गै जो जो दुर्गा मंदिर / मैथिली लोकगीत
गै जो जो दुर्गा मंदिर
दुर्गा मैया के अरजी करिहै
ओएह बिअहबा तोरा हेतै
मैया दुर्गा के अरजी संझा करीहै गै।
हौ एत्तबे वचनियाँ संझज्ञवती सुनै छै
हा भागल जाइ दुर्गा मंदिर
सात बहिनियाँ देवी दुर्गा
जल-फूल संझा लइये
अक्षत चनन संझा लऽ लेलकै
हाथ के डलीया संझा लइये
लोटा पितरिया जल लै छै
दुर्गा मंदिरमे संझा गयलै
दीनानाथ के सुमिरन करैय
सवा हाथ धरतीमे बीतलै
हा जल-फूल दुर्गा के चढ़बै छै
रचि रचि के माता मनाबै
कहियो ने ब्याह सेाच बाबू करै छै
प्रेमचंडाल बाबू सूरजा भयलै
कतेक कुमार मैया हमहुँ रहबै
एमरी बेरी गै मंदिरमे मरबौ
तिरिया बध तोरा हम लगेबौ
हमरा बिअहबा देवी मैया तू करा दियौ गै।
हौ जल-फूल आइ संझा जे चढ़ौलकै
देवी दुर्गा के महिमा डोलि गेल
सातो बहिनियाँ देवी मानै छै
दया उबजि गेल दुर्गा जी के
तब जवाब दुर्गा जे दइये
सुनि सुनि ले बेटी जाके बैठि जो कोहबर घरमे
एमरी बिअहबा तोरा रचेबै
हम जाइ छी सतखोलियामे
एमरी बिअहबा तोरा हम करा देबै गै।।
हो एतबे वचनियाँ बनसप्ति सुनैय / मैथिली लोकगीत
हो एतबे वचनियाँ बनसप्ति सुनैय
मैया दुर्गा दरशन देलकै
झूकि परनाम दुर्गा के करैय
झूकि परिणामवाँ बनसप्ति मैया करै गै।
सुनिले सुनिले गै दुर्गा मइया
हा केना बिअहबा बेटा करेबै
तेकर हलतिया हमरा कहि दे
सब भेदवा हमरा मैया बता दियौ गै।
तौ एतबे वचनियाँ बोलै बनसप्ति
तब कहै छै दुर्गा मैया
सुन गे बनसप्ति दिल के वार्त्ता
प्रेम चंडाल सूरजा लगै छै
सात सय बन्हुआ नित बन्है छै
जहि दिन बन्हुआ एको नै होइ छै
अपन पैर जेलमे दै छै।
तब अन्नजल सूरजा करैय
प्रेम चंडालवा राजा सूरजा जखनी लगै यौ।
सूरजा नाम दुनियाँमे सुनियऽ
तब जवाब दुर्गा दै छै
सुनऽ सुनऽ गे बेटी बेटी बनसप्ति
सात सय दुलहा मारल गयलै
कते दुलहा के मुड़ी कटलकै
राज सिंघलदीपमे जखनी
बान्हल मड़बा बन्हले रहलै
कोइ ने सिंघलदीपमे जाइ छै यौ।।
केना बिआह करिकन्हा के होयतै
सुन्दर कनियाँ सिंघलदीप जनमलै
रानी संझावती नाम लगैय।
सुन बनसप्ति दिल के वार्त्ता
जो जोा गै महिसौथामे
बदियल बेटा मोतीराम लगै छै
जाबे नै मोतीराम सिंघलदीप जयतै
जाबे बिअहबा संझा के होयतै गै।
हौ तब वचनियाँ दुर्गा कहैय / मैथिली लोकगीत
हौ तब वचनियाँ दुर्गा कहैय
सीरी सलहेस नरूपिया खामिन के
सुन ले देवता देवता नरूपिया
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
हमर वचनियाँ नरूपिया मानियौ
सब क बिअहबा महिसौथा कयलऽ
एकेटा कुमार तोरा भगीना रहलऽ
जनम उलहिनियाँ तोरा बहिनियाँ दै छह
केना बिअहबा करिकन्हा के होयतऽ हौ।।
केना के बिअहबा करिकन्हा के होयतऽ हौ।।
एमरी लगन बेटा चलि ने गेलै
एमरी बिआह करिकन्हा करा दियौ रौ।।
घड़ी चलै छै पहर पेर बीतै छै / मैथिली लोकगीत
घड़ी चलै छै पहर पेर बीतै छै
लागल सभा सलहेस के छेलै
मंशी मनेजर मंशी दारोगा
कर-कोतवाल ड्योढ़ीमे बैठल
टेंटीआ-फेंटिया मंगल किरतिया
गिरवीर-सिरवीर बोलै पहड़िया
तीन सय साठि तिरहुतिया बैठल
केवल किराती मंगल महोतिया
ड्योढ़ीमे बैठल सुग्गा हीरामनि
गन-गन सभुआ आय देवता के करै छै यौ।।
तहि असरमे दुर्गा जुमि गेल
अलख नजरिया पड़ि गेल
कुर्सी दादा हौ नरूपिया छोड़ि देल
मैया दुर्गा बैठका देलकै
झूकि प्रणाम ड्योढ़िया केलकै।
जनम लेने छै सतखोलियामे / मैथिली लोकगीत
जनम लेने छै सतखोलियामे
करिकन्हा जब जनम लेलकै
रानी बनसप्ति के बेटा लगै।
सात सय हाथी टेंना पर चरबै
शैनी सिंह के बेटा कहबैय
जनम कुमार सतखोलियामे रहलै यौ।
सिंहलदीपमे राजा रहै छै
सूरजा सिंह नाम पड़लै
एगो बेटी जनम लेलकै
संझावती नाम रखने छै
जइ दिन जनम संझा भेलै
सोइरी घरमे अँचड़ा बन्हलकै
शनि रवि पबनी टेकलकै
एकादशी हरि बातों केलकै
आठो दिन अठबारे केलकै
सुभ भक्ति आय संझा जइ दिन करैय यौ।
हौ दीनानाथ के सुमिरन करै छै
शिव बाबा के नित जल ढ़ारै छै।
कहिया ब्याह हमरा होयतै
सब दिन पूजा शिव मंदिर केलीयऽ
इहो वरननमा बाबा हमरा दऽ दीयौ यौ।।
सुनऽ सुन हौ दादा नरूपिया / मैथिली लोकगीत
सुनऽ सुन हौ दादा नरूपिया
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
सिंघलदीपमे राजा बसैय
सूरजा सिंह के नाम लगै छै
सभटा बात मैया दुर्गा बुझाबै छै
चल चल बौआ अगुआ भेज दे
अगुआ पठाबी सिंघलदीपमे दैइयौ यौ।
मनमे विचार नरूपिया करै छै
केकरा अगुआ सिंघलदीप भेजबै
तब हजमा चन्देसरा बजाबै छै
नौआगढ़ी से चन्देसरा अबै छै
छुरा चमौटी काँख दबाक
कैंची पेंचुआ हाथमे लऽकऽ
सुनऽ सुनऽ हौ बौआ चन्देसरा
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
सभ के बिआह महिसौथा करीलीयै
एके बिआह करिकन्हा रहलै
एकेटा भगीना हमरा कहौलकै
जो जो सिंघलदीप राजा लगै छै
सूरजा सिंह बौआ नाम लगै छै
ओकरे जाँघि जनमल संझा छीयै
भागल हजमा सिंघलदीप जइयो
दिन मना सिंघलदीप लइयो
साजि बराती सिंघलदीप जइबै रौ
एमरी बिआह भगीना के करबै रौऽऽ।
एतबे वचन मोतीराम सुनै छै / मैथिली लोकगीत
एतबे वचन मोतीराम सुनै छै
गरजि गरजि ताल मोती ठोकै छै
सुनु हे मैया तू सहोदरा
एक बेर सिंघलदीपमे जयबै
डोलाँ फनाँ पुतुहुआ के लौबऽ
खबरि जना दे बहिन सहोदरी के
एमरी बिअहबा भगीनमा करबै गै
साजल बरियाती सिंघलदीपमे
साथे बान्ह हजमा के खोलैबै
एत्ते बात जे दादा सुनैय
