एत्तेक बात सती साँमैर कहैय / मैथिली लोकगीत
एत्तेक बात सती साँमैर कहैय
हा सत के बंधमे देवता पड़ि गेल
हा सती साँमैर के सत पर चलैय
पीरे रंग धोतीया देवता पेन्हैय।
हौ आब जतरा परबा पोखरि के सुनियौ
चढ़िते सवनमा महीना बीतै छै
दादा नरूपिया मोरंग जाइ छै
परबा पोखरि के यज्ञ होइ छै
पीरे रंग रंगल धोतीया नरूपिया देवता पेन्है छै।
पोथी-पुराण नरूपिया देवता लइ छै
हा ओढ़नी बसुलीया गात लगौलकै
सुग्गा हीरामनि संग लगौलकै
हा जतरा करै छै परबा पोखरि के
घड़ी चलैय पहर बीतैय
पले घड़ी मोरंगमे जुमैय
पले घड़ीमे देवता मोरंगमे जुमि गेलै यौ।।
हौ परबा पोखरिमे नरूपिया जुमलै
हा साँझ जे पड़ि गेल संझा बेरमे
हा सुन्दर फुलवंती मलीनियाँ छेलै
कोहबर घरमे मलीनियाँ छेलै
से घड़ी राति बोन अैगली बीतलै
घड़ी राति बोन पैछली बीतलै
गाम-गाममे पहरा पड़लै
गीदड़-भालू गुड़गुड़ी मारैय
सुखल डारि पर कागा बोलैय
सन-सन सन-सन हवा उठैय
पैछली राति करनीनियाँ बेरमे
सपना दै छै फुलवंती के
गै सुनि ले बेटी फुलवंती
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
भोर भेलै भिनसरबा भेलै
चल-चल बेटी परबा पोखरिमे
कखनी स्लान परबा पोखरिमे करबह गै।
आ जखनी महिसौथा बरियाती जुमलै / मैथिली लोकगीत
आ जखनी महिसौथा बरियाती जुमलै
चुमा आ चाखर कनियाँ भयलै
जखनी आ सीरी नरूपिया बोलै छै
हौ धोती आय फेर यारजी से कऽले
तकर जवाब सतबरता दै छह।
सुनऽ सुनऽ हय सती दुलहिनियाँ
गै सबके ब्याह महिसौथामे करौलियै
हा कोइ ने कुमार महिसौथामे रहलौ
सब दुलहिनियाँ मंगल करलै
रेशमा कुसमा नाम लगै छै
गै रेशमा कुसमा दौना मलीनियाँ
रानी तरेगना नाम फुलवंती
जइ दिन जनम मोरंगमे लेलकै
सोइरी घरमे अँचरा उठौलकै
बान्हल अँचरा अँचरा रहलै
वयस बूढ़ेलय केश तिलकलै
अल्फावयस तरूणीया बीतलै
बाबू भाइ के बात कटलकै
नगर समाज के बात नै केलकै
जातिया दुसधबा पर अँचरा मलीनियाँ बान्धि
देलकै यौ।।
हौ एत्ते अय बात देवता बजैय
हा तब जवाब सती साँमैर दै छै
सुनऽ सुनऽ हय स्वामी नरूपिया
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
हा जइ दिन गौनमा हमरा कराओलऽ
सखी मालीन से युद्ध पड़लऽ।
आ जइ दिन कोहबर से चोरी तू भऽ गेल
हा लऽकऽ मलीनियाँ भागल चलि जाइ छल
तइ दिन मालीन सत करौलकै
सतबा कराकऽ मलीनियाँ अहाँ क माँगि लेलकै यै।।
हौ अस्सी मन के हौ डंटा टांगल / मैथिली लोकगीत
हौ अस्सी मन के हौ डंटा टांगल
हा लकड़ी उठा के डंटामे गारैय
एक बेर बिगुल राजा हौ बजाबैछै
हा चौदह कोश के हौ रैतीप्रजा
सभ जमा ड्योढ़ीमे भऽ गेल
आ बेटा करणसिंह बड़ कहबैका
