सावां गीत / 1 / भील
सब याही आया वोते एक याही नी आया!
लाव कटोरी काटो नाक, लाव विचारा नो ढाकूं नाक!
डांडे-डांडे उतरवो बाई छछूंदरी,
काल-गान चोटी कातरवो बाई छछूंदरी!!
-सावां लाने वालों के लिए गीत में कहा गया है कि- सभी समधी भाई हैं, कटोरी
लाओ! इनकी नाक काटूँ और कटी हुई नाक ढाँक दूँ। छछूंदर से कहती है कि-
तू छत की लकड़ियों के सहारे नीेचे उतर। सावां लाने वालों में से किसी की चोटी
कतर डाल।
सावां गीत / 2 / भील
आखो उंढालो काइ कर्यो रे ढेड्या।
आखो उंढालो काई कर्यो ढेड्या।
खड़ काट्यो ने पान तुड्या वो जीजी।
खड़ काट्यो ने पान तुड्या वो जीजी।
आखो उंढालो काइ कर्यो रे ढेड्या।
आइणिं छिनाले नो डंड भर्यो रे ढेड्या।
आइणिं छिनाले नो डंड भर्यो रे ढेड्या।
आखो उंढालो काइ कर्यो रे ढेड्या।
खड़ काट्यो ने पान तुड्या ने घर छायो रे ढेड्या।
-गर्मी का मौसम निकल गया तुमने सावां लाने में देर क्यों लगाई? जीजी! हमने
गर्मी में घास काटा और पत्ते तोड़े। गर्मी में समधन का दंड भरा। घास काटा, पत्ते
तोड़े और घर का छप्पर छाया ताकि पानी घर में न गिरे।
सावां एक प्रकार का शगुन है, जिसे लेकर पुरुष ही जाते हैं। गीत वधू पक्ष की महिला
गाती हैं। यह गीत गाली का है, जिसे ‘निहाली’ कहते हैं।
सावां गीत / 3 / भील
तारो माटी रामस्यो धवल्या-धुरी मंगाया।
खांड्या-मेंड्या क्यांे लाया रे।
बइल्या छोड़-बइल्या छोड़ ढेड्या।
तारो माटी रामस्यो चाउल-चोखा मंगाया।
टेमरा क्यों लायो रे ढेड्या।
तारो माटी रामस्यो सकर मंगाड़ी,
गूले क्यों लायो रे ढेड्या।
तारो माटी रामस्यो घींवे मंगाइयो।
तेले क्यों लायो रे ढेड्या।
-सावां लाने वाले से स्त्रियाँ कहती हैं- रामसिंह ने अच्छे सफेद और सुन्दर बैल
जोतकर लाने को कहा था। तुम सींग टूटे, सींग मुड़े बैल क्यों लाये हो? इन बैलों
को छोड़ दो। रामसिंह ने चावल बुलाये थे, तुम टेमरू ले आये। शक्कर बुलाई थी, तुम गुड़ ले आये। घी मँगवाया था, तुम तेल क्यों ले आये? इस तरह विभिन्न भोज्य सामग्रियों के लिए कहा जाता है।
सावां गीत / 4 / भील
ऊँचा मां भाले रे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो!
नेचो मां भाले रे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो!
खाटले मां बसेरे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो!
उटले मां बसेरे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो!
-सावां लाने वालों को बधाकर (स्वागत कर) घर में ले जाते हैं फिर औरतें गीत
गाती हैं। सावां लाने वालो को कहती हैं कि तुम ऊपर आसमान की ओर मत
देखो- सरग (आसमान) हमारा भानजा लगता है। धरती, खटिया और चबूतरे पर
मत बैठो, ये भानेज-भानजी लगते हैं।
सावां गीत / 5 / भील
सांवग्या तारि पावलि तिरि-विरि वाजे।
सांवग्या तारि पावलि तिरि-विरि वाजे।
होठ तारो टुट्लो ने हात तारो ढोटल्यो।
होठ तारो टुट्लो ने हात तारो ढोटल्यो।
मेलों तारा लाकड़ा चालो काहाँ वाले।
मेलों तारा लाकड़ा चालो काहाँ वाले।
डोला तारा फुदला, कान्टा तारा टुट्ला।
डोला तारा फुदला, कान्टा तारा टुट्ला।
साम्हले काहाँ, मेलों तारा लाकड़ा।
चालो काहाँ वाले।
बइल्या तारा दाल खिचड़ि खाय, पावर्यो लार घुट्ये।
मेल दउं तारा लाकड़ा, रखड़ो उडिग्यो।
सांवग्या तारि पावलि तिरि-विरि वाजे।
मेल दउं तारा लाकड़ा, घणीं भंुडि वाजे।
-सावां लेकर आने वालों को सांवग्या कहते हैं। सांवग्या बाँसुरी बजाते हैं।
सावां बधाते समय गीत में कहा गया है कि तुम्हारी बाँसुरी अच्छी नहीं बज रही है। तेरा होंठ टूटा हुआ और हाथ भी टूटा है, जिसके कारण बाँसुरी की धुन कहाँजा रही है? तेरी आँखें फूटी हुई हैं, कान टूटे हुए हैं, तू सुनता किधर है। तेरे बैल,दाल और खिचड़ी खा रहे हैं। गाड़ीवान लार घुटक रहा है। अन्त में कहा गया है कि बाँसुरी बहुत खराब बज रही है।
सावां भरने के दिन दोनों पक्ष के लोग विवाह की तिथि निश्चित कर लेते हैं। चन्द्रमा और तारों को देखकर मुहूर्त्त स्वयं निकाल लेते हैं। निश्चित तिथि को लड़के-लड़की को बाने बिठाते हैं।
निहाली गीत / 1 / भील
गड़ो-गड़ो आइग्या, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
लदो-लदो बस्या, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
टेघड़ा ने टेघड़ा भाले, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
माकड्या ने माकड्या भाले, भाया ना साला हिजड़ा ने गधड़ा॥
-वधू के घर महिलाएँ यह हास्य गीत गाती हैं-
एकदम आ गये भाई के साले हिजड़े और गधे। आकर खटिया पर लद गये भाई
के साले हिजड़े और गधे। कुत्तों के समान देख रहे हैं, बन्दर के समान देख रहे हैं।
निहाली गीत / 2 / भील
काचा रे सूते ने, जाले विणाउं रे ढेड्या।
नाइं रे विणे ने, लाते जमाउं रे ढेड्या।
ऊंडा रे तलाव मा, माछलि पकड़ाऊं रे ढेड्या।
नांइ रे पकड़े ते, लाते जमाउं रे ढेड्या।
-तुमसे कच्चे सूत की जाल बनवाऊँ, नहीं बुने तो लात जमा दूँगी। गहरे तालाब में तुमसे मछली पकड़वाऊँ, नहीं पकड़ पाये तो लात जमा दूँगी।
निहाली गीत / 3 / भील
तारो माटि कालगो आवे वो, बांगड़ भड़के झुणि वो।
बयड़ि आतर ढुलगि वाजिवो, बांगड़ भड़के झुणि वो।
तारो माटि कालगो आवे वो, बांगड़ भड़के झुणि वो।
तारो माटि दीत्यो आवे वो, रेसमि भड़के झुणि वो।
तारो माटि जुवान्स्यो आवे वो, धनि भड़के झुणि वो।
बयड़ी आतर ढुलगि वाजीवो, बांगड़ भड़के झुणि वो।
- बारात में महिलाएँ गीत गाती हैं-
टेकरी की ओट में ढोलगी बजी है। बाँगड (समधन) चमक मत जाना। तेरा खसम कौन आ रहा है? बाँगड़ चकमना मत। तेरा खसम दीत्या आ रहा है, रेशमी चमकना मत। तेरा खसम जुवानसिंह आ रहा है, धनी चमकना मत।
निहाली गीत / 4 / भील
ताड़े जाता ते ताड़ि पीता रे लोल।
याहिणिके लावता ते वात करता रे लोल।
ताड़े जाता ते ताड़ि पीता रे लोल।
कलाल्या मा जाता ते दारू पीता रे लोल।
हलवी मा जाता ते गुंड्या खाता रे लोल।
- ताड़ के पास जाते ही ताड़ी पीते। समधन का लाते तो उसके साथ बात करते। कलाल के यहाँ जाते तो दारू पीते। हलवाई के यहाँ जाते तो भजिये खाते।
हल्दी गीत / 1 / भील
मालवे ती हलदुलि मांगाई, पूड़ी बांधी।
मालवे ती हलदुलि मांगाई, पूड़ी बांधी।
मालवे ती हलदुलि मांगाई, घट्ये पिसाई।
मालवे ती हलदुलि मांगाई, वाटक्ये घुलाई।
-मालवे से पूड़ी बाँधकर हल्दी बुलाई पूड़ी बाँधकर। मालवे से हल्दी बुलवाकर घट्टी में पीसी। मालवे से हल्दी बुलवाकर कटोरी मंे घोली।
हल्दी गीत / 2 / भील
कुणे कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
कुणे कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
बावो कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
माय कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
भाइ कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
भोजाइ कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
-बाने बिठाते समय एक गुदड़ी (गादी) बिछाते हैं, उस पर दूल्हा-दुल्हन को बिठाते हैं। दुल्हन से पूछती हैं कि तुमसे किसने कहा और जो तू गादी पर बैठ गई? उत्तर में गाते हैं कि पिता ने कहा और गादी पर बैठी। माँ ने कहा, भाई ने कहा और भौजाई ने कहा, तब गादी पर बैठी।
हल्दी गीत / 3 / भील
बेनी तारो पीठी रोलो, कुण चोलसे?
बेनी तारो पीठी रोला,े कुण चोलसे?
बेनी तारो पीठी रोलो, तारि भोजाइ चोलसे।
बेनी तारो पीठी रोलो, तारि बहणिस चोलसे।
बेनी तारो पीठी रोलो, तारि फुई चोलसे।
-बनी तुझे हल्दी कौन लगायेगा? हे बनी! तुम्हारी भौजाई, बहन और बुआ तुम्हें हल्दी लगाएँगी।
निमन्त्रण / 1 / भील
एक नेवतो देजो गुणेसा घेर।
एक नेवतो देजो गुणेसा घेर।
एक नेवतो देजो सबेरा धड़।
महादेव बाबो आवसे।
एक नेवतो देजो सबेरा धड़।
ते उकार देजो आवसे।
एक नेवतो देजो सबेरा धड़।
ते गंगा ने गवरां आवसे।
एक नेवतो देजो सबेरा धड़।
ते लालबाई-फुलबाई आवसे।
एक नेवतो देजो सबेरा धड़।
ते चाँद-सूरज आवसे।
-एक निमंत्रण गणेशजी के घर देना। एक निमंत्रण महादेवीजी को, एक निमंत्रण
ओंकारदेव को और एक निमंत्रण गंगा-गौरा को देना। एक निमंत्रण लालबाई-
फूलबाई को और एक निमंत्रण चाँद-सूरज को देना, वे सभी अवश्य ही आएँगे।
निमन्त्रण गीत / 2 / भील
आखो हरियालो डुंगर, काली कुयल बुले बेनी।
आवसे तारा भाइन जुड़ि, सरस्यो कागद भेजो वो।
आखो हरियालो डुंगर, काली कुयल बुले बेनी।
आवसे तारि भोजाइ निजुड़ि, सरम्यो कागद भेजो बेनी।
आवसे तारा बणवि निजुड़ि, सरम्यो कागद भेजो बेनी।
आवसे ताराा फुवा निजुड़ि, सरम्यो कागद भेजो बेनी।
आवसे ताराा फुवा निजुड़ि, सरम्यो कागद भेजो बेनी।
आखो हरियालो डुंगर, काली कुयल बुले बेनी।
-पूरा जंगल हरा हो गया है उसमें काली कोयल बोल रही है। बनी तेरे भाई की
जोड़ी आएगी पत्रिका भेजो। तेरी भौजाई की जोड़ी आएगी पत्रिका भेजो। तेरे बहनोई
की जोड़ी आएगी पत्रिका भेजो। तेरे फूफा की जोड़ी आएगी पत्रिका भेजो। तेरी बुआ
की जोड़ी आएगी पत्रिका भेजो।
चवरी गीत / 1 / भील
वधू पक्ष- सोनानि पालकि मा बठि वो मारी बेनी।
सोनानी पालकी वासे।
कुकड़ डालगा मा बठोरे, डाहेला लाड़ा,
कुकड़ डालगो कटके।
वधू पक्ष- सोनानि पालकि मा बठो रे बेना,
सोनानी पालकी वासे।
कुकड़ डालगा मा बठोरे, डाहेला लाड़ा,
कुकड़ डालगो कटके।
-चावरी में दूल्हा-दुल्हन बैठे हैं, दोनों पक्ष की महिलाएँ गीत गाती हैं। वधू पक्ष की महिलाएँ कहती हैं- दुल्हन सोने की पालकी में बैठी है, सोने की पालकी खुशबू दे रही है। बूढ़ा दूल्हा मुर्गे-मुर्गी के डाले (पिंजरा) में बैठा है, पिंजरा कटकटा रहा है। वर पक्ष की ओर से कहा गया है- दूल्हा सोने की पालकी में बैठा है, पालकी खुशबू दे रही है, बूढ़ी दुल्हन मुर्गे-मुर्गी के डाले में बैठी है और डालगा (पिंजरा) कटकटा रहा है।
चवरी गीत / 2 / भील
चवरि काटणे जाइ रह्या, रावताला ना का जवांयला।
काटि लाया रावताला ना का जवांयला।
चवरि गाड़े रावताला ना का जवांयला।
रावताला ना कि कुवासणि चवरि वधावे वो।
रावताला ना कि कुवासणि चवरि वधावे वो।
रावताला ना कि कुवासणि चवरि सुति देवो।
रावताला ना कि कुवासणि, वेंडा ढुलि देवो।
-रावतला (गोत्र विशेष) के जवाँई चवरी के लिये लकडियाँ काटने जा रहे हैं। रावतला के जवाँई चवरी काटकर ले आए। रावतला के जवाँई चवरी गाड़ रहे हैं। रावतला की कुँवारी लड़कियाँ चवरी बधा रही हैं। रावतला की कुँवारी लड़कियाँ कच्चा सूत चवरी में बाँध रही हैं।
रावतला की कुँवारी लड़कियों से कहते हैं कि- कुएँ से कलश भरकर पवित्र जल लाए हैं उसे दूल्हे के सिर पर उडेल दें।
मेंहदी गीत / भील
खेड़ि-खड़ि काइ रेते कर्या।
खेड़ि-खड़ि काइ रेते कर्या।
जड़ि गुयो मेहंदी नो बीज।
हात रंग्या पाय रंग्या।
जड़ि गुयो मेहंदी नो बीज।
रंग चुवे।
- हे बनी! जमीन मंे हल चलाकर, मेहंदी का बीज ढूँढा। बीज बोया, तब जाकर मेहंदी का पौधा तैयार हुआ। वही मेहंदी हमने तेरे हाथ-पैर में लगा दी है। देखो! मेहंदी का रंग कैसे खिल रहा है?
विवाह गीत / 1 / भील
भोलो ईश्वर अकनो कुवारो।
भोली गवरां नी मांगणी करे।
भोलो ईश्वर बाने बठो।
भोली गवरां बाने बठी।
सीदा वादा करें।
भोला ईश्वर नी बरात चाली।
भोली गवरां ना फेरा लाग्या।
बरात पछि घेर आवी।
लाव वो रांड मारा जूटा देख दे।
सातला नो ईसो कर्यो गवरां।
पागड़ी नो ईसोवो ईश्वर ना माथा हेट।
चाल ने घरी उतरी न पड़ी वो भूंड ना भंवरे।
भंवरा मा गइ वा वासिंग ना बायणें।
आवा वा बयण, आव वा बयण।
असो काइ बोले तू मोटा ना मोटा।
खादो ने पीछे व रात काटी।
नाथ ने मुरखा मारा मुंहडे।
रास ने धरी वो गवरा आई।
निंदरान् उड्या वो भोला ईश्वर ना।
काइ वो रांड काहाँ गयली।
रोला ना भर्या डील गंधये।
नंदे उँघले मि गयली।
नव महाना ना दाहड़ा गिणे गवरां।
महना गिणें वो भोली गवरां।
पूरा हया वो नव महना।
पेट मा हुल्क्यो वो गवरो गणेस।
सुयण लावे वो भोलो ईश्वर।
गवरो गणेस पेट मा हुलके।
हात मेल्यों वो सदा सुयण।
खलाके लेता जाइ पड्यो गणेस।
नालों कांटे सदा वा सुयण।
नाहवा ने धोवा करे सुयण दायण।
झोली ने पलाणं वा गवरां घाले।
पणीला भरे वा भोली गवरां।
देखजी रे ईश्वर इना बाला के।
मीं ते जाऊं रे पाणीला भरने।
ईश्वर ऊठ्यो ऊँचो माथो करिन्।
नव धार्यो खांडो वो हेड्यो ईश्वर।
गणेस नो माथो वो काट्यो ईश्वर।
फगाट देधो वो दरियाव माहीं।
गवरां न रोवे वो माथु ठोके।
बालवा नो माथो काहा वो काट्यो।
मारो ते मुंड्को काटी नारवनो।
छाती न माथो ठोके भोली गवरां।
तारा वा बालवा के करूं सरजीवण।
तूते झुणी रेड़े वा गवरां।
ईश्वर धरी ने चाल धरी, हातिड़ा ना बन मा।
नवसौ हातिड़ा घेर्या ईश्वर, लायो रे दरियाव पर।
हातिड़ा ने चूसी रे दरियाव चूसी भसम उडाड़यो।
कछ ने मछ फफड़ी रह्या, गणेस नो माथो हेरे ईश्वर।
मछ ने कछ ना पेटे चीरे, मछ ने कछ बोलि पड़्या।
हामरा पेट ते मा चिरे ईश्वर मा चीरे भोला ईश्वर।
माथा काजे तु हामु खाइन् घेरी नाख्यो।
कछ ने मछ बोलि रह्या।
हातिड़ा नो माथो वारूस रहसे।
ईश्वर लेधो रे नव धार्यो खांडो।
हातिड़ा नो माथो काटी नाख्यो।
माथो हाकल्यो भोलो ईश्वर।
माथोली न चाल देधो घेर।
गवरा गणेस नो जाड्यो माथो।
गजरा गणेस काजे कर्यो सरजीवण।
मंगाला माथा ना बण्यो रे गणेस रे।
वाटका डोलानो रे बण्यों रे गणेस रे।
कुसलाज दाँत नो रे, कुटकाज होट नो रे बण्यो रे गणेस।
तारा मुंहड़े रे भरी रे सूंड रे।
सूंड ने मुंडे खाय रे गणेस।
चवड़ी छाती नो रे बण्यो रे गणेस रे।
पराल्या सातला नो रे, बण्यो रे गणेस रे।
थामलाज् पल्यिा नो रे बण्यो रे गणेस रे।
छाबड़्याज् पाय नो रे बण्यो रे गणेस रे।
उठता ने बसता रे नाव तारो रे सार से रे।
- भोले स्वभाव के शंकर भगवान अखण्ड कुँवारे हैं। भोली गौरी से मंगनी करते हैं।
भोले शंकर वाने बैठें। भोली गौरी वाने बैठी। अनाज, दाल आदि तैयार कर रहे हैं।
भोले भगवान की बारात चली। भोली गौरी से फेरे हुए (भँवर पड़े)। बारात वापस घर
आई। शंकरजी ने गौरा से कहा- मेरी जटा में जुएँ देख दे। गौरी ने महादेवजी का सिर
अपनी जंघा पर रखा। गौरी ने महादेवजी को निद्रामग्न देखा तो अपनी जंघा हटाकर
पगड़ी का तकिया लगा दिया। गौरी चल पड़ीं और पाताल लोक मंे पहुँची। पाताल में
शेषनाग ने कहा- बहन आ। ऐसा क्या बोल रहा है? तू बड़े लोगों में सबसे बड़ा है।
शंकरजी की निद्रा टूटी तो कहने लगे तू कहाँ थी? तेरी देह से रोले की खुशबू आ रही है।
गौरी बोली- मैं नदी पर स्नान करने गई थी। नौ महीने के दिन गौरी गिन रही है। नौ
महीने पूरे हुए। पेट में गणेशजी दुःख रहे हैं (प्रसव पीड़ा होने लगी)। भोले भगवान दाई को
लाते हैं। गणेशजी पेट में दुःख रहे हैं। दायण ने प्रसव हेतु हाथ रखा। गणेशजी पेट से एकदम
निकले। दायण ने नाला काटा। दायण स्नान कराकर कपड़े धोती है। गौरी गणेशजी को पालने
में झुलाती हैं। गौरी पानी भरने जाती हैं। भगवान! इस बालक को देखना, मैं पानी लेने को
जाती हूँ।
(शंकरजी को शंका हो गई थी कि प्रथम रात्रि में मैं निद्रामग्न था और गौरी मुझे छोड़कर पगड़ी का
तकिया सिर के नीचे लगाकर कहाँ चली गयी थी?)
शंकर ऊँचा सिर करके उठे। नौ धार का खांडा शंकरजी ने निकाला। शंकरजी ने गणेशजी का सिर काट लिया। सिर समुद्र में फेंक दिया। गौरी रोती हैं और सिर पीट रही हैं। बालक का सिर क्यों काट दिया? मेरा सिर काट देते। गौरी सिर और छाती पीट रही हैं। तेरे बालक को मैं पुनः जीवित कर दूँगा, गौरी तू मत रो! भगवान हाथियों के जंगल में चल पड़े। नौ सौ हाथियों को हाँककर समुद्र पर लाये। हाथियों ने समुद्र चूस-चूसकर सुखा दिया। कछुए और मछलियाँ फड़फड़ाने लगे। भगवान गणेश का सिर खोज रहे हैं।
मछलियों और कछुओं के पेट चीर रहे हैं। मछलियाँ और कछुए बोल उठे, हमारे पेट मत चीरो भगवान, मत चीरो भोले भगवान! सिर को तो हमने खाकर हजम कर मल द्वार से निकाल दिया। कछ-मछ बोल रहे हैं। हाथी का सिर अच्छा रहेगा। शंकरजी ने नौ धारवाला खाँडा उठाया। हाथी का सिर काट लिया। भोले भगवान ने हाथी का सिर उठाया। सिर लेकर घर चल पड़े। गौरी ने गणेश का सिर जोड़ दिया। गणेशजी को पुनर्जीवित किया। चूल्हे के ठीयों के समान सिरवाले गणेशजी बने। कटोरी के समान आँखों वाले गणेशजी बने। कुसले के समान दाँत वाले, कटे हुए ओंठ के गणेशजी बने। मुँह पर सूँड लगा दी है। सूँड के द्वारा गणेशजी खा रहे हैं। गणेशजी का सीना चौड़ा बना है। लम्बी-मोटी जंघा वाले गणेशजी बने। खम्भे के समान पिंडलीवाले गणेशजी बने। चौड़े पंजो वाले गणेशजी बने। दुनिया उठते-बैठते आपका नाम स्मरण करेगी।
विवाह गीत / 2 / भील
काली चिड़ि वो देव चिड़ि, रात मा बुले।
काली चिड़ि वो देव चिड़ि, रात मा बुले।
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, फुइ करतेक आवे।
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, फुइ करतेक आवे।
काली चिड़ि वो देव चिड़ि, रात मा बुले।
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, फुवो करतेक आवे।
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, फुवो करतेक आवे।
काली चिड़ि वो देव चिड़ि, रावला मा बुले॥
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, मामा करतेक आवे।
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, मामा करतेक आवे।
काली चिड़ि वो देव चिड़ि, रावला मा बुले॥
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, मामी करतेक आवे।
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, मामी करतेक आवे।
काली चिड़ि वो देव चिड़ि, रावला मा बुले॥
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, बईं करतेक आवे।
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, बईं करतेक आवे।
काली चिड़ि वो देव चिड़ि, रावला मा बुले॥
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, बणवि करतेक आवे।
महेल चढ़ि वो बेनु वाटे जोवेरे, बणवि करतेक आवे।
काली चिड़ि वो देव चिड़ि, रावला मा बुले॥
- लड़की के ब्याह में महिलाएँ काली चिड़िया को सम्बोधित करते हुए गीत में कह रही हैं कि- हे काली चिड़िया! तू देव चिड़िया है और रावले में बोल रही है। महल पर चढ़कर बनी रास्ता देख रही है और चिड़िया से पूछती है कि मेरी बुआ कितनी दूरी पर आ रही है। इसी प्रकार आगे फूफा, बहन-बहनोई, मामा-मामी का नाम लेकर गीत को गाया जाता है। मेहमानों के आने की प्रतीक्षा बनी कर रही है।
विवाह गीत / 3 / भील
मारे अंगठे विछु झूल्यो राज, आज की चालण छूड़ दे।
मारे अंगठे विछु झूल्यो राज, आज की चालण छूड़ दे।
नानड़ियो विछु झूल्यो राज, आज चालण छूड़दे।
नानड़ियो विछु झूल्यो राज, आज चालण छूड़दे।
मारा पील्ये विछु चढ़ियो राज, आज चालण छूड़दे।
मारा पील्ये विछु चढ़ियो राज, आज चालण छूड़दे।
मारी सातल्ए विछु चढ़ियो राज, आज की चालण छूड़दे।
मारी कमर विछु चढ़ियो राज, आज की चालण छूड़दे।
मारी कमर विछु चढ़ियो राज, आज की चालण छूड़दे।
मारी छाल्ए विछु चढ़ियो राज, आज की चालण छूड़दे।
नानड़ियो विछु झूल्यो राज, आज की चालण छूड़ दे।
मारो जेठ उतारे मारी जेठाणी कुरकाए राज, आज की चालण छूड़ दे।
मारो जेठ उतारे मारी जेठाणी कुरकाए राज, आज की चालण छूड़ दे।
मारो देवर उतारे मारी देवराणी कुरकाए राज, आज की चालण छूड़ दे।
मारो देवर उतारे मारी देवराणी कुरकाए राज, आज की चालण छूड़ दे।
मारो सेसरो उतारे मारी सासु कुरकाए राज, आज की चालण छूड़ दे।
मारो सेसरो उतारे मारी सासु कुरकाए राज, आज की चालण छूड़ दे।
मारे अंगठे विछु झूल्यो राज, आज की चालण छूड़ दे।
-महिला अपने पति से कहती है कि मेरे अँगूठे में बिच्छू ने काटा है। आज का चलना छोड़ दो। मेरी पिंडली तक बिच्छू चढ़ गया है, आज का चलना छोड़ दो। मेरी जंघा तक बिच्छू चढ़ गया है, आज का चलना छोड़ दो। मेरी कमर तक बिच्छू चढ़ गया है, आज का चलना छोड़ दो। मेरी छाती तक बिच्छू चढ़ गया है, आज का चलना छोड़ दो। मेरे जेठ उतारें तो जेठानी नाराज होती हैं, आज का चलना छोड़ दो। मेरा देवर उतारें तो देवरानी नाराज होती है, आज का चलना छोड़ दो। मेरे ससुर उतारते हैं तो सासू नाराज होती है, आज का चलना छोड़ दो।
विवाह गीत / 4 / भील
हांव ते काठी विछण गयली व झारी वणझारी।
हांव ते काठी विछण गयली व झारी वणझारी।
काला विछु ने चढकायो व झारी वणझारी।
काला विछु ने पटकायो व झारी वणझारी।
मिं ते काठी विछण गयली व कालो विछु ने चटकायो।
मारो जेठ उतारे मारी जेठाणी कुरकाय व झारी वणझारी।
मारो जेठ उतारे मारी जेठाणी कुरकाय व झारी वणझारी।
मारो देवर उतारे मारी देवराणी कुरकाय व झारी वणझारी।
मारो देवर उतारे मारी देवराणी कुरकाय व झारी वणझारी।
मारो सेसरो उतारे मारी सासूजी कुरकाय व झारी वणझारी।
मारो सेसरो उतारे मारी सासूजी कुरकाय व झारी वणझारी।
मायो सायबो उतारे विछु सेड़ो सेड़ो उतरे व झारी वणझारी।
मायो सायबो उतारे विछु सेड़ो सेड़ो उतरे व झारी वणझारी।
मिं ते काठी विछण गयली, काला विछु ने चटकायो व झारी वणझारी॥
- मैं तो काठी चुनने को गई थी। काले बिच्छू ने काटा। मेरा जेठ उतारे, मेरी जेठानी नाराज होती है। मेरा देवर उतारे, मेरी देवरानी नाराज होती है। मेरे ससुर उतारे, मेरी सास नाराज होती है। मेरे स्वामी उतारते हैं, तो बिच्छू सर-सर उतरता है।
विवाह गीत / 5 / भील
सोनार्यो कांटो मारा नाक मा रे।
चूड़िलो चमके मारा हात मा रे।
चांदी ना झेला मारा मंुड मा रे।
चूड़िलो चमके मारा हात मा रे।
चांदी नो हार मारा गला मा रे।
चूड़िलो चमके मारा हात मा रे।
चांदी ना विछा मारा पाय मा रे।
चूड़िलो चमके मारा हात मा रे।
चांदी ना हाटका मारा हात मा रे।
चूड़िलो चमके मारा हात मा रे।
- हे सखी! मेरी नाक में सोने का काँटा, हाथ में चूड़ा चमक रहा है। मेरे सिर पर चाँदी का झेला, गले में हार, पाँव में बिछिया और हाथ में हटका सुशोभित है। इन सभी में हाथ का चूड़ा खूब चमक रहा है।
विवाह गीत / 6 / भील
मांदलया मांदलि वजाड़ रे, घड़िक नाचि भालां रे।
तारा हात मा चालो रे, मारा पाय मा चालो रे।
मांदलया मांदलि वजाड़ रे, घड़िक नाचि भालां रे।
तल्या तलि रे वजाड़ रे, घड़िक नाचि भालां रे।
तारा हात मा चालो रे, मारा पाय मा चालो रे।
दुल्ग्या ढुलगि वजाड़ रे, घड़िक नाचि भालां रे।
