राज महिसौथा गादी पड़ले / मैथिली लोकगीत
राज महिसौथा गादी पड़ले
पाँच मलीनियाँ मोरंग से झरलै
मनमे विचार हौ मलिनियाँ करै छै
सुन गे बहिनियाँ दिल के वार्त्ता
जइ दिन जनम मोरंगमे लेलियौ
सोइरी घरमे अँचड़ा बन्हली
बान्हल अँचरा बन्हने रहि गेल
मकड़ा जाल अँचड़ामे लागि गेल
वयस बुढ़ा गेलै केश तिलकि गेलै
दाँत बतीसो मुख से झड़लै
शनि रवि बरमहल केलियौ
एकादशी हरिबातो केलीयौ
तुलसी चौड़ा जल ढ़ारलीयै
मंदिर पूजा शिव बाबा केलीयै
पुरूब राज पुरैनियाँ गेलीयै
धार कछेरमे मोरंग बसलीयै
नैना योगिन कुसमौ न घुरौलियौ
तीन सय साठि हम जादू सीखलीयै
लटे लटमे जादू उघलियै
तहु से पुरब धौलागिरी गेलीयै
धौलागिरीमे डेरा गिरौबीयै
तीन दिन तीन राति रहलीयै
तइयो उदेशबा निरमोहिया देवता के
नइ मिललै गय।
हकन कनै छै सती मलीनियाँ
सुन गे देवी देवी असावरि
बान्हल मड़बा मोरंग छोड़लियौ
जाति बेटा के लात मारलीयै
बाप-भाइ के बोली कटलीयै
तइयो नै दरशनमा हमरा स्वामी मैया देलकै गै।
एतबे वचनियाँ मलीनियाँ सब सुनैय
तब मलीनियाँ हकन कनै छै
सुन गे देवीया देवी असावरि
जावे नै दरशनमा मैया देबही
महुरा बोनमे देवीया जेबै
अगिया माहुर घोरि के खेबै
त्रियावध हम योगिनियाँ तोरा लगा देबौ गै।
तब जवाब मलीनियाँ दै छै / मैथिली लोकगीत
तब जवाब मलीनियाँ दै छै
सुन ले हौ बाबा बुढ़वा पंडित
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
दादा नरूपिया के बटिआ जोहै छी
हा पाँच बहिनियाँ मलीनियाँ छियै
कखनी स्वामी हौदा पर अऔतै
स्वामी दरशनमा पोखरिमे करबै यौ।।
एत्तेक बात नरूपिया देतवा सुनै छै
छगुन छगुन मन देवता के करैय।
तबे जवाब नरूपिया दै छै
गै देवता नरूपिया महिसौथामे बैठल छै
हम गे जाति बराहमन छियै
पूजा करबैलय हमहुँ जाइ छी
आ कनिके घाट हमरा तू छोड़ि दही गे
घाट छोड़ि के मलीनियाँ बैठलै
हा श्री सतबरता मने मन सोचै छी
देखली सुरतिया मालीन छौड़ी के
देखली सुरतिया मालीन के
लोटा पितरिया महार पर रखलऽ
हाथ कऽ पथरा-पोथी रखै छै
तबे पैरु स्नान देवता करैय
धोती फेर नरूपिया करै छै
पितरिया लोटा लेलकै
दहिने हाथे पोथी उठौलकै
पछिम रूख के रास्ता नरूपिया धऽ लेलकै यौ।
घड़ी चललै पहरिया बीतलै
जहदीबागमे देवता जुमै छै
चुनि चुनि के फूल देवता चुनैय
औनी पथारी मलीनियाँ करैय
भागल जाइ छै राज महिसौथा
बटिआ जोहैते जखनी रहि गेलै यौ।
तब नाम मालीन दुर्गा के लै छै
लछ लछ गारि मालीनियाँ दै छै
बेर चढ़ि देवता के गयलै
सुन गे कुटनी गै दुर्गा मैया
केना ठकलही गे महुरा बोनमे
स्वामी नै एलै मानिकदहमे
बेर पुजै देवता के भऽ गेल
कथी के कारण हमरा तू ठकि लेले गै।
एत्तेक बात आइ मालीन सब बोलै छै
परगट दुर्गा मानिकदह भेलै
लछ लछ गारि मालीन के दै छै
सुन गे मलीनियाँ दिल के वार्त्ता
गै पूर्व जनममे भगतिमे चुकलै
स्वामी एलौं मानिकदहमे
कहै छी मन हम डाक लड़ै छी
बात-बातमे देवता ठकलकौ
बुढ़वा पंडित बनि के एलै
ओएह नरूपिया देवता छेलौ
जो जो बेइमनवी कपार तोरा जड़ि गेलौ गै।।
