1. पवणु गुरू पाणी पिता माता धरति महतु
पवणु गुरू पाणी पिता माता धरति महतु ॥
दिवसु राति दुइ दाई दाइआ खेलै सगल जगतु ॥
चंगिआईआ बुरिआईआ वाचै धरमु हदूरि ॥
करमी आपो आपणी के नेड़ै के दूरि ॥
जिनी नामु धिआइआ गए मसकति घालि ॥
नानक ते मुख उजले केती छुटी नालि ॥1॥8॥
(यही श्लोक थोड़े फ़र्क के साथ पन्ना 146 पर भी दर्ज है)
पउणु गुरू पाणी पिता माता धरति महतु ॥
दिनसु राति दुइ दाई दाइआ खेलै सगल जगतु ॥
चंगिआईआ बुरिआईआ वाचे धरमु हदूरि ॥
करमी आपो आपणी के नेड़ै के दूरि ॥
जिनी नामु धिआइआ गए मसकति घालि ॥
नानक ते मुख उजले होर केती छुटी नालि ॥2॥146॥
2. जिसु पिआरे सिउ नेहु तिसु आगै मरि चलीऐ
जिसु पिआरे सिउ नेहु तिसु आगै मरि चलीऐ ॥
ध्रिगु जीवणु संसारि ता कै पाछै जीवणा ॥2॥83॥
3. जो सिरु सांई ना निवै सो सिरु दीजै डारि
जो सिरु सांई ना निवै सो सिरु दीजै डारि ॥
नानक जिसु पिंजर महि बिरहा नही सो पिंजरु लै जारि ॥1॥89॥
4. देंदे थावहु दिता चंगा मनमुखि ऐसा जाणीऐ
देंदे थावहु दिता चंगा मनमुखि ऐसा जाणीऐ ॥
सुरति मति चतुराई ता की किआ करि आखि वखाणीऐ ॥
अंतरि बहि कै करम कमावै सो चहु कुंडी जाणीऐ ॥
जो धरमु कमावै तिसु धरम नाउ होवै पापि कमाणै पापी जाणीऐ ॥
तूं आपे खेल करहि सभि करते किआ दूजा आखि वखाणीऐ ॥
जिचरु तेरी जोति तिचरु जोती विचि तूं बोलहि विणु जोती कोई किछु करिहु दिखा सिआणीऐ ॥
नानक गुरमुखि नदरी आइआ हरि इको सुघड़ु सुजाणीऐ ॥2॥138।
5. अखी बाझहु वेखणा विणु कंना सुनणा
अखी बाझहु वेखणा विणु कंना सुनणा ॥
पैरा बाझहु चलणा विणु हथा करणा ॥
जीभै बाझहु बोलणा इउ जीवत मरणा ॥
नानक हुकमु पछाणि कै तउ खसमै मिलणा ॥1॥139॥
6. दिसै सुणीऐ जाणीऐ साउ न पाइआ जाइ
दिसै सुणीऐ जाणीऐ साउ न पाइआ जाइ ॥
रुहला टुंडा अंधुला किउ गलि लगै धाइ ॥
भै के चरण कर भाव के लोइण सुरति करेइ ॥
नानकु कहै सिआणीए इव कंत मिलावा होइ ॥2॥139॥
7. सेई पूरे साह जिनी पूरा पाइआ
सेई पूरे साह जिनी पूरा पाइआ ॥
अठी वेपरवाह रहनि इकतै रंगि ॥
दरसनि रूपि अथाह विरले पाईअहि ॥
करमि पूरै पूरा गुरू पूरा जा का बोलु ॥
नानक पूरा जे करे घटै नाही तोलु ॥2॥146॥
8. अठी पहरी अठ खंड नावा खंडु सरीरु
अठी पहरी अठ खंड नावा खंडु सरीरु ॥
तिसु विचि नउ निधि नामु एकु भालहि गुणी गहीरु ॥
करमवंती सालाहिआ नानक करि गुरु पीरु ॥
चउथै पहरि सबाह कै सुरतिआ उपजै चाउ ॥
तिना दरीआवा सिउ दोसती मनि मुखि सचा नाउ ॥
ओथै अम्रितु वंडीऐ करमी होइ पसाउ ॥
कंचन काइआ कसीऐ वंनी चड़ै चड़ाउ ॥
जे होवै नदरि सराफ की बहुड़ि न पाई ताउ ॥
सती पहरी सतु भला बहीऐ पड़िआ पासि ॥
ओथै पापु पुंनु बीचारीऐ कूड़ै घटै रासि ॥
ओथै खोटे सटीअहि खरे कीचहि साबासि ॥
बोलणु फादलु नानका दुखु सुखु खसमै पासि ॥1॥146॥
9. आखणु आखि न रजिआ सुनणि न रजे कंन
आखणु आखि न रजिआ सुनणि न रजे कंन ॥
अखी देखि न रजीआ गुण गाहक इक वंन ॥
भुखिआ भुख न उतरै गली भुख न जाइ ॥
नानक भुखा ता रजै जा गुण कहि गुणी समाइ ॥2॥147॥
10. मंत्री होइ अठूहिआ नागी लगै जाइ
मंत्री होइ अठूहिआ नागी लगै जाइ ॥
आपण हथी आपणै दे कूचा आपे लाइ ॥
हुकमु पइआ धुरि खसम का अती हू धका खाइ ॥
गुरमुख सिउ मनमुखु अड़ै डुबै हकि निआइ ॥
दुहा सिरिआ आपे खसमु वेखै करि विउपाइ ॥
नानक एवै जाणीऐ सभ किछु तिसहि रजाइ ॥1॥148॥
11. नानक परखे आप कउ ता पारखु जाणु
नानक परखे आप कउ ता पारखु जाणु ॥
रोगु दारू दोवै बुझै ता वैदु सुजाणु ॥
वाट न करई मामला जाणै मिहमाणु ॥
मूलु जाणि गला करे हाणि लाए हाणु ॥
लबि न चलई सचि रहै सो विसटु परवाणु ॥
सरु संधे आगास कउ किउ पहुचै बाणु ॥
अगै ओहु अगमु है वाहेदड़ु जाणु ॥2॥148॥
12. निहफलं तसि जनमसि जावतु ब्रहम न बिंदते
निहफलं तसि जनमसि जावतु ब्रहम न बिंदते ॥
सागरं संसारसि गुर परसादी तरहि के ॥
करण कारण समरथु है कहु नानक बीचारि ॥
कारणु करते वसि है जिनि कल रखी धारि ॥2॥148॥
13. अगी पाला कि करे सूरज केही राति
अगी पाला कि करे सूरज केही राति ॥
चंद अनेरा कि करे पउण पाणी किआ जाति ॥
धरती चीजी कि करे जिसु विचि सभु किछु होइ ॥
नानक ता पति जाणीऐ जा पति रखै सोइ ॥2॥150॥
14. दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ
दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ ॥
तिन कउ किआ उपदेसीऐ जिन गुरु नानक देउ ॥1॥150॥
15. जे सउ चंदा उगवहि सूरज चड़हि हजार
जे सउ चंदा उगवहि सूरज चड़हि हजार ॥
एते चानण होदिआं गुर बिनु घोर अंधार ॥2॥463॥
16. इहु जगु सचै की है कोठड़ी सचे का विचि वासु
इहु जगु सचै की है कोठड़ी सचे का विचि वासु ॥
इकन्हा हुकमि समाइ लए इकन्हा हुकमे करे विणासु ॥
इकन्हा भाणै कढि लए इकन्हा माइआ विचि निवासु ॥
एव भि आखि न जापई जि किसै आणे रासि ॥
नानक गुरमुखि जाणीऐ जा कउ आपि करे परगासु ॥3॥463॥
17. हउमै एहा जाति है हउमै करम कमाहि
हउमै एहा जाति है हउमै करम कमाहि ॥
हउमै एई बंधना फिरि फिरि जोनी पाहि ॥
हउमै किथहु ऊपजै कितु संजमि इह जाइ ॥
हउमै एहो हुकमु है पइऐ किरति फिराहि ॥
हउमै दीरघ रोगु है दारू भी इसु माहि ॥
किरपा करे जे आपणी ता गुर का सबदु कमाहि ॥
नानकु कहै सुणहु जनहु इतु संजमि दुख जाहि ॥2॥466॥
18. जोग सबदं गिआन सबदं बेद सबदं ब्राहमणह
जोग सबदं गिआन सबदं बेद सबदं ब्राहमणह ॥
खत्री सबदं सूर सबदं सूद्र सबदं परा क्रितह ॥
सरब सबदं एक सबदं जे को जाणै भेउ ॥
नानकु ता का दासु है सोई निरंजन देउ ॥3॥469॥
