कथी लय प्रीत लगेलें रे जोगिया / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
कथी लय प्रीत लगेलें रे जोगिया, प्रीत लगेने चल जाय
तोरा हाथक पान सपन भेल रे जोगिया, तोरा बिनु रहलो ने जाय
आंगन तोरा बिनु बिजुवन रे जोगिया, घर लागय सुन्न-अन्हार
आरे सूतक पलंग विषम भेल रे जोगिया, निन्दिया मोहि ने सोहाय
भनहि विद्यापति सुनू हे सखि सभ, हुनि बिनु रहलो ने जाय
कृष्ण ओ कृष्ण कहि ककरा पुकारब / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
कृष्ण ओ कृष्ण कहि ककरा पुकारब, करब आंगन बिच सोर
मधुर वचन मोरा केये सुनाओत, दही माखन घृत घोर
सूतल छलहुँ एकहि पलंग पर, निन्दिया मे गेलहुँ सपनाइ
निन्दिया मे देखै छलहुँ कृष्ण के, मुरली बसुरिया चलि जाय
मुरली सबद सुनि हिया मोर सालय, नयना सँ झहरय नोर
भनहि विद्यापति सुनू हे राधिका, घर घुरि आओत पिय तोर
एते दिन भमर हमर छल सखि हे / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
एते दिन भमर हमर छल सखि हे, आजु गेल विदेश
मधुपुर भमरा लोभाए गेल सखि हे, मोरा किछु कहियो ने गेल
भूखल अन्न ने खायल सखि हे, प्यासल पीब ने पानि
कतेक जनम सँ बोधल सखि हे, तइयो बसु ओतहि प्राण
श्रीखंड जौं शीतल भेल सखि हे, शीतल आब नब रीत
चक्रपाणि कवि गाओल सखि हे, पुरुषक कोन परतीत
जखनहि रामचन्द्र चलला अवध सँ / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
जखनहि रामचन्द्र चलला अवध सँ, संग भेल लछुमन भाइ
सगुनक पोथिया उचारू भइया लछुमन, कते दिन लिखल बनवास
कय दिन केर एक रे महिनमा, कय बरस लिखू बनवास
तीसहि दिन केर एक रे महिनमा, बारह बरस लिखू बनवास
एक तऽ बैरिन भेल बीध विधाता, दोसर कैकेयी माय
तेसर बैरिन भेल इहो रे पंडित, तीनू मिलि देल बनवास
भनहि विद्यापति गाओल उदासी, राम के लिखल बनवास
जखनहि रामचन्द्र चलला अवधसँ, सुन्न भेल दशरथ धाम
माधव चलल मधइयापुर हे नगरी / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
माधव चलल मधइयापुर हे नगरी
तेजि गेल सकल समाज
के मोरा वृन्दावन मे गइया हे चरेतै
के मुख मुरली बजाइ
के मोरा जमुना मे हैत घटबरबा
के मोरा उतारत पार
बाबा मोरा वृन्दावन मे गइआ हे चरेता
भइया मोरा मुरली बजाइ
देओरा मोरा जमुना तट मे हैत घटबरबा
स्वामी लगाओत पार
जौं हम जनितहुँ माधव तेजि जयता
बान्हितहुँ रेशमक डोरि
रेशमक डोरि टुटिये फाटि जयतै
बान्हितहुँ अंचरा लगाय
अंचरा के फाड़ि-फाड़ि कागज बनेलहुँ
नयना के काजर सँ मोसि
चारू कात लिखलहुँ कुशल क्षेम
बीच मे धनि के विरोग
तोहर दरस मुख छूटत सखि हे / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
तोहर दरस मुख छूटत सखि हे, जखन जायब हम गाम
तखन मदन जीव लहरत सखि हे, कि देखि करब ज्ञान
बिसरि देत नहि बिसरत सखि हे, तुअ मुख पंकज प्राणे
विरह विकल तन फलकत सखि हे, छन-छन झूर झमाने
जौं हम जनितौं एहन सन सखि हे, हरि हेता आन समान
कथी लेल नेह लगाओल सखि हे, आब ने बचत मोर प्राण
भनहि विद्यापति गाओल सखि हे, धैरज धरू ब्रजनारि
सब सँ धैरज यैह थिक सखि हे, पलटि आओत दिन चारि
भितिया मे चितिया साटल रघुनन्दन / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
भितिया मे चितिया साटल रघुनन्दन, ताहि मे जे सिनुर-पिठार
जखन जमाय बाबू कोबर सँ बहार भेला, सरहोजि भेलीह उदास
एहनर नन्दोसिया जी के जाइयो नहि दीतहुँ, रखितहुँ पान खोआय
जखन जमाय बाबू भानस घर सँ बहार भेला, सासुजी भेलीह उदास
एहन जमाय के जाहू ने दीतहुँ, रखितौं मिश्री खोआय
जखन जमाय बाबू आंगन संओ बहार भेला, सारि भेलीह उदास
एहन बहिनोइया जी केँ जाइयो ने दीतहुँ, रखितौं मोन लोभाय
जखन रघुबर संग सिया वन चलली / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
जखन रघुबर संग सिया वन चलली, मोने मोन करथि विचार
केहन करम मोरा लिखल विधाता, चौदह बरख बनवास
धीरे-धीरे चलिअउ देओर यौ लछुमन, पयर मोर अधिक पिराय