एत्तेक बात आय दुर्गा बोलैय / मैथिली लोकगीत
एत्तेक बात आय दुर्गा बोलैय
तब जवाब आय मालीन दै छै
सुन गे देवी देवी असावरि
तोरा कहै छी दिल के वार्ता
मैया दुर्गा दरशन दइये
जहि कारणमे रटना रटै छै
स्वामी दरशन तोरा करेबौ
चल चल मलीनियाँ मानिकदहमे
मानिकदहमे देवता अऔतै
जहदी बागमे फूल तोड़ै छै
मानिकदह स्नान देवता करै छै
टीक धारै टीकुलिया फड़ल
तब महिसौथा देवता पूजा की करै छै गै।।
हौ एत्तेक बात मलीनियाँ सब सुनै छै / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक बात मलीनियाँ सब सुनै छै
रास्ता धेलकै मानिकदह के
दुर्गा भागल महिसौथा जाइ छै
घड़ी के चललै पहर बीतै छै
पले घड़ी महिसौथा जुमि गेल
श्री सलहेस के खेल चढ़ाबै
सुनिले देवता श्री नरूपिया
चल चल बौआ मानिकदहमे
जहदी बागमे फूल बेटा तोड़ीहऽ
ओतऽ स्नान आय लिखैय
मानिकदह दुलरा जखनी चलियौ रौ।।
एत्तबे वचनियाँ देवता सुनै छै
भौरानंद हाथी के हौदा कसैय
सुग्गा हीरामनि बड़ छलबुधिया
छबे दिन आगू-पाछु सुगा जनै छै
पिंजड़ा से आइ हीरामनि बोलैय
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
पाँच बहिनियाँ मोरंगसँ झरलऽ
मानिकदहमे डेरा गिरौलकऽ
जखनी जेबऽ मानिकदह पर
मारतऽ जादू सुग्गा बनौतऽ
सुग्गा बना पिंजड़ामे रखतऽ
जे पिंजड़ा मोरंगमे जयतऽ
युग युग राज मलीनियाँ देवता भोगतऽ हौ।।
हौ एत्तेक बात नरूपिया कहै छै / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक बात नरूपिया कहै छै
तब जवाब सुगना दै छै
सुनऽ सुनऽ हौ दादा नरूपिया
अलख रूपी जे देवता लगै छै
पोथी पुरान राजा ललऽ
टेंटुआ पेंप आइ दादा लगौबीयौ
चारू अंगुरी चनन गाजा
लोटा पितरिया हाथ लगा कऽ
पंडित रूप निरमोहिया दादा धऽ लीयौ हौ।
पंडित रूप नरूपिया धरै छै
पोथी पुरान नरूपिया दै छै
लोटा पितरिया हाथ लगौने
बुढ़वा पंडित देवता बनि गेल
मानिकदह पर राजा निकैले
चारू घाट मलीनियाँ रोकने
पाँचो बहिनियाँ विचार करै छै
सुन गे बहिना बहिन बहिनपा
केकरा भागमे स्वामी अऔतौ
पाँचा बहिनियाँ कोहबर सजैय
जेकरे भागमे चोरबा अऔतै
स्वामी पकड़िहे मानिकदहमे
मारिहे जादू सुग्गा बनबिहे
सुग्गा बना पिंजड़ामे रखीहें
से पिंजड़ा मोरंगमे जेबै
युग युग राज मोरंगमे भोगबै यौ
पाँच बहिनियाँ सती मलीनियाँ
घाट बैठिकऽ मलीनियाँ बैठल
दादा नरूपिया मानिकदह गेलै
बुढ़वा पंडित बुढवा बनलै
घाट ऊपर नरूपिया जाइ छै
द्वितीया चान मलीन करै छै
लह-लह लह-लह मलीनियाँ करैय
तखनी सुरैत मालीन के देखै छै
दादा निरूपिया छगुन छगुन करै छै
बुझि पड़ै छै छियै मलीनियाँ
घाट रोकि मलीनियाँ बैठल
कोन घाट स्नान हम करबै
केना स्नान हम मानिकदह के करबै यौ।।
सुन सुन मैया हमर दिल के वार्त्ता / मैथिली लोकगीत
सुन सुन मैया हमर दिल के वार्त्ता
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
हम नै जनलियै बड़ लोभीया
बात-बातमे हमरा ठकलकै
गै हमनै चिन्हलीयै छियै सतबरता
बराहमन बनि के स्वामी एलै
केना ललिसवा मैया पूरा हमरा भयतै गै।
एतबे वचनियाँ मालीन सब करैय
तब जवाब दुर्गा दइ छै
सुन गे मलीनियाँ तोरा कहै छी
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
गै भागि के देवता बेलकागढ़ गेलै
आजु मलीनियाँ मानिकदह गमबीयौ
चन्द्रग्रहण मलीनियाँ लगतै
गहन लगतै नरूपिया के
जहि दिन दह स्नान जे करतै
गहबरबामे दरशन करा देबौ गै
एतबे वचनियाँ मलीनियाँ सब सुनै छै
डेरा गिरौलकै मानिकदहमे
संझा पहर साँझ मालीन लेसैय
चौमुख दिया हौ दहमे लिखैय
बाट जोहै छै श्री सलहेस के
चारू थाड़ीमे पान लगबै छै
पान पनबटा पानमे जोगलै।
रातिमे चन्द्रग्रहण लगलै
होइत भोरमे दुर्गा जुमि गेल
सुनऽ सुन बेटा श्री सतबरता सुनि ले
चन्द्र ग्रहण बेटा लगि गेल
गहन नहाइ ले दुलरा चलियौ
देबा दहमे स्नान करीहै
गहन छोड़ाबे नरूपिया देवा दहमे यौ।
एतने वचनियाँ नरूपिया सुनै छै
मने मन नरूपिया सोचै छै
तबे जवाब दुर्गा के कहै छै
सुन गे कुटनी दुर्गा सुनिलय
गै पाँचो बहिनियाँ सती मलीनियाँ
मानिकदह पर बाट जोहै छै।
केना जेबै मानिकदहमे
तखनी ने देखतै सती मलीनियाँ
मारतै जादू सुग्गा बनबितै
सुग्गा बना पिंजड़ामे देतै
जे पिंजड़ा मोरंगमे जेतै
खाली गादी महिसौथा हमर भऽ जेतै।
एतबे वचनियाँ दादा सुनै छै / मैथिली लोकगीत
एतबे वचनियाँ दादा सुनै छै
तव जवाब नरूपिया दै छै
सुन गे मैया दुर्गा सुनिले
मानिकदह के रास्ता छोड़ि दे
रास्ता काटिके रास्ता चलियौ
हमर वचनियाँ एतऽ करियौ गे।
एतै से जतरा देवता करै छै
घड़ी चललै पहर बीतै छै
मानिकदह पर देवता जुमलै
पथल नींद मलीनियाँ के भऽ गेल
पाँच बहिनियाँ सुतल मलीनियाँ
अपना अपना पलंग पर छेलै
देवता लऽकऽ दुर्गा जुमि गेल
लच लच गारि देवता मालीन के दै छै
सुन सुन गे सुन मलीनियाँ सुनि ले
एहे मौका मलीनियाँ लगै छै।
जल्दी नींन मालिन सभ तोड़ियौ
स्वामी लऽकऽ दुर्गा जुमलै
पाछु नै दोष नै हमर दिहै
हमरा आय दोषवा नै दैहीयै गै।
एत्तेक बात मालीन सब सुनै छै
दुर्गा मैया के महिमा डोललै
अचकिं नींन मालीन सब तोड़ै छै
स्वामी दरशनमा मालीन के भऽ गेल
सब तऽ रानी देवता बोलैय
सुनि ले स्वामी स्वामी नरूपिया
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
रटना रटलियै राज मोरंगमे
वयस बुढ़ा गेलै केश तिलकलै
दाँत बतीसो मुख से झड़लै
बान्हल मड़बा मोरंगमे तेजलियै
सखी-बहिन के बातो नै केलीयै
थूक फेकलियै मलीया घरमे
तोरा पर अँचड़ा बेइमनमा हम बान्हलियै हौ।।
केनाकऽ सबुरबा निरमोहिया
हमहुँ बान्हबै यौ-
केना कऽ साथ बेइमनमा रहबै यौ।
सतयुग छियै कलयुग अऔतै
केना नाम कलयुग चलतै
एतने आसरा हमरा पुरा कऽ दय
मन के ललिसबा पुरा कऽ दय
हमरा आय आसरा बेइमनमा
पुरा कऽ दियौ हय।।
हौ दादा नरूपिया बड़ जोर केलकै
सुन गे मलीनियाँ दिल के वार्त्ता
सतयुग छियै कलयुग अऔतै
घर-घर पूजा कलयुगमे हेतै
गै दहिना बगलमे मोती दुलरा रहतै
बौआ बुधेसर संगमे रहतै
बामा भागमे पूजा मिलतौ
तोरा पूजा हम बामा भागमे दऽ देबै गै।।
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