सखि हे! कैसें जैबै पिया के नगरिया छोटेलाल दास भजन / Sakhi He! Kaise Jaibe Chhote Lal Das Bhajan

 

॥झूमर॥

सखि हे! कैसें जैबै पिया के नगरिया, बीहड़ छै डगरिया ना॥टेक॥
जैबै गुरु के दरबार, करबै सेवा-सतकार।
गुरुँ देतै हमरा असली युगतिया, बीहड़ छै डगरिया ना॥1॥
एकटक देखबै दसमाँ द्वार, तोड़बै बजर किवार।
घुसबै पिया के फुल-बगिया, बीहड़ छै डगरिया ना॥2॥
सुनबै झाँझ मँजीरा तूर, बाजा मधुर-मधुर भरपूर।
सुनबै पिया के बँसुरिया, बीहड़ छै डगरिया ना॥3॥
जैबै प्रेम में बौराय, लेते पियबाँ बोलाय।
पैसी जैबै पिया के महलिया, बीहड़ छै डगरिया ना॥4॥
मिलतै पिया दिलदार, पैबै आनन्द अपार।
‘लाल दास’ नैं ऐबै फेरु नैहरिया, बीहड़ छै डगरिया ना॥5॥ 

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