गुरहत्थी गीत मगही लोकगीत लिरिक्स Magahi Gurhathi Geet Lokgeet Lyrics

 


टिकवा देख मत भुलिहऽ हो दादा / मगही गुरहत्थी गीत


टिकवा  देख मत भुलिहऽ हो दादा, टिकवा हइ मँगन के।

दुलहा हइ सतपँचुआ के जनमल दुलहिन हइ जिमदार के॥1॥

नथिया देख मत भुलिहऽ हो बाबा, नथिया हइ मँगन के।

दुलहा हइ सतपँचुआ के जनमल, दुलहिन हइ जिमदार के॥2॥

झुमका देख मत भुलिहऽ हो चच्चा, झुमका हइ मँगन के।

दुलहा हइ सतपँचुआ के जनमल, दुलहिन हइ जिमदार के॥3॥

हँसुली देख मत भुलिहऽ हो मामा, हँसुली हइ मँगन के।

दुलहा हइ सतपँचुआ के जनमल, दुलहिन हइ जिमदार के॥4॥





अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे, जेठ भैंसुरा / मगही गुरहत्थी गीत


अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे, जेठ भैंसुरा।

बड़ा जतन के धियवा रे, जेठ भैंसुरा।

टिकवा ले गुरहँथिये दुलहिन को वस्त्राभूषण देता है</ref> रे, जेठ भैंसुरा॥1॥

अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे, जेठ भैंसुरा।

बड़ा जतन के धियवा रे, जेठ भैंसुरा।

नथिया ले गुरहँथिये रे, जेठ भैंसुरा॥2॥

अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे, जेठ भैंसुरा।

बड़ा जतन के धियवा रे, जेठ भैंसुरा।

हँसुली ले गुरहँथिये रे, जेठ भैंसुरा॥3॥

अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे, जेठ भैंसुरा।

बड़ा जतन के धियवा रे, जेठ भैंसुरा।

बजुआ ले गुरहँथिये रे, जेठ भैंसुरा॥4॥

अच्छा अच्छा कपड़ा चढ़इये रे, जेठ भैंसुरा।

बड़ा जतन के धियवा रे, जेठ भैंसुरा।

सड़िया ले गुरहँथिये रे, जेठ भैंसुरा॥5॥





लावा न छींटऽ ह कवन भइया / मगही गुरहत्थी गीत


लावा न छींटऽ ह कवन भइया, बहिनी तोहार हे।

अँगूठा न धरऽ ह कवन दुलहा, सुगइ तोहार हे॥1॥

लावा न छींटऽ ह कवन भइया, बहिनी तोहार हे।

अँगूठा न धरऽ ह कवन दुलहा, सुगइ तोहार हे॥2॥







सखी चुनवत पान मोहन प्यारे के / मगही गुरहत्थी गीत


सखी चुनवत पान मोहन प्यारे के॥1॥

जबे जबे हरिजी खरही चुनावे।

गारी सुनावे मनमान मोहन प्यारे के॥2॥

ले खरही हरि, टटर बिनैबो देतन तोर मइया दोकान।

जोग के बीरा सखियन देलन, हर लेलन हरि के गेयान॥3॥





जाहि दिन अगे बेटी, तोहरो जलम भेल / मगही गुरहत्थी गीत


जाहि दिन अगे बेटी, तोहरो जलम भेल।

नयनमा न आयल सुखनीन हे॥1॥

नीदो न आबे बेटी भूखो न आबय।

तारा गिनइते भेल बिहान हे॥2॥

पुरूब खोजलूँ, पच्छिम खोजलूँ,

खोजलूँ सहर बिहार हे।

एक नहीं खोजलूँ दुलरइता बाबू के डेरवा

जाहाँ हथी राजकुमार हे॥3॥

दादा के हाथ में गेडु़आ जे सोभए,

दादी के हाथे कुस डाढ़ हे।

काँपन लागे बाबा कुस के गेडु़अवा,

काँपन लागे कुस डाढ़ हे॥4॥

आल में ताख पर गुड़िया रोवे,

रोवे लागल टोलवा परोस हे।

जारे जारे रोवथि बाबा दुलरइता बाबा,

बनवे के कोइल चलल जाय हे॥5॥





चउका चढ़ि बइठलन कवन बाबू / मगही गुरहत्थी गीत


चउका चढ़ि बइठलन कवन बाबू।

जाँघ ले ले धिया बइठाइ हे॥1॥

ए राम, असरे पसरे चुनरी भींजल ना।

रउरा परभुजी बेनियाँ डोलावऽ ना॥2॥

कइसे बेनियाँ डोलाऊँ हे सुगइ।

ताकत होइहें बाबूजी तोहार हे॥3॥

चलु चलु सुगइ हमर देसवा।

उहँई देबो बेनियाँ डोलाइ ना॥4॥

चउका चढ़ि बइठलन कवन चच्चा।

जाँघ ले ले धिया बइठाइ हे॥5॥

ए राम, असरे पसरे चुनरी भींजल ना।

रउरा परभुजी बेनियाँ डोलावऽ ना॥6॥

कइसे बेनियाँ डोलाऊँ हे सुगइ।

ताकत होइहें चच्चा तोहार हे॥7॥

चलु चलु सुगइ हमर देसवा।

उहईं देबो बेनियाँ डोलाइ ना॥8॥





कहवाँ के सेनुरिया सेनुर बेचे आयल हे / मगही गुरहत्थी गीत


कहवाँ के सेनुरिया सेनुर बेचे आयल हे।

कहवाँ के बर कामिल सेनुर बेसाहल हे॥1॥

कवन पुर के सेनुरिया सेनुर बेचे आयल हे।

कवन पुर के बर कामिल, सेनुर बेसाहल हे॥2॥





मँड़वा बइठल बाबा, दुलरइता बाबा / मगही गुरहत्थी गीत


मँड़वा बइठल बाबा, दुलरइता बाबा, चकमक मानिकदीप हे।

कनेयादान के अवसर आवल, बराम्हन कयल हँकार हे॥1॥

झाँपि झँूपि लवलन मइया दुलरइतिन मइया,

रखल बाबा केर जाँघ हे।

जब रे दुलरइता बाबा मुँहमा उघारल,

साजन रहल निरेखि हे॥2॥

का हथी सीता हे सुरुज के जोतिया,

का हथी चान के जोत हे।

अइसन सुनर कनेया कइसे मोरा भेंटल,

धन धन हको मोरा भाग हे॥3॥

कुसबा ले काँपथि बेटी के बाबू,

कइसे करब कनेया दान हे।

तोड़ी देहु तोड़ी देहु करहु बियहवा,

तोड़ी देहु जिया जंजाल हे।

कुइयाँ खनउली आउ बेटी बियाहली,

तनिको न करहु बिचार हे॥4॥

बेद भनइते बराम्हन काँपल, काँपी गेल कुल परिवार हे।

हमर धियवा पराय घर जयतन, अब भेल पर केर आस हे॥5॥





हाथ सेंनुरवा गे बेटी, खोंइछा जुड़ी पान / मगही गुरहत्थी गीत


हाथ सेंनुरवा गे बेटी, खोंइछा जुड़ी पान।

चलली दुलरइती गे बेटी, दादा दरवाज॥1॥

सुतल हल जी दादा, उठल चेहाय।

कवन संजोगे गे बेटी, अयली दरवाज॥2॥

अरबो न माँगियो जी दादा, दादी के सोहाग॥3॥

लेहु दुलरइते गे बेटी, अँचरा पसार॥4॥

अँचरा के जोगवा गे दादी, झरिय झुरि जाय।

मँगिया के जोगवा गे दादी, जनम अहियात॥5॥





बगिया में ठाढ़ा भेल कवन बेटी / मगही गुरहत्थी गीत


बगिया में ठाढ़ा भेल कवन बेटी, बगिया सोभित लगे हे।

बाँहि पसार मलिनिया कि आजु फुलवा लोर्हब हे॥1॥

धीर धरु अगे मालिन धीर धरु, अवरो गँभीर बनु हे।

जब दुलहा होइहें कचनार तबे फुलवा लोर्हब हे॥2॥

मँड़वाहिं ढाढ़ा भेल कवन बेटी, मड़वा सोभित लगे हे।

बाँहि पसार कवन दुलहा, आजु धनि हमर हे॥3॥

धीर धरु अजी परभु, धीर धरु, अवरो गंभीर बनु हे।

जब बाबू करिहन कनेयादान, तबे तोहर होयब हे॥4॥





सेनुरा सेनुरा जनी करूँ, सेनुरा बेसाहम हे / मगही गुरहत्थी गीत


सेनुरा सेनुरा जनी करूँ, सेनुरा बेसाहम हे।

धनि लागि जयबइ सेनुरा के हाट, से सेनुरा ले आयम

एतना कहिए दुलहा उठलन, चलि भेलन मोरँग हे।

मोरँग देसे सेनुरा सहत भेलइ सेनुरा लेआबल हे॥2॥

लेहु धनि सेनुरा  से सेनुरा आउर टिकुली बेनुली हे।

धनि साटि लेहु अपन लिलार, चलहु मोर ओबर हे॥3॥

कइसे के साटि हम बेनुली, कइसे करूँ सेनुर हे।

कइसे के चलूँ हम ओबर, हम तो कुमार बार हे॥4॥

चुटकी भर लेहु न सेनुरबा, सोहगइलबा बेसाहहु हे।

भरी देहु धानि के माँग, धानि तोहर  होयत हे॥5॥

चुटकी भरी लिहलन सेनुरबा, सोहगइलबा बेसाहल हे।

दुलहा भरी देलन धानि के माँग, अब धानि आपन हे॥6॥

बाबा जे रोबथिन मँड़उबा बीचे, भइया खँम्हवे धयले हे।

अमाँ जे रोबथिन घरे भेल अब धिया पर हाथे हे॥7॥

सखि सभ माथा बन्हावल लट छिटकावल हे।

अजी सखि, चलूँ गजओबर, अब भेल पर हाथ हे॥8॥

सेनुरा सेनुरा जे हम कयलूँ, सुनेरा त काल भेल हे।

सेनुरा से पड़लूँ सजन घर, नइहर मोर छूटल हे॥9॥

छूटि गेल भाई से भतीजबा, आउरो घर नइहर हे।

अब हम पड़लूँ परपूता हाँथे, सेनुर दान भेल हे॥10॥





तनि एक अइपन लिखलूँ हम कोहबर / मगही गुरहत्थी गीत


तनि एक अइपन लिखलूँ हम कोहबर। 

ताहि पइसी सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा।

जबरे दुलहिनियाँ सुघइ साथे हे हरी।

लिखलूँ हम कोहबर मनचित लाय हे हरी॥1॥

एक पहर बितलइ, दोसर पहर बितलइ हे।

भे गेलइ फरिछ बिहान सुरुज किरिन छिटकल हे हरी॥2॥

दादी जे पइसी कोहबर दुलहा जगावे हे।

भे गेलो फरिछ बिहान, सुरुज किरिन छिटकल हे हरी॥3॥

उठि उठि जगबथि राम के सीता देइ हे।

उठूँ परभु भे गेलो बिहान, उठहुँ परभु कोहबर हे हरी॥4॥

हम तोहिं पूछूँ हे सीता देइ दुलहिन हे।

कइसे चिन्हलऽ भे गेलो बिहान, कहहु सिरी राम हे हरी॥7॥

भेल फरिछ परभु, कउआ डार बोले जी।

गउआ दुहन घर घर आवे, सुनहु मोर सामी हे हरी॥6॥

मोर माँगे मोतिया सभ परभु बदरंगे भेल।

एही से चिन्हलूँ भेल बिहान, उठहु रघुनन्नन हे हरी॥7॥





नया घर नया कोहबर नया नींद हे / मगही गुरहत्थी गीत


नया घर नया कोहबर नया नींद हे।

नया नया जुड़ल सनेह, सोहाग के रात, दूसर नया नींद हे॥1॥

सासु जे पइसि जगाबए, नया नींद हे।

उठऽ बाबू, भे गेल बिहान, सोहाग के रात, दूसर नया नींद हे॥2॥

सासु जे अइसन बइरिनियाँ, नया नींद हे।

आधि रात बोलथिन बिहान, सोहाग के रात, दूसर नया नींद हे॥3॥

लाड़ो जे जाइ जगाबए, नया नींद हे।

उठऽ परभु, भे गेल बिहान, सोहाग के रात, दूसर नया नींद हे॥4॥

चेरिया जे अँगना बहारइ, नया नींद हे।

दीया के बाती धुमिल भेल, अइसे हम जानली बिहान।

सोहाग के रात, दूसर नया नींद हे॥5॥





दादा केरा अँगना जामुन के गछिया / मगही गुरहत्थी गीत


दादा केरा अँगना जामुन के गछिया।

सेइ तर दुलरइतिन बेटी ठाढ़, से दादा न बोलइ॥1॥

रहियो न बोलइ, बटियो न बोलइ।

पनिया भरइते पनिहारिन, से दादा न बोलइ॥2॥

अनमा से देल दादा, धनमा से दिहले।

मोतिया दिहले अनमोल जी॥3॥

एक नहीं दिहले दादा, सिर के कँगहिया।

सासु ननद ओलहन देत, से दादा न बोलइ॥4॥





आले आले बँसवा कटावलूँ / मगही गुरहत्थी लोकगीत  


आले आले बँसवा कटावलूँ, डढ़िया नबि नबि जाय।

से जीरा छावल कोहबर॥1॥

सेहे पइसि सूतल दुलहा दुलरइता दुलहा।

जबरे सजनमा केर धिया, से जीरा छावल कोहबर॥2॥

ओते सुतूँ ओते सुतूँ, दुलहिन, दुलरइतिन दुलहिन।

पुरबी चदरिया मइला होय जयतो, से जीरा छावल कोहबर॥3॥

एतना बचनियाँ जब सुनलन, दुलहिन सुहबे।

खाट छोड़िए भुइयाँ लोटे हे, से जीरा छज्ञवल कोहबर॥4॥

भनसा पइसल तोहे बड़की सरहोजिया।

अपन ननदिया के बौंसावह से जीरा छज्ञवल कोहबर॥5॥

उठूँ मइयाँ उठूँ मइयाँ, जाऊँ कोहबरवा।

अपन सँम्हारू लामी केस, से जीरा छावल कोहबर॥6॥

कइसे उठूँ, कइसे उठूँ भउजी हे।

छिनारी पूता बोलहे कुबोल, से जीरा छावल कोहबर॥7॥

कने गेल कीया भेलऽ छिनारी के भइया हे।

हमर ननदिया रूसवल से जीरा छावल कोहबर॥8॥





कहवाँ के कोहबर लाल से गुलाब हे / मगही गुरहत्थी लोकगीत


कहवाँ के कोहबर लाल से गुलाब हे।

कहवाँ के कोहबर पान से छवावल हे॥1॥

अँगना के कोहबर लाल हे गुलाब हे।

भीतर के कोहबर पान से छवावल हे॥2॥

सेहु पइसी सुतलन दुलरइते बाबू राजा हे।

जबरे भइ सुतलन पंडितवा केरा धिया हे॥3॥

ओते सुतूँ, ओते सुतूँ, ससुर जी के बेटवा हे।

नइहर के चुनरी मइल जनु होवइ हे॥4॥

एतना बचन जब सुनलन दुलरइते बाबू राजा हे।

भीतर के सेजिया बाहर कर देलन हे॥5॥

गरजे लगल बादल बरसे लगल बुंद हे।

देहरी लगल दुलहा रोदना पसारे हे॥6॥

खोलु धनि, खोलु धनि, सोबरन केवाड़ हे।

आजु के रतिया सुहावन करि देहु हे॥7॥

कइसे हम खोलूँ परभु, सोबरन केवड़िया हे।

हमरा बाबू से दहेज मत लिहऽ हे।

हमरी अम्माँ से जयतुक मत लिहऽ हे॥8॥

तोहरो बाबू से दहेज नहीं लेबो हे।

तोहरी अम्माँ से जयतुक नहीं लेबो हे॥9॥

हमरी अम्माँ से जबाव मति करिहऽ हे।

तोहरी अम्माँ से जबाब मति करबो हे॥10॥

लाख अरजिया जी परभु, लेखो मत लिहऽ हे।

अरथ भंडार परभु, सौंपि हमरा दिहऽ हे॥11॥





परबत उपर नेमुआ चनन केर गाछ / मगही गुरहत्थी लोकगीत


परबत उपर नेमुआ चनन केर गाछ, लिखूँ कोहबर।

ताहि तर दुलरइता दुलहा खेलइ जुगवा सार लिखूँ कोहबर॥1॥

किया तोंहे अजी बाबू, खेलबऽ जुगवा सार, लिखूँ कोहबर।

तोहरो दुलरइतिन सुघवे नइहरवा भागल जाय, लिखूँ कोहबर॥2॥

जाय देहु जाय देहु, अम्माँ जी के पास, लिखूँ कोहबर।

उनको पीठी बजतइन सुबरन केर साँट लिखूँ कोहबर॥3॥

ई मति जानु बाबू, सासु निरमोहिया, लिखूँ कोहबर।

उनकर धिया हइन परान के अधार, लिखूँ कोहबर॥4॥





मोर के मजुरवा केरा नाया कोहबर / मगही गुरहत्थी लोकगीत


मोर के मजुरवा केरा नाया कोहबर।

गंगा जमुनी बिछामन भेलइ हे॥1॥

ताहि पइसी सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा।

जवरे भये दुलरइतिन सुघइ हे॥2॥

ओते सुतूँ, ओते सुतूँ दुलरइतिन सुघइ हे।

घामे रे चदरिया मइला होय रे, नाया कोहबर॥3॥

एतना बचनियाँ जब सुनलन दुलरइता सुघइ हे।

चलि भेजन अपन नइहरवा रूसि हे॥4॥

अँतरा में मिललन दुलरइता भइया हे।

काहे बहिनी बिदइया भेलऽ हे।

परपूत बोलऽ हे कुबोली बोली हे॥6॥

बाँधल केसिया भइया, खोलाइ देलन हे।

संखा चुड़िया फोड़ाइ देलन हे।

कसमस चोलिया फराइ देलन हे॥7॥

घुरू घुरू बहिनी, नइहरवा चलूँ हे॥8॥

खोलल केसिया भइया बँधाइ देलन हे।

कसमस चोलिया सिलाइ देलन हे॥9॥

संखा चूड़िया पेन्हाइ देलन हे।

छिनारी पूता के बन्हाइ देलन हे॥10॥





बहरी के कोहबर लाल गुलाब हे / मगही गुरहत्थी लोकगीत


बहरी के कोहबर लाल गुलाब हे।

भीतर के कोहबर पनमें छवावल हे॥1॥

ताहि पइसी सुतलन सजन के बेटा जी।

जबरे लगके सुतलन दुलरइता देवा के बेटी जी॥2॥

गरजे लागल मेघवा, बरसे लागल मेघ जी।

भींजे लागल दुलहा दुलहिन, जुटल सनेह जी॥3॥

खोलूँ धनि, खोलूँ धनि, अपन घूँघुट जी।

तोहर मुहँमाँ लगहे बड़ सोहामन जी॥4॥

जब रउरा मुहँमाँ लगे सोहामन जी।

काहे हमर बाबा से माँगलऽ दहेज जी॥5॥





रचिएक कोहबर लिखलूँ हम कोहबर / मगही


रचिएक कोहबर लिखलूँ हम कोहबर।

लिखलूँ हम मनचित लाय, अनजान लिखुँ कोहबर हे॥1॥

सेहि पइसो सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा।

जवरे दुलहिनियाँ संघें साथ, लिखुँ कोहबर॥2॥

रसे रसे डोलहइ चुनरी लगल बेनियाँ।

होवे लगल दुलहा दुलहिन बात, अनजान लिखूँ कोहबर॥3॥

हम त हिओ धनि तोहर परनमा।

तू हका हमर परान, अनजान लिखुँ कोहबर॥4॥





अइपन पिसिले, कोहबर लिखिले/ मगही गुरहत्थी लोकगीत


अइपन पिसिले, कोहबर लिखिले, लिखली मनचित लाय रे।

दिलजान लिखों कोहबर, मनमोहन लिखों कोहबर॥1॥

ताहि कोहबर सुतलन कवन दुलहा, जवरे सजनवाँ के धिया रे।

दिलजान लिखलों कोहबर, मनमोहन लिखलों कोहबर॥2॥

ओते सूतूँ, ओते सूतूँ, सुगइ कवन सुगइ, तोरे पीठे गरमी बहूत रे।

दिलजान लिखों कोहबर, मनमोहन लिखांे कोहबर॥3॥

अतिना बचन जब सुनली कवन सुगइ, रूसि नइहर चलि जाय रे।

दिलजान लिखलों कोहबर, मनमोहन लिखलांे कोहबर॥4॥

रहिया में रे भंेटलन भइया, कवन भइया, कहाँ बहिनी चललू अकेल रे।

दिलजान लिखों कोहबर, मनमोहन लिखांे कोहबर॥5॥

लाज सरम केरा बात जी भइया, कहलो न जाए, परपूता बोलले कुबोल रे।

दिलजान लिखों कोहबर, मनमोहन लिखांे कोहबर॥6॥

हँसि हँसि चिठिया जे लिखथिन कवन दुलहा,

देहुन गल पियारो सरहज हाँथ रे।

दिलजान लिखों कोहबर, मनमोहन लिखांे कोहबर॥7॥

मानु मानु ननद हे हमरी बचनियाँ,

आजु सोहाग केरा रात रे।

दिलजान लिखों कोहबर, मनमोहन लिखांे कोहबर॥8॥

कइसे में मानूँ हे भउजी, तोहर बचनियाँ,

परपूता बोलले कुबोल रे।

संखा चुरी देलन मसकाय रे, डाँसल सेजिया उदासे रे।

दिलजान लिखों कोहबर, मनमोहन लिखांे कोहबर॥9॥

मानु मानु ननद हे हमरी बचनियाँ।

फेनु कै सेजिया डसायब रे, फेनु देबो संखा चूरी पेन्हाय रे।

दिलजान लिखों कोहबर, मनमोहन लिखांे कोहबर॥10॥

मानली कवन सुगइ चललि बिहँसि रे।

दिलजान लिखों कोहबर, मनमोहन लिखांे कोहबर॥11॥





सोने की खटिया रूपे केर मचिया / मगही गुरहत्थी लोकगीत


सोने की खटिया रूपे केर मचिया, ईंगुर लगल चारो पाट हे। 

एक हाथ तेल, दूसर हाथ अबटन सीता सिरहनमा लेले ठाढ़ हे॥1॥

गँगा किंरियवा तूहुँ खाहु जी सीता, तब धरू पलँग पर पाँव हे।

गंगा हाथ लिहलन जबहिं सीता देइ, गंगा हो गेलन जलबाय हे॥2॥

येह किरियवा सीता मैं न पतिआऊँ सुरुज किरियवा तूँ खाहु हे।

जबहिं सीता हे सुरूज हाथ लिहलन सुरूज हो गेलन छपित हे॥3॥

येहु किरियवा सीता मैं न पतिआऊँ, अगिन किरियवा तूँ खाहु हे।

जबहिं सीता देइ अगिन हाथ लिहलन, अगिन होलइ जरिछाय हे॥4॥

कहथिन रामचंदर सुनु देइ सीता जी, अब हम दास तोहार हे॥5॥

अइसन पुरूख के जात बनावल, झूठो लगावे अकलंक हे।

फाटत भुइयाँ ओकरो में समयतीं मुहमाँ न देखतीं तोहार हे॥6॥





उपरे परबतवा पर हारिल सुगवा / मगही गुरहत्थी लोकगीत


उपरे परबतवा पर हारिल सुगवा, अहो उनकर रातुल

दुनु ठोर, से एहो नाया कोहबर।

सेहो पइसि सूतल दुलहा दुलरइता दुलहा, जवरे सजनमा

केर धिया, से एहो नाया कोहबर॥1॥

ओते सुतूँ ओते सुतूँ दुलहिन दुलरइता दुलहिन।

मोरे रे चदरिया मइल होय, नाया कोहबर॥2॥

एतना बचनियाँ जब सुनलन दुलरइती सुहवे हे।

खाट छोड़िए भुइयाँ सोइ गेलन ए नाया कोहबर॥3॥

सरिया खेलइते तोहें दुलरइता सरवा हे।

रूसल बहिनियाँ बँउसी देह त, एहो नाया कोहबर॥4॥

उठूँ बहिनी, उठूँ बहिनी, हमर बोलिया हे।

उठिकर चिरवा सँम्हारू, त एहो नाया कोहबर॥5॥

कइसे के उठियो अउ चिरवा सँभाएि हे।

राउर बहनोइया बोलय कुबोल त, एहो नया कोहबर॥6॥

बोले देहुन बोले देहुन, कुबोली बोलिया हे।

कुलमन्ती सहहे कुबोल, एहो नाया कोहबर॥7॥





पुरइन पात चढ़ि सुतली गउरा देइ / मगही गुरहत्थी लोकगीत


पुरइन पात चढ़ि सुतली गउरा देइ।

सपना देखली अजगूत हे॥1॥

टोला पड़ोसिन तुहूँ मोरा गोतनी।

सपना के करू न बिचार हे॥2॥

तुहूँ इयानी गउरा तुहूँ सेयानी।

तुहूँ पंडितवा के धिया हे॥3॥

मोरँग देस बाजन एक बाजे।

सिवजी के होयलइन बियाह हे॥4॥

पेन्हऽ गउरा देइ इयरी से पियरी।

सउतिन परिछ घर लावऽ हे॥5॥

पुतहू जे रहतइ परिछि घर लइती।

सउतिन परिछलो न जाय हे॥6॥

डँड़िया उधारि जब देखलिन गउरा देइ।

इतो हइ बहिन हमार हे॥7॥

देस पइसि बहिनी बरो न मिलल।

तुहूँ भेल सउतिन हमार हे॥8॥

अइसन असीस बहिनी हमरा के दीह।

जुग जुग बढ़ी अहिवात हे॥9॥

मँगिया के जुड़ल सीतल रहिहऽ हे बहिनी।

कोखिया के होइहऽ बिहून हे॥10॥

सार पइसी बहिनी गोबर कढ़िहऽ।

सिव जी के पास मत जाहु हे॥11॥





टुटली मैं फटली मड़इआ देखते भेयामन हे / मगही गुरहत्थी लोकगीत


टुटली मैं फटली मड़इआ देखते भेयामन हे।

सेहु पइसी सुतली गउरा देइ, मन पछतावे हे॥1॥

माँगि चाँगि लावल महादेव, धन बित छरिआ हे।

बाघेछाल देल ओछाइ बसहा धान खाइल हे॥2॥

नहाइ धोवाइ महादेव चउका चढ़ि बइठल हे।

अधन देली ढरकाइ बिहँसि गउरा बोलथिन हे॥3॥

सब केर देलहो महादेव, धन बित छड़िया हे।

अपना जगतर भिखारी, पइँचो न मिलत हे।

ऐसन नगरिया के लोग, पइँचो न देहइ हे॥4॥





अँगना में चकमक, कोहबर अँन्हार / मगही


अँगना में चकमक, कोहबर अँन्हार।

नेसि देहु दियरा होयतो इँजोर गे माइ॥1॥

पान अइसन पतरी, सुहाग बाढ़ो तोर।

साटन के अँगिया समाय नहीं कोर गे माइ॥2॥

केंचुआ के चोरवा भइया, देहु न बँधाय।

रउदा में बाँधल भइया, रहतन रउदाय।

अँचरो में बाँधब भइया रहतन लोभाय॥3॥





कोहबर वइठल ओहे धनि सुन्नर, काहे धनि बदन मलीन / मगही गुरहत्थी लोकगीत


कोहबर वइठल ओहे धनि सुन्नर, काहे धनि बदन मलीन।

तनि एक अहे धनि मुहमा पखारह खिलि जयतो बदन तोहार॥1॥

मलिया के बघिया में फुलवा फुलायल, फूल फूलल कचनार।

ओहे फूल लागि हइ जियरा बेयाकुल, मोर बदन कुम्हलाय॥2॥

मलिया के बघिया फेड़ अमरितंवा फूल फरि भेल भुइआँ नेब।

तेहि अमरित फूल लागि जियरा बेयाकुल, मोर बदन कुम्हलाए॥3॥

कथिए पिसायब, कथिए उठायब, कथिए घरब हम सहेज।

लोढ़े पिसाएब, हँथवे उठायब, कटोरवे रखब सहेज॥4॥

सेहि पीइ अहे धनि, सुतह हमर सेजिय, खिलि जयतो बदन तोहार।

लोढ़े पिसायल, हँथवे उठायल, कटोरवे रखल सहेज॥5॥

सेहि पीइ एहो धनि सुतलन सेजरिया, खिलि गेलन बदन अपान।

मलियन तेल कटोरवन उबटन, तेल लगावे आठो अँग॥6॥

तेल लगवइत एक बात पूछल, कह परभु जलम के बात।

हमरो जलम भेल, नगर बधावा भेल, भे गेलइ चहुँ दिस इँजोर॥7॥

बड़ जेठ लोग सभ आसीस देलन, राजा भगीरथ होय।

तुहूँ कहहु धनि अपन जलमिया, कहली हम सब हे अपान॥8॥

जाहि दिन अजी परभु, हमरो जलम भेल, बाबा सूतल चदरी तान।

झोंकि दिहल चेरिया मिरचा के बुकनी सउरी  में पड़ल हरहोर॥9॥

बाबा जे जड़लन बजड़ केमड़िया मामा उठल झउराय।

गड़ल गडु़अवा हमर उखड़ावल होइ गेलन जीउ जंजाल॥10॥





बेरिया डुबन लगल, फूलल झिगनियाँ / मगही गुरहत्थी लोकगीत


बेरिया डुबन लगल, फूलल झिगनियाँ।

आजु मोरा अइह धानि, हमर कोहबरिया॥1॥

कइसे के अइयो प्रभु, तोहरो कोहबरिया।

अँगना में हथु सासु मोर रे बयरनियाँ॥2॥

सासुजी के दिहऽ धानि, दलिया आउ भतवा।

चुपके से चलि अइहऽ हमर कोहबरिया॥3॥

कइसे के अइयो परभु, तोहरो कोहबरिया।

ओसरा में हथु गोतनी मोर रे बयरिनियाँ॥4॥

गोतनी के दिहऽ तूँ भरि के चिलिमियाँ।

चुपके से आ जइहऽ हमर कोहबरिया॥5॥

कइसे के अइयो परभु, तोहर कोहबरिया।

बाहरे खेलत हथु, ननदी बयरनियाँ॥6॥

ननदी के दिहऽ धानि, सुपती मउनियाँ।

चुपे चुपे चलि अइहऽ हमरो कोहबरिया॥7॥

कइसो के अइयो परभु, तोहर कोहबरिया।

मुसुकत खाड़े हथु देवर बयरनियाँ॥8॥

देवर के दिहऽ धानि, खइनियाँ आउ चुनमा।

चुपके से चलि अइहऽ, हमरो कोहबरिया॥9॥





नवगुन लगल सनेह, सोहाग रात निंदिया / मगही गुरहत्थी लोकगीत


नवगुन लगल सनेह, सोहाग रात निंदिया।

सेहो पयसी सुतलन दुलरइता दुलहा, जवोरे दुलरइतिन दुलही हे॥1॥

ओते सुतूँ ओते सुतूँ सुगही हे, सोहाग रात निंदिया।

पुरबी चदरिया मइला भेल रे, सोहाग रात निंदिया॥2॥

एतना बचन धनि सुनहु न पयलन, सोहाग रात निंदिया।

चलि भेलन नइहरवा के बाट, सोहाग रात निंदिया॥3॥

घुरूँ घुरूँ आहु चलु मोर सेजरिया, सुहाग रात निंदिया।

संखा चुड़िया पहिराय देबो हे, सोहाग रात निंदिया॥4॥





हार लगल बेनियाँ, सोहाग लगल बेनियाँ / मगही गुरहत्थी लोकगीत


हार लगल बेनियाँ, सोहाग लगल बेनियाँ।

मोती लगल हे, सोभइ सुगही के सेजिया॥1॥

अँगना में हकइ चलन केरा हे गछिया।

बिछ गेलइ हे धनि, सुगही के सेजिया॥2॥

से चले लगलइ हे उहाँ हार लागल बेनियाँ।

ओने से आवल पुरबा आयल सुख नीनियाँ॥3॥

भुला गेलइ हे मोरा हार लगल बेनियाँ।

भुला गेलइ हे मोरा सुहाग लगल बेनियाँ॥4॥

आग लावे गेलूँ हम, ननदी के अँगना।

उहीं धरल हे देखलूँ, हार लगल बेनियाँ॥5॥

बाबा खउकी भइया खउकी, तुहूँ मोरा धानि।

लगाइ देलऽ हे मोर बहिनी के चोरिया॥6॥

बाबा कीर भइया कीर, परभु तोर दोहइया।

हम न लगौली तोर बहिनी के चोरिया॥7॥

आग लावे गेली हम, ननदो के अँगना।

ओहँइ देखली, हम हार लगल बेनियाँ॥8॥

आबे देहु, आबे देहु, हाजीपुर के हटिया।

कीन देबो हे धनि, हार लगल बेनियाँ॥9॥

लाय देहो हे परभु, हार लगल बेनियाँ।

रूस गेल हे धनि, लाय देबो बेनियाँ॥10॥





घर पिछुअरवा डोमिन के घरवा / मगही गुरहत्थी लोकगीत


घर पिछुअरवा डोमिन के घरवा।

देइ देहि बिनि डोमिन बेनियाँ नवरँगिया॥1॥

हमरा जे हकइ डोमिन, साँकर कोहबरिया।

हमरा के लागइ डोमिन, बड़ी रे गरमियाँ॥2॥

जे तूँहि चाहिं दुलहिन, बेनिया नवरँगिया।

तूँ हमरा देहिं दुलहिन, सोने के कँगनमा।

कहमा गढ़वले डोमिन, अइसन गढ़नमा॥4॥

तोहर पुतहु किनलन बेनियाँ नवरँगिया।

ओहि रे देलन मोरा, सोने के कँगनमा॥5॥

भइया खउकी बाबू खउकी, तूहूँ रे पुतोहिया।

कहमा हेरवलें अपन, सोने के कँगनमा॥6॥

हमरा जे हलइ सासु, साँकर कोहबरिया।

हमरा के लागइ सासु, एतना गरमियाँ॥7॥

हम जे किनलूँ सासु, बेनिया नवरँगिया।

ओने अवलन दुलहा दुलरूआ॥8॥

तोहर धानि हकउ बाबू, एता रे सउखिनियाँ।

कइसे कइसे किनलन बेनियाँ नवरँगिया॥9॥

तोहर दुलार अमाँ, घड़ी रे पहरुआ।

धानि के दुलार अमाँ, हकइ सारी रतिया।

कइसे के बरजूँ अमाँ, नाया दुलहिनियाँ॥10॥





रचि रचि रचलूँ सबुज रँग सेजिया / मगही गुरहत्थी लोक गीत


रचि रचि रचलूँ सबुज रँग सेजिया।

सुरुज जोति सेजिया, मोती लगल सेजिया॥1॥

धायल, धूपल अयलन दुलहा दुलरइता दुलहा।

बइठूँ, बइठूँ बइठूँ दुलहा सबुजे रँगे सेजिया॥2॥

कइसे के बइठूँ धनि, तोहरा हे सेजिया।

तूँ तो लगैलऽ धनि, हमर बहिनी चोरिया॥3॥

बाबा किरिया भइया किरिया, परभु तोहर दोहइया।

हम न लगवली तोर बहिनियाँ के चोरिया॥4॥

टका चार बिगवौ हम पयबो सगरो धनियाँ।

कहमा त पयबो धनि, अपन बहिनियाँ॥5॥

अँचरा बिछयबो ताहाँ रे परभु पयबो।

कहमा त पयबो परभु, हमहुँ सहोदर भइया॥6॥





नन्हीं नन्हीं कउड़िया दुलहा, फाँड़ा बान्हीं लेल / मगही गुरहत्थी लोक गीत


नन्हीं नन्हीं कउड़िया दुलहा, फाँड़ा बान्हीं लेल।

चलि गेल अहो दुलहा, हाजीपुर हटिया॥1॥

उहा से लावल दुलरू, मजुरवा लगल बेनियाँ।

घामा के घमाएल कवन दुलहा, डोलाए मांगे हे बेनियाँ॥2॥

कइरो डोलाऊँ परभु, मजुरवा लगल हे बेनियाँ।

तोरो कवन बहिनी चोराइ लेलन हे बेनियाँ॥3॥

आवे देहु अगहन दिनवाँ, उपजे देहु धनवाँ।

अपनी कवन बहिनी बिदा करबों हे ससुररिया॥4॥





अमवा पत्तो न डोलले, महुआ के पत्तो न डोलले / मगही गुरहत्थी लोक गीत


अमवा पत्तो न डोलले महुआ के पत्तो न डोलले।

एक इहाँ डोलले सुगइ सेज हे बेनियाँ॥1॥

हरे रँग के बेनियाँ, आँचर लगल मोतिया।

सुरुजे देलन जोतिया॥2॥

आग आने गेलिअइ हम सोनरा के घरवा।

कउनी रे बैरिनियाँ चोरयलक मोर हे बेनियाँ॥3॥

गेलिअइ हम ननदोहि बनके पहुनमा।

अरे, ननदोसिया के पलँग देखली अपन बेनिया॥4॥

मारबो हे धनियाँ हम कादो में लेसरि के।

अरे, हमरे बहिनियाँ के लगैलऽ काहे चोरिया॥5॥

सेजिया बिछायब तहाँ धनि पयबइ।

अरे, मइया के जनमल बहिनियाँ कहाँ पयबइ॥6॥





मोती लगल सेजिया, मुँगे लगल सेजिया / मगही गुरहत्थी लोक गीत


मोती लगल सेजिया, मुँगे लगल सेजिया।

चाँद देलन जोतिया, सुरुज देलन मोतिया॥1॥

ताहि पर सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा।

आइ गेलइन हे हुनुँके सुखनीनियाँ॥2॥

नीनियाँ बेयागर दुलहा तानलन चदरिया।

दुलहिन सूतल मुख मोर सबुज सेजिया॥3॥

अब न जायब हम परभु जी के सेजिया।

उनखा पियार हकइन सबुज सेजे नीनियाँ॥4॥





मलिया के बाघ में बेलिया फूले हे फुलवा, / मगही गुरहत्थी लोक गीत


मलिया के बाघ में बेलिया फूले हे फुलवा,

चमेलिया फूले हे फुलवा।

तहवाँ हे कवन सुगइ झारे लामी केसिया॥1॥

घोड़वा चढ़ल आबे कवन दुलहा।

अरे लपकि धइले छयला दहिन मोरा हे बहियाँ॥2॥

छोडू़ छयला, छोडू़ छयला, दहिन मोरा बहियाँ।

फूटि जइहें संखाचूड़ी, मुरुकि जइहें बहियाँ॥3॥

फूटे दहु संखाचूड़ी, नाहि मुरुकि बहियाँ।

फेनो के पेन्हयबो सुगइ, लाली लाली हे चूड़िया।

अरे फेनो के पेन्हयबो सुगइ, सोने के है कँगना॥4॥

कहाँ तूहूँ पयबो परभु, लाली लाली चूड़िया।

कहाँ तूहूँ पयबो परभु, सोने के कँगना॥5॥

अम्माँ पउती पयबो सुगइ, लाल लाल चूड़िया।

सोनरा घर पयबो सुगइ, सोने के कँगना॥6॥

जब हम होयबो कवन साही के बेटिया।

अरे लातहुँ न छुअबो छयला, लाली लाली चूड़िया॥7॥

जब हम होयबो कवन साही बहिनियाँ।

अरे लातहुँ न छुअबो छयला, सोने के कँगना॥8॥

जब हम होयबो कवन साही के बेटवा।

अरे जोर से पेन्हयबो सुगइ, लाली लाली चूड़िया॥9॥

जब हम होयबो कवन साही भतीजवा।

अरे जोर से पेन्हयबो सुगइ, सोने के कँगना॥10॥





अँगना में रिमझिम कोहबर दीप बरे हे / मगही गुरहत्थी लोक गीत


अँगना में रिमझिम कोहबर दीप बरे हे।

अरे ताहि कोहबर सुतलन कवन दुलहा,

बेनिया डोलाइ माँगे हे॥1॥

बेनिया डोलइते हे आवल सुखनीनियाँ।

रसे रसे बीत गेलइ सउँसे रँगे रतिया॥2॥





मोरा पिछुअड़वा बबुरी के गछिया / मगही गुरहत्थी लोक गीत


मोरा पिछुअड़वा बबुरी के गछिया,

हाँ जी मालिन, बबुरी फुलले कचनरवा।

से फूल लोढ़ले दुलहा कवन दुलहा,

हाँ जी मालिन, गूँथि जे दहु निरमल हरवा॥1॥

से हार पहिरले दुलहा कवन दुलहा,

हाँ जी मालिन, पेन्हि चलले ससुररिया।

बीचे रे कवन पुर में घेड़ा दउड़वलन

हाँ जी मालिन, टूटि जे गेल निरमल हरवा॥2॥

पनिया भरइते तोंहिं कुइयाँ पनिहारिन,

हाँ जी मालिन, चूनि जे देहु निरमल हरवा।

येहु निरमल हरवा बाबू, माइ रे बहिनी चुनथुन

अउरो चुनथुन पातर धनियाँ॥3॥

माइ रे बहिनी चेरिया घर घरुअरिया

पातरी धनि हथिन नइहरवा।

मँचिया बइठले तोहिं अजी सरहजिया,

हाँ जी मालिन, कउना हिं रँगे पातर धनियाँ॥4॥

जनि रोउ जनि कानू अजी ननदोसिया,

हाँ जी मालिन, सामबरन मोर ननदिया।

येहो सरहजिया माइ हे जँगली छिनार,

हाँ जी मालिन, दूसि देलन पातर धनियाँ॥5॥





दूरि गमन से अयलन कवन दुलहा / मगही गुरहत्थी लोक गीत


दूरि गमन से अयलन कवन दुलहा, दुअराहिं भरि गेल साँझ हे।

केने गेल, किआ भेल सुगइ कवन सुगइ, कोहबर के करू न विचार हे॥1॥

एक हम राजा के बेटी, दूसरे पंडितवा के बहिनी, हम से न होतइ बिचार हे।

अतना बचनियाँ जब सुनलन कवन दुलहा, घोड़े पीठे भेलन असवार हे॥2॥

अतना बचनियाँ जब सुनलन कवन सुगइ,

पटुक झारिए झुरिए उठलन कवन सुगइ।

पकड़ले घोरा के लगाम हे।

अपने तो जाहथि जी परभु, ओहे रे तिरहुत देसवा,

हमरा के सौंपले जाएब जी॥3॥

नइहर में हव धनि, माय बाप अउरो सहोदर भाई,

ससुरा में हव छतरीराज हे॥4॥

बिनु रे माय बाप, कइसन हे नइहर लोगवा, बिनु सामी नहीं ससुरार हे।

किआ काम देथिन जी परभु, माय बाप अउरो सहोदर भाई,

चाहे काम देथिन छतरीराज हे?॥5॥





हरि हरि दुभिया सोहामन लागे हे / मगही गुरहत्थी लोक गीत


हरि हरि दुभिया सोहामन लागे हे।

फरि फरि दौना झुकि गेलइ हे॥1॥

घोड़वा दउड़यते अयलन दुलरइता दुलहा हे।

जिनखर अभरन अमोद लागे हे।

जिनखर पगिया केसर रँगे हे॥2॥

धाइ धुइ पइसल सुघइ सेजिया हे।

कहु धनि खेम कुसल हे।

चलहु धनि हमर देसवा हे॥3॥

हम कइसे जयबो परमु तोहर देसवा हे।

रोइ रोइ मइया मरि जयतइ हे॥4॥

कलपि कलपि बाबू रहि जयतन हे।

सँघवा के सखिया सँघे मोरा छूटि जयतइ हे।

कोरपिछुआ भइया रूसि जयतइ हे॥5॥

एतना बचनियाँ सुनि के दुलरइता दुलहा हे।

सुनु धनि बचन मोरा हे॥6॥

मइया मोरा होतो धनि तोहर मइया हे।

मोर बाबूजी तोर बाप हे।

मोर बहिनी होतो धनि तोहर सखिया हे।

मोर भुइया तोहर लहुरा देवर हे॥7॥

नइहरा के सुखबा परभु जी कइसे बिसरब हे।

उहाँ सुपती मउनी कइसे खेलब हे॥8॥





बगिया मति अइहा हो दुलहा / मगही गुरहत्थी लोक गीत


बगिया मति अइहा हो दुलहा, डेहुरिया मति हो छुइहा।

पोसल चिरइँया हो दुलहा, उड़ाइ मति हो दीहा॥1॥

बगिया हम अइबो हे सासु, डेहुरिया हम हे छुइबो।

पोसल चिरइँया हे सासु, उड़ाइ हम हे देबो॥2॥

सड़क मति अइहा हे दुलहा, ओहरिया मति हे छुइहा।

पोसल सुगवा हे दुलहा, उड़ाइ मति हो दीहा॥3॥

सड़क हम अइबो हे सासु, ओहरिया हम हे छुइबो।

पोसल सुगवा हे साुस उड़ाइ हम हे देबो॥4॥

मड़वा मति अइहो हो दुलहा, कलसवा मति हो छइहा।

बरल चमुकवा हे दुलहा, बुताइ मति हे दीहा॥5॥

मड़वा हम अइबो हे सासु, कलसवा हम हे छुइबो।

बरल चमुकवा हे सासु, बुताइ हम हे देबो॥6॥

कोहबर मति जइहा हे दुलहा, सेजिया मति हे छुइहा।

पोसल बेटिया हे दुलहा, रुलाइ मति हे दीहा॥7॥

कोहबर हम जयबो हे सासु, सेजिया हम हे छुइबो।

पोसल बेटिया हे सासु, रूलाइ हम हे देबो॥8॥





अहे मोरा पिछुअड़ा लवँगिया के गछिया / मगही गुरहत्थी लोक गीत


अहे मोरा पिछुअड़ा लवँगिया के गछिया।

लवँग चुअले सारी रात हे।

अहे लवँग चुनि चुनि सेजिया डँसवलों।

बीचे बीचे रेसम के डोरा हे॥1॥

अहे ताहि पइसि सुतले, दुलहा कवन दुलहा।

जउरे सजनवा केरा धिया हे।

अहे ओते ओते सुतहु कवन सुगइ।

तोरा गरमी मोरा ना सोहाय हे॥2॥

अहे अतिना बचनियाँ जब सुनत कवन सुगइ।

रोअत नइहरवा चलि जाय हे।

अहे मोरा पिछुअड़वा मलहवा रे भइया।

मोहि के पार उतारऽ हे॥3॥

अहे राति अमल बहिनी अतही गँवावऽ।

भोरे उतारब पार हे॥4॥

अहे भला जनि बोलइ भइया, मलहवा भइया।

तोरो बोली मोहिं न सोहाय हे।

अहे चान सुरुज अइसन अपन परभु तेजलों।

तोहरो के सँग नहीं जायब हे॥5॥

अहे एके नइया आवले लवँग इलाइची।

दोसरे नइया आवे पाकल पान हे।

अहे तीसरे नइया आवलें ओहे पनखउका।

उनके साथ उतरव पार हे॥6॥





नदिया किनारे जिरवा जलमि गेलइ / मगही गुरहत्थी लोक गीत


नदिया किनारे जिरवा जलमि गेलइ।

फरे फूले लबधि गेलइ हे॥1॥

घोड़वा चढ़ल आथिन दुलरइता दुलहा हे।

उनकर पगड़ी अमोद बसे हे॥2॥

ओतें सूतूँ, दुलरइता दुलहा हे।

होइ जयतइ चुनरिया मइला हे॥3॥

धोबिया जे धोबले जमुन दइ हे।

सूखे देलकइ चनन गछिया हे॥4॥

बाट जे पूछले बटोहिया भइया हे।

केकर सिर के पगड़िया सूखइ हे।

केकर तन के चुनरिया सुखइ हे।

जेकर गंधे आमोद बसे हे॥5॥





अउरी झउरी करथिन दुलरइतिन सुगवे हे / मगही गुरहत्थी लोक गीत


अउरी झउरी करथिन दुलरइतिन सुगवे हे।

हम लेबइ इलइची फुलवा हे।

हम लेबइ जाफर फुलवा हे॥1॥

कहाँ हम पयबो इलइची फुलवा हे।

कहमा जाफर फुलवा हे॥2॥

हमरा नइहरवा परभु इलइची फुलवा हे।

अउरो जाफर फुलवा हे॥3॥

पहुना बहाने परभु नइहरवा नइह हे।

भौंरवा रूपे फूलवा लेइ अइह हे॥4॥

बगिया में अयलन दुलरइता सरवा हे।

लवँगिया डरवा सरवा बाँधी देलन हे।

सोबरन सँटिया सरवा मारी देलन हे॥5॥

रोइ रोइ चिठिया लिखथिन दुलरइता दुलहा हे।

येहो चिठिया धनि हाथ हे॥6॥

हँसि हँसि चिठिया लिखथिन दुलरइतिन सुघइ हे।

येहो चिठिया भइया हाथ हे॥7॥

लवँग डढ़िया भइया चोरवा खोली दिहऽ हे।

सोबरन सँटिया भइया केरी लिहऽ हे॥8॥





जमुना किनरवा जीरवा जलमि गेलइ / मगही गुरहत्थी लोक गीत


जमुना किनरवा जीरवा जलमि गेलइ हे।

फरी फूरी ओरझ हे॥1॥

हथिया चढ़ल आथिन दुलरइता दुलहा हे।

जिनखर पगिया रँगे रँगे हे।

जिनखर अभरन रसे रसे हे॥2॥

नदिया किनारे धोबिया धोवे लगल हे।

सूखे देलक कदमियाँ तरे हे॥3॥

हँसि हँसि पुछथिन कवन दुलहा हे।

केकर बेटी के चुनरिया सुखइन हे।

केंकर धिया के केचुअवा सुखइन हे॥4॥

जिनखर चुनरी रँगे रँगे हे।

जिनखर केचुआ अमोद बसे हे॥5॥

कवन पुर के हथिन दुलरइता बाबू हे।

उनखर बेटी के चुनरिया सुखइन हे।

उनखर धिया के केचुअवा सुखइन हे॥6॥





कवन साही अइसन लाली दरवजवा / मगही गुरहत्थी लोक गीत


कवन साही अइसन लाली दरवजवा, मानिक जड़ले केवाँड़ हे।

कवन दुलहा अइसन बड़ा दुलरूआ, खेलले पासा जोड़ हे॥1॥

कवन भँडु़आ अइसन लाली दरवजवा, मानिक जड़ले केवाँड़ हे।

कवन दुलहा अइसन बड़ा दुलरूआ, खेलले पासा जोड़ हे॥2॥

अँखवा जनि मटकइह दुलहा, धरती जनि लइह डीठ हे।

देखन अइहें ससुरारी के लोगवा, कइसन सुन्नर दमाद हे॥3॥

अँखिया दुलरुआ के आमि के फँकवाँ नकवा सुगवा के ठोर हे।

जइसन झलके अनार के दाना, ओइसन दुलरूआ के दाँत हे॥3॥





अगे अगे चेरिया बेटिया, नेस देहु मानिक दियरा हे / मगही गुरहत्थी लोक गीत


अगे अगे चेरिया बेटिया, नेस देहु मानिक दियरा हे।

येहो बँसहर घर दियरा बराय देहु, सुततन दुलरू दुलहा हे॥1॥

पहिल पहर राती बीतल, इनती मिनती करथिन हे।

लेहु बहुए सोने के सिन्होंरबा तो उलटि पुलटि सोबऽ हे॥2॥

अपन सिन्होरबा परभु मइया के दीहऽ अउरो बहिनी के दीहऽ हे।

पुरुब मुँह उगले जो चान, तइयो नहीं उलटि सोयबो हे॥3॥

दोसर पहर राती बीतल, इनती मिनती करथिन हे।

लेहु बहुए नाक के बेसरिया, उलटि जरा सोबहु हे॥4॥

अपन बेसरिया परभु, मइया दीहऽ, अउरो बहिनिया दीहऽ हे।

पुरुब के सुरूज पछिम उगतो तइयो नहीं उलटि सोयबो हे॥5॥

तेसर पहर रात बीतल, दुलहा मिनती करे, अउरो आरजू करे हे।

लेहु सुहवे सोनहर चुनरिया, त उलटि पुलटि सोबऽ हे॥6॥

अपन चुनरिया परभु जी मइया दीहऽ, अउरो बहिनिया दीहऽ हे।

पछिम उगतो जे चान, तइयो तोरा मुँह न सोयब हे॥7॥

चउठा पहर रात बीतल, भोर भिनिसरा भेले हे।

भिनसरे लगल सिनेहिया तो कागा बैरी भेले हे॥8॥





जब पिया अयलन हमर अँगनमा / मगही गुरहत्थी लोक गीत


जब पिया अयलन हमर अँगनमा।

धमे धमे धमकइह सगर अँगनमा॥1॥

जब पिया अयलन हमर चउकठिया।

मचे मचे मचकहइ हमर चउकठिया॥2॥

जब पिया अयलन हमर सेजरिया।

थरे थरे काँपहइ हमर बारी देहिया॥3॥

जब पिया भरलन हमरा के गोदिया।

टपे टपे चुए लगल हमर पसिनमा॥4॥

छोड़ि देहु छोड़ि देहु, हमर अँचरवा।

हम भागि जयबो अब अपन नइहरवा॥5॥

हमर नइहरवा में चंपा के कलिया।

आनि देहु दुलहा त रहम ससुररिया॥6॥





गंगा असननियाँ चललन दुलरइता दुलहा हे / मगही गुरहत्थी लोक गीत


बाबा फुलवरिया लवँग केर गछिया, अरे दह।

जुहिया फुलल कचनरिया, अरे दह॥1॥

घोड़वा चढ़ल आवइ दुलहा दुलरइता दुलहा, अरे दह।

कते दूर हइ ससुररिया, अरे दह।

कइसन हइ दुलहिनियाँ, अरे दह॥2॥

धीरे-बोलूँ, धीरे बोलूँ दुलहा दुलरइता दुलहा, अरे दह।

नजिके बसहइ ससुररिया, अरे दह।

काँच कली हइ दुलहिनियाँ, अरे दह॥3॥





लहँगा बेसाहन चललन कवन दुलहा / मगही


लहँगा बेसाहन चललन कवन दुलहा, पएँतर भेल भिनसार हे।

हँसि पूछे बिहँसि पूछे, सुगइ, कवन सुगइ, कहाँ परभु खेपिल रात हे॥1॥

आम तर रसलों महुइआ तर बसलों, चंपा तर खेपली रात हे।

काली कोइल कोरा पइसि सुतलों, बड़ा सुखे खेपली रात॥2॥

डाँढ़े डाँढ़े पसिया कोइल बझवले पाते पाते कोइल छपाए हे।

जइसन पसिया रे उदवसले हम जएबो आनंद बन हे।

ओहि रे आनंदबन अमरित फल खएबों, बोलबों गहागही बोल हे॥3॥





दुलरइता बाबू के बगिया में सीतल हे छँहियाँ / मगही गुरहत्थी लोक गीत


दुलरइता बाबू के बगिया में सीतल हे छँहियाँ॥1॥

खेलते धूपते गेली बेटी दुलरइती बेटी।

ए लपकि धयल छयला, दाहिन हे बँहियाँ॥2॥

छोडू़ छैला, छोडू़ छैला, दाहिन हे बँहियाँ।

अहे टूटि जयतो संखा चूड़ी, मुरकि जयतो हे बँहियाँ॥3॥

टूटे देहु, टूटे देहु, संखा चूड़ी मेरौनियाँ।

