बीजी जावा बीजी, हे खोली का गणेश / गढ़वाली मांगल गीत
बीजी जावा बीजी, हे खोली का गणेश
बीजी जावा बीजी, हे मोरी का नारेण
बीजी जावा बीजी, हे खतरी का खैंडो
बीजी जावा बीजी, हे कूंती का पंडौऊं
बीजी जावा बीजी, हे काँठ्यों उदंकारों
बीजी जावा बीजी, हे नौखंडी नरसिंह
बीजी जावा बीजी, हे संभु भोलेनाथ
बीजी जावा बीजी, हे रात की चाँदनी
बीजी जावा बीजी, हे दिन का सूरज
बीजी जावा बीजी, हे ऐंच का आगास
बीजी जावा बीजी, हे नीस की धरती
बीजी जावा बीजी, हे नौ खोली का नागों
पोखरी का हीत, जय जश दे / गढ़वाली मांगल गीत
पोखरी का हीत, जय जश दे,
तेरा जाति आयो जय जश दे
भेंटुली क्या लायो, जय जश दे,
सोवन धुपाणी लायो जय जश दे
मोत्यों भरी थाल लायो जय जश दे,
जाति तेरा आयो जय जश दे
पोखरी का हीत जय जश दे
प्रभात को परब जाग, गो सरूप पृथ्वी जाग / गढ़वाली मांगल गीत
प्रभात को परब जाग, गो सरूप पृथ्वी जाग
धर्म सरुपी अगास जाग, उदयंकारी काँठा जाग।
भानुपँखी गरड़ जाग, सत लोक जाग।
मेघ-लोक जाग, इन्द्र-लोक जाग।
सूर्य-लोक जाग, चन्द्र-लोक जाग,
तारालोक जाग, पवन-लोक जाग।
ब्रह्मा का वेद जाग, गौरी का गणेश जाग।
हरो भरो संसार जाग, जन्तु जीवन जाग,
कीड़ी-मकोड़ी जाग, पशु-पक्षी जाग।
नर-नारैण जाग, मरद-औरत जाग,
दिन अर रात जाग, जमीन-आसमान जाग।
शेष समुद्र जाग, खारी समुन्द्र जाग,
दूदी समुद्र जाग, खैराणी समुद्र जाग।
घोर समुद्र जाग, अघोर समुद्र जाग,
प्रचंड समुद्र जाग, श्वेत-बंध रामेसुर जाग।
ह्यूँ हिंवालू जाग पयालू पाणी जाग,
गोवर्धन पर्वत जाग, राधाकुंड जाग।
बाला बैजनाथ जाग, धौली दिप्रियाग जाग,
हरि हरद्वार, काशी विश्वनाथ जाग।
बूढ़ा केदार जाग, भोला शम्भूनाथ जाग,
कालसी कुमौंऊ जाग, चोपड़ा चौथान जाग।
फटिंग का लिंग जाग, सोवन की गादी जाग।
ऐजा अगनी मेरा मातलोक / गढ़वाली मांगल गीत
ऐजा अगनी मेरा मातलोक, मेरा मातलोक
त्वै बिना, अगनी, ब्रह्मा, भूखो रैगे, ब्रह्मा भूखे रैगे
कनु कैकि औंलू, कनु कैकि ओलू, तेरा मातलोक
तेरा मातलोक यो बुरो अत्याचार, यो बुरो अत्याचार
क्या होलो अगनी बड़ो अत्याचार, बुरो अत्याचार
माया-धीया माया-धीया ऊजो-पैंछों
बेटा-बाबू को लेखो-जोखो
ब्वारी ह्वै की सासू अड़ाली
नौनो ह्वै का बाबू पढ़ालो
नगरी का लोको नगरी का लोको तै मातलोक।
मी तैं लत्याला थक थूकाला,
कनु कैकि औलो, कनु कैकि ओलो ते मातलोक?
तुमारा लोक मा बढ़ो अत्याचार
तुमारा लोक को तुमारा लोक को खोटो चलण।
ऐजा अगनी ऐजा अगनो मेरा मातलोक,
त्वै बिना अगनी ब्रह्मा भूखो रैगे।
जौ जश दे धरती माता / गढ़वाली मांगल गीत
जौ जश दे धरती माता
जौ जश दे कुरम देवता
जौ जश दे भूमि का भम्याल
जौ जश दे गंगा की सौणी धार
जौ जश दे पंचनाम देव
जौ जश दे भायों की जमात
जौ जश दे देऊ भूम गढ़वाल
देव खितरपाल घड़ी-घड़ी का विघ्न टाल / गढ़वाली मांगल गीत
देव खितरपाल घड़ी-घड़ी का विघ्न टाल
माता महाकाली का जाया चंड भैरों खितरपाल
प्रचंड भैरों खितरपाल, काल भैरों खितरपाल
माता महाकाली का जाया, बूढ़ा महारुद्र का जाया
यूँ को राज रखो देवता / गढ़वाली मांगल गीत
यूँ को राज रखो देवता,
माथा भाग दे देवता!
यूँ का बेटा-बेटी रखो देवता,
यूँ का कुल की जोत जगौ देवता।
यूँ का खाना जश दे,
माथा भाग दे देवता!
यूँ की डाँडो काँठ्यों मा,
फूँलीं रौ फ्योंली डंड्यौली
यूँ कि साग सवाड़ी,
रौन रोज कलबली।
धरती माता सोनो बरखाओ,
नाजा का कौठारा दे,
धन का भंडारा दे।
रच्छा करी बटुकनाथ भैरों / गढ़वाली मांगल गीत
रच्छा करी बटुकनाथ भैरों,
चौड़िया नारसिंह, वीर नौरतिया नारसिंह।
ढौंढिया नारसिंह, चौरंगी नारसिंह।
फोर मंत्र ईश्वरो वाच।
ऊं नमो आदेश, गुरु कौं आदेश!
प्रथम सुमिरौं नादबुद भैरों,
द्वितीय सुमिरौं ब्रह्मा भैरों,
तृतीय सुमिरों मछेन्द्रनाथ भैरों,
मच्छ रूप धरी ल्यायो।
चतुर्थ सुमिरौं चौरंगी नाथ,
विंधा उत्तीर्ण करी ल्यायों।
पंचमें सुमिरों पिंगला देवी,
षष्ठे सुमिरौं श्री गुरु गोरख साई,
सप्तमे सुमिरौं चंडिका देवी!
या पिंडा को छल करी, छिद्र करी,
भूत, प्रेत हर ले स्वामी!
प्रचंड बाण मारि ले स्वामी!
सप्रेम सुमिरौ नादबुद भैरों,
तेरा इस पिंडा को ध्यान छोड़ादे!
इस पिंडा को भूत, प्रेत, ज्वर उखेल दे स्वामी!
फिर सुमिरौं दहिका देवी,
इस पिंडा को दग्ध बाण उषेल दे स्वामी!
अब मैं सुमिरौं कालिपुत्र कलुबा वीर,
द्यू लो तोई स्वामी गूगल को धूप,
कलुवा वीर आग रख पीछ रख!
सवा कोस मू रख, पाताल मू रख!
फीली फेफ्नी को मास रख,
मुंड को मुंडारो उखेल,
मुंड को जर उखेल!
पीठी को सलको उखेल,
कोरवी की धमाक उखेल,
बार बिथा, छत्तीस बलई तू उखेल, रे बाबा!
मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति, सब साचा
पिंडा राचा, चालो मंत्र, ईश्वरो वाच
फोर मंत्र, फट् स्वाहा,
या बिक्षा नी आन दूसरी बार।
ओं नमो वभूत, माता वभूत, पिता बभूत (राखावली) / गढ़वाली मांगल गीत
ओं नमो वभूत, माता वभूत, पिता बभूत,
वभूत तीन लोक तारिणी।
ओं नमौ वभूत, माता वभूत, पिता वभूत,
सब दोष की निवारिणी।
ईश्वरल औणी गोजलि छाणी,
अनन्त सिद्धों ने मस्तक चढ़ावणी।
चढ़े वभूत नि पड़े हाऊ,
रच्छा करे आतम विश्वासी गुरू गोर्क राऊ।
जरे जरे धरेतरी फले, धरेतरी मात गायत्री चरे,
सुषे सुषे अगनि मुख जले।
स्या वभूत नौ नाथ पुर्षकूं चढ़े,
स्या वभूत हैंसदा कमल कूं चढ़े।
चतुर्थी वभूत चार वेद कूं चढ़े,
पंचमें वभूत पंचदेव कूं चढ़े।
हंसन देखे तुमारू नाऊं,
आप गुरू दाता तारो, ज्ञान खड्ग ले कालै मारो।
औंदी डैकणो द्यालो पताल,
त्वै देऊं रे डाकणी बजुर का ताल।
दुख नावे सुष बैठे बस कंुवार किकरे माया,
इस पिंड की अमर काया।
अमर पथी बजुर की काया।
घर घर गोरक वैकर सिद्धि काया निरमल निधी।
सोल कला सा पिंड वाला घट पिंडक गोरक रखवाला।
जाग जाग नरसिंह बीर बाबा / गढ़वाली मांगल गीत
जाग जाग नरसिंह बीर बाबा,
रूपा को तेरो सोटा जाग, फंटिगू की तेरी मुद्रा जाग,
डिमरी रसोया जाग, केदारी रौल जाग!
नेपाल तेरो चिमटा जाग, खरुबा की तेरी झोली जाग!
तमा की पत्री जाग, सतमुख तेरो शंख जाग!
नौं लड्या चाबुक जाग, ऊर्दमुखा तेरो नाद जाग।
गुरु गोरखनाथ का चेला जाग,
पिता भस्मासुर माता महाकाली जाग!
लोह खम्ब जाग। जागरन्तो होई जाई बीर बाबा नरसिंह।
वीर तुम खेला हिण्डोला! वीर उच्चा कैलासू,
हे बाबा तुम खेला सोवन हिंडोला!
हे वीर तुम मारा झकोरा! अब चौद भुवन मा,
हे वीर तीन लोक पृथि, सातौं समुद्र बाबा।
हिण्डोलो घूमद घूमद चढ़े बैकुण्ठ सभाई। बीर इन्द्र सभाई,
तब देवता जागदा होई गैन, लौंदन फूल किन्नरी।
शिव जी की सभाई पेंदन भाँग की कटोरी,
सुलपा की रौंण पेन्दन-राठ वाली भाँग।
तब लैग्या भाँग का झकोरा।
तब जाँदू बाबू कविलासी गुम्फा
जाँदू गोरख सभाई, जाँदू बैकुंठ सभाई!
गंगा माई, गाडू रिंग्या ओद / गढ़वाली मांगल गीत
गंगा माई, गाडू रिंग्या ओद,
गंगा माई, इनी मातमी माई,
त्वैन उत्पइ लिने, हिमालै का गोद।
गंगा जी, रीटी जाली काई,
विष्णु चरण से छूटी, शिव जटा समाई।
गंगा माई, इनी मातमी माई, शिव जटा समाई!
गंगा जी, रीटी जाली काई,
शिव जटान छूटे, मृत्यु मंडल आई!
गंगा माई, इनी मातमी माई, मृत्यु मंडल आई!
गंगा जी, तराजू का झोका,
तेरी जातरा औंदा, देसू-देसू का लोका।
गंगा जी, अखोडू की साई,
सोवन की जटा माता, मोती भरी ले बाँही!
गंगा माई, इनी मातमी माई, मोत्यों भरी ले बांही।
आँगड़ा की तणी, गंगा जी,
आग-आग चले माता, पीछ-पीछ हीरों की कणी।
गंगा जी, लमडाई लोड़ी,
आग आग चले माता, पीछ-पीछ गौ की जोड़ी।
गंगा माई, इनी मातमी माई, पीछ गौ की जोड़
गंगा जी मँडवा की माणी,
चाँदी सी चलक माता, सुहाग-सी स्वाणी।
गंगा माई इनी मातमी माई, सुहाग सी स्वाणी!
गंगा जी, कागजू की स्याई,
भगतू का खातर माता, मृत्यु मंडल आई।
गंगा जी, औंलू को अचार,
पंचनाम देव माता, करदा जै-जैकार।
गंगा माई, इनी मातमी माई, करदा जै-जैकार।
दी देवा बाबा जी, कन्या को दान मांगल गीत
दी देवा बाबा जी, कन्या को दान
दानू मा दान होलो, कन्या को दान।
हीरा दान, मोती दान, सब कोई देला,
तुम देला बाबा जी, कन्या को दान।
तुम होला बाबा जी, पुण्य का लोभी,
दी देवा बाबा जी, कन्या को दान।
हेम दान गजदान सब कोई देला,
तुम देला बाबा जी, कन्या को दान!
