चलू सखि हे सहेलिया / मैथिली छौमासा लोकगीत
चलू सखि हे सहेलिया, बिषम लागे
आइ अषाढ़ मास हे सखिया, चहु दिस बुन्द बरसे दिन रतिया
विषम लागे
साओन के दुखदाओन रतिया, कुबजी हरकनि हुनको मतिया
विषम लागे
भादव के निशि राति अन्हरिया, सपनो मे देखल हुनकर सुरतिया
विषम लागे
आसिन आस लगाओल सखिया, नहि आयल पिया निरमोहिया
विषम लागे
कातिक कंत उरन्त भेल सखिया, सिन्दूर-काजर ने शोभय सुरतिया
विषम लागे
अगहन अग्र सोहावन सखिया, सारिल धान कटायब कहिया
विषम लागे
एहन समैया जल उमड़ल नदिया / मैथिली छौमासा लोकगीत
एहन समैया जल उमड़ल नदिया, कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
रीतु प्रीतु जब मास अखाढ़, कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
बारी बयस मोरा जब बीतल, कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
साओन ऊधो सर्वसोहाओन, फुलि गेल बेली चमेली
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
ओहि फुलवा के हार गथायब, किनका गले पहिरायब
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
भादव ऊधो रैनि भयाओन, चहुँदिस उमड़ल बाढ़ि
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
लौका लौकै बिजुरी चमकै से देखि जियरा डेराइ
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
आसिन ऊधो आस लगाओल आसो ने पूरल हमार
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
आसो जे पुरितै, कुबजी सौतिनियां मोर कन्त राखल लोभाइ
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
कातिक ऊधो पर्व लगतु हैं, सब सखि गंगा नहाय
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
सब सखि पहिरै पीअर पीताम्बर, हमरो दैव दुख देल
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
अगहन ऊधो सारिल लिबि गेल, लिबि गेल सब रंग सीस
कन्हैया नहि आयल हे ऊधो
प्रथम तोहर सुनिय सोहर / मैथिली छौमासा लोकगीत
प्रथम तोहर सुनिय सोहर, सुखक मास अखाढ़ यो
बारी वयस प्रीतम विदेश, हमर कोन अपराध यो
साओन हे सखि सर्व सोहाओन, फूलल बेली चमेलि यो
ताहि फुल देखि भमरा लुबधल, करय मधुर झंकार यो
भादव हे सखि रैनि भयाओन, दोसर राति अन्हार यो
लौका जे लौकै, बिजुरि चमकै, ककरा असरा हेबै ठाढ़ यो
आसिन हे सखि आस लागल, आसो नू पूरल हमार यो
आसो जे पुरितै, कुबरी सौतिनियां मोर कन्त राखल लोभाय यो
कातिक हे सखि पर्व लगै छै, सब सखि गंगा स्नान यो
सब सखि पहिरय पीअर पीताम्बर, हमरो दैव दुख देल यो
अगहन हे सखि सारिल लिबि गेल, लीबि गेल सब रंग सीस यो
ताहि सारिल देखि चिड़ै लुबुधल, सैह देखि हिय मोर साल यो
आएल अखाढ़ इहो सुख भेल / मैथिली छौमासा लोकगीत
आएल अखाढ़ इहो सुख भेल
अमुआँ सऽ जमुआँ कटहर पाकि गेल, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
साओन बेली फुलय भकरार
देखि देखि नयना बहय जलधार, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
भादव के निसि राति अन्हार
पिया बिनु धर्म नहि बांचत हमार, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
