निपट निरंजन के दोहे / Nipat Niranjan ke Dohe

 मुह देखे का प्यार है, देखा सब संसार।

पैसे दमरी पर मरे, स्वार्थी सब व्यवहार॥


ना देवल में देव है, ना मसज़िद खुदाय।

बांग देत सुनता नहीं, ना घंटी के बजाय॥


मन की ममता ना गई, नीच न छोड़े चाल।

रुका सुखा जो मिले, ले झोली में डाल॥


जब हम होते तू नहीं, अब तू है हम नाहीं।

जल की लहर जल में रहे जल केवल नाहीं॥


जहाँ पवन की गती नहीं, रवि शशी उदय न होय।

जो फल ब्रह्मा नहीं रच्यो, निपट मांगत सोय॥


नागरीदास के दोहे / Nagaridas ke Dohe

Dhruvdas ji Ki Rachna ध्रुवदास की रचनाएँ / दोहे

धन्ना भगत के दोहे (भक्तिकालीन निर्गुण संत) Dhanna Bhagat ke Dohe

जसवंत सिंह के दोहे / Jaswant Singh Ke Dohe

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित