लीम म लिमोलई लागी श्रावण महिनो आयो जी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
लीम म लिमोलई लागी, श्रावण महिनो आयो जी।
हमारा तो मोठा भाई तुम खऽ नींद कसी आवऽ जी।।
तुम्हारी तो छोटी बहेण सासरिया मऽ झूरऽ जी।
झूरऽ तेखऽ झूरऽ देओ हमनी झूरनऽ देवां जी।।
वाकी वळेण नद्दी बहे म्हारी सई हो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
वाकी वळेण नद्दी बहे म्हारी सई हो,
सेळा जामुण की रे छाया।।
व्हाँ रे बालुड़ो पाती तोड़ऽ
रनुबाई डुबी-डुबी न्हावऽ।
न्हावतज् न्हावतज् धणियेरजी नऽ देख्यो,
कसी पत दीसो हो जवाब।।
हाथ जोड़ी नऽ सीस नवां म्हारी सई हो,
नैणां सी दीसां जवाब।।
सतवन्ती न क्यो लायो पीया रे / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सतवन्ती न क्यो लायो पीया रे,
किनकी जान हरी लायो पीया रे,
(१) कहती मन्दोदरी सुण पीया रावण,
या नार कहा सी लायो
इनी रे नार क भीतर राखो
वो तपसी दो भाई...
पीया रे सतवन्ती...
(२) कहेता रावण सुण मंदोदरी,
काय को करती बड़ाई
दस रे मस्तक न बीस भुजा है
जेक तो बल बताऊ...
पीया रे सतवन्ती...
(३) कहती मन्दोदरी सुण पीया रावण,
क्यो करता राम सी बुराई
चरण धोवो चर्णामत लेवो
नाव क पार लगाव...
पीया रे सतवन्ती...
(४) कहत कबीरा सुणो भाई साधु,
राखो तो चरण अधार
जनम-जनम का दास तुम्हारा
राखो लाज हमारी...
पीया रे सतवन्ती...
शुक्र को तारो रे ईश्वर उंगी रह्यो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
शुक्र को तारो रे ईश्वर उंगी रह्यो।
तेकी मखऽ टीकी घड़ाव।।
धु्रव की बादळई रे ईश्वर तुली रही।
तेकी मखऽ तहबोळ रंगाव।।
सरग की बिजळई रे ईश्वर कड़की रही।
तेकी मखऽ मगजी लगाव।।
नव लख तारा रे ईश्वर चमकी रह्या।
तेकी मखऽ अंगिया सिलाव।।
चाँद-सूरज रे ईश्वर उग्री रह्या।
तेकी मखऽ टीकी लगाव।।
वासुकी नाग रे ईश्वर देखई रह्यो।
तेकी मखऽ एणी गुथाव।।
बड़ी हठ वाळई रे, गौरल-गोरड़ी।।
संजा फूली आंगणऽ माय / निमाड़ी गीत /लोकगीत
संजा फूली आंगणऽ माय,
कि पूजणऽ चलो जी।
चांद सूरजऽ दुई भाई,
कि मीलणऽ चलोजी।।
कि जिनका हाथ सोन्ना की तलवार,
कि धोळा घोड़ा पर असवार
कि जिनका माथऽ पचरंग पाग,
कि जिनका गळा मंऽ सतरंग हार।
संजा फूली आंगणऽ माय,
कि पूजणऽ चलोजी।
चांद सूरज दुई भाई,
कि मीलणऽ चलोजी।।
सजन बड़ा रे बईमान है / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सजन बड़ा रे बईमान है,
दगा दिया परदेशी
(१) काया जीव से कह रही,
सुन ले प्राण अधार
लागी लगन पिया मत तोड़ो
मैं तो तेरे पास...
सजन बड़ा रे...
(२) जीव काया से कह रही,
सुण ले काया मेरी बात
अष्ट पहेर दिन रेन के
प्रित बाळ पणा की...
सजन बड़ा रे...
(३) तुम राजा हम नग्र है,
फिरी गई राम दुवाई
तुम तो पुरुष हम कामनी
कीस मद मे रहते...
सजन बड़ा रे...
(४) मैं पंछी परदेस का,
मेरी मत कर आस
देख तमाशा संसार का
दुजो करो घर बार...