सात सय पाठा करणसिंह खेलबैय
कंचनपुर बड़ नठिया गार लैय
तीन सय तीन डंड खींचैय देवता
हा सात सय हौ पाठा करणसिंह खेलबैय
गदमद हँसेरिया मोरंग राजमे करैय यौ।।
सुनऽ सुनऽ हो राजा दरबी
किय कारण की भऽ गेलै
मोरंगमे जे डंका पड़ि गेलऽ
लेकर हलतिया हमरा कहि दऽ
कोन दुश्मन ड्योढ़ीमे एलै
घेर कऽ दुश्मन के मारि देबै
आ राज भरमे हड्डी ओकर गला देबै हौ।।
हौ एत्तेक वचन रानीयाँ से करै छै / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक वचन रानीयाँ से करै छै
हा ताली मारै छै परबा पोखरि मे
सुन गै फुलवंती बहिना सुनिलय
गै सबके दिन सुदिन नइ भयलै।
तोहर दिन सुदिन आइ भयलौ
कोन दने चोरबा सेन्दुरबा देलकौ
सत भगन पोखरिमे भयलौ
मने मन विचार फुलवंती करैय
जुलुम बीतलै परबा-पोखरिमे
हा कोन चोरबा पोखरिमे अयलै
सत भगन फुलवंती भऽ गेल
किया आइ जवाब आइ बाबूजी के देबै यौ।।
हम कौने जवाब बाबूजी के दयबै।
हा जुलुम बीतलै परबा पोखरिमे।
तब रानीयाँ करूणा करैय
बाबू के नाम से चीठी लिखैय
सुन गे बहिनी गय बहिन बहिनपा
हा हम नइ जनलीयै गै बहिन सभ
केनाकऽ चोरबा एलै पोखरिमे
गै कोन डकैतबा पोखरियामे अयलऽ
कखनी गै माँग सिन्दुर चोरबा धेलकै
हमर सत भगन आइ भऽ गेल
से जाकऽ खबरिया हमरा बाबू के दइहौ गै।।
गे जाकऽ खबरिया बाबू के करीयौ
जखनी बाबू हमरो अयतै
घाट-घाटमे चोरबा के घेरतै
हा एत्तेक बात रानी फुलवंती कहैय
अँचरा बान्हि के कागज बनौलकै
कजरा के मोसिहानि बनाऽ कऽ
अलग अलग बात जे लिखै
बीचमे सात सलामी लिखै
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
हौ केली स्लान आइ परबा-पोखरिमे
आय चोरबा एलऽ एही दहमे
हा चोरबा बनि के माँग छुबलकै
टिकिया सेन्दुर माँगमे देलकऽ
सतन भगन हमरा भऽ गेलऽ
हौ एत्तेक वरणन चीठीमे लिखैय
रचि-रचि चीठी फुलवंती लिखैय
हा सात सहेली के साथमे जइयौ
भागल सहेलिया आय परबा पोखरि से चलि देलकै यौ।।
हौ सात सखी आय सहेली मिलिकऽ / मैथिली लोकगीत
हौ सात सखी आय सहेली मिलिकऽ
हा परबा पोखरि के जतरा केलकै
रानी फुलवंती साथमे लगलै
गै सुन सुन सुन सखी बहिनपा सुनले
भोर भेलै भिनसरबा भऽ गेल
मूर्गा बांङ बहिनियाँ मारलकै
हा छेलै अन्हरिया रानी नइ बुझलकै
मूर्गा शब्दमे रानीयाँ घुरलै
मूर्गा रूप सुनिके रानीयाँ आइ चलि देलकै यौ।
रानी जतरा जखनी केलकै
सात सहेलिया संग लऽ कऽ
घड़ी के चलैय पहर बीतैय
पले घड़ीमे अधपेरिया बीतैय
ताबेमे नरूपिया रचना रचै छै
हा मोटीया सेनुर पोखरिमे घोरैय
छनमे देवता बाहर भऽ गेल
हा पंडित रूप नरूपिया धेलकै
जह जह रूप महरबामे बैठ गेलै यौ।।
