केओ जे कानय रंग महल मे / समदाउन गीत मैथिली
केओ जे कानय रंग महल मे, केओ कानय दरबार
केओ जे कानय मिथिला नगरिया, केओ ने कहय रहि जाउ
अम्मां जे कानय रंग महल मे, बाबा कानय दरबार
सखी सब कानय मिथिला नगर मे, केओ ने कहय रहि जाउ
किनकर देल छनि अंगुरी मुनरिया, किनकर देल धेनु गाय
किनकरदेल छनि सब रंग सरिया, किनकर हृदय कठोर
आमाँ के देल छनि अंगुरी मुनरिया, बाबाक देल धेनु गाय
भइया के देल छनि सब रंग सरिया, भउजो के हिरदय कठोर
एते दिन आहे सखि संग-संग रहलहुँ / समदाउन गीत मैथिली
एते दिन आहे सखि संग-संग रहलहुँ, कयल कतेक अपराध
कखनहुँ मिलन कखनो हठ बस ठानि, हेरल ने लोचन आध
पुरुब उगल रवि, पहुक विमल छवि, सब जनी खेल पसार
कमलिनि की जानत इहो मधुमती, रसिक भ्रमर व्यवहार
निर्धन सासुर की आदर करय, भेल ने किछु सत्कार
सुतलि धिया के किए अहाँ तेजलहुँ, पुरुषक हृदय पहाड़
उठलहुँ चललहुँ, रहलहुँ संग-संग, हिलि मिलि सब नारि
कओने नगर संओ आयल तपसिया / समदाउन गीत मैथिली
कओने नगर संओ आयल तपसिया, कौने नगर नेने जाय
दच्छिन नगर संओ अयलै तपसिया, पच्छिम मुलुक नेने जाय
आमक डारि पर बाजय केाइलिया, धीया के जन्म जुनि देब
धीया के जन्म जौं देब विधाता, लिखि देब सहोदर भाय
कोखिया बिहुन जुनि देब विधाता, पुरुष मुरुख जुनि देब
मुरुख-पुरुख जों देब विधाता, मरब जहर बिख खाय
बारह बरस के हमरो उमरिया / समदाउन गीत मैथिली
बारह बरस के हमरो उमरिया, तेरह बरस नेने जाय
खेलइ छलहुँ सुपती मउनियाँ, अझटे मे आबि गेल नेआर
सुपती मउनिरयाँ आंचर तर झांपल, सीता रूसली मुरछाइ
अपना महल सौं आमा बहार भेली, किए सीता रूसलि मुरछाइ
खेलइ छलहुँ सुपती मउनियाँ, अझटे मे आबि गेल नेआर
कोने निरमोहिया अम्मां दिनमा गुनलकइ, कौने निरमोहिया नेने जाय
कौने निरमोहिया अम्मां दिन मानि लेलकइ, कौने निरमोहिया नेने जाय
पंडित निरमोहिया रामा दिनमा गुनलकइ, ससुर निरमोहिया नेने आयल
बाबा निरमोहिया दिन मानि लेलकइ, भइसुर निरमोहिया डोलिया फनाय
से स्वामी निरमोहिया नेने जाय
के मोरा जन्म देल केये मुहमा उरेहल / समदाउन गीत मैथिली
के मोरा जन्म देल केये मुहमा उरेहल, केये कयल प्रतिपाल
बाबा मोरा जन्म देल, दैव उरेहल, माय मोरा कयल प्रतिपाल
के मोरा दुख देल, सब सुख हरि लेल, के मोरा पलंगा ओछाय
सासु मोरा दुख देल, सब सुख हरि लेल, पिया मोरा पलंगा ओछाय
के मोरा बोधत, के परबोधत, के मोरा कयल विलाप
अम्मां मोरा बोधत, बाबा परबोधत, स्वामी मोरा कयल विलाप
सोन सन धीया के सुबुधि जमइया / समदाउन गीत मैथिली
सोन सन धीया के सुबुधि जमइया, नीक नीक बाटे नेने जाय
ठाढ़ होउ ठाढ़ होउ समधी हे भरुआ, समधिन के कहबनि बुझाय
हमरो धीया लए बसिया जोगबिहथि, पीठ लागि लीहथि सुताय
हमरो धीया के बात जुनि कहिहथि, काँचे नीने नहि दीहथि जगाय
भोरहि उठतनि अंगना बहारतनि, थारी-पीढ़ी देतनि पखारि
सूतल छलहुँ बाबा के हबेलिया / समदाउन गीत मैथिली
सूतल छलहुँ बाबा के हबेलिया, अझके मे आबि गेल कहार
लाले लाले छोलिया, सबुजे रंग ओहरिया, लागि गेल बतिसो कहार
माय-बाप मिलि एक मति कयलनि, डोलिया देलनि पड़साय
लए दए निकसल बिजुवन सखिया, जाहि वन माय न बाप
एक कोस गेली सीता दुइ कोस गेली, तेसरमे फेकल ओहार
घुरि जाउ भइया कि घुरि जाउ लोकनियां, अम्मा के कहबनि बुझाय
अम्मां के कहबनि पाथर भए बइसती, हमहुँ बइसब हीया हारि
भनहि विद्यापति गाओल समदाउन, सभ बेटी सासुर जाइ
अंगनामे घुमि-घुमि सीता बेटी कानथि / समदाउन गीत मैथिली
अंगनामे घुमि-घुमि सीता बेटी कानथि, आजुक दिनमा सुदिन
आरे बाप-पित्ती केर पयर धय हे कानथि, तइयो दिन लेल मानि
आरे माय पितिआइनि केर गर धय हे कानथि, तइयो देल डोलिया पइसाय
आरे संगी बहिनपा केर गर धय हे कानथि, तइयो देल पनिया पिआय
सिया हे वरण कएल / समदाउन गीत मैथिली
सिया हे वरण कएल, सब हे मुदित भेल
छूटि गेल मिथिला धाम
केये जनक बगियामे गौरी के पुजतैक
सखि संगे तोड़त के गुलाब
केये धनुषा के सब दिन पुजतैक
चलि भेलि मैथिली ललाम
सखि सभ हे मुदित भेली, विधि सभ लिखि देल
कन्त भेला सुन्दर श्रीराम
गौरी के आंगन सोहाओन माइ हे / समदाउन गीत मैथिली
गौरी के आंगन सोहाओन माइ हे, कानथि गौरी माइ
गौरी के कानबे पटोर नोरे भीजि गेल, परिजन तेजलो ने जाइ
अंगनामे डोलिया लगौलनि शिवशंकर, शुभ घड़ी बीतियो ने जाइ
आइ हे माइ हे पर हे परोसिन, शिवजी के कहू ने बुझाइ
बड़ रे जतन सौं गौरी बेटी पोसलहुँ, एक बेर दिअ ने घुमाय
भनहि विद्यापति सुनू हे मनाइनि, सभ धीया सासुर जाइ
सभ मनकामना हुनकहि संगमे, दृढ़ करू अपन गिआन
कल जोड़ि विनती करथि हेमन्त ऋषि / समदाउन गीत मैथिली
कल जोड़ि विनती करथि हेमन्त ऋषि, राजा दशरथ के दुआरि
आइ सीता दाइ सासुर जयती, तनिक छेमब अपराध
अवन-पवन केर घोड़बा रे घोड़बा, राम लखन असवार
सीतादाइ जयती रामक राज, सुन भेल गृह हमार
भनहि विद्यापति कहल समदौनियां, सभ बेटी सासुर जाइ
कथी लए भेलै अगहन सखि हे, कथी लए उपजल सारि / समदाउन गीत मैथिली
कथी लए भेलै अगहन सखि हे, कथी लए उपजल सारि
बेटी लए भेलै अगहन सखि हे, खोइंछा लए उपजल सारि
किए जे खयलहुँ बेटी किए पहिरलहुँ, कथी लए भेलहुँ वीरान
खीर जे खयलहुँ चीर पहिरलहुँ, सिन्दूर लए भेलहुँ वीरान
सोना चानी रहितै बेटी फेरियो जे दीतहुँ सिनूर फेरल नहि जाइ
भनहि विद्यापति सुनू हे मनाइनि, सभ बेटी सासुर जाइ
कथी लए भेलै सखि हे मोर गओनमा / समदाउन गीत मैथिली
कथी लए भेलै सखि हे मोर गओनमा, कथी लए भेलै बिआह
एक कोस गेली सीता दुइ कोस गेली, तेसरे मे फाटल कुहेस
घूरि घर जइयौ भइया घर घूरि जइयौ, आमा के कहब बुझाइ
आमा के कहबनि पाथर भए बैसतीह, हमहुँ बैसब हिया हारि
पर घर गेलीअइ परक पुतोहु भेलिअइ, मिनती करैते दिन जायत
भनहि विद्यापति सूनू समदाउन, सभ बेटी सासुर जाइ
कथी लए भेलै अगहन सखि हे / समदाउन गीत मैथिली
कथी लए भेलै अगहन सखि हे, धीया लए भेलै जीवकाल
आमां के कानबे गंगा बहि गेल, बाबा के कानबे हिलोर
भइया के कानबे जोड़ा धोती भीजल, भउजो के नयन ने नोर
मनहि विचारथि छोटका भइया, हमहुँ बहीनि संग जायब
सूतल छलहुँ बाबा केर हवेलिया / समदाउन गीत मैथिली
सूतल छलहुँ बाबा केर हवेलिया, अझटेमे आबि गेल कहाउत
एक बेर एलै नउआ, दोसर बेर ब्राह्मण, तेसर वरक जेठ भाइ
एक कोस गेली सिया, दुइ कोस गेली, चलि गेली यमुना किनार
ओहार उठा कए जौं ताकलनि सीता, छूटि गेल बाबा केर राज
पर घर गेलिअइ, पर पुतोहु भेलिअइ, मिनती करैते दिन जाइ
जाहि निकुंज वन हमरो के देलिअइ / समदाउन गीत मैथिली
जाहि निकुंज वन हमरो के देलिअइ, ताहि वन मायो ने बाप
सुन भवन केने जाइ छी हे बेटी, अयोध्यामे बाजत बधाइ
हरियर गोबर आंगन निपाओल, गजमोती अरिपन देल
अंगनामे बुलि-बुलि आमा जहे कानथि, जनकजी भेला अचेत
नगरक सखिया बड़ा रे निरमोहिया, धीया देल डोलिया चढ़ाय
भनहि विद्यापति सुनू सुनयना, सभ बेटी सासुर जाय
जनक भवन सँ चलली सीता दाइ / समदाउन गीत मैथिली
जनक भवन सँ चलली सीता दाइ, जननी रोदना पसार
आगा-आगा राम चलू पाछहि सीता दाइ, देवलोक फूल छिड़िआइ
कानथि सीता हंसथि रामचन्द्र, सखि सब रोदना पसार
आमा के कानबे गंगा बहि गेल, बाबा के कानबे हिलोर
सखी सभ कानथि गर धए सीताक, जोड़ी बिजोड़ी केने जाइ
घुरू हे सखी सभ घुरि घर जइऔ, आमा के कहबनि बुझाइ
कहबनि आमाकेँ पाथर भए बैसतीह, हमहुँ बैसब हिया हारि
जनक नगर सँ चलली हे सीता / समदाउन गीत मैथिली
जनक नगर सँ चलली हे सीता, आमा देलनि रोदना पसार
के मोरा सीता लए बसिया जोगएती, के मुख करत दुलार
ककरा लग भए बैसती हे सीता, ककरा लग हयती ठाढ़
ककरा लग भए सूतती हे सीता, केये कहथि मन केर बात
कौशिल्या लग भए बैसती हे सीता, दशरथ लग हएती ठाढ़
रामचन्द्र लग सुतती हे सीता, लछुमन कहथि मन केर बात
कल जोड़ि मिनती करथि राजा दशरथ, सुनू जनक ऋषिराज
एकहि बेटी हुनि सीता दाइ, राखथु कौशल्या केर मान
वएह कौशल्या बसिया जोगएती, बएह मुख करत दुलार
घर आंगन अनचीन्ह होयतनि, अनचीन्हपुर नर नारि
दिवस बिताय कोना कऽ रहती, जाइ छथि जनक दुलारि
बाबा केर अंगनामे एलै कहरिया / समदाउन गीत मैथिली
बाबा केर अंगनामे एलै कहरिया, सूनू बाबा मिनती हमार
एक बेर फेरलहुँ बेटी दुइ बेर फेरलहुँ, तेसर बेर फेरलो ने जाय
साँठू हे आमा पउती पेटरिया, हाँकू बाबा गाय महींस
आमाकेँ कानबे नगर लोक कानय, बाबा के कानबे दरबार
भइया के कानबे भीजल चदरिया, भउजी केर हृदय कठोर
किए हम आहे भउजो, नून तेल हेरायल, किए कोठी फोड़ल तोर
नहि अहाँ आहे ननदो, नून तेल हेरेलौं, नहि फोड़ल कोठी मोर
भइया दुलारू, बाबा आमां के दुलारू, तैं अहाँ बैरिन मोर
जखन सुनयना डोली दिस ताकथि / समदाउन गीत मैथिली
जखन सुनयना डोली दिस ताकथि, सीता चली भेली कनैत अधीर
भरलो आंगन जतेक नर-नारी, ककरहु हृदय नहि थीर
चहुँदिस रोबथि सखी रे सहेलिया, आमा के झहरनि नयन मोती नीर
किए जे बेटी जानकी पोसल, उड़ि भेली देश पराय
