Sunday, December 1, 2024

Parmanand das ke Pad Rachna परमानंद दास के पद

  मैया निपट बुरो बलदाऊ Parmanand das ke Pad 

मैया निपट बुरो बलदाऊ।

कहत है वन बड़ो तमासो सब लरिका जुरि आऊ॥

मोहू कौं चुचकारि चले लै जहां बहुत बड़ो वन झाऊ।

ह्वांहीते कहि छांड़ि चले सब काटि खाय रे हाऊ॥

डरपि कांपि के उठि ठाडो भयौ कोऊन धीर धराऊ।

परि परि गयो चल्यों नहीं जावै भाजे जात अगाऊ॥

मोसौं कहत मोल कौ लीन्हो आप कहावत साऊ।

परमानंद बलराम चबाई तै सेई मिले सखाऊ॥

 गोविंद बार बार मुख जोवे Parmanand das ke Pad 

गोविंद बार बार मुख जोवे।

कमल नयन हरि हिलकनि रोवत बंधन छोड़ि यह सोवै॥

जो तेरो सुत खरोई अचगरो अपनी कुखि कौ जायो।

कहा भयो जो घर के लरिका चोरी माखन खायो॥

नई मटुकिया दह्यौ जमायो देव न पूजन पायो।

तिहिघर देव पितर काहे रे जिहिं घर कान्ह रुवायो॥

जाकौ नाम कुठार धार है यम की फांसी काटै।

सो हरि बांधे प्रेम जेवरी जननी सांट ले डाटै॥

परमानंददास को ठाकुर करन भगत मन भाये।

देखि दुखी है सुत कुबेर के लाल जू आप बंधाये॥

 हरिजू को नाम सदा सुखदाता Parmanand das ke Pad 

हरिजू को नाम सदा सुखदाता।

करी जु प्रीति निश्चल मेरे मन आनंद मूल विधाता॥

जाके सरन गये भय नाहीं सकल बात को ज्ञाता।

परमानंददास को ठाकुर संकर्षन को भ्राता॥

 प्रगट भये हरि श्री गोकुल में Parmanand das ke Pad 

प्रगट भये हरि श्री गोकुल में।

नाचत गोपी गोप परस्पर आनंद प्रेम भरे हैं मनमें।

गृह गृह से गोपी सब निकसी कंचन थार धरे हाथन में।

परमानंददास को ठाकुर प्रकटे नंद जसोदा के घर में॥

 माई री, कमलनैन स्यामसुंदर Parmanand das ke Pad 

माई री, कमलनैन स्यामसुंदर, झूलत है पलना॥

बाल-लीला गावत, सब गोकुल की ललना॥

अरुन तरुन कमल नख-मनि जस जोती।

कुंचित कच मकराकृत लटकत गज-मोती॥

अँगुठा गहि कमलपानि मेलत मुख माहीं।

अपनी प्रतिबिंब देखि पुनि-पुनि मुसुकाहीं॥

जसुमति के पुन्य-पुंज बार-बार लाले।

‘परमानंद प्रभु गोपाल सुत-सनेह पाले॥

 जसोदा बरजत काहे न माई Parmanand das ke Pad 

जसोदा बरजत काहे न माई।

भाजन फोरि दही सब खायो बातें कही न जाई॥

हौं जो गई ही खरिक आपुने जैसेहि आंगन में आई।

दूध दही की कीच मची है दूरितें देख्यौ कन्हाई॥

तब अपने कर सौं गहि कै हौं तुम ही पै ले आई।

परमानंद भाग्य गोपी को प्रकट प्रेम निधि पाई॥

 पोढ़े हरि झीनो पट ओढ़ Parmanand das ke Pad 

पोढ़े हरि झीनो पट ओढ़।

संग श्री वृषभान तनया सरस रस की मोढ़॥

मकर कुंडल अलक अरुझी हार गुंजा ताटंक।

नील पीत दोऊ अदल बदलें लेत भर भर अंक॥

हृदय हृदय सों अधर अधर सों नयन सों नयन मिलाय।

भ्रोंह भ्रोंह सों तिलक तिलक सों भुजन भुजन लपटाय॥

मालती और जुई चंपा सुभग जाति बकुल।

दास परमानंद सजनी देत चुन चुन फूल॥

 हरि को भलौ मनाइये Parmanand das ke Pad 

हरि को भलौ मनाइये।

मांन छांड़ि उठि चंद्रबदनी उहां लौ चलि आइये॥

निबड़ कदंब छह तहां सीतल किसलय सेज बिछाइये।

एकौ धरी जुता बिन रहिये सो कत वृथा गंवाइये॥

दान नेकव्रत सोइ कीजे जिहि गोपाल पति पाइये।

परमानंद स्वामी सौ मिलि के मानस दुख बिसराइये॥

