गगन में स्याम घटा रई छाई संत जूड़ीराम भजन / Gagan Mein Shyam Ghata Rai Chhai Sant Judiram Bhajan

 

गगन में स्याम घटा रई छाई।
ईड़ा पिंगला सुक मुनि नारी तारी दई लगाई।
वंक नाल की पोरा में नाना रंग दिखाई।
अरध ऊरध की डोर पकरके बैठे महल में आई।
दिल दीदार समाय के माया घेरन दियो भगाई।
मुरली संख शबद भयो पूरन अनहद धुन घहराई।
बजी नाम की नोबदे सजो अमरपुर जाई।
छिमासील संतोष तखन पै बैठे प्रेम बड़ाई।
जूड़ीराम सतगुरु की महिमा एक नाम लौ लाई। 


Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित