Fulwari Darshan Aa Salhes Geet Maithili Lokgeet Lyrics
तोरा बात के गै देवीया / मैथिली लोकगीत
तोरा बात के गै देवीया
विश्वास नइ हमरा होइय-2
हौ एत्तेक वचन देवता कहै छै
सुन गे मैया दिल के वार्त्ता
हम नइ जेबौ गै राज पकरिया
राज पकरिया मलीनियाँ झरि गेल
जहि कनियाँ के डोला फनौलियै
कोहबर घर सतबरती सुतै
तेकरा छोड़ि कऽ केना जयबै
जुलुम बीततै राज महिसौथा
हम नै जेबै राज पकरिया से गै।।
सुन-सुन गे देवी देवी असामरि / मैथिली लोकगीत
सुन-सुन गे देवी देवी असामरि
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
घड़ी राति बोन अगैली बीत गेल
घड़ी राति बोन पैछिली बीत गेल
गाम-गाममे पहरा परि गेल
गीदड़ भालु गुड़गुड़ी मारैय
सुखल डारि पर कागा बोलि गेल
सन सन सन सन झोंका उठैय
एहि समयमे मैया तहुँ किया एयलै गै।।
एहि समयमे मैया कहमा एलही गै।।
एत्ते जवाब नरूपिया करै छै
तबे जवाब दुर्गा जे दइये।
सुन सुन सुनले बेटा नरूपिया
पुरूब राज पुरैनियाँ घुमलौं
पछिम राज विराट घुमलौं
सात खोल धौलागिरी घुमलय
चल चल राज पकरिया कंचनगढ़मे
घुरि-फिरी अबिहय राज पकरिया से रौ।।
हौ हाय नारायण हाय ईसबर जी / मैथिली लोकगीत
हौ हाय नारायण हाय ईसबर जी
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
सुन सुन सुन मैया दुर्गा कहै छी
बारह बरिस मैया पूजा केलीयै
गै माघ महीना हम नहेलियै
राज पकरिया कंचनगढ़मे घर लगै छै
पिता नाम कुलहेसर छीयै
ओकरे जाँघि जनमल हौ रानी चन्द्रा लगै छी
जइ दिन जनम हम लेलीयै
सोइरीये घरमे अँचरा बन्हलीयै
राज पकरिया कंचनगढ़मे
कहिया दरशनमा हमरा स्वामी जी के हयतै गै।।-2
हय कहिया दरशनमा दुर्गा हयतै
हा स्वामी पर धैरजबा हम बन्हलीयै
शनि-रवि पबनी बरमहल टेकलियै
एकादशी हरि पाबनि केलीयै
नित जल तुलसीमे ढ़ारली
गै आठ पहर अठबारे केलीयै
माघ महीना कोशी नहेलियै
कोशिकामे एकटंगा देलीयै
सवा पहर दिन उठै बेरमे
दीनानाथ के हाथ उठौलीयै
कहिया दरशनमा हमरा नरूपिया संगे हयतै गै।।
एत्ते बात जब दादा बुझैय / मैथिली लोकगीत
एत्ते बात जब दादा बुझैय
जतरा केलकै राज पकरिया कंचनगढ़ मे।
राज पकरिया देवता जुमलै
फुलबगियामे दादा जुमलै
चौदह बीगहा फलवाड़ी लगै छै
राजा कुल्हेसर बाग लगौलकै
रंग बिरंगि कऽके फुल लगौने
हेना गेना बाग लगौने
बड़की-छोटकी फूल लगौने
बेली चमेली बाग लगौने
बेली कठबेलीया बाग लगौने-2
चम्पा फूल फूलबगियामे लगलइ
संझा फूल बाग लगौने
सूरजा फूल बाग लगौने
चौपहरा फूल बाग लगौने
करमील फूल बाग लगौने
कमल फूल कमल हीर लगौने
फूल भलसरिया बाग लगौने
सब रंग फूलवा कुल्हेसर राजा लगौने यौ।
चलियौमे चलियौ नरूपिया फुलबान फुलबगिया देखैलय।-2
हौ एत्तेक बात नरूपिया सुनैय
हा मैया कहब से जतरा केलकै
राज पकरिया नरूपियामे जुमलै
फुलबगियामे देवता जुमि गेल
तब यौ दुर्गा कोन काम करै छै
रराजा सलहेस के बागमे छोड़ैय
हा भागल दुर्गा जाइ छै पकरिया
कोहबर घरमे सुतल छै चन्द्रा
हा चन्द्रा लगमे दुर्गा जुमि गेल
सपना दै छै सती चन्द्रा के
सुनिले बेटी गै चन्द्रा सुनिले
जहि पुरूष पर अँचरा बन्हले
बान्हल अँचरा बन्हले रहलौ
से एहे पुरूषवा फुलबगियामे बैठी गेलै गै।।
गै जाकऽ दरशनमा चन्द्रा करीयौ
हा स्वामी दरशन फेर नइ होयतौ
तखनी ने हमरा नै कहिये
सोहरि-सोहरि के गोर धरै छै
सुनिले गै मैया दुर्गा सुनिले
गै कड़ा सवाल बाबू के दै छै
सात सय पलटन ड्योढ़ी खटैय
केना जेबै फूलबगियामे
केना अय बुधि मैया हम रचबै गै।।
कहिया दरशनमा निरमोहिया देवता दैतै गै। / मैथिली लोकगीत
कहिया दरशनमा निरमोहिया देवता दैतै गै।
कहिया दरशन स्वामी से हेतै गै।।
हौ एत्तेक तऽ बात चन्द्रा कहैय
कोहबर घरमे दुर्गा जुमि गेल
तब जवाब दुर्गा करैय
सुनऽ सुनऽ हय चन्द्रा सुनिलय
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
गै एमकी बेरिया दरशन हेतौ
सुनिले बेटी तोरा कहै छी
सीरी सतबरता महिसौथा एलै
खेत चढ़ाकऽ पकरिया लौबै।
तोरो पकरियामे दरशन हम करा देबौ गै।।
हौ एत्तेक बात रानी चन्द्रा सुनै छै / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक बात रानी चन्द्रा सुनै छै
आ ड्योढ़ी ऊपरमे चन्द्रा गयलै
करजोड़ी बाबू के कहैय
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
जहि दिन जनम हौ पिता लेलीयै
हा बारह बिघ्घा फुलवाड़ी लगाओलऽ
शिव मंदिर हौ बाबू बनबलऽ
सब दिन पूजा मंदिरमे केलीयै
हौ मालिन हाथ से फूल मंगौलियै
हा कहियो ने सुन्दर फूल तोड़लकै
आज फूलबा अपने हम तोड़बै हौ।
से दियौ तऽ ऑडरवा हौ बाबू
फूल तोड़ैलय जेबै हौ।।
सभ हौ सलैता देवता से पूछैय / मैथिली लोकगीत
सभ हौ सलैता देवता से पूछैय
सुन सुन हौ राजा दरबी
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
कहाँ रहै छह, कहाँ बसै छह
हा किया नाम तोहरा हौ लगै छै।
कोन कुल के बेटा लगै छह।
तेकरो हलतिया हमरा तू बता दियौ हौ।
हो तब देवता ड्योढ़ी बजै छै
नाम छपेबै राजा ड्योढ़ी मे
सतयुग छीयै कलयुग अऔतै
दुनियाँमे नाम नै हमर चलतै
हौ एत्ते बात कुल्हेसर बोलैय / मैथिली लोकगीत
हौ एत्ते बात कुल्हेसर बोलैय
तबे जवाब रानी चन्द्रा दै छै
सुनऽ सुन हौ बाबू सुनि लय
संगमे मुंगीया नौरीन छीयै
हा नौरीन लऽकऽ जेबै बागमे
फूल तोड़ि फुलवाड़ी लौबै।
शिव मंदिरमे पूजा करबै
मनसे पूजा हमहुँ करबै।
बात सुनि राजा ऑडर दऽ देलकै यौ।।
हौ भागल चन्द्रा फूलबगिया जाइ छै
जब चन्द्रा अधपेरिया जुमि गेल
अधराबाट फुलवाड़ीमे जुमि गेल
चारू भर नजरिया हौ चन्द्रा खिराबै छै
हा जेहे पुरूष्ज्ञ पर अँचरा बन्हलीयै
मैया दुर्गा के बात हम केलीयै
सेहो पुरूषवा नइ फुलबिगयामे मिलै छै हौ।
हौदेवता नरूपिया हौ बगियामे बैठल
आ अग्नि परान देवता के छेलै
तइयो ने सती चन्द्रा चिन्हलकै
हौ रस्ता बैठने ठेसा मारलकै
हा तब नजरिया चन्द्रा के पड़ै छै
मनमे चन्द्रा सोचै छै
कोने पगलबा फुलवाड़ीमे एलै
पल नइ तकै छै कुछ नइ बोलैय
स्वामी रहितै स्वामी नरूपिया
मुँहसे आवाज स्वामी दइतै
जो गै बेइमनवी केना हमरा ठकि लेलय गै।।
हौ तब चन्द्रा बोली बोलइ छै
हा सुन गे देवी दरशन दीयौ
तोरे बात पर फुलवाड़ी एलीयौ
कहाँ हमर स्वामी फुलवाड़ीमे अयलै
तेकरो हलतिया मैया हमरा की बता दीयौ गै।
तब दुर्गा, चन्द्रा के कहैय
हा सुन गे अभगली रानी चन्द्रा
जहि पुरूष के ठेसा मारलही
गै सेएह पुरूष नरूपिया लगै छै
सत के देवता नरूपिया खामिन
पल नै तकैय मुँह ने बजै छै
इएहे पुरूष आय नरूपिया देवता लगै छै गै।।
हौ तब चन्द्रा धरि कऽ गेलैय
कतबो बजबै छै सीरी सलहेस के
पल नै तकै मुख नै बोलइ छै
कतबो कहलकै बात नै मानलकै
चन्द्रा ऊपरमे नै पल उठाबैय
मने मन आइ नरूपिया सोचैय
सुनले मैया दुर्गा सुनिलय
भल नइ हेतौ राज महिसौथा
केना खेतवा हमरा दुर्गा चढ़ा देले गय।।
गै आब नै सत हमरा बचतै पकरिया
केनाकऽ जेबै राज महिसौथा
त्रिया वशमे देवता पड़ि गेल
एको बेर जवाब नरूपिया देवता ने दै छै गै।।
तब चन्द्रा कोन काम करै छै
चीठी लिखै छै रानी चन्द्रा
हौ अगल बगल सी नामा लिखै
अँचड़ा फाड़ि कय कागज बनौलकै
कजरा के मसिहान बनाके
फुलबागमे चीठी लिखैय
सुन सुन हौ बाबू सुनिलय
फूल तोड़ैलय बागमे एलीयै
चोरबा जुमि गेल फूल बागमे।
जल्दी से अबियौ आ चोरबा के पकड़ि लियौ यौ।
हौ चीठी लिखकऽ चन्द्रा भेजै छै
सभा लागल राजा ड्योढ़ीमे
राजा कुल्हेसर ड्योढ़ीमे छेलै
झूकि सलाम मुंगीया नौरीन करै छै
सोझामे चीठी नौरीन फेर देलकै यै।।
हौ तइयो नै नरूपिया जवाब दै छै
हा एको बेर पल नै देवता उठाबै छै
मुख नै बजै छै फुलबगियामे
मने मन नरूपिया बात सोचै छै
हाय नारायण हाय विधाता
हे ईसबर जी जुलुम बीतैय
सतयुग छीयै कलयुग अऔतै
हा पर त्रिया के केना बजेबै
केना बात चन्द्रा से करबै
कलयुग नाम नै नरूपिया के नै चलतै यौ।
हौ राजा कुल्हेसर के खबर गयलै
सात सय पलटन ड्योढ़ी से एलै
फुलबगिया के पलटनियाँ धेरैय
चोरबा पकड़ि के आय बगिया से लऽ गेलै यौ।
तरबा लहरिया राजा के चढ़ि गेल। / मैथिली लोकगीत
तरबा लहरिया राजा के चढ़ि गेल।
नजरि पड़ि गेलै देवता उपरमे
तबे ऑडर कुल्हेसर दै छै
सुनले रौ बौआ बौआ पलटनियाँ
चोरबा हाजिर ड्योढ़ी केलै
उनटा बाँन्ह चोरबा के बान्हि दे
हा हाजत घरमे चोरबा के दऽ दे।
कड़ा सवाल कुल्हेसर के छेलै
चाँप चढ़ा के देवता के बान्है छै
आ जेल के घरमे राजा चललै
एको नइ जवाब नरूपिया दै छै
तखनी मने मन नरूपिया सोचै छै
हाय नारायण जुलुम बीतैय
हाय नारायण हाय विधाता
हाय ईसबर जी तोरा कहै छी
दिल के वार्त्ता कहल नै जाइये
केना गे मैया हमरा लगतै
जुलुम बीतै छै राज पकरिया
कतउ ने भऽ कऽ योगिनियाँ हमरा रखलै।
हौ जेल घरमे नरूपिया जाइ छै
मने मन नरूपिया सोचै छै
हे देवी दुर्गा देवी असावरि
केहेन बान्ह ड्योढ़ी लगैबै
सतयुग छीयै कलयुग एतै
सहजेहि बान्ह देवता लऽ लैतै गै।
चाप चढ़ाकऽ पलटनियाँ बन्है छै
जेल के घरमे पलटनियाँ जाइ छै
ड्योढ़ी पर से पलटनियाँ चललै
देवता नरूपिया के बान्ह खुगलै
हा अपने नरूपिया ड्योढ़ी टहलै
छौड़ा पलटनियाँ अखने गयलै
हा घुरि कऽ पलटनियाँ जेल घरमे दै छै।
केना बान्ह चोरबा के खुगलै
हा केना आइ भागि ड्योढ़ी से अयलै
राजा कुल्हेसर ड्योढ़ीमे बैठल
सोलहो तमाशा ड्योढ़ी से देखैय
केना आय बान्ह आइ चोरबा के खुलि गेलै यौ।
दुइ बेर बान्ह पलटनियाँ बँन्हे छै
एको बैर नै बान्ह नरूपिया लै छै
तरबा लहरि राजा के चढ़ि गेल
छौड़ा पलटनियाँ दिल के वार्त्ता
नीमक हराम तूहीं भऽ गेल
चोरबा नै बान्हल ड्योढ़ीमे जाइ छै
हा केना बान्ह बौआ सभ बान्है छै
हँसी-मजाक तऽ ड्योढ़िया पर करै छै रौ।।
हौ राजा उठलै कुरसी पर से / मैथिली लोकगीत
हौ राजा उठलै कुरसी पर से
डॉर के रासा राजा लै छै
देवता नरूपिया सीरी सतबरता
हँ हु के जवाब नै दैये
कसि-कसि बान्ह हौ राजा बन्है छै
दादा नरूपिया मने मन सोचै छै
छाती फटै छै दादा सलहेस के
जो जो गै बेइमनवी लौलय।
कौने कसूरबा मैया केलीयै महिसौथामे गय।
हौ केतनो बान्ह प्रेमी राजा बन्हलकै
राजा जेल के घरमे चललै
सेहो जे बान्ह नरूपिया के खुजै छै
खाली रासा हौ जेल घरमे जाइये
घुरि के राजा पाछु लगैय
जेल के तऽ राजा जुमि गेल
तखनी राजा घुरि के तकै छै
चोरबा टहलै छै ड्योढ़ीया के उपरमे हौ।
तब हौ राजा मने मन सोचै छै / मैथिली लोकगीत
तब हौ राजा मने मन सोचै छै
सुन रौ पलटन दिल के वार्त्ता
राज से बन्हबे बान्ह नइ लगतै
राजा छीयै राज महिसौथा के
छल-बल रौ ड्योढ़ी पर करीयौ
कोन विधि से सत कराबीयौ
सत करतै ड्योढ़ी परमे
हाजत घरमे चोर के बन्हबै
छल बान्ह हाय राजा के करै छै यौ।
हौ एत्तेक बात राजा कहैय / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक बात राजा कहैय
एके रत्ती सत आय देवता कऽ दय
तब छुटकारा ड्योढ़ीमे हेतऽ
हा सत कऽ के तहुँ जइयौ हौ
हौ मने मन तऽ सोचै नरूपिया
छेलै देवता सोझमतिया
छः पाँच नइ देवता बुझै
राजा संगमे सत करै छै
तब राजा पलटन के कहै छै
सुन रौ पलटन तैयारी होइयौ
दादा सलहेस राजा कहै छै
सुन सुन हौ देवता नरूपिया
हा सत करौलीयै ड्योढ़ी परमे
अढ़ाइ दिन के बान्ह बान्हीले
अढ़ाइ दिन जे जेइ दिन पुरतै
हाजत घरमे तोरा खुलतौ
तब छुटकारा तोरा हम कऽ देबौ हौ।
से मालिक आय राजा हौ नरूपिया के / मैथिली लोकगीत
से मालिक आय राजा हौ नरूपिया के
जेलमे कऽ दऽ देलकै
बान्हि के देवता के जेलमे दऽ देलकै गै।
सलहेस गीत मैथिली लोकगीत ( मुख्य पृष्ठ ) Salhes Geet Maithili Lokgeet
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