प्रथम मास आषाढ़ हे सखि साजि आयल जलधार हे / अंगिका लोकगीत
प्रथम मास आषाढ़ हे सखि साजि आयल जलधार हे।
राजा दशरथ वचन कारण कैकइ देल बनवास हे॥
साओन हे सखि सर्व सोहाओन एक तेॅ राति अन्हार हे।
शोक करलथिन माता कौशल्या राम गेल वनवास हे॥
आसिन हे सखि आस लागाओल सबके पुरियौ आस हे।
एक नै पुरै जों तेॅ रानी केकइ के देलखिन वनवास हे॥
कातिक हे सखि पर्व लगतु हैं सब सखि गंगा स्नान हे।
रथ साजल ठाढ़ लछुमन करत जे रङ-रङ खेल हे॥
अगहन हे सखि अग्र सोहाओन चहुदिश उपजल धान हे
राजा दशरथ घरमे पड़ला तेजि देलखिन प्राण हे॥
माघ हे सखि मेघ लागल, पिया चलल परदेश हे / अंगिका लोकगीत
माघ हे सखि मेघ लागल, पिया चलल परदेश हे
अपनो वयस वहीं ठा बितैलक, हमरा के बारि वयस हे
फागुन हे सखि आम मोजरलै, कोइलो शब्द घमसान हे
कोइली शब्द सुनि हिया मोर सालै,
नयन नीर बहि गेल हे
चैत हे सखि लल बेली, भ्रमर लेल निज बास हे
तेजि मोहन गेलै मधुपुर, हमरा सेॅ कओनें अपराध हे
बैसाख हे सखि उखम जवाला, पिया रोपल चम्पा गाछ हे
ठाढ़ ताही तर हम भेलौं, बहि गेल शीतल बयार हे
प्रथम मास अषाढ़ हे सखि साजि चलल जलधार हे / अंगिका लोकगीत
प्रथम मास अषाढ़ हे सखि साजि चलल जलधार हे।
एहि प्रति कारन सेतु बान्हल सिया उदेष श्रीराम हे॥
सावन हे सखि शब्द सुहावन रिमझिम बरसत बून्द हे।
सबके बलमुआ रामा घरे-घरे ऐलै हमरोॅ बलम परदेश हे॥
भादो हे सखि रैनि भयावन दूजे अन्हरिया राति हे।
ठनका जे ठनकै रामा बिजुली जे चमकै से देखि जियरा डराय हे॥
आसिन हे सखि आस लगाओल आसो ने पुरलै हमार हे।
आसा जे पूरलै रामा कुवरी सौतिनिया के कत राखल लोभाय हे॥
कातिक हे सखि पुण्य महीना सखि सब करै गंगा असनान हे।
सब सखी पहिरै पाट पटम्बर हम धनि गुदरी पुरान हे॥
अगहन हे सखि हरित सोहावन चहु दिश उपजल धान हे।
सामा चकेबा रामा खेल करै सखि से देखि जिया हुलसाय हे॥
पूस हे सखि ओस पड़ि गेल भीजि गेल नामी-नामी केश हे।
जाड़ छेदै तन सुइ सन छन-छन, थर-थर काँपै करेज हे॥
माघ हे सखि जाड़ा लगतु है देह थर-थर काँपै हे।
पिया जे होतिया रामा कोरवा लगैतियौं कटतै जाड़ हमार हे॥
फागुन हे सखि रंग महीना सब सखि खेलै पिया संग हे।
से देखि हमरोॅ जियरा तरसै ककरा पर दियै हम रंग हे॥
चैत हे सखि सब वन फूलै फूलवा जे फूलै गुलाब हे।
सखि सब फूलै रामा पियाजी के संग में हमरोॅ फूल मलीन हे॥
बैसाख हे सखि पिया नहि ऐलै विरह लहकत गात हे।
दिन जे कटै रामा कानतें-कानतें लहकतै बीतै सारी राति हे॥
जेठ हे सखि ऐलै बलमजी पूरल मन केरोॅ आस हे।
बाकी हे दिन सखि मंगल गाबथि रैन बितावथि पिया साथ हे॥
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