राम विवाह गीत
दसरथ नन्नन चलल बियाह करे / मगही लोकगीत
दसरथ नन्नन चलल बियाह करे, माँथ बन्हले पटवाँस हे॥1॥
केहि जे रामजी के पगिया सम्हारल, केहिं सजल बरियात हे।
केहिं जे रामजी के चनन चढ़ावल साजि चलल बरियात हे॥2॥
भाई भरथ रामजी के पगिया सम्हारल, दसरथ साजे बरियात हे।
माता कोसिला रानी चनन चढ़ावल, साजि चलल बरियात हे॥3॥
एक कोस गेल राम, दुइ कोस गेल, तीसरे में बोले बन काग हे।
भाई भरथ राम के पोथिया बिचारलन, काहे बोले बन काग हे।
रामजी के पोथिया धोतिया धरन पर छूटल, ओही बोले बन काग हे॥4॥
जब बरियात दुआर बीच आयल, चेरिया कलस लेले ठाड़ हे।
परिछे बाहर भेलन सासु मदागिन हाथ दीपक लेले ठाड़ हे॥5॥
कवन बर के आरती उतारब, कवन बर बियहन आएल हे।
जेकरहि माँथ मउरी भला सोभे, तिलक सोभले लिलार हे॥6॥
ओही बर के आरती उतारब, ओही बर बियहन आएल हे।
सासु के खोइँछा में बड़े बड़े खेलौना, से देखि रिझल दमाद हे।
सासु के खोइँछा में मोतीचूर के लड्डू, से देखि उनके दमाद हे॥7॥
भेल बियाह, बर कोहबर चललन, सारी सरहज छेंकलन दुआर हे।
बहिनी के नमवाँ धरहु बर सुन्नर, तब रउरा कोहबर जाएब हे॥8॥
हमरहिं बंसे बहिनी नहीं जलमें जलमल लछुमन भाइ हे।
सेहु भाइ जउरे चलि आएल, माँगलक सलिया बियाहि हे॥9॥
किनका के एहो दूनूँ कुवँरा जनक पूछे मुनि जी से / मगही लोकगीत
किनका के एहो दूनूँ कुवँरा जनक पूछे मुनि जी से॥1॥
गाई के गोबर अँगना निपावल, गजमोती चउका पुरावल।
धनुस देलन ओठगाँई जनक पूछे मुनि जी से॥2॥
जे एहो धनुस करत तीन खंड, सीता बियाह घरवा ले जायत हो।
किनका के एहो दूनूँ कुवँरा, जनक पूछे मुनि जी से॥3॥
उठला सिरी रामचन्दर धनुस उठवला।
धनुस कयला तीन खंडा, जनक पूछे मुनि जी से॥4॥
भेलो बियाह, चलल राम कोहबर मुनि सब जय जय बोले।
अब सिय होयल बियाह, जनक पूछे मुनि जी से॥5॥
शिव विवाह गीत
मथवा जे आयल महादेव बड़े बड़े जटा / मगही लोकगीत
मथवा जे आयल महादेव बड़े बड़े जटा।
कँधवा जे आयल महादेव बघिनी के छला॥1॥
घर से बाहर भेली सासु मनाइन।
गोहुमन सरप छोड़ल फुफकारी॥2॥
किया सासु किया सासु गेल डेराइ।
तोरा लेखे अहे सासु गेहुमन साँप।
मोरा लेखे अहे सासु गजमोती हार॥3॥
कथिकेरा दियवा, कथिकेरा बाती।
कथिकेरा तेलवा, जरेला सारी राती॥4॥
जरु दीप जरु दीप चारो पहर राती।
जब लगि दुलहा दुलहिन खेले जुआसारी॥5॥
जर गेल दियवा सपुरन भेल बाती।
खेलहुँ न पयलऽ दुलरुआ चारो पहर राती॥6॥
तोरहिं जँघिया हो परभु, निंदो न आवे।
बाबा के जँघिया हो परभु, निंद भल आवे॥7॥
बाबा के जँघिया हे सुघइ दिन दुइ-चार।
मोरा जँघिया हो सुघइ, जनम सनेह॥8॥
मिनती से बोलले गउरा देइ, सुनहु महादेव हे / मगही लोकगीत
मिनती से बोलले गउरा देइ, सुनहु महादेव हे।
मोरा नइहरवा में जग होले, जग देखे जायम हे॥1॥
मिनती से बोलथिन महादेव, सुनहु गउरा देइ हे।
बिना रे नेवतले गउरा जनि जाहु, तोहरो आदर नाहिं हे॥2॥
केकरो कहलिया गउरा नाहिं कएलन अपने चलि गेलन हे।
नाहिं चिन्हे माए बाप, नाहिं चिन्हे नगर के लोगवा हे॥3॥
एक त चिन्हले बहिनी गाँगो उठि अँकवार कइले हे।
बिना रे नेवतले बहिनी आएल, तोहरो आदर नाहिं हे॥4॥
कने गेल, किया भेल बराम्हन, अगिनी कुंड खानहु हे।
जब रे बराम्हन कुंड खनलन गउरा कूदि पड़लन हे॥5॥
जब रे गउरा कूदि पड़लन, महादेव धावा चढ़लन हे।
मिनती से बोललन सासु, सुनहु महादेव हे॥6॥
मोरा घर आजु जग होले जग जनि भाँड़हु हे।
गउरा के बदल गउरा देहब, फिनु शिव परिछब हे॥7॥
फूल लोढ़े चलली हे गउरा, बाबा फुलवारी / मगही लोकगीत
फूल लोढ़े चलली हे गउरा बाबा फुलवारी।
बसहा चढ़ल महादेव, लावले दोहाई॥1॥
लोढ़ल फफलवा हे गउरा देलन छितराए।
रोवते कनइते हे गउरा, घर चलि आवे॥2॥
मइया अलारि पूछे, बहिनी दुलारि पूछे।
कउने तपसिया हे गउरा, तोरो के डेरावे॥3॥
लाज के बतिया हे अम्मा, कहलो न जाए।
भउजी जे रहित हे अम्मा, कहिति समुझाए॥4॥
पूछु गल सखिया सलेहर कहिहें समुझाए।
बड़े बड़े जट्टा हे अम्मा, सूप अइसन दाढ़ी॥5॥
ओही तपसिया हे अम्मा, हमरो डेरावे।
ओही तपसिया हे अम्मा, पड़ले दोहाई॥6॥
बुद्धि तोरा जरउ हे गउरा, जरउ गेयान।
ओही तपसिया है गउरा, पुरुख तोहार॥7॥
बन के करिखा सिउजी, बने धधकवलन / मगही लोकगीत
बन के करिखा सिउजी, बने धधकवलन।
ओहे करिखा सिउजी, भभूति चढ़वलन॥1॥
कहवाँ नेहयलऽ सिउजी, कहवाँ छोड़लऽ झोरी
कउने अमलिए सिउजी, मोतिया हेरवलऽ॥2॥
जमुना नेहइली गउरा देइ, गंगा छूटल झोरी।
भँगिए अमलिए गउरा देइ, मोतिया हेरइली॥3॥
देखलों में देखलों गउरा देइ, तोहरो नइहरा।
फूटल थारी गउरा देइ, चुअइत लोटा।
लाजे न परसे गउरा देइ, तोहरो महतारी॥4॥
जब तुहूँ उकटलऽ सिउजी, हमरो नइहरा।
हमहूँ उकटबो सिउजी, तोरो बपहरा॥5॥
सातो कोठिलवा सिउजी, सातो में पेहान।
हाँथ नावे चलली सिउजी, एको में न धान॥6॥
छनियाँ एक देखली सिउजी, ओहो तितलउका।
चेरिया एक देखलीं सिउजी, सबुजी सेयान।
बावाँ गोड़ लँगड़ी, दहिना आँख कान॥7॥
बएला एक देखली सिउजी, गोला रे बरधवा।
कउआ मारे ठोकर सिउजी, दँतवा निपोरे॥8॥
सिउजी जे चललन पुरबी बनीजिआ / मगही लोकगीत
सिउजी जे चललन पुरबी बनीजिआ गउरा देइ भेलन संघ साथ हे।
फिरु फिरु गउरा हे, हमरी बचनियाँ, मरि जइबऽ भुखवे पियास हे॥1॥
भुखवे पियसवे सिउजी तोर पर तेजम भँगवा धतुरवा के लगि जइहें निसवा हे।
गउरा सुन्नर रस बेनियाँ डोलइहें हे॥2॥
सिउजी के भींजले जमवा से जोड़वा गउरा पर एक बुनियो न परे हे।
सासु लिपलका सिउजी धँगहूँ न पवली, ननदिया जी के एको उतरबो न देली हे।
ओहे गुने ना एको बुनियो न परे हे॥3॥
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