कोई नी मिल्यो म्हारा देश को / निमाड़ी गीत /लोकगीत
कोई नी मिल्यो म्हारा देश को,
आरे केक कहूँ म्हारा मन की
(१) देश पति चल देश को,
आरे उने धाम लखायाँ
चिन्ता डाँकन सर्पनी
काट हुंडी हो लाया...
कोई नी...
(२) मन को हो चहु दिश छोड़ दे,
आरे साहेब ढूँढी लावे
ढूँढे तो हरि ना मिले
आरे घट में लव हो लागे...
कोई नी...
(३) लाल कहू लाली नही,
आरे जरदा भी नाही
रुप रंग वाको कछु नही
आरे व्यापक घट माही...
कोई नी...
(४) पाणी पवन सा पातला,
आरे जैसे सुर्या को घाम
जैसे चंदा की हो चाँदणी
आरे साई हैं मेरो राम...
कोई नी...
(५) पाव धरन को ठोर नही,
आरे मानो मत मानो
मुक्ती सुधारो जीव की
आरे जीवन पयचाणो...
कोई नी...
खेती खेडो रे हरिनाम की / निमाड़ी गीत /लोकगीत
खेती खेड़ो रे हरिनाम की,
जेम घणो होय लाभ
(१) पाप का पालवा कटाड़जो,
आरे काठी बाहेर राल
कर्म की फाँस एचाड़जो
खेती निरमळ हुई जाय...
खेती खेड़ो रे....
(२) आस स्वास दोई बैल है,
आरे सुरती रास लगाव
प्रेम पिराणो हो कर धरो
ज्ञानी आर लगावो...
खेती खेड़ो रे...
(३) ओहम् वख्खर जोतजो,
आरे सोहम् सरतो लगावो
मुल मंत्र बीज बोवजो
खेती लुटा लुम हुई जाय...
खेती खेड़ो रे...
(४) सत को माँडवो रोपजो,
आरे धर्म की पयडी लगावो
ज्ञान का गोला चलावजो
सुआ उड़ी उड़ी जाय...
खेती खेड़ो रे...
(५) दया की दावण राळजो,
आरे बहुरि फेरा नी होय
कहे सिंगा पयचाण जो
आवा गमन नी होय...
खेती खेड़ो रे....
गढ़ रे गुजरात सु देव गणपति आया हो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
गढ़ रे गुजरात सु देव गणपति आया हो
आई नऽ उतर्या ठण्डा वड़ तळऽ
पूछतऽ पूछतऽ गाँव मऽ आया हो नगर मऽ आया हो
भाई हो मोठाजी भाई को घर कहाँ छे?
आमी सामी वहरी नऽ लम्बी पटसाळ हो,
केल जऽ झपकऽ उनका आंगणा मऽ
सीप भरी सीरीखण्ड थाक भरी मोतीड़ा
गणेश बधावण मोटी बैण संचरिया।
गोर ए गणगौर माता खोल किँवाडी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
पूजा शुरु करने के पहले -
गोर ए गणगौर माता खोल किँवाडी,
बाहर ऊबी थारी पूजन वाली,
पूजो ए पुजावो सँइयो काँई-काँई माँगा,
माँगा ए म्हेँ अन-धन लाछर लिछमी जलहर जामी बाबुल माँगा,
राताँ देई माँयड,
कान्ह कँवर सो बीरो माँगा,
राई (रुक्मणी) सी भौजाई,
ऊँट चढ्यो बहनोई माँगा,
चूनडवाली बहना,
पून पिछोकड फूफो माँगा,
माँडा पोवण भूवा,
लाल दुमाल चाचो माँगा,
चुडला वाली चाची,
बिणजारो सो मामो माँगा,
बिणजारी सी मामी,
इतरो तो देई माता गोरजा ए,
इतरो सो परिवार,
दे ई तो पीयर सासरौ ए,
सात भायाँ री जोड परण्याँ तो देई माता पातळा (पति) ए,
साराँ मेँ सिरदार
पूजा शुरु करते हैँ -
ऊँचो चँवरो चौकुटो,
जल जमना रो नीर मँगावो जी,
जठे ईसरदासजी सापड्या (विराजे हैँ),
बहू गोराँ ने गोर पुजावो जी,
जठे कानीरामजी सापड्या बहु लाडल ने गोर पुजावो जी,
जठे सूरजमलजी सापड्या,
बाई रोवाँ ने गोर पुजावो जी,
गोर पूजंता यूँ कैवे सायब या जोडी इभ् छल (इसी तरह) राखो जी,
या जोडी इभ् छल राखो जी म्हारा चुडला रो सरव सोहागो जी,
या जोडी इभ छल राखो जी म्हारै चुडला रे राखी बाँधो जी।
दूब के साथ 8 बार पूजा करते हैँ -
गोर-गोर गोमती,
ईसर पूजूँ पार्वतीजी,
पार्वती का आला-गीला,
गोर का सोना का टीका,
टीका दे,
टमका दे राणी,
बरत करे गोराँदे रानी,
करता-करता आस आयो,
मास आयो,
खेरे खाण्डे लाडू आयो,
लाडू ले बीरा ने दियो,
बीरो ले गटकाय ग्यो,
चूँदडी ओढाय ग्यो,
चूँदड म्हारी इब छल,
बीरो म्हारो अम्मर,
राण्याँ पूजे राज मेँ,
म्हेँ म्हाँका सवाग मेँ,
राण्याँ ने राज-पाट द्यो,
म्हाँने अमर सवाग द्यो,
राण्याँ को राज-पाट तपतो जाय,
म्हारो सरब सवाग बढतो जाय ओल-जोल गेहूँ साठ,
गौर बसे फूलाँ कै बास,
म्हेँ बसाँ बाण्याँ कै बासकीडी-कीडी कोडूल्यो,
कीडी थारी जात है,
जात है गुजरात हैसाडी मेँ सिँघाडा,
बाडी मेँ बिजौराईसर-गोरजा,
दोन्यूँ जोडा,
जोड्या जिमाया,
जोड जँवारा,
गेहूँ क्यारागणमण सोला,
गणमण बीस,
आ ए गौर कराँ पच्चीस
टीकी -
आ टीकी बहू गोराँदे ने सोवै,
तो ईसरदासजी बैठ घडावै ओ टीकी,
रमाक झमाँ,
टीकी,
पानाँ क फूलाँ टीकी,
हरयो नगीनो एआ टीकी बाई रोयणदे ने सोवै,
तो सूरजमलजी बैठ घडावै ओ टीकी,
रमाक झमाँ,
टीकी,
पानाँ क फूलाँ टीकी,
हरयो नगीनो एआ टीकी बहू ने सोवै,
तो बेटा बैठ घडावै ओ टीकी,
रमाक झमाँ,
टीकी,
पानाँ क फूलाँ टीकी,
हरयो नगीनो ऐ।
घर की मांडण बेटी अमुक बाई दीनी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
घर की मांडण बेटी अमुक बाई दीनी,
तवंऽ जाई समझ्या दयालजी।
आला नीळा बाँस की बाँसरी, वो भी बाजती जाय,
अमुक भाई की बईण छे लाड़ली, वो भी सासरऽ जाय,
पछा फिरी, पछा फिरी लाड़ीबाई,
पिताजी खऽ देवो आशीस।
खाजो पीजो पिताजी, राज करजो,
जिवजो ते करोड़ बरीस।।
छोड्यो छे मायको माहिरो, छोड्यो पिताजी को लाड़
छोड़ी छे भाई केरी भावटी, छोड्यो फुतळयारो ख्याल।
छोड्यो छे सई करो सईपणो,
लाग्या दुल्लवजी का साथ।
गढ़ हो गुंडी उप्पर नौबत वाज / निमाड़ी गीत /लोकगीत
निमाड़ में विवाह के अवसर पर गया जाने वाला "गणपति"
गढ़ हो गुंडी उप्पर नौबत वाज
नौबत वाज इंदर गढ़ गाज
टो झीनी झीनी झांझर वाज हो गजानन
१
जंव हो गजानन जोसी घर जाजो
तों अच्छा अच्छा लगीं निकालो हो गजानन
गढ़ हो...
२
जंव हो गजानन बजाजी घर जाजो
तों अच्छा अच्छा कपडा ईसावो हो गजानन
३
जंव हो गजानन सोनी घर जाजो
तों अच्छा अच्छा गयना ईसावो हो गजानन
गढ़ हो...
४
जंव हो गजानन पटवा घर जाजो
तों अच्छा अच्छा मौड़ ईसावो हो गजानन
गढ़ हो...
जंव हो गजानन साजन घर जाजो
तों अच्छी अच्छी बंधीब्याहों हो गजानन
गढ़ ही गुंडी उप्पर नौबत वाज
नौबत वाज इन्द्र गढ़ गाज
तों झीनी झीनी झांझर वाज हो गजानन
गहूँ काटणनीळो तरबूजो केतरो सुहावणो लगऽ / निमाड़ी गीत /लोकगीत
गहूँ काटणऽ नहीं जाऊं रे साहेबजी, गहूँ काटणऽ नहीं जाऊं।
गहूँ काटणऽ म्हारी भौजाई खऽ भेजो,
उनकी रसोई हम रांधा साहेबजी, गहूँ काटणऽ नहीं जाऊं।
गहूँ काटणऽ म्हारी देराणी खऽ भेजो,
उनको पाणी हम भरां साहेबजी, गहूँ काटणऽ नहीं जाऊं।
गहूँ काटणऽ म्हारी सौतऽ भेजो,
हम सेजां हम सोवां साहेब जी, गहूँ काटणऽ नहीं जाऊं।
गाड़ा जुप्या रे देव गाडुला / निमाड़ी गीत /लोकगीत
गाड़ा जुप्या रे, देव, गाडुला
नांदिया घूघर माल,
धवळा घोड़ा को रे म्हारो उंकार देव,
तुम पर उड़ऽ रे निशाण,
आवऽ तेखऽ रे देव, आवणऽ दीजो,
आड़ी नारेल की माल।
घोड़ी बठी नऽ धणियेरजी आया / निमाड़ी गीत /लोकगीत
घोड़ी बठी नऽ धणियेरजी आया,
रनुबाई करऽ सिंगार हों चंदा
कसी भरी लाऊं जमुना को पाणी,
घर म्हारो दूर घागर म्हारी भारी,
घाटी घढ़ी हाऊं हारी चंदा
कसी भरी लाऊँ जमुना को पाणी।
चन्दन से भरी हो तळाई / निमाड़ी गीत /लोकगीत
चन्दन से भरी हो तळाई,
राणी रनुबाई पाणी खऽ संचरिया।
आगऽ जाऊँ तो डर भय लागऽ,
पाछऽ रहूँ तो घागर नहीं डूबऽ
सिर लेऊँ तो बाजूबंद भींजऽ कड़ऽ लेऊं तो बाळों रड़ऽ
चलो मनवा रे जहाँ जाइयो / निमाड़ी गीत /लोकगीत
चलो मनवा रे जहाँ जाइयो,
आरे संतन का हो द्वार
प्रेम जल नीरबाण है
आरे छुटी जायगा निवासी....
चलो मनवा...
(१) मन लोभी मन लालची,
आरे मन चंचल चोर
मन का भरोसाँ नही चले
पल-पल मे हो रोवे....
चलो मनवा...
(२) मन का भरोसाँ कछु नही,
आरे मन हो अदभुता
लई जाय ग दरियाव मे
आरे दई दे ग रे गोता...
चलो मनवा...
(३) मन हाथी को बस मे करे,
आरे मोत है रे संगात
अकल बिचारी क्या हो करे
अंकुश मारण हार...
चलो मनवा...
(४) सतगुरु से धोबी कहे,
आरे साधु सिरीजन हार
धर्म शिला पर धोय के
मन उजला हो करे...
चलो मनवा.....
चन्दरमा निरमळई रात / निमाड़ी गीत /लोकगीत
चन्दरमा निरमळई रात,
तारो कँवऽ उँगसे?
तारो ऊँगसे पाछली रात,
पड़ोसेण जागसे जी।।
धमकसे मही केरी माट,
धमकसे घट्टीलो जी,
ईराजी घर आवसे,
रनुनाई खऽ आरती जी।।
चली गई माल दुलारी तजी न थारी / निमाड़ी गीत /लोकगीत
चली गई माल दुलारी तजी न थारी
सोयो पाव पसारी तजी न थारी
(१) जिसकी जान थारा पास नही रे,
सोना क दियो रे गमाई(हो रामा)
भरम भंभू का उठण लाग्या
नोटीश प नोटीश जारी...
तजी न थारी...
(२) बृम्ह कचेरी म बृम्ह का वासा,
गीत का मुजरा लेई(हो रामा)
नव नाड़ी और बावन कोठड़ी
अंत बिराणी होय...
तजी न थारी...
(३) जब हो दिवानी ने दफ्तर खोला,
नही शरीर नही श्वास(हो रामा)
माता छटी ने डोर रचीयो है
रती फरक नही आव...
तजी न थारी...
(४) हिम्मत का हाल टुटी गया रे,
रयि हमेशा रोई
सतगुरु राखा अभी ले जाजो
नही तो चैरासी का माही...
तजी न थारी...
(५) कहत कबीर सुणो भाई साधो,
यो पद है निरबाणी(हो रामा)
यही रे पंथ की करो खोजना
रही जासे नाम निसाणी...
तजी न थारी...
चलो पंक्षी रे सब पावणा / निमाड़ी गीत /लोकगीत
चलो पंक्षी रे सब पावणा,
आरे घुँगू बाई को छे ब्याव
(१) मिनी बाई का माथा प टोपलो,
आरे मिनी बाई चली रे बाजार
खारीक खोपरा लई लियाँ
सईड़ीयों चावा रे पान...
चलो पंक्षी...
(२) मिनी बाई बाजार से आईया,
आरे ऊदरो पुछ हिसाब
ऐतरा म आया कुतराँ जेट जी
मिनी बाई भाँग ऊबी वाँट...
चलो पंक्षी...
(३) हाड़ीयाँ न डोल बजावीयाँ,
आरे कबुतर नाच बताये
काबर वर मायँ बणी गई
चीड़ीयाँ गाव मँगला चार...
चलो पंक्षी...
(४) घुस न माटी खोदीयाँ,
आरे डेडर कर रे गीलावों
मैयना ने काम लगावीयाँ
कोयल आई वई दवड़...
चलो पंक्षी...
चलो मनवा उस देश को / निमाड़ी गीत /लोकगीत
चलो मनवा उस देश को,
हंसा करत विश्राम
(१) वा देश चंदा सुरज नही,
आरे नही धरती आकाश
अमृत भोजन हंसा पावे
बैठे पुरष के पासा...
चलो मनवा...
(२) सात सुन्न के उपरे,
सतगरु संत निवासा
अमृत से सागर भरिया
कमल फुले बारह मासा...
चलो मनवा...
(३) ब्रह्मा विष्णु महादेवा,
आरे थके जोत के पासा
चैदह भवन यमराज है
वहां नहीं काल का वासा...
चलो मनवा...
(४) कहत कबीर धर्मदास से,
तजो जगत की आसा
अखंड ब्रह्मा साहेब है
आपही जोत प्रकाशा...
चलो मनवा...
जन्म दियो रे हरी नाम ने / निमाड़ी गीत /लोकगीत
जन्म दियो रे हरी नाम ने,
आरे खुब माया लगाई
(१) मृत्यु की माया आवीया,
आरे सब छोड़ी रे आस
जम आया रे भाई पावणा
आन मारे सोटा को मार...
जन्म दियो रे...
(२) रोवता बालक तुम न छोड़ीयाँ,
आरे माथा नई फेरीयो हाथ
दुःशमन सरीका हो देखता
झुरणा दई हो जाय...
जन्म दियो रे...
(३) बारह दिन जन्मी सती,
आरे पुरण जन्म की भक्ति
नेम धरम से हो तु भया
कैसा उतरा हो पार...
जन्म दियो रे...
(४) कोप किया रे मन माही,
आरे घरघर आसु बहावे
हंसा की मुक्ती सुधार जो
गया पंछी नही आवे...
जन्म दियो रे...
(५) हस्ता बोलता पंछी उड़ी गया,
आरे मुरख रयो पछताय
झान मीरदिंग घर बाजी रया
सिंग बाजे द्वार...
जन्म दियो रे...
जायगो हऊ जाणी रे मन तूक / निमाड़ी गीत /लोकगीत
जायगो हऊ जाणी रे मन तूक
(१) पाँच तत्व को पींजरो बणायो,
जामे बस एक प्राणी
लोभ लालूच की लपट चली है
जायगो बिन पाणी...
रे मन तू...
(२) भुखीयाँ के कारण भोजन प्यारा,
प्यासा के कारण पाणी
ठंड का कारण अग्नी हो प्यारी
नही मिल्यो गुरु ज्ञानी...
रे मन तू...
(३) राज करन्ता राजा भी जायगा,
रुप निखरती राणी
वेद पड़न्ता पंडित जायेगा
और सकल अभिमानी...
रे मन तू...
(४) चन्दा भी जायगा सुरज भी जायगा,
जाय पवन और पाणी
दास कबीर जी की भक्ति भी जायगा
जोत म जोत समाणी...
रे मन तू...
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