पिया बिनु सेज मोरा सून हो / मैथिली लोकगीत
पिया बिनु सेज मोरा सून हो रामा पिया नहि आये
फागुन रंग अबीर नीरस भेल, सरस वसन्त बीति जइहें हो रामा
पिया नहि आये
पापी पपीहा पिया पिया बोले, शब्द सुनइते उर कड़कै हो रामा
पिया नहि आये
मदन बिना हरि उर बेधय, निसदिन रहत फिकरिया हो रामा
पिया नहि आये
रसिक भ्रमर कली पर धाबे, से देखि हिया मोरा साले हो रामा
पिया नहि आये
कोकिल कहय धीर धरु सुन्दरि, चैत बीच औता श्याम हो रामा
पिया नहि आये
नदिया के तीरे-तीरे मुंगिया बाओल हो श्यामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
नदिया के तीरे-तीरे मुंगिया बाओल हो श्यामा
मुंगिया जे फड़य घौदे घौद हो श्यामा
घर सँओ बहार भेली सुन्दरि हो श्यामा
चलि भेली मुंगिया तोड़न हो श्यामा
खोंइछा भरि तोड़ल चंगेरी भरि तोड़ल
आबि गेलै मुंगिया रखबार हो श्यामा
छीनि लेल दूनू जउबनमा हो श्यामा
विद्यापति धन गाओल हो श्यामा
यौवनकेँ लोभे हम अयलहुँ हो श्यामा
अंगुरी मे डसलक नगिनियां हो रामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
अंगुरी मे डसलक नगिनियां हो रामा
के मोरा जायत बैद बजायत, के मोरा हरत दरदिया हो रामा
के मोरा जायत पलंगा ओछायत, के मोरा पिया के बजायत हो रामा
बाबा मोरा जायत बैद बजायत, अम्मा मोरा हरत दरदिया हो रामा
ननदि मोरा जायत पलंगा ओछायत, दिओर पिया के बजायत हो रामा
देबउ रे कागा दही चूड़ा भोजन, हमरो समाद नेने जाह हो रामा
तोहरो बलमुजी के चीन्हियौ ने जानियौ, कोना समाद नेने जाय हो रामा
हमरो बलमुजी के मुठी एक डाँर छनि, दुअरे चनन केर गछिया हो रामा
कोइलया तोरी मीठी बोलिया / चैतावर लोकगीत मैथिली
कोइलया तोरी मीठी बोलिया
उठि पिया चलल नोकरिया, कोइलिया तोरी मीठी बोलिया
रामा फूल लोढ़ऽ गेलिऐ राजा फुलबरिया, लोढ़लमे बेलिया चमेलिया
कोइलिया तोरी मीठी बोलिया
एक खोंइछा लोढ़लौं, दोसर खोंइछा लोढ़लौं, आबि गेलै राजा के सिपहिया
कोइलिया तोरी मीठी बोलिया
अंचरा धयलक मोहि झिकझोरलक, तोड़लक गजमोती हरबा
कोइलिया तोरी मीठी बोलिया
छोडू-छोडू आहे राजा मोरा अंचरबा, रोबत होयत गोदी के बलकबा
कोइलिया तोरी मीठी बोलिया
चैतक निन्दिया बैरिनियाँ हो रामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
चैतक निन्दिया बैरिनियाँ हो रामा
सूतलि छलहुँ घर रे मन्दिरबा
सपनामे एला मनमोहन हो रामा
चैत के निन्दिया बैरिनियाँ
सगरि राति हम जागि गमाओल
बैरिनि भेल कर बेनियां हो रामा
चैत के निन्दिया बैरिनियां
बारह बरस पर रामचन्द्र लउटला
धनी देल विरह बजनियां हो रामा
चैत के निन्दिया बैरिनियां
जौं तोहे आहे सुन्दरि मोर अनुरागिनि
धरहमे भेष जोगिनियां हो रामा
चैत के निन्दिया बैरिनियां
नहि हम सोहागिनि नहि अनुरागिनि
मरब जहर बिख खाय हो रामा
चैत के निन्दिया बैरिनियां
अयलै ने हमर रंग रसिया हो रामा / मैथिली लोकगीत
अयलै ने हमर रंग रसिया हो रामा, ने अयलै पतिया हो रामा
अपने ने आयल संदेश ने भेजल, कठिन कठोर परदेशिया हो रामा
हम विरहिन दर्शन बिनु व्याकुल कोना, काटब दिन रतिया हो रामा
हमरो सँ नीक भोग कुबजी के, निसि दिन करय शयनमा हो रामा
देखलौंमे राति सपनमा हो राम / मैथिली लोकगीत
देखलौंमे राति सपनमा हो राम
समरिया आयल
सूतल छलौं विरहिनि हम सखिया
देखल श्याम मोहनमा हो रामा
चौंकि उठल तन मिलल ने मोहन
भरि आयल नीर नयनमा हो रामा
चैतक चन्दन कुसुमित कानन
दैव देलनि दुख दिनमा हो रामा
दुख मोहन मधुमास ने आयल
तेँ हम तेजब जीवनमा हो रामा
कोने कएल जादू टोनमा हो रामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
कोने कएल जादू टोनमा हो रामा
राम गेला बनमा
धन्य राजा दशरथ धन्य रानी केकयी
धन्य ओ कोपभवनमा हो रामा
राम गेला बनमा
राम लखन सिया वन कऽ सिधारल
दशरथ त्यागल परनमा हो रामा
राम गेला बनमा
मातु कौशिल्या करुण करहु नहि
सौतिनि भेली बैरिनिया हो रामा
राम गेला बनमा
तुलसीदास प्रभु तुम्हरे दरस के
सौतिनि कोपभवनमा हो रामा
राम गेला बनमा
कौने कएल जादू टोनमा हो रामा
राम गेला बनमा
फूल लोढ़य चललि मलिनियाँ / चैतावर लोकगीत मैथिली
फूल लोढ़य चललि मलिनियाँ रामजी के बगिया
खोंइछा भरि लोढ़लो, दउरिया भरि तोड़ली
आबि गेल राजा रखबरबा हो रामा
खोंइछा भरि छिनलो, दउरिया भरि छिनलो
आँचर धय झिकझोड़ल हो रामा
छोडू-छोडू आहो राजा, अँचरा के खुटबा
रोबति होयतै गोदी के बलकबा हो रामा
घरबामे होयतौ मालिन सासु गे ननदिया
खेलबति होयतौ गोदी के बलकबा हो रामा
सासु मोर आन्हर ननदि ससुररिया
पियाजी रहए परदेशिया हो रामा
कहमा रामचन्द्र जी के जन्म भेलनि / चैतावर लोकगीत मैथिली
कहमा रामचन्द्र जी के जन्म भेलनि
कहमा साजल बरियात हो रामा
अयोध्यामे रामचन्द्र के जन्म भेलनि
दशरथसाजल बरियात हो रामा
रथ जे साजल घोड़बा जे साजल
साजि लेल हाथी बहुत हो रामा
एते बरियाती दशरथ जी साजल
चलल जनकपुर धाम हो रामा
जखन ओ रामचन्द्र चलला जनकपुर
सखि सभ पढ़थिन गारि हो रामा
जखनहि रामचन्द्र पहुँचला द्वार पर
सखि सभ परिछन जाय हो रामा
कांचहि बाँस केर डाला बुनाओल
ताहि लेल सिनुर पिठार हो रामा
सब सखि देखै रामा आजन बाजन
सासु निरेखय जमाय हो रामा
देखइत सुन्दर वर छथि पातर
कनीएक छथि श्यामल हो रामा
सासु निहारथि मन बिधुआबथि
सीता हमर छथि गोर हो रामा
जखनहि रामचन्द्र वेदी लग बैसला
पुरहित वेद पढ़ाय हो रामा
सीया के संग मन हारि हो रामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
सीया के संग मन हारि हो रामा
राम रमत बगिया मे
वन उपवन सभ हरित भेल
हरित पल्लव दुनू डरिया हो रामा
राम रमत बगिया मे
बेलि-चमेली जूही फुलायल
कुंजनमे फूलय अड़हुलिया हो रामा
राम रमत बगिया मे
केओ सखि लोढ़य बेली चमेली
केओ सखि हार गंथाबे हो रामा
राम रमत बगिया मे
हार गांथिय सीया राम पहिराओल
सीताराम जिया हरसाबे हो रामा
राम रमत बगिया मे
पलंगा चढ़ैत डर लागय हो रामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
पलंगा चढ़ैत डर लागय हो रामा
पायल बाजय
धीरे-धीरे चढ़लहुँ पलंगपर
सूतल पिया नहि जागय हो रामा
पायल बाजय
नूपुर दाबि चलू सभ सखिया
तनिक भनक नहि लागय हो रामा