सजन बड़ा रे...
(५) चार दिन का खेलणा,
खेलो संग साथ
मनरंग स्वामी यो कहे
मेरी मत कर आस...
सजन बड़ा रे...
सासरो छोड़यो देवी दूर, पीयर मेढ़ो रोपियो जी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सासरो छोड़यो देवी दूर, पीयर मेढ़ो रोपियो जी।
तांवा खण्या रे तलाव, अमरित अम्बो मवरियो जी।।
रनुबाई हुआ पणिहार, वहा रड़ऽ सासर-वासेण जी।
की थारो पीयर दूर, की थारी सासू सौतेली जी।
नई म्हारो पीयर दूर, नई म्हारी सासू सौतेली जी।
हम पर ”सऊक को साल“, तेगुण रड़ऽ सासरवासेण जी।।
हेडूँ थारो ”सऊक को साल“,
बांझ घर पालणो झुलाड़सां जी।
सरग बांदया रे साधू झोपड़ा / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सरग बांदया रे साधू झोपड़ा,
आरे कलु म कीया अधवारा
(१) घर बांदया रे घर की नीव नही,
आरे नही लाग्या सुतार
लावो घर के पारछी
घर बांदया कैलाश...
सरग बांदया...
(२) घर ऊचा धारण नीचा,
दियो जड़ रे आकाश
सागर ताक जड़ावियाँ
जाको वस्तर अपार...
सरग बांदया...
(३) घर छाया घर ना गले,
चट-घट करी पास
नीरगुण पाणी झेलीयाँ
वो घर का रे माय...
सरग बांदया...
(४) घर बांदया रे घर की नीव नही,
घर को रची गयो नाम
जहाँ सींगा न जलम लियो
दल्लू आया मेजवान...
सरग बांदया...
सरग भवन्ति हो गिरधरनी एक सन्देशो लई जाव / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सरग भवन्ति हो गिरधरनी, एक सन्देशो लई जाव।।
सरग का अमुक दाजी खऽ यो कयजो,
तुम घर अमुक को ब्याव।।
जेम सरऽ ओमऽ सारजो हो, हमारो तो आवणोनी होय।।
जड़ी दिया बज्र किवाड़, अग्गळ जड़ी जड़ी लुहा की जी।।
सीता राम सुमर लेवो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सीता राम सुमर लेवो,
आरे तजी देवो सब काम
(१) सपना की संपत भई,
आरे बाध्यो जगराज
भोर भई उठ जागीयाँ
आरे जीनका कोण हवाल...
सीता हो राम...
(२) बिगर पंख को सोरटो,
आरे उड़ी चलीयो रे आकाश
रंग रुप वो को कछु नही
आरे वोक भुख नी प्यास...
सीता हो राम...
(३) वायो सोनो नही निपजे,
आरे मोती लग्या रे डाल
भाग बिना रे मोती ना मीले
तपस्या बीन राज...
सीता हो राम...
(४) राजा दशरथ की हो अयोध्या,
आरे सिर जाया रघुबीरा
माता हो जीनकी कोशल्याँ
आरे लक्ष्मण बलवीरा...
सीता हो राम...
(५) अनहद बाजा हो बाजीया,
आरे सतगुरु दरबार
सेन भगत जा की बिनती
राखो चरण आधार...
सीता हो राम...
सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर
(१) पंथी रे उबा पथ के उपर,
तेरा साथी कोई ना ही
गठरी बांदी सीर पर धरी
कर चलने की सुध...
मुसाफीर...
(२) वाट-वाट बंद रे मोहरीयाँ,
हरिया देख मती भुल
चलने की तु कर ले तईयारी
रहने की सब झुट...
मुसाफीर...
(३) माता पिता सुत बन्धु जना रे,
पनघट की ये नारी
सब मिलकर ये छोड़ जायेगे
सपना के दिन चार...
मुसाफीर...
(४) कहेत कबीरा सुणो भाई साधु,
सुमरो श्रीजन हारा
राम नाम बिना मुक्ती नी होयगा
बहुत पड़ेगा मार...
मुसाफीर...___
सुणजो हो म्हारा सगुण साहेब जी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सुणजो हो म्हारा सगुण साहेब जी,
म्हारा पियर पत्रिका भेज जो।
एक आई गयो मेहलो न भीगी गयो कागद,
गोरी को संदेशो रही गयो।।
हुई गई रे वीरा म्हारा मण्डप की बिरियां,
सासूजी मसलो बोलिया।
परसो न हो बहुवर मुट्ठीभर चोखा, ऊपर मुट्ठी खांड की।।
हुई गई रे वीरा म्हारा मण्डप खऽ वार,
नणंदजी मसलो बोलिया।
एक पेरो न हो भावज दक्षिण रो चीर,
अंगिया जो, जड़ाव की।।
एक बेडुलो लई न पनघट चाली,
बेडुलो जो धरियो सरवर पाळ।
चोमळ टांगी चम्पा डाळ धमकी रऽ रे वीरजी की गाड़िला।।
घमकी नऽ रे घूँघर माळ
एक झपकी नऽ रे म्हारा वीराजी की पाग,
चमक्यो रे भावजजी रो चूड़ीलो।।
एक झटपट हो गोर घर खऽ आई,
विराजी खऽ दिया समझाई न।
एक वीराजी नऽ हो भेज्यो बहण खऽ संदेशो,
केतरीक लागऽ पेरावणी।।
ससरा खऽ रे वीरा म्हारा सेलो नऽ पाग,
सासू खऽ पोयचो पेरावजो।
जेठ खऽ रे वीरा म्हारा सेळो नऽ पाग,
जेठाणी खऽ चूनर पेरावजो।।
देवर खऽ रे वीरा म्हारा सेळो नऽ पाग,
देराणी खऽ चूनर पेरावजो।
एक नणंद खऽ दक्षिणा रो चीर।।
बौणई खऽ रे वीरा म्हारा पांचई कपड़ा,
बहण खऽ पेळो पेरावजो।
एक भाणेज खऽ हो अंगो नऽ टोपी,
पड़ोसेण खऽ कापड़ो देवाड़जो।।
जात खऽ रे वीरा म्हारा मुट्ठी भर चांवल,
गांव मंऽ तमोल बटाड़जो।
भली करी रे म्हारा माड़ी का जाया,
सासू नणंद मंऽ करऽ उजळई।
सूति नऽ हो धणियेर सपनो हो देख्यो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सूति नऽ हो धणियेर, सपनो हो देख्यो,
सपना को अरथ बताओ भोळा धणियेर।।
मानसरोवर मनऽ सपना मंऽ देख्यो,
भर्यो तृर्यो भंडार मनऽ सपना मंऽ देख्यो।
वहेती सी गंगा मनऽ सपना मंऽ देखी,
भरी तुरी वावड़ी मनऽ सपना मंऽ देखी।
श्रावण तीज मनऽ सपना मंऽ देखी,
कड़कती बिजळई मनऽ सपना मंऽ देखी,
गोकुळ कान्हो मनऽ सपना मंऽ देख्यो,
तरवरतो बिच्छू मनऽ सपना मंऽ देख्यो,
गुलाब को फूल मनऽ सपना मंऽ देख्यो,
झपलक दिवलो मनऽ सपना मंऽ देख्यो,
कवळारी केळ मनऽ सपना मंऽ देखी,
वाड़ उप्पर की वांझुली मनऽ सपना मंऽ देखी।
पेळा वाळई नार मनऽ सपना मंऽ देखी,
ऊगतो सो सूरज मनऽ सपना मंऽ देख्यो।
सपना को अर्थ बताओ भोळा धणियेर।।
सोंहग बालो हालरो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सोंहग बालो हालरो,
आरे निरमळ थारी जोत
(१) नदी सुक्ता के घाट पे,
आरे बैठे ध्यान लगाय
आवत देख्यो पींजरो
आरे लियो कंठ लगाय...
सोंहग बालो...
(२) सप्त धातु को पींजरो,
आरे पाठ्याँ तिन सौ साठ
एक-एक कड़ी हो जड़ाँव की
वा पर कवि रचीयो हो ठाट...
सोंहग बालो...
(३) आकाश झुला बाँधियाँ,
आरे लाग्या त्रिगुण डोर
जुगत सी झुलणो झुलावजो
आरे झुले मनरंग मोर...
सोंहग बालो...