हाथ जोड़ौ गुरु जी परणाम / गढ़वाली मांगल गीत
हाथ जोड़ौ गुरु जी परणाम,
पैले माया हरि को परणाम,
जौन उपजाई सकल संसार।
जुवार लगोंदू देवी जी पार्वती,
जींका सत से होये अनिधि पुराण।
जुवार लगोंदू गुरु जी गोरख
हाथ जोड़िक अरज गुरु जी गोरख।
मैंक देण गुरु जी सकल संसार,
चँद सूरज देण पौण पाणी
मैंक देण गुरुजी विधना को भार।
खोली देवा खोली देवा, ए दौड़ पड़दा
वर-पक्ष की ओर से-
खोली देवा खोली देवा, ए दौड़ पड़दा
देखू मैं कन्या को रूप।
कन्या पक्ष का उत्तर-
हमारी कन्या छ गौरी स्वरूप, तुमारो बन्दड़ा श्याम स्वरूप।
केन होय केन होय श्याम स्वरूप,
बन्दड़ा पर लगे जेठ की धूप।
वर-पक्ष की ओर से-
खोली देवा खोली देवा, ए दौड़ पड़दा,
देखूँ मैं कन्या को रूप।
कन्या पक्ष का उत्तर-
हमारी कन्या छ सावित्री स्वरूप,
तुमारो बन्दड़ा, चमार सी कालो।
बन्दड़ा पर लगे, जेठ की धूप।
पैले न्यूते पैले न्यूते, वेदमुखी बरमा मांगल गीत
पैले न्यूते पैले न्यूते, वेदमुखी बरमा,
आज चैन्द बरमा जी को काज।
तब न्यूते, तब न्यूते औजो को बेटा,
आज चैन्द बढ़ैं को काज।
आज न्यूती याले मैन हालदान की बाड़ी,
आज चैन्द हलदी को काज,
आज न्यूती यालेन मैन मंगल्यानी नारी,
आज चैन्द मांगल को काज।
आज न्यूती यालेन मैन साट्यों की सटेड़ी
आज चैंद मोतियों को काज।
बोला-बोला सगुन बोला, बोला-बोला सगुन बोला
बोला-बोला सगुन बोला, बोला-बोला सगुन बोला,
जौ जस देने कूरम देवता, जौ जस देने धरती माता,
जौ जस देने खोली का गणेश, जौ जस देने मोरी का नारैण,
जौ जस देने भूमि को भूम्याल, जौ जस देने पंचनाम देवता।
जौ जस देने पितर देवता,
तुमारी थाती मा यो कारीज कीयों, यो कारिज सुफल फलयाना।
पहिलो फेरो फेरे लाड़ी, कन्या च कुमारी मांगल गीत
पहिलो फेरो फेरे लाड़ी, कन्या च कुमारी,
दूजो फेरो फेरे लाड़ी, कन्या च माँ की दुलारी।
तीजो फेरो फेरे लाड़ी, कन्या च भायों की लड्याली,
चौथो फेरो फेरे लाड़ी, मैत छोड़याली।
पाँचों फेरो फेरे लाड़ी, सैसर की च त्यारी,
छठो फेरो फेरे लाड़ी, सासु की च ब्वारी,
सातों फेरो फेरे लाड़ी, कन्या ह्वे चुके तुमारी।
कै भड़ को आइ होलो, यो दल-बल मांगल गीत
कै भड़ को आइ होलो, यो दल-बल,
कै भड़ की आई होली, या पिंगली पालंकी,
केक सेन्दो बाबा जी, निंद सुनिंद,
ऐ गैन बाबा जी, जनती का लोक,
नी सेन्दू बेटी मैं, निन्द सुनिंद।
तेरी जनीत कांद ओगी लौलू!
बरमा जी करला, गणेश की पूजा,
वर तैं लगौलू मंगल पिठाई।
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