काँच कली पहु तोड़थि सजनी गे / मैथिली लोकगीत
काँच कली पहु तोड़थि सजनी गे
लए कोरा बैसाय सजनी गे
अधर सुरा सम पीबथि सजनी गे
यौबन देखि लोभाय सजनी गे
लए भुजपास बान्हि सुनू सजनी गे
जखन करथि बरजोरि सजनी गे
तखनुक गति की कहिय सजनी गे
पहु भेल कठिन कठोर सजनी गे
नहि नहि जौं हम भाखिय सजनी गे
तौं राखय मन रोख सजनी गे
कि कहू पहु परदेश गेल सजनी गे / मैथिली लोकगीत बटगबनी
कि कहू पहु परदेश गेल सजनी गे
आहे सखि किछु ने सोहाय सजनी गे
फूल केश नीर बहु सजनी गे
काजर गेल दहाय सजनी गे
कंगन बसन भार भेल सजनी गे
यौवन भेल उतफाल सजनी गे
आंगन मोरा लेखे बिजुबन सजनी गे
घर भेल दिवस अन्हार सजनी गे
जौं प्रीतम नहि आओत सजनी गे
मरब जहर-बिख खाय सजनी गे
सूतलि छलहुँ हम एकसरि सजनी गे / मैथिली लोकगीत बटगबनी
सूतलि छलहुँ हम एकसरि सजनी गे
निन्दमे उठल चेहाय सजनी गे
सपनामे देखल पहु आयल सजनी गे
तखने टुटल मोर निन्द सजनी गे
देखल कहाँ पहु मोर सजनी गे
ककरा कहब बुझाइ सजनी गे
के कहत मोर दिल के बतिया
के मोहि करत दुलार सजनी गे
हमर अभाग केहन थिक सजनी गे
हुनकहि किए देब दोख सजनी गे
भनहि विद्यापति सुनू सजनी गे
स्वप्नक नहि बिसबास सजनी गे
कमल-कली कोना तेजल सजनी गे / मैथिली लोकगीत बटगबनी
कमल-कली कोना तेजल सजनी गे
पहु छथि देशक दूर सजनी गे
राखल पान सुबासल सजनी गे
अपनहि लेल पहु कोर सजनी गे
ठाढ़ि छलहुँ हम कदम तर सजनी गे
तरु दूसल मोर मूह सजनी गे
नयनक काजर स्याही भेल सजनी गे
अपनहि हाथ सऽ लिखब सजनी गे
चारू कात लीखब कुशल सजनी गे
बीचमे अपन वियोग सजनी गे
तरुणी बयस मोर बीतल सजनी गे / मैथिली लोकगीत बटगबनी
तरुणी बयस मोर बीतल सजनी गे
पहु बिसरल मोर नाम
कुसुम फुलिय, फुल मौलल सजनी गे
भ्रमरो ने लय विश्राम
सिर सिन्दूर नहि भाबय सजनी गे
मुरूछि खसय एहि ठाम
उठइत परम बेयाकुल सजनी गे
दैव किए भेल बाम
कोकिल कुहुकि सुनाओल सजनी गे
नयन ढरकि खसु वारि
अधरस ओतय गमाओल सजनी गे
दय गेल सौतिन गारि
युगल नयन मन व्याकुल सजनी गे
थिर नहि रहय गेयान
विद्यापति कवि गाओल सजनी गे
ई थिक दुखक निदान
अवधि मास छल भादव सजनी गे / मैथिली लोकगीत बटगबनी
अवधि मास छल भादव सजनी गे
निज कय गेला बुझाय
से दिन आबि तुलायल सजनी गे
धैरज धयल ने जाय
अति आकुल भेलि पहु बिनु सजनी गे
सुन्दरि अति सुकुमारि
अकछि हिया पथ हेरथि सजनी गे
अजहु ने आयल मुरारि
खन-खन मदन दहो दिस सजनी गे
विरह उठय तन जागि
से दुख काहि बुझायब सजनी गे
बैसब ककर लग जागि
हरि गुण सुमिरि विकल भेल सजनी गे
के बूझत दुख मोर
विद्यापति कवि गाओल सजनी गे
अयला नन्द किशोर
प्रथमहि गेल धनि प्रीतम पास सजनी गे / मैथिली लोकगीत बटगबनी
प्रथमहि गेल धनि प्रीतम पास सजनी गे
हिरदय अधिक भेल लाज सजनी गे
ठाढ़ि भेलि अंगो ने डोलय सजनी गे