(४) नही रे बाला तू सुतो जागतो,
आरे बिन ब्याही को पुत
सदा हो शीव की शरण म
आरे झुल बाँझ को पुत...
सोंहग बालो...
(५) अणहद घुँघरु बाजियाँ,
आरे अजपा का हो मेवँ
अष्ट कमल दल खिली रयाँ
आरे जैसे सरवर मेवँ...
सोंहग बालो...
हात रे भाई रे! / निमाड़ी गीत /लोकगीत
हात रे भाई रे!
नाना की मांय पाणी खऽ गई, घर मऽ कुतरा कोंडी गई।
कुतरा भूकसे होलई पर, नानों म्हारो सोवसे झोलई पर।
आवों चिड़ीबाई दौड़ करी, नानो म्हारो सोवसे सौड़ करी।
आवो चिड़ीबाई परात मऽ, नानो म्हारेा जासे बरात मंऽ।
आवो चिड़ीबाई करूँ थारो याव,
कथील को मूंदड़ो नऽ जुरूंग को हार
बाजरा को खीचड़ो नऽ मसूर की दाल,
आवों चिड़ीबाई करूँ थारों याव।
हात रे भाई रे!
हम परदेशी पावणां / निमाड़ी गीत /लोकगीत
हम परदेशी पावणां,
दो दिन का मेजवान
आखीर चलना अंत को
नीरगुण घर जांणा...
हम परदेशी...
(१) नांद से बिंद जमाईया,
जैसे कुंभ रे काचा
काचा कुंभ जळ ना रहे
एक दिन होयगा विनाशा...
हम परदेशी...
(२) खाया पिया सो आपणां,
दिया लिया सो लाभ
एक दिन अचरज होयगा
उठ कर लागो गे वाट...
हम परदेशी...
(३) ब्रह्मगीर ब्रह्म ध्यान में,
ब्रह्मा ही लखाया
ब्रह्मा ब्रह्मा मिसरीत भये
करी ब्रह्म की सेवा...
हम परदेशी...
सोन्ना रूपा का घड़ा घड़ीला / निमाड़ी गीत /लोकगीत
सोन्ना रूपा का घड़ा घड़ीला,
रेशम लम्बी डोर हो, झालरियो।।
रनुबाई गंगा भरिया, जमुना भरिया,
जाय कवेरी झकोळ हों, झालरियो।।
बेटी म्हारी, पहिलाज आणऽ ससराजी आया,
काळो घोड़ो लाया हो, झालरियो।।
पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो,
हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो, झालरियो।।
बेटी म्हारी, दूसराज आणो जेठजी आया,
धौळो घोड़ो लाया हो, झालरियो।।
पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो,
हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो, झालरियो।।
बेटी म्हारी, तीसराज आणो देवरजी आया,
छैल बछेरी लाया हो, झालरियो।।
पिताजी अबकी आणो पछो फिरई देवो,
हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो, झालरियो।।
बेटी म्हारी, चवथाज आणो धणियेरजी आया,
हँसलो घोड़ो लाया हो, झालरियो।।
पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो,
हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो, झालरियो।।
बेटा म्हारी, ससरो भी फिरी गयो, जेठ भी फिर गयो,
देवर भी फिरी गयो।
हाड़ा राव को कुँवर कन्हैयो।।
ओ नी पाछऽ फिरऽ हो, झालरियो।।
पिताजी जळ जमुना को काळो पाणी,
देखी नऽ डर लागऽ हो, झालरियो।।
बेटी म्हारी, नाव लगावसे, डोंग्या चलावसे,
पार उतारी लई जासे हो, झालरियो।।
पिताजी चैत-बैसाख की घाम पड़ऽ नऽ,
म्हारी कड़ी को बाळो कोम्हलासे हो, झालरियो।।
बेटी म्हारी छतरी लगावसे, तम्बू तणावसे,
छावळऽ छावलऽ लई जासे हो, झालरियो।।
हरे नोटिस आयारे राजा राम का / निमाड़ी गीत /लोकगीत
हरे नोटिस आयारे राजा राम का,
आरे तामील कर लेना
(१) जमपती राजा आई बैठीयाँ,
अरे बैठीया पंख पसार
हंसराज को हो लई गया
लईगया स्वर्ग द्वार....