आसिन मन में छल बिसवास
औता गोकुल सऽ पूरत अभिलास, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
कातिक पिया भेल कठोर
पछिला प्रीत बिसरि देल मोर, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
अगहन सारिल लिबि गेल धान
सबहक श्याम बसै छथि धाम, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
पूस हे सखि पड़ि गेल फुहार / मैथिली छौमासा लोकगीत
पूस हे सखि पड़ि गेल फुहार, भीजि गेल आँचर चीर यो
सगरि रैनि हम बैसि गमाओल, होयत कखन भोर यो
माघ हे सखि जाड़ लगै छै, पिया बिनु जाड़ो ने जाय हो
एहि अवसर मे पिया के पबितहुँ, सतितहुँ हृदय लगाय यो
फागुन हे सखि फगुआ लगै छै, उड़त अबीर गुलाल यो
रंग अतर घोरि कऽ ढ़ारितहुँ, जँ गृह रहितथि नन्दलाल यो
चैत हे सखि फूलल बेली, भ्रमर लेल निज बास यो
सब सखि पहिरय पीअर पीताम्बर, हम धनी गुदरी पुरान यो
बैसाख हे सखि उखम ज्वाला, घामे भीजय शरीर यो
एहि अवसर मे पिया के पबितौं, अँचरे सऽ बेनियां डोलाय यो
जेठ हे सखि बाँस कटबितौं, रचि-रचि बंगला छराय यो
ओहि बंगला मे दुनू मिलि सुतितौं, पुरति छबो मास यो
चैत आहो रामा चित भेल चंचल / मैथिली छौमासा लोकगीत
चैत आहो रामा चित भेल चंचल
बितल मास बैसाख यो
रगड़ि चन्दन अंग लेपितहुँ
रहितहुँ प्रभुजी के साथ यो
जेठ पहु नहि हेठ अयला
करब कओन उपाय यो
कोन गुण ओझरयला प्रभु जी
के कहत निज बात यो
अखाढ़ आहो रामा बुन्द बरिसय
सभ सखि सांठल धान यो
साओन सिन्दुर काजर शोभय
भादब राति अन्हार यो
कोन गुण ओझरयला प्रभु जी
करब कओन उपाय यो
हो भगवान, कोन कसुर विधना भेल बाम / मैथिली छौमासा लोकगीत
हो भगवान, कोन कसुर विधना भेल बाम
मोहन तेजि गेला
अखाढ़हि मास इहो दुख भेल
आमुन - जामुन - कटहर पाकि गेल
कहब दुख ककरा
साओन बेलि फुलय कचनार
ककरा लय गांथब सुन्दर हार
ककरा पहिरायब
भादव रैनि भयाओन राति
ककरा शरण धय होयब ठाढ़
कि झहरय नीर
आसिन मास छल बिसबास
अओताह यदुपति पूरत आस
कहब दुख हुनके
कार्तिक कन्त गेलाह बिदेस
हमहुँ मरब जहर - बिख खाय
जमुना-जल धसि कय
अगहन खेते-खेते उपजल धान
रहितथि अवधपति, लबितथि धान
कि करितहुँ मे खीरे
करितौं लबान, बिनुपिया अगहन बिषम समान
कि झहरय नीरे
प्रथम तोहर सुनिय सोहर, प्रथम मास अखाढ़ यो / मैथिली छौमासा लोकगीत
प्रथम तोहर सुनिय सोहर, प्रथम मास अखाढ़ यो
हमरो बालम ओतहि गमाओल, कोना खेपब छबो मास यो
साओन आहो रामा सर्व सोहाओन, फूलल बेलि-चमेलि यो
ओहि फूल देखि भमरा लुबुधल, करय मधुर संग खेलि यो
भादव आहो रामा रैनि भयाओन, दोसर राति अन्हार यो
ओहि जल बिच दादुर कुहुके, कुहुकि-कुहुकि हिया साल यो
आसिन आहो रामा आस लगाओल, आसो ने पुरल हमार यो
आसो जे पुरलै, कुबजी सौतिनियाँ, मोर कंत राखल लोभाय यो
कातिक आहो रामा कन्त उरन्त भेल, प्रेमनाथ बताह यो
ककरा संगे हम कातिक खेपब, के कहत निज बात यो
अगहन आहो रामा, सारिल लुबुधि गेल, लबि गेलै सब रंग धान यो
चिड़ै-चिनमुन सब सुखहिं खेपहिं, हम धनि विरह बताहि यो
No comments:
Post a Comment