हौ तब जवाब फूलवंती दै छै / मैथिली लोकगीत
हौ तब जवाब फूलवंती दै छै
सुनऽ सुनऽ हौ बाबू सुनिलय
हौ लबका हौ बन्हुआ जइ दिन बन्हलऽ
राजा महिसौथा के बन्हुआ छियै
हौ ओकरे पर अँचरा हौ बाबू बन्हलीयै
जाति भाइ घरमे अगिया लगौलियै
ओकरो पर अँचड़ा हमहुँ बन्हलीयै हौ।।
एत्तेक बात राजा सुनैय
अपनामे विचार करैय
सुन रौ पलटनियाँ दिल के वार्त्ता
कड़ा सवाल राजा के दैये
छीही मलीनियाँ मालि के बेटी
केना दुसाध पर अँचड़ा बन्हले
केना बान्ह खोलबै लय एलै
तेकरो हलतिया हमरा आय बता दियौ यै।।
यौ सात सय पलटन ड्योढ़ीमे खटैय / मैथिली लोकगीत
यौ सात सय पलटन ड्योढ़ीमे खटैय
तबे राजा कोन काम करै छै
एका एकी पलटन के पूछैय
रौ केकरा पारमे चोरी भऽ गेल
सब पलटनियाँ राजा के कहै छै
हमरा पारमे नै चोरी भेलै
हमरा पारमे आय चोरी नै मालिक भयलै यौ।।
तब रहलै दादा नरूपिया
ड्योढ़ी परमे बजाहटि भऽ गेल
मने मन हौ नरूपिया सोचैय
छीयै सतयुग कलयुग अबैय
केना झूठ ड्योढ़ीमे बजबै
हँहु के जवाब नै दैये
डाँटि-डाँटि राजा ड्योढ़ीमे पूछै छै
सुनऽ सुनऽ हौ देवता नरूपिया
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
चुहरा हौ नौकरी खारिज केलीयै
चुहरा हौ पार पहरा करै छल
चोरी भऽ गेलै कोहबर घरमे
तेकर हलतिया तू हमरा कहि दे
केकरा पारमे चोरी देवता भऽ गेलै यौ।
हौ एत्तेक बात कुलहेसर राजा कहैय
सुधे सुध नरूपिया कहै छै
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
दिल के वार्त्ता हमरा सुनियौ
पैछली राति करनीनीयाँ बेरमे
हमर पार मालिक तखनी भेलै
ठीके चोरी हमरा पारमे भऽ गेल
हमरा पारमे मालिक ठीके चोरी भऽ गेलै यौ।।
हौ एत्तेक बात जखनी देवता बोलै छै
कड़ा सवाल कुलहेसर देलकै
सब पलटन के ऑडर दै छै
रौ सुन ले पलटनियाँ दिल के वार्त्ता
चाँप चढ़ा कऽ देवता के बन्हियौ
चाँप चढ़ा कऽ एकरा बान्हिकऽ
हाजत घरमे आइ तऽ चोरबा के दऽ दियौ यौ।।
हौ भोर भेलै भिनसरबा भेलै / मैथिली लोकगीत
हौ भोर भेलै भिनसरबा भेलै
सवा पहर दिन उठि के एलै
कोहबर घरमे चन्द्रा उठैय
अचकिं नींन चन्द्रा तोड़ि लैय
पहिले नजरि गात पर दै छै
एको गहना गात नै देखैय
उलटे चन्द्रा कोहबर गिरलै
डॉर के साड़ी देखै नै छै
गात के चोलीया सवा लाख के
खाली देहिया चन्द्रा पड़ल
मने मन जे चन्द्रा सोचैय
केहेन परलोभीया स्वामी भऽ गेल
हौ केहेन परलोभीया स्वामी भऽ गेल।
हमरा गातमे चोरी केलकै
चोरी कऽ कऽ ड्योढ़ी सुतल छै
हँसी-मजाकमे बेइमनमा हमरा लऽ लेलकै यौ।।
हौ एकटा हाथ चन्द्रा छाती पर देने छै
एक हाथ चन्द्रा के हौ लेलकै
ड्योढ़ी पर अयलै
स्वामी नरूपिया के चन्द्रा जगबैये
सुनऽ सुनऽ हौ स्वामी नरूपिया
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
से सभ समान बेइमनमा केना कऽ लेलीयै यै।।
हौ अचकिं नींन देवता तोड़ै छै
खाली देहिया चन्द्रा देखैय
हँहु के जवाब ने दैय
मने मन राजा हौ नरूपिया सोचै छै
आब नै परान हमरा बँचतै
सुनऽ सुनऽ हे रानीयाँ सुनि ले
कथि लय दोष तू रानीयाँ लगाबै छह
एको समान हम नै चोरौलियऽ
कोहबर घरमे पैर ने देलीयऽ
तोहरा समान रानीयाँ हम नै चोरौलियौ यौ।
हौ एत्ते बात जब नरूपिया कहै छै
मुंगीया नौरीया के चन्द्रा बजबैये
सुनऽ सुनऽ मुंगीया गै दिलक बतिया
डाका गै पड़ि गेलै कोहबर घरमे
गै कोन दने चोरबा महलमे अयलै
सबे समान चोरबा लऽ गयलै
आ सबटी समानबा चोरबा नौरीया भागि गेलै यै।
एको नइ समखिया हम नै बुझलीयै
तबे जवाब हम बाबू के देबै
आ केना रहबै राज पकरिया
अबलटि लगलै कोहबर घरमे।
जाकऽ खबरिया ड्योढ़िया पर कऽ दियौ हौ।
गै आब नै परान मैया हमरा बचतै। / मैथिली लोकगीत
गै आब नै परान मैया हमरा बचतै।
गै सब देवता के पूजा बड़ हेतै
जखनी जे मरबै जेल के घरमे।
एते ही वार्त्ता दुर्गा सुनै छै
भागल दुर्गा गै जेलमे जुमलै
तखनी दादा नरूपिया देखैय
सरबर नीर दादा जेलमे ढ़ारैय
कहिया के दुश्मन गे दुर्गा
तोरा भेलीयै गै महिसौथामे
तेकरो हलतिया हमरा कहि दे
एतेक बात जे दुर्गा कहैय
धैरज बान्हि के जेलमे रहियौ
हमहुँ जाइ छीयै राज महिसौथा
मोतीराम के खबर जनेबै
बान्हबा खोलबा कऽ हम तोरा लऽ जेबौ हौ।।
ओतऽ से दुर्गा महिसौथा जाइ छै
मने मन दुर्गा रास्ता सोचै छै
सती मलीनियाँ रानी फुलवंती
महुरा बोनमे मलीनियाँ बैठल
बल सतवादी हौ मलीनियाँ लगैय
जाति दुसाध पर अँचरा बन्हलऽ
एमरी सत मलीनियाँ के जाँचि लेबै यौ।।
रास्ता दुर्गा महिसौथा के छोड़ै छै
महुरा बोन के रास्ता धेलकै
घड़ी के चलले पहर बीतैय
पले घड़ीमे महुरा बोनमे जुमैय
महुरा बोनमे सती मलीनियाँ
बाट जोहै छै सीरी सलहेस के।
महुरा बोनमे मलीनियाँ सुतल यौ।
तहि असरमे दुर्गा जुमि गेल
नजरि खिराऽ कऽ दुर्गा देखै छै
मालिक उपरमे नजरि पड़लै
अपना हाथ से दुर्गा जगबैय
कते नींन मलीनियाँ के भेलै
तबे जवाब दुर्गा कहैय यौ।।
सुनऽ सुनऽ हे मालिन सुनिलय
जय स्वामी ले अँचरा बन्हने
बाँन्हल अँचड़ा बन्हले रहि गेल
आगु गै मौका मलीनियाँ लगलौ
बड़े कहै छै तऽ स्वामी छियै
बान्हल स्वामी पकरिया गयलौ
गै चल चल मलीनियाँ गै राज पकरिया
स्वामी हकन जेल घरमे कनैय
आब परान दादा के बचतौ
बन्हवाँ खोला कऽ फुलवंती जखनी लऽ अन्हियै यै।
तब जवाब दुर्गा दै छै / मैथिली लोकगीत
तब जवाब दुर्गा दै छै
सुनऽ गे बेटी मलीनियाँ सुनि ले
चुहरा गै नौकरी खारिज भऽ गेल
चुहरा बदला गै नौकर छेलै
चन्द्रा कोहबर पहरा छेलै
देवता पारमे चोरी भऽ गेल
तहि कारणमे राजा कुलेसर
जेल घरमे स्वामी के देलकौ
हाजत घरमे नरूपिया देवता कनैय गै।।
तब जवाब राजा दैने / मैथिली लोकगीत
तब जवाब राजा दैने
कोरा कागज पर छल लगेबौ
हाथ से छाप फुलवंती लेबौ
पैर से छाप कोरा कागज दऽ दे
जतेक समान हमर चोरी भऽ गेल
जे कोई चोर मोट हाजिर करतै
तखनी बान्ह हम खोलि जे देबौ
तखनी बान्ह हम चोरबा के खोलबै गै।।
एत्तेक बात जखनी राजा कहलकै
राजा लगमे कबूला करै छै
रानी फुलवंती सकार जे केलकै
कोरा कागज राजा मंगबै छै
हाथ से छाप फुलवंती दै छै
पैर से छाप फुलवंती दै छै
चोर मोट के कबूल करै छै
सुनऽ सुनऽ हौ बाबू सुनिलय
सात दिन के हफ्ता मंगै छी
जइ दिन सतबाँ रोज जे पुरतऽ
चोर-मोट बाबू हाजिर हम कऽ देबऽ हौ।।
एतबेमे मालीन जेलमे जुमि गेल / मैथिली लोकगीत
एतबेमे मालीन जेलमे जुमि गेल
पल नरूपिया जेल गिराबैय
लछ-लछ गारि दुर्गा के दै छै
सुन गे बेइमनवी कुटनी दुर्गा
भल नइ हेतौ राज महिसौथा
केना गै ठकि मलीनियाँ के लबिले
हमर मोतीराम जे छेलै
हमर बौआ के नै खबर केले गै
एत्ते बात नरूपिया सोचै छै
छौड़ी मलीनियाँ जेल के घरमे
अपने हाथमे बान्ह खोलैय
तबे जवाब मलीनियाँ दै छै
केना हे एलह राज नौकरीया
किया चोरी बेइमनमा केलहऽ
कौन कसूरमे राजा जेल पठौलकऽ
हौ देवता लऽ कऽ मलीनियाँ चललै
मने मन विचार मलीनियाँ सोचै छै
छली मलीनियाँ राज मोरंग
स्वामी सतमे दुसाध पड़ली
स्वामी कारण नटिनियाँ बनबै
बान्हि के चोरबा हाजिर करबै
चोट-मोट हाजिर आइ कोहबरमे करबै रौ।।
हौ देवता लऽकऽ मलीनियाँ जाइ छै
ड्योढ़ीया उपरमे मालिन जुमलै
झूकि सलाम राजा करैय
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
तोरा हम छाप बाबू देलीअ
सात दिन के हफ्ता देलीअ
एक्के बात के अरजी करै छी
हौ एक्के रत्ती सत हमरा बाबू कऽ दय
नै दयलै दरब नै लेबै धरम
एकेटा बात के अरजिया बाबू करै छी यौ।
हौ एत्ते बात राजा जखनी सुनै छै
मालिन संगमे सत करै छै
तब मलीनियाँ बोली बोलै छै
सुनऽ सुनऽ हौ बाबू सुनिलय
मनचित भैंसा जइ दिन दियौ
सात दिन के कारण बीचमे
जै दिन चोर-मोट हाजिर करबऽ
तहि दिन घुरिकऽ बाबू एबै
मनचित राम भैंसा हाजिर कऽ देबऽ हौ
हौ केना मलीनियाँ मनचित राम पकड़बे
जखनी हे जेबही धार तिरशूला
डूबा-डूबा कऽ मनचित मारतौ
कोरा कागज जे बनि रहि जायत
केयो चोर-मोट हाजिर हमरा कऽ देतै गै।।
एत्ते बात कुलहेसर राजा कहै छै।।
तब जवाब फुलवंती दै छै
हौ ऑडर दऽ हमरा जे दियौ
हमहुँ जेबौ धार तिरशूलबा
मनचित राम पकड़ि कऽ लौबै
मनचित राम पकरियामे आइ पकड़ि लेबै हौ।।
राजा कुल्हेसर ऑडर देलकै
छौड़ी मलीनियाँ मनचित पकड़लकै
जइ दिन जनम मनचित लेलकै
नरूपिया बाट मनचित तकै छेलै
प्रण धेने पकरिया मनचित छेलै
जइ दिन एतै राज पकरिया
नरूपिये हाथ से नाथल जेबै यौ।।
छौड़ी मलीनियाँ मनचित पकड़लै
स्वामी नरूपिया नाथ पहिरौलकै
आगू आगू मनचित भैंसा
रास्ता मलीनियाँ धने देलकै
भागल मलीनियाँ मोकमा चललै
घड़ी एक चलै छै पहर बीतै छै
मने मन मलीनियाँ सोचैय
मनचित भैंसा जलऽ लेलीयै
सिरका-सिरकी मूर्गा-मूर्गी
ठुमका-ठुमरी ढ़ोलक बोलेबै
जाबे नै हेतै छौड़ी मालीन के
केना हम नटिन भेष धरबै
केना जेबै मोकमा गढ़ के
केना चोरबा आइ पकड़ल जेतै गै।।
हौ भागल मलीनियाँ मैनाडीह पर जाइ छै
मैनाडीह पर नटबा भैया
सात भाइ छेलै नटबा भैया
मैनाडीह पर डेरा गिरौने
सखी लागल छै सती मालीन के
रानी फुलवंती सखीया लगौने
बूढ़वा मरबा छौड़ी बहिनियाँ
घड़ी चलै छै पहर बीते छै
पले घड़ी मैनाडीह पहुँचल
सात भाइ मैनाडीह बैठल
मने मन विचार नटिनियाँ करै छै
सुनऽ सुनऽ हे स्वामी नरूपिया
सात भाइ नटबा के बैठल
केना सिरकिया हम जे ठकबै
केना हम जेबै मोकमा नगरमे हय।।
हौ मारै छै हौ जादू सती मलीनियाँ / मैथिली लोकगीत
हौ मारै छै हौ जादू सती मलीनियाँ
मानुष तन देवता छौड़ौलकै
सुग्गा रूप दादा पड़ि गेलै
सोना पिंजड़ामे दादा देलकै
