ससरि चललि सभ सखिगण ना / मैथिली लोकगीत
ससरि चललि सभ सखिगण ना
गड़ल कुसुम शर भरि तन ना
उठइत उठल चलल नहु ना
बिहुँसि लगाओल पट पहु ना
धय दय उठल कदलि हिय ना
परसय कर पहु नहु नहु ना
देलक बैसाय निकट निज ना
उगला मुहजरू मनसिज ना
आध नयन हम देखल ना
नेह पाश लय बेढ़ल ना
दुहुक हृदय दुहु काढ़ल ना
नेह लता पुन बाढ़ल ना
अंकमे गहि पहु पूछल ना
छन हुलसय छन रूसल ना
आँचर भाँगि धयल कर ना
बल कय सभ मति हरलक ना
आध अंग बनि सुतलहुँ ना
केहन बिरह बिसरलहुँ ना
कुमर कमल पर अलि बसु ना
पीबि भ्रमर सूतल रस ना
पावस परम उछाह सधन घन आयल रे / मैथिली लोकगीत
पावस परम उछाह सधन घन आयल रे
प्यारे, नयनक रस गरि खसल सरोज सुखायल रे
अभरन जत छल झामर, पति मोर पामर रे
प्यारे, चिकुर बनल शतनाग करथि तन सामर रे
से दिन सुमिरन आबय सेज ने भाबय रे
प्यारे, करतल बदन समेटि साठि पल कानय रे
जेठ हेठ नब बादर युवतीक आदर रे
प्यारे, दछिन पवन बहु मंद करथि अति कातर रे
मास आषाढ़क बारिस मद - रस पाटत रे
प्यारे, हृदयक देल दुहु फाटत शशि कर काटत रे
साओन परम भयाओन कठिन मिलाओन रे
प्यारे, एकसरि रुदन अटारि कठिन निशि साओन रे
भादव आयल मादक दादुर बाहक रे
प्यारे दिशि-दिशि रमथि मयूर विरह तन बाढ़त रे
कुमर कखन पिउ आओत विरह बिसारत रे
प्यारे, उजरल सदन समारत प्रीति पसारत हे
एकसरि छलहुँ सुतलि हम सजनी गे / मैथिली लोकगीत
एकसरि छलहुँ सुतलि हम सजनी गे
मंदिर मुनल कपाट
विरह व्यथासँ बेघलि सजनी गे
आठ पहर जिब आंट
युवक बयस कत सुन्दर सजनी गे
अभरन अनुपम साज
धनुष-बाण कर पुहुपक सजनी गे
सपनहि देखल आज
कुंडल वलय हार पुन सजनी गे
कुसुमहि देल सजाय
पाँच वाण पुहुपक तनि सजनी गे
नहुयें नहुँ लग आय
नख शिख ताप मदन बुढु सजनी के
धधकल विरहक आगि
कुमर कठिन छल सपनक सजनी गे
कामिनि बैसलि जागि
पुरुष हिया थिक कमलक पात / मैथिली लोकगीत
पुरुष हिया थिक कमलक पात
परय प्रीति जल होअय कात
बहुत जतनसँ आँकल रोय
प्रेम लिखल तहि आखर दोय
नयनक काजर काढ़ल नाय
प्रेम बिकायल प्रेम बेसाह
पहिने कयल प्रीति उपचार
हम धनि अबला भेलौं देखार
के बुझ के बुझ विरहक बात
कुमर विरह जिब कयलक आँट
पहिराबथि से पुहुपक हारे / मैथिली लोकगीत
पहिराबथि से पुहुपक हारे
मुखसँ आँचर छन-छन टारे
दुहु कर झांपल हम बरु नारी
कर टारथि हरि कहि परतारी
नयनक पलक लगाओल नीके
पलक उघारथि चैन न जी के
भूषण साजथि से बरजोरी
श्याम किरण सहि श्यामलि गोरी
बल कय पुहुपक शयन सुताय
हम धनि मुइलहुँ सहमि लजाय
उर-सर फूल भमर कर पाने
जत छल मान कयल हम दाने
कुमर कठिन निशि बीतल आजे
परम निठुर थिक पुरुष समाजे
कथि लय कहब हम किछु भल मन्दा
मनसिज हतब हतब हम चन्दा
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