तारा हात मा चालो रे, मारा पाय मा चालो रे।
कुंड्या कूंडि रे वजाड़ रे, घड़िक नाचि भालां रे।
तारा हात मा चालो रे, मारा पाय मा चालो रे।
फेफर्या फफर्यो वजाड़ रे घड़िक नाचि भालां रे।
तारा हात मा चालो रे, मारा पाय मा चालो रे।
-विवाह के अवसर पर स्त्रियाँ नृत्य करती हुई गीत गाती हैं-
हे मांदल वादक! हे थाली वादक! हे ढोलक वाले! नगड़िया वाले, शहनाई वाले भाई! तुम सुर-ताल में बजाओ, हम थोड़ी देर नाच लें। तुम्हारे वाद्यों में सुर-ताल है और हमारे पाँव भी नृत्य करने के लिए थिरक रहे हैं॥
विवाह गीत / 7 / भील
झेला मोलवो वो बेनी, झेला पेहरो।
झेला पर सुब रंग्यो फुलवो मारि नानि बेनी।
दुनिया देखे।
हार मालवो वो बेनी, हार पेहरो।
हार पर सुब रंग्यो छिब्रो मारि नानि बेनी।
दुनिया देखे।
बाष्ट्या मोलवो वो बेनी, बाष्ट्या पेहरो।
बाष्ट्या पर बुब रंगि भात वो मारि नानि बेनी।
दुनिया देखे।
करूंदी मोलवो वो बेनी, करूंदी पेहरो।
करूंदि पर सुब रंग्यो फुलवो मारि नानि बेनी।
दुनिया देखे।
- महिलाएँ गीत में दुल्हन से कहती हैं कि झेला खरीदो और पहनो। झेला में सभी रंग के फूल हैं, तुम्हें झेला पहने हुए सभी लोग देखेंगे। हार में सभी रंग के फूलों वाले छल्ले लगे हैं, पहनोगी तो दुनिया देखेगी। बाष्ट्या पर सभी रंग की डिजाइन बनी हुई हैं, पहनोगी तो दुनिया देखेगी। अन्त में करूँदी खरीदकर पहनने को कहती हैं। करूँदी पर सभी रंग के फूल बने हुए हैं, हनो। दुनिया देखेगी कि दुल्हन ने कितने अच्छे गहने
पहन रखे हैं।
विवाह गीत / 8 / भील
बेनो कुड़छी पर बठो कड़ा मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो तागल्या मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो हार मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो मूंद्या मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो हाटका मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो बेड़ि मांगे।
- दुल्हन के समान दूल्हा भी गहने पहनता है, उनका वर्णन गीत में किया गया है-
बना कुर्सी पर बैठा हुआ कड़े माँग रहा है। तागली, हार, बीटियाँ, हाटका, बेड़ी माँग रहा है। कड़े हाथ में पहनने का, तागली गले में पहनने का, हार गले में पहनने की, हार गले में पहनने की, बीटी अँगुली में पहनने का, हाटका बाँह पर पहनने का और बेड़ी पैर में पहनने का आभूषण है।
विवाह गीत / 9 / भील
वधू पक्ष- तारा माटीनो मांडवो वो, मांडवे आइ बठि।
तारा लाडा नो मांडवो वो, मांडवे आइ बठि।
तारा ढुकण्यानो मांडवो वो, मांडवे आइ बठि।
वर पक्ष से- हामु रूप्या भर्याने, हामु मांडवे आइ।
हामु हजार भर्याने, हामु मांडवे आइ।
वधू पक्ष- तारा माटीनो मांडवो, मांडवे आइ बठि।
वर पक्ष- तारा माटी ना रूप्यावो, रूप्या खाइ बठि।
तारा लाडाना रूप्यावो, रूप्या खाइ बठि।
-वधू पक्ष की महिलाएँ गीत में कहती हैं कि तेरे खसम का मंडप है जो आकर
बैठ गई? वर पक्ष से उत्तर दिया गया है कि हमने रुपये दिये हैं इसलिए मंडप
में आई हैं, हमने हजार रुपये दिये और मंडप में आये हैं।
विवाह गीत / 10 / भील
बेनी तारी हवेली मा हवा निहि लागे वो।
हवा निहि लागे वो बेनि पंखो ढुलाइ दे।
पंखो नि चाले तो बेनी रेडियो चालादू दे।
बेनी तारी हवेली मा हवा निहि लागे।
- बनी तेरी हवेली में हवा नहीं लग रही है, पंखा चला दे। पंखा नहीं चले तो रेडियो चालू कर दे।
विवाह गीत / 11 / भील
वाण्या मा गुई ने घाघरों ते लाई।
चुलि झुणि पेहरे वो नानी वो बेनी।
पटवा मा गुई ने रिबिन लाई।
तू झुणि गूथे वो नानी वो बेनी।
पटवा मा गूई ने कांगसो ते लाई।
तू झुणि चिचरे वो नानी वो बेनी।
पटवा मा गूई ने चून्या ते लाई।
तू झुणि बांथे वो नानी वो बेनी।
- सखी सासरे चली जायेगी, इस गुस्से में गीत गाया गया है।
बनिये के यहाँ गई थी और घाघरा लाये। तू चोली मत पहनना अर्थात् फेरे के लिए तैयार मत होना। पटवा के यहाँ से रिबिन लायी, तू मत गूँथना। पटवा के यहाँ से कंघी लायी, तू बालों में कंघी मत करना। मोती लाये हैं, तू मत बाँधना।
विवाह गीत / 12 / भील
हामु तातला रूटा खासुँ रे गुपाल्या मुजिलाल।
याहिणि सुकला टुकड़ा खासे रे गुपाल्या मुजिलाल।
हामु लाड़ि लीजासूं रे गुपाल्या मुजिलाल।
हामु ताबलो पाणि पीसुँ रे गुपाल्या मुजिलाल।
याहिणि वासी पाणी पीसे रे, गुपाल्या मुजिलाल।
हामु तातला रूटा खासुं रे, गुपाल्या मुजिलाल।
- वर पक्ष की महिलाएँ गा रही हैं कि हम गरम रोटी खाएँगे। समधन सूखे टुकड़े खाएगी क्योंकि हम दुल्हन को ले जायंेगे। हम ताजा पानी पीयेंगी और समधन बासा पानी पीयेगी।
विवाह गीत / 13 / भील
लाड़ि तुखे गुबर हेड़ाउं वो, पिपर्यापाणी मा।
लाड़ि तुखे पाणी भराउं वो, पिपर्यापाणी मा।
लाड़ि तुखे रूटा कराउं वो पिपर्यापाणी मा।
लाड़ि तुखे घटी दलाउं वो, पिपर्यापाणी मा।
निहिं दले ते लाते उरी ने, लाते परी कराउं वो, पिपर्यापाणी मा।
डालि तुखे फाटा विछाडु वो, पिपर्यापाणी मा।
लाड़ि तुखे कांटा विछाड़ु वो, मुहड़ा वाला खेत मा।
लाड़ि तुखे दगड़ा विछाडु़ वो, टेमरा वाला खेत मा।
- दुल्हन को गीत में कहा है कि तुझसे ढोरों का गोबर फिकवायेंगे, पिपर्या पानी गाँव में। इसी प्राकर पानी भरवायेंगे, रोटी करवायेंगे, घट्टी चलवायेंगे, नहीं पीसेगी तो लात से इधर और उधर करवायेंगे। तुझसे कचरा खेत में चुनवायेंगे, महुए वाले खेत में काँटा चुनवायेंगे। टेमरू वाले खेत में पत्थर बिनवायेंगे।
विवाह गीत / 14 / भील
पिपलियो पान झलके वो नानी बेनुड़ी, पिपलियोपान झलके।
मनावर्यो हाट जासुं वो नानि बेनुड़ी।
खारिक खोपरों लावसुं वो नानि बेनुड़ी।
बागुन हाट जासूं वो नानि बेनुड़ी।
खर्या-दाल्या लावसुं वो नानुड़ि बेनी।
जोबट्यो हाट जासूं वो नानुड़ि बेनी।
माजम ने हार काकणिं, लावसुं वो नानुड़ि बेनी।
- पीपल का पान चमक रहा है छोटी बनी। मनावर के हाट जावेंगे छोटी बनी और
खारक-खोपरा लाएँगे। बाग के हाट जायेंगे और सेव-चने जायेंगे। जोबट के हाट
जाएँगे और माजम व हार-कंगन लाएँगे।
वर शृँगार गीत / 1 / भील
यो तो वाड़ि मा कहेलो नवेलो बेनो।
तूखे कुण ते सिंगार, तुखे कुण ते सिंगारे।
मिस काको ते सिंगारे, मिसे काको ते सिंगारे।
यो तो वाड़ी मा कहेलो, नवेलो बेना।
तुखे कुण ने सिंगार्या, नवेला बेना।
मेखे भाई ने सिंगार्या, भाई ने सिंगार्या।
पाटी से सिणगारो वो, पुनि बहणी।
बेना भाइ ना सासरिये, रमि आवजे।
- हे दूल्हे! तुम्हारे काका, तुम्हारे भाई तुम्हारा शंृगार कर रहे हैं। हे पुनी बहिन! पाटी (ओड़ाई) का शृंगार कर दुल्हिन के कपड़े रखो।
वर शृँगार गीत / 2 / भील
पागा बांधो रे बेना, पाघा बांधो।
तिलो कुण सवारेगा, तिलो कुण सवारेगा।
धुति पेहरो रे बेना, धुति पेहरो।
धुति कुण सवारेगा। धुति कुण सवारेगा।
धुति भाइ सवारेगा, धुति भाई सवारेगा।
झूल पेहरो रे बेना, झूल पेहरो।
झूल कुण सवारेगा, झूल कुण सवारेगा।
मुजा पेहरो रे बेना, मुजा पेहरो।
मुजा कुण सवारेगा, मुजा कुण सवारेगा।
मुजा भाई सवारेगा, मुजा भाइ सवारे।
मुजड़ि पेहरो रे बेना, मुजड़ि पेहरो।
मुजड़ि कुण सवारेगा, मुजड़ि कुण सवारेगा
मुजड़ि बणवि सवारेगा, मुजड़ि बणवि सवारेगा।
तरवार धेरा रे बेना, तरवार धरो।
तरवार बणवि सवारेगा, तरवार बणवि सवारेगा।
मोड़ बांधो रेबेना, मोड़ बांधो।
मोड़ कुण सवारेगा, मोड़ कुण सवारेगा।
मोड़ बइं सवारेगा, मोड़ बइं सवारेगा।
- दूल्हे से कहा गया कि- पगड़ी बाँधो, पगड़ी का तिल्ला कौन व्यवस्थित करेगा? उत्तर में गाया जाता है कि तिल्ला भाई व्यवस्थित करेगा। इसी प्रकार सभ शृँगार को व्यवस्थित करने वालों के नाम लेते हैं। मौर को बहिन बाँधती है।
वर शृँगार गीत / 3 / भील
मोड़ मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना।
पागा मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना।
झूल मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना।
धोती मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना।
मुजा मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना।
तरवार मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना।
मुजड़ि मोल्विन् वेघा आवो हुस्यार बेना।
- वर शृँगार सामग्री बाजार से क्रय कर लाने के लिये दूल्हे को कहा गया है- हे चतुर बना! मौर क्रय कर जल्दी आओ। इसी प्रकार सभी वस्तुओं को क्रय करने के बारे में कहा गया है।
विवाह गीत / 16 / भील
अतरि जुवानिमा लेहर्यो फुंदो, धड़े मेलिन् नाचो वो।
नि माने ते मा माने लहर्यो फुंदो, मेलिन नाचों वो।
फुंदा वाली धन्लि मारि उभिकरो, फुंद्याली दवड़ाउंवो।
नि माने ते मा माने उभिकारो, फुंद्याली दवड़ाउंवो।
अतरि जुवान मा लेहर्यो फुंदो, धड़े मेलिन् नाचो वो।
- दुल्हन के आँगन में महिलाएँ नाचते हुए गा रही हैं-
इतनी जवानी मंे चोटी का लहर्या फंुदा एक तरफ करके नाच रही हूँ। न माने तो मत माने। मेरी कमर में फुंदे लगे हैं, उसे खड़ी करके और दौड़ाऊँ। मन न माने तो खड़ी करूँ और दौड़ाऊँ।
विवाह गीत / 15 / भील
तू ते नहाई ले वो गोरी बनी।
तारा पाट ना नीचे नीर उहे।
तू ते सापड़ि तेरे सापड़ी ले बूढ़ा लाड़ा।
हामु कुकड़ो नी खीजे, बुकड़ो नि खाजे।
नंदी धड़े हामु बाम्हण्या रे।
हंइ मंगलि ठगारी ठगि देसे रे।
नंदी धड़े हामु बाम्हण्या रे।
हामुंग दितल्यो ठगारो ठगि देसे रे।
हामु दितल्यो वाली के ली लेसुं रे।
- गोरी बनी को गीत में कहा गया है कि- तू स्नान कर ले, तेरे पाट के नीचे पानी बह रहा है। दूल्हे को यहाँ स्नान नहीं कराते हैं, पर गीत में कहा गया है कि तू स्नान कर ले बूढ़ा दूल्हा। हम मुर्गा बकरा नहीं खाते हैं हम बामण्या जाति के हैं। बामण्या गोत्र के लोग मुर्गा बकरा नहीं खाते हैं। अब ठगोरी मंगली हमें ठग लेगी। हमें दितल्या ठग लेगा। हम दितल्या की पत्नी को ले लेंगे।
बाना गीत / भील
बाना तने हाताना भोरी लाँ दलड़ा लाग्या रेऽऽऽ
हजारी बालक बनेड़ा बाना तने बानो कुकके वालो।
काई वतणवारे हजारी बालक बनेड़ा
बाना तने बानो कुकके वाले।
हाथाना भोरी लाद लड़े लाग्यानो रे
हजारी बालक बनेड़ो।
बानाजी तमने केड़ा ना कन्दौरा दले लाग्या रेऽऽऽ
हजारी बालक बनेड़ा...।
(स्रोत व्यक्ति-मांगीलाल सोलंकी)
- दूल्हे! तेरे हाथ में मेरी भँवरी (दुल्हन) है। उससे तेरा मन मिल गया है। तू तो हजारों में एक है। तुझे अब हम क्या बतलायें? तेरे से मेरी दुल्हन का दिल लग गया है। तेरे कमर का कन्दौरा भी उसे पसन्द आ गया है। उस पर भी उसका दिल आ गया है।
बारात के रास्ते का गीत / 1 / भील
आंबा नी नांबी डाले, डाले झोला खाय।
भाइ नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
भोजाई नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
बहिण नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
बणवि नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
काका नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
काकी नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
फुवा नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
फुइ नी नांबी जोड़ी, जोड़ी झोला खाय।
- आम की लम्बी टहनी हैं, टहनी झोले खा रही हैं। भाइयों की लम्बी जोड़ी हैं अर्थात् बहुत भाई हैं, भाइयों की जोड़ी झोले खा रही हैं। इसी प्रकार भौजाई, बहन-बहनोई, काका-काकी, फूफा-बुआ का नाम लेते हुए गीत चलता है।
बारात के रास्ते का गीत / 2 / भील
उभो रे मयदान मा, उभो रहयो रे बेना।
बइं ना वाटे, उभो रहयो रे बेना।
बणवि ना वाटे, उभो रहयो रे बेना।
भाइ ना वाटे, उभो रहयो रे बेना।
भोजाइ ना वाटे, उभो रहयो रे बेना।
फुवा वाटे, उभो रहयो रे बेना।
फुइ ना वाटे, उभो रहयो रे बेना।
गांवल्या वाटे, उभो रहयो रे बेना।
- बना रुक गया है, क्यों रुका? उसकी बहन पीछे रह गई थी, इसलिए रुका। इस प्रकार सम्बन्धियों के नाम लेकर गाते हुए गीत आगे बढ़ता चला जाता है।
बारात के रास्ते का गीत / 3 / भील
आंबा मा मेलो भेलो हयो रे केसरिया लाल।
बाष्ट्या ऊपर जोबन झोला खाय रे केसरिया लाल।
आमल्या मा मेलो भेलो हयो रे केसरिया लाल।
हार ऊपर जोबन झोला खाय रे केसरिया लाल।
जांबुड़ा मा मेलो भेलो हयो रे केसरिया लाल।
तागल्या ऊपर जोबन झोला खाय रे केसरिया लाल।
सिंद्यां मा मेलो भेलो हयो रे केसरिया लाल।
लंगर्या ऊपर जोबन झोला खाय रे केसरिया लाल।
- बारात जा रही है, छायादार वृक्षों को देखकर रुकते हैं। सभी एकत्रित हो जाते हैं वहाँ गीत गाते हैं। सभी महिला-पुरुष गहनों से सजे हुए हैं।
आम के कुँज में मेला लग गया है जो केसरिया और लाल है। बाष्ट्या पर जवानी झूम रही है। इमली के वृक्षों में मेला लगा है जो केसरिया और लाल है। हार पर जवानी झूम रही है। जामुन के पेड़ों पर मेला लगा है केसरिया लाल। तागली पर जवानी झूम रही है। सिंदी के वृक्षों में मेला लगा है केसरिया लाल, लंगर पर जवानी झूम रही है।
बारात दुल्हन के गाँव के बिल्कुल पास पहुँच गई, जहाँ से बारात की हल चल गाँव में सुनाई पड़ रही है, वहाँ गीत गाया जाता है। यह ‘निहाली गीत’ है।
बारात स्वागत का गीत / भील
आवो-आवो वो याहयण रामरामी।
मिलो-मिलो वो याहयण रामरामी।
बठो-बठो वो याहयण रामरामी।
पाणि-पीवो वो याहयण रामरामी।
आवो-आवो वो याहयण रामरामी।
- समधन से गीत में कहा है- समधन! बैठने के लिये मंडप बना रखा है। आओ
राम-राम। समधन! आओ मिल लेवें। बैठो पानी पिओ। जब माँडवे में वर पक्ष की महिलाएँ बैठ जाती हैं तब गाली गीत वधू पक्ष की ओर से प्रारम्भ हो जाता है, जवाब वर पक्ष से दिया जाता है।
वर निकासी / भील
धीरा मा धीरो चाले मारा राजबना।
बइंने पछल रहिग्यो मारा राजबना।
धीरा मा धीरो चाले मारा राजबना।
बणवि ना पछल रहिग्यो मारा राजबना।
धीरा मा धीरो चाले मारा राजबना।
भाइ ना पछल रहिग्यो मारा राजबना।
धीरा मा धीरो चाले मारा राजबना।
भोजाइ ना पछल रहिग्यो मारा राजबना।
- मेरा राजा बना धीरे चलने वालों से भी धीरे चल रहा है। बहन से पीछे रह गया, बहनोई से, भाई से और भौजाई से पीछे रह गया।
नृत्य गीत / 1 / भील
आंबि सांबि खेलो वो लिलरियो।
गेंद्यो फूल खेलो वो लिलरियो।
आइणि रांड के धरो वो लिलरियो।
गेंद्यो फूल खेलो वो लिलरियो।
आइणि रांड के धरो पुण डरो निहिं।
- एक दूसरी के गले और कमर में हाथ डालकर, हाथ पकड़कर नाचते हुए महिलाएँ यह गीत गाती हैं। आमने-सामने दो भागों में बँटकर यह गीत गाया जाता है- आमने-सामने लिलरिया खेल रही हूँ। गेंदा का फूल खेल रही हूँ लिलरियो। समधन को पकडूँ, परन्तु डरूँ नहीं।
नृत्य गीत / 2 / भील
पिपर्यापाणि न मालि पर सकर्यानो वेलो वो।
वेले वेले सुले जणिंग ठगो वो।
पिपर्यापाणि न मालि पर सकर्या नो वेलो वो।
आइणि तूते लाडा वालि, छल्ला पुर्यान वाएँ झुणि लागे वो।
मंगली तू ते लाडा वालि, कुवारला पुर्यान वाएँ झुणि लागे वो।
आरस्या वालो कुवो मारो, फुंदा वाली बाल्ट्ये पाणि भरो वो।
नि माने ते मा माने वो, फूंदा वाली बाल्ट्ये पाणि भरो वो।
- यह गाली गीत है। पिपर्यापानी की माल (ऊँची समतल भूमि) पर शकरकंद की बेल है। बेल के सहारे सोलह औरतों को ठगूँ। समधन तू तो पति वाली है, छेला लड़के के पीछे मत लगे। मंगली तेरा भी पति है कुँवारे लड़के के पीछे मत लगे। मेरा कुआँ काँच वाला है, फुंदे वाली बाल्टी से पानी खींच रही हूँ, नहीं माने तो मत मान, फुंदे वाल बाल्टी से पानी खींच रही हूँ।
कन्यादान गीत / 1 / भील
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
गुंडी वटली हारू मांगे नदान बेनी।
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
मांजरि कुतरि हारू मांगे नदान बेनो।
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
सिरको पलंग हारू मांगे नदान बेनी।
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
डोबा पाड़ा हारू मांगे नदान बेनो।
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
तागली ने हार मांगे नदान बेनी।
काइ काइ दायजो हारू, मांगे नदान बेनी।
पागड़ि वनात हारू मांगे नदान बेनो।
- दहेज में वर-वधू क्या माँग रहे हैं? इस पर वधू पक्ष की ओर से यह गीत गाया जाता है।
- नासमझ बनी क्या-क्या दायजे मंे माँग रही है? उत्तर में गाते हैं घुण्डी-बटलोई माँग रही है। नासमझ बना दहेज में क्या-क्या माँग रहा है? उत्तर में अनचाही वस्तु भैंस व पाड़ा माँगने का बताया है। नासमझ बनी दहेज में क्या-क्या माँग रही है? उत्तर में तागली और हार बताया है। बना दहेज में क्या-क्या माँग रहा है? अब उत्तर में वाँछित वस्तु पगड़ी और बनात कहा गया है।
कन्यादान गीत / 2 / भील
पोसे पोसे रूप्या देधा, हार कड़ा पातला देसे वो लाड़ि।
पोसे पोसे रूप्या देधा, गंुडि वटली फवरी देसे वो लाड़ि।
पोसे पोसे रूप्या देधा, पलंग सिरको फवरा देसे वो लाड़ि।
पोसे पोसे रूप्या देधा, कड़ा पातला देसे वो लाड़ि।
- वर पक्ष की महिलाएँ शंका कर रही हैं कि हमने पोष भर-भरकर तेरे माता-पिता को रुपये दिये हैं, हार-कड़े पतले देंगे। घुण्डी-बटली हल्के देंगे, पलंग सिरका हल्का देंगे और कड़ा और कड़ी पतली देंगे।
कन्यादान गीत / 3 / भील
बेनि भाई आवे तिं, अड़ि जाजी वो।
भाइ पइस्या आले तिं, छुड़ि देजी वो।
बेनि काको आवे तिं, अड़ि जाजी वो।
काको बुकड़ि आले तिं, छुड़ि देजी वो।
बेनि बणवि आवे तिं, अड़ि जाजी वो।
बणवि करोंदि आले तिं, छुड़ि देजी वो।
बेनि बहणिस् आवे तिं, अड़ि जाजी वो।
बहिण छल्लो आले तिं, छुड़ि देजी वो।
-वधू पक्ष वाले कन्यादान करते हैं और दुल्हन से गीत में कहा गया है कि- हे बनी! भाई कन्यादान के लिए आए तब उसे पकड़ लेना, जब रुपये दे तब छोड़ना। काका आएँ तक उन्हें पकड़ लेना, बकरी दें तब छोड़ना। बहनोई आएँ तो उन्हें भी पकड़ लेना, करोंदी दें तब छोड़ना। बहन आए तो उसे भी पकड़ लेना, छल्ला दें तब छोड़ना।
कन्यादान गीत / 4 / भील
ठाटी म ठण को वाज्यो, हिवड़ो सवायो जी।
बनी पुई आवें ती, अड़ी जाजी वो।
बनी डूबी आपे ते, छोड़ देजी वो।
बनी बइण आवे ते, अड़ी जाजी वो।
बनी बुकड़ी आपे ते छोड़ि देजी वो।
बनी भाई आवे ते अड़ी जाजी वो
बनी गाय आपे ते छोड़ि देजी वो।
- यह गीत बारात रवाना होने से पूर्व जब दुल्हन को भेंट (ओपी) दी जाती है, उस समय गाया जाता है। दुल्हन को भेंट देने के अवसर पर गाये जाने वाले कन्यादान गीत में कहा गया है- बनी, बुआ आए तो अड़ जाना, बहन आए तो अड़ जाना और भाई आए तो अड़ जाना। ये लोग तुझे भैंस, गाय या बकरी दें तो छोड़ देना।
कलेवा गीत / भील
सासु ने काइ काइ रांद्यो जवांयला।
आवस्या नो भोजन रांद्यो जवांयला।
खाइ ते सलो-वलो करे जवांयला।
गुल ने घिंव ते नारब्यो जवांयला।
खासे तिं घणि मुझा आवसे जवांयला।
-गीत में कहा गया है- जवाँईजी! सास ने भोजन में क्या-क्या बनाया है? उत्तर में कहा है- सिवैयाँ बनाई हैं, खाएँ तो ‘सलो-वलो’ (इधर-उधर) होती हैं। उसमें गुड़-घी डाला है, खाएँगे तब खूब मजा आएगा।
विदाई गीत / 1 / भील
तारा घर मा हिरे भर्यो हिडोलो,
हिचणे वालि काहाँ चालि वो बेनी।
तारा भाइ काजे हेलि-मेलि लेजी वो, हिचणावालि,
काहाँ चालि वो बेनी।
तारि भोजाइ के हेलि-मेलि वो हिचणावालि,
बेनी काहाँ चालि वो।
तारा बावा के हेलि-मेलि लेजी वो हिचणावालि,
बेनी काहाँ चालि वो।
तारि माय काजे हेलि-मेलि लेजि वो हिचणावालि,
बेनी काहाँ चालि वो।
- वर-वधू को विदा करते समय यह गीत गाया जाता है-
वधू से कहा गया है कि तेरे घर मंे रेशम जड़ित झूला है, उसमें झूलने वाली बनी अब कहाँ चली? जाते समय भाई से मिल लेना, भावज से मिल लेना, पिता से मिल लेना और माता से मिल लेना।
विदाई गीत / 2 / भील
सासरे केलवता घणो बुदो, लागसे वो लाड़ी।
माय के छुड़वता घणो बुदो, लागसे वो लाड़ी।
बास के छुड़वता घणो बुदो, लागसे वो लाड़ी।
भाइ के छुड़वता घणो बुदो, लागसे वो लाड़ी।
भोजाइ के छुड़वता घणो बुदो, लागसे वो लाड़ी।
बहणिस् के छुड़वता घणो बुदो, लागसे वो लाड़ी।
बणवि के छुड़वता घणो बुदो, लागसे वो लाड़ी।
फुवाक के छुड़वता घणो बुदो, लागसे वो लाड़ी।
फुई के छुड़वता घणो बुदो, लागसे वो लाड़ी।
- विदाई हो रही है आँगन में पहुँचने पर वर पक्ष की महिलाएँ गीत में कह रही हैं- लाड़ी! तुझे ससुराल अच्छा नहीं लगेगा। माता, पिता, भाई, भावज, बहिन, बहनोई, फूफा और बुआ को छोड़ते हुए तुझे अच्छा नहीं लगेगा।
विदाई गीत / 3 / भील
सोना नो ढुल्यो बेनी, रूपा ना पाया।
ढुल्यो छुड़ि देजी बेनी, माय झुणिं छुड़जी।
सोना नो ढुल्यो बेनी, रूपा ना पाया।
ढुल्यो छुड़ि देजी बेनी, भाइ झुणिं छुड़जी।
सोना नो ढुल्यो बेनी, रूपा ना पाया।
ढुल्यो छुड़ि देजी बेनी, बास झुणिं छुड़जी।
सोना नो ढुल्यो बेनी, रूपा ना पाया।
ढुल्यो छुड़ि देजी बेनी, भोजाइ झुणि छुड़जी।
सोना नो ढुल्यो बेनी, रूपा ना पाया।
ढुल्यो छुड़ि देजी बेनी, बहणिस् झुणि छुड़जी।
- वधू पक्ष की महिलाएँ अश्रुपूरित आँखे लिये विदा कर रही हैं और कहती हैं कि- तेरा पलंग सोने का है और उसके पाये चाँदी के हैं। पलंग छोड़ देना परन्तु माता का मत छोड़ना। इसी प्रकार पिता, भाई-भौजाई एवं बहन को नहीं छोड़ने का आग्रह किया गया है। इस गीत में मुख्य रूप से अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने के लिए आग्रह
किया गया है।
विदाई गीत / 4 / भील
लाडि पछि फिरिन् भाल, तारो बावो पछि बुलावे।
लाडि पछि फिरिन् भाल, तारी माय पछि बुलावे।
लाडि पछि फिरिन् भाल, तारो भाइ पछि बुलावे।
लाडि पछि फिरिन् भाल तारी भोजाइ पछि बुलावे।
बारात रवाना होने को है, दूल्हा आगे चल रहा है, दुल्हन का भाई दुल्हन को उठाये हुए उसके पीछे चल रहा है। मार्मिक क्षण हैं आँखों मे अश्रु लिये वर पक्ष की महिलाएँ यह गीत गाती हैं-
- दुल्हन से कहा गया है कि तू पीछे मुड़कर देख, तेरे पिताजी वापस बुला रहे हैं। आगे इसी प्रकार माता और भाई-भौजाई के बारे में कहा गया है।
विदाई गीत / 5 / भील
पांच डांडानी तारी झोपड़ी वो लाड़ी।
एक इटड़ी नो तारो भीतड़ी वो लाड़ी।
पांच डांडानी तारी झोपड़ी वो लाड़ी।
एक सड़का नो तारो नीपणो वो लाड़ी,
पांच डांडानी तारी झोपड़ी वो लाड़ी।
- दुल्हन अपने पिता के घर से जब विदा होती है, तब वर पक्ष की महिलाएँ ये गीत गाती हैं- लाड़ी से कहा है कि तेरा घर पाँच डाण्डे का है अर्थात् बहुत छोटा है। एक ईंट की दीवार है। घर में जगह कम है एक बार में झाड़ू लग जाती है।
विदाई गीत / 6 / भील
तारा बाबा ना घर मा काम कर्यो, धाम कर्यो
गले नी गलसुण छोड़ी लेधी।
तारा ससरा ना घर मा काम नी कर्यो।
धाम नी कर्यो, गले नी गलसुण बांध लेधी।
तारा वासने ना घर मा काम कर्यो, धाम कर्यो
माथे नी ओढ़णी उतरि लेधी वो।
तारा ससरा ना घर मा काम नहीं कर्यो,
धाम नी कर्यो, माथे पर साड़ी ओढ़ि लेधी वो।
- वर पक्ष की ओर से इस गीत में वधू से कहा गया है कि- तूने अपने पिता के यहाँ काम किया, किन्तु उन्होंने गले की गलसनी, माथे की ओढ़नी सब उतार ली। अभी तूने तेरे ससुर के यहाँ काम नहीं किया किन्तु तुझे गले की गलसनी व ओढ़नी ओढ़ा दी है।
विदाई गीत / 7 / भील
तारा बासे ना घर मा काइ बात।
लागि वो गुरिया लाड़ि, चाल मारे देस।
तारा बासे ना घर मा काइ बात।
तारी माई ने कोई बात करो,
वो गोरी लाड़ी, चाल मार देस।
तारो भाई ने काई बात करो।
वो गोरी लाड़ी, चाल मारा देस।
- वर पक्ष की ओर से वधू को कहा गया है- तुम अपने माँ, पिता और भाई से क्या बात कर रही हो, मेरे देश में चलो, वहाँ तुम्हारी प्रतीक्षा हो रही है।
विदाई गीत / 8 / भील
बनी झाझा भाई ने भेले रमतेली वो।
बनी पीपल छांया मा रमतेली वो।
बनी झाझी वयण भेले रमतेली वो।
बनी झाझी भोजाई ने भेले रमतेली वो।
बनी झाझी फुई ने भेले रमतेली वो।
- वर पक्ष की ओर से दुल्हन को कहा जाता है कि- यह पीपल का वृक्ष बहुत पुराना है। इस पीपल की ठंडी छाया में बहुत से भाई, भौजाई, बुआ, बहन के साथ खेलती थीं।
विदाई गीत / 9 / भील
लाड़ी कर वो येल्यां, वेल्यां घर जावां वो।
तारो एक लो सेसरो, प्यार वाट चाहे वो।
लाड़ी कर वो यंल्यां, वेल्यां घर जावां वो।
तारी एक ली सासू प्यार वाट चाहे वो।
लाड़ी कर वो येल्यां, वेल्यां घर जावां वो।
-वर पक्ष की ओर से कहा गया है कि- लाड़ी जल्दी घर चलो। तेरे ससुर और सास घर का इन्तजार कर रहे हैं।
विदाई गीत / 10 / भील
सासु बोलाड़े बनी जरा बोलजे।
बनी बोल बिराणो लागे।
माई बोलाड़े वेगि बोल नानी बनड़ी।
बोल पियारो लागे।
सेसरो बोलाड़े धीरे-बोल नानी बनड़ी।
बोल बिराणो लागे।
- मायके से लड़की को शिक्षा दी गई है कि मायके वाले आवाज दें तो जल्दी और जोर से बोलना। ससुराल वाले आवाज दें तो धीरे से और शांत-स्वभाव से बोलना। मायके वालों की आवाज प्यारी लगती है, ससुराल वालों की आवाज पराई लगती है।
विदाई गीत / 11 / भील
पीपर्या पाणिन माली पर ताड़ेनो पाते रो।
याहयणी तारो वाजो मांगो, मीन मकी भालूँ वो।
पीपर्या पाणिन माली पर, बोरिनो झीकरो।
झीकरे-झीकरे आव वो, याहयणी पाणि मी वताड़ूवो।
- पीपर्यापानी नामक गाँव के पठार पर ताड़ के पत्ते हैं। समधन से कहना है कि तेरा बाजा माँगता हूँ, नहीं तो तेरी मक्का की रखवाली नहीं करूँगा। आगे कहा गया कि पठार पर बेर के काँटे हैं तू काँटो से होकर आ, मैं तुझे पानी बता दूँगा।
जुवारना गीत / भील
वधू पक्ष- सुदो रहिन् जुवारजी रे लाड़ा,
निंगवाल्या ना देउस आकरा,
सुदो रहिन् जुवार जी।
सुदि रहिन् जुवारजी वो बेनी,
जयो-वयो फगाइ देजी।
वर पक्ष- सुदि रहिन् जुवारजी वो लाड़ी,
देउस हामरा आकरा।
सुदो रहिन् जुवारजी रे लाड़ा,
जयो-वयो फगाइ देजी।
आँगन में विदाई के समय वर-वधू के हाथों में चावल रखकर उस पर पानी डालते हैं। दोनों एक साथ चावल धरती माता को चढ़ाकर हाथ जोड़ते हैं।
- वधू पक्ष की महिलाएँ वर को कहती हैं कि सीधा रहकर अर्थात् ठीक तरह ‘जुवारना’ हमारे देवता बहुत तीखे हैं, नहीं तो नाराज हो जाएँगे। वधू से कहती हैं कि- तू इधर-उधर फेंक देना। वर पक्ष की महिलाएँ वधू से कह रही हैं कि- लाड़ी तू ठीक से ‘जुवारना’ हमारे देवता बहुत तीखे हैं। वर से कहती हैं- तू इधर-उधर फेंक देना।
भाँवर गीत / 1 / भील
मारो कवचड़ा पर, ढेड्या दासे झुणी।
कवच आजड़ झांजड़ करे, ढेड्या दासे झुणी।
पुर्यो चुली मेकण आयो, पुरयो धड़-धड़ कांपे वो।
- विवाह के दिन फेरे के समय दूल्हे का छोटा भाई दुल्हन के लिए चोली लेकर दुल्हन के घर में जाता है। स्त्रियाँ कहती हैं- ले लड़के! मेरा कवच का घर है, भागना मत। कवच हिलती है तुझे लग जाएगी, भागना मत। वह लड़का जो चोली देने के लिये आया है, थर-थर काँप रहा है।
भाँवर गीत / 2 / भील
वर पक्ष- पाच फेरा फिरजि बेना, पारकि लाड़ी छे।
वधू पक्ष- पाच फेरा फिरजि बेनी, पारको लाड़ो छे।
वधू पक्ष- लाकड़ि काटि देजि बेनी, लाड़ो टेके-टेके चाले।
वर पक्ष- लाकड़ि काटि देजि बेना, लाड़ी टेके-टेके चाले।
- यह गीत भाँवर के समय वर-वधू के लिये गाया जाता है। वास्तविक रूप से
चार फेरे में दूल्हा आगे रहता है और तीन फेरे मंे दुल्हन आगे रहती है।
गीत में कहा गया है- बना पाँच फेरे फिरना लाड़ी पराई है। इसी प्रकार बनी को
कहा है- पाँच फेरे फिरना दूल्हा पराया है। दूल्हे-दुल्हन की हँसी करते हुए कहा
गया है- बनी लकड़ी काटकर देना, बना उसे टेकते हुए चलेगा। फिर दूल्हे को
कहा है- लकड़ी काटकर देना, दुल्हन उसे टेकते हुए चलेगी।
विरह गीत / भील
माथे नी हयणी ढली गई,
कहां लग भालुं तारी वाट रे।
हाथ रंगीली लाकड़ी,
रही गई ढोलिहा हेट रे।
चूल्हा पर खिचड़ी सेलाई गई,
कहां लग भालुं तारी वाट रे।
सींका पर चूरमो सेलाई ग्यो,
कहां लग भालुं तारी वाट रे।
मारो रावलियो कुकड़ो तो,
रावलियो-रावलियो जाये रे।
राजा नी रानी जागसे,
तो टोपसे ढोलिड़ा हेट रे॥
- प्रियतमा अपने प्रियतम का इन्तजार कर रही है। वह कहती है- हिरणी (आसमान में उदित होने वाले तीन तारे, जिन्हें देखकर समय का अनुमान लगाया जाता है) ढल गयी है अर्थात् आधी रात हो गयी है, अभी तक प्रिय घर नहीं आये, मैं कब तक राह देखूँ? उनके लिए रखी खिचड़ी और सींके पर रखा चूरमा भी ठण्डा हो गया है। प्रेयसी, प्रिय के विरह में इतनी व्याकुल हो गयी है कि मुर्गे को टोकनी में बन्द करना ही भूल गयी।
बाना गीत / 1 / भील
गुदड़ये बठो रे बानो कागते वाचे।
इनी धड़े फुवो, पली धड़े फुई।
विच मा बठो रे बानो, कागते वाचे।
इनी धड़े भाई, पत्नी धड़े भोजाई,
विच मा बठो रे बानो, कागते वाचे।
इनी धड़े बनवी, पत्नी धड़े बइण
विच मा बठो रे बानो कागद वाचे।
- गद्दी पर बैठा हुआ दूल्हा कागज पढ़ रहा है। दूल्हे के एक तरफ फूफा बैठा है और दूसरी तरफ फूफी बैठी है। बीच में दूल्हा कागज पढ़ रहा है। इस ओर भाई तथा उस ओर भौजाई बैठी है। इस ओर बहन और उस ओर बहनोई बैठा है। बीच में बैठा बना कागज पढ़ रहा है।