भनहि विद्यापति सुनू हे सुनएना, इहो थिक नगर बेबहार
जखन गौरी दाइ घर सँ भेली / समदाउन गीत मैथिली
जखन गौरी दाइ घर सँ भेली, सखि दस रोदना पसार
ककर बदनि हम हेरइते हरब, संग छथि सहोदर भाय
एक कोस गेली बेटी दुइ कोस गेली, तेसर कोस चललो ने जाय
डोलिया उधारि जौं ताकथि गौरीदाइ, छूटि गेल बाबा केर राज
घुरू भइया घूरि घर जइयौ, आमा के कहबनि बुझाय
आमा जे कनती हमरो सुरति करि, छने छन उठबै चेहाय
कथी लए एलै सखि अगहन महीनमा / समदाउन गीत मैथिली
कथी लए एलै सखि अगहन महीनमा, कथी लए भेलै नरव सारी धनमा
बेटी लए जे एलै अगहन महीनमा, जमाय लेल कूटब नव सारी धनमा
एहि बेरक गौना नहि मानव यौ बाबा, खाय दीअ नवकुटी भात
एक बेर फेरलौं बेटी दुइ बेर फेरलौं, तेसर बेर नटुआ जमाय
खोलि लैह आहे बेटी गाय-महीसिया, आमा सांठथि पौती पेटार
एते दिन छलौं बाबा अहीं रे हवेलिया, आइ किएकरै छी विदाइ
भनहि विद्यापति सुनू हे बेटी, सभ धीया सासुर जाइ
नैहर हमर जनकपुर रे सखिया / समदाउन गीत मैथिली
नैहर हमर जनकपुर रे सखिया, सासुर दूर के देश
आमा मोर आजु एकसरि सुतती, छनेछन उठती चेहाय
किए जे देखि आमा धैरज धरती, किए देखि रहती लोभाय
फूल जे देखि आमा धैरज धरती, फल देखि रहती लोभाय
पलंगा बैसल हमर बाबा कनै छथि, मचिया बैसल हमर माय
डोलिया के खूंटी धय सखि सभ कनै छथि, आब सखि सासुर जाय
घुरू भइया घुरू सखि सभ, अहूँ सभ घूरि घर जाउ
हमरो आमा जे कनैत हयती, हुनिका कहब बुझाय
भनहि विद्यापति सुनू हे सखि सभ, सभ बेटी सासुर जाय
डोलिया कहार नेने ठाढ़ दुअरिया / समदाउन गीत मैथिली
डोलिया कहार नेने ठाढ़ दुअरिया, विदा करू गौरी के चुमाय
गर धए हिलिमिलि हे कानथि, देहरि बैसल मैना माय
आब ककरा दुलारब गे बेटी, ककरा पेट लागि सुताएब
घूरि ताकू घूरि ताकू बेटी हे दुलरुआ, फेर दीअ मुख देखाय
माया रे कानथि पुनि-पुनि रोबथि, सखि सभ कहथि बुणय
नहिराक सुख कोना बिसरब हे आमा, ससुरा मे दिवस गमाय
राजा दशरथ एक पतिया पठओलनि / समदाउन गीत मैथिली
राजा दशरथ एक पतिया पठओलनि, राजा जनक नहि मान
राजा जनक जी के एके जे बेटिया, किए देखि धैरज बान्ह
जखन बरिअतिया दरबज्जा बिच आओल, राजा खसल मुरछाइ
रानी जे कनथिन रंगमहलिया, राजा कानथि दरबार
सखि सभ कानथिन जनक नगरिया, सखि बिनु रहलो ने जाय
बड़ रे जतनसँ सिया धिया पोसलहुँ / समदाउन गीत मैथिली
बड़ रे जतनसँ सिया धिया पोसलहुँ
सेहो रघुवंशी नेने जाय
आगू-आगू रघुबर, (पाछू-पाछू डोलिया)-2
ताहि पाछु लक्षुमन भाय
कथी केर डोलिया, केहन ओहरिया-2
कि लागि गेल बतिसो कहार
चानन केर डोलिया, (सबुज ओहरिया)से-2
कि लागि गेलई बतिसो कहार...
लऽ दऽ निकसल (विजुबन कहरिया)
जाहि वन ने अपन पराए
केओ जे कानय राजमहलिया
केओ कानय दरबार
केओ जे कानय मिथिला नगरिया
जोड़ीसँ बेजोड़ी केने जाय
अम्मा जे कानय राजमहल मे
बाबा कानय दरबार
सखी सब कानय मिथिला नगरिया
जोड़ीसँ बेजोड़ी केने जाय
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