोखऽ मार्यो खड़का पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कोनऽ तोखऽ मार्यो खड़का
कोनऽ तोखऽ दी हय गाली रे
रोंढा गाँव का लोग माय्हजन
लात अन् घुस्सा मार्या रे।।
ओना मुन्ना का घर मऽ घुम्मर गाय पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
ओना मुन्ना का घर मऽ घुम्मर गाय
भल्ले भाई भल्ले
उ ते दोय्हनी ले ले दुहन खअ् जाय
भल्ले भाई भल्ले
मार दियो लात ते तोड़ऽ दियो दाँत।
भल्ले भाई भल्ले
डेहरी परऽ बठ खऽ रोवय ओकी नार
भल्ले भाई भल्ले
आब काहे रोवय मऽरीऽ अबला नार
भल्ले भाई भल्ले
पैसा काल देहूॅ सोलह यार
भल्ले भाई भल्ले
ओना मुन्ना का घर मऽ घूम्मर गाय
भल्ले भाई भल्ले
कारा खेत मऽ समदन खऽ पटको पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कारा खेत मऽ समदन खऽ पटको, लश्कर केत्ताक दूर।
ते रहियो साजन मन्दो बारो रे
हरी-हरी चोच को हरो-हरो मुरगा
पानी पेनऽ (पिवन) खऽ नद्दी नरबदा।।
छोटो मोटो मेहन्दी को झाड़ पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
छोटो मोटो मेहन्दी को झाड़
वहाँ ते समदिन थाड़ी।।
मार्यो मार्यो मुन्ना राय
गेन्द हिवड़ बीच जाय लगी।।
खोटो रूपैया दारी हाथ
दगा रे दियो भारी
दगा रे दियो भारी।।
अंगिया हय कमर कटार
जोबर दारी को भारी।।
लहंगा हाय लाल गुलाल
सरस रंग लाल साड़ी।।
यू चम्फा घाट घटेलो रे पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
यू चम्फा घाट घटेलो रे
या लौन्दड़ बड़ी हटेलू रे
यू चम्फा कटत नहीं रे
या लौन्दड़ बधत नहीं रे
बुला तोरी बहिन खऽ ते धोहे तोरा पाय रे पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
बुला तोरी बहिन खऽ ते धोहे तोरा पाय रे
हीरा बेटा ली जा दारी, नाम हजारी रखा ले
तू हा- हा हारी
सोने की चिड़िया बोले चूं।।
दूर-दूर सी आयी ओ समधन,
बड़ निच्च्अ् उतर जा तू हॉ- हॉ हारी
सोन्ने की चिड़िया बोले चू।।
कहाँ सी मंगत ऊबज्यो रे भाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
कहाँ सी मंगत ऊबज्यो रे भाई
कहाँ लियो रे अवतार रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।। कहाँ सी...
सरग सी मंगत ऊबज्यो रे भाई
धरती लियो अवतार रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।। कहाँ सी...
मंगत की माय नऽ माँडा पोयो रे भाई
मंडल नऽ दी झकाझोर रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।। कहाँ सी...
मंडल नऽ दी झकाझोर रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।। कहाँ सी...
धरतीज फोड़ी ओनऽ चूल्हा डाल्यो रे भाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
धरतीज फोड़ी ओनऽ चूल्हा डाल्यो रे भाई
अंगार दी सिलगाय रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
बार फोड्यो ओनऽ कड़ल्या कर्यो रे भाई
माण्डा दियो ओनऽ पोय, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
चंदन धोर्यो ओनऽ कढ़ी करी रे भाई
लऊँग हन को दियो, बघार, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
नकसुल्या चाऊर की खीर बनाई रे भाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
नकसुल्या चाऊर की खीर बनाई रे भाई
हररिया मुंगन की दार, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
बड़ाज बनाया ओनऽ चाकी सा रे भाई
स्वारी रे पुन्नो को चाँद रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
घीव ज्यू तपायो ओनऽ आकरो रे भाई
बिजोड़ो दे रे भाई।।
गाँव-गाँव का नाई बुलाओ रे भाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
गाँव-गाँव का नाई बुलाओ रे भाई
मंगत की मर्दन होय, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
आठ घड़ा पानी तप रह्यो रे भाई
नव घड़ा समनऽ होय, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
गाँवच गाँव की सखियाँ बुलाओ रे भाई
मंगत की आंग धोनी होय, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
न्याहो धोयो मंगत थाड़ो भयो रे भाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
न्याहो धोयो मंगत थाड़ो भयो रे भाई
लग्या रे सूरज का पाय रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
सूरज देवता तुम बड़े रे भाई
तुमसे बड़ा रे न हो कोय रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
कहाँ धर्या माय कपड़ा रे भाई
कहाँ धरी सिर की पाग रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
सूना चल्या ओका बजीतर रे भाई
उदास चल्या ओकी नगरी का लोग रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
गुण्डात्या चल्या ओका निशान रे भाई
उदास चली जोड़ा मोर रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
गल्ली मऽ थाड़ी ओकी माता पूछय रे भाई
मऽरोऽ मंगत केत्ताक दूरऽ रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
मऽरोऽ मंगत मऽरोऽ मंगत काहे करय माय पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मऽरोऽ मंगत मऽरोऽ मंगत काहे करय माय
तोरो मंगत गयो रन जूझ रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
आँगना थाड़ी ओकी बहिन पूछय रे भाई
मऽरोऽ वीर केत्ताकऽ रे दूर रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
मऽरोऽ बीरा, मऽरो बीरा, काहे करय बहिन
तोरोऽ बीरा गयो रन जूझ रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
ओसरी मऽ थाड़ी ओ की रनिया पूछय रे भाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
ओसरी मऽ थाड़ी ओ की रनिया पूछय रे भाई
मऽरोऽ स्वामी केत्ताकऽ दूर रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
मऽरोऽ स्वामी मऽरोऽ काहे करय रानी रे भाई
