मन तुम कसन करहु रजपूती।
गगन नगारा बाजु गहागहि, काहे रहो तुम सूती।
पांच पचीस तीन दल ठाढ़ो, इन सँग सैन बहूती।
अब तोहि घेरी मारन चाहत, जब पिंजरा मँह तूती।
पइहो राज समाज अमर पद, ह्वै रहु विमल विभूति।
धरनी दास विचारि कहतु है, दूसर नाहिं सपूती।
बहुत दिनन पिय बसल बिदेसा धरनीदास भजन / Bhajan Bahut Dinnan Piya Basal Bidesa Dharanidas Bhajan
भई कंत दरस बिनु बावरी धरनीदास भजन / Bhajan Bhai Kant Darshan Bin Bawari Dharanidas Bhajan
मैं निरगुनिया गुन नहिं जाना धरनीदास भजन / Main Nirgunia Gun Nahin Jana Dharanidas Bhajan
No comments:
Post a Comment