संत सालिगराम के दोहे (राधास्वामी सत्संग' के द्वितीय गुरु) Sant Saligram ke Dohe
पिया मेरे और मैं पिया की, कुछ भेद न जानो कोई।
जो कुछ होय सो मौज से होई, पिया समरथ करें सोई॥
चुपके-चुपके बैठकर, करो नाम की याद।
दया मेहर से पाइयो, तुम सतगुरु परसाद॥
जो सुख नहिं तू दे सके, तो दुख काहू मत दे।
ऐसी रहनी जो रहे, सोई शब्द रस ले॥
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