19. एक क्रिसनं सरब देवा देव देवा त आतमा
एक क्रिसनं सरब देवा देव देवा त आतमा ॥
आतमा बासुदेवस्यि जे को जाणै भेउ ॥
नानकु ता का दासु है सोई निरंजन देउ ॥4॥469॥
20. एह किनेही आसकी दूजै लगै जाइ
एह किनेही आसकी दूजै लगै जाइ ॥
नानक आसकु कांढीऐ सद ही रहै समाइ ॥
चंगै चंगा करि मंने मंदै मंदा होइ ॥
आसकु एहु न आखीऐ जि लेखै वरतै सोइ ॥1॥474॥
21. सलामु जबाबु दोवै करे मुंढहु घुथा जाइ
सलामु जबाबु दोवै करे मुंढहु घुथा जाइ ॥
नानक दोवै कूड़ीआ थाइ न काई पाइ ॥2॥474॥
22. चाकरु लगै चाकरी नाले गारबु वादु
चाकरु लगै चाकरी नाले गारबु वादु ॥
गला करे घणेरीआ खसम न पाए सादु ॥
आपु गवाइ सेवा करे ता किछु पाए मानु ॥
नानक जिस नो लगा तिसु मिलै लगा सो परवानु ॥1॥474॥
23. जो जीइ होइ सु उगवै मुह का कहिआ वाउ
जो जीइ होइ सु उगवै मुह का कहिआ वाउ ॥
बीजे बिखु मंगै अम्रितु वेखहु एहु निआउ ॥2॥474॥
24. नालि इआणे दोसती कदे न आवै रासि
नालि इआणे दोसती कदे न आवै रासि ॥
जेहा जाणै तेहो वरतै वेखहु को निरजासि ॥
वसतू अंदरि वसतु समावै दूजी होवै पासि ॥
साहिब सेती हुकमु न चलै कही बणै अरदासि ॥
कूड़ि कमाणै कूड़ो होवै नानक सिफति विगासि ॥3॥474॥
25. नालि इआणे दोसती वडारू सिउ नेहु
नालि इआणे दोसती वडारू सिउ नेहु ॥
पाणी अंदरि लीक जिउ तिस दा थाउ न थेहु ॥4॥474॥
26. होइ इआणा करे कमु आणि न सकै रासि
होइ इआणा करे कमु आणि न सकै रासि ॥
जे इक अध चंगी करे दूजी भी वेरासि ॥5॥474॥
27. एह किनेही दाति आपस ते जो पाईऐ ॥
एह किनेही दाति आपस ते जो पाईऐ ॥
नानक सा करमाति साहिब तुठै जो मिलै ॥1॥475॥
28. एह किनेही चाकरी जितु भउ खसम न जाइ
एह किनेही चाकरी जितु भउ खसम न जाइ ॥
नानक सेवकु काढीऐ जि सेती खसम समाइ ॥2॥475॥
29. आपे साजे करे आपि जाई भि रखै आपि
आपे साजे करे आपि जाई भि रखै आपि ॥
तिसु विचि जंत उपाइ कै देखै थापि उथापि ॥
किस नो कहीऐ नानका सभु किछु आपे आपि ॥2॥475॥
30. नकि नथ खसम हथ किरतु धके दे
नकि नथ खसम हथ किरतु धके दे ॥
जहा दाणे तहां खाणे नानका सचु हे ॥2॥653॥
31. जिनी चलणु जाणिआ से किउ करहि विथार
जिनी चलणु जाणिआ से किउ करहि विथार ॥
चलण सार न जाणनी काज सवारणहार ॥1॥787॥
32. राति कारणि धनु संचीऐ भलके चलणु होइ
राति कारणि धनु संचीऐ भलके चलणु होइ ॥
नानक नालि न चलई फिरि पछुतावा होइ ॥2॥787॥
33. बधा चटी जो भरे ना गुणु ना उपकारु
बधा चटी जो भरे ना गुणु ना उपकारु ॥
सेती खुसी सवारीऐ नानक कारजु सारु ॥3॥787॥
34. मनहठि तरफ न जिपई जे बहुता घाले
मनहठि तरफ न जिपई जे बहुता घाले ॥
तरफ जिणै सत भाउ दे जन नानक सबदु वीचारे ॥4॥787॥
35. जिना भउ तिन्ह नाहि भउ मुचु भउ निभविआह
जिना भउ तिन्ह नाहि भउ मुचु भउ निभविआह ॥
नानक एहु पटंतरा तितु दीबाणि गइआह ॥1॥788॥
36. तुरदे कउ तुरदा मिलै उडते कउ उडता
तुरदे कउ तुरदा मिलै उडते कउ उडता ॥
जीवते कउ जीवता मिलै मूए कउ मूआ ॥
नानक सो सालाहीऐ जिनि कारणु कीआ ॥2॥788॥
37. नानक तिना बसंतु है जिन्ह घरि वसिआ कंतु
नानक तिना बसंतु है जिन्ह घरि वसिआ कंतु ॥
जिन के कंत दिसापुरी से अहिनिसि फिरहि जलंत ॥2॥791॥
38. पहिल बसंतै आगमनि तिस का करहु बीचारु
पहिल बसंतै आगमनि तिस का करहु बीचारु ॥
नानक सो सालाहीऐ जि सभसै दे आधारु ॥2॥791॥
39. मिलिऐ मिलिआ ना मिलै मिलै मिलिआ जे होइ
मिलिऐ मिलिआ ना मिलै मिलै मिलिआ जे होइ ॥
अंतर आतमै जो मिलै मिलिआ कहीऐ सोइ ॥3॥791॥
40. किस ही कोई कोइ मंञु निमाणी इकु तू
किस ही कोई कोइ मंञु निमाणी इकु तू ॥
किउ न मरीजै रोइ जा लगु चिति न आवही ॥1॥791॥
41. जां सुखु ता सहु राविओ दुखि भी सम्हालिओइ
जां सुखु ता सहु राविओ दुखि भी सम्हालिओइ ॥
नानकु कहै सिआणीए इउ कंत मिलावा होइ ॥2॥792॥
42. जपु तपु सभु किछु मंनिऐ अवरि कारा सभि बादि
जपु तपु सभु किछु मंनिऐ अवरि कारा सभि बादि ॥
नानक मंनिआ मंनीऐ बुझीऐ गुर परसादि ॥2॥954॥
43. नानक अंधा होइ कै रतना परखण जाइ
नानक अंधा होइ कै रतना परखण जाइ ॥
रतना सार न जाणई आवै आपु लखाइ ॥1॥954॥
44. रतना केरी गुथली रतनी खोली आइ
रतना केरी गुथली रतनी खोली आइ ॥
वखर तै वणजारिआ दुहा रही समाइ ॥
जिन गुणु पलै नानका माणक वणजहि सेइ ॥
रतना सार न जाणनी अंधे वतहि लोइ ॥2॥954॥
45. अंधे कै राहि दसिऐ अंधा होइ सु जाइ
अंधे कै राहि दसिऐ अंधा होइ सु जाइ ॥
होइ सुजाखा नानका सो किउ उझड़ि पाइ ॥
अंधे एहि न आखीअनि जिन मुखि लोइण नाहि ॥
अंधे सेई नानका खसमहु घुथे जाहि ॥1॥954॥
46. साहिबि अंधा जो कीआ करे सुजाखा होइ
साहिबि अंधा जो कीआ करे सुजाखा होइ ॥
जेहा जाणै तेहो वरतै जे सउ आखै कोइ ॥
जिथै सु वसतु न जापई आपे वरतउ जाणि ॥
नानक गाहकु किउ लए सकै न वसतु पछाणि ॥2॥954॥
47. सो किउ अंधा आखीऐ जि हुकमहु अंधा होइ
सो किउ अंधा आखीऐ जि हुकमहु अंधा होइ ॥
नानक हुकमु न बुझई अंधा कहीऐ सोइ ॥3॥954॥
48. नानक चिंता मति करहु चिंता तिस ही हेइ
नानक चिंता मति करहु चिंता तिस ही हेइ ॥
जल महि जंत उपाइअनु तिना भि रोजी देइ ॥
ओथै हटु न चलई ना को किरस करेइ ॥
सउदा मूलि न होवई ना को लए न देइ ॥
जीआ का आहारु जीअ खाणा एहु करेइ ॥
विचि उपाए साइरा तिना भि सार करेइ ॥
नानक चिंता मत करहु चिंता तिस ही हेइ ॥1॥955॥
49. आपे जाणै करे आपि आपे आणै रासि
आपे जाणै करे आपि आपे आणै रासि ॥
तिसै अगै नानका खलिइ कीचै अरदासि ॥1॥1093॥
50. गुरु कुंजी पाहू निवलु मनु कोठा तनु छति
गुरु कुंजी पाहू निवलु मनु कोठा तनु छति ॥
