सेदाय मारे हापड़ाम को,
सेदाय मारे हापड़ाम को,
दिसा कोम से मैरी हो,
जानाम दिसाम रोफाय लागित् नालाय लेन को ।
सिदो कान्हू चान्द भायरो,
नुयहार कोम से मैरी हो,
जात ञुतुम दिसाम दो को दोहोवात् बोन ।
(अपने पुराने पूर्वजों को,
प्रियतम, याद करो,
मातृभूमि की रक्षा के लिए उन्होंने अपने को न्योछावर कर दिया था ।
सिदू, कान्हू, चाँद और भायरो,
प्रियतम ! इन सबों का स्मरण करो,
वे लोग अपनी जाति के नाम से देश हमें छोड़ गए ।)
सेरेञ दोम जोमासेम ञूया,
2.
सेरेञ दोम जोमासेम ञूया,
सेरेञ दोम लादासेम रापागा,
सेरेञ दो मोने रेगे सेबेला,
सेरेञ दो सेरेञ हापाटिञ ।
सेरेञ दोम लादासेम रापागा,
सेरेञ दोम इतायासेम रानूया,
सेरेञ दा जोतोगेबोन बाडाया,
सेरेञ दो सेरेञ हापाटिञ ।
(गीत को न तो आप खा सकते हैं और न पी सकते हैं,
गीत को न तो आप पका सकते हैं, न सिझा सकते हैं,
गीत का आस्वादन मन ही में किया जाता है,
गीत को मिलजुलकर गाना चाहिए ।
गीत को न तो आप पका सकते हैं, न सिझा सकते हैं,
गीत को न तो बीहन बनाया जा सकता है, न रानू*,
गीत तो हमलोग सब कोई जानते हैं,
गीत को मिलजुल कर गाना चाहिए ।)
*रानू – हड़िया (पोचय) बनाने के लिए जिस दवा का प्रयोग किया जाता है, उसे रानू कहते हैं ।
सिहुड़ी नायगोय गोलादिञा,
सिहुड़ी नायगोय गोलादिञा,
बेंगेत् रुआड़ नायगोय गाविच् आदिञा,
किसाँड़ साजते गोय साजाकाना,
किसाँड़ नुमुलते गोय नुमुलाकाना,
निञ दोञ मेन केदाय किसाँड़ होपोनकान,
ञेल केदे दोयिञ गुती कोड़ाकान ।
(माँ ! पतली आवाज में सीटी बजी,
मैंने पीछे मुड़कर देखा, उसने हाथ का इशारा किया,
माँ ! वह अमीरों की वेश-भूषा में था,
माँ ! अमीरों जैसे छाता लगाया था,
मैं सोची, वह अमीर का पुत्र है,
पर पता चला, वह चरवाहा है ।)
लाड़ धुन्द कादाम बुटा,
लाड़ धुन्द कादाम बुटा,
तिरयो मैरी साडे कान ;
इञ दो मैरी छाती फाटाक तीञ ।
मोन ते लाङ मिलाउ एना,
जिवी ते लाङ पिरितेन,
इञ दो मैरीम बागीयादिञा ।
(लताओं की झुरमुट, कदम्ब के नीचे,
प्रियतम, बाँसुरी बजती है,
प्रियतम, मेरी छाती फटती है ।
मन मिलकर एक हुआ,
प्राणों में प्रीति बढ़ी,
प्रियतम, तूने मुझे त्याग दिया ।)
कोद बुटा केदेच केदेच्,
कायरा पुंगी लेवेर कोदोर,
ने होनाङ सेदाय लेका –
होड़मो बाड़े ताहेंन तीञ खान,
बाले कायरा डोग लिकाञ लेवेर कोदोरकोक् ।
(जामुन की छाया में थिरकते,
केले की फुनगी के समान कोमल लचीला,
कास ! पहले के समान,
मेरा शरीर अगर रहता,
नव कदली कोंपल के समान मैं झूमती ।)
6.
तिनरे नायो हारागोदोक लेगेच् लेगेच्,
होड़मो तीञ दो ताहें कान,
उन रे दो बाङ गे नायागोम गोङ लिदिञ ।
होड़मो नायो ञेल तिञ में,
नुमेर दोगो चालाक् कान,
तोका रे बाम गीरा बासी काञ ?
(माँ ! जब मैं नवयौवना थी, कोमल, सुडौल, सुन्दर मेरा शरीर था ।
माँ ! उस समय तुमने मेरी शादी नहीं की,
माँ ! अब निरख मेरी काया,
माँ ! इस ढ़लती उम्र में,
कहाँ मेरा घर बसाओगी ?)
7.
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माराङ बुरू साउड़ी निरोक्,
डालित् तेगो दाकाञ निदिय,
होर रेगे सेदाय गातीञ काडाय गुपी कान,
हापे हापे मेताय तेगे डालित् दोगोय फेड केत्
नालो नालो मेताय तेगेय सिन्दुरादिञा ।
(बड़े पहाड़ में घास काटने के समय,
माँ ! मैं डलिया से भात पहुँचाती थी,
रास्ते में पुराना प्रेमी भैंसा चराते मिला,
‘ठहरो, ठहरो’ कहते ही डलिया नीचे उतारा,
‘नहीं, नहीं’ कहते ही उसने माथे में सिन्दूर दिया ।)
8.
माराङ बुरू रानाकाप्,
गातिञ तिञ को माक् केदे,
जिरी हिरी मायाँम नातू एन ।
लोक् कान दो लालेर गमछा,
लोक् कान दो पायेर जुता,
लोक् कान दो होड़मो डिगिरे ।
गिदी छिन तिञ नांड़गो लेना,
जाङ बाहाञ हालाङ लेत्,
गातिञ रेयाक् निसाना दोञ दाहोय गेताया ।
(बड़े पहाड़ की ढ़ाल पर,
मेरे प्रियतम की हत्या हुई ।
रक्त की धारा फूट निकली,
जल रहा है लाल गमछा,
जल रही है पाँव की पनही,
जल रही है काया तिल-तिल ।
गृद्ध वेष धारण कर मैं झपटूंगी,
अस्थि फूल को लूंगी,
प्रियतम की निशानी मैं अवश्य रखूंगी ।)
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