Saturday, December 7, 2024

Panchtantra Hindi Kahani Story पंचतंत्र की कहानी हिंदी कहानियाँ

चतुर बिल्ली पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
Chtur billi Panchtantra Hindi Kahani Story

एक चिड़ा पेड़ पर घोंसला बनाकर मजे से रहता था। एक दिन वह दाना पानी के चक्कर में अच्छी फसल वाले खेत में पहुंच गया। वहां खाने पीने की मौज से बड़ा ही खुश हुआ। उस खुशी में रात को वह घर आना भी भूल गया और उसके दिन मजे में वहीं बीतने लगे।

इधर शाम को एक खरगोश उस पेड़ के पास आया जहां चिड़े का घोंसला था। पेड़ जरा भी ऊंचा नहीं था। इसलिए खरगोश ने उस घोंसलें में झांक कर देखा तो पता चला कि यह घोंसला खाली पड़ा है। घोंसला अच्छा खासा बड़ा था इतना कि वह उसमें खरगोश आराम से रह सकता था। उसे यह बना बनाया घोंसला पसंद आ गया और उसने यहीं रहने का फैसला कर लिया।

कुछ दिनों बाद वह चिड़ा खा-खा कर मोटा ताजा बन कर अपने घोंसलें की याद आने पर वापस लौटा। उसने देखा कि घोंसलें में खरगोश आराम से बैठा हुआ है। उसे बड़ा गुस्सा आया, उसने खरगोश से कहा,

चोर कहीं के, मैं नहीं था तो मेरे घर में घुस गए हो? चलो निकलो मेरे घर से, जरा भी शरम नहीं आई मेरे घर में रहते हुए?'

खरगोश शान्ति से जवाब देने लगा,

कहां का तुम्हारा घर? कौन सा तुम्हारा घर? यह तो मेरा घर है। पागल हो गए हो तुम। अरे! कुआं, तालाब या पेड़ एक बार छोड़कर कोई जाता हैं तो अपना हक भी गवां देता हैं। यहां तो जब तक हम हैं, वह अपना घर है। बाद में तो उसमें कोई भी रह सकता है। अब यह घर मेरा है। बेकार में मुझे तंग मत करो।'

यह बात सुनकर चिड़ा कहने लगा,

ऐसे बहस करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला। किसी धर्मपण्डित के पास चलते हैं। वह जिसके हक में फैसला सुनायेगा उसे घर मिल जाएगा।'

उस पेड़ के पास से एक नदी बहती थी। वहां पर एक बड़ी सी बिल्ली बैठी थी। वह कुछ धर्मपाठ करती नजर आ रही थी। वैसे तो यह बिल्ली इन दोनों की जन्मजात शत्रु है लेकिन वहां और कोई भी नहीं था इसलिए उन दोनों ने उसके पास जाना और उससे न्याय लेना ही उचित समझा। सावधानी बरतते हुए बिल्ली के पास जा कर उन्होंने अपनी समस्या बताई।

उन्होंने कहा,

हमने अपनी उलझन तो बता दी, अब इसका हल क्या है? इसका जबाब आपसे सुनना चाहते हैं। जो भी सही होगा उसे वह घोंसला मिल जाएगा और जो झूठा होगा उसे आप खा लें।'

अरे रे !! यह तुम कैसी बातें कर रहे हो, हिंसा जैसा पाप नहीं इस दुनिया में। दूसरों को मारने वाला खुद नरक में जाता है। मैं तुम्हें न्याय देने में तो मदद करूंगी लेकिन झूठे को खाने की बात है तो वह मुझसे नहीं हो पाएगा। मैं एक बात तुम लोगों को कानों में कहना चाहती हूं, जरा मेरे करीब आओ तो!!'

खरगोश और चिड़ा खुश हो गए कि अब फैसला हो कर रहेगा। और उसके बिलकुल करीब गए। फिर क्या? करीब आए खरगोश को पंजे में पकड़ कर मुंह से चिड़े को बिल्ली ने नोंच लिया। दोनों का काम तमाम कर दिया। अपने शत्रु को पहचानते हुए भी उस पर विश्वास करने से खरगोश और चिड़े को अपनी जानें गवांनी पड़ीं।

(सच है, शत्रु से संभलकर और हो सके तो चार हाथ दूर ही रहने में भलाई होती है। )

अक़्लमंद हंस पंचतंत्र की कहानी हिंदी
akalmand hans Panchtantra Hindi Kahani Story 

एक बहुत बड़ा विशाल पेड़ था। उस पर बहुत से हंस रहते थे। उनमें एक बहुत सयाना हंस था। वह बुद्धिमान और बहुत दूरदर्शी था। सब उसका आदर करते 'ताऊ' कहकर बुलाते थे। एक दिन उसने एक नन्ही-सी बेल को पेड़ के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया। ताऊ ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा,

देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुँह में ले जाएगी।

एक युवा हंस हँसते हुए बोला,

ताऊ, यह छोटी-सी बेल हमें कैसे मौत के मुँह में ले जाएगी?

सयाने हंस ने समझाया,

आज यह तुम्हें छोटी-सी लग रही हैं। धीरे-धीरे यह पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी। फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से चिपक जाएगा, तब नीचे से ऊपर तक पेड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी बन जाएगी। कोई भी शिकारी सीढ़ी के सहारे चढ़कर हम तक पहुंच जाएगा और हम मारे जाएँगे।

दूसरे हंस को यक़ीन न आया,

एक छोटी सी बेल कैसे सीढ़ी बन जाएगी?

तीसरा हंस बोला,

ताऊ, तू तो एक छोटी-सी बेल को खींच कर ज्यादा ही लम्बा कर रहा है।

किसी ने कहा, "यह ताऊ अपनी अक्ल का रोब डालने के लिए अर्थहीन कहानी गढ़ रहा है।"

इस प्रकार किसी भी हंस ने ताऊ की बात को गंभीरता से नहीं लिया। इतनी दूर तक देख पाने की उनमें अक्ल कहां थी!

समय बीतता रहा। बेल लिपटते-लिपटते ऊपर शाखों तक पहुंच गई। बेल का तना मोटा होना शुरु हुआ और सचमुच ही पेड़ के तने पर सीढ़ी बन गई जिस पर आसानी से चढ़ा जा सकता था। सबको ताऊ की बात की सच्चाई नजर आने लगी पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बेल इतनी मजबूत हो गई थी कि उसे नष्ट करना हंसों के बस की बात नहीं थी। एक दिन जब सब हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे तब एक बहेलिआ उधर आ निकला। पेड़ पर बनी सीढ़ी को देखते ही उसने पेड़ पर चढकर जाल बिछाया और चला गया। साँझ को सारे हंस लौट आए पेड़ पर उतरे तो बहेलिए के जाल में बुरी तरह फंस गए। जब वे जाल में फंस गए और फड़फड़ाने लगे  तब उन्हें ताऊ की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता लगा। सब ताऊ की बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे। ताऊ सबसे रुष्ट था और चुप बैठा था।

एक हंस ने हिम्मत करके कहा,

"ताऊ, हम मूर्ख हैं लेकिन अब हमसे मुँह मत फेरो।'

दूसरा हंस बोला, 

इस संकट से निकालने की तरकीब तू ही हमें बता सकता हैं। आगे हम तेरी कोई बात नहीं टालेंगे।"""

सभी हंसों ने हामी भरी तब ताऊ ने उन्हें बताया,

मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना। बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकाल कर जमीन पर रखता जाएगा। वहां भी मरे समान पड़े रहना जैसे ही वह अन्तिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा। मेरी सीटी सुनते ही सब उड़ जाना।

सुबह बहेलिया आया। हंसो ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था। सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर जमीन पर पटकता गया। सीटी की आवाज के साथ ही सारे हंस उड़ गए। बहेलिया अवाक् होकर देखता रह गया।

सीखः बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए।

आपस की फूट पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
aapas ki foot Panchtantra Hindi Kahani Story

प्राचीन समय में एक विचित्र पक्षी रहता था। उसका धड एक ही था, परन्तु सिर दो थे नाम था उसका भारुंड। एक शरीर होने के बावजूद उसके सिरों में एकता नहीं थी और न ही था तालमेल। वे एक दूसरे से बैर रखते थे। हर जीव सोचने समझने का काम दिमाग से करता हैं और दिमाग होता हैं सिर में दो सिर होने के कारण भारुंड के दिमाग भी दो थे। जिनमें से एक पूरब जाने की सोचता तो दूसरा पश्चिम फल यह होता था कि टांगें एक क़दम पूरब की ओर चलती तो अगला क़दम पश्चिम की ओर और भारूंड स्वयं को वहीं खडा पाता ता। भारुंड का जीवन बस दो सिरों के बीच रस्साकसी बनकर रह गया था।

एक दिन भारुंड भोजन की तलाश में नदी तट पर धूम रहा था कि एक सिर को नीचे गिरा एक फल नजर आया। उसने चोंच मारकर उसे चखकर देखा तो जीभ चटकाने लगा 'वाह! ऐसा स्वादिष्ट फल तो मैंने आज तक कभी नहीं खाया। भगवान ने दुनिया में क्या-क्या चीजें बनाई हैं।'

अच्छा! जरा मैं भी चखकर देखूं।' कहकर दूसरे ने अपनी चोंच उस फल की ओर बढाई ही थी कि पहले सिर ने झटककर दूसरे सिर को दूर फेंका और बोला 'अपनी गंदी चोंच इस फल से दूर ही रख। यह फल मैंने पाया हैं और इसे मैं ही खाऊंगा।'

अरे! हम् दोनों एक ही शरीर के भाग हैं। खाने-पीने की चीजें तो हमें बांटकर खानी चाहिए।' दूसरे सिर ने दलील दी। पहला सिर कहने लगा 'ठीक ! हम एक शरीर के भाग हैं। पेट हमार एक ही हैं। मैं इस फल को खाऊंगा तो वह पेट में ही तो जाएगा और पेट तेरा भी हैं।'

दूसरा सिर बोला 'खाने का मतलब केवल पेट भरना ही नहीं होता भाई। जीभ का स्वाद भी तो कोई चीज हैं। तबीयत को संतुष्टि तो जीभ से ही मिलती हैं। खाने का असली मजा तो मुंह में ही हैं।'

पहला सिर तुनकर चिढाने वाले स्वर में बोला 'मैंने तेरी जीभ और खाने के मजे का ठेका थोडे ही ले रखा हैं। फल खाने के बाद पेट से डकार आएगी। वह डकार तेरे मुंह से भी निकलेगी। उसी से गुजारा चला लेना। अब ज़्यादा बकवास न कर और मुझे शांति से फल खाने दे।' ऐसा कहकर पहला सिर चटकारे ले-लेकर फल खाने लगा।

इस घटना के बाद दूसरे सिर ने बदला लेने की ठान ली और मौके की तलाश में रहने लगा। कुछ दिन बाद फिर भारुंड भोजन की तलाश में घूम रहा था कि दूसरे सिर की नजर एक फल पर पडी। उसे जिस चीज की तलाश थी, उसे वह मिल गई थी। दूसरा सिर उस फल पर चोंच मारने ही जा रहा था कि कि पहले सिर ने चीखकर चेतावनी दी 'अरे, अरे! इस फल को मत खाना। क्या तुझे पता नहीं कि यह विषैला फल हैं? इसे खाने पर मॄत्यु भी हो सकती है।'

दूसरा सिर हंसा 'हे हे हे! तु चुपचाप अपना काम देख। तुझे क्या लेना हैं कि मैं क्या खा रहा हूं? भूल गया उस दिन की बात?'

पहले सिर ने समझाने कि कोशिश की 'तुने यह फल खा लिया तो हम दोनों मर जाएंगे।'

दूसरा सिर तो बदला लेने पर उतारु था। बोला 'मैने तेरे मरने-जीने का ठेका थोडे ही ले रखा हैं? मैं जो खाना चाहता हूं, वह खाऊंगा चाहे उसका नतीजा कुछ भी हो। अब मुझे शांति से विषैला फल खाने दे।'

दूसरे सिर ने सारा विषैला फल खा लिया और भारुंड तडप-तडपकर मर गया।

सीखः -- आपस की फूट सदा ले डूबती हैं।

चतुर खरगोश पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
chatur khargosh Panchtantra Hindi Kahani Story

एक बड़े से जंगल में शेर रहता था। शेर गुस्से का बहुत तेज था। सभी जानवर उससे बहुत डरते थे। वह सभी जानवरों को परेशान करता था। वह आए दिन जंगलों में पशु-पक्षियों का शिकार करता था। शेर की इन हरकतों से सभी जानवर चिंतित थे।

एक दिन जंगल के सभी जानवरों ने एक सम्मेलन रखा। जानवरों ने सोचा शेर की इस रोज-रोज की परेशानी से तो क्यों न हम खुद ही शेर को भोजन ला देते हैं। इससे वह किसी को भी परेशान नहीं करेगा और खुश रहेगा।

सभी जानवरों ने एकसाथ शेर के सामने अपनी बात रखी। इससे शेर बहुत खुश हुआ। उसके बाद शेर ने शिकार करना भी बंद कर दिया।

एक दिन शेर को बहुत जोरों से भूख लग रही थी। एक चतुर खरगोश शेर का खाना लाते-लाते रास्ते में ही रुक गया। फिर थोड़ी देर बाद खरगोश शेर के सामने गया। शेर ने दहाड़ते हुए खरगोश से पूछा इतनी देर से क्यों आए? और मेरा खाना कहां है?

चतुर खरगोश बोला, शेरजी रास्ते में ही मुझे दूसरे शेर ने रोक लिया और आपका खाना भी खा गया। शेर बोला इस जंगल का राजा तो मैं हूं यह दूसरा शेर कहां से आ गया।

खरगोश ने बोला, चलो शेरजी मैं आपको बताता हूं वो कहां है। शेर खरगोश के साथ जंगल की तरफ गया। चतुर खरगोश शेर को बहुत दूर ले गया। खरगोश शेर को कुएं के पास ले गया और बोला शेरजी इसी के अंदर रहता है वह शेर।

शेर ने जैसी ही कुएं में देखा और दहाड़ लगाई। उसे उसी की परछाई दिख रही थी। वह समझा दूसरा शेर भी उसे ललकार रहा है। उसने वैसे ही कुएं में छलांग लगा दी। इस प्रकार जंगल के अन्य जानवरों को उससे मुक्ति मिली और खरगोश की सबने खूब सराहना की।

गजराज और मूषकराज पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
gajraj aur mushakraj Panchtantra Hindi Kahani Story

गजराज और मूषकराज

प्राचीन काल में एक नदी के किनारे बसा नगर व्यापार का केन्द्र था। फिर आए उस नगर के बुरे दिन, जब एक वर्ष भारी वर्षा हुई। नदी ने अपना रास्ता बदल दिया।

लोगों के लिए पीने का पानी न रहा और देखते ही देखते नगर वीरान हो गया अब वह जगह केवल चूहों के लायक रह गई। चारों ओर चूहे ही चूहे नजर आने लगे। चूहो का पूरा साम्राज्य ही स्थापित हो गया। चूहों के उस साम्राज्य का राजा बना मूषकराज चूहा। चूहों का भाग्य देखो, उनके बसने के बाद नगर के बाहर जमीन से एक पानी का स्त्रोत फूट पडा और वह एक बडा जलाशय बन गया।

नगर से कुछ ही दूर एक घना जंगल था। जंगल में अनगिनत हाथी रहते थे। उनका राजा गजराज नामक एक विशाल हाथी था। उस जंगल क्षेत्र में भयानक सूखा पडा। जीव-जन्तु पानी की तलाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरने लगे। भारी भरकम शरीर वाले हाथियों की तो दुर्दशा हो गई।

हाथियों के बच्चे प्यास से व्याकुल होकर चिल्लाने व दम तोडने लगे। गजराज खुद सूखे की समस्या से चिंतित था और हाथियों का कष्ट जानता था। एक दिन गजराज की मित्र चील ने आकर खबर दी कि खंडहर बने नगर के दूसरी ओर एक जलाशय हैं। गजराज ने सबको तुरंत उस जलाशय की ओर चलने का आदेश दिया। सैकडों हाथी प्यास बुझाने डोलते हुए चल पडे। जलाशय तक पहुंचने के लिए उन्हें खंडहर बने नगर के बीच से गुजरना पडा।

हाथियों के हजारों पैर चूहों को रौंदते हुए निकल गए। हजारों चूहे मारे गए। खंडहर नगर की सडकें चूहों के खून-मांस के कीचड से लथपथ हो गई। मुसीबत यहीं खत्म नहीं हुई। हाथियों का दल फिर उसी रास्ते से लौटा। हाथी रोज उसी मार्ग से पानी पीने जाने लगे।

काफी सोचने-विचारने के बाद मूषकराज के मंत्रियों ने कहा

“महाराज, आपको ही जाकर गजराज से बात करनी चाहिए। वह दयालु हाथी हैं।”

मूषकराज हाथियों के वन में गया। एक बडे पेड के नीचे गजराज खडा था।

मूषकराज उसके सामने के बडे पत्थर के ऊपर चढा और गजराज को नमस्कार करके बोला

“गजराज को मूषकराज का नमस्कार। हे महान हाथी, मैं एक निवेदन करना चाहता हूं।”

आवाज गजराज के कानों तक नहीं पहुंच रही थी। दयालु गजराज उसकी बात सुनने के लिए नीचे बैठ गया और अपना एक कान पत्थर पर चढे मूषकराज के निकट ले जाकर बोला

“नन्हें मियां, आप कुछ कह रहे थे। कॄपया फिर से कहिए।”

मूषकराज बोला

“हे गजराज, मुझे चूहा कहते हैं। हम बडी संख्या में खंडहर बनी नगरी में रहते हैं। मैं उनका मूषकराज हूं। आपके हाथी रोज जलाशय तक जाने के लिए नगरी के बीच से गुजरते हैं। हर बार उनके पैरों तले कुचले जाकर हजारों चूहे मरते हैं। यह मूषक संहार बंद न हुआ तो हम नष्ट हो जाएंगे।”

गजराज ने दुख भरे स्वर में कहा

“मूषकराज, आपकी बात सुन मुझे बहुत शोक हुआ। हमें ज्ञान ही नहीं था कि हम इतना अनर्थ कर रहे हैं। हम नया रास्ता ढूढ लेंगे।”

मूषकराज कॄतज्ञता भरे स्वर में बोला

“गजराज, आपने मुझ जैसे छोटे जीव की बात ध्यान से सुनी। आपका धन्यवाद। गजराज, कभी हमारी जरुरत पडे तो याद जरुर कीजिएगा।”

गजराज ने सोचा कि यह नन्हा जीव हमारे किसी काम क्या आएगा। सो उसने केवल मुस्कुराकर मूषकराज को विदा किया। कुछ दिन बाद पडौसी देश के राजा ने सेना को मजबूत बनाने के लिए उसमें हाथी शामिल करने का निर्णय लिया। राजा के लोग हाथी पकडने आए। जंगल में आकर वे चुपचाप कई प्रकार के जाल बिछाकर चले जाते हैं। सैकडों हाथी पकड लिए गए। एक रात हाथियों के पकडे जाने से चिंतित गजराज जंगल में घूम रहे थे कि उनका पैर सूखी पत्तियों के नीचे छल से दबाकर रखे रस्सी के फंदे में फंस जाता हैं। जैसे ही गजराज ने पैर आगे बढाया रस्सा कस गया। रस्से का दूसरा सिरा एक पेड के मोटे तने से मजबूती से बंधा था। गजराज चिंघाडने लगा। उसने अपने सेवकों को पुकारा, लेकिन कोई नहीं आया।कौन फंदे में फंसे हाथी के निकट आएगा? एक युवा जंगली भैंसा गजराज का बहुत आदर करता था। जब वह भैंसा छोटा था तो एक बार वह एक गड्ढे में जा गिरा था। उसकी चिल्लाहट सुनकर गजराज ने उसकी जाअन बचाई थी। चिंघाड सुनकर वह दौडा और फंदे में फंसे गजराज के पास पहुंचा। गजराज की हालत देख उसे बहुत धक्का लगा। वह चीखा

“यह कैसा अन्याय हैं? गजराज, बताइए क्या करुं? मैं आपको छुडाने के लिए अपनी जान भी दे सकता हूं।”

गजराज बोले

“बेटा, तुम बस दौडकर खंडहर नगरी जाओ और चूहों के राजा मूषकराजा को सारा हाल बताना। उससे कहना कि मेरी सारी आस टूट चुकी हैं।

भैंसा अपनी पूरी शक्ति से दौडा-दौडा मूषकराज के पास गया और सारी बात बताई। मूषकराज तुरंत अपने बीस-तीस सैनिकों के साथ भैंसे की पीठ पर बैठा और वो शीघ्र ही गजराज के पास पहुंचे। चूहे भैंसे की पीठ पर से कूदकर फंदे की रस्सी कुतरने लगे। कुछ ही देर में फंदे की रस्सी कट गई व गजराज आजाद हो गए।

सीखः आपसी सदभाव व प्रेम सदा एक दूसरे के कष्टों को हर लेते हैं।

दोस्ती की परख पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
dosti ki parakh Panchtantra Hindi Kahani Story

दोस्ती की परख

एक जंगल था । गाय, घोड़ा, गधा और बकरी वहाँ चरने आते थे । उन चारों में मित्रता हो गई । वे चरते-चरते आपस में कहानियाँ कहा करते थे । पेड़ के नीचे एक खरगोश का घर था । एक दिन उसने उन चारों की मित्रता देखी ।

खरगोश पास जाकर कहने लगा - "तुम लोग मुझे भी मित्र बना लो ।"

उन्होंने कहा - "अच्छा ।"

तब खरगोश बहुत प्रसन्न हुआ । खरगोश हर रोज़ उनके पास आकर बैठ जाता । कहानियाँ सुनकर वह भी मन बहलाया करता था ।

एक दिन खरगोश उनके पास बैठा कहानियाँ सुन रहा था । अचानक शिकारी कुत्तों की आवाज़ सुनाई दी । खरगोश ने गाय से कहा -

तुम मुझे पीठ पर बिठा लो । जब शिकारी कुत्ते आएँ तो उन्हें सींगों से मारकर भगा देना ।

गाय ने कहा - "मेरा तो अब घर जाने का समय हो गया है ।"तब खरगोश घोड़े के पास गया ।

कहने लगा - "बड़े भाई ! तुम मुझे पीठ पर बिठा लो और शिकारी कुत्तोँ से बचाओ । तुम तो एक दुलत्ती मारोगे तो कुत्ते भाग जाएँगे ।"

घोड़े ने कहा - "मुझे बैठना नहीं आता । मैं तो खड़े-खड़े ही सोता हूँ । मेरी पीठ पर कैसे चढ़ोगे ? मेरे पाँव भी दुख रहे हैं । इन पर नई नाल चढ़ी हैं । मैं दुलत्ती कैसे मारूँगा ? तुम कोई और उपाय करो ।

तब खरगोश ने गधे के पास जाकर कहा - "मित्र गधे ! तुम मुझे शिकारी कुत्तों से बचा लो । मुझे पीठ पर बिठा लो । जब कुत्ते आएँ तो दुलत्ती झाड़कर उन्हें भगा देना ।"

गधे ने कहा - "मैं घर जा रहा हूँ । समय हो गया है । अगर मैं समय पर न लौटा, तो कुम्हार डंडे मार-मार कर मेरा कचूमर निकाल देगा ।"तब खरगोश बकरी की तरफ़ चला ।

बकरी ने दूर से ही कहा - "छोटे भैया ! इधर मत आना । मुझे शिकारी कुत्तों से बहुत डर लगता है । कहीं तुम्हारे साथ मैं भी न मारी जाऊँ ।"इतने में कुत्ते पास अ गए । खरगोश सिर पर पाँव रखकर भागा । कुत्ते इतनी तेज़ दौड़ न सके । खरगोश झाड़ी में जाकर छिप गया ।

वह मन में कहने लगा - "हमेशा अपने पर ही भरोसा करना चाहिए ।"

(सीख - दोस्ती की परख मुसीबत मे ही होती है। दोस्ती की परख मुसीबत मे ही होती है।)

बोलने वाली मांद पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
bolne wali maand Panchtantra Hindi Kahani Story

बोलने वाली मांद

किसी जंगल में एक शेर रहता था। एक बार वह दिन-भर भटकता रहा, किंतु भोजन के लिए कोई जानवर नहीं मिला। थककर वह एक गुफा के अंदर आकर बैठ गया। उसने सोचा कि रात में कोई न कोई जानवर इसमें अवश्य आएगा। आज उसे ही मारकर मैं अपनी भूख शांत करुँगा।

उस गुफा का मालिक एक सियार था। वह रात में लौटकर अपनी गुफा पर आया। उसने गुफा के अंदर जाते हुए शेर के पैरों के निशान देखे। उसने ध्यान से देखा। उसने अनुमान लगाया कि शेर अंदर तो गया, परंतु अंदर से बाहर नहीं आया है। वह समझ गया कि उसकी गुफा में कोई शेर छिपा बैठा है।

चतुर सियार ने तुरंत एक उपाय सोचा। वह गुफा के भीतर नहीं गया।उसने द्वार से आवाज लगाई-

‘ओ मेरी गुफा, तुम चुप क्यों हो? आज बोलती क्यों नहीं हो? जब भी मैं बाहर से आता हूँ, तुम मुझे बुलाती हो। आज तुम बोलती क्यों नहीं हो?’

गुफा में बैठे हुए शेर ने सोचा, ऐसा संभव है कि गुफा प्रतिदिन आवाज देकर सियार को बुलाती हो। आज यह मेरे भय के कारण मौन है। इसलिए आज मैं ही इसे आवाज देकर अंदर बुलाता हूँ। ऐसा सोचकर शेर ने अंदर से आवाज लगाई और कहा-

‘आ जाओ मित्र, अंदर आ जाओ।’

आवाज सुनते ही सियार समझ गया कि अंदर शेर बैठा है। वह तुरंत वहाँ से भाग गया। और इस तरह सियार ने चालाकी से अपनी जान बचा ली।

लालच बुरी बला है पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
lalach buri bala hai Panchtantra Hindi Kahani Story

लालच बुरी बला है

किसी नगर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण निवास करता था। उसकी खेती साधारण ही थी, अतः अधिकांश समय वह खाली ही रहता था। एक बार ग्रीष्म ऋतु में वह इसी प्रकार अपने खेत पर वृक्ष की शीतल छाया में लेटा हुआ था। सोए-सोए उसने अपने समीप ही सर्प का बिल देखा, उस पर सर्प फन फैलाए बैठा था।

उसको देखकर वह ब्राह्मण विचार करने लगा कि हो-न-हो, यही मेरे क्षेत्र का देवता है। मैंने कभी इसकी पूजा नहीं की। अतः मैं आज अवश्य इसकी पूजा करूंगा। यह विचार मन में आते ही वह उठा और कहीं से जाकर दूध मांग लाया।

उसे उसने एक मिट्टी के बरतन में रखा और बिल के समीप जाकर बोला,

“हे क्षेत्रपाल! आज तक मुझे आपके विषय में मालूम नहीं था, इसलिए मैं किसी प्रकार की पूजा-अर्चना नहीं कर पाया। आप मेरे इस अपराध को क्षमा कर मुझ पर कृपा कीजिए और मुझे धन-धान्य से समृद्ध कीजिए।”

इस प्रकार प्रार्थना करके उसने उस दूध को वहीं पर रख दिया और फिर अपने घर को लौट गया। दूसरे दिन प्रातःकाल जब वह अपने खेत पर आया तो सर्वप्रथम उसी स्थान पर गया। वहां उसने देखा कि जिस बरतन में उसने दूध रखा था उसमें एक स्वर्णमुद्रा रखी हुई है।

उसने उस मुद्रा को उठाकर रख लिया। उस दिन भी उसने उसी प्रकार सर्प की पूजा की और उसके लिए दूध रखकर चला गया। अगले दिन प्रातःकाल उसको फिर एक स्वर्णमुद्रा मिली।इस प्रकार अब नित्य वह पूजा करता और अगले दिन उसको एक स्वर्णमुद्रा मिल जाया करती थी।

कुछ दिनों बाद उसको किसी कार्य से अन्य ग्राम में जाना पड़ा। उसने अपने पुत्र को उस स्थान पर दूध रखने का निर्देश दिया। तदानुसार उस दिन उसका पुत्र गया और वहां दूध रख आया। दूसरे दिन जब वह पुनः दूध रखने के लिए गया तो देखा कि वहां स्वर्णमुद्रा रखी हुई है।

उसने उस मुद्रा को उठा लिया और वह मन ही मन सोचने लगा कि निश्चित ही इस बिल के अंदर स्वर्णमुद्राओं का भण्डार है। मन में यह विचार आते ही उसने निश्चय किया कि बिल को खोदकर सारी मुद्राएं ले ली जाएं। सर्प का भय था। किन्तु जब दूध पीने के लिए सर्प बाहर निकला तो उसने उसके सिर पर लाठी का प्रहार किया।

इससे सर्प तो मरा नहीं और इस प्रकार से क्रुद्ध होकर उसने ब्राह्मण-पुत्र को अपने विषभरे दांतों से काटा कि उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। उसके सम्बधियों ने उस लड़के को वहीं उसी खेत पर जला दिया।

कहा भी जाता है लालच का फल कभी मीठा नहीं होता है।

चालक खरगोश पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
chaalaak khargosh Panchtantra Hindi Kahani Story

चालक खरगोश

एक गुफा में एक बड़ा ताकतवर शेर रहता था। वह प्रतिदिन जंगल के अनेक जानवरों को मार डालता था। उस वन के सारे जानवर उसके डर से काँपते रहते थे। एक बार जानवरों ने सभा की। उन्होंने निश्चय किया कि शेर के पास जाकर उससे निवेदन किया जाए।

जानवरों के कुछ चुने हुए प्रतिनिधि शेर के पास गए। जानवरों ने उसे प्रणाम किया।फिर एक प्रतिनिधि ने हाथ जोड़कर निवेदन किया,

‘आप इस जंगल के राजा है। आप अपने भोजन के लिए प्रतिदिन अनेक जानवरों को मार देते हैं, जबकि आपका पेट एक जानवर से ही भर जाता है।’

शेर ने गरजकर पूछा- ‘तो मैं क्या कर सकता हूँ?’

सभी जानवरों में निवेदन किया, ‘महाराज, आप भोजन के लिए कष्ट न करें। आपके भोजन के लिए हम स्वयं हर दिन एक जानवर को आपकी सेवा में भेज दिया करेंगे। आपका भोजन हरदिन समय पर आपकी सेवा से पहुँच जाया करेगा।’

शेर ने कुछ देर सोचा और कहा-

‘यदि तुम लोग ऐसा ही चाहते हो तो ठीक है। किंतु ध्यान रखना कि इस नियम में किसी प्रकार की ढील नहीं आनी चाहिए।’इसके बाद हर दिन एक पशु शेर की सेवा में भेज दिया जाता। एक दिन शेर के पास जाने की बारी एक खरगोश की आ गई।

खरगोश बुद्धिमान था।उसने मन-ही मन सोचा- ‘अब जीवन तो शेष है नहीं। फिर मैं शेर को खुश करने का उपाय क्यों करुँ? ऐसा सोचकर वह एक कुएँ पर आराम करने लगा। इसी कारण शेर के पास पहुँचने में उसे बहुत देर हो गई।’खरगोश जब शेर के पास पहुँचा तो वह भूख के कारण परेशान था।

खरगोश को देखते ही शेर जोर से गरजा और कहा, ‘एक तो तू इतना छोटा-सा खरगोश है और फिर इतनी देर से आया है। बता, तुझे इतनी देर कैसे हुई?’

खरगोश बनावटी डर से काँपते हुए बोला- ‘महाराज, मेरा कोई दोष नहीं है। हम दो खरगोश आपकी सेवा के लिए आए थे। किंतु रास्ते में एक शेर ने हमें रोक लिया। उसने मुझे पकड़ लिया।’

मैंने उससे कहा- ‘यदि तुमने मुझे मार दिया तो हमारे राजा तुम पर नाराज होंगे और तुम्हारे प्राण ले लेंगे।’

उसने पूछा-‘कौन है तुम्हारा राजा?’ इस पर मैंने आपका नाम बता दिया। यह सुनकर वह शेर क्रोध से भर गया।

वह बोला, ‘तुम झूठ बोलते हो।’

इस पर खरगोश ने कहा, ‘नहीं, मैं सच कहता हूँ तुम मेरे साथी को बंधक रख लो। मैं अपने राजा को तुम्हारे पास लेकर आता हूँ।’

खरगोश की बात सुनकर दुर्दांत शेर का क्रोध बढ़ गया। उसने गरजकर कहा, ‘चलो, मुझे दिखाओ कि वह दुष्ट कहाँ रहता है?’

खरगोश शेर को लेकर एक कुँए के पास पहुँचा।

खरगोश ने चारों ओर देखा और कहा, महाराज, ऐसा लगता है कि आपको देखकर वह शेर अपने किले में घुस गया।’

शेर ने पूछा, ‘कहां है उसका किला?’

खरगोश ने कुएँ को दिखाकर कहा, ‘महाराज, यह है उस शेर का किला।’

खरगोश स्वयं कुएँ की मुँडेर पर खड़ा हो गया। शेर भी मुँडेर पर चढ़ गया। दोनों की परछाई कुएँ के पानी में दिखाई देने लगी।

खरगोश ने शेर से कहा, ‘महाराज, देखिए। वह रहा मेरा साथी खरगोश। उसके पास आपका शत्रु खड़ा है।’

शेर ने दोनों को देखा। उसने भीषण गर्जन किया। उसकी गूँज कुएँ से बाहर आई। बस, फिर क्या था! देखते ही देखते शेर ने अपने शत्रु को पकड़ने के लिए कुएँ में छलाँग लगा दी और वहीं डूबकर मर गया।

दोस्ती की परख पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
dosti ki parakh Panchtantra Hindi Kahani Story

दोस्ती की परख

एक जंगल था । गाय, घोड़ा, गधा और बकरी वहाँ चरने आते थे । उन चारों में मित्रता हो गई । वे चरते-चरते आपस में कहानियाँ कहा करते थे । पेड़ के नीचे एक खरगोश का घर था । एक दिन उसने उन चारों की मित्रता देखी ।

खरगोश पास जाकर कहने लगा - "तुम लोग मुझे भी मित्र बना लो ।"

उन्होंने कहा - "अच्छा ।"

तब खरगोश बहुत प्रसन्न हुआ । खरगोश हर रोज़ उनके पास आकर बैठ जाता । कहानियाँ सुनकर वह भी मन बहलाया करता था ।

एक दिन खरगोश उनके पास बैठा कहानियाँ सुन रहा था । अचानक शिकारी कुत्तों की आवाज़ सुनाई दी । खरगोश ने गाय से कहा -

तुम मुझे पीठ पर बिठा लो । जब शिकारी कुत्ते आएँ तो उन्हें सींगों से मारकर भगा देना ।

गाय ने कहा - "मेरा तो अब घर जाने का समय हो गया है ।"तब खरगोश घोड़े के पास गया ।

कहने लगा - "बड़े भाई ! तुम मुझे पीठ पर बिठा लो और शिकारी कुत्तोँ से बचाओ । तुम तो एक दुलत्ती मारोगे तो कुत्ते भाग जाएँगे ।"

घोड़े ने कहा - "मुझे बैठना नहीं आता । मैं तो खड़े-खड़े ही सोता हूँ । मेरी पीठ पर कैसे चढ़ोगे ? मेरे पाँव भी दुख रहे हैं । इन पर नई नाल चढ़ी हैं । मैं दुलत्ती कैसे मारूँगा ? तुम कोई और उपाय करो ।

तब खरगोश ने गधे के पास जाकर कहा - "मित्र गधे ! तुम मुझे शिकारी कुत्तों से बचा लो । मुझे पीठ पर बिठा लो । जब कुत्ते आएँ तो दुलत्ती झाड़कर उन्हें भगा देना ।"

गधे ने कहा - "मैं घर जा रहा हूँ । समय हो गया है । अगर मैं समय पर न लौटा, तो कुम्हार डंडे मार-मार कर मेरा कचूमर निकाल देगा ।"तब खरगोश बकरी की तरफ़ चला ।

बकरी ने दूर से ही कहा - "छोटे भैया ! इधर मत आना । मुझे शिकारी कुत्तों से बहुत डर लगता है । कहीं तुम्हारे साथ मैं भी न मारी जाऊँ ।"इतने में कुत्ते पास अ गए । खरगोश सिर पर पाँव रखकर भागा । कुत्ते इतनी तेज़ दौड़ न सके । खरगोश झाड़ी में जाकर छिप गया ।

वह मन में कहने लगा - "हमेशा अपने पर ही भरोसा करना चाहिए ।"

(सीख - दोस्ती की परख मुसीबत मे ही होती है। दोस्ती की परख मुसीबत मे ही होती है।)

धोखेबाज का अंत पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
dhokhebaaz ka ant Panchtantra Hindi Kahani Story

धोखेबाज का अंत

किसी स्थान पर एक बहुत बड़ा तालाब था। वहीं एक बूढ़ा बगुला भी रहता था। बुढ़ापे के कारण वह कमजोर हो गया था। इस कारण मछलियाँ पकड़ने में असमर्थ था। वह तालाब के किनारे बैठकर, भूख से व्याकुल होकर आँसू बहाता रहता था।

एक बार एक केकड़ा उसके पास आया। बगुले को उदास देखकर उसने पूछा, ‘मामा, तुम रो क्यों रहे हो? क्या तुमने आजकल खाना-पीना छोड़ दिया है?॥अचानक यह क्या हो गया?’

बगुले ने बताया- ‘पुत्र, मेरा जन्म इसी तालाब के पास हुआ था। यहीं मैंने इतनी उम्र बिताई। अब मैंने सुना है कि यहाँ बारह वर्षों तक पानी नहीं बरसेगा।’

केकड़े ने पूछा, ‘तुमसे ऐसा किसने कहा है?’

बगुले ने कहा- ‘मुझे एक ज्योतिषी ने यह बात बताई है। इस तालाब में पानी पहले ही कम है। शेष पानी भी जल्दी ही सूख जाएगा। तालाब के सूख जाने पर इसमें रहने वाले प्राणी भी मर जाएँगे। इसी कारण मैं परेशान हूँ।’

बगुले की यह बात केकड़े ने अपने साथियों को बताई। वे सब बगुले के पास पहुँचे। उन्होंने बगुले से पूछा-‘मामा, ऐसा कोई उपाय बताओ, जिससे हम सब बच सकें।’

बगुले ने बताया-‘यहां से कुछ दूर एक बड़ा सरोवर है। यदि तुम लोग वहाँ जाओ तो तुम्हारे प्राणों की रक्षा हो सकती है।’

सभी ने एक साथ पूछा-‘हम उस सरोवर तक पहुँचेंगे कैसे?’

चालाक बगुले ने कहा-‘मैं तो अब बूढ़ा हो गया हूँ। तुम लोग चाहो तो मैं तुम्हें पीठ पर बैठाकर उस तालाब तक ले जा सकता हूँ।’सभी बगुले की पीठ पर चढ़कर दूसरे तालाब में जाने के लिए तैयार हो गए। दुष्ट बगुला प्रतिदिन एक मछली को अपनी पीठ पर चढ़ाकर ले जाता और शाम को तालाब पर लौट आता। इस प्रकार उसकी भोजन की समस्या हल हो गई।

एक दिन केकड़े ने कहा-‘मामा, अब मेरी भी तो जान बचाइए।’

बगुले ने सोचा कि मछलियाँ तो वह रोज खाता है। आज केकड़े का मांस खाएगा। ऐसा सोचकर उसने केकड़े को अपनी पीठ पर बैठा लिया। उड़ते हुए वह उस बड़े पत्थर पर उतरा, जहाँ वह हर दिन मछलियों को खाया करता था।केकड़े ने वहाँ पर पड़ी हुई हड्डियों को देखा। उसने बगुले से पूछा-‘मामा, सरोवर कितनी दूर है? आप तो थक गए होंगे।’

बगुले ने केकड़े को मूर्ख समझकर उत्तर दिया-‘अरे, कैसा सरोवर! यह तो मैंने अपने भोजन का उपाय सोचा था। अब तू भी मरने के लिए तैयार हो जा। मैं इस पत्थर पर बैठकर तुझे खा जाऊँगा।’

इतना सुनते ही केकड़े ने बगुले की गर्दन जकड़ ली और अपने तेज दाँतों से उसे काट डाला। बगुला वहीं मर गया।

केकड़ा किसी तरह धीरे-धीरे अपने तालाब तक पहुँचा। मछलियों ने जब उसे देखा तो पूछा-‘अरे, केकड़े भाई, तुम वापस कैसे आ गए। मामा को कहाँ छोड़ आए? हम तो उनके इंतजार में बैठे हैं।’

यह सुनकर केकड़ा हँसने लगा। उसने बताया-‘वह बगुला महाठग था। उसने हम सभी को धोखा दिया। वह हमारे साथियों को पास की एक चट्टान पर ले जाकर खा जाता था। मैंने उस धूर्त्त बगुले को मार दिया है। अब डरने की कोई बात नहीं है। इसीलिए कहा गया है कि जिसके पास बुद्धि है, उसी के पास बल भी होता है।

चतुराई से कठिन काम भी संभव पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
chaturayi se kathim kaam bhi sambhav Panchtantra Hindi Kahani Story

चतुराई से कठिन काम भी संभव

एक जंगल में महाचतुरक नामक सियार रहता था। एक दिन जंगल में उसने एक मरा हुआ हाथी देखा। उसकी बांछे खिल गईं। उसने हाथी के मृत शरीर पर दांत गड़ाया पर चमड़ी मोटी होने की वजह से, वह हाथी को चीरने में नाकाम रहा।

वह कुछ उपाय सोच ही रहा था कि उसे सिंह आता हुआ दिखाई दिया। आगे बढ़कर उसने सिंह का स्वागत किया और हाथ जोड़कर कहा,

“स्वामी आपके लिए ही मैंने इस हाथी को मारकर रखा है, आप इस हाथी का मांस खाकर मुझ पर उपकार कीजिए।” सिंह ने कहा, “मैं तो किसी के हाथों मारे गए जीव को खाता नहीं हूं, इसे तुम ही खाओ।”

सियार मन ही मन खुश तो हुआ पर उसकी हाथी की चमड़ी को चीरने की समस्या अब भी हल न हुई थी।थोड़ी देर में उस तरफ एक बाघ आ निकला। बाघ ने मरे हाथी को देखकर अपने होंठ पर जीभ फिराई। सियार ने उसकी मंशा भांपते हुए कहा,

“मामा आप इस मृत्यु के मुंह में कैसे आ गए? सिंह ने इसे मारा है और मुझे इसकी रखवाली करने को कह गया है। एक बार किसी बाघ ने उनके शिकार को जूठा कर दिया था तब से आज तक वे बाघ जाति से नफरत करने लगे हैं। आज तो हाथी को खाने वाले बाघ को वह जरुर मार गिराएंगे।”

यह सुनते ही बाघ वहां से भाग खड़ा हुआ। पर तभी एक चीता आता हुआ दिखाई दिया। सियार ने सोचा चीते के दांत तेज होते हैं। कुछ ऐसा करूं कि यह हाथी की चमड़ी भी फाड़ दे और मांस भी न खाए। उसने चीते से कहा,

“प्रिय भांजे, इधर कैसे निकले? कुछ भूखे भी दिखाई पड़ रहे हो।”

सिंह ने इसकी रखवाली मुझे सौंपी है, पर तुम इसमें से कुछ मांस खा सकते हो। मैं जैसे ही सिंह को आता हुआ देखूंगा, तुम्हें सूचना दे दूंगा, तुम सरपट भाग जाना”।

पहले तो चीते ने डर से मांस खाने से मना कर दिया, पर सियार के विश्वास दिलाने पर राजी हो गया।चीते ने पलभर में हाथी की चमड़ी फाड़ दी।

जैसे ही उसने मांस खाना शुरू किया कि दूसरी तरफ देखते हुए सियार ने घबराकर कहा,

“भागो सिंह आ रहा है”।

इतना सुनना था कि चीता सरपट भाग खड़ा हुआ। सियार बहुत खुश हुआ। उसने कई दिनों तक उस विशाल जानवर का मांस खाया।सिर्फ अपनी सूझ-बूझ से छोटे से सियार ने अपनी समस्या का हल निकाल लिया।

इसीलिए कहते हैं कि बुद्धि के प्रयोग से कठिन से कठिन काम भी संभव हो जाता है।

आवाज ने खोला भेद पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
aawaaz ne khola bhed Panchtantra Hindi Kahani Story

आवाज ने खोला भेद

किसी नगर में एक धोबी रहता था। अच्छा चारा न मिलने के कारण उसका गधा बहुत कमजोर हो गया था। एक दिन धोबी को जंगल में बाघ की एक खाल मिल गई। उसने सोचा कि रात में इस खाल को ओढ़ाकर मैं गधे को खेतों में छोड़ दिया करुँगा।

गाँववाले इसे बाघ समझेंगे और डर से इसके पास नहीं आएँगे।

खेतों में चरकर यह खूब मोटा-ताजा हो जाएगा। एक रात गधा बाघ की खाल ओढ़े खेत में चर रहा था।

तभी उसने दूर से किसी गधी का रेंकना सुना। उसकी आवाज सुनकर गधा प्रसन्न हो उठा और मौज में आकर स्वयं भी रेंकने लगा।

गधे की आवाज सुनते ही खेतों के रखवालों ने उसे घर लिया और पीट-पीटकर जान से मार डाला।

इसलिए कहते हैं अपनी पहचान नहीं खोनी चाहिए। कभी-कभी यह खतरनाक भी साबित होता है।

चंचलता से बुद्धि का नाश पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
chanchalta se buddhi ka naash Panchtantra Hindi Kahani Story

चंचलता से बुद्धि का नाश

किसी तालाब में कम्बुग्रीव नामक एक कछुआ रहता था। तालाब के किनारे रहने वाले संकट और विकट नामक हंस से उसकी गहरी दोस्ती थी। तालाब के किनारे तीनों हर रोज खूब बातें करते और शाम होने पर अपने-अपने घरों को चल देते। एक वर्ष उस प्रदेश में जरा भी बारिश नहीं हुई। धीरे-धीरे वह तालाब भी सूखने लगा।

अब हंसों को कछुए की चिंता होने लगी। जब उन्होंने अपनी चिंता कछुए से कही तो कछुए ने उन्हें चिंता न करने को कहा। उसने हंसों को एक युक्ति बताई। उसने उनसे कहा कि सबसे पहले किसी पानी से लबालब तालाब की खोज करें फिर एक लकड़ी के टुकड़े से लटकाकर उसे उस तालाब में ले चलें।

उसकी बात सुनकर हंसों ने कहा कि वह तो ठीक है पर उड़ान के दौरान उसे अपना मुंह बंद रखना होगा। कछुए ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह किसी भी हालत में अपना मुंह नहीं खोलेगा।

कछुए ने लकड़ी के टुकड़े को अपने दांत से पकड़ा फिर दोनो हंस उसे लेकर उड़ चले। रास्ते में नगर के लोगों ने जब देखा कि एक कछुआ आकाश में उड़ा जा रहा है तो वे आश्चर्य से चिल्लाने लगे।

लोगों को अपनी तरफ चिल्लाते हुए देखकर कछुए से रहा नहीं गया। वह अपना वादा भूल गया। उसने जैसे ही कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला कि आकाश से गिर पड़ा। ऊंचाई बहुत ज्यादा होने के कारण वह चोट झेल नहीं पाया और अपना दम तोड़ दिया।

इसीलिए कहते हैं कि बुद्धिमान भी अगर अपनी चंचलता पर काबू नहीं रख पाता है तो परिणाम काफी बुरा होता है।

गलत मार्ग का परिणाम पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
galat maarg ka parinaam Panchtantra Hindi Kahani Story

किसी ग्राम में किसान दम्पती रहा करते थे। किसान तो वृद्ध था पर उसकी पत्नी युवती थी। अपने पति से संतुष्ट न रहने के कारण किसान की पत्नी सदा पर-पुरुष की टोह में रहती थी, इस कारण एक क्षण भी घर में नहीं ठहरती थी। एक दिन किसी ठग ने उसको घर से निकलते हुए देख लिया।

उसने उसका पीछा किया और जब देखा कि वह एकान्त में पहुँच गई तो उसके सम्मुख जाकर उसने कहा,

“देखो, मेरी पत्नी का देहान्त हो चुका है। मैं तुम पर अनुरक्त हूं। मेरे साथ चलो।”