सुग्गा हीरामनि के दादा भेजै
राज सतखोलियामे सुग्गा जुमै छै
सब बरनन वनसप्ति के कहै छै
एक सय एक यार तैयारी करीयौ
कानी करिकन्हा के दुलहा सजौबीयै
एमरी बिअहबा करिकन्हा मालिक के हयतै गै।
एत्तेक बात बनसप्ति सुनैय
सतक भार बनसप्ति करैय
एक सय एक भा तैयारी भऽ गेल
सात सय हाथी महिसौथा जुमि गेल
सब बरियाती एकट्ठा भऽ गेल
गरजि गरजि ताल मोती ठोकैय
सोंटा सड़र के काँख दबौलकै
मंगल महोतिया केवल किरतिया
संग लगाबैय दादा नरूपिया
साजल बरियाती सिंघलदीपमे जाइ छै
तबे जवाब करिकन्हा दै छै
सुनऽ सुनऽ हे मोती मामा
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
केकर बेटा बाघ बीयेलै
दुनियाँमे तोरा जीततै
जादू लगमे बल तोरा नै हयतै
माता वनसप्ति के संग लगालीयौ हे
चौदह विद्या मैया हमर लगै छै
संगमे मैया हमर लऽ लियौ है
कल से लड़तै कल से लड़बै
बल से लड़तै बल से लड़बै
जादू के जाल मैया हमर लड़तै हौ।।
डोला फनाँ कनियाँ के लेबै।
डोला फनाँ कनियाँ मामा सिंघलदीप से ल लेबै हौ।
हाथ पर्ची हाथ लेलकै / मैथिली लोकगीत
हाथ पर्ची हाथ लेलकै
दादा लिखल पर्ची हाथ लेलकै
सिंघलदीप भागल हजमा जाइये
काते करोट हजमा चीठी गिरबैय
चीठी गिरा हजमा भगलै
चीठीया गिरा के छौड़ा जखनी भागि गेलै यौ।।
चीठीया उठाके राजा सूरजा पढ़ैय
तरबा लहरिया मगज पर चढ़लैय
सभ पलटन के ऑडर दै छै
कोन चोरबा महिसौथा से एलौ
जुलुम बीतल ड्योढ़ी परमे
चीठी गिराके ड्योढ़ी पर भागल
केना के चोरबा सिंघलदीप से भगलऽ
जल्दी पकड़ि के अगुआ के लबिअ
हाजत घरमे हड्डी गला देबौ यौ।
जुमि गेल सब बरियाती जखनी / मैथिली लोकगीत
जुमि गेल सब बरियाती जखनी
सात सय पलटन ड्योढ़ीमे छेलै
घोरूआ माटि मोती देखै छै
नौ गज लम्बा छ गज चौड़ा
धोबीया पाट सन सीना देखैय
ढ़किया सन सन मुड़ी देखैय
ढ़ोकासन-सन आँखि देखैय
खुरपासन सन नाक देलै छै
ऐढ़हल ऐढ़हल बाँहि देखै छै
थर थर-थर थर ड्योढ़ी कँपै छै
आब भरोसवा राजा सूरजा के होइ छै-2
मनमे विचार राजा सूरजा करैय
बहुत बरियाती सिंघलदीप जुमलैय
सात दुलहा के मुड़ मारलीयै
एहेन खलीफा हम कहियो ने देखैलीयै।
सहजे दिन राजा सूरजा मानै छै
सहजे दिन राजा सूरजा मानि लेलकै
पानि ओछाइन सब बरियाती के मिलै छै।
बान्हल मड़बा बन्हले छेलै
तब जवाब राजा दै छै
सुन सुन हौ देवता नरूपिया
फूल हौ सेजिया देवता के मिललै
हा सोना कुर्सी मोती के मिलैय
आदर भाव ड्योढ़ीमे होइये
तखनी लहरिया मोती के चढ़लै
सुनि ले राजा राजा दरबी
पहिले अगुआ हजमा पठौलियै
तेकरा केना जेलमे देलह
बान्हल हजमा जेलमे कनै छै
बाप से भेंट राजा तोरा करा देबौ हौ।।