 माई, को मिलिबै नन नंदकिसोरै Parmanand das ke Pad 

माई, को मिलिबै नन नंदकिसोरै।

एक बार को नैन दिखावै मेरे मन के चोरै॥

जागत जाय गनत नहिं बँटत, क्यों पाऊँगी भोरै।

सुनि री सखी अब कैसे जीजै, सुनि तमचुर खग-रोरै॥

जो यह प्रीति सत्य अंतरगत जिन काहू वन होरै।

‘परमानंद' प्रभु आनि मिलैंगे, सखी सीस जिनि ढोरै॥

 बैठे लाल कालिंदी के तीरा Parmanand das ke Pad 

बैठे लाल कालिंदी के तीरा।

ले राधे मोहन दे पठयो यह परसादी बीरा॥

समाचार सुनिये श्रीमुख के जो कहे श्याम शरीरा।

तिहारे कारन चुन चुन राखे यह निरमोलक हीरा॥

सुंदर श्याम कमलदल लोचन पहेरें हैं पट पीरा।

परमानंददास को ठाकुर लोचन भरत अधीरा॥

 हमारे मदन गोपाल हैं राम Parmanand das ke Pad 

हमारे मदन गोपाल हैं राम।

धनुषबान विमल वेनुकर पीत बसन और रतन धन स्याम॥

अपनो भुज जिन जल निधि बांध्यो रासरच्यौ जिन कोटिक काम।

दस सिर हति जिन असुर संघारे गोवर्धन राख्यौ कर वाम॥

वे रघुवर यह जदुवर मोहन लीला ललित विमल बहुनाम॥

 माई री, हौ आनंद गुन गाऊँ Parmanand das ke Pad 

माई री, हौ आनंद गुन गाऊँ।

गोकुल की चिंतामनि माधो जो माँगौ सो पाऊँ॥

जब तें कमल-नैन ब्रज आये, सकल संपदा बाढ़ी।

नंदराय के द्वारे देखौं अष्टमहासिधि ठाढ़ी॥

फूलै-फलै सदा वृंदावन कामधेनु दुहि दीजै।

माँगत मेघ इंद्र बरषावै, कृष्ण-कृपा-सुख लीजै।

कहति जसोदा सखियनि आगे, हरि-उत्कर्ष जनावै।

‘परमानंददास' कौ ठाकुर मुरलि मनोहर भावै॥

 जा दिन प्रीत श्याम सो कीनी Parmanand das ke Pad 

जा दिन प्रीत श्याम सो कीनी।

ता दिनतें मेरी अंखियन में नेकहूं नींद न लीनी॥

चढ्यो रहत चित चाक सदाई यह विचार दिन जाय।

मन में रहत चाह मिलन की ओर कछु न सुहाय॥

परमानंद प्रेम की बातें काहूसो नहिं कहिये।

जैसें व्यथा मूक बालक की अपनें जिय में सहिये॥

 कमल नैन मधबन पढ़ि आये Parmanand das ke Pad 

कमल नैन मधबन पढ़ि आये।

निर्गुन को संदेस लादि गोपिन पै लाये॥

ऊधो पढ़ि-पढ़ि अब भये ग्यानी।

नीति-अनीति सबै पहिचानी॥

निर्गुन ध्यान तबहि तुम कहते।

सवै समय व्रत दृढ़ करि गहते॥

नैनन ते सरिता कत बहती।

हरि बिछुरन की सूल न सहती॥

 हरि, तेरी लीला की सुधि आवै Parmanand das ke Pad 

हरि, तेरी लीला की सुधि आवै।

कमल नैन मन-मोहनि मूरति, मन-मन चित्र बनावै॥

बारक मिलत जात माया करि, सो कैसें बिसरावै।

मुख मुसिकान, वंक अवलोकन, चाल मनोहर भावै॥

कबहुँक निबिड़ तिमिर आलिंगन, कबहुँक पिक सुर गावै।

कबहुँक संभ्रम 'क्वासि-क्वासि कहि-कहि सँगही उठि धावै॥

कबहुँक नैन मूँदि, अंतरगत, मनि-माला पहिरावै।

‘परमानंद' प्रभु स्याम ध्यान करि, ऐसे बिरह जगावै॥

 गोविंद माई मांगत है दधि रोटी Parmanand das ke Pad 

गोविंद माई मांगत है दधि रोटी।

माखन सहित देहु मेरी जननी शुभ्र सुकोमल मोटी॥

जो कुछ मांगो सो देतू मोहन काहे कुं आंगन लोटी।

कर गही उंछग लेत महगरी हाथ फिराबत चोटी॥

मदन गोपाल श्यामघन सुंदर छांडो यह मटि खोटी।

परमानंददास को ठाकुर हाथ लकुटिया छोटी॥

 सब भांति छबीली कहांन की Parmanand das ke Pad 

सब भांति छबीली कहांन की।