तोरो स्वामी गयो रन जूझ रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
मायज रोहे ओकी जलम जुग रे भाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मायज रोहे ओकी जलम जुग रे भाई
बहिन रोवय सत बार, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
बता वीरन को देश बनदेवा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
बता वीरन को देश बनदेवा
नहीं दवड़ी नहीं कोण्डरी
बता बीरन को देस बनदेवा।।
मखज का पूदय मऽरीऽ बैन्दोली
अगल्या गायकी खऽ पूछऽ
गाय चरन्ता गायकी रे
बता मऽराऽ बीरनऽ को देस बनदेवा।।
मखज का पूछय मऽरीऽ बैन्दोली पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मखज का पूछय मऽरीऽ बैन्दोली
छेना बिनती लछमी खऽ पूछ
छेना बिनती लक्ष्मी ओ
बता मऽरोऽ बीरन को देश ओ बनदेवा।।
मखज का पूदय मऽरी बैन्दोली पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मखज का पूदय मऽरी बैन्दोली
अगली पन्ह्यारिन खऽ पूछ
पानी भरती पन्हयारिन ओ
बता मऽरोऽ बीरन को देश ओ बनदेवा।।
मखज का पूछय मऽरी बैन्दोली पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मखज का पूछय मऽरी बैन्दोली
अगली गल्ली झाड़ता खऽ पूछ
गल्ली झाड़ती डोकरी ओ
बता मऽरोऽ बीरन को देश ओ बनदेवा।।
बता मऽरा बीरनऽ को द्वार रे बनदेवा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
बता मऽरा बीरनऽ को द्वार रे बनदेवा
गौवा चराऊ मखऽ नींद नी आवय।।
आम-शाम की झोपड़ी
सूर्या मुख द्वार रे बन देवा
गौवा चराऊ मखऽ नींद नी आवय।।
झटका सी दीयों पानी रे बनदेवा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
झटका सी दीयों पानी रे बनदेवा
चिमटन लग्या पाय रे बनदेवा
गौवा चराऊं मखऽ नींद नी आवत
नसानी दीन्ही कोद्य बन देवा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
नसानी दीन्ही कोद्य बन देवा
फनफनायी दीन्ही दार रे बन देवा
गौवा चराऊ मखऽ नींद नी आवत
आँगन मऽ फेकू कोदय बनदेवा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
आँगन मऽ फेकू कोदय बनदेवा
गल्ली बहाऊ दार रे बनदेवा
गौवा चराऊ मखऽ नींद नी आवत
बता मराऽ बीरन मखऽ द्वार रे बन देवा।।
फाटी सी दीन्ही गोदड़ी रे बनदेवा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
फाटी सी दीन्ही गोदड़ी रे बनदेवा
टूटी सी दीन्ही खाटऽ रे बनदेवा
गाँवा चराऊ मखऽ नींद नी आवत।।
घूड़ा परऽ फेंकू गोदड़ी रे बनदेवा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
घूड़ा परऽ फेंकू गोदड़ी रे बनदेवा
बाड़ मऽ फेंकू खाट रे बनदेवा
गौवा चराऽ मखऽ नींद नी आवत।।
जंगल की होऊं हरनोली बनदेवा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
जंगल की होऊं हरनोली बनदेवा
चरू बीरन को खेत रे बनदेवा
गौवा चराऊं मखऽ नींद नी आवत।।
उड़न की होऊं माखोली बनदेवा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
उड़न की होऊं माखोली बनदेवा
जेंहु बीरन का साथ रे बनदेवा
गौवा चराऊं मखऽ नींद नी आवत।।
मरघट की होऊँ डाकिन रे बनदेवा पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मरघट की होऊँ डाकिन रे बनदेवा