भागल मलीनियाँ मैनाडीह पर चललै
तब बुढ़वा नट के नजरिया पड़ि गेल
मने मन विचार बूढ़वा नटबा करै छै
एत्तेक दुनियाँ हम घुरलियै
आ सती के नजरि देखऽलियै
बहुत नटिन हम जगमे देखलीयै
एहेना नटिन एको नै देखलियै
एमरी बिअहबा एहि नटिनियाँ से करबै यौ।।
तब हौ जबाब मलीनियाँ दै छै / मैथिली लोकगीत
तब हौ जबाब मलीनियाँ दै छै
सुनिलय सुनिलय नटबा भैया
हौ सभ से जेठ के भाइ लगै छह
तेकरे से शादी हमहुँ करबै
छबो भाइ भौजइया हेबै
मन के ललिसबा पूरा करबऽ
रंग रभसबा सिरकामे करीहऽ
सातो भाइ के आय मोकबला पूरा भऽ जेतऽ हौ।
हौ एत्ते बात जे बोलै मलीनियाँ
झगड़ा आपस नटबा के छुटि गेल
जेठका नटबा सुनै छेलै
अपना सिरका अलग केलकै
तइ सिरकामे जुमल मलीनियाँ
संज्ञा पड़लै साँझे पड़ि गेल
सिरका घरमे मालीन जुमलै
मनचित भैंसा खूंटि ने देलकै
अधरतिया बूढ़वा नटबा
सुनऽ सुनऽ नटिन दिल के वार्त्ता
गै हमरा सिरका दिवस बीतौले
मन के लिलसा पूरा कऽ दे
जे जे हेतै से से देबौ
जे मन तोरा सिरकीमे हेतै
सब ललिसा तोरा की पूरा देबौ गै।।
सुनै छै यौ नटबा सिरकी तरमे। / मैथिली लोकगीत
सुनै छै यौ नटबा सिरकी तरमे।
तब मलीनियाँ बुधि रचैय
जूड़ा खोलि देल सिरकी तरमे
लट से जादू मलीनियाँ निकालै छै
रचि रचि जादू कियामे मिलबै छै
नटबा भैया के सेवा करैय
नटबा के जादू से सेवा करै छै
रग रगमे जादू भींगलै
सिरकी तरमे नटबा सुतलै
तबे जबाब मलीनियाँ दै छै
हौ देवता कान से जड़ी खिंचै छै
सुगना रूप देवता के छोड़ाबै छै
मानुष तन सीरी सलहेस के बनौलकै
तबे जबाब मलीनियाँ दै छै
सुनऽ सुनऽ हे स्वामी नरूपिया
जल्दी आय तैयारी होइयौ
सिरका-सिरकी, मूर्गा-मूर्गी
खंता-खंती, ढोलक-गुलेता
जतेक समान नटबा के लगै
मनचित राम भैंसा पर लधियौ
लाधि लियौ भैंसा लऽकऽ हय।।
हौ गामे गामे मलीनियाँ घुरै छै / मैथिली लोकगीत
हौ गामे गामे मलीनियाँ घुरै छै
नटबा रूप दादा धेलकै
भागल नटिनियाँ सिमरिया गेलै
घाट सिमरिया पार उतरलकै
जतरा केलकै मोकमागढ़ के
जुमल मलीनियाँ मोकमागढ़मे
मने मन विचार नटिनियाँ करै छै
सुनऽ सुनऽ हे स्वामी नरूपिया
हय केना जेबै मोकमागढ़मे
बारह बीघा फूलवाड़ी चुहर लगौने
ओही फूलबरिया डेरा गिरौलकै
फुलबागमे डेरा गिरौलकै
सिरका सिरकी नटबा ठोकै छै
मनचित भैंसा दादा खूंटै छह
अपने नटिनियाँ बिरहा की गबै छै यै।।
मने मन नटिनियाँ सोचै छै
चुहरा बगिया डेरा देलीयै
फूल चुनैले चुहरा अऔतै
सुरति देखा के चुहरा लोभेबै
जखने चुहरा लोभमे पड़तै
मारबै जादू भेंडी बनेबै
चोर मोट जादू से पकड़बै
मनचित भैंसा पर लधेबै
सबे समान हाजिर करबेबै
तब चोर मोट लऽकऽ हम चलि जेबै यौ।।
डेरा मलिनियाँ बागमे देलकै
भोर भेलै भिनसरबा भेलै
सवा पहर दिन जब उठि एलै
तबे जवाब चुहरा दै छै
सुनि ले छौड़ा सुनि ले
चल चल बौआ पोखरिमे
सोना पोखरिया स्नान बौआ करबै
फूल बगिया फूल लोढ़वै
राज मोकमा के पूजा करबै
गाङो आ गहिल पूजा हम करबै रौऽ।।
हौ भागल नटिनियाँ महलियामे जाइ छै / मैथिली लोकगीत
हौ भागल नटिनियाँ महलियामे जाइ छै
सात रानी के गोदना गोदै छै
बीचमे नाम चुहरा के लिखैय