वह बोली, “यदि ऐसी ही बात है तो मेरे पति के पास बहुत-सा धन है, वृद्धावस्था के कारण वह हिलडुल नहीं सकता। मैं उसको लेकर आती हूं, जिससे कि हमारा भविष्य सुखमय बीते।”

“ठीक है जाओ। कल प्रातःकाल इसी समय इसी स्थान पर मिल जाना।”

इस प्रकार उस दिन वह किसान की स्त्री अपने घर लौट गई। रात होने पर जब उसका पति सो गया, तो उसने अपने पति का धन समेटा और उसे लेकर प्रातःकाल उस स्थान पर जा पहुंची। दोनों वहां से चल दिए। दोनों अपने ग्राम से बहुत दूर निकल आए थे कि तभी मार्ग में एक गहरी नदी आ गई।

उस समय उस ठग के मन में विचार आया कि इस औरत को अपने साथ ले जाकर मैं क्या करूंगा। और फिर इसको खोजता हुआ कोई इसके पीछे आ गया तो वैसे भी संकट ही है। अतः किसी प्रकार इससे सारा धन हथियाकर अपना पिण्ड छुड़ाना चाहिए। यह विचार कर उसने कहा,

“नदी बड़ी गहरी है। पहले मैं गठरी को उस पार रख आता हूं, फिर तुमको अपनी पीठ पर लादकर उस पार ले चलूंगा। दोनों को एक साथ ले चलना कठिन है।”

“ठीक है, ऐसा ही करो।” किसान की स्त्री ने अपनी गठरी उसे पकड़ाई तो ठग बोला,

“अपने पहने हुए गहने-कपड़े भी दे दो, जिससे नदी में चलने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी। और कपड़े भीगेंगे भी नहीं।”

उसने वैसा ही किया। उन्हें लेकर ठग नदी के उस पार गया तो फिर लौटकर आया ही नहीं।

वह औरत अपने कुकृत्यों के कारण कहीं की नहीं रही।

इसलिए कहते हैं कि अपने हित के लिए गलत कर्मों का मार्ग नहीं अपनाना चाहिए।

वंश की रक्षा पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
vansh ki raksha panchtantra Panchtantra Hindi Kahani Story

किसी पर्वत प्रदेश में मन्दविष नाम का एक वृद्ध सर्प रहा करता था। एक दिन वह विचार करने लगा कि ऐसा क्या उपाय हो सकता है, जिससे बिना परिश्रम किए ही उसकी आजीविका चलती रहे। उसके मन में तब एक विचार आया।

वह समीप के मेढकों से भरे तालाब के पास चला गया। वहां पहुँचकर वह बड़ी बेचैनी से इधर-उधर घूमने लगा। उसे इस प्रकार घूमते देखकर तालाब के किनारे एक पत्थर पर बैठे मेढक को आश्चर्य हुआ तो उसने पूछा,

“मामा! आज क्या बात है? शाम हो गई है, किन्तु तुम भोजन-पानी की व्यवस्था नहीं कर रहे हो?”

सर्प बड़े दुःखी मन से कहने लगा,

“बेटे! क्या करूं, मुझे तो अब भोजन की अभिलाषा ही नहीं रह गई है। आज बड़े सवेरे ही मैं भोजन की खोज में निकल पड़ा था। एक सरोवर के तट पर मैंने एक मेढक को देखा। मैं उसको पकड़ने की सोच ही रहा था कि उसने मुझे देख लिया। समीप ही कुछ ब्राह्मण स्वाध्याय में लीन थे, वह उनके मध्य जाकर कहीं छिप गया।” उसको तो मैंने फिर देखा नहीं। किन्तु उसके भ्रम में मैंने एक ब्राह्मण के पुत्र के अंगूठे को काट लिया। उससे उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। उसके पिता को इसका बड़ा दुःख हुआ और उस शोकाकुल पिता ने मुझे शाप देते हुए कहा,

“दुष्ट! तुमने मेरे पुत्र को बिना किसी अपराध के काटा है, अपने इस अपराध के कारण तुमको मेढकों का वाहन बनना पड़ेगा।” “बस, तुम लोगों के वाहन बनने के उद्देश्य से ही मैं यहां तुम लोगों के पास आया हूं।”

मेढक सर्प से यह बात सुनकर अपने परिजनों के पास गया और उनको भी उसने सर्प की वह बात सुना दी। इस प्रकार एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे कानों में जाती हुई यह बात सब मेढकों तक पहुँच गई। उनके राजा जलपाद को भी इसका समाचार मिला। उसको यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ। सबसे पहले वही सर्प के पास जाकर उसके फन पर चढ़ गया। उसे चढ़ा हुआ देखकर अन्य सभी मेढक उसकी पीठ पर चढ़ गए। सर्प ने किसी को कुछ नहीं कहा।

मन्दविष ने उन्हें भांति-भांति के करतब दिखाए। सर्प की कोमल त्वचा के स्पर्श को पाकर जलपाद तो बहुत ही प्रसन्न हुआ। इस प्रकार एक दिन निकल गया। दूसरे दिन जब वह उनको बैठाकर चला तो उससे चला नहीं गया।

उसको देखकर जलपाद ने पूछा, “क्या बात है, आज आप चल नहीं पा रहे हैं?”

“हां, मैं आज भूखा हूं इसलिए चलने में कठिनाई हो रही है।” जलपाद बोला,

“ऐसी क्या बात है। आप साधारण कोटि के छोटे-मोटे मेढकों को खा लिया कीजिए।”

इस प्रकार वह सर्प नित्यप्रति बिना किसी परिश्रम के अपना भोजन पा गया। किन्तु वह जलपाद यह भी नहीं समझ पाया कि अपने क्षणिक सुख के लिए वह अपने वंश का नाश करने का भागी बन रहा है। सभी मेढकों को खाने के बाद सर्प ने एक दिन जलपाद को भी खा लिया। इस तरह मेढकों का समूचा वंश ही नष्ट हो गया।

इसीलिए कहते हैं कि अपने हितैषियों की रक्षा करने से हमारी भी रक्षा होती है।

बकरा और ब्राह्मण पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
bakra aur brahman Panchtantra Hindi Kahani Story

किसी गांव में सम्भुदयाल नामक एक ब्राह्मण रहता था। एक बार वह अपने यजमान से एक बकरा लेकर अपने घर जा रहा था। रास्ता लंबा और सुनसान था। आगे जाने पर रास्ते में उसे तीन ठग मिले। ब्राह्मण के कंधे पर बकरे को देखकर तीनों ने उसे हथियाने की योजना बनाई।

एक ने ब्राह्मण को रोककर कहा,

“पंडित जी यह आप अपने कंधे पर क्या उठा कर ले जा रहे हैं। यह क्या अनर्थ कर रहे हैं? ब्राह्मण होकर कुत्ते को कंधों पर बैठा कर ले जा रहे हैं।”

ब्राह्मण ने उसे झिड़कते हुए कहा, “अंधा हो गया है क्या? दिखाई नहीं देता यह बकरा है।”

पहले ठग ने फिर कहा, “खैर मेरा काम आपको बताना था। अगर आपको कुत्ता ही अपने कंधों पर ले जाना है तो मुझे क्या? आप जानें और आपका काम।”

थोड़ी दूर चलने के बाद ब्राह्मण को दूसरा ठग मिला। उसने ब्राह्मण को रोका और कहा, “पंडित जी क्या आपको पता नहीं कि उच्चकुल के लोगों को अपने कंधों पर कुत्ता नहीं लादना चाहिए।”

पंडित उसे भी झिड़क कर आगे बढ़ गया। आगे जाने पर उसे तीसरा ठग मिला।

उसने भी ब्राह्मण से उसके कंधे पर कुत्ता ले जाने का कारण पूछा। इस बार ब्राह्मण को विश्वास हो गया कि उसने बकरा नहीं बल्कि कुत्ते को अपने कंधे पर बैठा रखा है।

थोड़ी दूर जाकर, उसने बकरे को कंधे से उतार दिया और आगे बढ़ गया। इधर तीनों ठग ने उस बकरे को मार कर खूब दावत उड़ाई।

इसीलिए कहते हैं कि किसी झूठ को बार-बार बोलने से वह सच की तरह लगने लगता है।

अतः अपने दिमाग से काम लें और अपने आप पर विश्वास करें।

जैसे को तैसा पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
jaise ko taisa Panchtantra Hindi Kahani Story

किसी नगर में एक व्यापारी का पुत्र रहता था। दुर्भाग्य से उसकी सारी संपत्ति समाप्त हो गई। इसलिए उसने सोचा कि किसी दूसरे देश में जाकर व्यापार किया जाए। उसके पास एक भारी और मूल्यवान तराजू था। उसका वजन बीस किलो था। उसने अपने तराजू को एक सेठ के पास धरोहर रख दिया और व्यापार करने दूसरे देश चला गया।

कई देशों में घूमकर उसने व्यापार किया और खूब धन कमाकर वह घर वापस लौटा। एक दिन उसने सेठ से अपना तराजू माँगा। सेठ बेईमानी पर उतर गया। वह बोला,

‘भाई तुम्हारे तराजू को तो चूहे खा गए।’ व्यापारी पुत्र ने मन-ही-मन कुछ सोचा और सेठ से बोला-

‘सेठ जी, जब चूहे तराजू को खा गए तो आप कर भी क्या कर सकते हैं! मैं नदी में स्नान करने जा रहा हूँ। यदि आप अपने पुत्र को मेरे साथ नदी तक भेज दें तो बड़ी कृपा होगी।’

सेठ मन-ही-मन भयभीत था कि व्यापारी का पुत्र उस पर चोरी का आरोप न लगा दे। उसने आसानी से बात बनते न देखी तो अपने पुत्र को उसके साथ भेज दिया।स्नान करने के बाद व्यापारी के पुत्र ने लड़के को एक गुफ़ा में छिपा दिया। उसने गुफा का द्वार चट्टान से बंद कर दिया और अकेला ही सेठ के पास लौट आया।

सेठ ने पूछा, ‘मेरा बेटा कहाँ रह गया?’ इस पर व्यापारी के पुत्र ने उत्तर दिया,

‘जब हम नदी किनारे बैठे थे तो एक बड़ा सा बाज आया और झपट्टा मारकर आपके पुत्र को उठाकर ले गया।’ सेठ क्रोध से भर गया।

उसने शोर मचाते हुए कहा-‘तुम झूठे और मक्कार हो। कोई बाज इतने बड़े लड़के को उठाकर कैसे ले जा सकता है? तुम मेरे पुत्र को वापस ले आओ नहीं तो मैं राजा से तुम्हारी शिकायत करुँगा’

व्यापारी पुत्र ने कहा, ‘आप ठीक कहते हैं।’ दोनों न्याय पाने के लिए राजदरबार में पहुँचे।

सेठ ने व्यापारी के पुत्र पर अपने पुत्र के अपहरण का आरोप लगाया। न्यायाधीश ने कहा, ‘तुम सेठ के बेटे को वापस कर दो।’

इस पर व्यापारी के पुत्र ने कहा कि ‘मैं नदी के तट पर बैठा हुआ था कि एक बड़ा-सा बाज झपटा और सेठ के लड़के को पंजों में दबाकर उड़ गया। मैं उसे कहाँ से वापस कर दूँ?’

न्यायाधीश ने कहा, ‘तुम झूठ बोलते हो। एक बाज पक्षी इतने बड़े लड़के को कैसे उठाकर ले जा सकता है?’

इस पर व्यापारी के पुत्र ने कहा, ‘यदि बीस किलो भार की मेरी लोहे की तराजू को साधारण चूहे खाकर पचा सकते हैं तो बाज पक्षी भी सेठ के लड़के को उठाकर ले जा सकता है।’

न्यायाधीश ने सेठ से पूछा, ‘यह सब क्या मामला है?’

अंततः सेठ ने स्वयं सारी बात राजदरबार में उगल दी। न्यायाधीश ने व्यापारी के पुत्र को उसका तराजू दिलवा दिया और सेठ का पुत्र उसे वापस मिल गया।

नकलची बन्दर पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
nakalchi bandar Panchtantra Hindi Kahani Story

एक टोपी बेचने वाला था वह शहर से टोपियाँ लाकर गाँव में बेचा करता था एक दिन वह दोपहर के समय जंगल में जा रहा था थककर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया उसने टोपियों की गठरी एक तरफ़ रख दी ठंडी हवा चल रही थी लेटते ही टोपी वाले को नींद आ गई

उस पेड़ पर कुछ बन्दर बैठे हुए थे उन्होंने देखा कि वह मनुष्य सो गया है वे पेड़ से नीचे उतर आए बन्दरों ने देखा कि मनुष्य के पास ही गठरी पड़ी है उन्होंने गठरी खोल दी उसमें बहुत-सी टोपियाँ थीं बन्दर नकलची तो होते ही हैं उन्होंने देखा कि मनुष्य ने सिर पर टोपी पहन रखी है बस हर एक बन्दर ने अपने–अपने सिर पर एक–एक टोपी पहन ली अब सारे बन्दर एक-दूसरे को देखकर हँसने लगे थोड़ी देर बाद वे सब खुशी से नाचने कूदने लगे उनमें से कुछ पेड़ पर जा बैठे।

वह आदमी जागा तो उसने बन्दरों को टोपियाँ पहने देखा उसे बड़ा गुस्सा आया उसने अपने सिर से टोपी उतार कर जमीन पर फ़ेंक दी उसने कहा --- लो यह भी ले लो बन्दर तो नकल किया ही करते हैं उन्होंने भी अपने-अपने सिर से टोपियाँ उतार कर जमीन पर पटक दीं टोपीवाले ने पत्थर मारकर बन्दरों को दूर भगा दिया फ़िर उसने टोपियाँ इकट्ठी करके गठरी में बाँध लीं गठरी सिर पर रखकर वह गाँव की ओर चल पड़ा

(सीख - नकल मे भी अक्ल की जरुरत होती है।)

लेबल: नकलची बन्दर

बंदर का कलेजा पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
bandar ka kaleja Panchtantra Hindi Kahani Story

किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पर एक बंदर रहता था। उस पेड़ पर बड़े मीठे-रसीले फल लगते थे। बंदर उन्हें भरपेट खाता और मौज उड़ाता। वह अकेला ही मजे में दिन गुजार रहा था।

एक दिन एक मगर कहीं से निकलकर उस पेड़ के तले आया, जिस पर बंदर रहता था। पेड़ पर से बंदर ने पूछ,

तू कौन है भाई?'

मगर ने बंदर की ऒर देखकर कहा, 'मैं मगर हूं। बड़ी दूर से आया हूं। खाने की तलाश में यूं ही धूम रहा हूं।'

बंदर ने कहा, 'यहां खाने की कोई कमी नहीं है। इस पेड़ पर ढेरों फल लगते हैं। चखकर देखो। अच्छे लगे तो मैं और दूंगा। जितने जी चाहें खाऒ।' यह कह कर बंदर ने कुछ फल तोड़कर बंदर की ऒर फेंक दिए।

मगर ने उन्हें चखकर कहा, 'वाह, ये तो बड़े मजेदार हैं।'

बंदर ने और भी ढेर से फल गिरा दिए। मगर उन्हें भी चट कर गया और बोला, 'कल फिर आउंगा। फल खिलाऒगे?'

