यारी साहब के दोहे (रीतिकालीन निर्गुण संत ) Yaari Sahab ke Dohe

 आठ पहर निरखत रहौ, सन्मुख सदा हज़ूर।

कह यारी घरहीं मिलै, काहे जाते दूर॥


बाजत अनहद बाँसुरी, तिरबेनी के तीर।

राग छतीसो होइ रहे, गरजत गगन गंभीर॥


तारनहार समर्थ है, अवर न दूजा कोय।

कह यारी सत्तगुरु मिलै, अचल अरु अम्मर होय॥


दछिन दिसा मोर नइहरो, उत्तर पंथ ससुराल।

मानसरोवर ताल है, तहँ कामिनि करत सिंगार॥


रूप रेख बरनौं कहा, कोटि सूर परगास।

अगम अगोचर रूप है, पावै हरि को दास॥


बेला फूलां गगन में, बंकनाल गहि मूल।

नहिं उपजै नहिं बीनसै, सदा फूल कै फूल॥


धरति अकास के बाहरे, यारी पिय दीदार।

सेत छत्र तहँ जगमगै, सेत फटिक उँजियार॥


आतम नारि सुहागिनी, सुंदर आपु सँवारि।

पिय मिलवे को उठि चली, चौमुख दियना बारि॥


नैन आगे देखिये, तेज पुंज जगदीस।

बाहर भीतर रमि रह्यो, सो घरि राखो सीस॥


जोति सरूपी आतमा, घट-घट रहो समाय।

परम तत्त मन भावनो, नेक न इत-उत जाय॥


युगलान्यशरण के दोहे (रसिक संप्रदाय) Yuglaananysharan ke Dohe

मोहन के दोहे (सीतामऊ नरेश) Mohan ke Dohe

मीतादास के दोहे (अलक्षित संत कवि) Mitadas ke Dohe

मलूकदास के दोहे (संत कवि) Malukdas ke Dohe

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित