बधावा गीत मालवी लोकगीत Badhawa Geet Malvi Lokgeet lyrics in Hindi
पांच बधावा म्हारे आविया मारूजी / मालवी बधावा गीत लोकगीत
पांच बधावा म्हारे आविया मारूजी
पांचां री नवी-नवी भांत लसकरिया
दक्खन मत जावेजी, दक्खन की चाकरी या आकरी
निपट नरबदा रो घाट लसकरिया
थाने तो बाला लागे रोकड़ा मारूजी
म्हाने तो वाला लागो आप
पेलो बधावो म्हारे यां आवियो
भेजो ससराजी री पोल
बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो / मालवी बधावा गीत लोकगीत
बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो
जई चोप्यो हो दसरथ दरबार
सहेली ऐ आंबो मोरियो
बड़ को गोड़ थरू थांबर हुई रयो
वाकी डाली हो गई असमान
सहेली ऐ आंबो मोरियो
बड़ की डाली जो डाली हीरा जड़िया
बड़ का पत्ता राज मोती रा लूम
बड़ खे देखन राम-लछमन आविया
उनका सांते हो तैतीस करोड़ देवता
बड़ खे देखन हो सीता माता आविया
उनका सांते हो राधा-रूकमारी जोड़
बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो
जई चोप्यो फलाणा राम दरबार
बड़ देखण आई उनका भाई-भतीजा री जोड़
बड़ देखण आई देराणी-जेठाणी री जोड़
बई जी पांच बधावा म्हारे आविया / मालवी बधावा गीत लोकगीत
बई जी पांच बधावा म्हारे आविया
बई जी पांचा री नवी-नवी भांत
झेलो हो रायां री बाई ओ लम्बो
बईजी पेलो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा ससराजी री पोल
झेलो हो रायां री बाई ओ लम्बो
बई जी ससराजी रंग से बधाविया
बईजी सासू ने लियो खोले झेल
झेलो हो...
बईजी थांका बीरा म्हारी सेरी नीकल्या
बईजी करी गया आड़ी टेड़ी बात
झेलो हो...
बईजी तांबा-पीतल होय तो बदलां
बईजी थांका बीरा बदल्या नी जाय
बईजी कागत होय तो बांचलां
झेलो हो...
बईजी दूसरो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा जेठजी पोल
बईजी रंग से बधाविया जेठजी
बईजी जेठाणी ने लियो खोला झेल
बईजी तीसरो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा दादाजी री पोल
बईजी दादाजी रंग से बधाविया
माता ने लियो खोल्यां झेल
झेलो हो...
बईजी चौथो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा वीराजी री पोल
बईजी वीराजी रंग से बधाविया
बईजी भावज लागे म्हारा पांव
झेलो हो...
बईजी पांचवों बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा सायबजीरी पोल
बईजी सायब रंग से बधाविया
बईजी सायबन लियो खोल्यां झेल
पांच बधावा म्हारे आविया / मालवी बधावा गीत लोकगीत
पांच बधावा म्हारे आविया
पांचों री नवी-नवी भांत
घड़ा मारूजी पेलो बधावो कांकड़े आवियो
कांकड़िया रे म्हारा खेतघणा घड़ामारू
धंवला तो धोरी म्हारयां हल बावे
दूसरो बधावो बागां में आवियो
नारेलांरी लागी लटालूम
दाख-चारोल्यां म्हारायां बहुफले
तीसरो बधावो ड्योढ़ी पे आवियो
हस्ती झूले छे दरबार घड़ा मारूजी
बांदिया लखेना तेजन जौ चरे
चौथो बधावो रसोई में आवियो
जीमे म्हारा आलीसा रो सांत
घीव कचोले, दूद वाटके
पांचवों बधावो ओवरी में आवियो
सायधन जायो छे पूत घड़ा मारूजी
नौबत बाजी, सक्कर बांटजो
कई आँवा मोरिया, जांबू मोरिया / मालवी बधावा गीत लोकगीत
कई आँवा मोरिया, जांबू मोरिया
कई मोरी कचनार म्हारा राज
आज जमेरी रसभरी
फलाणा राय तमारा राज में
उना जमई का झाडू का लाड़
आज जमेरी रसभरी
फलाणी बऊ तमारा राज में
बेटी का दूना-दूना लाड़
म्हारा राज आज जमेरी रसभरी।
बई को कोणस राय रा आया सामे ओबरा / मालवी
बई को कोणस राय रा आया सामे ओबरा
बई को कोणस राय आई सामे पोल
बाजा बले अंबुलो बहुफल्यो
बई वो मोटा राय रो आयो सामे ओबरो
बई वो नाना राय री आई सामे पोल
बई वो कांकी बऊ की राम रसोई नीपजे
बई वो कांकी बऊ को जीमे परवार
बई वो छोटी बऊ री राम रसोई नीपजे
बई वो बड़ी बऊ को जीमे परवार।
होजी कचेरी रा पड़दा खोल दो / मालवी बधावा गीत लोकगीत
होजी कचेरी रा पड़दा खोल दो
देखण दो फलाणा राज रा भीम
होजी उन राया रो कई देखणो
वे तो नमी रया हो उनके चीरां रे भार
बधावोजी म्हें सुण्यो
होजी रसोई रा पड़दा खोल दो
म्हने देखण दो साजनिया री धीय
बधावोजी म्हें सुण्यो
होजी उन राणी रो कई देखणो
वे तो नमी रया उनका चुड़िला रा भार
नानी बऊ दबीरया केसरिया रे भार
बधावो जी म्हें सुण्यो।
म्हारे आँगण हरी रे दरोब / मालवी बधावा गीत लोकगीत
म्हारे आँगण हरी रे दरोब
नितकी चूंटूं, ने नित पानवे
ऐसा हमारा फलाणा राय सिरदार
जात जिमावे, भोग्या जग करे
घर में बऊ लाड़ी बोलिया
सुनो हमारा अलीजा सरदार
अपनी बेन्या बई खे लावजी
गेल्या मारूणी निपट गंवार
तमारे बेन्यां बई खे नई बणे
राखां बई ने दिन दोय-चार
चूनड़ ओढ़ई ने बई खे मोकलां।
धन धन हो सूर्या गाय / मालवी बधावा गीत लोकगीत
धन धन हो सूर्या गाय
सींगड़ली सौभाग भरी
तूने दियो है घड़ो भर दूद
बछवो आनन्द करे
धन-धन हो फलाणी बऊ तमारी कूख
कखड़ीली सौभाग भरी
तमने जाया है फलाणा राय सरखा पूत
तो मनड़ा री आस पूरी करी
राणी बैठी है तखत विछाय
बऊ-बेटी पास खड़ी
बऊ-बेटी को लपे लिलार
मोतीड़ा से मांग भरी
पांच बाधावा म्हारे यां आवियाजी / मालवी
पांच बाधावा म्हारे यां आवियाजी
पांचां री नवी, नवी भांत लसकरिया कम्मर कसिया
भम्मर लारां लई चलोजी
लारां चलो तो दासी थेंई बाजोजी
घर हो केसरिया री नार
सीता लंखी, आंबा बरनी, बादल बरनी
मारूणी हठ छोड़ोजी
मोती बेराणा चंदन चौक में हो राज / मालवी बधावा गीत लोकगीत
मोती बेराणा चंदन चौक में हो राज
केसे सोरूँ ने कसे संकचूं हो राज
किनि विधि करूँ हो जुवाब म्हारा राज
मोती बेराणा जी चंदन चौक में हो राज
चिमटी बीणूं, ने पस मां सांकचूं
नैना ने करूँगी जुवाब म्हारा राज
मोती बेराणा हो चंदन चौक में हो राज
फलाणा राय का मेल पे सारस बोली रई / मालवी बधावा गीत लोकगीत
फलाणा राय का मेल पे सारस बोली रई
पिया म्हने भम्मर घड़ाव
गेली हुवा गोरी मूरख गंवार
भम्मर तो कई पेरणो
भम्मर पेरी ने पाणी नीकलां
देख हमारा देवर-जेठ, देख चतर सायबा।
बागां मांय रा लिम्बूड़ा तो नई नमे / मालवी
बागां मांय रा लिम्बूड़ा तो नई नमे
नमे उनकी फलां भर डाळ
अमर बधावो समरथ बीर को
फलाणा राय तो नई नमे
नमे उनकी पागड़ली रा पेंच
जोड़ा बऊ तो नई नमें
नमें उनकी चूड़ा भरी बांव
अमर बधावो समरथ बीर को।
राय थें तो फलाणा राय का जाया / मालवी बधावा गीत लोकगीत
राय थें तो फलाणा राय का जाया
केसरिया केवाणा, दरबारी केवाणा
लिखन्दा केवाणा हो म्हारा राज
झालो दई रया
राज तमारी माता तो फलाणी बऊ
खोळ में सोवाड़िया, आंचलड़ो धवाड़िया
पालणे पोड़ाया हो म्हारा राज
झालो दई रया
राज तमारी बेन्या तो फलाणी बई
आरती संजोवे, मोतीड़े बधावे
चौक पुरावे हो म्हारा राज
राज तमारी गोरी तो फलाणी बऊ
सेज बिछाये, झारी भर लावे
गुंजा भरी लावे, ठंडो पाणी भरी लावे हो राज।
गज गज नींव न्हकाव क्यों नी हो / मालवी बधावा गीत लोकगीत
गज गज नींव न्हकाव क्यों नी हो
फलाणा राज का फलाणा राय
राय सुन्नारी अंगूठी हो राज
रंग रो बधावो वऊवड़ झेलो क्योंनी वो
फलाणी बऊ री फलाणी बऊ
राय सुन्नारी अंगूठी हो राज।
मीठी थूली ओ सायबा दूद से / मालवी
मीठी थूली ओ सायबा दूद से
जेको अजब सवाद
लाडू पेड़ा हो सायबा लापसी
जेको बड़ो रे सवाद
गोदी भरी हो सायबा पूत से
जेको अनन्द उछाव
मेलां फूले हो सायबा केवड़ो
जेकी आवे परमल बास।
पाँच बधावा म्हारे आविजाजी / मालवी बधावा गीत लोकगीत
पाँच बधावा म्हारे आविजाजी
कई हरी जमेरी जी
कई पांचा री नवी-नवी भांत
रस की हरी जमेरी जी
पेलो बधावो म्हारे आवियोजी
भेजो म्हारा ससरा दो पोल।
पाँच बधावा म्हारे आविया / मालवी बधावा गीत लोकगीत
पाँच बधावा म्हारे आविया
सक्कर रा सीरा
पांचा री नवी-नवी भांत होवे मेदारी पूरी
थारा भरोसे मैं तो पोरई दाखां री लौंजी
पेलो बधावे म्हारे आविया शक्कर रा सीरा
भेजो म्हारा ससरारी पोल मेदारी पूरी
थारा भरोसे मैं तो पोरई दाखांरी लौंजी।
ओजी पांच बधावा म्हारे आवियाजी / मालवी बधावा गीत लोकगीत
ओजी पांच बधावा म्हारे आवियाजी
ओजी पांचां री नवी-नवी भांत
नारेळ म्हारा बार, सुपारी म्हारे ऑगणे जी
होजी चारोली चौबारिये रे मांय
दाख म्हारा मेहल में जी।
पांच मोहर लई मारूजी बाग सिधारिया / मालवी बधावा गीत लोकगीत
पांच मोहर लई मारूजी बाग सिधारिया
बागां में कसुम्बो मोलायो
म्हारा हंजा मारू घांट रंगायो
घांट जो पेरी मारूणी तम घर जो आया
नणदल मसलो जो बोली
केवो भावज भारा बापरंगायो, के थारी माय पठायो
म्हारा हंजा मारू घांट रंगायो
ससरा कमाया बईजी, सासू ने संगच्या
आलीजा भंवरा ने रंगायो
घांट जो पेरी मारूणी सेज सिधारी
सोकड़ की नजरां जो लागी
मुखड़े नी बोले, मारूणी नजरां नी देखे
सायधन को सायबो बिलखत फिरे
इन्दौर शहर को बैद बुलांवा
तारूणी की नबज बतावां
कोटा-बूंदी की मारूजी जाण बुलांवा
मारूणी पे झाड़णी नखांवा
मोहर-मोहर को मारूणी झाड़नी नखावां
रूपईया से नजर हेड़ांवा
नजरां हो देखे, मारूणा मुखड़े हो बोल्या
सायधन को सायबो हरकत फिरे
अपणा शहर में मारूणी शक्कर बटांवा
अपणा शेर में मारूणी नारेल बटांवा
मारूणी का जी की बधई।
बेटी की बिदाई के समय का बधावा
रे ये भल आया / मालवी
पाँच बधावा म्हारे ये भल आया
आया तो कई ऐ म्हारा देस में
पेलो बधावो म्हारा ससरा घर भेज्यो
दूसरो बधावो म्हारा बाप क्यां
तीसरो बधावो म्हारा जेठ क्यां भेज्यों
चौथो बधावो म्हारा बीर क्यां
पाँचबो बधावो धन री कूंख से लाणी
जासे सरब सुख होय हो
ससरा सपूतां सूं सरंबद रेस्यां
बापरे बल आपने
सासू सपूती सूं सरबद रेस्यां
माय रे बल आपने
देवर-जेठ सूं सदबद रेस्यां
लाज रे बल आपने
देराणी-जेठाणी सूं सदबद रेसयां
काम रे बल आपने
ननंद भानेजां सूं सदबद रेस्या
बुगचा रे बल आपने
स्वामी सपूतां सूं सदबद रेसयां
रूप रे बल आपने
भर-भर नैनां आज सूती
धीय बोलाई सासरे
नवरंग पेलो आज पेरियो पूत परण घर आविया
सुखदेव टूटिया, इच्छा पूरी
मन मनोरथ पाविया।
हरी हरी गोबर घोलती / मालवी
हरी हरी गोबर घोलती
गज मोती चौक पुरावो
कुम्भ-कलश अमृत भरियाजी
जानूं मोरित आज
आवो म्हारा रामचंद आवजो
जाकी जोती थी वाट
ऊँची अटारी रगमगी
दिवलो जले रे उजास
खेला-मारूणी खेले सोगटा खोलो मनड़ा री बात
आबो म्हारा रामचंद आवजो
जेकी जोती थी वाट
लीली दरियाई को घाघरों
साड़ी रंग सुरंग
अंगिया पहने कटावकी जी
बंदा खोलो सुजान
छींकत घोड़ीला जीण कस्या
बरजत हुवा असवार
राय आंगण बिच धन खड़ी
पीवू खड़ाजी, जीवो छींकन हार।
म्हारा अगवाड़े आम्बो मोरियो / मालवी
म्हारा अगवाड़े आम्बो मोरियो
पिछवाडे़ है छाई राजा गजबेल
बधांवोजी म्हें सुण्यो
म्हारा ससराजी गांव गरसिया
सासूजी हो राज अरथ भंडार
बधावोजी म्हें सुण्यो
म्हारा जेठ बाजूबन्द बेरखा
जेठाणी हो राजा बेरखा रा लूम
म्हारा देवर दांती को चूड़लो
देराणी है राजा चूड़ला री चोप
म्हारी नणदल कसूमल कांछली
नणदोई हो राजा कांछलीरा बंद
म्हारी धीमड़ को राजा हाथ मूंदड़ी
जमाई हो राजा मूंदड़ी रो कांच
म्हारो पुत्र हो राजा कुल ही को दीवलो
कुलबऊ है राजा दिवलारी जोत
म्हारा सायबा सिरही का सेहरा
सायधन हो राजा पांव की पेजार
बधाबोजी म्हें सुण्यो
हीरा वारूँ वो बऊ पड़ तमारी जीब पे
बखाण्यो हो म्हारों सोई परिवार
मोती वारूँ हो सासूजी तमारी कूख पे
तमने जाया हो राज अर्जुन-भीम
बधावोजी म्हें सुण्यो।
वर निकासी के समय का गीत / मालवी
बना क्यों रे खड़ो दलगीरी से
थारा समरथ दादाजी थारा सांत
लाल क्यों रे खड़ो दलगीरी से
थारा समरथ काकाजी थारा सांत।
म्हारा तो ऑगण रूखड़ो / मालवी
बधाई लाई ननदी, हां रे सांवलिया
कहां से आई सौंठ, कांह से आई पीपली
कहां से आई ननदी, हां रे सांवलिया
बम्बई से आई सौंठ, इन्दौर से आई पीपली
फलाने गांव से आई ननदी, हां रे सांवलिया
काय में आई सौंठ, काय में आई पीपली
काय में आई ननदी, हां रे सांवलिया
डब्बे में आई सौंठ, डब्बी में आई पीपली
तांगे में आई नंदी, हां रे सांवलिया
काहे को आई सौंठ, काहे का आई पीपली
काहे को आई नंदी, हां रे सांवलिया
जच्चा के लिए सौंठ, बच्चा के लिए पीपली
लूटन को आई नंदी, हां रे सांवलिया।
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