मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ भजन भजन / Maili Chadar Odh Ke Kaise Dwar Tumhare Aoon Bhajan Bhajan

 

मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ।
हे पावन परमेश्वर मेरे मन ही मन शरमाऊं ॥

तूने मुझको जग में भेजा निर्मल देकर काया ।
आकर के संसार में मैंने इसको दाग लगाया ।
जनम जनम की मैली चादर कैसे दाग छुड़ाऊं ॥

निर्मल वाणी पाकर मैने नाम न तेरा गाया ।
नयन मूंद कर हे परमेश्वर कभी न तुझको ध्याया ।
मन वीणा की तारें टूटीं अब क्या गीत सुनाऊं ॥

इन पैरों से चल कर तेरे मन्दिर कभी न आया ।
जहां जहां हो पूजा तेरी कभी न शीश झुकाया ।
हे हरि हर मैं हार के आया अब क्या हार चढ़ाऊं ॥

Laal Kavi ki Rachnaen pad

मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ भजन भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित