आरती करीय जानकी माइ / मैथिली आरती लोकगीत
आरती करीय जानकी माइ
धृत भल भक्ति प्रेम बर बाती, ज्ञान बारि धरु कर हरषाइ
सुर नर मुनि दुर्लभ सेवल पद, से पद जलज आरती माइ
सुनु जगमातु पापमय कर, मम परशति पद सभ पाप नशाइ
करह कृपा आरती स्वीकृत, करु कुमर पूजि पद धरु शिर नाइ
अंगना अयला भगवान / मैथिली लोकगीत आरती
अंगना अयला भगवान
सखी सभ करिअनु आरती
सोनाक थार कपूरक बाती
आरती उतारू भगवान
सखी सभ करिअनु आरती
सोनाक थारमे नीर-गंगाजल
चरण पखारू भगवान
सखि सभ करिअनु आरती
सोनाक थारमे छप्पन परोसल
भोग लगाबू भगवान
सखी सभ करिअनु आरती
लीजे-लीजे गोपाल प्यारे आरती / मैथिली आरती लोकगीत
लीजे-लीजे गोपाल प्यारे आरती
क्यो सखि आबथि, जल भरि लाबथि
क्यो सखि चरण पखारथि
लीजे-लीजे गोपाल प्यारे आरती
क्यो सखि आबथि, माखन-मिश्री लाबथि
क्यो सखि भोग लगाबथि
लीजे-लीजे गोपाल प्यारे आरती
क्यो सखि आबथि, धूप-दीप लाबथि
क्यो सखि आरती उतारथि
लीजे-लीजे गोपाल प्यारे आरती
आरती करीय शीश धरि प्रभु के / मैथिली लोकगीत आरती
आरती करीय शीश धरि प्रभु के
ओ प्रभु त्रिभुवनपति ठाकुर छथि, आरती करीय श्री रघुवर के
दशअवतार धारि भल कयलनि, धरनिक हरथि भार उपकरि के
जगत जनक बड़ क्षमाशील, सभ पाप विमोचन पद नटवर के
आरती लेत ताप त्रय मेटयि, कुमर कमल पद धरि रघुवर के
सखिया साजि-साजि आरती उतारे लगली ना / आरती मैथिली लोकगीत
सखिया साजि-साजि आरती उतारे लगली ना
आहे दस सखि मंगली गाबे लगली ना
सोनाक थारी मे गंगाजल पानी
रघुवर के चरण पखारे लगली ना
सोनाक थारी मे मेवा-मिठाई
रघुवर के भोग लगाबे लगली ना
सोनाक सिंहासनमे रत्न जरतु हैं
रघुवर के आरती उतारे लगली ना
No comments:
Post a Comment