मृत्यु गीत मगही लोकगीत लिरिक्स Magahi Mrityu Geet Lokgeet Lyrics
नाया रे जोमन सइयाँ लवलन पनियाँ भेजल हो राम / मगही मृत्यु गीत
नाया रे जोमन सइयाँ लवलन पनियाँ भेजल हो राम।
सिर लेले सोनेे गेंडुरिया गेडुर सिर गागर हो राम॥1॥
देखलूँ हम कुइयाँ केरा रीत अलि घबड़ायल हो राम।
कुइयाँ पर भेलइ बड़ा भीर, घयली मोर टूटल हो राम।
का लेके होबइ हजूर बाँह मोर टूटल हो राम॥2॥
सास मोर सूतलइ कोठरिया, ननद कोठा ऊपर हो राम।
सामी मोरा सूतलन अगम घर, कइसे उनखा जगइती हो राम॥3॥
उठु-उठु ननदी अभागिन, भइया के जगावहु हो राम।
पाँच चोर घरवा में घूसल, परान के बचावहु हे राम॥4॥
नहिं उठइ ननदी अभागिन, भइया के जगावइ हो राम।
पाँचो चोर घरवा में घूसल, नहीं परान बाँचत हो राम॥5॥
सुखिया हइ संसार, सुखे रे नीन सोवइह हो राम।
दुखिया दास कबीर, हरि के नाम गावत हो राम॥6॥
पाँच नदिया रामा, एक बहइ धरवा रामा / मगही मृत्यु गीत
पाँच नदिया रामा, एक बहइ धरवा रामा।
ताहि बीच कमल रे फुलायल हो राम॥1॥
फूल लोढ़े गेली बारी सारी मोरा अटकल डारी।
गुरु बिनु केउ न छोड़ावेइ हो राम॥2॥
फुलवा लोढ़िय लोढ़ि, भरली चँगेरिया राम।
सतगुरु अयलन लियावन हो राम॥3॥
छोडु़ छोड़ु संघ के सथिया, आझ मोरे आँचरवा हो राम।
सतगुरु के सँघवा, अब हम जायब हो राम॥4॥
कहत कबीर दास, पद निरगुनियाँ राम।
संत लोग लेहु न, विचारियऽ हो राम॥5॥
संतन अयलन सम गहँकी, गुरु हाट लगवलन हे / मगही मृत्यु गीत
संतन अयलन समगहँकी गुरु हाट लगवलन हे।
भाव उठल पँचरँग के, सभे सौदागर हे।
हम बेपारी निरगुन नाम के, हाटे चले न हो भाइ॥1॥
सत सुकरीत हइ पलना, सम देल गल डंडी जी।
गेयान दसेरा बान्ह के पूरा करके रक्ख जी।
सौदा करे संतन चललन, आगे रोकइ जमराइ॥2॥
मोजरा माँग हइ नाम के हो, हम तो बनिजारा।
हम तो बेपारी निरगुन नाम के हो लाऊँ नाम के माला।
सतगुरु बसथिन सतलोक में हो, उनखर छबि देखहु भाइ॥3॥
देखि छबि जमवा कायल भेल हो, मथवा देलक नेवाय।
कहल कबीर पुकार के हो सुनहु संत समाज।
जे जे सौदा करे नाम के हो, ओहि पूँजी हो भाइ॥4॥
दस पाँच सखिया मिली, चलली बजरिया रामा / मगही मृत्यु गीत
दस पाँच सखिया मिली, चलली बजरिया रामा।
ओहि ठइयाँ टिकुली रे, भुलायल हो राम॥1॥
कहमा महँग भेलइ टिकुली सेनुरवा रामा।
कहमा महँग भेलइ, बालम हो राम॥2॥
लिलरे महँग भेलइ, टिकुली सेनुरवा रामा।
सेजिए महँग भेलइ, बालम हो राम॥3॥
कहमा जो पयबइ हम, टिकुली सेनुरवा रामा।
कहमा पयबइ अपन बालम हो राम॥4॥
बजरे में पयबइ हम, टिकुली सेनुरवा रामा।
ससुरे पयबइ अप्पन बालम हो राम॥5॥
के मोरा लाइ देतइ टिकुली सेनुरवा रामा।
करे मिलयतइ अप्पन बालम हो राम॥6॥