हौ एत्तेक बात जब राजा कहलकै / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक बात जब राजा कहलकै
सात सय हँसेरी परबा पोखरिमे ढुकलै
हा भाला बरछी तऽ सजैय
गोली गाठा राजा सजलकै
हा घुपचुप घुपचुप भाला उठैय
खट-खट खट-खट लेगा उठैय
धम धम धम धम चलै हँसेरी
तहि समयमे नरूपिया देवता
मनेमे विचार आय नरूपिया करैय
सुन गै देवौ देवी असामरि
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
केना जान हमरा बँचतै
सेहो सतबरती हमरा मैया हमरा चिन्हलकै।
गै रानीयाँ अँचरा बान्हलकै
बान्हल अँचरामे रहि गेल
आ भँवरा जाल अँचरामे रहि गेल
गै जाति वर के लात मारलकै
सखी बहिन के बात नइ रखलकै
जाति दुसाध नरूपिया देवता
हमरा पर आस लगौलकै
सेहो तऽ मने हमरा की परेखै छै गै।।
हौ एतेक बात नरूपिया कहैय / मैथिली लोकगीत
हौ एतेक बात नरूपिया कहैय
हा तहि समय नरूपिया देवता
कमल फूल नरूपिया बनल छै
हा सात सय हँसेरी पोखरिमे जुमि गेल
हा चारू भर से हँसेरी घेरलकै
असगर रानी पोखरिमे बैठल
भाला बरछी पोखरिमे मारै छै
लह लह लह लह कमल फूल करैय
एको नइ भाला कमल फूल लगै छै
एको नइ रूइयाँ भगन देवता के होइ छै यौ।
हौ सात सय बरछी पोखरिमे मारै छै
हा तइयो ने देवता पाता पाबैय
मनेमे बिचार आइ राजा करैछै
सुन सुनलय बौआ हँसेरीया
भागल जइयौ मलखलबामे
सात सय हड्डी गाड़ी पर लाबि कय
परबा पोखरिमे हड्डी गिरा दे
हौ बाभन हेतै जतिया जेतै
देवता हेतै नाशभऽ भेजै
जखनी हड्डी पोखरिमे दयबै
तखनी चोरबा पोखरिमे हेतै
कोन कोनसार चोरबा भगलै
तखनी मारि बनिसार बौआ दऽ देबै हौऽऽ।।
आ सात सय गाड़िया
कल्हुआ-मल्हुआ हड्डी लाबि लेलकै यौ।
सभटा हड्डी पोखरिमे गिराबैय
हाय नारायण हाय नारायण
हाय ईसबर जी जुलुम बीतलै
जुलुम हेतै राज महिसौथा
नाम हँसी हमरा होयतै
केना के धरमुआ नरूपिया के बचतै यौ
हौ एत्तेक बात नरूपिया रटैय
हा पूर्वा-पछिया हवा लगैय
बिना हवा के हवा बहि गेल
हौ फुल रूप आइ दहमे चलैय
हा पवन रूपमे देवता उड़ि गेल
घाट पछवारी से भरलै
पछमीये दिस नरूपिया देवता भागि गेलै यौ।।
कुछ दूर जाकऽ ऊपर मेे गेलैय
बराहमन रूप नरूपिया भयलै
पोथी-पुरान काँख तर घयलै
हा एको नइ चोर नै राजा के भेटलै
तब विचार राजा हिनपति करैय
सुन सुन सुनलह हौ भैया
चोरबा रहितै पकड़ल जइतै
हा नै नै चोरबा पोखरिमे अयलऽ
तखनी राजा हिनपति मालि कहैय
हा जे कोइ अयल हौ परबा पोखरिमे
चोरबा बनि कऽ मोरंग से जयबह।
नाम हँसी मोरंगमे हेतऽ
सतयुग छीयै कलयुग अऔतै
कलयुगमे नै नाम ने चलतह।
अपन सत के आइ देवता जना दीयौ हौ।
हौ दियौ दरशन नरूपिया परबा पोखरियामे-2
हौ एत्तेक बात जखनी हिनपति सुनैय / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक बात जखनी हिनपति सुनैय
हा मनमे विचार हिनपति मलिया करैय
जाति दुसाध राजा कहबैय
केना के चोरबा बनि पोखरि एलैय
तहि पर देवता नरूपिया कहैय
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबौ
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
हम ही पहिने पोखरिमे स्लान केलीयै
सेन्दुर खोलि पोखरिमे खसलै
हम नइ जनलीयै हा सेन्दुरबा खुजि गेलै हौ
से तोहर हम गलती हौ राजा
हम माने छी
एकर गलती राजा मानै छी हौ
तखनी राजा बोलै छै
सुन हो देवता देवता नरूपिया
हमरा संगे सत तहु कऽ दय।
हौ हमरा संगे सत देवता तहुँ करीयौ।
तब हौ देवता छोड़ि हम दयबह
आ भागि के देवता महिसौथा जयबह
एत्तेक बात तब राजा आइ कहैय यौ।।
हौ छेलै यौ नरूपिया देवता पर भगता
आ आगू आइ पाछु नरूपिया सोचैय
राजा संगेमे सत करै छै
एक सत दू सत ब्रह्मा विष्णु सत
सुनिलय हौ सुनिलय राजा सुनिलय
हौ जे तोहर कहल नै राजा करीतह
अस्सी कोस नरकमे गिरतै
सतयुग छीयै कलयुग एतै
कलयुगमे नाम नै फेरो चलतै
आ तोरा संगमे सतबध हम कऽ देलीयै यौ।
तखनी नरूपिया विचार नै केलकै
आ हित बनाके हौ दुश्मन सधहैय।।
आ जब जब हौ सत नरूपिया केलकै
तब जवाब हीनपति मलिया दै छै
सुनलय हौ सुनलय हौ राजा नरूपिया
दिल के बात हम तोरा कहै छी
हमरा संगमे सत तहुँ केलहऽ।
अहौ अग्निबान तहु बांग लऽलीयै हौ
हा एत्तेक बात नरूपिया सुनै छै
मने मन विचार करै छै
हाय नारायण हाय विधाता
हौ ईसबर जी जुलुम भऽ गेल
केना जेलमे हौ देवता पड़तै
केना समधिया महिसौथा हय जयतै हौ।।
हौ जइय-जइये, हाट आइ करम सिंह फोड़ैय / मैथिली लोकगीत
हौ जइय-जइये, हाट आइ करम सिंह फोड़ैय
आ सुनली बड़ाइ हौ मोतीराम के
हा बाप से भेंट आइ रणमे करेबय
हा जखनी अऔतै राज मोरंगमे
तखनी बदला हम दुसधवा के सधा लेबै हौ।।
हौ सात दिन हौ नरूपिया के बीतै छै
अधहा मासु देह से खसलै
हा सरबर नीर आइ देवता ढ़ारैय
दुर्गा मैया के देवता सुमरैय छै
हा सुन गे सुनलय देवी असावरि
धोखामे मैया सत करौलही
आ गरथ जेलमे मैया हमरा की कऽ देलही गै
राजा हीनपति कोन काम केलकै
भागल गेलै कोशिका लगमे
कड़ा सवाल कोशी के कहैय
सुनिलय कोशिका गय दिल के वार्त्ता
तोरा कहै छी कोशी गय सुनिलय
गै पछिम के मोसाफिर पूरूब नै अऔतै
आ पूरब मोसाफिर पछिम नै जयतै
आ एकहुटा कार हे गै पंछी टपतै
तहि दिन मोसाफिर टपतै
जाति धरम तोहर नइ बचतौ
इज्जति धरमुआ हम कोशिका हम बूरा देबौ गै।।
हा आब प्राण हमर स्वामी के बचतै। / मैथिली लोकगीत
हा आब प्राण हमर स्वामी के बचतै।
हा केना कऽ रचना पोखरिमे रचबै जै यै।
