आजु चतुर्थीक शुभ अवसर थिक / मैथिली लोकगीत
आजु चतुर्थीक शुभ अवसर थिक
गौरी दाइ चमकै छथि कोना
चमकि - चमकि जे काज करै छथि
बाजै छनि गहना
गौरी दाइ चमकै छथि कोना
लाल नूआ जे पहिरन छनि
ताहि लागल फुदना
गौरी दाइ चमकै छथि कोना
कारा पहिरथि, छारा पहिरथि, ताहि लागल घुँघरू
छमकि-छमकि गौरी टहल करै छथि, झमकै छनि गहना
गौरी दाइ चमकै छथि कोना
प्राणनाथ पलंगे पर बैसल, मोहर देल मुँह बजना
तोड़ि-तोड़ि मोहर के फेकल, करय लागलि बहन्ना
गौरी दाइ चमकै छथि कोना
आजु सुमंगल दिन, गौरी दाइ चमकै छथि कोना
चलू सखि पुरय हकार हे / मैथिली लोकगीत
चलू सखि पूरय हकार हे, जनक जी के अंगना
होइ छनि चतुर्थी आजु हे, जनक जी के अंगना
हीरा जड़ाओल पालो राखल, ताहि पर सिया सुकुमारि हे
जनक जी के अंगना
सखि सभ मंगल गाओल, कलश भरि जल देल ढ़ारि हे
जनक जी के अंगना
मुसुकि-मुसुकि राम नहाथि, कि सखि सभ पढ़थि गारि हे
जनक जी के अंगना
पहिरि-ओढ़िय दुलहा अंगनामे ठाढ़, कि सासु के करथि प्रणाम
जनक जी के अंगना
आजु चतुर्थी करू हर / मैथिली लोकगीत
आजु चतुर्थी करू हर, भेल भिनसर हे
विधकरी सेज उठाबथि, नीपल कोबर घर हे
पालो-पानि अनाओल, बीघ कराओल हे
राखल मधु-खाँड़ लगाय, कि हजमा नहायल हे
पंडित आबि पढ़ाओल, चतुर्थी कराओल हे
सखि दस मंगल गाओल, गाबि सनाओल हे
गौरी के बढ़नु अहिबात, सुन्दर बर पाओल हे
आजु चतुर्थी करू हर, भेल निसार / मैथिली लोकगीत
आजु चतुर्थी करू हर, भेल निसार
माइ हे, विधिक सेज उठाय निपाबिय कोबर
पालो युवती बैसाओल, हर नहबाओल
माइ हे, बर-कन्या समतूल कि कंगन फोलाओल
गौरीक फोलल पसाहनि, हर शुलपानि
माइ हे, आंगुर धयल सुकुमारि चलल हर कोबर
भार भरल अछि सिन्दूर भरि कंगुर
माइ हे, फेर होयत सिन्दुरदान कि शुभ-शुभ भाखिय
दूधहि चरण पखारल, जल ढ़ारल
माइ हे, ब्रह्मा आगि पजारल, शंकर घृत ढ़ारल
भनहि विद्यापति गाओल, फल पाओन
माइ हे, गौरीक ई बड़ भाग मिलल बर शंकर
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