छौड़ी नटिनियाँ महलमे गयलै
जादू के किया महलमे बनऽबै छै
जादू के मसीहान बनौलकै
जहर के सूइया नटिनियाँ बनौलकै
सातो के रानी गोदना गोदि दैये
लहर उठि छै सातो रानी के
बाप-बाप रानी कनै छै
जहरा सूइया सातो रानी कऽ देलकै
जादू के सूइया रानी के भींगै छै।
बाप बाप तऽ रानी कनै छै
तबे जवाब सातो रानी दइये
सुन गे नटिनियाँ दिल के वार्त्ता
बहुत सुन्दर नटिनियाँ गोद ले
जल्दी गे गोदना हमरा झाड़ि दे
गोदना लहरिया नटिनियाँ हमरा झाड़ि दे गै।।
हौ एत्तेक बात मेचीया रानी कहैय
तबे जबाब हौ नटिनियाँ दै छै
सुनलय रानी दिल के वार्त्ता
गोदना गोदाइ हमरा जाबे नै दयबे
ताबे नै गोदना हमहुँ झाड़बै
राजा के बाजाहटि भऽ गेलै
चाँर चुहरमल महलमे गेलै
चाँर चुहरमल नटिन के कहै
गै सातो रानी के गोदना झाड़ि दे
सुइया लहरिया रानी के झड़तै
पूरा इनाम हम नटनियाँ तोरा दऽ देबौ गै
एत्ते बात बाबू चुहर बोलैय
तबे जवाब आय नटिनियाँ दै छै
सुनऽ सुन हौ डाकू चुहर
दिल के बात हम तोरा कहै छी
हौ कते गोदना हम गोदै छी
मँुहमाँगा इनाम नै दै छै
पहिने सत तू हमरा कऽ दे
तब इनाम चुहरा तोरा से हम माँगबौ रौऽऽ।
सुरति हौ देखि के छौड़ी नटिन के
चुहर डाकू लोभा ने गेलै
आगू ने पाछु ने चुहरा सोचै छै
सत करै छै नटिन के संगमे।
छौड़ी नटनियाँ मुस्की हँसी हँसैय
मने मन गारि पढ़ै छै
चोर-मोट हाजिर तोरा कऽ दै।
एको समान तोरा भोगऽ नै देबै रौ।
तबे जवाब मलीनियाँ दै छै
जते समान पकरिया से लबिले
सब समान हाजिर करियौ
गोदना गोदाइ हम ओएहे लेबै
नइ लेबै अन्न धन सोनमा
गोदना गोदाइ हम ओएहे लेबै
गै बड़ी कठिन से चोरी केलीयै
सेहों समान तहुँ केना लऽ लेलही
जुलुम बीतलै मोकमागढ़मे
केना समान तहुँ माँगले।
हौ पड़लै नजरिया चाँर चुहर के / मैथिली लोकगीत
हौ पड़लै नजरिया चाँर चुहर के
छौड़ी नटनियाँ बोनमे बैठल
लट छिलकौने नटिनियाँ बैठल
ढीला-हारी नटिनियाँ करैय
छौड़ा नङटबा सिरकीमे जुमलै
तबे मलीनियाँ बोली बोलै छै
सुनऽ सुनऽ हे स्वामी सुनि ले
सिरकी भीतरमे स्वामी जइयौ
जइ दुश्मन लय मोकमा एलीयै
सेहे चुहरा बगियामे अयलै
सिरकी उपरमे नजरि खिराबै छै
सहैट के चुहरा सिरकी लग अयलै
तबे जबाब चुहरा दै छै
सुन गै नटिनियाँ दिल के वार्त्ता
गै केकरा हुकुमसे बगियामे अयलै
केेकरा हुकुमसे डेरा गिरौले
सबे फूल बर्बादे भयलै
बात-बातमे चुहर बोलै छै
नटिन रूप चुहरा जे देखै छै
छाती पीटै छै फूल बागमे
बारह बरिस नौकरी हम केलीयै
बहुत नटिनियाँ दुनियाँ देखलीयै
सात रानी कोहबरमे लगै छै
एहेन नटिन हम कतहु नै देखली
एकरा संगे बिअहबा हमे करबै यौ।।
हौ तब जवाब नटिनियाँ दै छै / मैथिली लोकगीत
हौ तब जवाब नटिनियाँ दै छै
सुन हौ सुन डाकू चुहर
घर खाइ ले गेली पूरनियाँ
टोना खामिन शाहिद मरि गेल
स्वामी पोसल मनचित भैंसा
गोदना गोदै छी गुजर करै छी
नगरे नगरे नटिनियाँ घुरै छी
तोरा बागमे डेरा गिरौलीयै
गोदना गोदै ले शहरमे एलीयै
गोदना गोदि के हम गुजर देवता करै छीयै यौ।।
हौ तब जवाब चुहरा दैये / मैथिली लोकगीत
हौ तब जवाब चुहरा दैये
सुन गे नटिनियाँ दिल के वार्त्ता