बाना गीत / 2 / भील
कुणे कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो।
बइण कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो।
कुणे कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो।
भोजाई कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो।
कुणे कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो।
भाई कह्यो ने गुदड़ये बठो रे बनो।
- जमीन पर गादी बिछाकर दूल्हा-दुल्हन को बैठाते हैं, जिसे बाना बैठाना कहा जाता है। दूल्हे के बाने बैठने पर गीत में प्रश्नोत्तर किये गये हैं कि- किसने-किसने कहा जब दूल्हा गादी पर बैठ गया? उत्तर में कहा है कि- बहन, भौजाई व भाई ने कहा, तब बना गादी पर बैठा।
बाना गीत / 3 / भील
झिनि-झिनि आमली मुरे आइ बना तारा राज मा।
बना तारो फुवो नी आयो, तारा राज मा।
झिनि-झिनि आमली मुरे आइ बना तारा राज मा।
बना तारो फुई नी आवी, तारा राज मा।
झिनि-झिनि आमली मुरे आइ बना तारा राज मा।
- छोटे पत्तों वाली इमली के फूल आ रहे हैं, ऐसे में ब्याह हो रहा है। गीत में दूल्हे से पूछा गया है कि- दूल्हे राजा! तेरे राज में बुआ, फूफा और बहिन नहीं आई हैं।
हल्दी गीत / भील
तेल लेवो बनी तारो सरगयो तेल।
तुखे मसे वो गोरी बनी पीठी रोलो॥
ऊं डे कुवे नोका दे वड़ो, काला लाड़ा कूचोल से।
तू ते नाहिले वो, नाहिले वो, गोरी बनी।
नवला पोतल्या पांधरले वो, गोरी बनी।
- गीत गाते हुए लाड़ी (दुल्हन) को हल्दी का उबटन लगाया जा रहा है। लाड़ी को प्रसन्न करने के लिए इस गीत में कहा गया है कि- तुझे तेल-रोलां मल रहे हैं। काले लाड़े को गहरे कुएँ का कीचड़ मलेंगे। हल्दी मलने के बाद स्नानकर लाड़ी को नये कपड़े पहनने के लिए आग्रह किया गया है।
विवाह गीत / 17 / भील
बइण आवि ने काइ लाइ रे, मइसुरनी।
मांदल लावनी ने तली भूली रे, भंवरजी।
फूवो आयो ने काइ लायो रे, भंवरजी।
ढोलग्या लायो ने, फेफ्र्या भूल्यो रे भंवरजी॥
- विवाह गीत में दूल्ह से पूछा गया है कि- बहन, फूफी (बुआ) और फूफा आये हैं, वे तुम्हारे लिये क्या-क्या लाये हैं? बहन आई है माँदल लाई है पर माँदल के साथ बजने वाली थाली भूल गई है। फूफा ढोल लेकर आये हैं लेकिन ढोल के साथ बजने वाली शहनाई (फेफर्या) भूल आये हैं।
विवाह गीत / 18 / भील
छाबो भरि पापड़ अलग मेकसे।
याहिणी वो लांगड़ चाई गुई।
भाट्यो भरि दारुड़ो अलग मेकसे
याहिणी वो लांगड़ पी गुई।
छाबो भरि खार्या अलग मेकसे।
याहिणी वो लांगड़ खाई गुई।
- समधन के लिए वधू पक्ष की स्त्रियाँ कह रही हैं- हमारी समधन बहुत दुखी और पेटू है। समधन के सामने हमने बहुत से पापड़ रखे, वो सभी खा गई, पूरी दारू पी गई और सेंव भी खा गई, ये कैसी समधन है?
विवाह गीत / 19 / भील
चिकल्या घर जाओ बना,
चिकल्या घर जाओ बना।
तरवार विसाई ने वेधा घर आवो बना।
वाणिला घर जाओ बना।
पाधां विसाई ने वेधा घर आवो बना॥
- इस गीत में दूल्हे से कहा गया है कि- तुम सिकलीगल (तलवार बनाने वाले) के घर जाओ और तलवार लेकर जल्दी घर आओ। महाजन के यहाँ जाओ और पगड़ी लेकर जल्दी घर आओ।
भाँवर गीत / 2 / भील
बनी चवरी में खेले, सूरज फूल खेले।
बनी चवरी में खेले, रंगइलो फूल खेले।
मारि रंग रूपाली बिल्खी वो
चरवयो खेलो चुट।
बनी चवरी में खेले, सूरज फूल खेले।
- फेरे के समय चवरी की सजावट के बारे में बताया गया है। सूर्यमुखी फूल, रंगीन फूल चवरी में लगे हैं।
चाँवर गीत / 1 / भील
राजा नी बेटी नहीं नवे, नहीं नवे।
वाण्या नो बेटो, उरो नवे, परो नवे।
एक फेरो फिर जी बनी, चार को बनो छे।
बनी पयणाय जाजी ने, पछी आवती रहजी।
- फेरे के समय वधू को कहा गया है कि- वधू, राजा की लड़की है वह झुकेगी नहीं। बनिया का बेटा इधर झुकता है उधर झुकता है। बनी को फेरे के लिए कहा है। एक फेरा फिर, बना पराया है। दुल्हन अड़ रही है। सहेलियाँ कह रही हैं- ब्याह कर ले फिर वापस पीहर आ जाना।
बारात गीत / 1 / भील
तूके कुण बुलायो, ने कुणे घर आयो रे
रायजादा बनड़ा।
तारा काकड़ पर डेरो देणो देजी वो
रायजादी बनड़ी।
तारो दाजी लिखलो कागद में क्यों वो
रायजादी बनड़ी।
तारा मांडवा मा डेरा देणों देजी वो
रायजादी बनड़ी।
तूके कुण बुलायो, ने कुणे घर आयो रे
रायजादा बनड़ा।
- इस गीत में वधू पक्ष की स्त्रियाँ दूल्हे से कह रही हैं- तुझे किसने बुलाया और तू किसके घर आया है? तो दूल्हा, दुल्हन से कह रहा है कि- तेरे पिताजी ने पत्र देकर मुझे यहाँ बुलाया है। तुम्हारे गाँव व मंडप में मुझे ठहरने दो।
गाली गीत / 1/ भील
काकड़ी नो वेलों, खड़ो-खड़ो वाजे।
याहिणिंक ढुके ते, घमघुले वाजे।
बेनो निहिं मान्यो ने, भिलड़ा मा लायो।
बेनो निहिं मान्यो ने, दात्याला मा लायो।
बेनो निहिं मान्यो ने, डाहवाला मा लायो।
बेनो निहिं मान्यो ने, ढुमाला मा लायो।
बेनो निहिं मान्यो ने, दारूड्या मा लायो।
- ककड़ी का वेला खड़-खड़ बज रहा है, समधन को ठोकें तो धमाधम आवाज आ रही है। बना नहीं माना अपनी मर्जी से लाड़ी पसंद की और ‘भिलड़ो’ में ले आया अर्थात्व्य वहार अच्छा नहीं है। बना नहीं माना, दाता-कच्ची करने वालों में ले आया। घमंडियों में ले आया। धूम करने वाले (घमंडियों) में ले आया, दारू पीने वालों में ले आया।
गाली गीत / 2 / भील
काकड़ी नो डीरो टरका करे।
आइणि नो माटि टरका करे।
काकड़ी नो डीरो टरका करे।
मंगली नो माटी टरका करे।
काकड़ी नो डीरो टरका करे।
सुमली नो लाड़ो टरका करे।
- ककड़ी का डीरा टर-टर कर रहा है, समधन का पति टर्रा रहा है। ककड़ी का डीरा टर-टर कर रहा है, मंगली का खसम टर्रा रहा है। ककड़ी का डीरा टर-टर रहा है, सुमली का पति टर्रा रहा है।
गाली गीत / 3 / भील
तारि माय नो काम कुण करसे वो बूढ़ी लाड़ि।
करसे करसे ने घड़िक रड़से वो मारि बूढ़ी लाड़ि।
तारि माय ना रूटा कुण करसे वो बूढ़ी लाड़ि।
करसे करसे ने घड़िक रड़से वो मारि बुढ़ि लाड़ि।
- दुल्हन से वर पक्ष की महिलाएँ गीत में कह रही हैं कि बूढ़ी लाड़ी तेरी माँ का काम कौन करेगा? वही करेगी और थोड़ी देर रोएगी। तेरी माँ की रोटियाँ कौन बनाएगा? वही बनाएगी और थोड़ी देर रोएगी।
विवाह गीत (गाली) / भील
बयड़ी आडल ढुलकी वाजे हो।
बांगड़ भड़के झुणी वो।
तारो माटी रामस्यो आवे वो,
बांगड़ भड़के झुणी वो।
तारा माटी नो मांडवो वो, मांडवे नाचण आइ।
हामु हजार भर्या ने, हामु मांडवे आइ।
तारा माटी नो मांडवो वो, मांडवे नाचण आइ।
- बारात दुल्हन के यहाँ आती है तब मंडप में वर पक्ष की औरतं भी नाचती है।
वधू पक्ष की औरतें गालियाँ गाती हैं।
टेकरी की आड़ (पीछे) में ढोलक बज रही है तुम भड़कना मत। यह मंडप रामसिंह का है। तुम्हारे लाड़ले का है जो तुम मांडवे में नाचने को आ गईं? उत्तर में वर पक्ष की औरतें गीत में कहती हैं कि- हमने दहेज में लड़की के पिता को एक हजार रुपये दिये तब हम नाचने को आई हैं।
भील जनजाति के अन्य गीत
भील जन्म गीत लोकगीत Bheel Janjati ke Janmotsav Geet Lyrics (Bhil)
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