पायल बाजय
लाख जगाय पिया नहि जागय
बिरहा मोहि सताबय हो रामा
पायल बाजय
चढ़त चैत चित चंचल कि / चैतावर लोकगीत मैथिली
चढ़त चैत चित चंचल कि और चित चंचल हो
हो रे, कुसुम लेल पतझार श्याम नहि आयल हो
ककरा सँ चिठिया लिखाएब, ककरा पठायब हो
हो रे, के कहत मोनक बात, खबरिया हम जानब हो
कैथा सँ चिठिया लिखाएब, हजमा पठाएब हो
हो रे, हजमे कहत निजबात, खबरि हम जानब हो
चैत मास चुनरी छपा दैह हो रामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
चैत मास चुनरी छपा दैह हो रामा
चुनरी छपा दैह
चुनरी छपा दैह, चोलिया सिया दैह
बन्दे-बन्दे मोतिया लगा दैह हो रामा
चुनरी छपा दैह
चुनरी छपा दैह, पलंगा ओछा दैह
फूल छिड़िआय दैह कलिया हो रामा
चुनरी छपा दैह
आन दिन बोले कोइली भोरे भिनसरबा
आइ किए बोलय आधी रातिये हो रामा
चुनरी छपा दैह
कोइली सबद सुनि हिया मोर सालय
सूतल पिया के जगा दैह हो रामा
चुनरी छपा दैह
दशरथ तेजल परनमा हो रामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
दशरथ तेजल परनमा हो रामा
राम गेला बनमा
राम गेला वनमे लखन गेला संगमे
संगमे सिया सुकुमारि हो रामा
राम गेला बनमा
राम गेला बनमे अवध अन्हार भेल
रघुपति बिनु किछु ने रहल हो रामा
राम गेला बनमा
इहो अपजस माता कैकेइ लेलनि
प्राण हतब एहि छनमा हो रामा
राम गेला बनमा
तुलसीदास प्रभु तुम्हरे दरस के
राखू प्रभु अपन शरणमा हो रामा
राम गेला बनमा
मानय ने बात कहनमा हो रामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
मानै ने बात कहनमा हो रामा
तरूणी यौवनमा -2
तरुणी यौवनमा, तरुणी यौवनमा
तरुणी यौवनमा, तरुणी यौवनमा
मानै ने बात कहनमा, हो रामा
तरुणी यौवनमा
दिन दिन जोर जनाबय छतिया-2
मारत वाण बदनमा हो रामा
तरुणी यौवनमा -2
हम विरहिन विरहा के मातलि -2
पिया तेजि गेल मधुबनमा हो रामा
तरुणी यौवनमा -2
काटय दौरय हुन कैल बतिया -2
निश दिन घरी पल छिनमा हो रामा
तरूणी यौवनमा -2
चढ़ल चैत उत्पाती रामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
चढ़ल चैत उत्पाती रामा
थीर ने छाती
वृन्दावन केर कुंजगलिन मे
कलिया सजि धजि जात हो रामा
थीर ने छाती
हम विरहिनि विरह केर मातलि
हरि संग मिलैत ने लजाइ हो रामा
थीर ने छाती
हरिजी संग रंग नित चाहथि
पावन सुख सभ भांति हो रामा
थीर ने छाती
नीरस सरस सुअवसर सुन्दर
हर्ष राति सुखराती हो रामा
थीर ने छाती
चढ़ल चैत उत्पाती हो रामा
थीर ने छाती
चैत मास पिया भेल जोगिया हो रामा / चैतावर लोकगीत मैथिली
चैत मास पिया भेल जोगिया हो रामा
चैत मास पिया भेल जोगिया
जौं हम जनितौं पिया हएता जोगिया
बन्हितौंमे रेशमक डोरिया हो रामा
चैत मास पिया भेल जोगिया
रेशमक डोरिया टुटीय फाटि जयतइ
बान्हितौं मे अंचरा लगाय हो रामा
चैत मास पिया भेल जोगिया
जाहि बाटे जाइ एक रघुवंशी
तीर धनुष नेने हाथ हो रामा
चैत मास पिया भेल जोगिया
भनहि विद्यापति सुनू हे सहेली सभ
फेर घूमि अओताह राम हो रामा
चैत मास पिया भेल जोगिया
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