नानक गुर बिनु मन का ताकु न उघड़ै अवर न कुंजी हथि ॥1॥1237॥
51. आपि उपाए नानका आपे रखै वेक
आपि उपाए नानका आपे रखै वेक ॥
मंदा किस नो आखीऐ जां सभना साहिबु एकु ॥
सभना साहिबु एकु है वेखै धंधै लाइ ॥
किसै थोड़ा किसै अगला खाली कोई नाहि ॥
आवहि नंगे जाहि नंगे विचे करहि विथार ॥
नानक हुकमु न जाणीऐ अगै काई कार ॥1॥1238॥
52. साह चले वणजारिआ लिखिआ देवै नालि
साह चले वणजारिआ लिखिआ देवै नालि ॥
लिखे उपरि हुकमु होइ लईऐ वसतु सम्हालि ॥
वसतु लई वणजारई वखरु बधा पाइ ॥
केई लाहा लै चले इकि चले मूलु गवाइ ॥
थोड़ा किनै न मंगिओ किसु कहीऐ साबासि ॥
नदरि तिना कउ नानका जि साबतु लाए रासि ॥1॥1238॥
53. जिन वडिआई तेरे नाम की ते रते मन माहि
जिन वडिआई तेरे नाम की ते रते मन माहि ॥
नानक अम्रितु एकु है दूजा अम्रितु नाहि ॥
नानक अम्रितु मनै माहि पाईऐ गुर परसादि ॥
तिन्ही पीता रंग सिउ जिन्ह कउ लिखिआ आदि ॥1॥1238॥
54. कीता किआ सालाहीऐ करे सोइ सालाहि
कीता किआ सालाहीऐ करे सोइ सालाहि ॥
नानक एकी बाहरा दूजा दाता नाहि ॥
करता सो सालाहीऐ जिनि कीता आकारु ॥
दाता सो सालाहीऐ जि सभसै दे आधारु ॥
नानक आपि सदीव है पूरा जिसु भंडारु ॥
वडा करि सालाहीऐ अंतु न पारावारु ॥2॥1239॥
55. तिसु सिउ कैसा बोलणा जि आपे जाणै जाणु
तिसु सिउ कैसा बोलणा जि आपे जाणै जाणु ॥
चीरी जा की ना फिरै साहिबु सो परवाणु ॥
चीरी जिस की चलणा मीर मलक सलार ॥
जो तिसु भावै नानका साई भली कार ॥
जिन्हा चीरी चलणा हथि तिन्हा किछु नाहि ॥
साहिब का फुरमाणु होइ उठी करलै पाहि ॥
जेहा चीरी लिखिआ तेहा हुकमु कमाहि ॥
घले आवहि नानका सदे उठी जाहि ॥1॥1239॥
56. सिफति जिना कउ बखसीऐ सेई पोतेदार
सिफति जिना कउ बखसीऐ सेई पोतेदार ॥
कुंजी जिन कउ दितीआ तिन्हा मिले भंडार ॥
जह भंडारी हू गुण निकलहि ते कीअहि परवाणु ॥
नदरि तिन्हा कउ नानका नामु जिन्हा नीसाणु ॥2॥1239॥
57. कथा कहाणी बेदीं आणी पापु पुंनु बीचारु
कथा कहाणी बेदीं आणी पापु पुंनु बीचारु ॥
दे दे लैणा लै लै देणा नरकि सुरगि अवतार ॥
उतम मधिम जातीं जिनसी भरमि भवै संसारु ॥
अम्रित बाणी ततु वखाणी गिआन धिआन विचि आई ॥
गुरमुखि आखी गुरमुखि जाती सुरतीं करमि धिआई ॥
हुकमु साजि हुकमै विचि रखै हुकमै अंदरि वेखै ॥
नानक अगहु हउमै तुटै तां को लिखीऐ लेखै ॥1॥1243॥
58. जैसा करै कहावै तैसा ऐसी बनी जरूरति
जैसा करै कहावै तैसा ऐसी बनी जरूरति ॥
होवहि लिंङ झिंङ नह होवहि ऐसी कहीऐ सूरति ॥
जो ओसु इछे सो फलु पाए तां नानक कहीऐ मूरति ॥2॥1245॥
59. वैदा वैदु सुवैदु तू पहिलां रोगु पछाणु
वैदा वैदु सुवैदु तू पहिलां रोगु पछाणु ॥
ऐसा दारू लोड़ि लहु जितु वंञै रोगा घाणि ॥
जितु दारू रोग उठिअहि तनि सुखु वसै आइ ॥
रोगु गवाइहि आपणा त नानक वैदु सदाइ ॥2॥1279॥
60. सावणु आइआ हे सखी कंतै चिति करेहु
सावणु आइआ हे सखी कंतै चिति करेहु ॥
नानक झूरि मरहि दोहागणी जिन्ह अवरी लागा नेहु ॥1॥1280॥
61. सावणु आइआ हे सखी जलहरु बरसनहारु
सावणु आइआ हे सखी जलहरु बरसनहारु ॥
नानक सुखि सवनु सोहागणी जिन्ह सह नालि पिआरु ॥2॥1280॥
62. नाउ फकीरै पातिसाहु मूरख पंडितु नाउ
नाउ फकीरै पातिसाहु मूरख पंडितु नाउ ॥
अंधे का नाउ पारखू एवै करे गुआउ ॥
इलति का नाउ चउधरी कूड़ी पूरे थाउ ॥
नानक गुरमुखि जाणीऐ कलि का एहु निआउ ॥1॥1288॥
63. नानक दुनीआ कीआं वडिआईआं अगी सेती जालि
नानक दुनीआ कीआं वडिआईआं अगी सेती जालि ॥
एनी जलीईं नामु विसारिआ इक न चलीआ नालि ॥2॥1290॥
Pavanu Guru Paani Pita Mata Dharti Mahatu
Jis Piyaare Siu Nehu Tis Agai Mari Chaliye
Jo Siru Saain Na Nive So Siru Deejai Daari
Dende Thavhu Dita Changa Manmukhi Aisa Jaaniye
Akhi Baajhu Vekhna Vin Kanna Sunna
Disae Suniye Jaaniye Saau Na Paaiya Jai
Sei Poore Saah Jini Poora Paaiya
Aathi Pehari Ath Khand Naava Khandu Sareeru
Aakhan Aakhi Na Rajiya Sunani Na Raje Kannan
Mantri Ho Aathuhia Naagi Lagai Jai
Nanak Parkhe Aap Kau Ta Parkhu Jaanu
Nihfalna Tasi Janmasi Javat Brahm Na Bindate
Agai Paala Ki Kare Suraj Kehi Raat
Dikhia Aakhi Bujhaiya Sifti Sachi Sameu
Je Sau Chanda Uggvahi Suraj Chadahi Hazaar
Ihu Jag Sacha Ki Hai Kothdi Sache Ka Vich Vasu
Haumai Eha Jaati Hai Haumai Karam Kamahi
Jog Sabdam Giaan Sabdam Ved Sabdam Brahmanah
Ek Krisnam Sarab Deva Dev Deva Ta Aatma
Eh Kinehi Aasakii Doojai Lagai Jai
Salaam Jababu Dovai Kare Mundhu Ghutha Jai
Chakaru Lagai Chakari Naale Garabu Vaadu
Jo Jiie Hoie Su Uggvai Muh Ka Kahiya Vau
Naali Iyaane Dostii Kade Na Aavai Raasi
Naali Iyaane Dostii Vadaru Siu Nehu
Hoie Iyaana Kare Kamu Aani Na Sakai Raasi
Eh Kinehi Daati Aapas Te Jo Paiai
Eh Kinehi Chakari Jitu Bhau Khusam Na Jai
Aape Saje Kare Aap Jaa Bhi Rakhe Aap
Naki Nath Khusam Hath Kiratu Dhake De
Jini Chalanu Jaaniya Se Kiu Karahi Vithar
Rati Kaarnu Dhanu Sanchi Ai Bhalke Chalanu Hoie
Badha Chatti Jo Bhare Na Gun Na Upkaaru
Manhatthi Taraf Na Jipai Je Bahuta Ghale
Jina Bhau Tinh Nahi Bhau Muchu Bhau Nibhaviaah
Turde Kau Turda Milai Udte Kau Udta
Nanak Tina Basantu Hai Jin Ghar Vasia Kantu
![]() |
| guru angad dev ji |

No comments:
Post a Comment