मुसाफिर रैन रही थोरी ललित किशोरी भजन

 Musafir Rain Rahi Thori LalitKishori Bhajan

मुसाफिर रैन रही थोरी।
जागु-जागु सुख-नींद त्यागि दै, होत बस्तु की चोरी॥

मंजिल दूरि भूरि भवसागर, मान क्रूर मति मोरी।
ललित किसोरी हाकिम सों डरु, करै जोर बरजोरी॥


  बिंदु जी महाराज के भजन / पद / लिरिक्स Bindu Ji ke Bhajan /Pad /Lyrics 

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