चल चल गै नटिनियाँ हमर बाग से
गै हमरा महल गोदना गोदिहै
जे आय इनाम तोहर सुपत हेतौ
गोदना गोदाइ हम तोरा देबौ
एके रत्ती आशा नटिनियाँ हमरा
जुड़ा दियौ हय।।
तोरा सिरकीमे दिवस गमेबै
चल चल नटिनियाँ मोकमागढ़मे
एत्तेक बात नटिनियाँ सुनै छै
चाँर चुहर के पेट बनबैय
सुनऽ सुनऽ हौ राजा चुहर
भोजन बनेबै सिरकी तरमे
भोजन कऽ के हमहुँ एबै
दस समाज के हमहुँ नेने
तोरा लगमे हम अबै
तब आय छौड़ी नटिनियाँ बोलै छै / मैथिली लोकगीत
तब आय छौड़ी नटिनियाँ बोलै छै
सुनऽ सुनऽ हय स्वामी नरूपिया
सिरकी तरमे दिवस गमबीयौ
गोदना गोदै लय हम चलैय
चाँर चुहर ड्योढ़ीमे जाइ छी
गोदना गोदबै मेघीया रानी के
सत करा चुहरा से लेबै
जते समान चुहर लौलकै
सबटी समानवा हम लऽ लेबै हय।।
एत्ते बात चुहर सुनैत मे / मैथिली लोकगीत
एत्ते बात चुहर सुनैत मे
सबे समान हाजिर केलकै
छौड़ी नटिनियाँ गोदना झाड़ैय
सबे समान नटिनियाँ बान्हलकै
एक-एक के गैन-गैन के
समान लइये।
भागल नटनियाँ जब ड्योढ़िया पर से चललै
ड्योढ़िया पर नटनियाँ जाइ छै
पाछुए से चुहरा धरै छै
सुन गे नटिनियाँ दिल के वार्त्ता
किय गै सोनरा साँच बनौलकौ
ऊउँठीया डाँर सीना के चाकर
कतरल कतरल नाक लगैय
नेवला पान सन ठोर लगैय
मुठीया डाँर मलीनियाँ करैय
गाल पर बाल नटिनियाँ शोभैय
सुरति देख धैरज रहैय
आजू नटिनियाँ एहिठाम गमा दियौ गै।।
हौ एत्तेक बात चुहर बोलै छै
तबे जवाब नटिनियाँ दैये
हौ राजा रजबार तहुँ लगैछैह
सात रानी कोहबर भोगै छह
अठवाँ हम केना के जेबै
अपनेमे मारि जे बझतै
तोरा दिन तारिख हम दै छी
तोरे बागमे डेरा गिरौने
संझा पड़तै साँझ पड़तै
संझा बेरमे सिरकीमे अबिह
जेना-जेना मन हेतऽ
तेना-तेना करीहऽ
मन के ललिसबा चुहरा तोरा हम पुरा देबौ हौ।
हाय नारायण जुलुम बीतैय / मैथिली लोकगीत
हाय नारायण जुलुम बीतैय
कखनी संझा बेर जे हेतै
साँझ पड़लै डाकू चुहर के
छौड़ी नटिनियाँ भागि तऽ गेलै
सबे समान सिरकीमे लऽ गयलै
तबे नटिनियाँ दादा के कहैय
पहरा केलऽ चन्द्रा कोहबर
सबे समान चन्द्रा के देखलऽ
से गिनिये गिनिये समानमा स्वामी
देखि लिअ यै
एकोटा समान स्वामी छुटि जे जयतै
बात कुल्हेसर नइ जे मानतै
एत्ते जवाब नटिनियाँ दैये
सबे समान दादा सलहेस देखैय
देख-देख के मोटा बन्हैय
मोटा बान्हिके सिरकी रखैय हौ।।
ताबेमे चुहरा बागमे जुमि गेल / मैथिली लोकगीत
ताबेमे चुहरा बागमे जुमि गेल
दादा हौ कानमे जड़ी दै छै
मानुष तन आय दादा के छुटि गेल
सुगना रूप मलिनियाँ बनौलकै
सोना पिंजड़ामे दादा बैठल
सबे तमाशा सिरकीमे देखैय
डाकू चुहरा एलै सिरकीमे
लच लच मन चुहरा करैय
कछमछ मनवाँ आइ तऽ चुहरा के करै छै यौ।।
तिरिया चलितर देवो नै जनलकै / मैथिली लोकगीत
तिरिया चलितर देवो नै जनलकै
माता बागमे नटिनियाँ ठकैय
बदियल बेटा हौ भरम नइ रखैय
डाकू चुहर सिरकी तरमे
पटिआ पर चुहरा सुति रहलै
तखनी मलिनियाँ देवी दुर्गा के सुमिरन केलकै।
प्रगट भऽ गेल देवी दुर्गा
सिरकी तरमे दरशन दैये
केना के चोरबा पकड़ल जेतै
हमर मदतिया दुर्गा कऽ दैये
चुहरा सुति गेल सिरकी तरमे
एके हाथ सेवा अपने करियौ
