हरी जरी जरकस की अंगिया / मालवी लोकगीत
हरी जरी जरकस की अंगिया
ऊपर हाल हजारी
नजरबन्द म्हे किया हो राज
म्हारा बना छे जी राज
पांव तेरे मखमल का मोजा
मेंदी राची पांव
अंग तेरे अतलस रा जामा
सीना मोती चूर
कमर तेरे सवा लाख खा पटका
पटके में मोहर पचास
दुलमेन बहोत अजाब
गले तेरे सवा लाख की कंठी
जरद जनोई कंठी
कान तेरे दरिया पार रा मोती
सीस तेरे जरतार रा चीरा
पेंचों पेंच गुलाल
सीस तेरे फूलन्दा सेहरा
सिर झालारिया मोड़
चढ़न तेरे सवा लाख री तेजी
फलाणा राम भये असवार
पीछे तेरे बेहाल रे ढोला
नाजो रूप सरूप
रंग का चार बनड़ा। / मालवी लोकगीत
रंग का चार बनड़ा।
पिया लो म्हारा आवो वासी रंगरा
हस्ती तो लाजो कजली वनरा
घोड़ा तो लाजो खुरासान रा
गाड़ी तो लाजो मारू देस री
मेवा तो लाजो गढ़ गुजरातरा
नाड़ा तो लाजो नखल देसरा
मेंदी तो लाजो टोड़ा देसरा
सालू तो लाजो सांगानेर री
गेणा तो लाजो सोनी देसरा
बेटी तो लाजो बड़ा बापकी
नवो रे पलंग, नवो ढोलियो / मालवी लोकगीत
नवो रे पलंग, नवो ढोलियो
महाराजा बन्ना
अबी से लागो लाड़ी से नेह रे
महाराजा बन्ना
पांव तेरे मखमल रा मोजा
मेंदी राची पांव
महाराजा बन्ना
गागड़दो गाड़ो लई रया
अमलारी छाकी लई रया
बाबुल री प्यारी लई रया
महाराजा वे, दिलराजा वे
राजा थें तो जागो ने जागो जी / मालवी लोकगीत
राजा थें तो जागो ने जागो जी
जागो हो नणंद बई रा बीर
सुन्ना रा सेहरे रंग लागो
राज थारा पांव रा मौजा
मेंदी बाली म्हारा राज
गुलाबी चुड़िले रंग लागो
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