नोटिस आयारे....
(२) काया सिंगारी राई आगणा,
झुरी रया सब लोग
साज बाज घर बाजी रयाँ
उड़े रंग गुलाला....
नोटिस आयारे.......
(३) माता रोवे रे थारी जलमी,
बईण वार त्योहार
तीरया रोयवे थारी तीन घड़ी
दुसरो घर बार....
नोटिस आयारे.......
(४) कहत कबिर धर्मराज से,
साहेब सुण लेणा
अन्त का परदा हो खोल के
जीनको अन नी पाणी....
नोटिस आयारे....
हाथ मऽ आरती नऽ खोळा मऽ पाती / निमाड़ी गीत /लोकगीत
”हाथ मऽ आरती, नऽ खोळा मऽ पाती,
चलो म्हारी सई ओ, रनुबाई पूजाँ।
पूजतजऽ पूजतजऽ ससराजी न देख्या,
केतरा जाय पूत, म्हारी बहुवर वाँजुली।
असला-मसला कहाँ तक सहूँ हो,
एक वार तो टूटो म्हारी माता, डोंगर की देवी।
हळवा गयो होय तो हळई घर आवऽ,
खेलवा गयो होय तो खेली घर आवऽ,
पालणा को बाळो पालणऽ झूल,
सड़क को बाळो सड़क पर खेलऽ,
मजघर को बाळो मजघर जीमऽ म्हारी माता!
सोना की टोपली न मोती का जवारा,
दुहिरा रथ सिंगारूँ म्हारी माता!
एक बालूड़ो द!!
हाथऽ आरती हो बाघेसरी ठाड़ा रह्या / निमाड़ी गीत /लोकगीत
हाथऽ आरती हो, बाघेसरी ठाड़ा रह्या,
जोवऽ ते पोहा की बाट,
गढ़ रे गुजरात पोहो सबई आयो,
नहीं आई म्हारी भोळई निमाड़।
भोळई निमाड़ का रे अमुक भाई,
काहे मंऽ रहया बिलमाय?
कसोक छे रे देवी थारो मानवई
कसीक छे रे निमाड़,
कालो घोड़ो रे खुर बाटळो
पातळियो छे असवार,
कांधऽ खड़ियो, रे हाथऽ लाकड़ी,
मोठा जी भाई, जै बोलता आवऽ
ज्वार रे तोर को रे, देवी म्हारो घावणो,
माया मंऽ रहयो बिलमाय!
हारा रे मोरे भाई नाथ मै / निमाड़ी गीत /लोकगीत
हारा रे मोरे भाई नाथ मै,
हारा रे मोरे भाई
(१) एक बंद ढूंढा सकल बंद ढूंढा,
ढूंढत ढूंढत हारा
तीरथ धाम हम सब ढूंढी आया
प्रभू मिले घटमाही...
नाथ मै हारा रे...
(२) नही मेरा यारा नही मेरा प्यारा,
नही मेरा बन्धू भाई
तुम बिन मोहे कोण उभारे
लेवो बाव पसारी...
नाथ मै हारा रे...
(३) प्राण बाण सब छुटण लागे,
मन भयो भय भारी
प्रेम कटारी लगी हिरदे मे
ऊबौ हुयो नही जाय...
नाथ मै हारा रे...
(४) नही हम इस पार नही हम उस पार,
सागर भरीयो अपार
बिना मंऊत यो शीर डुबत है
कुंज डुब्यो जल माही...
नाथ मै हारा रे...
(५) दिन दयाल कृपा करो हम पर,
गरीब नू काज सुधारो
कहत कबीरा सुणो भाई साधू
जोत म जोत समाणी...
नाथ मै हारा रे...
हिरणी हरि क पुकारे जंगल मऽ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
हिरणी हरि क पुकारे जंगल मऽ
(१) हिरणी रे बन म घुमण लागी,
पार्दी न फन्द लगायो
चौ तरफा से घेरो हो नाख्यो
हिरणी क राम अधारो...
जंगल मऽ...
(२) जब रे पार्दी न फन्द लगायो,
न चल्यो हिरणी का पास
हिरणी बिचारी मन घबराणी
न पार्दी क ढ़सी गयो नाग...
