Main Ghanashyam Ko Dekhta JaRaha Hoon Bindu Ji Bhajan
मैं घनश्याम को देखता जा रहा हूँ।
उसी झलक पर खिंचा जा रहा हूँ॥
लुटाता है वह, मैं लुटा जा रहा हूँ।
मिटाता है वह, मैं मिटा जा रहा हूँ॥
खबर कुछ नहीं है कहाँ जा रहा हूँ।
बुलाता है वह मैं चला जा रहा हूँ।
मोहब्बत से मैं यूं चला जा रहा हूँ।
निगाहों में उसकी बसा जा रहा हूँ॥
पता प्रेम के सिन्धु का पा रहा हूँ।
कि एक बिन्दु में ही बहा जा रहा हूँ॥
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