गोपालदास नीरज फिल्मी गीत लिरिक्स / Gopal Das Neeraj Lyrics (Movie)
शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब / गोपालदास "नीरज"
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब
होगा यूँ नशा जो तैयार
हाँ...
होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब,
होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
हँसता हुआ बचपन वो, बहका हुआ मौसम है
छेड़ो तो इक शोला है, छूलो तो बस शबनम है
हँसता हुआ बचपन वो, बहका हुआ मौसम है
छेड़ो तो इक शोला है, छूलो तो बस शबनम है
गाओं में, मेले में, राह में, अकेले में
आता जो याद बार बार वो, प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब
अरे, होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
रंग में पिघले सोना, अंग से यूँ रस झलके
जैसे बजे धुन कोई, रात में हलके हलके
रंग में पिघले सोना, अंग से यूँ रस झलके
जैसे बजे धुन कोई, रात में हल्के हल्के
धूप में, छाओं में, झूमती हवाओं में
हर दम करे जो इन्तज़ार वो, प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब
ओ... होगा यूँ नशा जो तैयार
वो प्यार है
याद अगर वो आये
याद अगर वो आये, कैसे कटे तनहाई
सूने शहर में जैसे, बजने लगे शहनाई
याद अगर वो आये, कैसे कटे तनहाई
सूने शहर में जैसे, बजने लगे शहनाई
आना हो, जाना हो, कैसा भी ज़माना हो
उतरे कभी ना जो खुमार वो, प्यार है
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब
अरे, होगा यूँ नशा जो तैयार
वो प्यार है
वो हम न थे, वो तुम न थे / गोपालदास "नीरज"
वो हम न थे, वो तुम न थे, वो रहगुज़र थी प्यार की
लुटी जहाँ पे बेवजह, पालकी बहार की
ये खेल था नसीब का, न हँस सके, न रो सके
न तूर पर पहुँच सके, न दार पर ही सो सके *
कहानी किससे ये कहें, चढ़ाव की, उतार की
लुटी जहाँ पे बेवजह, पालकी बहार की
वो हम न थे, वो तुम न थे…
तुम्हीं थे मेरे रहनुमा, तुम्हीं थे मेरे हमसफ़र
तुम्हीं थे मेरी रौशनी, तुम्हीं ने मुझको दी नज़र
बिना तुम्हारे ज़िन्दगी, शमा है एक मज़ार की
लुटी जहाँ पे बेवजह, पालकी बहार की
वो हम न थे, वो तुम न थे…
ये कौन सा मुक़ाम है, फलक नहीं, ज़मीं नहीं
कि शब नहीं, सहर नहीं, कि ग़म नहीं, ख़ुशी नहीं
कहाँ ये लेके आ गयी, हवा तेरे दयार की
लुटी जहाँ पे बेवजह, पालकी बहार की
वो हम न थे, वो तुम न थे…
गुज़र रही है तुम पे क्या, बना के हमको दरबदर
ये सोच कर उदास हूँ, ये सोच कर हैं चश्म तर
न चोट है ये फूल की, न है ख़लिश ये ख़ार की
लुटी जहाँ पे बेवजह, पालकी बहार की
वो हम न थे, वो तुम न थे…
तूर = सीरिया का पवित्र पर्वत, जहाँ मूसा को दैवी प्रकाश दिखाई दिया था
दार = सूली, फाँसी
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से / गोपालदास "नीरज"
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।
नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई
पात-पात झर गए कि शाख़-शाख़ जल गई
चाह तो निकल सकी न पर उमर निकल गई
गीत अश्क बन गए छंद हो दफन गए
साथ के सभी दिऐ धुआँ पहन पहन गए
और हम झुके-झुके मोड़ पर रुके-रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।
क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा
क्या जमाल था कि देख आइना मचल उठा
इस तरफ़ जमीन और आसमाँ उधर उठा
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा
एक दिन मगर यहाँ ऐसी कुछ हवा चली
लुट गई कली-कली कि घुट गई गली-गली
और हम लुटे-लुटे वक्त से पिटे-पिटे
साँस की शराब का खुमार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।
हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ
होठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ
हो सका न कुछ मगर शाम बन गई सहर
वह उठी लहर कि ढह गये किले बिखर-बिखर
और हम डरे-डरे नीर नैन में भरे
ओढ़कर कफ़न पड़े मज़ार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।
माँग भर चली कि एक जब नई-नई किरन
ढोलकें धुमुक उठीं ठुमक उठे चरन-चरन
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन चली दुल्हन
गाँव सब उमड़ पड़ा बहक उठे नयन-नयन
पर तभी ज़हर भरी गाज़ एक वह गिरी
पुँछ गया सिंदूर तार-तार हुई चूनरी
और हम अजान से दूर के मकान से
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।
आज मदहोश हुआ जाए रे / गोपालदास "नीरज"
आज मदहोश हुआ जाए रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन
बिना ही बात मुस्कुराये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
ओ री कली , सजा तू डोली
ओ री लहर , पहना तू पायल
ओ री नदी , दिखा तू दर्पण
ओ री किरण ओढा तू आँचल
इक जोगन हैं बनी आज दुल्हन
आओ उड़ जाए कही बन के पवन
आज मदहोश हुआ जाए रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
शरारत करने को ललचाये रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन
ये, यहाँ हमे ज़माना देखे , आओ चलो कही छुप जाए
भीगा भीगा नशीला दिन है , कैसे कहो प्यासे रह पाये
तू मेरी मैं हू तेरा , तेरी कसम
मैं तेरी तू हैं मेरा , मेरी कसम
आज मदहोश हुआ जाए रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
शरारत करने को ललचाये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
रोम रोम बहे सुर धारा , अंग अंग बजे शहनाई
जीवन सारा मिला एक पल मी , जाने कैसी घड़ी ये आयी
छू लिया आज मैंने सारा गगन
नाचे मन आज मोरा छूम छनन
आज मदहोश हुआ जाए रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
शरारत करने को ललचाये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
दिल आज शायर है / गोपालदास "नीरज"
दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा है
शब ये ग़ज़ल है सनम
गैरों के शेरों को ओ सुनने वाले
हो इस तरफ़ भी करम
आके ज़रा देख तो तेरी खातिर
हम किस तरह से जिये
आँसू के धागे से सीते रहे हम
जो ज़ख्म तूने दिये
चाहत की महफ़िल में ग़म तेरा लेकर
क़िस्मत से खेला जुआ
दुनिया से जीते पर तुझसे हारे
यूँ खेल अपना हुआ...
ये प्यार हमने किया जिस तरह से
उसका न कोई जवाब
ज़र्रा थे लेकिन तेरी लौ में जलकर
हम बन गए आफ़ताब
हमसे है ज़िंदा वफ़ा और हम ही से
है तेरी महफ़िल जवाँ
जब हम न होंगे तो रो रोके दुनिया
ढूँढेगी मेरे निशां...
ये प्यार कोई खिलौना नहीं है
हर कोई ले जो खरीद
मेरी तरह ज़िंदगी भर तड़प लो
फिर आना इसके करीब
हम तो मुसाफ़िर हैं कोई सफ़र हो
हम तो गुज़र जाएंगे ही
लेकिन लगाया है जो दांव हमने
वो जीत कर आएंगे ही...
ऐ भाई! जरा देख के चलो / गोपालदास "नीरज"
ऐ भाई! जरा देख के चलो, आगे ही नहीं पीछे भी
दायें ही नहीं बायें भी, ऊपर ही नहीं नीचे भी
ऐ भाई!
तू जहाँ आया है वो तेरा- घर नहीं, गाँव नहीं
गली नहीं, कूचा नहीं, रस्ता नहीं, बस्ती नहीं
दुनिया है, और प्यारे, दुनिया यह एक सरकस है
और इस सरकस में- बड़े को भी, चोटे को भी
खरे को भी, खोटे को भी, मोटे को भी, पतले को भी
नीचे से ऊपर को, ऊपर से नीचे को
बराबर आना-जाना पड़ता है
और रिंग मास्टर के कोड़े पर- कोड़ा जो भूख है
कोड़ा जो पैसा है, कोड़ा जो क़िस्मत है
तरह-तरह नाच कर दिखाना यहाँ पड़ता है
बार-बार रोना और गाना यहाँ पड़ता है
हीरो से जोकर बन जाना पड़ता है
गिरने से डरता है क्यों, मरने से डरता है क्यों
ठोकर तू जब न खाएगा, पास किसी ग़म को न जब तक बुलाएगा
ज़िंदगी है चीज़ क्या नहीं जान पायेगा
रोता हुआ आया है चला जाएगा
कैसा है करिश्मा, कैसा खिलवाड़ है
जानवर आदमी से ज़्यादा वफ़ादार है
खाता है कोड़ा भी रहता है भूखा भी
फिर भी वो मालिक पर करता नहीं वार है
और इन्साण यह- माल जिस का खाता है
प्यार जिस से पाता है, गीत जिस के गाता है
उसी के ही सीने में भोकता कटार है
हाँ बाबू, यह सरकस है शो तीन घंटे का
पहला घंटा बचपन है, दूसरा जवानी है
तीसरा बुढ़ापा है
और उसके बाद- माँ नहीं, बाप नहीं
बेटा नहीं, बेटी नहीं, तू नहीं,
मैं नहीं, कुछ भी नहीं रहता है
रहता है जो कुछ वो- ख़ाली-ख़ाली कुर्सियाँ हैं
ख़ाली-ख़ाली ताम्बू है, ख़ाली-ख़ाली घेरा है
बिना चिड़िया का बसेरा है, न तेरा है, न मेरा है
खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास "नीरज"
खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने को
मिलते हैं दिल यहाँ, मिलके बिछड़ने को
खिलते हैं गुल यहाँ...
कल रहे ना रहे, मौसम ये प्यार का
कल रुके न रुके, डोला बहार का
चार पल मिले जो आज, प्यार में गुज़ार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...