किये हम बिगारलहुँ हे माता कैकेयी, देल तरुणी वयस बनवास
भनहि विद्यापति सुनू सिया सुन्दरि, विधि लीखल मेटल ने जाय
गोखुल गमन सँ चलल नन्द-नन्दन / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
गोखुल गमन सँ चलल नन्द-नन्दन, गोकुले मे भय गेल साँझ
केओ नहि मोरा लेखे हित बसु सखिया, रखितनि मोहन बिलमाय
कमलक पात तोड़ि कागज बनाओल, नयनाक काजर बनल मोसि
कदमक डारि तोड़ि कमल बनाओल, प्रेम सँ चिठिया लिखाएल
कहथि विद्यापति सुनू हे सखिया, फेरो आयब एहिठाम
घूरि घूरि घूरि तकिऔ / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
घूरि घूरि घूरि तकिऔ, बात एक सुनिऔ यौ निरमोही दुलहा
धरू किछु हिया मे विार यौ निरमोही दुलहा
जहिया सँ एलहुँ दुलहा सभकेँ लोभएलहुँ यौ निरमोही दुलहा
जोड़िकऽ एतेक प्रेम तोड़ि आइ जाइ छी यौ निरमोही दुलहा
सब के कनाय कयल लचार यौ निरमोही दुलहा
एहन पतित हिया नहि छल ककरो यौ निरमोही दुलहा
मिथिलाक यैह बेबहार यौ निरमोही दुलहा
जखन सिया जी तेजि मिथिला सँ चलली / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
जखन सिया जी तेजि मिथिला सँ चलली, हे की कहिअ बहिन
मिथिला खसल मुरझाय, हे की कहिअ बहिना
नयन सँ झहरनि नोर, हे की कहिअ बहिना
कनथिन सुनैना रानी तोता आर मयना, हे कि कहिअ बहिना
कहलो ने जाइ अछि सिया केर सुरतिया, हे कि कहिअ बहिना
आब सिया जेती बिसराय, हे कि कहिअ बहिना
कहथिन पूनम रानी अपनी बचनिया, हे की कहिअ बहिना
फेर सिया औथिन मिथिला धाम, हे कि कहिअ बहिना
जौं सिया जानकी चलल वन रहना / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
जौं सिया जानकी चलल वन रहना, कानल राम लखन सहित
आरे घुरि जइऔ फिरि जइऔ देओर लछुमन, मोरो संग बिपति बहुत
नहि हम घुरबइ रामा नहि हम फिरबइ, अहूँ संग देब दिवस गमाय
आरे मुठीएक सरिसो खोंइछा बान्हि लेलनि, छीटैत छीटैत वन जाय
गोर लागू पइयाँ पडू धरती माता, जल्दी सँ फाटू हम समाय
एही बाटे जयता श्री राम लछुमन, सरिसो सुररिते घर जाय
शबरीक द्वार सँ चलल रघुनन्दन / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
शबरीक द्वार सँ चलल रघुनन्दन, शबरी खसल मुरछाइ
कल जोड़ि मिनती करै छी रघुनन्दन, नैना सँ झहरय नोर
अनघन भूषण वसन नहि हमरा, किए लय करब बिदाइ
एहन चरण राजा कहाँ हम पायब, राखब हृदय लगाय
भनहि विद्यापति सुनू हे रमापति, लीखल मेटल नहि जाय
सिहकि रहल पुरिबा भादव मास हे / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
सिहकि रहल पुरिबा भादव मास हे, भादव मास संगी पावस मास हे
एक तऽ हमर संगी पिया परदेशिया, दोसर भादव मास अन्हरिया
खेपि रहल दिन गनैत मास हे, भादव मास संगी पावस मास हे
अरजि गरजि कऽ गीत सुनाओल, कुदि-कुदि दह पर नाच देखाओल
झनकि रहल झींगुर पाबि आकाश रे, भादव मास संगी पावस मास हे
कुचरि रहल अछि कौआ अंगनमा, खनकि रहल अछि हाथ केर कंगनमा
सजलहुँ साज संगी मन दय आस रे, भादव मास संगी पावस मास हे
आओत पाहुन पूरत आस रे, घुरैत दिन संगी फागुन मास रे
जीनगीक गीत संगी आसक भास रे, भादव मास संगी पावस मास हे
भरल अन्हरिया मे छिटकय इजोरिया, सोभै छै दूतिया केर चान
छबे महीना संगी छै संताप रे, भादव मास संगी पावस मास हे
सिहकि रहल पुरिबा भादव मास हे....
जौं हम जनितहुँ हे सखि / उदासी गीत मैथिली लोकगीत
जौं हम जनितहुँ हे सखि कृष्ण चलि जयता
सबेरे बिहाने घरबा जयतहुँ हो लाल
जौं हम जनितहुँ कृष्ण रूसि जयता
से पलंगे पर सप्पत खुअबितहुँ हो लाल
एक मोन होइए कृष्ण संगे जइतहुँ
कुलबा मे दगबा लगै छै हो लाल
जौं हम जनितहुँ कृष्ण रूसि जयता
दोसरे प्रीति लगाय रोकितौं हो लाल
घोड़बा चढ़ल आबथि कृष्ण जी पहुनमा
चम चम चमके चदरिया हो लाल
धैरज धरू गोपी से कृष्ण चलि एता
सांझ बिहाने घरबा मे जायब हो लाल
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