नंद नंदन की आजन छबीली मुखहि बोरी पान की॥

अलक छबीली तिलक छबीली पाग छबीली बान की।

चरन कमल की चाल छबीली अंग अंग शोभा सुहान की॥

नैन छबीले भ्रोंह छबीले सेज सुजान की।

परमानंद प्रभु बने छबीले सुरन छबीली गान की॥

 तनक कनक को दोहनी दे री मैया Parmanand das ke Pad 

तनक कनक को दोहनी दे री मैया।

तात मोहि सिखवन कह्यौ दुहन धौरी गैया॥

हरि विसमासन बैठि कै मृदु कर थन लीनों।

धार अटपटी देखि कै मृदुकर थन लीनों।

धार अटपटी देखि कै ब्रजपति हंसि दीनों॥

गृह-गृह ते आईं सब देखन ब्रजनारी।

सकुचित सब मन हरि लियो हंसि घोख बिहारी॥

दुज बुलाय दच्छिना दई बहु विधि मंगल गावै।

परमानंद प्रभु सांवरो सुख सिंधु बढ़ावै॥

 अब डर कौन कौ रे भैया Parmanand das ke Pad 

अब डर कौन कौ रे भैया।

गरग वचन गोकुल में बैठे हमरे मीत कन्हैया॥

कहत ग्वाल जसुमति के आगे हैं त्रिभुवन की रैया।

तोर्यो सकट पूतना मारी को कहि सकै बधैय्या॥

नाचो गावो करो बधाई सुखैन चरावो गैया।

परमानंददास कौ ठाकुर सब प्रकार सुख दैया॥

 मोहन नंदराय-कुमार Parmanand das ke Pad 

मोहन नंदराय-कुमार।

प्रगट ब्रह्म निकुंज-नायक, भक्तिहित अवतार॥

प्रथम चरन-सरोज बंदौ, स्यामघन गोपाल।

मकर कुंडल गंड-मंडित, चारु नैन बिसाल॥

सहित श्री बलराम लीला, ललित सों करि हेत।

दास ‘परमानंद' प्रभु हरि, निगम बोलत नेत॥

 भली यह खेलिबे की बानि Parmanand das ke Pad 

भली यह खेलिबे की बानि।

मदन गुपाल लाल काहू की नाहिंन राखत कानि॥

अपने हाथ लै लेत हैं सबहिन दूध दही घृत सानि।

जो बरजो तौ आँख दिखावै, परधन को दिनदानि॥

सुनि री जसोदा, सुत के करतब पहले माँट मथानि।

फोर डारि दधि डार अजिर में, कौन सहै नित हानि॥

ठोढ़ो देखत नंदजू की रानी, मूँदि कमल मुख पानि।

‘परमाननंददास' जानत हैं, बोलि बूझि धौ आनि॥

 कहती राधिका अहीर Parmanand das ke Pad 

कहती राधिका अहीर।

आज गोपाल हमारे आये न्योत जिमाउं खीर॥

बहुप्रीति अंतरगत मेरे नैन ओट दुख पाउं।

तुमारे कोउ बिलग न माने लरकाइ की बात॥

परमानंद प्रभु नित उठ आवहु भुवन हमारे प्रात॥

 परोसत गोपी घूंघट मारे Parmanand das ke Pad 

परोसत गोपी घूंघट मारे।

कनक लता सी सुंदरता सीमा जिबावन आयीं ब्रजनार॥

रुनक झुनक आंगन में डोलत लीले कंचन थान।

मोहन जू की खरी मिलनियां हांसी के मिस डार॥

घर की सोंज मिलाइ सदन में आगे ले जब धाये।

नंदराय नंदरानी तें दुरिलालें भनो मनाये॥

रुचिर काछनी जटित को धनी जूरो बांध निवारे।

परमानंद अवलोकन कारन ठाडी माइ सिंध द्वारे॥

 जेवंत रंग महल गिरधारी Parmanand das ke Pad 

जेवंत रंग महल गिरधारी।

सखिन जुगल कनक चौकी धरि उपरि कंचन थारी॥

प्रीतनभरी सखी जल जमुना आन धरी जुग झारी।

मंद मंद मृदु गावत सहचरी सुंदर सब धुनि न्यारी॥

चहुंदिस द्रुमलता मंदिर पर कूजत सुक पिक सारी।

ललिता ललित परोसति रुचि सों दोउ जनमन रुचिकारी॥

कर अचनन प्रभु नवल बिहाने बैठे ही रस भारी।

रच बीरी कर दे परमानंद हरख जाय बलिहारी॥

 राधा माधौ कुंज बुलावै Parmanand das ke Pad 

राधा माधौ कुंज बुलावै।

सुनि सुंदरि मुरली की धोरै तैरो नाउं लै लै गावै॥