मारबै जादू चाँड़ चुहर के
हमरा सतवा आय योगिनियाँ मैा बचा दियौ यै।
एत्ते बात मैया दुर्गा सोचै छै
दुर्गा मैया चुहरमे भिड़लै
कात-करोट से सती मलीनियाँ
उनटा जादू जूड़ा खोपा खोलैय
लटे लट से जादू निकालै
उनटा जादू चुहर के मारैय
जादू भेरा चुहरा के भेलै
देवता कान से जड़ी खींचैय
सुग्गापन देवता के छुटलै
तबे जवाब नटिनियाँ दै छै
सुनऽ सुन हय स्वामी नरूपिया
तोरा कहै छिअ दिल के वार्त्ता
सात दिन के हफ्ता लेलियै
तीन दिन स्वामी बीतलै
कसि कसि बान्ह चुहरा के बन्हियौ
मनचित राम भैंसा पर लधियौ
सिरका सिरकी मूर्गा-मूर्गी
सबे समान स्वामी अहाँ लाधि लियौ यै।
एतबे बचनियाँ दादा सुनैछै
कसि-कसि समान चुहर के बन्हैय
मनचितराम भैंसा पर लधैय
डेरा तोड़ल फूल बगिया से
भागल नटिनियाँ पकरिया के चलि देलकै यौ।
भागल नटिनियाँ पकरिया के चललै
घड़ी चलै छै पहर बीतै छै
घाट सिमरिया नटिनियाँ जुमि गेल
हौ मने गंगा सोचै छै
जुलुम बीतै छै हौ ईश्वर जी
डाकू चुहरा बान्हल गेलै
पकड़ल गेलै मोकमागढ़मे
जखने जेतै राज पकरिया
नाम हँसी गंगा हेतै
केना अय चुहरा मोकमा से जयतै यौ।
हौ सुतले चुहरा के गंगा तकबै छै / मैथिली लोकगीत
हौ सुतले चुहरा के गंगा तकबै छै
हा मनचित राम पर चुहर उठै छै
हा पल घुरै छी मनचित राम पर
भट भट रासा हौ चुहर टूटैय
चुहरा उठय मनचित पर जे
बीच गंगा के चुहर पड़ैय
मनचित राम भैंसा उपरमे
भागिकऽ चुहरा दादा चुहरा प्रेमी चलि गेलै यौ
भागिकऽ चुहरा मोकमा गेलै
हासती नटिनियाँ ठकमुरगी लगलै
तब जवाब नटिनियाँ दै छै
सुनऽ सुनऽ हय स्वामी सुनिलय
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
पकड़ल चोर गंगासँ भागि गेल
केना अय हाजिर पकरियामे हयब हय।।
तब जवाब सीरी सलहेस दै छै
हा सुन गे मलीनियाँ तोरा कहै छी
पहिने तोरा हम समझौलियौ
चल चल मनौलिनयाँ राज पकरिया
कोरा कागज राजा से फड़बेबै
हाजत घरमे सहजे जेबै
तोहर छुटकारा ड्योढ़ी से हेतौ
जेल के घरमे नटिनियाँ हम गमयबै गै।
गै चोरबा पकड़ल तोरा हेतौ मोकमा मे।
एत्तेक बात दादा बोलै छै
तब जवाब मलीनियाँ दैये।
चल चल स्वामी चल
मोकमागढ़ चल अबैय
चोरबा पकड़ि के पकरिया जयबै हय।
घुरिकऽ नटिनियाँ मोकमा जाइ छै
नटिन के भेष मलीनियाँ छोड़ै छै
हा जाति तऽ मालीन बनलै
माया बाजार लगा ने देलकै
मोकमागढ़ बाजार लगौलकै
मेला घुरैलय चुहरा अऔतै
पान खेतौ मुँहबा रंगौतै
पान खिया मन मोहरौबे
तब चुहरा के हाजिर करबै गै।।
मेलबा घुमैलय चुहरा चललै / मैथिली लोकगीत
मेलबा घुमैलय चुहरा चललै
साथमे छौड़ा पलटन के लइये
सोना तिजोड़ी काँख लगौलकै
छौड़ी मालीन पर नजरि पड़ि गेल
मने मन चुहर सोचै छै
बहुत मालीन हम देखलीयै
एहेन हम तमोलीन ने देखलीयै
दौड़ल चुहरा एलै चौबटिआ
तखनी नजरि मालिन के पड़िगेल
लट छिटकौने मलिनियाँ बैठल
रचि-रचि पान लगाबै
जादू के खिल्ली पान लगाबै
जादू के जर्दा पानमे मिलाबै छै
हा जादू के कत्था पानमे दै छै
रचि रचि पान तमोलिन जखनी लगा देलकै यौ।
चुहरा आबै छै पनमा दोकानमे
पहिल नजरि तमोलीन भर दै छै
रूप निङहारै तमोलीन के