अहे फेरू से गढ़ाय देबो सोने केर हे कँगना॥4॥

सभवा बइठल तुहूँ, ससुर दुलरइता बाबू।

तोइर पूता दुलरइता बाबू, तोड़ल हे कँगना॥5॥

होय दऽ बिहान पुतहू, पसरत हे हटिया।

अहे फेरू से गढ़ाय देबो, सोने केर हे कँगना॥6॥





बाबा के दुलरुआ कवन बाबू हे / मगही गुरहत्थी लोक गीत


बाबा के दुलरुआ कवन बाबू हे।

बन बीचे महल उठाइ माँगय हे॥1॥

बन बीचे महल सजाइ माँगय हे।

महल बीचे जंगला कटाइ माँगय हे॥2॥

महल बीचे सेजिया डसाइ माँगय हे।

सासु जी के बेटिया सोलाइ माँगय हे॥3॥

हंसराज घोड़ा दहेज माँगय हे।

दुलरुआ सरवा खवास माँगय हे॥4॥

छोटकी सरिया लोकदिनियाँ माँगय हे॥5॥





मालिन के अँगना कसइलिया के गछिया / मगही


मालिन के अँगना कसइलिया के गछिया रने बने पसरल डार हे।

घर से बाहर भेले दुलहा दुलरइते दुलहा, तोड़ हइ कसइलिया के डार हे॥1॥

घर से बाहर भेले दादा दुलरइते दादा, मालिन ओलहन देवे हे।

देखो बाबू साहब तोहरे पोता तोड़े हे कसइलिया के डार हे॥2॥

लड़िका रहइते मालिन बरजतियइ छयला बरजलो न जायगे।

देबो गे अगे मालिन डाला भर सोनमा, डाला भर रूपवा, तोड़े दे कसइलिया के डार गे॥3॥

हमरा दुलरइते दुलहा कसइलिया के भूखल, तोड़े हइ कसइलिया के डार गे॥4॥





हँसि हँसि लिखथ पाँती बाँचहु हो भइया / मगही गुरहत्थी लोक गीत


हँसि हँसि लिखथ पाँती बाँचहु हो भइया।

चंपा के चोरवा के दीहऽ तूँ सजइया॥1॥

रउदा में रहतन जयतन रउदाइए।

घममा में रहतन जयतन पिघलाइए॥2॥

सरदी के मारे चोर जयतन सरदाइए।

अँचरा में बाँधब रहतन लोभाइए॥3॥





ननदी अँगनमा चनन केरा हे गछिया / मगही


ननदी अँगनमा चनन ेकरा हे गछिया।

ताहि चढ़ि बोलय कगवा कुबोलिया॥1॥

मारबउ रे कगवा हम भरल बढ़निया।

तोहरे कुबोली बोली पिया गेल परदेसवा

हमरा के छोड़ि गेल अपन कोहबरवा॥2॥

काहे लागी मारमें गे भरल बढ़निया।

हमरे बोलिया औतन पिया परदेसिया॥3॥

तोहरे जे बोलिया औतन पिया परदेसिया।

दही भात मिठवा खिलायम सोने थरिया॥4॥

उड़ि उड़ि कगवा हे गेलइ नीम गछिया।

धम से पहुँची गेलइ पिया परदेसिया॥5॥





आजु देखली हम एक रे सपनमा / मगही गुरहत्थी लोक गीत


आजु देखली हम एक रे सपनमा।

सूतल हली हम अपन कोहबरिया॥1॥

ओने से अयलइ बाँके रे सिपहिया।

पकड़ि बाँधल मोरा पिया सुकमरिया॥2॥

छोडूँ छोडूँ दुलहा हे हमरो सिपहिया।

बिहरे मोरा देखि बजर के छतिया॥3॥

जो तोहिं देहीं धानि बाला रे जोबनमा।

छोड़िए देऊँ तोहर पिया सुकमरिया॥4॥

पिया देखि देखि मोरा बिहरे करेजवा।

नयना ढरे जइसे बरसे समनमा॥5॥

टूटि गेलइ एतना में हमरा के नीनियाँ।

झरे रे लागल जइसे झहरे समनमा।





मोरा बाँके दुलहवा चलल आवे / मगही गुरहत्थी लोक गीत


मोरा बाँके दुलहवा चलल आवे।

बिरदावन से गभरूआ चलल आवे॥1॥

जब गभरू आयल हमर नगरिया हे।

गहगह बाजन बजत आवे॥2॥

जब गभरू आयल हमर मँडउवा हे।

आजन बाजन गूंजन लागे॥3॥

जब गभरू आयल हमरो कोहबरिया हे।

बेला फूल मौरिया धमकन लागे॥4॥

काहाँ बितयलऽ गभरू आजु दुपहरिया हे।

कइसे कइसे गभरू चलल आवे॥5॥

हम तो बितीलूँ बाघे दुपहरिया हे।

तोहरे लोभे हम तो चलल आऊँ॥6॥

चलते चलते मोरा गोड़ पिरायल हे।

हम तोहर बनल गुलाम आऊँ॥7॥





भोर भेल बेटी उठल अम्माँ आगे खड़ा भेल हे / मगही


भोर भेल बेटी उठल अम्माँ आगे खड़ा भेल हे।

कउन पुर्बीला अम्माँ चूक भेल, सामी पइली मूरख हे॥1॥

किया बाबू, दान दहेज जौतुक कुछ कम भेल हे।

किया बाबू, धिया हे कुमानुख मुखहुँ न बोली बोले हे।

काहे मन थोड़ भेल हे॥2॥

न सासु, दान दहेज जौतुक कुछ कम भेल हे।

न सासु, धिया हे कुमानुख, मुखहुँ न बोली बोले हे॥3॥

अस्सी कोस से अयली रहिये फेदायल हे। हे।

आजु हम धानि के संबोधब धानि के मनायब हे॥4॥





बुंदली हम मुट्ठी भर दौना अरे दइया / मगही गुरहत्थी लोक गीत


बुंदली हम मुट्ठी भर दौना अरे दइया, कोड़बइ हम कइसे।

कोड़बइ हम सोने के खुरपिया पटयबो दौना कइसे॥1॥

पटयबो हम दुधरा के धरवा अरे लोढ़बो दौना कइसे।

लोढ़बइ हम सोने के चँगेरिया, अरे इयबा गाँथबइ हम कइसे॥2॥

गाँथइ हम रेशम के डोरिया, पेन्हैबो दौना कइसे।

पेन्हैबो हम दुलरइतिन देइ के गरवा, देखबो दौना कइसे॥3॥

सारी सरहज सब ढूका लगलन, अरे दइबा देखहू न पउली।




कोठे ऊपर में बनरा सूतल हे / मगही गुरहत्थी लोक गीत


कोठे ऊपर में बनरा सूतल हे।

बनरा बोलाबे लाड़ो कइसे आवे हे।

अगे माइ, नया तोहर दुलहा भीरे कइसे आवे हे॥1॥

पायल के अवाज सुनि दादा जागथ हे।

अगे माइ, नया दुलहिनिया लाजे कइसे आवे हे॥2॥






लीली घोड़िया बर असबरवा / मगही गुरहत्थी लोक गीत

 

लीली घोड़िया बर असबरवा, हाथ सोबरन के साँट हे सखी।

राति देखल घर मोरे आयल, पेन्हि ओढ़ि धीय जमाइ हे सखी॥1॥

औंठी-पौंठी सूतल सारी सरहजबा पोथानी सूतल नीचे सास हे।

ओते सुतूँओते सुतूँ सासु पंडिताइन, लगि जयतो पेरवा के धूर हे॥2॥

किया तोंहे हउ बाबू सात पाँच के जलमल, किया मलहोरिया तोहर बाप हे।

नइ हम हिअइ सासु, सात पाँच के जलमल।

हम हिअइ पंडितवा के पूत हे।

मलहोरिया हइ रउरे लगवार हे॥4॥

अइसन जमइया माइ हम न देखलूँ, रभसि रभसि पारे गारी हे॥5॥

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