पाँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
बधावा [बधाई गीत ]
पॉँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो ,
पॉँच बधावा जो आवत हम देख्या ...........
की प्य्लो बधावो पिया न हो ,
ससरा घर भेजो हो ,दुसरो बधावो सहोदर बाप घर |
की तिस्रो बधावो पिया न हो जेठ घर भेजो हो ,
चोथो बधावो सहोदर वीरा घर |
की पांच्वो बधावो पिया न हो कूख सुलेखनी ,
जिन्ना बतायो रे धन को सोय्लो ......
की अम्बा जो वन की पिया नहो,
कोयल बोल्या हो ,चलो सुआ चलो सुआ ,
अम्बा वन आमली |
की वर्स नी र्ह्य्सा पिया न हो ,
मास नी र्ह्य्सा हो
काचा ते वन फल गदराया |
की माची बसंत पिया न हो ,
मोठी बैण बोल्या हो छोटी बैण बोल्या हो,
चलो पिया चलो पिया ,
वीरा घर पावना ,
की वर्स नी र्ह्य्सा पिया न हो मास नी र्ह्य्सा
पिया न हो
आठ जो दिन का वीराजी घर पावना
की सोननो नी लयनो पिया न हो,रुप्पो नी लयनो हो,
छोटी भाव्जियारो ग्यनो चित्त लाग्यो |
पाणी मऽ की पगडण्डी हो माता ब्याळु मऽ की वाट जी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
पाणी मऽ की पगडण्डी हो, माता ब्याळु मऽ की वाट जी।
रनुबाई पीयर संचरिया जी, माता सई नऽ ली संगात जी।
एक सव तो माता वांजुली, ओ, दुई सव बाळा की माय जी,
वाळा की माय थारी सेवा कर हो, वाझ नऽ संझो द्वार जी।
हेडूँ कटारी लहलहे हो, म्हारो ए जीव तजूँ थारा द्वार जी,
उभी रहो, उभी रहो, वांजुली हो,
माता मखऽ ढूँडण दऽ भंडार जी।
सगळो भंडार हऊं ढूँडी आई,
थारा करमऽ नी तानो बाल जी।
पिताजी की गोदी बठी रनुबाई विनवऽ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
पिताजी की गोदी बठी रनुबाई विनवऽ।
कहो तो पिताजी हम रमवा हो जावां।
जावो बेटी रनुबाई रमवा जावो,
लम्बो बजार देखि दौड़ी मत चलजो।
ऊच्चो वटलो देखि जाई मत बठजो,
परायो पुरूष देखी हसी मत बोलजो।
नीर देखी न बेटी चीर मत धोवजो,
पाठो देखि न बेटी आड़ी मत घसजो,
परायो बाळो देखी हाय मत करजो,
सम्पत देखी न बेटी चढ़ी मत चलजो।
विपद देखी न बेटी रड़ी मत बठजो,
जाओ बेटी रनुबाई, रमवा जावो।
फुल्डा बिन्न्ती तू चली / निमाड़ी गीत /लोकगीत
फुल्डा बिन्न्ती तू चली ओ लड़क्ली अपना पिताजी का बाग म ,
कछु बिनय कछु बिनवा हो लाग्या एत्रा म आया दुल्ल्व रायजी ,
उठो लड़क्ली बठो पाल्क्डी चलो तो आपना देस जी
जंव दादाजी वर प्र्ख्से तंव जाई जावा तुमरा साथ जी ,
जंव हमरा पिताजी दायजो स्न्जोव तंव जाई जावा तुमरा साथ जी ,
जंव हमरा जीजाजी मंडप छाव तंव जाई जावा तुमरा साथ जी ,
जंव हमरी माय जो कूख पुजाड तंव जाई जावा तुमरा साथ जी
काहे ख पालई रे बाबुल काहे ख पोसी काहे पिलायो काचो दूध जी ,
माया सी पालई रे बाबुलt माया सी पोसी,
ममता पिलायो काचो दूध जी
बइण का आँगणा म पिपळई रे वीरा चूनर लावजे / निमाड़ी गीत /लोकगीत
बइण का आँगणा म पिपळई रे वीरा चूनर लावजे।।
लाव तो सब सारू लावजे रे वीरा,
नई तो रहेजे अपणा देश।
माड़ी जाया, चूनर लावजे।।
संपत थोड़ी, विपत घणी हो बइण,
कसी पत आऊँ थारा द्वार।।
माड़ी जाई, कसी पत आऊँ थारा द्वार।।
भावज रो कंकण गयणा मेलजे रे वीरा,
चूनर लावजे।
असी पत आवजे म्हारा द्वार,
माड़ी जाया, चूनर लावजे।।
बइण जिन घर आनन्द बधाओ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
बइण जिन घर आनन्द बधाओ।।
हऊँ तो अचरज मन माही जाणती,
हऊँ तो बाग लगाऊँ दुई चार,
ओ तो आई मालण, फुलड़ा लई गई,
म्हारो बाग परायो होय,
हऊँ तो अम्बा लगाऊँ दस पाँच,
ओ तो आई कोयळ कैरी लई गई,
म्हारो अम्बो परायो होय,
हऊँ तो पुत्र परणाऊँ दुई चार,
ओ तो आई थी बहुवर,
पुत्र लई गई, म्हारो पूत पराया होय,
हऊँ तो कन्या परणाऊँ दुई चार,
ओ तो आया साजन, कन्या लई गया,
म्हारी कन्या पराई होय,
एक सास नणद सी सरवर रहेजे,
जीभ का बल जीतजे।।
एक देराणी जेठाणी सी सरवर रहेजे,
काम का बल जीतजे।।
एक धणी सपूता सी सरवर रहेजे,
कूक का बल जीतते।।
बना तुम किनका बुलाया रे जल्दी आया / निमाड़ी गीत /लोकगीत
बना तुम किनका बुलाया रे जल्दी आया।
बनी थारा पिताजी न लिख्यो कागज भेज्यो,
बनी हम उनका बुलाया रे जल्दी आयो।।
बनी म्हारा हाथी झूलऽ द्वार,
म्हारा यहाँ घोड़ा की घमसाण,
म्हारी चाँदनी पर चौसर खेलणऽ आवजो।।
बना म्हारी हलुदी भर्यो अंग,
म्हारी पाटी मऽ गुलाल
म्हारी चोटी मऽ अत्तर,
बना म्हारी चाँदनी पर चौसर खेलण आवजो।।
बना-बननी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी, बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी।
आवजो आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी।
माथ सारु बीदी लाव्जो माथ सारु टीको,
माथ सारु झूमर लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी।
गल सारु हार लाव्जो गल सारु नेकलेस,
गल सारु पेंडिल लेता आवजो जी, बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी।
हाथ सारु चूड़ी लाव्जो हाथ सारू कंगन,
हाथ सारु बाजूबंद लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी
पांय सारु चम्पक लाव्जो, पांय सारु बिछिया,
पांय सारु मेहँदी लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी।
अंग सारु साडी लाव्जो, अंग सारु पैठनी,
अंग सारु चुनार्ड लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी।
आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी।
बना थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
बना थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो,
काई थारा देश की रहेवास
बनड़ाजी धीरा चलो, धीरा धीरा चलो जी सुकुमार,
बनड़ाजी धीरा चलो।।
बनी म्हारो देश माळवो, मुलुक निमाड़,
गाँवड़ा को छे रहेवास।
बनी तुम घर चलो घर चलो जी सुकुमार,
बनी तुम घर चलो।।
बना थारो देश देख्यो, नी मुलुक देख्यो,
काई थारा देश को पणिहार।
बनड़ाजी धीरा चलो, धीरा धीरा चलो जी सुकुमार,
बनड़ाजी धीरा चलो।।
बनी म्हारा घर घर कुवा, न चौक वावड़ी
गाँव मऽ रतन तळाव।
बनी तुम घर चलो जी सुकुमार,
बनी तुम घर चलो।।
बना थारो देश देख्यो, नी मुलुक देख्यो,
काई थारा देश को जीमणार।
बनड़ाजी धीरा चलो, धीरा धीरा चलो जी सुकुमार,
बनड़ाजी धीरा चलो।।
बनी म्हारा ज्वार तुवर का खेत घणा,
घींव दूध की छे भरमार।
बनी तुम घर चलो, घर चलो जी सुकुमार,
बनी तुम घर चलो।।
बनी थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो,
काई थारा देश को पेरवास।
बनड़ाजी धीरा चलो, धीरा धीरा चलो जी सुकुमार,
बनड़ाजी धीरा चलो।।
बनी म्हारो घर भर रहेट्यो चलावण्यो,
काचळई लुगड़ा को छे पेरवास,
बनी तुम घर चलो, घर चलो जी सुकुमार,
बनी तुम घर चलो।।
बना थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो,
काई थारा घर को रिवाज।
बनड़ाजी धीरा चलो, धीरा धीरा चलो जी सुकुमार,
बनड़ाजी धीरा चलो।।
बनी म्हारी काकी भाभी छे अति घणी,
माताजी का नरम सुभाव।
बनी तुम घर चलो, घर चलो चलो जी सुकुमार,
बनी तुम घर चलो।।
बनी का सासरिया सी हो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
बनी का सासरिया सी हो
बनी जी टीका आई र्ह्याज
,टीको पेर्यों क्योनी
राज बना जी न
काई हट मांड्यो
राजम्हारी सकलाई रो
तोड़ो, म्हारी बिंदी रो
अकोडो ,म्हारा दुई हथ
लसरा मोती ,तुम पर वारू
म्हारो जीव बनी जी न काई
हट मांड्यो राज बनी का
सासरिया
सी हो ............बनी का
सासरिया सी हो बनी जी
हार आई रह्याज ,बनी का
सासरिया सी हो बनिजी
कंगन आई र्ह्याज ,बनी का
सासरिया सी हो बनी जी
चम्पक आई
रह्याज ,बनी का सासरिया
सी हो बनी जी चुन्द्ड आई
र्ह्याज,चूंदर पेरो
क्यो नी राज बनी
जी न काई हट मांड्यो
राजम्हारी साकलाई रो
तोड़ो ,म्हारी बीदी रो
अकोडो ,म्हारा
दुई हथ लसर मोती, तुम पर
वारू म्हारो जीव, बनी जी
न कई हट मांड्यो राज।
बाडीवाला बाडीखोल बाडी की किँवाडी खोल / निमाड़ी गीत /लोकगीत
दूब लाने का गीत
बाडीवाला बाडीखोल बाडी की किँवाडी खोल,
छोरियाँ आई दूब लेणथे कुण्याजी री बेटी हो,
कुण्याजी री भेँण हो,
के थारो नाम है,
म्हेँ बिरमादासजी री बेटी हाँ,
ईसरदासजी री भेँण हाँ,
रोवाँ म्हारो नाम है।
बिन्दी तो तुम पैरो हो बनीजी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
बिन्दी तो तुम पैरो हो बनीजी,
तुमखऽ बन्दड़ाजी बुलावऽ।।
थारा रंगमहल कसी आऊं रे बना,
म्हारा झाँझरिया की रूणुक-झुणुक,
म्हारा पिताजी सुणी लीसे।
थारा पिताजी की गाळई हो बनी,
मखऽ बहुतज प्यारी लागऽ।।
बीरथा जलम हमारो गुरुजी म्हारो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
बीरथा जलम हमारो गुरुजी म्हारो
(१) एक क्षण खोया दूजा क्षण खोया,
तीजा म सरण आयो
वन में तो गाय भैस चराये
जंगल बास कियो...
गुरुजी म्हारो...
(२) राज पाट धन माल सब त्यागू,
म्हारा कंठ म प्राण आयो
चरण धोवो रे चरणामत लेवो
चलत आयो गस्त...
गुरुजी म्हारो...
(३) झट मनरंग न गोद उठायो,
मस्तक हाथ फिरायो
राम नाम का शब्द सुणाया
राम नाम लव लागी...
गुरुजी म्हारो...
ब्य्नीका अंगना म पिपली रे / निमाड़ी गीत /लोकगीत
ब्य्नीका अंगना म पिपली रे वीरा चुन्ड लाव्जे।
लाव्जे तो सबई सारू लाव्जे रे वीरा
नही तो र्ह्य्जे आपणा देस माडी जाया चुन्ड लाव्ज
संपत थोडी वो ब्य्नी विपत घ्नेडी,
कसी पत आउ थारा देस माडी जाई चुन्ड लाऊ
भाव्जियारो कंगन ग्य्नो मेल्जे रे वीरा चुन्ड लाव्जे।
लाव्जे तो सबई सारू लाव्जे रे वीरा चुन्ड लाव्जे
एतरो गरब क्यो बोलती वो ब्य्नी चुन्ड लांवा
हमछे पांचाई भाई की जोत माडी जाई चुन्ड लावा
भावार्थ
यह गीत निमाड़ में शादी के समय मंडप में जब भाई मामेरा (निमाड़ी में इसे पेरावनी कहते है) लेकर आता तब गाया जाता है इसका भावार्थ है, बहनअपने भाई से कहती है, मेरे भाई तुम जब भी पेरावनी (कपडे आदि) लाओ तो मेरे पुरे परिवार के (साँस ससुर देवर जेठ आदि) लिए लाना और नही तो अपने देश में ही रहना। भाई कहता है मेरे पास धन बहुत कम है विपति बहुत है परन्तु फ़िर भी मै जेसा तुम कहोगी वैसा ही मै लाऊंगा।
भक्ति दान मोहे दिजीये / निमाड़ी गीत /लोकगीत
भक्ति दान मोहे दिजीये,
देवन के हो देवा
करु संत की सेवा...
भक्ति दान...
(१) नही रे मांगूँ धन सम्पदा,
सुन्दर वर नारी
सपना म रे मांगूँ नही
मोहे आन तुम्हारी...
भक्ति दान...
(२) तीरथ बरत मोसे ना बने,
कछू सेवा ना पुजा
पतीत ठाड़ो परभात से
आरु देव न दुजा...
भक्ति दान...
(३) करमन से रिध सिद्ध घणा,
वैकुंठ निवासा
किंचित वर मांगूँ नही
जब लग तन स्वासा...
भक्ति दान...
भक्ती भरमणा दुर करो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
भक्ती भरमणा दुर करो,
आरे ठगाई नही जाणा
(१) कायन की साधु गोदड़ी,
आरे कायन का हो धागा
कोण पुरुष दर्जी भया
कुण सिवण हारा...
भक्ती...
(२) हवा की बणी साधु गोदड़ी,
आरे पवन का हो धागा
मन सुतार दर्जी भया
वो सिवण हारा...
भक्ती...
(३) काहाँ से आई रे हवा पवन,
आरे कहा से आया रे पाणी
कहा से आई रे मिर्गा लोचणी
कळु कब की छपाणी...
भक्ती...
(४) आग आई रे हवा पवन,
आरे पीछे आया रे पाणी
बीच म आई रे मिर्गा लोचणी
कळु जब की छपाणी...
भक्ती...
(५) धवळो घोड़ो रे मुख हंसळो,
आरे मोती जड़ीया रे लगाम
चंदा सुरज दुई पैगड़ा
प्रभू हूया असवार...
भक्ती...
भर डोंगर मऽ झूला बंध्या हो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
भर डोंगर मऽ झूला बंध्या हो,
म्हारी रनुबाई झुलवा जाय जी।
झुलतऽ झुलतऽ तपेसरी आया,
हम खऽ ते भिक्षा देवो जी।
थाल भरी मोती राणी रनुबाई न लिया,
ये भिक्षा तुम लेवा जी।
काई करूँ हो थारा माणक मोती,
अन्न की भिक्षा देवो जी।
खेत नी वायो, खळो नी घायो, काय की भिक्षा देवाँ जी।
आवसे रे चईत को महीनो, जासां हमारा पीयर जी।
लावसा रे गहुँआ की बाळद, तव जाई भिक्षा दीसां जी।
भाग हमारा जागीयाँ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
तुम म्हारी नौका धीमी चलो,
आरे म्हारा दीन दयाला
(१) जाई न राम थाड़ा रयाँ,
जमना पयली हो पारा
नाव लावो रे तुम नावड़ा
आन बैगा पार उतारो....
तुम म्हारी........
(२) उन्डी लगावजै आवली,
उतरा ठोकर मार
सोना मड़ाऊ थारी आवली
रूपया न को रास....
तुम म्हारी........
(३) निरबल्या मोहे बल नही,
मोहे फेरा घड़ावो राम
म्हारा कुटूंम से हाऊ एकलो
म्हारो घणो परिवार....
तुम म्हारी........
(४) बिना पंख को सोरटो,
आरे पंछी चल्यो रे आकाश
रंग रूप वो को कुछ नही
लग भुख नी प्यास....
म्हारी........
(५) कहत कबीर धर्मराज से,
आरे हाथ ब्रम्हा की झारी
जन्म.जन्म का हो दुखयारी
राखो लाज हमारी....
तुम म्हारी........
भज ले हरि को, नाम रे मन तु / निमाड़ी गीत /लोकगीत
भज ले हरि को, नाम रे मन तु
(१) बाल पणो तुन खेल म गमायो,
ज्वानी म तीरीया का साथ
काम रे धंदा म वा भी गमाई
नई लियो राम को नाम...
रे मन तु...
(२) आयो हो बुड़ापो न लग्यो हो कुड़ापो,
डोलन लाग्यो सारो
शरीर आखं सी सुझतो नही रे
पड़यो पलंग का माही...
रे मन तु...
(३) राम नाम को घट म हो राखो,
राखो दिन और रात
मुक्ति होय थारी आखरी घड़ी रे
भेज वैकुन्ठ धाम...
रे मन तु...
(४) कहत कबीरा सुणो भाई साधू,
घट म राखो राम
मनुष जलम काई भाव मिल्यो रे
नई मिल अयसो धाम...
रे मन तु...
भीम हरकतो आयो रे राजा / निमाड़ी गीत /लोकगीत
भीम हरकतो आयो रे राजा
गोकुल से लायो रे राजा....
भीम हरकतो आयो रे राजा
(१) पाँचई पांडव बैठीयाँ महेल म,
बीच म कोतमा माय
पहला सगून तो हुआ रे मुझको
यदुपति दर्शन पायो रे राजा...
भीम...
(२) बहुत प्रेम से पुछण लाग्यो,
कैसे हो भीम भाई
जात सी तो भोजन पाया
मोये दियो विश्वास रे राजा...
भीम...
(३) रल्ली मुझसे पुछण लाग्यो,
अली की रे विपता बताई
एक वचन मुझसे ऐसो सुणायो
बारह बरस वन जाओ रे राजा...
भीम...
(४) हतनापुर से मालुम हुई,
भीम नायळ दई आया
दास धनजी को स्वामी सावळीयो
राखो लाज रघुराई रे राजा...
भीम...
मंडप / निमाड़ी गीत /लोकगीत
मंडप निमाड़ी लोक गीत
म्हारा हरिया मंडप माय ज्डाको लाग्यो रे दुई नैना सी [दो बार ]
म्हारा स्स्राजी गाँव का राजवाई म्हारो बाप दिली केरों राज। ज्डाको लाग्यो रे ...
म्हारी सासु सरस्वती नदी वय, महारी माय गंगा केरो नीर ज्डाको लाग्यो रे ...
महारी नन्द कड़कती बिजलई, महारी बैन सरावन तीज। ज्डाको लाग्यो रे ...
म्हारो देवर देवुल आग्डो, म्हारो भाई गोकुल केरो कान्ह। ज्डाको लाग्यो रे ...
म्हारा हरिया मंडप माय ज्डाको लाग्यो रे दुई नैना सी
मन भवरा तो लोभीया / निमाड़ी गीत /लोकगीत
मन भवरा तो लोभीया,
आरे माया फुल लोभाया
चार दिन का खेलणा
मीट्टी में मील जाणा...
मन भवरा...
(१) ऊंग्यो दिन ढल जायेगा,
फुल खिल्या कोमलाया
चड़याँ हो कलश मंदिर म
जम मारीयाँ हो जाय...
मन भवरा...
(२) कीनका छोरा न कीनकी छोरीया,
कीनका माय नी बाप
अन्त म जाय प्राणी एकलो
संग म पुण्य नी पाप...
मन भवरा...
(३) यही रे माया के हो फंद को,
भरमी रयो दिन रात
म्हारो-म्हारो करत मरी गयो
मिट्टी मांस का साथ...
मन भवरा...
(४) छत्रपति तो चली गया,
गया लाख करोड़
राज करंता तो नही रया
जेको हुई गयो खाक...
मन भवरा...
(५) पींड गया काया झरझरी,
जीनका हुई गया नाश
कहत कबीरा धर्मराज से
निर्मल करी लेवो मन...
मन भवरा...
माता बाँझबाई बाँझबाई सब कहे हो माता / निमाड़ी गीत /लोकगीत
माता बाँझबाई बाँझबाई सब कहे हो माता,
नहीं कहे बाळा की माय हो रनादेव।। वाँजुली।।
माता चार पहेर रात हाऊँ भुई मऽ सूती,
नहीं डसऽ वासुकी नाग हो रनादेव।। वाँजुली।।
माता चार पहेर रात हाऊँ अम्बा-बन सूती,
नहीं टूटी अम्बा की डाळ हो रनादेव।। वाँजुली।।
माता चार पहेर रात हाऊँ रस्ता मऽ सूती,
नहीं आई रेवा पूर हो रनादेव।। वाँजुली।।
माता छाब्या-लीप्या हो म्हारा ओटला / निमाड़ी गीत /लोकगीत
माता छाब्या-लीप्या हो म्हारा ओटला,
माता नहीं म्हारो खेलणहार
जल जमुना अम्बो मौरियो।।
माता मांज्या-धोया हो म्हारा बेडुला,
माता नहीं म्हारो ढोळणहार
जळ जमुना अम्बो मौरियो।।
माता राम-रसोई म्हारी सीगऽ चढ़ी,
माता नहीं म्हारो जीमणहार
जळ जमुना अम्बो मौरियो।।
माता एक दीजो हो लूलो, पांगळो,
म्हारी संपत को रखवाळो,
जळ जमुना अम्बो मौरियो।।
मात कहे बात भली सुन सुन्दरी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
जब लडकी की विवाह के बाद बिदाई होती है तब सभी महिलाये उसे विदा करते हुए यह सीख देती है।
मात कहे बात भली सुन सुन्दरी,
लक्ष धरी वात न निभाव्जे हो
सयानी कुल न ल्जाव्जे।
ससरा खअपना बाप सम जान्जे,
सासु ख माय सम जान्जे
ओ सयानी...
जेठ का सामन हलू हलू चालजे,
जेठानी का मान ख ब्धावजे
ओ सयानी...
देवर ख अपना भाई सम जान्जे,
देरानी ख सई [सहेली] सम जाणिजे
ओ सयानी ....
नन्द ख अपनी बैन सम जान्जे,
ननदोई जी आया मिज्वान
ओ सयानी....
मात कहे बात भली सुन सुन्दरी,
लक्ष धरी बात न निभाव्जे
वो सयानी कुल न ल्जाव्जे
माथा पर लीवि गोबर टोपली हो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
माथा पर लीवि गोबर टोपली हो,
तू कां चली नार।।
जै मठ रनुबाई आसन बठिया,
ओ मठ लिपवा जावां ओ रनादेव,
एक बालुड़ो दऽ।।
एक बालुड़ो का कारण, म्हारो जनम अकारथ जाय,
एक दीजे लूलो पांगलो हो, म्हारी सम्पति को रखवालो,
म्हारा कुळ को हो उजालो,
एक बालुड़ो दऽ।।
माता समुन्दर की झबर सुहाणी लागऽ हो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
माता समुन्दर की झबर सुहाणी लागऽ हो।
माता झबर झबर रथ हिलोळा लेय,
रत्नाकर अम्बो मौरियो।
माता रथ मऽ सी राणी रनुबाई काई बोलऽ
माता कुणऽ म्हारो आणो लई जाय
माता दूर का अमुक भाई मानवी हो
माता ऊ तुम्हारो आणो लई जाय
माता सुन्दर की झबर सुहाणी लागऽ हो।।
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