कौन सुकृत फल तेरो बदन सुधाकर भावै।

कमला को पति पावन लीला लोचन प्रगट दिखावै॥

अब चल मुगधि बिलंब न कीजै चरन कमल रस लीजै।

ऐसी प्रीति करै जो भामिन वाकौ सरबसु दीजै॥

सरद निसा सखी पूरन चंदा खेल बनेगौ माई।

या सुख की परमित परमानंद मोपै बरनी न जाई॥

 गुडी उड़ावन लागे बाल Parmanand das ke Pad 

गुडी उड़ावन लागे बाल।

सुंदर पतंग बांधि मनमोहन नाचत है मोरन के ताल॥

कोऊ पकरत कोऊ ऊंचल कोऊ देखत नैन बिसाल।

कोऊ नाचत कोऊ करत कुलाहल कोऊ बजावत खरौकर ताल॥

कोऊ गुड़ी ते उरझावत आपुन सेचत डोर रसाल।

परमानंददास स्वामी मनमोहन रीझि रहत एकही काल॥

 बैठे लाल कालिंदी के तीरा Parmanand das ke Pad 

बैठे लाल कालिंदी के तीरा।

ले राधे मोहन पठ्यो है यह प्रसाद कौ बीरा॥

सुनिरी समाचार श्री मुख के जे कहैं स्याम सरीरा।

प्यारी तेरे कारन चुनि राखे हैं जे निरमोलक हीरा॥

सुंदर स्याम कमल दल लोचन पहिरे पीतांबर चीरा।

परमानंददास को ठाकुर नैन लोल मतिधीरा॥

 गावति गोपी मधु ब्रज-बानी

 Parmanand das ke Pad 

गावति गोपी मधु ब्रज-बानी।

जाके भवन बसत त्रिभुवन-पति, राजा नंद जसोदा रानी॥

गावत वेद, भारती गावति, गावत नारदादि मुनि ग्यानी।

गावत गुन गंधर्व काल सिव गोकुलनाथ-महातम जानी॥

गावत चतुरानन, सुर-नायक, गावत सेषसहस-मुखरास।

मन क्रम वचन प्रीति पद-अंबुज, गावत ‘परमानंददास'॥

 गोपी प्रेम की ध्वजा Parmanand das ke Pad 

गोपी प्रेम की ध्वजा।

जिन गोपाल कियो बस अपने उर धरि स्याम भुजा॥

सुकमुनि व्यास प्रसंसा कीनी ऊधौ संत सराही।

भूरि भाग्य गोकुल की बनिता अति पुनीत भव मांही॥

कहा भयो जो विप्रकुल जनयो जो हरि सेवा नांही।

सोई कुलीन दास परमानंद जो हरि सम्मुख धाई॥

 सुत सुन एककथा कहुं प्यारी Parmanand das ke Pad 

सुत सुन एककथा कहुं प्यारी।

नंद नंदन मन आनंद उपज्यो रसिक सिरोमनि देत हुंकारी॥

दशरथ नृपजे हुते रघुवंशी तिनके प्रकट भये सुत च्यारी।

तिन में राम एकव्रतधारी जनकसुता ताके घर नारी॥

तात वचन सुन राज्य तज्यो है भ्राता सहित चले बनवारी।

धावत कनकमृग के पाछें राजीव लोचन केलि बिहारी॥

रावन हरन कियो सीता को सुन नंद नंदन नींद निवारी।

परमानंद प्रभु रटत चाप कर लक्ष्मन देउ जननी भ्रम भारी॥

 हमारो देव गोवर्धन रानो Parmanand das ke Pad 

हमारो देव गोवर्धन रानो।

जाकी छत्र छांह हम बैठे ताकौं तजि और को मानो॥

नीको तृन सुंदर जल नीको नीको गोधन रहत अघानो।

नीको सब ब्रज होत सुखारी सुरपति कोप कहा पहचानो॥

खीर खांड घृत भोजन मेवा ओदन सबल अनूपम आनो।

परमानंद गोवर्धन उच्छव अन्नकोट अलौकिक जानों॥

 ब्याह की बात चलावत मैया Parmanand das ke Pad 

ब्याह की बात चलावत मैया।

बरसाने बृषभान गोप कें लाल की भई सगैया॥

ग्वाल बाल सब बरात चलेंगे और चलें बल भैया।

परमानंद नंद के आनंद हंसि हंसि लेत बलैया॥

 धनि धनि वृंदावन वासी Parmanand das ke Pad 

धनि धनि वृंदावन वासी।

नित प्रति चरन कमल अनुरागी, स्यामा स्याम उपासी॥

या रस को जो मरम न जानै जाय बसौ सो कासी।

भसम लगाय गरें लिंग बांधौ सदा रहौ उदासी॥

अष्ट महासिद्धि द्वारें ठाढ़ी मुकुति चरन की दासी।

परमानंद चरन कमल भजि सुंदर घोष निवासी॥

 खेलत गिरिधर रंग मंगे रंग Parmanand das ke Pad 

खेलत गिरिधर रंग मंगे रंग।

गोप सखा बनि बिन आये हैं हरि हल धर के संग॥

बाजत ताल मृदंग झांझ डफ मुरली मुरज उपंग।

अपनी अपनी फेंटन भरि भरि लिये गुलाल सुरंग॥

पिचकाई नीके करि छिरकत गावत तान तरंग।

उत आई ब्रज बनिता बनि मुक्ताहल भरि मंग॥

 अहो हरि हम हारीं तुम जीते Parmanand das ke Pad 

अहो हरि हम हारीं तुम जीते।

नागर नट पट देहु हमारे कांपत हैं तन सीते॥

तुम ब्रज राजकुमार अबलन पर एती कहा अनीते।

परमानंद प्रभु हम सब जानत गारु बजावत रीते॥

 दुहि दुहि ल्यावत धौरी गैया Parmanand das ke Pad 

दुहि दुहि ल्यावत धौरी गैया।

कमल नैन कौं अति भावत है, मथि मथि ध्यावत घेया॥

हंसि हंसि ग्वाल कहत सब बातें, सुन गोकुल के रैया।

ऐसौ स्वाद कबहूँ नहिं पायौ अपनी सौंह कन्हैया॥

मोहन अधिक भूख जो लागी छाक बांटि दे भैया।

परमानंददास को दीजै पुनि पुनि लेत बलैया॥

 धनि यह राधिका के चरन Parmanand das ke Pad 

धनि यह राधिका के चरन।

हैं सुभग सीतल अति सुकोमल कमल के से वरन॥

रसिकलाल मन मोदकारी विरह सागर तरन।

बिवस परमानंद छिन छिन स्याम जाकी सरन॥

 कहा करौं बैकुंठहिं जाय Parmanand das ke Pad 

कहा करौं बैकुंठहिं जाय।

जहँ नहिं नंद जहँ न जसोदा, जहँ नहिं गोपी गवाल न गाय।

जहँ नहिं जल जमुना कौ निरमल, और नहीं कदमन की छाय।

‘परमानंद' प्रभु चतुर ग्वालिनी, ब्रजरज तजि मेरी जाय बलाय॥

 राधे जू हारावली टूटी Parmanand das ke Pad 

राधे जू हारावली टूटी॥

उरज कमल दल माल अरगजी वाम कपोल अलकलट छूटी॥

बर उर उरज करज कर अंकित बांह जुगल बलयावलि फूटी।

कंचुकी चीर विविध रंग रंगति गिरिधर अधर माधुरी घूटी॥

आलस बलित नैन अनियारे अरुन उनींदे रजनी छूटी।

परमानंद प्रभु सुरत सने रस मदन नृपति की सेवा लूटी॥

 हरिजस गावत चली ब्रज सुंदरी Parmanand das ke Pad 

हरिजस गावत चली ब्रज सुंदरी नदी यमुना के तीर।

लोचन लोल बांह जोटी कर श्रवनन झलकत बीर॥

बेनी सिथिल चारु कांधे पर कटिपर अंबर लाल।

हाथन लिये फूलन की डलियां उर मुक्ता मनि माल॥

जल प्रवेस कर मज्जन लागी प्रथम हेम के मास।

जैसे प्रीतम होय नंद सुत ब्रज ठान्यो यह आस॥

तबतें चीर हरे नंदनंदन चढ़े कदंब की डारि।

परमानंद प्रभुवर देवे को उद्यम कियो हे मुरारि॥

 प्रीत नंद नंदन सो कीजे Parmanand das ke Pad 

प्रीत नंद नंदन सो कीजे।

संपत्ति विपत्ति परे प्रतिपाले कृपा करे सो जीजे॥

परम उदार चतुर चिंतामणि सेवा सुमरन माने।

हस्त कमल की छाया राखत अंतर घट की जाने॥

वेद पुरान श्रीभागवत भाखत कियो भक्तन मन भायो।

परमानंद इंद्र सो वैभव विप्र सुदामा पायो॥

 मंगल द्यौस छठी कौ आयो Parmanand das ke Pad 

मंगल द्यौस छठी कौ आयो।

आनंद ब्रज राज जसोदा मन हुं अधन धन पायो॥

कुंवर न्हवाय जसोदा रानी कुल देवी कौ पांय परायौ।

बहु प्रकार बिंजन धरि आंगन सब बिधि भलौ ॥

सब ब्रज नारि बधावन आईं सुत को तिलक करायौ।

जय जयकार होत गोकुल में परमानंद जस गायौ॥

 गोरस राधिका लै निकरी Parmanand das ke Pad 

