देवी जगदम्बा के गीत मालवी लोकगीत Devi Jagdamba Geet Malvi Lokgeet lyrics in Hindi
खड़े ने खप्पर धारणी / मालवी लोकगीत
खड़े ने खप्पर धारणी
देवी जगदम्बा
थारे मदरो प्यालो हाथ
सदा मतवाली ओ
थारा पावां ने बिछिया सोवता वो
देवी जगदम्बा
थारी अनबट से लागी रयो बाद
योई पीयर, योई सासरो वो जगदम्बा / मालवी लोकगीत
योई पीयर, योई सासरो वो जगदम्बा
योई दुखियारो विश्राम
पाँवों ने बिछिया सोवताए माय
थारा अनबट से लागी रयो बाद
नौ दुर्गा मेरे अंगना खड़ी / मालवी लोकगीत
नौ दुर्गा मेरे अंगना खड़ी
नीहोर तोरे पैयाँ पड़े
कया देख मैया अंगना हो आई
कया देख मुसकाई
नीहोर तोरे पैयां पड़े
दूधां देख मैया अंगना हो आई
पूतां देख मुसकाई
नीहोर तोरे पैयां पड़े
पाँवां ने तेरे बिछिया सोवता
अनबट देख मुसकाई
नोहोर तोरे पैयां पड़े
कैसे क दरसन पाऊँ / मालवी लोकगीत
कैसे क दरसन पाऊँ
मैया तेरी सकड़ी दुवरिया
सकड़ी दुवरिया मैया, चंदन किवड़िया
धरम धजा फहराय
मैया तेरी सकड़ी दुवरिया
देवी के द्वारे एक निरथन पुकारे
देव माया घर जाऊँरी
मैया तेरी सकड़ी दुवरिया
देवी के द्वारे एक अंधा पुकारे
देव नयन घर जाऊँरी
देवी के द्वारे एक बाँझ पुकारे
देव पुत्र घर जाऊँरी
देवी के दारे एक कुष्ठा पुकारे
देव काया घर जाऊँरी
मैया तेरी सकड़ी दुवरिया
गढ़ परवत से उतरी देवी महाकालिका / मालवी लोकगीत
गढ़ परवत से उतरी देवी महाकालिका
सिंघा को असवार, सदा मतवाली
पांवन बिछिया सोहता हो देवी महाकालिका
थारा अनबट से लगी रयो बाद सदा मतवाली हो
हाथ खड़ग खप्पर धारणी हो देवी महाकालिका
मद रो प्यालो हाथ सदा मतवाली हो
काय को दिवला मैया काय की बाती / मालवी लोकगीत
काय को दिवला मैया काय की बाती
काय की लागी जगाजोत वो अनन्दी
तेरे भवन पे मैया, नौबत बाजे
नौबत बाजे मैया, वो मढ़ गाजे
धरम धजा फहराय वो जगतारन
तेरे भवन पे मैया नौबत बाजे
पाँव में तेरे मैया बिछिया बी सोहे
अनबट की लागी जगाजोत वो महाकाली
अंग को मैया तेरे सालू बी सोहे
ओढ़न की लागी जगाजोत वो अनन्दी
तेरे भवन पे मैया नौबत बाजे
कुँवार मास मैया थपणा थपत है / मालवी लोकगीत
कुँवार मास मैया थपणा थपत है
कारतिक खेले गाय हो मैया
कारतिक मास मैया परब दिवाली
अगइन अन-धन होय
पोस तुसरिया, माह भदोरिया
फागुण खेले फाग
चैतेज मास मैया चित् उठ लागे
वैशाखे फूली फूलवास
जैठे जो मास मैया तपना तपत है
आषाढ़ बोले चतुरक मोर
सावण मास मैया रिमझिम बरसे
भादव गेर गम्भीर
चलो अनन्दी, चलो झुलवाए माय / मालवी लोकगीत
चलो अनन्दी, चलो झुलवाए माय
गेरी-गेरी अमली री डाल
चलो झुलवाए माय
रमवा सरको यो चौक
चालो झुलवाए माय
रमवा सरकी या रात
शरद पूनम की या रैन
चालो झुलवाए माय
पाँवों ने बिछिया सोवताए माय
थारी अनबट से लागी रया बाद
धार नगर का पापी हो राजा / मालवी लोकगीत
धार नगर का पापी हो राजा
उन मेरी सेवा नई कर जाणी
करवा नगर का ठाकुर
उन मेरी सेवा नई कर जाणी
उन मेरी पाठ बंचाया
उन मेरी ओढ़नी ओढ़ाई
उन मेरी होम करायो
धार नगर का पापी राजा
उन्होंने मेरी सेवा करना नहीं जानी
करबा नगर का ठाकुर
उन्होंने मेरी सेवा करना जानी
उन्होंने पाठ कराया
उन्होंने ओढ़नी ओढ़ाई
उन्होंने हवन कराया
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