मुँह के मुश्की तमोलीन बोलैय
बात-बातमे पान खाइये
पान उठा चुहरा जे खाइये
पान खैलकै जादू चुहरा
नशा अबै छै डाकू चुहर के
चुहरा चौबटिया गिरै छै
तब मलीनियाँ बोलै छै
सुन ले हौ सुनि ले सुनि ले स्वामी
दोसर जाँच हौ बेइमनमा लगै छह
आब चुहरा भागि कऽ जेतऽ
भागल चुहरा नै हाथ से लागतऽ
कसि कसि बान्ह चुहर के बान्है छी
सत के बान्ह जादू के बान्हि
मनचित राम पर चुहर के लाधै छै
लाधल चुहरा पकरिा चललै
चोट मोट लऽकऽ मलीनियाँ चललै
फेर मलीनियाँ नटनियाँ बनलै
लऽकऽ मलीनियाँ सिमरिया जुमिले
तब मलीनियाँ अरजी करैय
सुनि ले मैया गंगा सुनिले
छियै सतबरती मलीनियाँ बेटी
हमरे हाथ से फूल जाइ छै
घर-घर फूल मलीया दै छै
हमरे तोड़ल फूल लऽकऽ।
पूजा तोहर होइये।
स्वामी जी के भेलै जमानत
कोरा कागजमे छाप लगेलीयै
सात दिन के हफ्ता लेलीयै
चोर ने बन्हैते मोकमागढ़मे
जुर्माना राजा जे लेतै
नाम हँसी गंगा तोहर हेतौ
केना कऽ सतबा ये मैया किया बचतै गै।।
गै सत बचा मैया गंगा दियौ
हा सतयुग छियै कलयुग अऔतै
कलयुगमे नै कोइ मलिया के मानतै
गै मलिया तोड़ल फूल नै चढ़ौतै
हा केना गय पूजा देवता हेतै
देवता नामुआ मैया कलयुग बुततौ गै।।
तबे जवाब मलीनियाँ दै छै / मैथिली लोकगीत
तबे जवाब मलीनियाँ दै छै
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
हौ कोरा कागज यौ बाबू निकालियौ
अऊँठा छाप राजा हे लेलऽ
कोरा कागज ड्योढ़ीमे फाड़ियौ
चोर-मोट हाजिर कऽ लियौ
सबटी समान बाबू अपन अहाँ लऽ लियौ हौ।
सबटी समान हाजिर कऽ लेलकै
कोरा कागज राजा फाड़ै छै
अपना हाथ से कागज फाड़ै छै
छौड़ी मलीनियाँ छुटकारा भऽ गेल।
दादा सलहेस केश खारिज भेलै।
ड्योढ़ी पर से नरूपिया चललै
मनचित भैंसा राजा के छोड़बै
सबे समान नटवा के छेलै
छोड़ी मलीनियाँ मोटा बन्हैय
सिरका सिरकी खंता-खंती
दादा सलहेस के मार टहबैय
जतरा दादा नटवा लग चलि देलकै यौ।
जतरा नटिनियाँ ड्योढ़ी से चलैये
नींद के मातल डाकू चुहरा
उठि के चुहरा ड्योढ़ी बैठैये
मने मन चुहरा सोचैय
छेलीयै यौ राज मोकमागढ़मे
केना एलीयै पकरियागढ़मे
झूकि सलाम चुहरा राजा के करै छै यौ।।
फेर चुहरा के नौकरी रखै छै
दादा सलहेस नौकरी खारिज भेलै
छौड़ी नटिनियाँ भागल जाइ छै
मैनाडीह नटिनियाँ जुमि गेल
सुतले नटबा परती पर छेलै
फेरो मलीनियाँ सिरकी तनै छै
तब नटबा के मलीनियाँ जगाबै छै
सुनऽ सुनऽ भैया नटबा
बिपैत पड़ि गेल छौड़ी मालीन के
हम नै छीयै नटिनियाँ बेटी
राज मोरंग घर लगै छै
हिनपति मालि के बेटी छीयै
स्वामी हमर बान्हल छेलै
तहि के कारनमा नटिनियाँ भेष धेने छेलीयै यौ।।
चोर पकड़ै ले नटबा
सिरका-सिरकी लगेलीयै
अपन सिरका-सिरकी लीयौ हौ।
छौड़ी नटिनियाँ सिरका-सिरकी
नटबा के हाजिर कऽ ने देलकै
तब जवाब मलीनियाँ दै छै
सुनऽ सुनऽ हे स्वामी नरूपिया
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
चल चल स्वामी राज महिसौथा
भागल देवता आय महिसौथा के चलि देलकै यौ।
सती मलीनियाँ सबसे तरैलै
बामा भागमे पूजा देलकै
राज महिसौथा गादी परमे यौ।।
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