कोऊ भयो मुंडिया संन्यासी कोऊ जोगी भयो धरनीदास भजन Kou Bhayo Mundiya Sannyasi Dharnidas Bhajan
कोऊ भयो मुंडिया संन्यासी कोऊ जोगी भयो,
कोऊ ब्रह्मचारी, कोऊ जतियन मानवो।
हिन्दू तुरक कोऊ राफजी इमाम साफी,
मानस की जात सबे एके पहचानबो।
करता करीम सोई राजक रहीम ओई,
दूसरो न भेद कोई भूल भ्रम मानबो।
एक ही की सेव सबही को गुरूदेव एक,
एक ही सरूप सबे, एकै जोत जानबो।
जैसे एक आग ते कनूका कीट आग उठे।
न्यारे न्यारे ह्वैकै फेरि आगमैं मिलाहिंगे।
जैसे एक धूरते अनेक धूर धूरत हैं,
धूरके कनूका फेर धूरही समाहिंगे।
जैसे एक नदते तरंग कोट उपजत हैं,
पानके तरंग सब पानही कहाहिंगे।
तैसे विस्वरूप तें अभूत भूत प्रगट होइ,
ताहीते उपज सबै ताही मैं समाहिंगे।
निर्जन निरूप हौं कि सुंदर स्वरूप हौं कि,
भूपन के भूप हौ कि दानी महादानी हौ।
प्रान के बचैया दूधपूत के देवैया,
रोग सोग के मिटैया किधौं मानी महामानी हौं।
विद्या के विचार हौं कि अद्वैत अवतार हौं,
कि सुद्धता की मूर्ति हौ कि सिद्धता की सान हौं।
जोवन के जाल हौ कि कालौहू के काल हौ,
साधुन के साल हौ कि मित्रण के प्रान हौ।
संतो कहा गृहस्त कहा त्यागी धरनीदास भजन / Santo Kaha Grihast Kaha Tyagi Dharanidas Bhajan
सुमिरो हरि नमहि बौरे धरनीदास भजन / Sumiro Hari Namahi Boure Dharanidas Bhajan
हरिजन बा मद के मतवारे धरनीदास भजन / Harijan Ba Mad Ke Matware Dharanidas Bhajan
जो कोई भक्ति किया चहे भाई धरनीदास भजन / Bhajan Jo Koi Bhakti Kiya Chahe Bhai Dharnidas Bhajan
Comments
Post a Comment