दुखः सुखः मन म नी लावणा / निमाड़ी गीत /लोकगीत
दुखः सुखः मन म नी लावणा,
आरे रघुनाथ नी घड़ीया
(१) हरिशचँद्र सरीका हो राजवई,
जीन घर तारावंती राणी
अपणा सत् का हो कारणा
भर नीच घर पाणी...
दुखः सुखः मन...
(२) नल भऊ सरीका हो राजवई,
जीन घर दमवंती राणी
अपणा सत् का हो कारणा
मील अन्न नही पाणी...
दुखः सुखः मन...
(३) द्रोपती सरीकी हो महासती,
जीनका पांडव स्वामी
चिर दुःशासन खईचीयाँ
चीर पुरावे मुरारी...
दुखः सुखः मन...
(४) सीता सरीकी हो महा सती,
जिनका रामचंद्र स्वामी
रावण कपटी लई हो गया
सुंदर बिलखानी...
दुखः सुखः मन...
(५) हनुमान सरीका हो महायोद्धा,
आरे बल मे बल वंता
सीता की सुद हो लावीयाँ
चड़े तेल लंगोटा...
दुखः सुखः मन...
दूधन भरी तलावड़ी लोणी बांधी पाळ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
दूधन भरी तलावड़ी, लोणी बांधी पाळ
वहां भोळा धणियेर न्हावण करऽ
रनुबाई हुआ पणिहार
न्हावतज धोवतऽ मथो मथ्यो, कुणऽ घर जासां मेजवान,
कुणऽ घर अम्बा आमली, कुणऽ घर दाड़िम अनार,
ऊ घर सूखा केवड़ा हो, रनुबाई मेहका लेय।
दूर का अमुक भाई अरजकरऽ, उनऽ घर हुसाँ मेजवान।।
दूब का डांडळा अकाव का फूल / निमाड़ी गीत /लोकगीत
दूब का डांडळा अकाव का फूल,
राणी ओ मोठी बहू अरघ देवाय।
अरघ दई नऽ वर पाविया,
अमुक सरीका भरतार।
आतुली पातुली, लाओ रे गंगाजल पाणी,
न्हावण करऽ रनुबाई राणी।
रनुबाई, रनुबाई, खोलो किवाड़,
पूजण वाळई ऊभी दुवार।
पूजण वाळई काई माँगऽ।
दूध, पूत, अहवात माँगऽ।
हटियाळो बाळो माँगऽ।
जटियाळो भाई माँगऽ।
बहू को रांध्यो माँगऽ।
बेटी को परोस्यो माँगऽ।
टोंगळया बुडन्तो गोबर माँगऽ।
पोयचा बुड़न्तो गोरस माँगऽ।
पूत की कमाई माँगऽ।
धणी को राज माँगऽ।
सोन्ना सी सरवर गऊर पूजा हो रनादेव।
माय नऽ बेटी गऊर पूजा हो रनादेव।
नणंद भौजाई गऊर पूजा हो रनादेव।
देराणी जेठाणी गऊर पूजा हो रनादेव।
सास न बहू गऊर पूजा हो रनादेव।
अड़ोसेण पड़ोसेण गऊर पूजा हो रनादेव।
पड़ोसेण पर टूट्यो गरबो भान हो रनादेव।
दूध केरी दवणी मजघर हो रनादेव।
पूत केरो पालणो पटसाळ हो रनादेव।
असी पत टूट्यो गरबो भान हो रनादेव।
देवी आज म्हारा आंगणा मऽ लाल छड़ो देवासे / निमाड़ी गीत /लोकगीत
देवी आज म्हारा आंगणा मऽ लाल छड़ो देवासे।
देवी आज म्हरा आंगणा मऽ रनुबाई रमता आवसे,
देवी आज म्हरा आंगणा मऽ गौरबाई रमता आवसे,
देवी आज म्हरा आंगणा मऽ धणियेरजी का घोड़िला हिस्या,
देवी आज म्हरा आंगणा मऽ लाल छड़ो देवासे।
दूर-दूर की म्हारी मोठी बईण तुखऽ लेणऽ कुण जासे / निमाड़ी गीत /लोकगीत
दूर-दूर की म्हारी मोठी बईण तुखऽ लेणऽ कुण जासे,
जासे हो म्हारो नानो भाई, घोड़ी कुदावतो लावसे।
घोड़ा का टापुर वाज्या, बइण कहे कि म्हारो भाई आयो,
पांयण पींजण को ठुमको वाज्यो,
भाई कहे कि म्हारी बइण आई।
देह से हो हंसा निकल गया / निमाड़ी गीत /लोकगीत
देह से हो हंसा निकल गया,
हंसा रयण नी पाया
(१) पाँच दिन का पैदा हुआ,
छटी की करी तैयारी
आधी रात का बीच म
छटी लिखी गई लेख...
देह से...
(२) सयसर नाड़ी बहोत्तर कोटड़ी,
जामे रहे एक हंसा
काडी मोडी को थारो पिंजरो
बिना पंख सी जाय...
देह से...
(३) चार वेद बृम्हा के है,
सुणी लेवो रे भाई
अंतर पर्दा खोल के
दुनिया म नाम धराई...
देह से...
(४) गंगा यमुना सरस्वती,
जल बहे रे अपार
दास कबिर जा की बिनती
राखौ चरण आधार...
देह से...
धीर धीर साथ म्हारा गाव / निमाड़ी गीत /लोकगीत
धीर धीर साथ म्हारा गाव,
असी म्हारी हँसी न उड़ाओ जिजिबाई धीरधीर साथ म्हारा गाओ
पिऊ तो म्हारा परदेस जाइल छे, सासु बाई देगा मख गाळ
ओ जीजी बाई धीर धीर साथ म्हारा गाओ।
हउ छे खेडा की रीत काई जाणू,
नन्द बाई ख गावण की हौस, म्हारी जीजी बाई,
धीर धीर साथ म्हारा गाओ
नद्दी नद्दी दिया बळऽ रे काई जनावर जाय / निमाड़ी गीत /लोकगीत
“नद्दी नद्दी दिया बळऽ रे, काई जनावर जाय,
हरणी को पिलको ढोर चरावण जाय।
ला ओ माय बकेड़ी।"
नानी-सी गाय गटर-गैंगणी सौ पूला खाय / निमाड़ी गीत /लोकगीत
नानी-सी गाय गटर-गैंगणी, सौ पूला खाय,
माता जमुना को पाणी पे, न्हार सामऽ जाय,
ला ओ माय बकेड़ी।
नाना म्हारा का ठुमक्या पांय / निमाड़ी गीत /लोकगीत
नाना म्हारा का ठुमक्या पांय,
ठुमुक ठुमुक भाई वाड़ी मऽ जाऽय।
वाड़ी मऽ का वनफल तोड़ तोड़ खाय,
एतरा मंऽ आई गई मालेण मांय।
मालेण मांय नऽ छोड़ई लिया झगा नऽ झूल,
रड़ऽ कुढ़ऽ रे म्हारो नानो भाई।
रस्ता मऽ मिली गई भूआ मांय,
क्यों रड़ऽ रे म्हारा नारा भाई।
नाना भाई नऽ तोड़ी लिया कमल का फूल,
मालेंण मांय नऽ छोड़ई लिया झगा नऽ झूल।
लऽ वो, मालण मांय, थारा कमल का फूल,
दऽ म्हारा नाना का झगा नऽ झूल।
नानी-सी मांजरी मालवऽ गई मालव सी लाई माटी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
नानी-सी मांजरी मालवऽ गई, मालव सी लाई माटी,
माटी का बणाया हत्थी, हत्थी चलऽ आणा बाणा,
माटी का माय टुलेक दाणा।
नानो अम्बो नऽ गढ़ झूमको / निमाड़ी गीत /लोकगीत
नानो अम्बो नऽ गढ़ झूमको,
कुण भाई बेड़वा जाय रे।
असा नानाजी भाई पातला,
घोड़िला लिया हजार रे।
गया ते अमुक गांव का घोयरऽ,
व्हांका लोक भाग्या जाय रे।
मत भागो, मत भागो, लोग नऽ होणऽ,
हऊँ छे अमुक बैण को बीरो रे।
निकलो मोठी बैण भायरऽ
बौराजी खऽ लेवो पहेचाण रे।
ई घोड़िलो तो म्हारा बाप को,
बठणऽ वालो माड़ी-जायो रे।
नानो म्हारो नानो म्हारो करती थी घींव घड़ा मऽ भरती थी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
नानो म्हारो, नानो म्हारो करती थी घींव घड़ा मऽ भरती थी।
घींव का घड़ा न कोरा छे, नाना का मामाजी गोरा छे।
नानो म्हारो जीमऽ तवंऽ कसो करां, अम्बा रोटी रसऽ करां
रस मंऽ पड़ी गयो काकरियो, नाना का मामाजी ठाकरियो।
ठाठ करऽ, ठकराई करऽ, नानो म्हारो बठी नऽ राज कर।
राज करी नंऽ परवारऽ नी, नाना की मांय धवाड़ऽ नी।
हात रे भाई रे!
नानो सो चम्पो गंगा घर लगई आया / निमाड़ी गीत /लोकगीत
नानो सो चम्पो गंगा घर लगई आया
तेकी डाळ गई गुजरात
ते अब घर आओ तीरथ वासी।
नानो सो अम्बो गंगा घर लगई आया
तेकी कैरी लगी लटलूम
हे अब घर आओ तीरथ वासी।
नानी सी गय्या गंगा घर धरी आया
तेका जाया अक्खरनी समाय
ते अब घर आओ तीरथ वासी।
नानी सी कन्या, गंगा घर छोड़ी आया,
तेका जाया पालणां नी समाय,
ते अब घर आओ तीरथवासी।
नानो सो पुत्र गंगा घर धरी आया,
तेका जाया पालणां नी समाय,
ते अब घर आओ तीरथवासी।
नीकल चले दो भाई रे बन को / निमाड़ी गीत /लोकगीत
नीकल चले दो भाई रे बन को
(१) अभी म्हारा आगणा म राम हो रमता,
रमताँ जोगी की लार
माता कोशल्याँ ढुढ़ण चली
अन खोज खबर नही आई रे...
बन को...
(२) आगे आगे राम चलत है,
पिछे लक्ष्मण भाई
जिनके बीच मे चले हो जानकी
अन शोभा वरनी न जाई रे...
बन को...
(३) राम बिना म्हारो रामदल सुनो,
लक्ष्मण बीना ठकूराई
सीता बीना म्हारी सुनी रसवाई
अन कुण कर चतुराई रे...
बन को...
(४) हारे श्रावण गरजे, न भादव बरसे,
पवन चले पुरवाई
कोण झाड़ निच भीजता होयगँ
राम लखन सीता माई रे...
बन को...
(५) भीतर रोवे माता कोशल्या,
बाहेर भारत भाई
राजा दशरथ ने प्राण तज्यो हैं
अन कैकई रई पछताई रे...
बन को...
(६) हारे गंगा किनारे मगन भया रे,
आसण दियो लगाई
तुलसीदास आशा रघुवर की
अन मड़ीयाँ रहि बन्दवाई रे...
बन को...
नीळो तरबूजो केतरो सुहावणो लगऽ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
नीळो तरबूजो केतरो सुहावणो लगऽ
तागली जो घड़जे सोनी भाई, चांद का उजाळऽ
परण्यो निरखऽ दिवला री जोत।
नीळो तरबूजो केतरो सुहावणो लगऽ
हार जो घड़जो सोनी भाई चांद का उजाळ
परण्यो निरखऽ दिवला री जोत।
नीळो तरबूजो केतरो सुहावणो लगऽ
पढ़ो रे पोपट राजा राम का / निमाड़ी गीत /लोकगीत
पढ़ो रे पोपट राजा राम का,
सीता माई न पढ़ायाँ
(१) भाई रे पोपट थारा कारणा,
खासा पिंजरा बणायाँ
उसका रंग सुरंग है
उपर चाप चड़ायाँ...
पढ़ो रे पोपट...
(२) भाई रे पोपट थारा कारणा,
खासा महल बणायाँ
ईट गीरी लख चार की
नर रयण नी पायाँ...
पढ़ो रे पोपट...
(३) भाई रे पोपट थारा कारणा,
खासा बाग लगायाँ
चंपा चमेली दवणो मोंगरो
वामे केवड़ा लगायाँ...
पढ़ो रे पोपट...
(४) भाई रे पोपट थारा कारणा,
खासा कुँवा खंडाया
कुँवा खडया घणा मोल का
पाणी पेण नी पायाँ...
पढ़ो रे पोपट...
(५) अनहद बाजा हो बाजीया,
आरे सतगुरु दरबार
सेन भगत जा की बिनती
राखो चरण अधारँ...
पढ़ो रे पोपट...
पति क्यो बैठया उदास रात दिन / निमाड़ी गीत /लोकगीत
पति क्यो बैठया उदास रात दिन
कई देवो दिल की बात
(१) पति कहे तीरीया से,
तुमको कभी नई कण
तीरीया मन में कभी नही राखे
या खोटी तीरीया की जात...
रात दिन...
(२) हट पड़ी तीरीया नही माने,
अंन जरा नही खाये
सब तीरीया काई सार की
कब कई दिल की बात...
रात दिन...
(३) मणीया बाद भाई गयो रे बाद म,
नही कोई संग सगाली
म्हारा मन म ऐसी आवे
वा करी कृष्ण न घात...
रात दिन...
(४) इतनी बात सुणी तीरीया न,
रात को नींद नी आई
सोचत सोचत रैन गवाई
फिरी हुयो परभात...
रात दिन...
(५) घर को धंधो सबई छोड़यो,
दबड़ी न पनघट आई
सब सखीयाँ तो बराबरी
वहाँ कही दिल की बात...
रात दिन...
(६) तुक देखी न मन बात कई,
तु मती कोई क कैसे
कान कान बा बात चली रे
वा गई कृष्ण का पास...
रात दिन...
पानड़ पानड़ दिया बलऽ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
पानड़ पानड़ दिया बलऽ,
थारा दिवलड़ा की लागी जागजोत रे,
आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो।
ओंकार देव की मैया पूछऽ वातूली,
तू खऽ आज कूणऽ निवत्यो पूत रे,
आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो।
मखऽ निवत्यो छे, अमुक भाई की माय,
जिमाड़्या छे दही अरू भात रे।
आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो।
पहली राखी म्हारा नाना भाई खऽ बांधूँ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
पहली राखी म्हारा नाना भाई खऽ बांधूँ,
नाना भाई नऽ दीनी लाल गाय,
लाल गाय का जाया धोरी हल हांकऽ
दूसरी राखी म्हारा मोठा भाई खऽ बांधूँ,
मोठा भाई नऽ दीनी श्याम गाय,
श्याम गाय का धोरी हल हांकऽ।
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