मधुवन रास रचैया ने दइया, मधुवन रास रचइया / मलार गीत मैथिली
मधुवन रास रचैया ने दइया, मधुवन रास रचइया
सब सखि मिलि-जुलि गंगा नहइया
चीर लए भागल कन्हैया गे दइया, मधुवन रास रचइया
हम सखियन सब लाजे मरतु हैं
कदमक गाछ कन्हैया गे दइया, मधुवन रास रचइया
चीर लए भागथि आंगुर देखाबथि
हंसि मुसुकाथि कन्हैया गे दइया, मधुवन रास रचइया
झट दए दौड़ल कुंवर कन्हैया
लेलहु सखि के चुनरिया गे दइया, मधुवन रास रचइया
कृष्ण श्याम प्रभु तुम्हरे दरस के
कृष्णजी मनमे बसइया गे दइया, मधुवन रास रचइया
ढकरत नीर घर धरकत छतिया / मैथिली लोकगीत
ढकरत नीर घर धरकत छतिया
बाजूबन्द बाँहि ससरि खसू चुड़िया
आली री, वृजुवन बाजत बंसुरिया
अपने तँ टेरे कान्हा विरह बंसुरिया
हम कोना जीबै, जीबै एसगर रतिया
आली री, वृजुवन बाजत बंसुरिया
लिखब मे प्रभु जी के पतिया हे ऊधो / मलार गीत मैथिली
लिखब मे प्रभु जी के पतिया हे ऊधो
अपनो ने आए पतियो ने भेजे
ना भेजे कुशल उदेशिया हे ऊधो
ओतहि रहत यशोदा जी के नन्दन
कुबजी हरल गति मतिया हे ऊधो
कोना हम रहब हरिजी के छोड़ब
ना रहब गोकुल अकेलिया हे ऊधो
लिखब मे प्रभु जी के पतिया हे ऊधो
बरिसन चाहे बदरबा हे ऊधो
खन बरिसय खन गरजय
खन-खन बहय बयरबा हे ऊधो
झिंगुर दादुर शोर करय
विरह दग्ध भेल छतिया हे ऊधो
चारि मास हम आस लगाओल
घर नहि आय पियरबा हे ऊधो
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस के
घुरि फीरि करत निहोरबा हे ऊधो
आली री, उमड़ि-घुमड़ि घन आबय / मैथिली लोकगीत
आली री, उमड़ि-घुमड़ि घन आबय
दादुर मोर शोर कर चहुँ ओर
बिजुरी चमकि डराबय
छन-छन पल-पल कल ने पड़त हैं
जिया रहि-रहि मदन सताबय
हरि निरमोही भेला हृदय कठोर
परबस भय तरसाबय
ककरा कहब के जाय समझाबय
विरह वारिधि सँ बचाले
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस के
राधा हरि गुण गाबय
ककर नारी हम बाला हे ऊधो / मलार गीत मैथिली
ककर नारी हम बाला हे ऊधो
ककर नारी हम बाला
हरि मधुपुर गेल, परम कठिन भेल
दय गेल विहरक भाला
हे ऊधो, ककर नारी हम बाला
बड़ अनुचित भेल, सुपुरुष तेजि गेल
तेजि गेल मदन-गोपाला
हे ऊधो, ककर नारी हम बाला
निन्द हरित भेल, पहु परदेश गेल
चित लेल नन्दक लाला
हे ऊधो, ककर नारी हम बाला
बनमे करथि बेहाल बिहारी / मैथिली लोकगीत
बनमे करथि बेहाल बिहारी
लय कर चीर कदम चढ़ि बैसल
हम जल बीच उघारी, वनमे...
जलसँ विनती राधा करथिन
चीर दिअ ने मुरारी, वनमे...
हम चीर तऽ दै छी हे राधा
जलसँ होउ ने बहारी, वनमे...
पुरैन-पात पहिरि राधा निकललि
कृष्ण बजाबथि ताली, वनमे...
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस के
कृष्ण बड़ा कुटचाली, वनमे...
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