हौ तखनी जवाब फुलवंती साजैय
अँचरा के खोलिके अरजी करैय
सुन हे स्वामी स्वामी नरूपिया
हम नइ जनलीयै बेइमनमा अयलै
चोरबा जानिके चीठी लिखलीयै
बाबू लगमे चीठी गयलै
दल-फुल साजि के बाबू अबै छै
हा हमरा अँचरामे बास होइयौ
तोहर जान हम स्वामी बचेबऽ
हम तोहर जान स्वामी बचेबऽ
चोरबा नै भेटते परबा पोखरिमे
घुरि के बाबू पोखरिसे जयतऽ
युग युग राज मोरंगमे हम करबै यौ।।
हौ एत्तेक वचनियाँ नरूपिया सोचै छै / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक वचनियाँ नरूपिया सोचै छै
आ जेल के घरमे दुर्गा जुमलै
अँचरा के खूंटमे चीट्ठी बन्हैय
तबेमे जबाब नरूपिया दै छै
गै सुख के चीट्ठी कोहबर दीहै
आ दुख के चीठी बौआ मोती के दीहे
भाइ सहोदर जखनी बुझतै
बान्ह खोला हमर लऽ जयतै।
आ बन्हवा खोलबाक हमरा बौआ लऽ जयतै।
हौ चौठीया लऽकऽ दुर्गा भगैय
जखनी दुर्गा हौ कोशिका लग जुमि गेल
सुखले नदीयामे हौ जल भरलै
आ छुरी फनकैय कोशिका लग मे
तखनी मैया दुर्गा कहैय
सुनिलय गै कोशिका दिल के वार्त्ता
जेहने देवता तू कहबै छै
तेहने देवता दुर्गा मैया
सुखले नदीया पार उतारि दे
सतयुग छीयै गै कलयुग अऔतै
तोरे गे नाम दुनियाँमे चलतौ
हमरा पार कोशिका जल्दी तू उतारि दियौ गै।।
हौ तखनी नजरिया मोतीराम पड़लै / मैथिली लोकगीत
हौ तखनी नजरिया मोतीराम पड़लै
ताबेमे दुलहिन फलका पर जुमलै
आ डर से कलेजा सती साँमैर के कँपैय।
धड़फड़मे हौ चीठी गिरौलकै
चीठी लऽकऽ मोती पढ़ैय।
तरबा लहरिया तखनी मोतीराम के चढ़ि गेलै यौ।-2
हौ सुनलय भौजी गै दिल के वार्त्ता
केकर ऑडर से फलका पर अऔलय
घुरि के भौजी गै कोहबर जइयौ
जहिना भैया बान्हल गेलै
बाप से भेंट हम सरबा के कऽ देबै
जहिना भैया सहोदरा कनै छै
ताल ठोकैय फलका ऊपरमे
कसि-कसि ताल मोतीराम ठोकैय
ताल धमक से हौ भगिना बजाबैय
ताल ठोकै छै राज महिसौथा
ताल धमक सतखोलिया जुमि गेल
हौ टेना पर हाथी करिकन्हा बन्है छै
सात सय हाथी टेनापर गिरलै
सखुआ-शीशो के पाता झड़ि गेल
हौ एकौ नइ पाता गाछमे रहलै
हा हर-हर हर-हर पाता झड़ैय
तखनी मनमे विचार करैय
सुनलय गे देवी देवी असामरि
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
जुलुम भेलै मैया सतखोलियामे
एक वीर हमर मामा जनमलै
सात सय पाठा महिसौथा खेलबैय
दोसर वीर भगीना जनमलै
तीन सय साठि हाथी चरबै छी
ताल धमक सतखोलिया जुमि गेलै
कोने दुश्मन के गिरगिटीया नाँचि गेलै गै।।
भागल करिकन्हा घर से चललै
घड़ी चलल सतखोलिया जुमलै
अंगना रानी बनसप्ति बैठल
तखनी बेटा करिकन्हा कहै छै
सुन गै मइया दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
एकतऽ जुलुम सतखोलियामे भऽ गेल
सात सय हाथी टेंना पर गिरलै
सखुआ शीशोके पता झड़लै
ताला धमक से सतखोलियामे गिर गेलै।
एकर हलतिया मैया कहि दे
सगुन के पतरा मैया उचारि दे
एक वीर हमर मामा जनमलै
सात सय पाठा महिसौथा खेलबैय
दोसर वीर हम जनमलीये
नरबे लाख हाथी चराबै छी
तेसर वीर कोन जनम लेलकै
ताल ठोकलकै सतखोलियामे
ताल धमक से गै हाथी गिर गेल
तेकर हलतिया मैया हमरा की बता दीयौ गै।
जबेमे वनसप्ति सगुन उचारेय
तबेमे जवाब बनसप्ति दैये
सुनि ले रौ बेटा करिकन्हा सुनिलय
मोती बौआ के जरूरी पड़लै
ताल ठोकलै फलका उपर से
जल्दी जइयौ महिसौथा जइयौ
ताल जवाब मोतीराम बजबै छै रौ।
सब खबरिया भगिना, बौआ के
बुझि लीहै रौऽऽ।
एतेक सवाल करिकन्हा सुनैय
पले घड़ीमे फलका जुमि गेल
सब हलतिया करिकन्हा सुनैय
जतरा बनाबै छै मोरंग राज के
कोशिका लगमे मोती जुमलै
सुखले नदी मोतीराम देखैय
बिन जल के जल बजरलै
तछ तऽ लछ हाथ कोशी फनैय
आ छुरी फनकैय कोशिका नदीमे
केना आय पार बौरहबा सभ हयतै यौ
केना आय पार नारायण
देवता आय हेतै कोशी माय-2।
मनमे विचार बौआ मोती करै छै
हकन बिकन बौआ मोती कनै छै
अरजी करै छै माता कोशी के
सुनियौ गै माता कोशीका
भैया हमर बान्हल गेलै
सुखले नदी गै पार उतारि दे-2
कतबो कहै छै बात नइ मानै छै
चारि-चारि हाथ कोशी फनै छै
मोती के बात कोशी नै करै छै
तरबा लहरिया मोती के चढ़ि गेल
सुनिलय रौ भगिना दिल के वार्त्ता
कतबो कहै छी कोशी नइ मानै छै
केना पार बौआ कोशी के हयबै
केना पार हम कोशिकामे हयबै हौ।
दुःख के चीठी सती साँमैर पढ़ैय / मैथिली लोकगीत
दुःख के चीठी सती साँमैर पढ़ैय
जखनी चीठी साँमेरवती पढ़ै छै
हाथ बढ़नियाँ अंगनामे फेकलऽ
करै छै करूणमा कोहबर के घरमे हय।।
हौ जखनी करूणमा दुलहिनियाँ करै
लछ लछ गारि दुलहिनियाँ दै छै
सुनिलय गै मइया दुर्गा
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
तोरा अछैते स्वामी बन्हेलै
केना के परनमा हमरा स्वामी जी के बचतै गै।
चीठी उठा के हौ नारायण
साँमैर फलका जाइये
हौ फलका ऊपर के रास्ता धेलकै
घड़ी चलैय पहर बीतैय
पले घड़ी अधपेरिया बीतैय
फलका ऊपर साँमैर जखनी गयलै
मन से कलेजा सती साँमैर के कँपैय
हाय नारायण हाय विधाता
जहिया से एलीयै हौ राज महिसौथा
कहियो नै कोहबर से बाहर भेलीयै
की मोतीराम बौआ कहतै
केना जयबै फलका ऊपरमे
आ केना के जयबै हम फलका ऊपरमे यौ।।
हौ एत्तेक बात जब भगीना बोलैय / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक बात जब भगीना बोलैय
हा तब जवाब मोतीराम दै छै
सुनिलय रौ भगिना दिल के वार्त्ता