देओरा मोरा लाइ देतन टिकुली सेनुरवा रामा।
सतगुरु मिला देतन बालम हो राम॥7॥
कहत कबीर दास पद निरगुनियाँ हो रामा।
संत लोग लेहु न बिचारिय हो राम॥8॥
कउनी जलम देलन, फउनी करम लिखलन / मगही मृत्यु गीत
कउनी जलम देलन, फउनी करम लिखलन।
कउनी भइया अवलन लियामन हो राम॥1॥
रामजी जलम देलन, बरमा जी करम लिखलन।
अहे अहे सखिया, जम भइया, अवलन लियावन हो राम॥2॥
एस कोस गेली रामा, दुइ कोस गेली राम।
अहे अहे सखि हे, घुरि फिरि ताकी हक मंदिल हो राम॥3॥
येही तो मंदिलवा मोरा, बड़ी सुख मिलल हो।
सेहो मंदिलवा अगिया धधकइ हो राम॥4॥
माता पिता रोबे लगलन, जड़ीबूटी देवन लगलन।
अहे अहे सखी हे, फिन न मनुस चोला पायम हो राम॥5॥
अप्पन बलेमु जी के बुझा लेबइ हे सखिया / मगही मृत्यु गीत
अप्पन बलेमु जी के बुझा लेबइ हे सखिया।
अप्पन सइयाँ जी के समुझा लेबइ हे सखिया॥1॥
काहे के बाजुबन काहे के टिकुली हे।
काहे के नथिया झमकयबइ हे सखिया॥2॥
सोने के बाजुबन, रूपे के टिकुलिया हे।
परेम के नथिया झमकयबइ हे सखिया॥3॥
कथि के सेजिया कथि के रे झालर।
कथि के बेनिया डोलयबइ हे सखिया॥4॥
परेम के सेजिया, परेम के झालर।
परेम के बेनिया डोलयबइ हे सखिया॥5॥
सोने रूप सइयाँ मोरा परेम पियासल।
हम धनि परेम पियासी हे सखिया॥6॥
अध राति ले हम रँग रस बिलसली।
कउनी मोरा अँखिया झँपायल हे सखिया॥7॥
भारे उठि देखली सइयाँ मोरा भागल।
सइयाँ के कहाँ जाइ खोजूँ हे सखिया॥8॥
रने बने खोजलूँ राहे बाटे घुमलूँ।
कउन सइयाँ के बतावे हे सखिया॥9॥
बटिया में मिललन सतगुरु हमरा।
ओहि सइयाँ से मिलवलन हे सखिया॥10॥
कहमा रे हँसा आवल, कहमा समाएल हो राम / मगही मृत्यु गीत
कहमा रे हँसा आवल कहमा समाएल हो राम।
कउन गढ़ कयलक मोकाम कहाँ रे लौटि जायत हो राम॥1॥
निरगुन से हंसा आवल, सगुना समायल हो राम।
बिसरी गयल हरिनाम, माया में लपटायल हो राम॥2॥
नया रे गवनमा के आवल, पनियाँ के भेजल हो राम।
देखल कुइयाँ के रीत, से जिया घबड़ायल हो राम॥3॥
डोलवो न डोलहइ इनरवा रसरिया त छूटल हो राम।
देखल कुइयाँ के रीत, हिरा मोरा काँपे हो राम॥4॥
सास ननद मोरा बयरिन गगरी फूटल हो राम।
का लेके होयबइ हजूर से आजु नेह टूटल हो राम॥5॥
सास मोरा सुतल अटरिया, ननद कोठा ऊपर हो राम।
सामी मोरा सुतलन अगमपुर, कइसे के जगायब हो राम॥6॥
लटवा धुनिए धुनि माता रोवइ।
पटिया लगल बहिनी हो राम।
बहियाँ पंकड़ि मइया रोवइ, से आज नेह टूटल हो राम॥7॥
चारि जना खाट उठावल, मुरघट पहुँचावल हो राम।
जँगला से लकड़ी मँगावल, काया के छिपावल हो राम॥8॥
फिन नहीं अयबइ इ नगरिया।
मनुस चोला न पायम हो राम॥9॥
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