ग़ैर मुमकिन है कि दुनिया अपनी मस्ती छोड़ दे बिन्दु जी भजन
Gair Mumkin HaiKi Duniya Apni Masti Chhod De Bindu Ji Bhajan
ग़ैर मुमकिन है कि दुनिया अपनी मस्ती छोड़ दे,
इसलिए तू भी यह, बेकार बस्ती छोड़ दे॥
तू न बन्दा बन ख़ुदा का, औ’ ख़ुदा तू भी न बन,
हस्ती-ए-उल्फ़त में मिल जा तू अपनी हस्ती छोड़ दे॥
ख़ुद तरसाया है तेरी ख्वाहिशो को कुछ तरसती छोड़ दे,
तुझको भी मन्सूर सा, मशहूर होना है अगर,
जानो दिल देने से अपनी, तय हस्ती छोड़ दे।
‘बिन्दु’ आँखों के तेरे, दिखलाएँगे फस्लों भार,
भरके आहों की घटाओं को, बरसती छोड़ दे॥
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