मानसरोवर थारो बाप हो रनादेव / निमाड़ी गीत /लोकगीत
मानसरोवर थारो बाप हो रनादेव,
भर्यो-तुर्यो भण्डार थारो ससरो हो रनादेव।
बहती सी गंगा थारी माय हो रनादेव,
भरी-पूरी बावड़ी थारी सासू हो रनादेव।
सरावण तीज थारी बईण हो रनादेव,
कड़कती बिजळई थारी नणंद हो रनादेव।
गोकुल को कान्ह थारो भाई हो रनादेव,
तरवरतो बिच्छू थारो देवर हो रनादेव।
गुलाब को फूल थारो बाळो हो रनादेव,
झपलक दीवलो थारो जँवई हो रनादेव।
कवळा की केळ थारी कन्या हो रनादेव,
बाड़ उपर की वांजुली थारी दासी हो रनादेव।
पळा वाळई नार थारी सौत हो रनादेव।
उगतो सो सूरज थारो स्वामी हो रनादेव।
मानो बचन हमारो रे,राजा / निमाड़ी गीत /लोकगीत
मानो बचन हमारो रे,राजा,
मानो बचन हमारो
(१) भिष्म करण दुर्योधन राजा,
पांडव गरीब बिचारा
पाचँ गाँव इनक दई देवो
बाकी को राज तुम्हारो...
रे राजा...
(२) गड़ गुजरात हतनापुर नगरी,
पांडव देवो बसाई
दिल्ली दंखण दोनो दिजो
पुरब रहे पिछवाड़ो...
रे राजा...
(३) किसने तुमको वकील बनाया,
कोई का कारज मत सारो
राज काज की रीती नी जाणो
युद्ध करी न लई लेवो...
रे राजा...
माय चली कैलाश को / निमाड़ी गीत /लोकगीत
माय चली कैलाश को,
आरे कोई लेवो रे मनाय
(१) पयलो संदेशो उनकी छोरी न क दिजो
आरे दूजा गाँव का लोग....
माय चली...
(२) तिसरो संदेशो उनका छोरा न क दिजो
चवथो साजन को लोग....
माय चली...
(३) हरा निला वास को डोलो सजावो
उड़े अबिर गुलाल....
माय चली...
(४) कुटुंब कबिलो सब रोई रोई मनाव
आरे मुख मोड़ी चली माय....
माय चली...
(५) बारह बोरी की उनकी पंगत देवो
आरे उनकी होय जय जयकार
माय चली...
मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी, बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
आवजो आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
माथ सारु बीदी लाव्जो माथ सारु टीको ,
माथ सारु झूमर लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
गल सारु हार लाव्जो गल सारु नेकलेस ,
गल सारु पेंडिल लेता आवजो जी ,बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी
हाथ सारु चूड़ी लाव्जो हाथ सारू कंगन ,
हाथ सारु बाजूबंद लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी
पांय सारु चम्पक लाव्जो ,पांय सारु बिछिया ,
पांय सारु मेहँदी लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
अंग सारु साडी लाव्जो ,अंग सारु पैठनी ,
अंग सारु चुनार्ड लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
मै बंजारो हरि नाम को / निमाड़ी गीत /लोकगीत
मै बंजारो हरि नाम को,
आरे लेतो हरि जी को नाम
(१) गगन मंडल में घर तेरा,
आरे भवसागर मे दुकान
सौदागीर सौदा करी रया
मस्त लगी रे दुकान...
मै बंजारो...
(२) मन तुम्हारी ताकड़ी,
आरे तन है तेरो तीर
सुरत मुरत सी तोलणा
मन चाहे को मोल...
मै बंजारो...
(३) लुम लहेर नदिया बहे,
आरे बहे अगम अपार
धर्मी कर्मी रे पार हुई गया
पापी डूबे मझधार...
मै बंजारो...