सात सय हाथी सतखोलिया से लबीहैं
जोबहा जंगलमे हाथी बिलमबीहै
आ सोनिका-मोनिका रौ ओतय बसै छै
बहुत नोंन हमर दुनु खेने छै
सोनिका-आ मोनिका के अर्जी करीहै
आ जते सखुआ जोबहा बोनमे
साँसे साँसे रौ सखुआ उठबीहे
सात-सय हाथी पर सखुआ लदीहै
लऽकऽ सखुआ कोशीमे अयहै
बीच कोशीमे बान्ह बन्हबै
देखबै पैरूखबा कोशीजी के
पार उतरि कऽ मोरंगमे जयबै रौऽऽ।
हौ एत्तेक बात सोनिका-मोनिका सुनै छै / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक बात सोनिका-मोनिका सुनै छै
हा कर जोड़ै छै सखुआ बोनमे
भीड़ जखनी गयलै सोनिका-मोनिका
छीप पकड़ि के सखुआ उखारै छै
अपने करिकन्हा लदना लदै छै
ओतऽ से करिकन्हा हाथी भगा देलकै।
हौ लादल सखुआ कोशीमे जुमि गेल
तब मोतीराम बान्ह बन्है छै
साँसे-साँसे सखुआ बान्ह बन्हल
बान्हा बान्ह तैयारी भऽ गेल
माता कोशिका के महिमा डोलि गेल
तरे से ढ़ोसि मैया कोशी मारल
सबटा सखुआ हौ भाठा दहि गेल
ठकमुड़ी मोती के भऽ गेल
हाय नारायण जुलूम बीतै छै
केना पार हमहुँ उतरबैयौ।।
हौ तखनी तरबा लहरिया चढ़लै
तब मोतीराम जब करैय
सुनिलय हौ भगीना दिल के वार्त्ता
चल चल रौ भगीना गुदरी बाजारमे
चल चल बौआ सेनुरा कीनबै
जान नै छोड़बै एही कोशीके
जाति बभनीयाँ कोशी लगैछै
साँसे बोड़ा सेनुरा उझलबै
कोशी के घरमुआ आइ कोशिका लगमे उतारि देबै रौ।
हौ भागल मोतीराम गुदरी बाजारमे
गुदरी बाजारमे मोतीराम गयलै
सात सय बोरा सन्दुरबा लइहै
सेन्दुर लऽकऽ कोशिका जुमलै
तबे जवाब कोशिका लग करैय
सुनिलय गे कोशिका दिल के वार्त्ता
विपैत पड़ि गेल मोतीराम
तइ बेरमे तू दुश्मन भेल
अइ बेर हम सेन्दुरबा देबौ
जाति बभीनियाँ लगै छै
जाति दुसाध के बेआ लगै छै
जाति घरमुआ तोरा हम बुरा देबौ गे
नइतऽ सुखले नदी कोशिका
पार उतारि देऽऽ
घुरैते बेरीया सरंग लगा देबौ गै।।
एत्ते बचनियाँ कोशी सुनै छै
मोती वचनियाँ कोशी करै छै
सिरा के पानि सीरे सुखै छै
भाठा जल जठेमे रहि गेल
सुखले नदीया पार उतरै छै
कोशी पार मोतीराम भऽ गेल
गरजि-गरजि ताल बौआ मोती ठोकै छै
ताल धमक हौ मोरंगमे जुमि मेल
हा सखुआ-शीशो के पाता हरहर गिरै छै
टाटी पर बेनाटी हौ मोरंगमे लगलै
घैला धैलथरी मोरंगमे फुटै छै
कते गरमी के गरम आइ ढ़है छै
हलचल मचि गेल राज मोरंगमे
कते गरमी के गरमुआ जखनी ढ़हि गेलै हौ।।
मोती धमक जेलमे जुमलै
हा काँटी बलेसरी देवता के उखड़ै छै
तखनी विचार श्री सतबरता करै छै
हाय नारायण हे ईसबर जी
अबै छै बतहबा बौआ सहोदरा
तखनी होश आइ नरूपिया के होइ छै यौ।।
जुमलै मोतीराम राज मोरंगमे
हा राजा हीनपति कोन काम करै छै
महल जाकऽ राजा बैठि गेल
ड्योढ़ी ऊपरमे करणसिंह छेलै
तखनी मोती ड्योढ़ीमे जुमलै
बात-बातमे झगड़ा बझलै
एको तिल जोड़ कम नै होइ छै
सात दिन आइ युद्ध पड़ल छै
जहिना कड़ा युद्ध पड़ै छै
तहिना युद्ध आइ करणसिंह से पड़ि गेलै यौ।।
हौ एक्के तिल जोड़ मोती के बढ़लै / मैथिली लोकगीत
हौ एक्के तिल जोड़ मोती के बढ़लै
छौड़ा करण के मोतीराम खेलैय
दस हाथ ऊपर करण के मारैय
धरतीमे छौरा हौ करणसिंह खसलै
हाथमे मूंग करणसिंह के मारैय
तखनी मोतीराम ड्योढ़ी जुमलैय
जल्दी बता रे पलटनियाँ छौरा
कतऽ बान्ह हमरा भैया के बन्हलीयै
एत्तेक बात मोतीराम बजैछै
हीनपति लगमे मोतीराम गयलै
छाती पर चढ़ि आइ मोतीराम गयलै
अस्सी मन डंटा उठौलकै
जहिना बान्ह सहोदरा के बन्हलही
तहिना भेंट हौ राजा करेबौ
बाप से भेंट आइ तोरा करा देबौ हौ।
हौ तब हीनपति बात मानै छै / मैथिली लोकगीत
हौ तब हीनपति बात मानै छै
छौड़ा पलटनियाँ के ऑडर देलकै
जो जो रे बौआ बान्ह खोलि दे
जेल के घरमे मोतीराम गेलै
बान्ह खोला हौ सहोदरा के लेलकै
बान्ह खोला के जेल से निकललै
हा रानी फुलवंती दरशन दै छै
सुन सुन हय स्वामी नरूपिया
तोरे पर अँचड़बा स्वामी मोरंगमे बान्हलीयै हय।
हौ तब बान्ह राजा खोलि दे
हा पाँच हाथ के मड़बा बन्हबैय
परबा-पोखरिमे यज्ञ करैबै छै
यज्ञ कराके डोलाँ फनेऽबैय।
हा डोलीया लऽकऽ देवता चललै
राज महिसौथा के देवता चललै
तखनी जवाब श्री देवता सजैय
हा सुनऽ सुनहौ राजा हीनपति
हौ घर घरमे पूजा हौ मोरंगमे दीअबीयौ
आ तब हम जयबै राज महिसौथा
एकटा के गहबर मोरंगमे बन्हीयौ
तब हम जेबै महिसौथा नगरमे यौ।।
पूजा लऽकऽ नरूपिया / मैथिली लोकगीत
पूजा लऽकऽ नरूपिया
मोरंग से चलि देलकै महिसौथामे
हौ भागल देवता कोशी लग जुमै छै
आ कोशिका मैया ठाढ़ भऽ गयलै
बुढ़िया रूप मैया कोशी धरलकै
हौ मोतीराम के अरजी करै छै
सुनियौ सुनियौ बौआ हौ बौआ मोतीराम
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
हौ तोरो वचनियाँ हमहुँ केलीयै
सुखले नदी पार उतारली
हमर शरणीया बौआ लगौलही
केना गुजरबा हमहु करबै यौ।
मोतीराम के दया उबजलै
तीन आ डेग नापि दै छै
सुन गै कोशिका तोरा कहै छी
तीन डेग प्रेमी हौ तीन कोश भऽ गेल
आ तीन कोश डेग कोशीके दै छै
तखनी जवाब मोतीराम देलकै
सुनऽ गे कोशिका दिल के वार्त्ता
गै एहि से पुरूष कोशिका लीहै
एहि से पछिम कोशिका लीहै
तीन कोशमे कोशी कहियै
सतयुग छीयै गै कलयुग एलै
तोहर नाम कोशीमे चलतै
अपन परमान मैया कोशिका लऽले
सब जल-फूल कोशिका तोरा चढ़ौतौ गै।।
सलहेस गीत मैथिली लोकगीत ( मुख्य पृष्ठ ) Salhes Geet Maithili Lokgeet
No comments:
Post a Comment