सकी री मैं शबद चेत बरसाया।
जुगन-जुगन को लिखो चतेवर जब यह नाम लखाया।
विन कर कलम स्याही बिन रस्कत सहज सुरत लिख ज्याया।
दिष्ट अदिष्ट वरन नहिं भेका सुरत सुन्न समुझ घर गाया।
ठाकुरदास मिले गुरु पूरे जूड़ीराम चरन सिर नाया।
हिंदी कवि पर कविता, कहानी, ग़ज़ल - शायरी, गीत -लोकगीत, दोहे, भजन, हास्य - व्यंग्य और कुछ अन्य रचनाएं साहित्य के भंडार से
सकी री मैं शबद चेत बरसाया।
जुगन-जुगन को लिखो चतेवर जब यह नाम लखाया।
विन कर कलम स्याही बिन रस्कत सहज सुरत लिख ज्याया।
दिष्ट अदिष्ट वरन नहिं भेका सुरत सुन्न समुझ घर गाया।
ठाकुरदास मिले गुरु पूरे जूड़ीराम चरन सिर नाया।
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