बात-बातमे झगड़ा बझि गेल
उठि गेलै राजा कुर्सी पर से
खरूआँ नंगोटा डाँर लगाबैय
जहिना पहलवान खेलै अखराहा पर
तहिना मोतीराम ड्योढ़ी पर खेलै छै
एक बेर मोती जोड़ लगाबैय
सात हाथ ऊपरमे फेकैय
निचा से मोती लपकै छै
तरबा लहरिया मगज पर चढ़ैय
हाथमे तेगा दुलरा लै छै
सुन गे देवीया देवी असावरि
कनिके ऑडरबा मैया जखनी दऽ दीयौ गे।
एमरीय मुड़सुर डाँसे मारैय
तोड़े नाममे बलि चढ़ेबै
कते कनियाँ कुमार मैया केलकै
एमरी बदला मैया राजा के सधा लेबै गै।
एत्ते बात दुलरा मोती बोलैय
कोहबर घर से रानी संझा बोलैय
करजोड़ि कनियाँ जे लेलकै
सुनऽ सुनऽ हौ मामा सुनलय
जेहने बेटा तोहर छिअ
तेहने पुतोहुआ मामा हेबै
बाबू के जनमा मामा नै मारीयौ यौ।
हमर दिन तऽ सहजे मनेबै
एत्ते बात मोती सुनैछै
ऊपर नजरिया मोती खिराबै छै
नजरि पड़ि गेलै कनियाँ मुँह पर
सवा हाथ घोघ तनैय
हाथ के तेगबा मोती के रहि गेलै यौ।
कर जोड़ि के राजा कहै छै
बहुत लोहा दुनियाँ जँचलीयै
हमर प्रण आइ पुरा भेलऽ
हमर वचनियाँ सिंघलदीपमे मानि तेलीयै यौ।
सुनऽ सुनऽ हौ जल्दी पंडित बजबीयौ
दुलहा मड़बा पर लऽ जइयौ
अपना हाथ से कनियादान करबै यौ।।
एत्तेक बात राजा सूरजा बोलै
काशी जी से पंडित एलै
मड़बा पर जे पंडित जे गेलै
मड़बा पर दुलहा मँगाबै छै
एक जांघ पर दुलहा बैठल
दोसर जांघ पर कनियाँ बैठलै
हाथ पकड़ि के दान कराबैय
ब्याह रचा आइ सूरजा राजा देलकै
डोलीया फनाँ आइ राजा देलकै
बतीसो कहार राजा सजलकै
आगू पाछु बरियाती जाइ छै
तइ पाछा करिकन्हा जाइ छै
एक्के डोलीया पर बैठलै बनसप्ति
राज सतखोलिया के जतरा धेलकै
सब बरियाती महिसौथा गेलै
डोलिया गयलै राज सतखोलिया
ब्याह करिकन्हा के सतखोलियामे भऽ गेल
देवता नरूपिया महिसौथा गेलै
डोलीया फनाँ नरूपिया देवता गयलै हौ।।
हौ दादा नरूपिया महिसौथामे बैठलै
फलका ऊपरमे मोती गयलै
सात सय पाठा फलका पर खेलाबैय।
हकन-बिकन छौड़ा हजमा कनैय / मैथिली लोकगीत
हकन-बिकन छौड़ा हजमा कनैय
जेल के घरमे हजमा देलकै
केना प्राण मैया हमरा बैंचतै
सुनिले सुनिले देवी असावरि
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
केा समधिया महिसौथा मैया जयतै गै
तनि समाध महिसौथा पहुँचैय
बान्ह खोला नरूपिया लयतै
नै तऽ प्राणमा जेलमे तेजबै गै।।
दुर्गा मैया छै अगरजानी
भागल दुर्गा महिसौथा के जाइये
सब हलतिया नरूपिया के कहैय
बन्हवाँ खोलाकऽ हजमा के लाबि लियौ यौ।
एत्तेक बात नरूपिया सुनैय
तरबा लहरि मगज पर चढ़ैय
मोतीराम के खबर देवता दै छै
फलका ऊपरसे मोती जुमलै
झूकि परनाम सहोदरा के करै छै
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