राग हलूर गीत मालवी लोकगीत Raag Halur Geet Malvi Lokgeet lyrics in Hindi
दो डूंगर विच पाट / मालवी लोकगीत
दो डूंगर विच पाट
किण घर जास्या माता पामणा
जास्यां, जास्यां ईश्वरजी दरबार
रणू बाई देगा माता वेसणो
बेसन देस्यां भम्मरिया रा पाट
घूघरिया रा घाट ओढ़ा वस्यां
जीमण देस्यां दूध ने भात
खीर खांड गपरनी जिमाइस्यां
दल रे बादल बिन चमक्यो तारे / मालवी लोकगीत
दल रे बादल बिन चमक्यो तारे
कि सांझ पड़े पियु लागे प्यारे
कई रे जुवाब करूँ रसिया से
को रसियाजी तमखे किने बिलमाया
तो छोटी का जात बड़ी बिलमाय
बिछिया को रस अनवट लीनो
तो अनवट को रस रामचन्द्र लीनो
कई रे जुवाब करूँ रसिया से
जवाब करूँगी, सवाल करूँगी
केसरिया रा नैणां में रीझ रहूंगी
पातलिया रा नैणां में रीझ रहूंगी
(केसरिया, पातलिया आदि पति के सम्बोधन हैं।
‘अनवट’ अँगूठे का गहना है। ‘रामचन्द्र’ पति का पर्याय है।)
माता डूंगर खटकी म्हें सुण्यो / मालवी
माता डूंगर खटकी म्हें सुण्यो
सुन्नो घड़े रो सुनार
मोरे कसूम्बो रगमग्यो
सोनी घड़जे ईश्वर राम को मंूदड़ो
म्हारी रणु बाई दो नौसरियो हार
सोनी हार की छोलण ऊतरे
म्हारा सुभद्रा बई हो तिलक लिलाट
गोरे कसुम्बो रगमग्यो
होजी म्हार आंगणे कुपलो खणायो / मालवी लोकगीत
होजी म्हार आंगणे कुपलो खणायो
हिपड़ा इतरो पाणी
होजी जूड़ो छोड़ी ने न्हावण बैठिया
ईश्वरजी घर की राणी
होजी झाला झलके, झुमणा रक के
वोले अमरित वाणी
होजी अमरित का दोई प्याला भरिया
कूंक दी पिंगाणी
जगेसर खेले हालरो वो / मालवी लोकगीत
जगेसर खेले हालरो वो
माता कांकी बऊ घोल्यो थारो लोपणो
माता कांकी बऊ ने पुरविया मोती चौक
माता कांकी बऊ ने भरिया थारा बेड़ला
माता कांकी बऊ ने बोया थारा जाग
जगेसर खेले हालरो
माता कांकी बऊ खे दीजो नंद डीकरो
माता कांकी बऊ खे अखंड अपात
माता आसिहो चूड़ो ने अम्मर चांदली
आखियो धन केसरिया रो राज।
सेर का सो गया हलवाई रे / मालवी लोकगीत
सेर का सो गया हलवाई रे
नगर का सो गया हलवाई
अब मैं लाचार कलाकंद लाया हूँ गोरी
पांव सारू बिछिया घड़ाव जोजी
म्हारा अनवट रतन जड़ाव
आम पर केरी लग रई रे
आम पर केरी लग रई रे
गुड़का चढ़ गया भाव
सकर तो मेंगी हो गई रे
कलाकंद आम्बा को भावे रे
जलेबी मैदा की भावे
गोरी जोवे वाट भंवरजी मेलां कब आवे
पांव सारू बिछिया घड़ाव जोगी
कि अनवट रतन जड़ाव
भंवरजी अनवट रतन जड़ाव
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