जंगल मऽ...
(३) मन म रे पार्दी ऐसा डरा रे,
न खौब रयो पछताई
चौ तरफा सी आग लगी रे
न हिरणी क ली रे बचाई...
जंगल मऽ...
(४) हिरणी जब निकल हो आई,
आई प्रभू का द्वार
प्रभू जी सी कर अरदास
न हरी जी न लाखी लाज...
जंगल मऽ...
(५) कहत कबीर सुणो भाई साधू,
एक पंथ निरबाणी
जनम-जनम की दासी तुम्हारी
न रवा प्रभू जी की साथ...
जंगल मऽ...
होत आवेरो म्हारा धाम को / निमाड़ी गीत /लोकगीत
होत आवेरो म्हारा धाम को,
गुरु न भेज्यो परवाणो
(१) हम कारज निर्माण किया,
आरे परमेश्वर को जाणु
मुल रच्यो निजधाम को
जाकर होय रे ठिकाणु...
होत आवेरा...
(२) ओ सल्ला बिहार के,
काई लावो रे बयाना
कस के कमर को जायगो
जामे साधु समाना...
होत आवेरा...
(३) बहु सागर जल रोखीयाँ,
देव जबर निसाणी
चेहरा हो देखो निहार के
काहे दल को हो धाम...
होत आवेरा...
(४) नाम शब्द को राखजो,
आरे बैकुंट को जाणु
सब संतन का सार है
चाहे होय परवाणो...
होत आवेरा...
(५) तीरुवर परवाणो कीजीये,
नही देणा रे भेद
गुरु मनरंग पहिचाणिया
मानो वचन हमारो...
होत आवेरा...
देस यो बसेल छे लीमड़ा की आड़ मs / निमाड़ी गीत /लोकगीत
देस यो बसेल छे लीमड़ा की आड़ मs।
मीठो वाड़ चाखजो आइ नs निमाड़ मs।
गणागौर पूजाँगा रथ बौडावाँगा।
काकी का संगात झालरियो गावाँगा।
खावाँगा रोटा अमाड़ी की भाजी।
भाभी कs लावजो करी नs राजी।
धाणी सेकाडाँगा सोमइ की भाड़ मs।
मीठो वाड़ चाखजो आइ नs निमाड़ मs।
ज्वार को खीचड़ो तमरा लेण राँधाँगा।
बाटी को दाळ सी पल्लव बाँधाँगा।
खीर की भजा सी कराँ वरावणी।
चरखा मीठा ताया की पक्की पेरावणी।
मही-घाट भूल्यो रे! हउँ जाफा लाड़ मs।
मीठो वाड़ चाखजो आइ नs निमाड़ मs।
मइसर का घाट पs कूदी नs न्हावाँगा।
बाबा मजार पs पाँय लागी आवाँगा।
देवी की गादी पs टेकाँगा माथो।
राजवाड़ा मs उनको छे गाथो।
किल्लो नs मन्दिर छे रेवा कराड़ मs।
मीठो वाड़ चाखजो आइ नs निमाड़ मs।
"नाँगा देव" देखण बडवाणी जावाँगा।
खजूरी सिंगा का पगल्या पूजी आवाँगा।
अंजड़ की बयड़ी पs देवी को धाम छे।
ऊन का मंदिर मs हुनर को काम छे।
छिरवेल महादेवजी बठ्या पहाड़ मs।
मीठो वाड़ चाखजो आइ नs निमाड़ मs।
नागलवाड़ी मs "नागराज" ख़ास छे।
खरगुण मs "बाकी माता" को वास छे।
कुंदा धड़s मंदिर नs मज्जिद पास छे।
भोळा का हात मs सबकी रास छे।
घाम घणों पड़sज जेठ नs असाड़ मs ।
मीठो वाड़ चाखजो आइ नs निमाड़ मs।
ठीकरी मs खांडेराव की आवज सवारी।
गाड़ा ऊ खइचज घणा भारी- भारी।
खंडवा मs धूणी वाळा दादा अवतारी।
आनs सिवा बाबा की महिमा छे न्यारी।
ओंकार तारजो पड्यो हउँ खाड़ मs।
मीठो वाड़ चाखजो आइ नs निमाड़ मs।
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