गोरस राधिका लै निकरी।

नंद को लाल अमोलो गाहक ब्रज से निकसत पकरी॥

उचित मोल कहि या दधि को लेहुं मटु किया सगरी।

कछुक दान को कछुइ कलेहों कहां फिरैगी नगरी॥

नंद राय को कुंवर लाड़लौ दधि के दाम कौं झगरी।

परमानंद स्वामी सों मिलि कै सरबसु दे डिगरी॥

 तेरे री लाल मेरो माखन खायौ Parmanand das ke Pad 

तेरे री लाल मेरो माखन खायौ।

भरी दुपहरी सब सूनो घर ढंढोरि अब ही उठि धायौ॥

खोलि किवार अकेले मंदिर दूध दह्यो सब लरकन खायौ।

छींके ते काढ़ि, खाट चढ़ि मोहन कछु खायो कछु भू ढरकायौ॥

नित प्रति हानि कहांलौं सहिये यह ढोटा ऐसे ढंग लायौ।

परमानंद रानी तुम बरजो पूत अनोखों ते हीं जायौ॥

 उठ गोपाल प्रात भयो Parmanand das ke Pad 

उठ गोपाल प्रात भयो देखों मुख तेरो।

पाछें गृह काज करो नितनेम मेरो॥

अरुन दिसा विगत निसा उदित भयो भान।

कमल में के भ्रमर उडे जागिये भगवान॥

बंदीजन द्वार ठाडे करत हैं केवार।

सरस वेंन गावत हैं लीला अवतार॥

परमानंद स्वामी गुपाल परम मंगल रूप।

वेद पुरान गावत हैं लीला अनूप॥

 कापर ढोटा नयन नचावत कोहै Parmanand das ke Pad 

कापर ढोटा नयन नचावत कोहै तिहारे बबा की चेरी।

गोरस बेचन जात मधु पुरी आय अचानक बन में घेरी॥

सैनन दै सब सखा बुलाये बातहि बात मटुकिया फोरी।

जाय पुकारौं नंदजू के आगे जिनि कोऊ छुऔ मटुकिया मेरी॥

गोकुल बसि तुम ढीट भये हो बहुतें कान करत हों तेरी।

परमानंददास को ठाकुर बलि बलि जाऊं श्यामघन केरी॥

 यहां लौं नेक चलो नंद रानी जू Parmanand das ke Pad 

यहां लौं नेक चलो नंद रानी जू।

अपने सुत के कौतुक देखो कियो दूध में पानी जू॥

मेरे सिर की चटक चूनरी लै रस में वह सानी जू।

हमरो तुमसे बैर कहा है फोरी दधि की मथानी जू॥

ब्रज को बसिवो हम छांड़ देहैं यह निस्चय कर जानौ जू।

परमानंददास को ठाकुर करैं बास रजधानी जू॥

 क्रीड़त कान्ह कनक आंगन Parmanand das ke Pad 

क्रीड़त कान्ह कनक आंगन।

निज प्रतिबिंब बिलोकि किलकि धावत पकरन को परछांवन॥

पकरन धावत, स्रमित होत तब आवत उलटि लाल तहं डायन।

परमानंद प्रभु की यह लीला निरखत जसुमति हंसि मुसकावन॥

 राखी बांधत जसोदा मैया Parmanand das ke Pad 

राखी बांधत जसोदा मैया।

बहु सिंगार सजे आभूषन गिरिधर हलधर भैया॥

रतन खचित राखी बांधीकर पुन पुन लेत बलैया।

सकल भोग आगे धर राखे तनक जुलेहु कन्हैया॥

यह छवि देख मगन नंद रानी निरख निरख सचु पैया।

जियो जसोदा पूत तिहारो परमानंद बलि जैया॥

 राधे बैठी तिलक संवारति Parmanand das ke Pad 

राधे बैठी तिलक संवारति।

मृगनयनी कुसुमायुध के उर सुभग नंदसुत रूप विचारति॥

दरपर हाथ सिंगार बनावत वासर जाम जुगति यों डारति।

अंतर प्रीति स्याम सुंदर सौं प्रथम समागम केलि संभारति॥

बासरगत रजनी ब्रज आवत मिलत लाल गोवर्धन धारी।

परमानंद स्वामी के संगम रति रस मगन मुदित ब्रजनारी॥

 लाल को मुख देखन हों आई Parmanand das ke Pad 

लाल को मुख देखन हों आई।

काल मुख देखि गई दधि बेचन जात ही गयो बिकाई॥

दिनतें दूजौ लाभ भयो घर काजर बछिया जाई।

आई हों धाय थंमीय साथ की मोहन दे हो जगाइ॥

सुने प्रियबचन विहंस उठ बैठे नागरि निकट बुलाई।