बठू भौजी की कोख रे बनदेवा
गौवा चराऊं मखऽ नींद नी आवत।।
पहेलियाँ / भाग - 1 पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
घन पऽघन बत्तीस घन
कभी नी कटत बाबुर बन
उत्तर- छाया
ओंढ़ो कुआ, मोंढ़ो पानी।
ओमऽ नाचय छम-छम रानी।।
उत्तर- रई, मथनी
सर सराटा, ऊप्पर काटा।
ज्यू जी जीत्हे ओको बाप मराठा।
उत्तर- गल
कारी थी कजरारी थी, काले वन में रहती थी
चट्टक चुम्मा लेती थी, लाल पानी पीती थी
उत्तर- जूँ
कारी-गाय काटा खाय।
पानी खऽ देख-देख चमकत जाय।
उत्तर- जूता
पाँच भाई पाँच रंग
सालू बान्धय एक संग।
उत्तर- गन्ने का भीड़ा
एक बाप की दो बेटी, रमकु झमकु नाव
एक खाय खोपरा, दूसरी बाट खऽ खाय।
उत्तर- तराजू
काटय ते कटत नी
मारय ते मरत नी।
उत्तर- परछाई (छाया)
चार घड़ा अमृत सी भर्या
बिन ढकनी की उघड़ा पड़्या।
उत्तर- गाय के स्तन
राजा को बेटा छल्ली
घर फोड़ निकल्यो गल्ली।
उत्तर- धुआँ
हाट गई बाजार गई
लाल मूँगा दाब गई।
उत्तर- चूल्हे की आग
लच-लच लकड़ी टेक्या नहीं जाय
नार्या डखर रह्यो बोल्या नहीं जाय।
उत्तर- साँप
आड़ी-तेढ़ी बाँसरी बजावन वालो कोनऽ
दुरगा चली मायके, मनावन वालो कोनऽ।
उत्तर- नदी
घाम मऽ सुकत नी, छाय मऽ सुक जाय
बता का चीज आय, पवन लगय मर जाय।
उत्तर- पसीना (पस्या)
ऊप्पर सी गई, उगी दुगी
नीच्चऽ सी आई गाल फूगी।
उत्तर- पूड़ी (स्वारी) या रोटी
चार भाई रौन्दन-खौन्दन
दो भाई छुरी का बंधन
एक भाई मक्खी उड़ान्या।
उत्तर- पशु के चार पैर, दो सींग, एक पूंछ
झन्नाऊर बिन्नाऊर
बिन फोतला का चाऊर।
उत्तर- आकाश से गिरने वाली बर्फ (गार)
चार खूट चौलख तारा
ओमअ् हीण्डय दो बंजारा।
उत्तर- चार दिशाएँ व चाँद-सूरज
आवजी, सावजी
बिन डेठ को लिम्बू लावजी।
उत्तर- अण्डा
कोन पखेरू को नाव बतावय
दिन मऽ सोवय रात मऽ जागय।
उत्तर- चमगीदड़ (बन बागुर)
छोटी सी बितनी, काम करय कितनी
एक कहावत है-
जहाँ काम आये सुई, कहाँ करे तलवार।
उत्तर- सुई
एक सिंगी गाय
सब मुलुक को मार खाय।
उत्तर- घट्टी (चक्की)
नान्ही सी डब्बी मऽ
हाय-हाय का बीजा।
उत्तर- सूखी मिर्च।
एक अचम्भा हमनऽ देख्यो
कुआँ मऽ लग गई आग।
पानी-पानी जल गयो
मच्छी खेलय फाग।
उत्तर- चिलम।
बालपन मऽ कारा-कारा
जवानी मऽ लालम लाल
स्यानापन मऽ रंग जमावय
बुड्ढापन मऽ बकरी को कान।
उत्तर- पलाश के फूल
सिरपुर को राजा, कानपुर मऽ भाग्यो
हतपुर मऽ पकड़्यो, नखपुर मऽ मार्यो।
उत्तर- जूँ (जीव)
बाटी भर राई, घर-भर फैलाई।
उत्तर- तारे
एक थाल मोती से भरा
सबके सिर पर उल्टा धरा।
बताओ नऽ बाई
या आई वा गई।
उत्तर- दृष्टि (नजर)
काकी का ते कान हय
काका का कानच नहाय।
उत्तर- कढ़ाई/तवा
हात सी छूटी
भोबाय उठी।
उत्तर- परात (ठाठी)
चार भाई चार रंग
फूल खिलय एक रंग
उत्तर- पान के पत्ते, पान से ओठ लाल होना
पहेलियाँ / भाग - 2 पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
मउ् कटू तू काहे रोवय।।
उत्तर- प्याज
चल चल भई
पसर गई।
उत्तर- झाडू (बाय्हरी)
नान्ही सी कोठरी मऽ
कुट्टन डोकरी।
उत्तर- जीभ
बिन पानी को महल बनायो
कारीगर नऽ कसो सजायो।
उत्तर- चींटियों का घर (बमिठा)
छोटो सो पोर्या सालू बाँध-बाँध नाचय।
उत्तर- ढेरा
औरस चौरस सव-सव खूटा
गाय मरखण्डी, दूध देय मीठा।
उत्तर- मधुमक्खी का छत्ता।
नान्हो सो फकीर
ओका पेट मऽ लकीर।
उत्तर- गेहूँ (गहूँ)
ठाटी भरऽ पयसा,
न तोसी गिनाय नी मऽसी गिनाय।
उत्तर- आकाश के तारे
नान्ही सी डब्बी मऽ डब-डब आँसू।
उत्तर- आँख
नान्ही सी फण्डकुल, फड़कत जाय
सौ-सौ अण्डा, देत जाय।
उत्तर- कंघी (फनी)
गाय चरय, दूध पड़य।
उत्तर- आटा चक्की
सूका कुँआ मऽ सेर नर्राय
उत्तर- मेंढक
ओंढो कुँआ मऽ भोंडो पानी
ओमऽ नाचय छम-छम रानी।
उत्तर- मेंढक।
बाप मोटो सो, बेटा पोलो सो
नाति गुड़धु सो।
उत्तर- महुआ, टोपरा, गुल्ली
कटोरा मऽ कटोरा
बेटा बाप से गोरा।
उत्तर- नारियल
हरनी भागय दूध बगरय।
उत्तर- आटा चक्की
बाबा सोवय एनाअ् घर मऽ
पाय पसारय ओना घरअ् मऽ।
उत्तर- दीपक।
एक आयो भाट ओनऽ बूनी नारंगी खाट
बुननऽ खऽ बुन ली उकलता नी बनी।
उत्तर- रांगोली (चउक)
एक मंदिर मऽ तीस देव।
उत्तर- दाँत
एक कोठड़ी मऽ बत्तीस झना।
उत्तर- दाँत
एक आड़ा की झोपड़ी मऽ
नव लख गाय समाय।
उत्तर- मधुमक्खी का छाता (छत्ता)
श्रीधर लटक्यो, चुन्धी धर पटक्यो।
उत्तर- श्रीफल (नारियल)
बारी हती तब हरी हती
जवानी मऽ लाल गुलाल।
उत्तर- मिर्च
पाठा पऽ जनी भूरी भईस
ओको दूध अकारत जाय।
उत्तर- मेंढक
गणित की कय्हनी
बाप बेटा दो, रोटी बनाई तीन
सबनऽ बराबर-बराबर खाई।
उत्तर- दो पुत्र, एक पिता (तीन)
तीन बड़ा छः झनी नऽ खाया
आऊर एक-एक खाया।
उत्तर- सास-बहू, माँ-बेटी और ननद-भाऊज (भाभी)
सास-बहू में = माँ और भौजाई एक पात्र है।
माँ और बेटी में = बहू तथा ननद है।
और ननद और भौजाई में = बेटी तथा बहू है।
बारा आया पाव्हना, रोटी रान्धी एक
घास-घास सब नऽ खाई,रह्य गई एक की एक।
उत्तर- वृक्ष का तना।
सबका पहले मऽ भयो, मऽराऽ पाछअ मऽरीऽ माय
धमा-धमी सी आई मऽ जेकाऽ पाछअ भयो बाप।
उत्तर- दूध, दही, मही, घी
दाढ़ी वालो पोर्या, हाट बजार बिकाय
देव का माथा पऽ चढ़य, एको अरथ बताय।
उत्तर- नारियल
आई-आई सब कव्हय, गई कव्हय नी कोय
आना सी दुख ऊबजय, जारा सी सुख होय।
उत्तर- आँख (डोरा) आना
लाल फूल गुलाब को, झलमल ऊते जिगाय
नी माली घरऽ ऊबजय, नी राजा घरऽ जाय।
उत्तर- सूरज
चिन्धी बान्ध खअ् वा फिरय, माथा आग धराय।
होठ प ओखऽ रखय ते, बुढ्ढा का मनऽ भाय।
उत्तर- चिलम
खेल गीत / भाग - 1 पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
1
चुन-चुन मंगरी, परी-परी तेल
खान स्वारी मीठो तेल
तेल लायो तेली का घर सी
शुरू होयो तब हमरो खेल।।
एक पाय मऽ पहन्यो तोढ़ा
एक पाय मऽ फूलन बेल।।
जारे भाट कढ़ी चाट
कढ़ी को दोना सफाचट।
2
च्याऊ-म्याऊ, गाजर खाऊं
घोड़ी पऽ बठ तू खऽ सवारी कराऊं।
3
नान्ही बाई बड़ी बाई कहां गई थी
कुत्ता की झोपड़ी मऽ सो रही थी
कुत्ता नऽ लात मार्यो रो रही थी।
4
घाम तपय पानी आवय
कोल्ह्या कोल्ह्नि को बीहा होय।।
5
पट्टी पट्टी सुक जा
मऽरी पट्टी फूट जा
लकड़ी की टाँग टूट जा
6
इच्चक दाना बिच्चक दाना
दाना ऊप्पर दाना
शतरंगी पऽ मोर नाचय
राजा हय दीवाना।
7
पापड़ी की तुपड़ी आपड़ी की
पोथी का पान
बेतूल बाजार मऽ डेरा दियो
फुगड़ी दानो दान
8
गोल गोल रानी
एतो एतो पानी