(४) कहत कबीर धर्मराज से,
आरे साहेब सुण लेणा
सेन भगत जा की बिनती
राखो चरण आधार...
मै बंजारो...
मैं तोहे पूछूँ रे भवरिला / निमाड़ी गीत /लोकगीत
मैं तोहे पूछूँ, रे भवरिला,
सब रस काहे का होय,
रटणऽ करो रे अपणा देश मऽ
रस अम्बो, रस आमली,
सब रस लिम्बुआ को होय,
रटणऽ करो रे अपणा देश मऽ
मैं तोहे पूछूँ, रे भवरिला,
सब रंग काहे का होय,
रंग छापा रे रंग चूनड़ी,
सब रंग कुसुमळ होय,
रटणऽ करो रे अपणा देश मऽ
मैं तोहे पूछूँ, रे भवरिला,
सब सुख काहे का होय,
सुख सासरो, सुख मायक्यो,
सब सुख पुत्र को होय,
रटणऽ करो रे अपणा देश मऽ
मैना वंती हो माता / निमाड़ी गीत /लोकगीत
मैना वंती हो माता,
नीर भरयो वो थारा नैन म
(१) क्यो बठ्यो रे बेटा अनमनो,
आरे क्यो बठ्यो उदास
दल बादल सब चड़ी रया
बरसः आखण्ड धार...
नीर भरो थारा...
(२) नही वो माता हाऊ अनमनो,
आरे नही बठ्यो उदास
कोई कहे रे जब हाऊ कहूँ
करु सत्या हो नास...
नीर भरो थारा...
(३) नही रे बादल नही बीजळई,
आरे नही चलती रे वाहळ
जहाज खड़ी रे दरियाव में
झटका चल तलवार...
नीर भरो थारा...
(४) मार मीठा ईना सबक,
आरे करु पैली रे पार
दास दल्लुजा की बिनती
राखो चरण अधार...
नीर भरो थारा...
म्हारा घर मदनसिंह जलमियो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
म्हारा घर मदनसिंह जलमियो।
हऊँ तो जोसी घर भेजूं बधाओ,
हमारा घर पोथी-पुराण लई आवऽ।
पोथी वाचसे नानो-सो बालुड़ो, पुराण वाचसेऽ ओको बाप।
मारूणी न मदनसिंह जलमियो।
हऊँ सोनी घर भेजूं बधाओ,
म्हारा घर कड़ा-तोड़ा लइ आवऽ।
तोड़ा पेरसे नानो-सो बालुड़ो, कड़ा पेरऽ नाना को बाप।
मारूणी न मदनसिंह जलमियो।
हऊँ तो बजाजी घर भेजूं बधाओ,
म्हारा घर साड़ी वागो लई आवऽ।
साड़ी पेरऽ गा नाना की माय,
वागो पेरऽ नाना को बाप।
मारूणी न मदनसिंह जलमियो।
हऊँ तो दरजी घर भेजूँ बधाओ,
म्हारा घर झगो-टोपी लई आवऽ।
झगो पेरऽ गा नान-सो बालुड़ो,
टोपी पेरसे नाना को भाई।
मारूणी न मदनसिंह जलमियो।
हऊँ तो बीराजी घर भेजूँ बधाओ,
म्हारा घर पंचो पेळो लई आवऽ
पेळो पेरऽ गा नाना की माउली,
पंचो बांधऽ गा नाना को बाप
हऊँ तो सबईघर भेजूँ बधाओ,
मारूणी न मदनसिंह जलमियो।
म्हारा भरपुर जोगी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
म्हारा भरपुर जोगी,
तुमन जगाया जुग जागजो
(१) सोई.सोई प्राणी क्या करे,
निगुरी आव घणी निंद
जम सिराणा आई हो गया
आरे उबीयाँ दुई.दुई बीर...
तुमन जगाया...
(२) चुन चुनायाँ देव ढलई गया,
आरे ईट गिरी लग चार
फुल फुलियाँ रे हम न देखीयाँ
देख्या धरणी का माय...
तुमन जगाया...
(३) एक फुल ऐसा फुलिया,
आरे बाति मिल नही तेल
नव खण्ड उजीयारा हुई हो रयाँ
देखो हरी जी को खेल...
तुमन जगाया...
म्हारा माथा की बिंदी-म्हारा कपाळ खऽ लगऽ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
म्हारा माथा की बिंदी-म्हारा कपाळ खऽ लगऽ।
बिन्दी हेड़ डब्बी मेल, फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
थारा माथा की बेसर म्हारी दाड़ी मऽ लगऽ।
बेसर हेड़ डब्बी मेल, फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
थारा गला की तागली म्हारी छाती मऽ लगऽ।
तागली हेड़ खूटी मेल, फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
थारा हाथ का बाजूबन्द म्हारी, पूट मऽ लगऽ।
बाजूबन्द हेड़ आलऽ मेल, फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
थारी कड़ी को कदरा, म्हारी कम्मर मऽ लगऽ।
कदरो हेड़ उस्य ऽ मेल फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
थारा पांय का कड़ा म्हारा पांय मऽ लगऽ।
कड़ा हेड़ पायतऽ मेल, फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
म्हारा संत सुजान / निमाड़ी गीत /लोकगीत
म्हारा संत सुजान
ध्यान लग्यो न गुरु ज्ञान सी
(१) ज्ञान की माला फेर जोगी,
आरे बंद में धुणी तो रमावे
जोगी की झोली जड़ाव की
मोती माणक भरीया...
ध्यान लग्यो...
(२) बड़े-बड़े भवर गुफा में,
आरे जोगी धुणी तो रमावे
जेका रे आंगणा म तुलसी
जेकी माला हो फेर...
ध्यान लग्यो...
(३) चंदन घीस्या रे अटपटा,
आरे तिलक लीया लगाई
मोदक भोग लगावीया
साधु एक जगा बैठा...
ध्यान लग्यो...
(४) कई ऋषि मुनी तप करे,
आरे इना पहाड़ो का माही
अब रे साधु वहा से चल बसे
गया गुरुजी का पास...
ध्यान लग्यो...
(५) गंगा जमुना सरस्वती,
आरे बहे रेवा रे माय
जीनका रे नीरमळ नीर हैं
साधु नीत उठ न्हाये...
ध्यान लग्यो...
म्हारो मन लाग्यो बैराग से / निमाड़ी गीत /लोकगीत
म्हारो मन लाग्यो बैराग से,
आरे रमता जोगी की लार
(१) पाव बांध्या हो मीरा घुंगरु,
आरे हाथ ली करताल
दुजा हाथ मीरा तुमड़ा
गुण गाया गोपाल...
म्हारो मन...
(२) एक लाख मीरा सासरो,
आरे दुजा मामा ममसाल
तीजा लाग रे मीरा मावसी
चवथा माय न बाप...
म्हारो मन...
(३) जहेर का प्याला राणा भेजीयाँ,
आरे भेज्याँ दासी का हाथ
जावो दासी मीरा क दई आवो
आमरीत लीजो नाम...
म्हारो मन...
(४) जावो दासी होण देखी आवो,
आरे मीरा जीवती की मरती
मरी होय तो वक फेकी दिजो
मीरा जैसी की वैसी...
म्हारो मन...
म्हारा हरिया ए जुँवारा राज / निमाड़ी गीत /लोकगीत
म्हारा हरिया ए जुँवारा राज कि लाँबा-तीखा सरस बढ्या,
म्हारा हरिया ए जुँवारा राज कि गँऊ लाल सरस बढ्या,
गोर-ईसरदासजी का बाया ए क बहु गोरल सीँच लिया,
गोर- कानीरामजी का बाया ए क बहु लाडल सीँच लिया,
भाभी सीँच न जाणोँ ए क जो पीला पड गया,
बाइजी दो घड सीँच्या ए क लाँबा-तीखा सरस बढ्या,
म्हारो सरस पटोलो ए क बाई रोवाँ पैर लियो,
गज मोतीडा रो हारो ए क बाई रोवाँ पैर लियो,
म्हारो दाँता बण्या चुडलो ए क बाई रोवाँ पैर लियो,
म्हारो डब्बा भरियो गैणोँ ए क बाई रोवाँ पैर लियो,
म्हारी बारँग चूँदड ए क बाई रोवाँ ओढ लेई,
म्हारो दूध भरयो कटोरो ए क बाई रोवाँ पी लियो,
बीरा थे अजरावण हो क होज्यो बूढा डोकरा,
भाभी सैजाँ मेँ पोढो ए क पीली पाट्याँ राज करे।
रनुबाई का अंगणा मऽ ताड़ को झाड़ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
रनुबाई का अंगणा मऽ ताड़ को झाड़
माता ताड़ को झाड़, वहाँ रहे देवी को रहेवास।
माता आड़ी रूळतो घागरो, न कड़ी रूळता केश,
माता गोदी लियो बाजुड़ो, न पेळो पेरी जाय।
थारा माथा की बिंदी वो रनुबाई अजब बनी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
थारा माथा की बिंदी वो रनुबाई अजब बनी।।
थारा टीका खS लागी जगाजोत वो
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी।
थारा कान खS झुमका रनुबाई अजब बणया ।
थारी लटकन खs लगी जगाजोत वो।।
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी।।
थारा हाथ का कंगण अजब बन्या,
थारी अंगूठी खs लगी जगाजोत वो
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी।।
थारी कम्मर को कदरो रनुबाई अजब बन्यो
थारा गुच्छा खs लागी जगाजोत वो
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी।
थारा अंग की साड़ी रनुबाई अजब बनी
थारा पल्लव खs लगी जगाजोत वो
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी
थारा पांय की नेऊर रनुबाई अजब बन्या
थारा रमझोल खs लगी जगाजोत वो
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी।
हे रनुबाई ! तुम्हारे माथे कि बिंदी, शीश का टीका, कान के लटकन बहुत ही सुन्दर लग रहे है। तुम्हारे कान के कंगन, अंगूठी, कमरबंद, गुच्छे की घड़त न्यारी है। तुम्हारे झुमके अंग की साडी और उसके पल्लव की शोभा न्यारी है।
रनुबाई धणियेर जी सु बिनवऽ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
रनुबाई धणियेर जी सु बिनवऽ
पियाजी हम खऽ ते टीकी घड़ावऽ
टीकी का हम सांदुला।।
रनुबाई तुम खऽ ते टीकी नी साजऽ
तुम रूप का सांवला।।
पियाजी का सांवळा, हमारी माय मावसी सो भी साँवळई
पियाजी हम सांवळा, हमारी कूक बालुड़ो सो भी सांवळो
पियाजी हमारा मन्दिर तुम आओ,
तो तुम भी होओगा सांवळा जी।
व्हाँ सी देवी गवरल नीसरी
आगऽ जाइऽ न पणिहारी खऽ पूछऽ
पाणी भरन्ती हो बईण पणिहारी।
देखी म्हारी पियरा री बाट,
हम काई जाणां वो देवी गवरल।
आगऽ जाई नऽ गुहाळया खऽ पूछ,
ऊ बातवऽ तुम्हारो मायक्यो
धेनु चरावन्ता हो भाई गउधन्या
देखी म्हारा पियरा री वाट?
हम रोष भर्या संचरिया जी।
हम काई जाणां वो देवी गवरल
आगऽ जाई नऽ किरसाण खऽ पूछऽ
ऊ बतावऽ तुम्हारो मायक्यो।
हाळ हाकन्ता हो भाई किरसाण
देखी म्हारा पियरा री वाट।
हम काई जाणां हो देवी गवरल
आगऽ जाइ नऽ डोकरी खऽ पूछऽ
ऊ बतावऽ तुम्हारो मायक्यो।
सूत कातती ओ बाई डोकरी
देखी म्हारा पियरा री वाट
हम रोष भर्या संचरिया जी।
केळ, खजूर का वन भर्या जी
व्हाँ छे तुम्हारो पियरो। जाओ बेटी गवरल।।
व्हाँ सु भोला धणियेर निसर्या
आगऽ जाइ नऽ पणिहारी सू पूछऽ
पाणि भरन्ती हो पणिहारिन
देखी म्हारी गवरल नार
हम हंसतऽ विणसिया जी
केळ खजूर का वन भर्या जी
व्हाँ छे थारी गवरल नार
आगऽ जाइ नऽ देखी गवरल नार
धणियेर राजा बोलिया
टीकी सोहऽ गवरल नार
हम हंसतऽ विणसिया जी
राम कहाँ मोरी माई भरत पुछे / निमाड़ी गीत /लोकगीत
राम कहाँ मोरी माई भरत पुछे
(१) जब सी भरत अवध मे आये,
छाई उदासी भारी
अड़घाट घेरियो मोहे परघाट घेरियो
प्रजा ढुंढे जग माही...
भरत पुछे...
(२) राजा दशरथ के चारी पुत्र,
चरत भरत रघुराई
चरत भरत को राज दियो है
राम गया बंद माही...
भरत पुछे...
(३) माता कौशल्या मेहलो मे रोये,
बायर भारत भाई
राजा रशरथ ने प्राण तज्यो है
कैकई रई पछताई...
भरत पुछे...
(४) राम बिना रे म्हारी सुनी आयोध्या,
लक्ष्मण बीन ठकुराई
सीता बीन रे म्हारी सुनी रसवोई
अन कोण करे चतुराई...
भरत पुछे...
(५) आगे आगे राम चलत है,
पीछे लक्ष्मण भाई
जिनके बीच मे चले हो जानकी
अन शोभा वरणी न जाई...
भरत पुछे...
राम भजन कर भाई रे निगुरा / निमाड़ी गीत /लोकगीत
राम भजन कर भाई रे निगुरा,
नाव किनारा आई रे निगुरा
(१) पैसा सरीका टिपारा,
जीसमे अंडा धरावे
आट मास गरब म रइयो
करी किड़ा की कमाई...
रे निगुरा...
(२) इना नरक से बाहर करो,
कळु की हवा खावा
हाथ जोड़ी न कलजुग म आयो
प्रभु क पल म भुलायो....
रे निगुरा...
(३) बाल पणो तुन खेल म गमायो,
जवानी म भरनींद सोयो
दास कबीरजा की बजीर पड़ी रे
अब कह क्यो पछताई.....
रे निगुरा...
(४) आयो बुड़ापो न लग्यो रे कुड़ापो,
लकड़ी लिनी हाथ
पाव चल तो ठोकर खावे
जरा सुद नही पाई......
रे निगुरा...
रोहेण बाई थारी कोठरी हो माता / निमाड़ी गीत /लोकगीत
रोहेण बाई थारी कोठरी हो माता,
अगर रह्यो महेकाय।
कि हो गन्धीड़ो बसी गयो,
की हो फूली फुलवाड़ी।
नहीं हो गन्धीड़ो बसऽ म्हारी सई हो।
नहीं हो फूली फुलवाड़ी,
आया चन्द्रमा राजा, बठ्या म्हारी कोठरी,
अगर रह्यो महेकाय।
विघण हरण गणराज है / निमाड़ी गीत /लोकगीत
विघण हरण गणराज है,
शंकर सुत देवाँ
कोट विघन टल जाएगाँ,
हारे गणपति गुण गायाँ..
विघण हरण...
शीव की गादी सुनरियाँ,
ब्रम्हा ने बणायाँ
हरि हिरदें में तुम लावियाँ,
सरस्वति गुण गायाँ...
विघण हरण...
संकट मोचन घर दयाल है,
खुद करु रे बँड़ाई
नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है
गुण शब्द की दाँसी...
विघण हरण...
गण सुमरे कारज करे,
लावे लखं आऊ माथ
भक्ति मन आरज करे,
राखो शब्द की लाज...
विघण हरण...
रीधी सीधी रे गुरु संगम,
चरणो की दासी
चार मुल जिनके पास में,
हारे राखो चरण आधार...
विघण हरण...
लागी लगी रे दुई दुई हाथ मेहँदी रंग लागी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
लागी लगी रे दुई दुई हाथ मेहँदी रंग लागी ,
मेहँदी तोडं न ख हाउ गई न म्हारो, छोटो देव्रियो साथ मेहँदी रंग लागी ।
तोडी ताडी न मन खोलो भर्यो न हउ लगी गई घर की वाट मेहँदी रंग लागी।|
अगड दगड को लोय्डो न ब्र्हन्पुर की सील मेहँदी रंग लागी |
लसर लसर हउ मेहँदी वाटू न म्हारा बाजूबंद झोला खाय मेहँदी रंग लागी |
देवर रंग तीची अन्गालाई न हउ रंगु ते दुई हाथ ,मेहँदी रंग लागी |
द ओ जेठानी थारो झुमकों न द ओ देरानी थारो हार मेहँदी रंग लागी
द ओ पडोसन थारो दिव्लो न ,द ओ अडोसन तेल मेहँदी रंग लागी |
खट खट खट हउ पैडी चढ़ी न गई ते तीजजे मॉल मेहँदी रंग लागी
जगेल होता तेका सोई गया न मुख पर डाल्यो रुमाल मेहँदी रंग लागी
अग्न्ठो पकडी न मन स्यामी ज्गाद्योअसो नही जाग्यो मुर्ख गंवार मेहँदी रंग लागी
खट खट खट हउ पैडी उतरी न आई ते नीच मॉल मेहँदी रंग लागी
ल ओ जेठानी थारो झुमकों न ,ल ओ देरानी थारो हार मेहँदी रंग लागी |
ल ओ पडोसन थारो दिव्लो न ल ओ अडोसन थारो तेल मेहँदी रंग लागी
असो देवर बताव ओकी माय ख न हउ केख बताऊ बेऊ[दुई] हाथ मेहँदी रंग लागी |
असी सासु की कुख ख हीरा जडया न ,जाया ते हीरालाल मेहँदी रंग लागी|
लागी लागी रे दुई दुई हाथ मेहँदी रंग लागी
लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ
(१) बिना रे भाप का बर्तन घड़ीयाँ,
बिन पैसा दे रे कसोरा
मुद्दत पड़े जब पछा लेगा
घड़त नी हारयो कसारो...
अखीर कऽ...
(२) भात-भात की छीट बुलाई,
रंग दियो न्यारो-न्यारो
इना रे रंग की करो तुम वर्णा
रंगत नी हारयो रंगारो...
अखीर कऽ...
(३) राम नाम की मड़ीया बणाई,
वहा भी रयो बंजारो
रान नाम को भजन कियो रे
वही राम को प्यारो...
अखीर कऽ...
(४) कहेत कबीरा सुणो भाई साधु,
एक पंथ नीरबाणी
इना हो पंथ की करो हो खोजना
जग सी है वो न्यारो...
अखीर कऽ....
निमाड़ी गीत लोकगीत संग्रह 6/Nimari/Nimadi Geet Lokgeet Lyrics Sangrah chhah
निमाड़ी गीत लोकगीत संग्रह 8/Nimari/Nimadi Geet Lokgeet Lyrics Sangrah aath
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