बंदर ने कहा, 'क्यों नहीं? तुम मेरे मेहमान हो। रोज आऒ और जितने जी चाहें खाऒ।'

अगर अगले दिन आने का वादा करके चला गया। दूसरे दिन मगर फिर आया। उसने भरपेट फल खाए और बंदर के साथ गपशप करता रहा। बंदर अकेला था। एक दोस्त पाकर बहुत खुश हुआ। अब तो मगर रोज आने लगा। मगर और बंदर दोनों भरपेट फल खाते और बड़ी देर तक बातचीत करते रहते।

एक दिन यूं ही वे अपने-अपने घरों की बातें करने लगे। बातों-बातों में बंदर ने कहा कि , 'मगर भाई मैं दुनिया में अकेला हूं और तुम्हारे जैसा मित्र पाकर अपने को भाग्यशा ली समझता हूं।'

मगर ने कहा कि मैं तो अकेला नहीं हूं। घर में मेरी पत्नी है। नदी के उस पार हमारा घर है।

बंदर ने कहा, 'तुमने पहले क्यों नहीं बताया कि तुम्हारी पत्नी है। मैं भाभी के लिए भी फल भेजता।'

मगर ने कहा कि वह बड़े शौक से अपनी पत्नी के लिए ये रसीले फल ले जाएगा। जब मगर जाने लगा तो बंदर ने उसकी पत्नी के लिए बहुत से पके हुए फल तोड़कर दिए। उस दिन मगर अपनी पत्नी के लिए बंदर की यह भेंट ले गया।

मगर की पत्नी को फल बहुत पसंद आए। उसने मगर से कहा कि वह रोज इसी तरह रसीले फल लाया करे। मगर ने कहा कि वह कोशिश करेगा। धीरे-धीरे बंदर और मगर में गहरी दोस्ती हो गई। मगर रोज बंदर से मिलने जाता। जी भरकर फल खाता और अपनी पत्नी के लिए भी ले जाता।

मगर की पत्नी को फल खाना अच्छा लगता था पर अपने पति का देर से घर लौटना उसे पसंद नहीं था। वह इसे रोकना चाहती थी। एक दिन उसने कहा,

मुझे लगता है तुम झूठ बोलते हो। भला मगर और बंदर में कहीं दोस्ती होती है? मगर तो बंदर को मारकर खा जाते हैं।'

मगर ने कहा कि, 'मैं सच बोल रहा हूं। वह बंदर बहुत भला है। हम दोनों एक-दूसरे को बहुत चाहते हैं। बेचारा रोज तुम्हारे लिए इतने सारे बढ़िया फल भेजता है। बंदर मेरा दोस्त न होता तो मैं ये फल कहां से लाता। मैं खुद तो पेड़ पर चढ़ नहीं सकता।'

मगर की पत्नी बड़ी चालाक थी। उसने सोचा,

अगर वह बंदर रोज-रोज इतने मीठे फल खाता है तो उसका मांस कितना मीठा होगा। यदि वह मिल जाए तो कितन मजा आए।' यह सोचकर उसने मगर से कहा,

एक दिन तुम अपने दोस्त को घर ले आऒ। मैं उससे मिलना चाहती हूं।'

मगर ने कहा, 'नहीं, नहीं, यह नहीं हो सकता है। वह तो जमीन पर रहने वाला जानवर है। पानी में तो डूब जाएगा।'

उसकी पत्नी ने कहा, 'तुम उसको न्योता तो दो। बंदर चालाक होते हैं। वह यहां आने का कोई न कोई उपाए निकाल ही लेगा।'

मगर बंदर को न्योता नहीं देना चाहता था। परंतु उसकी पत्नी रोज उससे पूछती कि बंदर कब आएगा। मगर कोई न कोई बहाना बना देता। ज्यों-ज्यों दिन गुजरने जाते बंदर के मांस के लिए मगर की पत्नी की इच्छा तीव्र होती जाती।

मगर की पत्नी ने एक तरकीब सोची। एक दिन उसने बीमारी का बहाना किया और ऐसे आंसू बहाने लगी मानो उसे बहुत दर्द हो रहा है। मगर अपनी पत्नी की बीमारी से बहुत दुखी था। वह उसके पास बैठकर बोला,

बताऒ मैं तुम्हारे लिए क्या करूं।'

पत्नी बोली, 'मैं बहुत बीमार हूं। मैंने जब वैद्य से पूछा तो उसने बताया कि वह कहता है कि जब तक मैं बंदर का कलेजा नहीं खाउंगी तब तक मैं ठीक नहीं हो सकती हूं।

बंदर का कलेजा' मगर ने आश्चर्य से पूछा।

मगर की पत्नी ने कराहते हुए कहा, 'हां, बंदर का कलेजा। अगर तुम चाहते हो कि मैं बच जाउं तो अपने मित्र बंदर का कलेजा लाकर मुझे खिलाऒ।'

मगर ने दुखी होकर कहा, 'यह भला मैं कैसे कर सकता हूं। मेरा वही तो एक मित्र है। उसको भला मैं कैसे मार सकता हूं।'

पत्नी ने

कहा, 'अच्छी बात है। अगर तुमको तुम्हारा दोस्त ज्यादा प्यारा है तो तुम उसी के पास जाकर रहो। तुम तो चाहते हो मैं मर जाउं।'

मगर संकट में फंस गया। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। बंदर का कलेजा लाता है तो उसका प्यारा दोस्त मारा जाएगा। नहीं लाता है तो उसकी पत्नी मर जाती है।

वह रोने लगा और बोला, 'मेरा एक ही तो दोस्त है। उसकी जान मैं कैसे ले सकता हूं।'

पत्नी ने कहा, 'तो क्या हुआ तुम मगर हो। मगर तो जीवों को मारते ही हैं।'

मगर जोर-जोर से रोने लगा। उसकी बुद्धि काम नहीं कर रही थी। पर इतना वह जरूर जानता था कि पति को पत्नी की देखभाल करनी चाहिए। उसने तय किया कि वह अपनी पत्नी का जीवन जैसे भी हो बचाएगा। यह सोचकर वह बंदर के पास गया। बंदर मगर का रास्ता देख रहा था।

उसने पूछा, 'क्यों दोस्त आज इतनी देर कैसे हो गई? सब कुशल तो है न?'

मगर ने कहा, 'मेरा और मेरी पत्नी का झगड़ा हो गया है। वह कहती कि मैं तुम्हारा दोस्त नहीं हूं क्योंकि मैंने तुम्हें अपने घर नहीं बुलाया है। वह तुमसे मिलना चाहती है। उसने कहा है कि मैं तुमको अपने साथ ले जाउं। अगर नहीं चलोगे तो वह मुझसे फिर झगड़ेगी।'

बंदर से हंस कर कहा, 'बस इतनी सी बात थी। मैं भी भाभी से मिलना चाहता था। पर मैं पानी में कैसे चलूंगा? मैं तो डूब जाउंगा।'

मगर ने कहा, 'उसकी चिंता मत करो। मैं तुमको अपनी पीठ पर बैठाकर ले जाउंगा।' बंदर राजी हो गया। वह पेड़ से उतरा और उछलकर मगर की पीठ पर सवार हो गया।

नदी के बीच में पहुंचकर मगर आगे जाने की बजाए पानी में डुबकी लगाने को था कि बंदर डर गया और बोला, 'क्या कर रहे हो भाई? डुबकी लगाई तो मैं डूब जाउंगा।'

मगर ने कहा, 'मैं तो डुबकी लगाउंगा। मैं तुमको मारने ही तो लाया हूं।'

यह सुनकर बंदर संकट में पड़ गया। उसने कहा, 'क्यों भाई मुझे क्यों मारना चाहते हो? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?'

मगर ने कहा,

मेरी पत्नी बीमार है। वैद्य ने उसका एक ही इलाज बताया है। यदि उसको बंदर का कलेजा मिल जाए तो वह बच जाएगी। यहां और कोई बंदर नहीं है। मैं तुम्हारा कलेजा ही अपनी पत्नी को खिलाउंगा।'पहले तो बंदर भौचक्का रह गया। फिर उसने सोचा केवल चालाकी से अपनी जान बचाई जा सकती है।

उसने कहा, 'मेरे दोस्त यह बात तुमने पहले क्यों नहीं बताई। मै तो भाभी को बचाने के लिए अपना कलेजा खुशी-खुशी दे देता। लेकिन वह तो नहीं किनारे पेड़ पर टंगा है। मैं उसे हिफाजत के लिए वहीं रखता हूं। तुमने पहले ही बता दिया होता तो मैं उसे साथ ले आता।'

यह बात है।' मगर बोला।

हां, जल्दी वापस चलो। कहीं तुम्हारी पत्नी की बीमारी बढ़ न जाए।'

मगर वापस पेड़ की ऒर तैरने लगा और बड़ी तेजी से वहां पहुंच गया। किनारे पहुंचे ही बंदर छलांग मारकर पेड़ पर चढ़ गया। उसने हंसकर मगर से कहा,

जाऒ मूर्खराज अपने घर लौट जाऒ। अपनी दुष्ट पत्नी से कहना कि तुम दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हो। भला कोई अपना कलेजा निकालकर अलग रख सकता है।'

सीखः दोस्तों के साथ कभी भी धोखेबाजी नहीं करनी चाहिए और संकट के समय अगर धैर्य के साथ सोचा जाए तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी दूर हो सकती है।

तीन साधु पंचतंत्र की कहानी हिंदी 
teen saadhu Panchtantra Hindi Kahani Story

ज्ञान की खोज में एक बार तीन साधु हिमालय पर जा पहुंचे। वहां पहुंचकर तीनों साधुओं को बहुत भूख लगी। देखा तो उनके पास तो मात्र दो ही रोटियां थी। उन तीनों ने तय किया कि वो भूखे ही सो जाएंगे। ईश्वर जिसके सपने में आकर रोटी खाने का संकेत देंगे वो ही ये रोटियां खाएगा। ऐसा कहकर तीनों साधु सो गए।

आधी रात को तीनों साधु उठे और एक-दूसरे को अपना-अपना सपना सुनाने लगे। पहले साधु ने कहा-

मैं सपने में एक अनजानी जगह पहुंचा वहां बहुत शांति थी और वहां मुझे ईश्वर मिले। और उन्होंने मुझे कहा कि तुमने जीवन में सदा त्याग ही किया है। इसलिए ये रोटियां तुम्हें ही खानी चाहिए।

दूसरे साधु ने कहा कि-

मैंने सपने में देखा कि भूतकाल में तपस्या करने के कारण में महात्मा बन गया हूं और मेरी मुलाकात ईश्वर से होती है और वे मुझे कहते हैं कि लंबे समय तक कठोर तप करने के कारण रोटियों पर सबसे पहला हक तुम्हारा है, तुम्हारे मित्रों का नहीं।

अब तीसरे साधु की बारी थी उसने कहा

मैंने सपने में कुछ नहीं देखा। क्योंकी मैने वो रोटियां खा ली हैं। यह सुनकर दोनों साधु क्रोधित हो गए।

उन्होंने तीसरे साधु से पूछा-

यह निर्णय लेने से पहले तुमने हमें क्यों नहीं उठाया? तब तीसरे साधु ने कहा कैसे उठाता?

तुम दोनों तो ईश्वर से बातें कर रहे थे। लेकिन ईश्वर ने मुझे उठाया और भूखे मरने से बचा लिया।

(बिल्कुल सही कहा गया है कि जीवन-मरण का प्रश्न हो तो कोई किसी का मित्र नहीं होता व्यक्ति वही काम करता है जिससे उसका जीवन बच सके।)



panchtantra story in worldwide
पंचतन्त्र का विश्व में प्रसार

    संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतन्त्र का पहला स्थान माना जाता है। यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व[1] के आस-पास निर्धारित की गई है। इस ग्रंथ के रचयिता पं॰ विष्णु शर्मा हैं, कहीं-कहीं रचयिता का नाम 'बसुभग' आया है।[2]उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रन्थ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र लगभग 80 वर्ष थी। पंचतन्त्र को पाँच तन्त्रों (भागों) में बाँटा गया है:


    1. मित्रभेद (मित्रों में मनमुटाव एवं अलगाव)
    2. मित्रलाभ या मित्रसम्प्राप्ति (मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ)
    3. काकोलुकीय (शत्रु के साथ परिस्थितिवश मैत्री सम्बन्ध स्थापित हो जाने पर भी उससे सावधान रहना और गुप्तचरों की भूमिका का महत्त्व)
    4. लब्धप्रणाश (शत्रु की विजय को मिट्टी में मिलाने के उपाय)
    5. अपरीक्षित कारक (जिसको परखा नहीं गया हो उसे करने से पहले सावधान रहें ; हड़बड़ी में कदम न उठायें)

    No comments:

    Featured post

    हिंदी भजन लिरिक्स | भजन-संग्रह | Bhajan Lyrics in Hindi

    लोकप्रिय हिंदी भजन लिरिक्स विभिन्न कलाकारों , भक्त कवियों और संतों द्वारा गाए और रचाए गए भजन गीत भक्ति गीत का लिखित संग्रह क्लिक कर पढ़ें एवं...

    Labels

    Aakhari Kalaam Aalam Sheikh Kavita Aansu Aao Aao Yashoda Ke Laal Aao Rama Bhog Lagao Shyama Aaradhya Shri Ram lyrics Aarti Geet Aawazon Ke Ghere Ab Kripa Karo Shri Ram Nath Dukh Taaro acharya ramchandra shukla Achyutashtakam lyrics Ada Jafri ada Zafri Adam Gondvi Adeem Hashmi Ghazal Adil Mansuri Ghazal ae maalik tere bande Agam Singh Giri Agyatvaas Katha Ahmad Mushtaq Ghazal Ahmed Faraz Ghazal Ahmed Nadeem Qasami Ghazal ai ishq hamein barbaad na kar Aisi Bhole Ki Re Chadhi Hai Baraat Aitbar Sajid Ghazal Ajneya ke quote Akbar Allahabadi Akbar Allahabadi Ghazal Akbar Allahabadi Ke Kisse Akbar-Birbal Akharavat Akhilesh Tiwari Ghazal Akhtar Shirani Ghazal AKHTAR SHIRANI NAZM AKHTARUL IMAN NAZM Akshay Upadhyay ki Kavita Albeli Ali ke Pad Ali Sardar Jafri Ghazal Allama Iqbal Ghazal Alok Dhanwa Kavita amarkant poet stories Ambika Datt Vyas Ameer Minai Ghazal ameer minai ghazals Amir Khusrow Dohe- Kavita-geet-paheliya Ana Qasmi Ghazal Anamika Anamika Suryakant Tripathi "Nirala" kavita Anand Bakshi Andher Nagri Chaupat Raja Angika Bhakti Geet Angika Bujoval Geet Angika Fekda Angika Koshi Geet Angika Lokgatha Angika Lori Geet- Lokgeet Angika Manon Geet Angika Ritu Geet Angika Sohar Geet Anjana Bhatt Ankhiyan Hari Darshan Ki Pyasi Ankita Jain Anmol Vachan Sangrah Hindi Anoop Jalota Ansar Kambari Ghazal Arjundas Kediya Arun Kamal Kavita ashaar Ashok Anjum Ghazal Ashok Anjum ghazals Ashok Chakradhar Ashtak ashtakam Asrar Ul Haq Majaz Ghazal Asrarul Haq Majaz Asrarul Haq Majaz ke kisse atal bihari vajpayi Ath Shri Krishnashtakam lyrics Ath Shri Shiv Ashtakam lyrics Atha Shri Ganeshashtakam lyrics athaniyan kahani Atima Awadhi lokgeet Ayodhya Singh Upadhyay Harioudh Kavita Aziz Azad Aziz Bano Darab Wafa Aziz Lakhnavi Aziz Warsi Baal Ali Baal Geet Baal Mahabharat Katha baal sahitya baalgeet baanke bihari ji ashtak baas kahani baba kavne nagariya bachchon ke gaane Bada Natkhat Hai Re Badhawa Geet Bagheli Lokgeet Bahadur Shah Zafar Ghazal Baiga Geet Baiga Lokgeet Bairisal Bakhna Banarasi Das ke Chhappay. Banarasi Das ke Kavitt Banarasi Das ke Pad Banarasi Das ke Sawaiya Bangla Geet Bangla Lokgeet Barahmasa Geet Barahmasi Geet Bari Aatik Geet Barve Ramayan Ji Bashar Nawaz Ghazal Bashir Badra Bashir Badra ke Kisse Batgamni Geet Beet Gaye Din lyrics Bekal Utsahi Bekal Utsahi Ghazals Betal Pachchisi Bhadawari lokgeet Bhagavad Gita Bhagavad Gita Chapter Bhagavad Gita Hindi Bhagwan Meri Naiya lyrics Bhagwati Charan Verma Bhagwwat Rasik Bhaj Man Mere Ram Naam bhajan bhajan lyrics bhajan lyrics in hindi bhajan sangrah bhajan-pad-mishrit Bhakt Rupkala Bhakt Surdas Ji bhaktikaal kavi bhakto ke dohe Bhanubhakta Acharya Bharat Bhushan Agrawal Bharat Bhushan Agrawal kavita Bharat Durdasha Bharatendu Harishchandra Bharatendu Harishchandra Ghazal Bharatendu Harishchandra Kavita Bheel Geet Bheru Bhairav Geet Bhil Lokgeet Bhojpuri Geet bhojpuri rakhi geet Bhole Nath ke Bhajan Bhupati Kavi ke Dohe Bhupi Sherchan Bihari bimalda kahani bindu je ke bhajan bindu ji maharaj rachna Bindu Ji Rachna Biography Birha Geet Biyah se Diragaman Geet Brij Narayan Chakbast Budhesar Biyah Geet Budhjan Bulla Sahab bulle shah Bundeli Banna Geet Bundeli Dadre Geet Bundeli Faag Geet Bundeli Gali Geet Bundeli Sohar Geet Bundeli Varsha Geet Chacha Hit Vrindavandas Chalisa Likhi hui Chalisa Lyrics chalisa lyrics hindi chalisa sangrah Chalo Re Sakhiyan lyrics Chanakya Chand Bardai's Doha Chand Bardai's Pad Chand Bardai's Raso Kavya Chandrakant Devtale Kavita Chandrakant Devtale poem Chandrakanta Upanyas Chaturbhuj Das ke Pad Chaturbhujdas Chaturthi Geet Chaumasa Geet Cheegat Geet Chetavar Geet Chhainya Chhainya Chhamasa Geet Chhatisgarh Lokgeet Chheehal Panch Saheli Geet Chhitswami ke Pad. छीतस्वामी के पद Chhitswami Pad Chhotelal Das Ji Ke Bhajan Children Stories Chitradhar Chitswami ke pad Chuhar Chori Pakaria Geet couplet Daag Dehalvi Daag Dehalvi ke kisse Dadu Dayal Dadu Dayal Bhajan dadu ke bhajan Dahkan Geet Damad Geet Dariya Bihar Wale das paise aur dadi Data Ram Diye Hi Jata daya kar daan Dayabai Dayaram Deendayal Giri deshbhakti kavita Devadas Devendra Kumar Bangali Devi Geet Devi Jagdamba Geet Devi-Devataak Geet Devkinandan Khatri Novel Devsen Dhanna Bhagat Dharmvir Bharti Dharmvir Bharti kavita Dharmvir Bharti poetry Dharnidas Bhajan Sangrah Dhol Nagada Dhruvdas ke Dohe Dhruvdas ke Pad Dhruvdas ke Savaiyya dhuan kahani Dinbandhu Deenanath dingal kavi Diva Ni Divete Doha doha of vidhyapati Dohawali Dohe dohe gurujan ke Dohe Of Bulleh Shah Dohe Sant Guru Ravidas Droupadi Swyamvar Katha Dukhiyaon Ke Dukhh Door Dukhiyaon Ke Dukhh Door Kare Dularelal Bhargav Dulha Ram Siya Dulhi Ri Dushyant Kumar Dushyant Kumar Kavita ek hajar naam Ek Kanth Vishpayi Ekadashi Geet Ekadashi Story Hindi Ekadashi Vrat Katha ekadsahi vrat katha Faag Geet faag languriya bhadawari Faagu Geet Fahmida Riaz Nazm Fairy Tales India famous poetry akbar allahabadi Firak Gorakhpuri Firaq Gorakhpuri Ghazal Firaq Gorakhpuri Ke Kisse folk lore Folk Song Lyrics folk song lyrics rajasthani Folk Stories Folk Tales Fulwari Darshan Geet funny poetry Gadadar Bhatt ke Pad Gadhwali Geet gadhwali kavya Gaiye Ganpati Jag Vandan lyrics Ganpati Bappa Ki Jai Bolo Ganpati Ganesh garhwali kavya rachnaen Garibdas Gaurik Geet Gavri Bai Gawribai Gazal Geet Geet Lyrics geeta rabari top ten Ghajal Ghazal Ghazal aur SHayari Ghazal of amir minayi ghazal of poet akbar allahabadi ghazal writer Ghazals Ghazals of Akbar Hyderabadi Ghazals of Akhilesh Tiwari Ghazals of Azhar Inayati Ghazals of Bashar Nawaz Ghazals of Fahmida Riaz Ghazals of Hasrat Mohani Ghazals of Mohammad Rafi Sauda Ghazals of Shaad Azimabadi Ghazals of Shahryar Ghazal Ghazals of Shakeel Azmi Ghazals of Shakeel Badayuni Ghazal शकील बदायूनी की ग़ज़लें Ghazals of Waseem Barelvi Ghazl Ghzal Giridharan gitawali God Kavita Poem Poetry Gond Lokgeet Gopal Bhand Gopal Das Neeraj Gopal Sharan Singh Gopal Singh Nepali Gopi Geet Hindi goswami tulsidas ji Govind Swami ke Pad Gramya Gujarati Lokgeet Gujrati Lokgeet Gulzar Gulzar Ghazal Gulzar Ghazals Gulzar introduction gulzar ki kahaniyan Gulzar Sangrah Gunjan Guru Aagya Mein Nish Din Rahiye Guru Amardas Guru Angad Dev Guru Angad Dev Ji Salok Guru Nanak guru nanak dev Guru Nanak Dev Ji Guru Nanak Ke Sabad Guru Tegh Bahadur Gwalari Geet Gyanendrapati Kavita Habib Jalib Habib Jalib Nazm ham honge kaamyab hamko man ki shakti Hanuman Bahuk har desh mein tu Har Saans Mein Har Bol Mein lyrics Hari Bhajan Bina Sukh Shanti Nahi Hari Tum Haro Jan Ki Bheer Haridas Ke Pad Harihar Prasad hariodh Hariom Panwar Hariram Vyas ke Pad Harishankar Parsai Ke Vyangya Harivyas Dev Hariyanvi Lokgeet hariyanvi village songs haryanvi folk song Hasya Vyang Sangrah Hasya Vyangya Urdu ke He Govind Rakho Sharan lyrics he prabho aanand He Re Kanhiya lyrics He Rom Rom Mein Basne Wale Ram lyrics He Rom Rom Mein lyrics he shaarde ma Hemchandra Himachal Ke Lokgeet hindi chalisa lyrics hindi dohe hindi font ghazal hindi kahani hindi kahani for kids hindi kahani premchand hindi kahaniya hindi kavita hindi kids children story Hindi Lyrics Hindi Nibandh hindi poetry freedom hindi poetry of nirmala putul hindi prathna Hindi quote hindi satire hindi stories hindi story hindi story by gulzar Hindi story for kids hindi vyangya Hit Harivansh ke Pad Humein Nand Nandan Mol Liyo i Kavita Important Days incorrect words in hindi Indeevar Indraprasth Katha Insha Allah Khan Insha Ghazals in Hindi introduction Isuri itni shakti hamein Jaamun ka Ped Story Jaan Kavi Jaant Geet Jab Se Lagan Lagi Prabhu Teri Jai Jai Giribar Raj Kisori Jai Ram Ramaramanam Shamanam lyrics Jai Shankar Prasad Hindi Stories Jai Shankar Prasad Hindi Story Jaishankar Prasad Jalte Hue Van Ka Vasant Jamal kavi Jan Nisar Akhtar Janaki Mangal Janm Sanskarak Geet japur ji sahib Jasuram Jaswant Singh Jat Jatin Geet Jaun Elia Jaun Eliya Jeevan Singh Jhamdas Jharna Jharni Geet Jhummari Geet Jigar Moradabadi Jigar Moradabadi Ghazal Jigar Moradabadi Ke Kisse jogira geet John Eliyaa Joindu Joodiram Josh Malihabadi Josh Malihabadi ke Kisse Judiram Bhajan Kaafi Of Bulleh Shah Kabeer kabeer bhajan kabir bhajan Kabir Bhajan Sangrah Lyrics Kabir ke Bhajan Kabir Ke Dohe kafiya Kahani kahaniyan Kaifi Azmi Kailash Gautam kajli lokgeet Kajli lokgeet khari boli Kajri Geet Kaka Hathrasi Kala Aur Boodha Chand Kamayani Kanan-Kusum Kanauji Lokgeet Kanhiya Kanhiya Tujhe Aana Padega Karikanha Biyah Geet Karuna Bhari Pukar Sun kashmiri lok katha Kaushalya Rani Apne Lala Ko Dulrave Kavi Daulat Kavi Pradeep Lyrics kaviraja bankidas Kavit Kavita Kavita Sangrah kavita sangrah आवाज़ों के घेरे दुष्यन्त kavitaa Kavitt kaviyon ke dohe Kavya Natak Kedarnath Agrawa Kedarnath Singh Keshavdas ke Savaiya khadi boli wedding geet Khadi Ke Phool Khari Boli Lok Geet Khelauna Geet Khuman Bandijan Khumar Barabankvi Ghazal Kishan Saroj kiski kahani Kisse Kobar Geet Korku Geet Korku Lokgeet Kripanivas Kriparam Kriparam Khidiya sauratha Krishn Bihari Noor Krishna Bhajan Lyrics Krishna Chander krishna gitawali Krishnadas ke Pad kshatriya naai aur bhikhari ki kahani Kuch bhi ban bas kayar mat ban Kuchh Aur Nazmein Kumauni Lokgeet Kunkada Geet Kunwar Mahendra Singh Bedi ke Kisse Kunwar Narayan Kusma Haran Geet Kusumagraj Kutban ke Kadvak l Kavita Laakh ka Ghar Katha Laal Kavi ki Rachnaen Laalju Priyaju Naamavali Lachika Rani Lagni Geet Lalil Kishori Bhajan Lalitkishori Lalitmohini Dev Lalnath latife Latife बशीर बद्र के क़िस्से Latiife Laxmi Prasad Devkota Lehar Lekhnath Paudyal Llatiife Lok katha Lok-Katha Chhattisgarh Lok-Katha Manipuri Lok-Katha Uttarakhand Lokgeet Lokgeet Lyrics Lokpriya krishna bhajan lyrics Lyrics Lyrics from movie lyrics of kids song lyrics of krishna bhajan popular Ma Tara Ashirvad maa shaarde Madanashtak Rahim Madhujwal Madhurashtakam lyrics magahi geet magahi lokgeet maghi geet Mahadevi Verma Mahakavi poet kalidas mahakavya Mahalakshmiashtakam Mahapatra Narhari Bandijan Mahuak Geet Maithili Lokgeeet Maithili lokgeet Majaj Lakhnavi Ghazal Makhan Chor Makhanlal Chaturved Malaar Geet Malik Muhammad Jayasi Malukdas Malukdas Pad malvi ganesh geet malvi lokgeet Malvi Lokgeet lyrics in Hindi Man Tadpat Hari Darshan Ko Aaj lyrics manavta ke mandir MangalGaan Manikdeh Salhes Darshan Geet Manjhan ke Kadvak mansarovar story collection Manu Hariya Marathi Lokgeet Matiram Mayawi Sarovar Katha meer taqi meer ghazal meer taqi meer ghazals Meerabai Ke Bhajan Lyrics Meghdoot Mahakavi Kalidasa Meri Tan Heriye milti hai zindagi mein mohabbat mir taqi mir ghazal Mira Bai Ke Pad Mira ke Bhajan MiraBai pad explanation Mirza Ghalib MIRZA GHALIB Ghazal Mirza Ghalib Latiife Misc Poetry Misc. Poetry Gulzar Mishrit Geet Mitadas Mohan Momin Khan Momin moral story for kid Motiram Biyah Geet Motivational Story mrigavati Mubarak ke Dohe Muktak Mukund Madhav Govind Mulla Nasruddin Muna Madan Mundan Geet Munj munshi premchand Munshi Premchand kahani Munshi Premchand ke Upanyas munshi premchand ki kahani munshi premchand ki kahanni Munshi Premchand Quote Muztar Khairabadi Ghazal na tha kuchh to KHuda tha Nabhadas Nachyo Bahut Gopal Nagar-Shobha Rahim Nagaridas Nakta Geet nanakdev ji Nand Kishore lyrics Nanddas ji ka Pad Nanddas Ji ki Rachna Nandoi Geet Naqsh Layalpuri narendra sharma Narottamdas Ji Granth Nasir Kazmi Ghazal Nasir Kazmi Ghazal Ghazals नासिर काज़मी ग़ज़लें navgeet Nawaz Deobandi Nawaz Deobandi Ghazal Naye Subhashit Nazeer Banarasi Nazm Nazmein Nazms Nazms Of Fahmida Riaz Nepali Kavi Nida Fazli nimadi geet Nimari geet Nipat Niranjan Nirgun Geet Nirmala Putul Kavita निर्मला पुतुल की कविताएँ Nirmala Putul poem Noon Meem Rashid Ghazal Novel Obaidullah Aleem Ghazal old Wedding Song Paat Bhari Sahari Pabani Geet Pad pad Vyakhya Padawali Raidas Padmakar Padmavat Padmavati Pallav Panchtantra Hindi Kahani Pandav Dhritrashtra Katha Panwari Lokgeet Parba Pokhri Yagya Geet Parichay Parichhan Geet Parmanand das Parmanand das ke Pad Parsat Pad Pavan Parvati mangal Parveen Shakir Ghazal Parwati Mangal Paryayvachi Shabd patriotic poe patriotic poem patriotism hindi poem Pavas Geet Pawan Karan Kavita Pawan Karan pem Pawari Lok geet Pawari Lokgeet Phanishwar Nath Renu Phooli Bai Pirzada Qasim Ghazal Ghazals poem Poem for Kids Poems poet poetry poetry Pawan Karan popular ghazals Popular Poems of Manglesh Dabral Prabal Prem Ke Paale Prabhu Ko Bisar lyrics Prabhu Tero Naam prasidh bhajan prayer in hindi Premchand Stories Premlata Prithviraj Raso Puchhta kyon shesh kitni raat Puhkar bhaktikaal kavi Puhkar ke Dohe Pukhraj Punjabi folk song Punjabi Lokgeet Qateel Shifai Qita Quote quote in hindi Quote of Acharya Ramchandra Shukla Quote of Antonio Gramsci Quote of Bhuvaneshvar Quote of Chanakya Quote of Dharmveer Bharti Quote of Dhumil धूमिल के कोट्स उद्धरण Quote of Doodhnath Singh Quote of Elfriede Jelinek Quote of Gabriel Garcia Marquez Quote of Gajanan Madhav Muktibodh Quote of Ganganath Jha Quote of George Orwell Quote of Gorakh Pandey Quote of Gyanranjan Quote of Harishankar Parsai Quote of Hindi Poet Agyeya Quote of Jaishankar Prasad Quote of Jean Cocteau Quote of Kedarnath Singh Quote of Krishn Baldev Vaid Quote of Kunwar Narayan Quote of Mahatma Gandhi Quote of Malyaj Quote of Manglesh Dabral Quote of Manohar Shyam Joshi Quote of Mark Twain Quote of Mohan Rakesh Quote of Mridula Garg Quote of Namvar Singh Quote of Naveen Sagar Quote of Nirmal Verma Quote of Peter Handke Quote of Phanishwarnath Renu Quote of Premchand Quote of Rabindranath Tagore Quote of Raghuvir Sahay Quote of Rajkamal Choudhary Quote of Ranier Maria Rilke Quote of Trilochan Quote of Yun Fusse quotes Raag Halur Geet Raas Geet Raat Pashmine Ki Radha Krishna Bhajan Radha Raas Bihari Raghubar Tumko Meri Laaj Raghurajsingh Rahim ki Rachnaen Raidas Raja Mehdi Ali Khan Lyrics Rajasthani Geet Rajasthani Lokgeet Lyrics Rajasthani lyrics Rajasthani song lyrics in hindi Rajesh Joshi Rajinder Manchanda Bani Ram Bin Tan Ko Ram Birajo Hriday Bhavan Mein Ram Bolo Ram Ram Do Nij Charno Mein Sthaan Ram Kare So Hoy Re Manwa ram ki shakti pooja suryakant tripathi nirala Ram Prasad Bismil Ram Ram Kahe Na Bole Ram Sahay Das Ram Sumir Ram Sumir lyrics Ramagya Prashna Ramanath Awasthi Geet Ramashankar Yadav VIdrohi Ramavtar Tyagi Kavita Ramcharandas Ramcharitmanas Ramcharitmanas Tulsidas Ramdarsh Mishra Ramdarsh Mishra Kavita Ramdev Ji ke Geet Ramdhari Singh Dinkar Ramdhari Singh Kavyateerth Ramhi Ram Bas Ramhi Ramkumar Verma Ramrasrangmani Rasik Ali Raskhan Biography Raskhan ke Dohe Raskhan ke Savaiya Raskhan Poems Rasleen Rasnidhi Raso Kavya Ratnawali ravi par kahani Ravidas ji ke Shabad Ravindra Jain Ravindra Jain Hindi Geet Ray Deviprasad Poorn Ritu aa Parvak Geet Rom Rom Mein Rama Hua Hai lyrics RONA SER MA Roopsaras Ropani Geet Roti Geet Rukmani Sammari Geet Saanjh Geet Sabad Sagar Siddiqui sahastra naam sahastra namawali Sahir Ludhianvi Ghazal sahir ludhiyanvi Sahjobai Sain Bhagat Sakhin Madhya Siya Sohati Salhes Geet salok salok nanakdevji ke Sama Chakeba Geet Samdaun Geet Sammari Geet Sankata Mochana Hanumanashtaka Sanskrit lok geet Sanskrit Shlok Sant Babalal Sant Kavi Vrind sant keshavdas Sant Laldas ke Shabd aur Dohe Sant Parshuram Sant Peepa Sant Pipa Sant Ravidas Sant Ravidas ke Pad Sant Saligram Sant Shivdayal Singh Sant Shivnarayan sant surdas bhajan Sant Tukaram Sant Tukaram ke Pad Santhali Lokgeet santo ke dohe Saqi Faruqi saravati prathna Sarv Shaktimate Paramatmane satire Satyanarayan Kaviratn Savaiya Savaiyya Saveya Sawan Geet Sawan lokgeet khari boli school prayers Senapati ke Kavitt Shaad Azimabadi Ghazal Shaan Shabad Shabad Of Bulleh Shah Shabd Shabd Raidas Ji Shad Azimabadi Ghazal Shaharyar Ghazal Shahryar Ghazal Shail Chaturvedi Shail Chaturvedi Kavita Shailendra Shakuni Pravesh Katha shalok Shambhunath Singh Sharan Mein Aaye Hain lyrics Shariq Kaifi Shaukat Thanvi Shaukat Thanvi ke Kisse Shayari shayari of ameer minai Sheikh Chilli Sher Sher Shayari on Various Topics Shiv Ashtakam lyrics Shiv Bhajan Lyrics Shiv Sampati Shivji Ka Byah lyrics shlok Shree Nandkumarashtakam lyrics Shri Dinabandhvashtakam lyrics Shri Ganesh Vandana Shri Gaurishashtakam lyrics Shri Govindashtakam lyrics Shri Hanuman Chalisa Shri Hari Sharanashtakam Shri Hathi ki Rachnaen Shri Hit Chaurasi Shri Hit dhruvdas ji Shri Kalikashtakam Shri Kamalapatyashtakam Shri Krishna Bal-Madhuri Shri Krishna Gitavali Shri Krishna Krupa Kataksh Shri Krishna Saral Shri Lingashtakam lyrics Shri Narayanashtakam lyrics Shri Radha Chalisa Shri Radha krupakataksh Shri Rama Ashtakam lyrics Shri Ramachandra Ashtakam lyrics Shri Ramaprema Ashtakam Shri Rudrashtakam lyrics Shri satleela Shri Shiva Ramashtakastotram lyrics Shri Surya Mandala Ashtakam Shri Vishvanath Ashtakam lyrics Shribhatt ke Pad Shridhar Pathak Shrikant Verma Shringar-Soratha Rahim Shubh Din Pratham Ganesh Manao Shyam Teri Bansi Pukare Radha Naam lyrics Shyambihari Shrivastava Sinhasan Battisi Sohar Geet Somprabh Suri Songs Lyrics radha krishna stories in hindi Story story in hindi Story panchtantra hindi Stotra/Shloka Subhadra Kumari Chauhan Subramanyam Bharti Kavita Sudama Charit sudama chrit kavita Sudama Panday Dhumil Sudarshan Fakir Ghazals Sudhakar Dwivedi Sujan Raskhan Rachna Sukh-Varan Prabhu sukt sangrah suktam Sumiran Salhes Geet Sumitranandan Pant Sundardas Sundardas ke Savaiyya Sur Ki Gati Main lyrics Sur Sukhsagar Surdas surdas bhajan surdas bhajan lyrics Surya Ka Swagat Suryakant Tripathi Nirala Suryamal Mishran Swarna Kiran Swarndhuli taqseem kahani Tenali ram ki kahaniyan Tenali rama Tenali Raman Tirhut Geet Tora Man Darpan Kahlaye lyrics Triveni Tu Pyar Ka Sagar Hai lyrics tukhari barah maah Tulsidas tulsidas ji tulsidas ji ramcharitmanas Tum Meri Rakho Laaj Hari Tum Utho Siya Singar Karo tumhi ho mata pita Tyagi ki kavita Udasi Geet Udayraj Jati Uncategorized unchi edi wali mam Upanyas Upnayan Geet Urdu Shabdawali Uttra Vairagya Sandipani Vaivahik Lokgeet Rajasthani Var ke khayaba kaal Geet Vasant Geet Vidayi Geet Vidhyapati ki rachnaen Vidur Niti Hindi Vidyapati ke dohe Vidyapati ke geet Vikram Vikramorvasiyam Play Kalidasa Vikrat ka Bhram Katha vinay pachasa baanke bihari ji Vinod Kumar Shukl Kavita Vishnu Vaman Shirwadkar Vivah Geet vivah lokgeet khari boli Vividh Geet Viyogi Hari Vrat Kathaen vyangya vyangya kavita Wali Dakni Ghazal Wali Dakni Ki Ghazal aur SHayari ya kundendutusharhardhavala Yaar Julahe Yaari Sahab Yagana Changezi Yash Malviya Kavita Yash Malviya poem Yash Malviya poetry Yashomati Maiya Se Bole Nandlala lyrics Yog Geet Yudhishtar Vedna Katha Yugaant Yuglaananysharan Yugpath Yugvani Zafar Iqbal Ghazal अ से ज्ञ तक विलोम शब्द हिंदी संग्रह अकबर इलाहाबादी अकबर इलाहाबादी के क़िस्से अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल अकबर हैदराबादी अकबर हैदराबादी की ग़ज़लें अकबर-बीरबल अंकिता जैन अक्षय उपाध्याय की कविताएँ अखरावट अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी अखिलेश तिवारी अख़्तर शीरानी ग़ज़ल अख़्तर शीरानी नज्म अख़्तर-उल-ईमान नज़्म अगमसिँह गिरी अंगिका ऋतु गीत अंगिका कोशी गीत अंगिका फेकड़ा गीत अंगिका बुझौवल गीत अंगिका भक्ति गीत अंगिका मनौन गीत अंगिका लोकगाथा अंगिका लोकगीत अंगिका लोरियाँ अंगिका सोहर गीत अच्युताष्टकम् अंजना भट्ट अज़हर इनायती की ग़ज़लें अज़ीज़ आज़ाद अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा अज़ीज़ लखन अज़ीज़ लखनवी ग़ज़लें अज़ीज़ लखनवी शेर अज़ीज़ वारसी अज्ञातवास अज्ञेय अज्ञेय के उद्धरण अटल बिहारी वाजपेयी अतिमा अंतोनियो ग्राम्शी के कोट्स अथ श्री कृष्णाष्टकम् अथ श्री गणेशाष्टकम् अथ श्री शिवाष्टकम् अदम गोंडवी अदा ज़ाफ़री अदीम हाशमी गजल अदीम हाशमी ग़ज़लें अंधेर नगरी चौपट्ट राजा अनमोल वचन अना क़ासमी की गजलें अनामिका अनूप जलोटा अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो अंबिकादत्त व्यास अमीर खुसरो के दोहे- गीत -कविता -पहेलियाँ अमीर मीनाई ग़ज़ल अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध कविताएँ अरुण कमल की कविताएँ अर्जुनदास केडिया अर्थ सहित Rahim ke Dohe अलबेलीअलि के पद अली सरदार जाफ़री ग़ज़ल अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल अवधी गीत अवधी जाँत गीत अवधी देवी गीत अवधी नकटा गीत अवधी निर्गुण गीत अवधी फाग गीत अवधी बारामासी गीत अवधी बाल-गीत अवधी बिरहा गीत अवधी रोटी गीत अवधी रोपनी गीत अवधी लोकगीत अवधी विदाई गीत अवधी विवाह गीत अवधी सावन गीत अवधी सोहर गीत अशोक अंजुम ग़ज़लें अशोक चक्रधर अष्टक अष्टकम असरार-उल-हक़ मजाज़ असरार-उल-हक़ मजाज़ ग़ज़ल अंसार कंबरी की हिंदी ग़ज़लें अहमद नदीम क़ासमी ग़ज़ल अहमद फ़राज़ ग़ज़ल अहमद मुश्ताक ग़ज़ल आओ आओ यशोदा के लाल आओ रामा भोग लगाओ श्यामा आखरी कलाम आचार्य रामचंद्र शुक्ल आचार्य रामचंद्र शुक्ल के कोट्स आदिल मंसूरी ग़ज़ल आनंद बख्शी आराध्य श्रीराम आलम शेख की कविता आल्हा ऊदल गीत भोजपुरी आवाज़ों के घेरे इंद्रप्रस्थ इंशा अल्ला खाँ 'इंशा' की ग़ज़लें ईश्वर पर कविताएँ ईसुरी की फाग उत्तरा उदयराज जती उद्धरण उबटन मगही उबैदुल्लाह अलीम ग़ज़ल उर्दू शब्दावली उर्दू-हिन्दी शब्दकोश एक कंठ विषपायी एक क्षत्रिय एकादशी व्रत कथा एल्फ्रीडे येलिनेक के कोट्स ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर ऐतबार साजिद ग़ज़ल ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात कजरी झूला उत्सव गीत क़तील शिफ़ाई कन्नौजी लोकगीत कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा कबीर के दोहे कबीर के भजन कबीर भजन करुणा भरी पुकार सुन कला और बूढ़ा चाँद कवि आलोक धन्वा कविता कवि चन्द्रकान्त देवताले कविता कवि जमाल कवि भूषण कविता कविता नेपाली कविताएँ कविताएं कवित्त कहानियाँ कहानियां कहानी काका हाथरसी कातक न्हाण के गीत काफिया काव्य काव्य-नाटक क़िता किशन सरोज कुंकड़ा (प्रभाती) गीत कुछ और नज्में कुछ भी बन बस कायर मत बन कुंडलियाँ कुतुबन के कड़वक कुंदनलाल कुमाँऊनी लोकगीत कुंवर नारायण कुँवर नारायण के कोट्स कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर के क़िस्से कुंवा पूजन गीत कुसुमाग्रज कुसुमाग्रज मराठी कविताएँ कृपानिवास कृपाराम कृपाराम बारहठ खिड़िया का सोरठा कृष्ण चंदर कृष्ण बलदेव वैद के कोट्स कृष्ण बिहारी नूर कृष्ण भक्ति कवि कृष्ण भजन लिरिक्स कृष्ण लौकिक गीत गढ़वाली कृष्णदास के पद केदारनाथ अग्रवाल केदारनाथ सिंह केदारनाथ सिंह के कोट्स केशवदास के सवैया कैफ़ी आज़मी कैलाश गौतम कोट्स कोरकू खांचा ऊमून गीत कोरकू मिमलाव गीत कोरकू लोकगीत कोरकू विवाह गीत कोरकू विविध गीत कोरकू सिडोली गीत कौशल्या रानी अपने लला को दुलरावे खादी के फूल खुमान बंदीजन ख़ुमार बाराबंकवी ख़ुमार बाराबंकवी की ग़ज़लें खेती-बाड़ी के गीत गंगा स्नान गीत भोजपुरी गंगानाथ झा के कोट्स गजल ग़ज़ल ग़ज़ल ghazal ग़ज़ल Ghazal गजलें ग़ज़ले ग़ज़लें गजानन माधव मुक्तिबोध के कोट्स गढ़वाली काव्य रचनाएँ गढ़वाली प्रमुख काव्य रचनाएँ गढ़वाली लोकगीत गणपति गणेश गणपति बप्पा की जय बोलो गदाधर भट्ट के पद गरीबदास गवरी बाई गाइए गणपति जग वंदन गारी गीत गिरिधारन गीत गीत गढ़वाली गीतकार- इंदीवर गुंजन गुजराती लोकगीत गुरु अमरदास गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये गुरु तेग़ बहादुर गुरु नानक गुरु नानक के सबद गुरु नानक देव जी की रचनाएँ गुरू अंगद देव जी गुलज़ार गुलज़ार ग़ज़ल गुलज़ार परिचय गेब्रियल गार्सिया मार्ख़ेस के कोट्स गोंड गीत गोंड लोकगीत गोपाल भाँड़ गोपाल सिंह नेपाली गोपालदास नीरज गोपालशरण सिंह गोपी गीत गोरख पांडेय के कोट्स गोविंद स्वामी के पद गोस्वामी तुलसीदास ग्यारस (एकादशी) गीत ग्राम्या चक्की के गीत चक्रवर्ती राजगोपालाचारी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी Bheem aur Hanuman Ji Katha चतुर्भुजदास चतुर्भुजदास के पद चंद्रकांता उपन्यास चाचा हितवृंदावनदास चाणक्य के कोट्स चालीसा चालीसा लिरिक्स चालीसा संग्रह चालीसा हिंदी चालो रे सखियाँ चीगट गीत चौथ चन्दा गीत भोजपुरी चौंफला गीत गढ़वाली चौमासा बारामासा गीत गढ़वाली छत्तीसगढ़ी गीत छप्पय छीहल की रचना छैंया-छैंया छोटेलाल दास भजन जन्म के गीत जन्म गीत ज़फ़र इक़बाल की ग़ज़लें जब से लगन लगी प्रभु तेरी जय जय गिरिबरराज किसोरी जय राम रमारमनं शमनं जय शंकर प्रसाद हिंदी कहानियां जयशंकर प्रसाद जयशंकर प्रसाद के कोट्स जयशंकर प्रसाद हिंदी कहानी जलते हुए वन का वसन्त जसवंत सिंह जसुराम जाँ निसार अख्तर जागो बंसीवारे ललना जान कवि जानकी -मंगल जामुन का पेड़ जिगर मुरादाबादी जिगर मुरादाबादी के क़िस्से जिगर मुरादाबादी ग़ज़लें जीवन परिचय जीवन सिंह जैन कवि जॉर्ज आरवेल के कोट्स जोइंदु जोश मलीहाबादी जोश मलीहाबादी के क़िस्से ज्ञानरंजन के कोट्स ज्ञानेन्द्रपति ज़्यां कॉक्त्यू के कोट्स झामदास डग्गा तिनताला गीत तुम उठो सिया सिंगार करो तुम मेरी राखो लाज हरि तुलसीदास तुलसीदास जी तू प्यार का सागर है तेनाली रमन तेनाली रामा तेनालीराम तोरा मन दर्पण कहलाये त्रिलोचन के कोट्स त्रिवेणी दयाबाई के दयाराम दरिया (बिहार वाले) दाग़ देहलवी दाग़ देहलवी के क़िस्से दाता राम दिये ही जाता दादरा गीत दादू के भजन दादू दयाल दादू दयाल भजन दामाद के गीत दीनदयाल गिरि दीनबन्धु दीनानाथ दुखियों के दुख दूर करे दुलारेलाल भार्गव दुष्यंत कुमार दुष्यन्त कुमार दूधनाथ सिंह के कोट्स दूलह राम सीय दुलही री देवकीनन्दन खत्री उपन्यास देवठणी के गीत देवसेन देवादास देवी के गीत देवी जगदम्बा गीत देवी माँ के गीत देवी-देवता गीत देवीशंकर अवस्थी के कोट्स देवेंद्र कुमार बंगाली देशभक्ति कविता देशभक्ति गीत भोजपुरी देसी गीत दोहा दोहावली दोहे दौलत कवि द्रौपदी स्वयंवर धन्ना भगत धरनीदास जी के भजन धर्मवीर भारती कविता धर्मवीर भारती के कोट्स ध्रुवदास के दोहे ध्रुवदास के पद ध्रुवदास के सवैया न था कुछ तो ख़ुदा था नक़्श लायलपुरी नज़ीर बनारसी नज़्म नज़्में नणदोई के गीत नंददास जी की रचनाएं नंददास पद नये सुभाषित नरेन्द्र शर्मा नरोत्तमदास नरोत्तमदास कविता नवमी गीत भोजपुरी नवाज़ देवबंदी ग़ज़ल नवीन सागर के कोट्स नाई और भिखारी की कहानी नागरीदास नाच्यो बहुत गोपाल नाभादास के छप्पय नाभादास के पद नामवर सिंह के कोट्स नामावली नामावली भगवान की नारायण नासिर काज़मी ग़ज़ल निदा फाज़ली निपट निरंजन निमाड़ी गीत निमाड़ी लोकगीत निर्गुण गीत भोजपुरी निर्मल वर्मा के कोट्स नून मीम राशिद ग़ज़लें नेपाली कविता पंच सहेली गीत पंचतंत्र की कहानी पंजाबी लोकगीत पतित पावन सुने. Hari Patit Pavan Sune पद पद अर्थ पदावली संत रैदास पद्माकर-रीतिकाल कवि पद्मावत पनघट के गीत परछन गीत परमानंद दास के पद परवीन शाकिर की ग़ज़लें परसत पद पावन पराती गीत भोजपुरी परिचय पर्यायवाची शब्द पर्व गीत पल्लव पवन करण की कविताएँ पँवारी लोक गीत पवारी लोकगीत पँवारी लोकगीत पांडवों का धृतराष्ट्र के प्रति व्यवहार पाण्डव लौकिक गाथाएँ गढ़वाली पात भरी सहरी पार्वती-मंगल पिंडदान गीत भोजपुरी पितर नेवतौनी गीत भोजपुरी पितु मातु सहायक स्वामी . Pitu Matu Sahayak Swami lyrics पीटर हैंडके के कोट्स पीरज़ादा क़ासीम ग़ज़ल पुखराज पुहकर कवि के कवित्त पूछता क्यों शेष कितनी रात पौराणिक कथाएं प्रदीप प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को बिसार प्रभु तेरो नाम प्रार्थना प्रार्थना संग्रह प्रेमगीत प्रेमचंद की कहानियाँ प्रेमचंद के कोट्स प्रेमलता प्रेरक प्रसंग फगुआ गीत भोजपुरी फणीश्वर नाथ रेणु फणीश्वरनाथ रेणु के कोट्स फ़हमीदा रियाज़ की ग़ज़लें फ़हमीदा रियाज़ की नज़्में फ़हमीदा रियाज़ नज़्म फागण के गीत फ़िराक़ गोरखपुरी फ़िराक़ गोरखपुरी के क़िस्से फ़िराक़ गोरखपुरी ग़ज़ल फिल्मी गीत फूलीबाई बखना बघेली गीत बघेली लोकगीत बच्चों की कहानियाँ बड़ा नटखट है रे बधावा गीत बनारसी दास के पद बरवै रामायण हिंदी बरूआ गीत बशर नवाज़ की ग़ज़लें बशर नवाज़ ग़ज़ल बशीर बद्र बहादुर शाह ज़फ़र ग़ज़लें बांग्ला गीत बाबाफाग दहका गीत बारहमासा गीत भोजपुरी बाल अली बाल कविताएँ बाल महाभारत बाल-कविता बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत बिहारी बीत गये दिन बुधजन बुन्देली गारी गीत बुन्देली दादरे गीत बुन्देली बन्ना गीत बुन्देली वर्षा गीत बुन्देली सोहर गीत बुल्ला साहब बुल्ले शाह की काफियां बुल्ले शाह के दोहे बुल्ले शाह के शबद बृज नारायण चकबस्त की ग़ज़लें बेकल उत्साही की ग़ज़लें बेटा -बेटी विवाह मगही बेताल पच्चीसी बैगा गीत बैगा लोकगीत बैरीसाल भक्त रूपकला भक्त सूरदास जी रचना भक्तिकालीन रचनाकार भगवत रसिक भगवतीचरण वर्मा भगवान मेरी नैया भज मन मेरे राम नाम तू भजन भजन गीत भजन लिरिक्स भजन-संग्रह भदावरी भदावरी लोक गीत भानुभक्त आचार्य भारत भूषण अग्रवाल भारतदुर्दशा भारतेंदु हरिश्चंद्र भारतेंदु हरिश्चंद्र की कविताएँ भारतेंदु हरिश्चंद्र ग़ज़ल भारतेंदु हरिश्चंद्र नाटक भीम और हनुमान भील जनजाति गीत भील जन्म गीत भील झूमरली गीत भील फाग गीत भील भजन गीत भील मृत्यु गीत भील लोकगीत भील विवाह गीत भील सावां गीत भुवनेश्वर के कोट्स भूपति के दोहे भूपि शेरचन भेरू (भैरव) के गीत भोजपुरी लोकगीत भोले नाथ के भजन लिरिक्स मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं मगही उबटन लोकगीत मगही गुरहत्थी गीत मगही जनेऊ गीत मगही जन्मोत्सव गीत मगही बन्ना गीत मगही मुण्डन गीत मगही मृत्यु गीत मगही मेहँदी गीत मगही लोकगीत मगही विवाह लोकगीत मगही शिव विवाह राम विवाह गीत मगही सोहर लोकगीत मजाज़ लखनवी की ग़ज़लें मंझन के कड़वक मतिराम मधुज्वाल मधुराष्टकम् मन तड़पत हरि दरसन को आज मनवा मेरा कब से प्यासा मनोहर श्याम जोशी के कोट्स मन्नू हरिया मराठी मराठी कविता मराठी लोकगीत मलयज के कोट्स मलिक मुहम्मद जायसी मलूकदास मलूकदास जी के पद महत्त्वपूर्ण दिवस महाकवि कालिदास महाकाव्य महात्मा गांधी के कोट्स महात्मा गांधी के गीत महादेवी वर्मा महापात्र नरहरि बंदीजन महालक्ष्म्यष्टकम् माखन चोर नन्द किशोर माखनलाल चतुर्वेदी मांगल गीत गढ़वाली मायावी सरोवर मारवाड़ी लोकगीत ब्याह के मार्क ट्वेन के कोट्स मालवी गणेश गीत मालवी लोकगीत मिर्ज़ा ग़ालिब मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लें मिर्ज़ा ग़ालिब के क़िस्से मिर्ज़ा ग़ालिब ग़ज़ल मिश्रित गीत मीतादास मीर तकी मीर की ग़ज़लें मीरा के भजन मीराबाई के पद मीराबाई के भजन मुकुन्द माधव गोविन्द मुक्तक मुंज मुज़्तर ख़ैराबादी की ग़ज़लें मुंडन संस्कार गीत मुना मदन मुबारक के दोहे सवैया कवित्त मुल्ला नसरुद्दीन मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद हिन्दी कहानियाँ मृगावती मृत्यु गीत मृदुला गर्ग के कोट्स मेघदूत खण्डकाव्य कालिदास मैथिली गीत मैथिली आरती गीत मैथिली उदासी गीत मैथिली उपनयन गीत मैथिली ऋतू आ पर्वक गीत मैथिली कजरी गीत मैथिली करिकन्हा बिआह गीत मैथिली कुसमा हरण गीत मैथिली कोबर गीत मैथिली खेलौना गीत मैथिली गीत मैथिली गौरीक गीत मैथिली ग्वालरि गीत मैथिली चतुर्थी गीत मैथिली चुहर चोरि पकरिया गीत मैथिली चैतावर गीत मैथिली चौमासा गीत मैथिली छौमासा गीत मैथिली जट-जटिन गीत मैथिली जन्म-संस्कारक गीत मैथिली झरनी गीत मैथिली झुम्मरि गीत मैथिली डहकन गीत मैथिली तिरहुत गीत मैथिली देवता गीत मैथिली परबा-पोखरि यज्ञ गीत मैथिली परिछन गीत मैथिली पाबनि गीत मैथिली पावस गीत मैथिली फागु गीत मैथिली फुलवाड़ि दरशन गीत मैथिली बटगबनी गीत मैथिली बरिआतीक गीत मैथिली बारहमासा गीत मैथिली बिरहा गीत मैथिली बुधेसर -बियाह गीत मैथिली मलार गीत मैथिली महुअक गीत मैथिली मानिकदह सलहेस दर्शन गीत मैथिली मिश्रित गीत मैथिली मुंडन गीत मैथिली मोतीराम-बियाह गीत मैथिली योग गीत मैथिली रास गीत मैथिली रुक्मिनि सम्मरि गीत मैथिली लगनी गीत मैथिली लोकगीत मैथिली वर कें खयबा काल गीत मैथिली वसन्त गीत मैथिली विविध गीत मैथिली समदाउन गीत मैथिली सम्मरि गीत मैथिली सलहेस गीत मैथिली सांझ गीत मैथिली सामा-चकेबा गीत मैथिली सुमिरन एवं सलहेस द्विरागमन गीत मैथिली सोहर गीत मोमिन ख़ाँ मोमिन मोहन मोहन राकेश के कोट्स मोहम्मद रफ़ी सौदा की ग़ज़लें यगाना चंगेज़ी यश मालवीय की कविताएँ यशोमती मैया से बोले नंदलाला यार जुलाहे यारी साहब युगपथ युगलान्यशरण युगवाणी युगांत युधिष्ठिर की वेदना यून फ़ुस्से के कोट्स रक्षा बंधन गीत भोजपुरी रघुबर तुमको मेरी लाज रघुराजसिंह रघुवीर सहाय के कोट्स रत्नावली रमानाथ अवस्थी के गीत रमाशंकर यादव विद्रोही रविदास जी रविदास जी पद रविन्द्र जैन रवींद्रनाथ टैगोर के कोट्स रसखान रसखान की रचनाएँ रसखान के दोहे रसखान के सवैया अर्थ रसखान परिचय रसनिधि रसलीन रसिक अली रसिक संप्रदाय रहन-सहन के गीत रहीम रहीम की रचनाएँ रहीम के दोहे राग हलूर गीत राजकमल चौधरी के कोट्स राजस्थानी लोकगीत राजस्थानी विवाह गीत राजा मेंहदी अली खान राजेन्द्र मनचंदा बानी राजेश जोशी रात पश्मीने की राधा कृष्णा भजन राधा रास बिहारी राम करे सो होय रे मनवा राम की शक्ति-पूजा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला राम गीत राम दो निज चरणों में स्थान राम प्रसाद बिस्मिल राम बिनु तन को राम बिराजो हृदय भवन में राम बोलो राम राम राम काहे ना बोले राम सुमिर राम सुमिर रामकुमार वर्मा रामचरणदास रामचरितमानस रामचरितमानस तुलसीदास रामदरश मिश्र रामदेव जी के गीत रामधारी सिंह काव्यतीर्थ रामधारी सिंह दिनकर रामरसरंगमणि रामसहाय दास रामहि राम बस रामहि राम रामाज्ञा प्रश्न रामावतार त्यागी की कविताएँ राय देवीप्रसाद ‘पूर्ण’ रासो काव्य रीतिकाल रीतिकाल कवि रीतिकाल के कवि सुंदरदास सवैया रूपसरस रेनर मारिया रिल्के के कोट्स रैदास जी दोहे रोम रोम में रमा हुआ है लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा लचिका रानी ललित किशोरी भजन ललितकिशोरी ललितमोहिनी देव लाख का घर लाल कवि की रचनाएँ लालनाथ लिरिक्स लिरिक्स चालीसा लेखनाथ पौड्याल लोक कथा लोकगीत लोरियाँ भोजपुरी लौकिक गाथाएँ गढ़वाली वली दक्कनी की ग़ज़ल वसीम बरेलवी की ग़ज़लें विक्रम विक्रमोर्वशीयम् (नाटक) विदाई गीत भोजपुरी विदुर नीति हिंदी विद्यापति के गीत विद्यापति के दोहे विद्यापति जीवन परिचय विद्यापति ठाकुर की रचनाएं विनय पचासा विनोद कुमार शुक्ल की कविताएं विभिन्न विषयों पर शेर शायरी वियोगी हरि विराट का भ्रम विलोम शब्द विवाह गीत विविध कविता विविध गीत गढ़वाली विविध रचनाएँ विविध हरियाणवी गीत वीर रस वृंद वैराग्यसंदीपनी हिंदी शकील आज़मी की ग़ज़लें शकील बदायूनी की ग़ज़ल शकुनि का प्रवेश शब्द संत रविदास जी शंभुनाथ सिंह शरण में आये हैं शहरयार की ग़ज़लें शाद अज़ीमाबादी की ग़ज़लें शादी-ब्याह के गीत शान शायरी शारिक़ कैफ़ी शिव सम्पति शिवजी का ब्याह शिवजी भजन हिंदी लिरिक्स शिवाष्टकम् शुभ दिन प्रथम गणेश मनाओ शृंगारी कवि शेखचिल्ली शेर शैल चतुर्वेदी शैल चतुर्वेदी कविता शैलेन्द्र शौकत थानवी शौकत थानवी के क़िस्से श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम. श्यामबिहारी श्रीवास्तव श्री कमलापत्यष्टकम् श्री कालिकाष्टकम् श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष श्री गणेश वंदना श्री गौरीशाष्टकम श्री दीनबन्ध्वष्टकम् श्री नारायणाष्टकम् श्री राधा कृपा कटाक्ष श्री राधा चालीसा श्री लिङ्गाष्टकम् श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम् श्री हठी श्री हनुमान चालीसा श्री हरि शरणाष्टकम् श्री हित चतुरासी जी श्री हित चौरासी जी श्रीकांत वर्मा श्रीकृष्ण गीतावली श्रीकृष्ण बाल-माधुरी श्रीकृष्ण सरल श्रीगोविन्दाष्टकम् श्रीधर पाठक श्रीनन्दकुमाराष्टकम् श्रीभट्ट के पद श्रीरामचन्द्राष्टकम् श्रीरामप्रेमाष्टकम् श्रीरामाष्टकम् श्रीरुद्राष्टकम् श्रीविश्वनाथाष्टकम् श्रीसूर्यमण्डलाष्टकम् श्रीहित मंगलगान संकट मोचन हनुमानाष्टक सखिन्ह मध्य सिय सोहति कैसे संत और कवि वृन्द संत गुरु रविदास संत जूड़ीराम के भजन संत तुकाराम संत परशुरामदेव संत पीपा संत बाबालाल संत रैदास संत लालदास के सबद संत शिवदयाल सिंह संत शिवनारायण संत सालिगराम सत्यनारायण कविरत्न संथाली लोकगीत सबद सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीताBhagavad Gita Chapter सर्व शक्तिमते परमात्मने सलहेस वंदी आ चोरमोट पकड़ब सलहेस हाजत गीत सवैया सवैये संस्कृत लोकगीत सहजोबाई सहस्त्र नामावली साक़ी फ़ारुक़ी साग़र सिद्दीक़ी सांझी के गीत सावन के गीत साहिर लुधियानवी साहिर लुधियानवी की ग़ज़लें सिंहासन बत्तीसी सीताराम सीताराम सीताराम कहिये Sitaram Kahiye सुख-वरण प्रभु सुजान रसखान सुजान-रसखान सुंदरदास सुंदरदास के सवैया सुदर्शन फ़ाकिर की ग़ज़लें सुदामा चरित सुदामा पांडेय धूमिल सुधाकर द्विवेदी सुब्रह्मण्य भारती कविता सुभद्राकुमारी चौहान सुमित्रानंदन पंत सुर की गति मैं सूक्त संग्रह सूक्तम् सूर सुखसागर सूरदास सूरदास के भजन सूरदास जी सूर्य का स्वागत सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" कविता सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' सूर्यमल्ल मिश्रण सेनापति के कवित्त सैन भगत सैनिक गीत सोमप्रभ सूरि सोहर गीत सोहर गीत भोजपुरी सोहर मगही सोहाग गीत स्तोत्र/श्लोक स्वर्णकिरण स्वर्णधूलि स्वामी हरिदास के पद हनुमान बाहुक हबीब जालिब हबीब जालिब की ग़ज़लें हबीब जालिब की नज़्म हमें नन्द नन्दन मोल लियो हर सांस में हर बोल में हरि हरि तुम हरो जन की भीर हरि भजन बिना सुख शान्ति नहीं हरिओम पंवार हरियाणवी लोकगीत हरिव्यास देव हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाएँ हरिशंकर परसाई के कोट्स हरिहर प्रसाद हरीराम व्यास के पद हसरत मोहानी की ग़ज़लें हास्य कविता हास्य कविता संग्रह हिंडौले गीत हित हरिवंश जी रचना हितहरिवंश के पद हिंदी कविता हिंदी कहानी बच्चों की हिंदी के अशुद्ध शब्द हिंदी चालीसा हिंदी भजन लिरिक्स हिंदी लोकगीत हिन्दी कविता हिन्दी कविताएँ हिन्दी निबंध हिमाचली गीत हिमाचली लोकगीत हे गोविन्द राखो शरन हे रे कन्हैया हे रोम रोम में हे रोम रोम में बसने वाले राम हेमचंद्र