टोंगर्या टोंगर्या पानी
मऽ ते बनू रानी
कम्मर-कम्मर पानी
नदी हय पय्हचानी।।
गराऽ गराऽ पानी
9
कौन बचावय कानी।।
यहाँ पऽ मुस्सर मार्हूँ
यहाँ सी ताला तोड्हुँ
तब निकल्हे यू पानी
गोल गोल रानी।।
10
मऽरीऽ पट्टी सूकऽ जा
कुँआ को पानी कुँआ मऽ जा
नद्दी को पानी नद्दी मऽ जा
मऽरीऽ पट्टी सूक जा
सूक जा रे सूक जा।
11
आम छू दाम छू
इमली की डार छू
काली बदाम छू
आम छू दाम छू
12
बगला बगला दूध दे
मेंढक रानी पानी दे
पानी दे गुड़ धानी दे
बादर बादर पानी दे।
13
या बाई राँधय या जेवन देय
या झाडू लगावय या बर्तन माँजय
या गाड़ी चलावय
गुडु-गुडु गुडु गाड़ा
खेल गीत / भाग - 2 पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
14
आय्हनी, काय्हनी बुद बाय्हनी
राम मऽ गिर्यो पानी
ओकी ऊगी दूब
दूब खायी गधा नऽ
गधा नऽ दी लीद
ओका बनाया चार गागड़ा
तीन गागड़ा सूक गया
एक गागड़ा सुक्योच नी
काहे रे गागड़ा काहे नी सूक्यो
मऽपऽ बच्छा न छायच् छाय करी
काहे रे बच्छा काहे छाय करी
मखऽ गइया नऽ दूध नी पिलायो
काहे ओ गइया काहे नी पिलायो
मखऽ बलकी नऽ चराईच नी
काहे रे बलकी काहे नी चराई
मखऽ पोरी नऽ रोटीच नी दी
काहे ओ पोरी काहे नी दी
मखऽ चाटु मिल्योच् नी
काहे रे चाटु काहे नी मिल्यो
मखऽ पोरी नऽ ढूँढ्योच नी
काहे ओ पोरी का हे नी ढूँढ्यो
मनऽ ढूँढ्यो पर मिल्योज नी।।
15
काय्हनी बुदबाय्हनी
रात खऽ गिर्यो पानी
16
मेण्डक रानी पानी दे
धान कोदो पीकू दे
बगला बगला दूध दे।
17
मूत दे, मूत दे
तोरी गाय दूध दे।
18
दान दे दान दे
लकड़ी को दान दे।
दान दे दान दे
गिल्ली को दान दे।
दान दे दान दे
कौड़ी को दान दे
गुच्चू को दान दे।
दान दे दान दे
मत उल्टो कान दे।
दान दे दान दे
मत उतऽ ध्यान दे।
19
दान- दाँव देना, डोल देना।
कौड़ी- कौड़ी खेल में दान देना।
गुच्चू- पैसे से खेला जाने वाला खेल।
बद्या- जमीन पर बनाया गया छोटा गड्ढा जिसमें पैसे जमा होते हैं।
उल्टो कान- दूसरों की बात को कान लगाकर सुनना।
20
पाछअ देख मार खाहे,
घोड़ा बदाम खाहे।।
21
या बाई रान्धय
या जेवन देय
या झाुडु लगावय
या बर्तन माँजय
या गाड़ा चलावय गुडु... गुडु.... गाड़ा
22
रोन्टी को खेल खोन्टी मऽ
तोरी बकरीऽ को कान टूट जाय।
23
बना को अवधपुरी अवतार
जनकपुर ब्याव्हन जइयो रे।
बना की मैय्या देखय बाट
मना मऽरोऽ कब लख आवय रे।1।
बना का खीसा मऽ को गेंद
बना मऽरोऽ खेलन आवय रे
बना का चन्दा सरिको रूप
सखि सब देखन आवय रे।2।
बना के आंगना फुल गई बेल
कुसुम रंग फीको पड़ गयो रे।
बना को बाबुल हय सरदार,
बना का आघऽ आवय रे।3।
बना का खीसा मऽ को इत्र
बना मऽरोऽ महेकत आवय रे।
बना की मैय्या देखय बाट
बना मऽरो कब लख आवय रे।4।
24
मऽरोऽ बन्ना चल्यो बड़ी घूमऽ सी रे
कुई नऽ का जादू डाल्यो।।
आगऽ डोला उनका बाबुल को रे
पाछऽ मैय्या को म्याना।1।
बीचऽ डोली बालक बन्ना की रे।
मोती झालर वाली
आगऽ डोला उनका काका का रे
पाछअ् काकी को म्याना।2।
बीचऽ डोली बालक बन्ना की रे
मोती झालर वाली।
आगऽ डोला उनके भाई का रे
पाछऽ भाभी का म्याना।3।
बीचऽ डोली बालक बन्ना की रे
मोती झालर वाली
आगऽ डोला उनके बव्हनय का रे
पाछऽ बहिन का म्याना।4।
25
तोरा होठऽ कुम्हलाय रे दुल्हवा बीड़िया बड़ानी रे
कोनऽ पुराहे रे दुल्हवा नागर बेलि पान रे।1।
कोनऽ जो खरच्हे रे दुल्हवा टेटा का दाम रे
तोरा बाबुल जी खरच्हे टेटा का दाम रे।2।
बारी पुराहे रे दुल्हवा नागर बेलि पान रे
तोरा होठऽ कुम्हलाय रे दुल्हवा बीड़िया बड़ानी रे।3।
तोरा काकाजी खरच्हे दुल्हवा टेटा का दाम रे।
कौन पुराहे रे दुल्हवा नागर बेलि पान रे।4।
बारी पुराहे रे दुल्हवा नागर बेलि पान रे।
तोरा होठऽ कुम्हलाय रे दुल्हवा बीड़िया बड़ानी रे।5।
आनी समधन को धर बताओ रे भाई पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
आनी समधन को धर बताओ रे भाई
जय मऽराऽ जोगी नऽ रयना गवाई।।
टाटी का बंधन तोड़ो रे भाई
जय मऽराऽ जोगी नऽ रयना गवाई।।
ओसरी की खाट हटाओ रे भाई
जय मऽराऽ जोगी नऽ रयना गवाई।।
ओका घरऽ मऽ खाट बिछाओ रे भाई
जय मऽराऽ जोगी नऽ रयना गवाई।।
ओनी समदन को घर बताओ रे भाई
जय मऽराऽ जोगी नऽ रयना गवाई।।
बड़ पीपर पऽ बाँध्यो रे हिण्डोरना पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
बड़ पीपर पऽ बाँध्यो रे हिण्डोरना
समदन दारी झूलन खऽ जाय रसिया
लंका नऽ मारी दारी खऽ इलायची नऽ मारी
भैय्या राम नऽ मारी कम्मर तोड़ी रे रसिया।
जया दारी झूलन खऽ जाय रसिया
लंका नऽ मारी दारी खऽ जाय रसिया
लंका नऽ मारी दारी खऽ इलायची नऽ मारी।
वा पुष्पा दारी झूलन खऽ जाय रसिया
भैय्या गोपी नऽ मारी कम्मर तोड़ी रे रसिया।।
लवंग नऽ मारी दारी खऽ इलायची नऽ मारी
समदन दारी झूलन खऽ जाय रसिया।।
विवाह पूर्व बेटी का वर विचार पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
चौका बठी बारी दुल्हिन ओ
बाबुल से अरज करे।
अच्छा घर दे जो बाबुल जी
चान्दी-सोन्ना हम पहिन्हे।।
बाबुल-
बेटी लिल्लोड़ी घोड़ी पलानी
सोन्ना-चाँदी हमऽ लेनऽ चल्या
बाटऽ मऽ मिल गया साहिबन रे
साजन तुम कहाँ रे चल्या।
बाबुल-
हम घरऽ कन्या कुँआरी
हम सोन्ना-चाँदी लेनऽ चल्या।
वर पक्ष के जवाब -
फिर जाओ साजन, फिर जाओ
सोन्ना-चाँदी हम लाहीं।
तुम हमखऽ सिरप बेटी देनू
हम तुम्ह खऽ सोन्ना-चाँदी दीहीं
फिर जाओ साजन, फिर जाओ
सोना चाँदी हमऽ दीहीं।
एना घरऽ की घट्टी बी बुरी माय पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
एना घरऽ की घट्टी बी बुरी माय
बारीक उड़-उड़ जाय, मोटो दरू कुई नी खाय
एना घरऽ को कुत्ता बी बुरो माय
आधी डाली ते दात सरसराय
सपोरी डालय ते सासु कुरकुराय।1।
एना घरऽ को बईल बी बुरो माय
बाँधन जाऊ ते मारन दौड़य
नी बान्धु ते दिवर्या लड़य
एत्ता बोल मसी सह्या नी जात
मसी रह्या नी जात।।
पेरो-पेरो सीता ओ श्रीराम पँवारी लोकगीत Pawari Lokgeet Panwari Lokgeet
पेरो-पेरो सीता ओ श्रीराम
जनक जी सोहे दायजा हो।
दीन्हों-दीन्हों, घघरा को दीन्हों दान
जनक जी सोहे दायजा हो।।
कसेण्डी को दीन्हों दायजा हो।।
दीन्हों-दीन्हों लोटा को दान
जनक जी सोहे दायजा हो।।
गिलास को दीन्हों दान
गडु को दिन्हों दान (जनक जी)
दीन्हों-दीन्हों भयसी को दान
बगार को दीन्हों दान
जनक जी सोहे दायजा हो।।
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