झीलों के होंठों पर, मेघों का राग है
फूलों के सीने में, ठंडी ठंडी आग है
दिल के आइने में तू, ये समा उतार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...
प्यासा है दिल सनम, प्यासी ये रात है
होंठों मे दबी दबी, कोई मीठी बात है
इन लम्हों पे आज तू, हर खुशी निसार दे
खिलते हैं गुल यहाँ ...
मेघा छाए आधी रात / गोपालदास "नीरज"
मेघा छाए आधी रात, बैरन बन गई निंदिया
बता दे मैं क्या करूँ
मेघा छाए आधी रात, बैरन बन गई निंदिया
सब के आंगन दिया जले रे, मोरे आंगन जिया
हवा लागे शूल जैसी, ताना मारे चुनरिया
कैसे कहूँ मैं मन की बात, बैरन बन गयीं निंदिया
बता दे मैं क्या करूँ
मेघा छाए आधी रात, बैरन बन गई निंदिया
टूट गये रे सपने सारे, छूट गयी रे आशा
नैन बहे रे गंगा मोरे, फिर भी मन है प्यासा
आई है आँसू की बारात, बैरन बन गयी निंदिया
बता दे मैं क्या करूँ
मेघा छाए आधी रात, बैरन बन गई निंदिया
जीवन की बगिया महकेगी / गोपालदास "नीरज"
जीवन की बगिया महकेगी, लहकेगी, चहकेगी
खुशियों की कलियाँ झूमेंगी, झूलेंगी, फूलेंगी
जीवन की बगिया...
वो मेरा होगा, वो सपना तेरा होगा
मिलजुल के माँगा, वो तेरा मेरा होगा
जब जब वो मुस्कुराएगा, अपना सवेरा होगा...
थोड़ा हमारा थोड़ा तुम्हारा,
आयेगा फिर से बचपन हमारा
जीवन की बगिया...
हम और बंधेंगे, हम तुम कुछ और बंधेंगे
होगा कोई बीच, तो हम तुम और बंधेंगे
बांधेगा धागा कच्चा, हम तुम तब और बंधेंगे...
थोड़ा हमारा थोड़ा तुम्हारा
आयेगा फिर से बचपन हमारा
जीवन की बगिया...
मेरा राजदुलारा, वो जीवन प्राण हमारा
फूलेगा एक फूल, खिलेगा प्यार हमारा
दिन का वो सूरज होगा, रातों का चांद सितारा...
थोड़ा हमारा थोड़ा तुम्हारा
आयेगा फिर से बचपन हमारा
जीवन की बगिया...
लिखे जो खत तुझे / गोपालदास "नीरज"
लिखे जो ख़त तुझे
वो तेरी याद में
हज़ारों रंग के
नज़ारे बन गए
सवेरा जब हुआ
तो फूल बन गए
जो रात आई तो
सितारे बन गए
कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने के तू आई
कहीं चटकी कली कोई, मैं ये समझा तू शरमाई
कोई ख़ुशबू कहीं बिख़री, लगा ये ज़ुल्फ़ लहराई
फ़िज़ा रंगीं अदा रंगीं, ये इठलाना ये शरमाना
ये अंगड़ाई ये तनहाई, ये तरसा कर चले जाना
बना दे ना कहीं मुझको, जवां जादू ये दीवाना
जहाँ तू है वहाँ मैं हूँ, मेरे दिल की तू धड़कन है
मुसाफ़िर मैं तू मंज़िल है, मैं प्यासा हूँ तू सावन है
मेरी दुनिया ये नज़रें हैं, मेरी जन्नत ये दामन है
फ़ूलों के रंग से / गोपालदास "नीरज"
फूलो के रंग से, दिल की कलम से तुझको लिखी रोज पाती. .
कैसे बताऊँ किस-किस तरह से पल-पल मुझे तू सताती. .
तेरे ही सपने ले कर के सोया. . तेरी ही यादो मे जागा.
तेरे खयालो मे उलझा रहा यूं जैसे कि माला मे धागा. .
बादल बिजली चंदन पानी जैसा अपना प्यार. .
लेना होगा, जनम हमे कई-कई बार. .
इतना मदिर इतना मधुर तेरा-मेरा प्यार. .
लेना होगा जनम हमे कई-कई बार. .
साँसो की सरगम. . धड़कन की वीणा. . सपनों की गीतांजली तुम
मन की गली मे महके जो हरदम ऐसी जूही की कली तुम. .
छोटा सफर हो . . लम्बा सफर हो सूनी डगर हो या मेला. .
याद तू आये मन हो जाये भीड़ के बीच अकेला. .
बादल बिजली चंदन पानी जैसा अपना प्यार. .
पूरब हो. . पश्चिम उत्तर हो दक्खिन तू हर जगह मुस्कुराये. .
जितना ही जाऊँ मैं दूर तुझसे
उतनी ही तू पास आये. .
आंधी ने रोका पानी ने टोका दुनिया ने हँसकर पुकारा
तस्वीर तेरी लेकिन लिये मैं कर आया सबसे किनारा. .
हाँ बादल बिजली चंदन पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमे कई-कई बार. .
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