खोलो कपाट किवार चलो गुरु के बाजार छोटेलाल दास Kholon Kapat Kivar Chalo Chhotelal Das Bhajan
खोलो कपाट किवार, चलो गुरु के बाजार।
करो ज्ञान के बेपार, मोरि सखिया हे॥टेक॥
करो गुरु के सनमान, छोड़ो मद मोह मान।
गुरुँ देथौं भगती दान, मोरि सखिया हे॥1॥
करो घरो के सब काम, जपो गुरु आठो याम।
छोड़ो फिकर तमाम, मोरि सखिया हे॥2॥
करो याद उपकार, ध्याबो गुरु सरकार।
जोड़ो दोनों दृष्टि-धार, मोरि सखिया हे॥3॥
बाजा बाजै छै अपार, धरो सतशब्द धार।
ऐसैं जैभे भव-पार धरो सतशब्द धार।
ऐसैं जैभे भव-पार, मोरि सखिया हे॥4॥
जैभे पिया-दरबार, पैभे ‘लाल दास’ प्यार।
फेरु ऐभै नैं संसार, मोरि सखिया हे॥5॥
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