मुरती सन मुखहु ने बोल सजनी गे
कर दुहु धाय पहु बैसाय सजनी गे
रूसि रहल धनि मदन जगाय सजनी गे
भनहि विद्यापति सब जन जानय
पुरुषक नहि किछु आस सजनी गे
चन्द्रवदनि नवकामिनि सजनी गे / मैथिली लोकगीत बटगबनी
चन्द्रवदनि नवकामिनि सजनी गे
यामिनि अति अन्हियारि सजनी गे
सखि संग केलिगृह सजनी गे
कर पंकज दीप बारि सजनी गे
पवन झकोर जोर बहु सजनी गे
तैँ धरू आँचर झाँपि सजनी गे
देखि उर अति सुन्दर सजनी गे
दीप राशि उठू काँपि सजनी गे
जाइत दखल पथ नागरि सजनी गे
आगरि सुबुधि सेआनि सजनी गे
कनकलता सन सुन्नरि सजनी गे
विधि निरमाओल आनि सजनी गे
गजगामिनि जकाँ चलइत सजनी गे
देखइत राजकुमारि सजनी गे
जनिका एहन सोहागिन सजनी गे
पाओल पथ चारि सजनी गे
नील वसन सन घेरल सजनी गे
सिर लैत चिकुर सम्हारि सजनी गे
भ्रमर लोभित रस पीबय सजनी गे
बैसल पाँखि समारि सजनी गे
बहिना कोना कऽ कटबै साओन राति अन्हरिया / मैथिली लोकगीत बटगबनी
बहिना कोना कऽ कटबै साओन राति अन्हरिया
पिया छै नोकरिया ना
एक तऽ राति अन्हारि, सूझय आ ने दुआरि
बहिना कोना कऽ सुतबै पिया के पलंगिया
पिया छै नोकरिया ना
सखी सब झुमि-झुमि गाबय गीत, दूर हम्मर मोनक मीत
बहिना बीतल जाई छै काँच उमेरिया
पिया छै नोकरिया ना
जखन गगन घन गरजत सजनी गे / मैथिली लोकगीत बटगबनी
जखन गगन घन गरजत सजनी गे
सुनि हहरत जीव मोर सजनी गे
प्राणनाथ परदेश गेल सजनी गे
चित भेल चान चकोर सजनी गे
एकसरि भवन हम कामिनि सजनी गे
दामिनी लेल जीव मोर सजनी गे
दामिनी उमकि डेराओल सजनी गे
आब ने बँचत जीव मोर सजनी गे
झिंगुर झमकत चहुँ ओर सजनी गे
कुहुकत कोयल मोर सजनी गे
से सुनि जिय घबड़ायल सजनी गे
यौवन कयलक घोर सजनी गे
भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे
मन जुनि करिय उदास सजनी गे
सभसँ पैघ धैरज थिक सजनी गे
भ्रमर आओत तोर पास सजनी गे
पिअबा जे कहि गेल जेठ मास आयब, / मैथिली लोकगीत बटगबनी
पिअबा जे कहि गेल जेठ मास आयब,
बीति गेल मास अखाढ़ सखि
बाट रे बटोहिया कि तोंही मोर भइया,
हमरो समाद नेने जाउ सखि
हमरो समदिया भइया पिया जी केँ कहि देब
धनी भेल अलप बएस सखि
बाट रे बटोहिया कि तोहीं मोर साला,
हमरो समाद नेने जाउ सखि
हमरो समाद साला धनी जी के कहि देब
छतबा देत एक भेजि सखि
घर पछुअरबामे डोमा एक भइया,
छतबा दैह एक बूनि सखि
नहि मोरा छैक सुन्दरि बाँस-बसुलिया,
नहि मोरा बुनहुक लूरि सखि
घोड़बा चढ़ल अबथिन एक रे मोसाफिर,
एक लोटा पानि पिआउ सखि
नहि मोरा छैक रेशमक डोरिया,
नहि मोरा भरहुक लूरि सखि
केये देलकह आहे गोरी नीले रंग सरिया,
केये देलकह चोली बूटेदार सखि
बाबा देलकै आहो मोसाफिर नीले रंग सरिया
भइया देलकै चोली बूटेदार सखि
हमरो पुदारि किए करै छी मोसाफिर,
हमरहु भेल बिआह सखि
हमरो बालमु जी केँ मुठी एक डांर छनि
जइसे चलय अंगरेज सखि
लउका जे लउकइ रामा बिजुरी जे छिटकइ / मैथिली लोकगीत बटगबनी
लउका जे लउकइ रामा बिजुरी जे छिटकइ
कौने वन कुहुकय मयूर यो
घर पछुअरबा मे हजमा रे भइया,
झट-झट चिठिया पहुँचायब यो
जाहि ठाम देखिह नउआ ससुर भैंसुरबा,
ताहि ठाम चिठिया छपायब यो
जाहि ठाम हेतइ नउआ एसगर बलमुआं,
ताहि ठाम चिठिया खसायब यो
चिठिया पढ़इते बालमु जियरा सुखाय गेल,
कते धनी लिखल वियोग यो
लीअ-लीअ आहे राजा अपनो नोकरिया,
हम जाइ छी धनी के उदेश यो
जब पियबा अयलइ दलान केर बिचबा,
धनी बैसल रोदना पसारि यो
जब पियबा अयलइ आंगन केर बिचबा,
धनी ठोकल बज्र केबार यो
खोलू-खोलू आहे धनी बज्र केबरिया,
हम अयलहुँ अहीं केर उदेस यो
हम नहि खोलबइ बालमु बज्र केबरिया,
अंचरे सूतल नन्दलाल यो
हमहुँ त छलहुँ धनी देश विदेशिया,
ककर जनम नन्दलाल यो
घरहि मे छैक बालम छोटका देओरबा
हुनके जन्मल नन्दलाल यो
जखन चलल पहु घरमे सजनी गे / मैथिली लोकगीत बटगबनी
जखन चलल पहु घरमे सजनी गे
डरे भेलहुँ बेहोस सजनी गे
तखन घोघ पहु खोलल सजनी गे
आँखिक काजर दहायल सजनी गे
धीरे-धीरे पहु मोर पुछलनि सजनी गे
कते थिक अहाँक उमेर सजनी गे
तखन हम किछु बाजल सजनी गे
हम थिकौं सोलह बएस सजनी गे
पहु मोर कोर कए लेलनि सजनी गे
तखनहि मेटल मोर डर सजनी गे
भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे
पुरुषक एहने संयोग सजनी गे
तरुणी वयस पहु तेजल सजनी गे / मैथिली लोकगीत
तरुणी वयस पहु तेजल सजनी गे
नहि लेल खोज हमार सजनी गे
कानि-कानि पत्र हम लिखल सजनी गे
तइयो ने पहु देथि जबाब सजनी गे
ठाढ़ि छलहुँ हम कदम तर सजनी गे
लोक सभ देखि-देखि जाय सजनी गे
जिनकर एहन सोहागिन सजनी गे
से पुरुष केहन कठोर सजनी गे
कथि लए कनै छी सुन्दरि गे
कोन दुख पड़ल तोहार सजनी गे
हमर पिया परदेश गेल सजनी गे
तैं हम कनइ छी ठाढ़ि सजनी गे
कोन शहर बसु पहु तोर सजनी गे
किय थिक हुनकर नाम सजनी गे
हमरो के इहो बताय दिअ सजनी गे
हम करब हुनिकर खोज सजनी गे
कलकत्ता शहर छै बंगालमे सजनी गे
तहिठाम छथि पहु मोर सजनी गे
अपनहि हाथ एक पत्र लीखू सजनी गे
से हम देबनि देखाय सजनी गे
ताही सबूते पिया आओत सजनी गे
पूरत तोहर मनकाम सजनी गे
चारूकात लीखल विरह-बात सजनी गे
बीचहि धनिक बएस सजनी गे
आनक प्रेम कतेक दिन सजनी गे
फेरु हएत हमरहि आस सजनी गे
इहो पत्र पढ़लनि पिया जब सजनी गे
तुरतहि भेला विदा सजनी गे
हमर धनी एहन भेल सजनी गे
हमरा अछि अनकर आस सजनी गे
जखन पहु मोरा आयल सजनी गे
धनी केर करथि पुछारि सजनी गे
अपन धनी सन किछु नहि सजनी गे
फेर ने जायब ओहि देश सजनी गे
भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे
धनी सन किछु नहि होय सजनी गे
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