परमानंद सयानी ग्वालिनी सेन संकेत बताई॥

 आये मेरे नंदनंदन के प्यारे Parmanand das ke Pad 

आये मेरे नंदनंदन के प्यारे।

माला तिलक मनोहर बानो, त्रिभुवन के उँजियारे॥

प्रेम समेत बसत मन-मोहन, नैकहुँ टरत न टारे।

हृदय-कमल के मध्य विराजत, श्रीब्रजराज-दुलारे॥

कहा जानौ कौन पुन्य प्रकट भयौ, मेरे घर जो पधारे।

‘परमानंद' प्रभु करी निछावरि, बार-बार हो वारे॥

 ब्रज के बिरही लोग बिचारे Parmanand das ke Pad 

ब्रज के बिरही लोग बिचारे।

बिनु गोपाल ठगे-से ठाढ़े, अति दुर्बल तन हारे॥

मात जसोदा पंथ निहारत, निरखत साँझ-सकारे।

जो कोई कान्ह-कान्ह कहि बोलत, आँखिन बहत पनारे॥

यह मथुरा काजर की रेखा, जे निकसे ते कारे।

‘परमानंद' स्वामी बिनु ऐसे, ज्यों चंदा बिनु तारे॥

 व्याकुल बार न बांधति छूटे Parmanand das ke Pad 

व्याकुल बार न बांधति छूटे।

जबतें हरि मधुपुरी सिधारे उरके हार रहत सब टूटे॥

सदा अनमनी बिलख बदन अति यहि ढंग रहति खिलौना फूटे।

बिरह बिहाल सकल गोपीजन अभरन मनुहु बटकुटन लूटे॥

जल प्रवाह लोचन तें बाढ़ बचन सनेह अम्यंतर धूटे।

परमानंद कहौं दुख कासों जैसे चित्रलिखी मति टूटे॥

 पथिक इहि पंथ न कोऊ आवै Parmanand das ke Pad 

पथिक इहि पंथ न कोऊ आवै।

गोकुल देख दहिनौ बांयौ हमहि देखि दुखियावै॥

कासौं कुसल संदेसौं पाऊं को प्रीतम मन भावै।

मथुरा निकट करी सत जोजन को हरि बात सुनावै॥

ब्रज बनिता बिरहानल व्यापित को तन तपिन बुझावै।

बिधि प्रतिकूल दास परमानंद कोउ न ताप नसावै॥

 जसोदा एकबोल हों पांउं Parmanand das ke Pad 

जसोदा एकबोल हों पांउं।

रामकृष्ण दोउ तिहारे सुतनको सबनि संग जिमाउ॥

जो तुम नंद महरतें सकुचो तो कत उनहीं सुनांउ।

जो पें आज्ञा देहु कृपा कर भोजन जाय बनांउ॥

तब यह कही गोपीहरि मुख चितयो अब कहा आज्ञा पाउं।

परमानंद नैन भर उमगी घर बैठे पहुचाउं॥

 सुनि राधा इक बात भली Parmanand das ke Pad 

सुनि राधा इक बात भली।

तू जिन डरै रैनि अंधियारी मेरे पीछे आउ चली॥

तहां ले जाऊं मदन मोहन पै मैं देखी इक बंक गली।

सघन निकुंज कुसुमनि रचि भूतल आछी विटप अली॥

हरि की कृपा को मोहि भरोसो प्रेम चतुर चित करत अली।

परमानंद स्वामी कों मिलि कै मित्र उदै जैसे कंवल कली॥

 आज अयोध्या प्रगट राम Parmanand das ke Pad 

आज अयोध्या प्रगट राम।

दसरथ बंस उदे कुल दीपक सिव विंरचि मुनि भयौ बिस्राम॥

घर घर तोरन वंदन माला मोतिन चौकपुर्यौ निज धाम।

परमानंददास तेहि अवसर बंदीजन के पूरन काम॥

 कान्ह कमल दल नैन तिहारे Parmanand das ke Pad 

कान्ह कमल दल नैन तिहारे।

अरु बिसाल बंक अबलोकनि हठि मनु हरत हमारे॥

तिन पर बनी कुटिल अलकावलि मानहुं मधुप हुंकारे।

अतिसे रसिकरसाल रसभरे चित तै टर तन टारे॥

मदन कोटि रवि कोटि कोटि ससि ते तुम ऊपर वारे।

परमानंद की जीवनि गिरधर नंद दुलारे॥

 दूध सौ सनान करो मन मोहन Parmanand das ke Pad 

दूध सौ सनान करो मन मोहन छोटी दिवारी काल मनाये।

करो सिंगार लाल तन बागो कुल्हे जरकसी सीस धराये॥

जैसी स्याम प्रति रंग प्यारी मिलि तैसे ही दंपति परम सुख पाये।

भाव समागम है प्यारी कौ ज्यों निरधन के धन पाये॥

वह छवि देखि देखि ब्रज जनही देत असीस आपनी मन भाये।

चिरजीवौ दुलहिनी लाल दोउ परमानंददास बलि जाये॥

 या हरि को संदेस न आयौ Parmanand das ke Pad 

या हरि को संदेस न आयौ।

बरस मास दिन बीतन लागे बिनु दरसन दुख पायौ॥

घन गरज्यौ पावस रितु प्रगटी चातक पीउ सुनायौ।

मत्त मोर बन बोलन लागे बिरहिन बिरह जनायौ॥

राग मल्हार सह्यौ नहिं जाई काहू पंथी कहि गायौ।

परमानंददास कहा कीजै अब कृष्न मधुपुरी छायौ॥

 मैया हौं न चरै हौं गाय Parmanand das ke Pad 

मैया हौं न चरै हौं गाय।

सबेरे ग्वाल धिरावत भौपै दूखत मेरे पांय॥

जब हौं घेरन जात नहीं कितनी बेर चराय।

मोहि न पत्याइ बूझि बलदाऊकौं अपनी सौंह दिवाय॥

हौं जानत मेरे कुंवर कन्हैया लेत हिरदय लगाय।

परमानंददास कौ जीवन ग्वालन पर जसुमति जु रिसाय॥

 मानिनी ऐतो मान न कीजे Parmanand das ke Pad 

मानिनी ऐतो मान न कीजे।

ये जोबन अंजलि की जल ज्यो जब गोपाल मांगे तब दीजै॥

दिन दिन घटे रेनहिं सुंदर, जैसे कला चंद की छीजै।

पूरब पुन्न, सुकृत फल तेरो, क्यों न रूप नैन भरिपीजे॥

चरन कमल की सपथि करत हों ऐसा जीवन दिन दस जीजे।

परमानंद स्वामी सों मिलिकें अपनों जनम सफल करि लीजै॥

 नंद महोत्सव हो बड़ कीजै Parmanand das ke Pad 

नंद महोत्सव हो बड़ कीजै।

अपने लाल पर वार न्यौछावर सब काहू को दीजै॥

विप्रन देहु गाय औरे सोनों माटन रूपो दाम।

ब्रज जुबतिन पाटंबर भूखन पूजै मन के काम॥

नाचौ गावो करो बधाई अजनम जनम हरि लीनों।

यह अवतार बाल लीला रस परमानंदहि भीनों॥

 निरतत मंडल मध्य नंदलाल Parmanand das ke Pad 

निरतत मंडल मध्य नंदलाल।

भोर मुकट मुरली पीतांबर अरु गुंजा बनमाल॥

ताल मृदंग संगीत बजत है तत्तथेई बोलत बाल।

उरप तिरप तान लेत नट नागर गंधर्व गुनी रसाल॥

बाम भाग वृषभान नंदिनी गजगति मंद मराल।

परमानंद प्रभु की छवि निरखत मेटत उर के साल॥

 गोकुल आज कुलाहल माई

 Parmanand das ke Pad 

गोकुल आज कुलाहल माई।

ना जानो यह अस्ट महासिधि कहो कहां ते आई॥

बोले नामकरन के कारन गर्ग विमल जस गाई।

परमानंद संतन हित कारन गोकुल आये माई॥

 दोउ मिल पोढ़े सजनी देख अकासी

 Parmanand das ke Pad 

दोउ मिल पोढ़े सजनी देख अकासी।

पटतर कहा दीजे गोपीजन नैनन कूं सुख रासी॥

श्यामा श्याम संग यों राजत भानु चंद्र कला सी।

कुसुम सेज पर स्वेत पीछोरी सोभा देत है खासी॥

पवन ढोरावत नैन सीरावत ललिता करत खवासी।

मधुर सुर गावत केदारो परमानंद निज दासी॥

 आलस नैन विधूर्णिति राते

 Parmanand das ke Pad 

आलस नैन विधूर्णिति राते रग गमगे अंगझग।

डगमगे चरन धरत धरणी पर सोभित शीश पगा॥

नवल बाल संग सब सुख लूट्यो आये रैन जगा।

मन में बसत सदा गोपीजन हम सों करत दगा॥

भाग्य हमारे पांव सिधारे बैठो भवन अगा।

परमानंद बसत जे बृज में काहू के न सगा॥

 जमुना जल घट भर चली

 Parmanand das ke Pad 

जमुना जल घट भर चली चंद्रावली नार।

मारग में खेलत मिले घनश्याम मुरारी॥

नेन सों नैनां मिले मन रह्यो लुभाय।

मोहन मूरत बस रही पग चल्यो न जाय॥

तब तें प्रीत अधिक बढ़ी यह पहली भेंट।

परमानंद स्वामी मिलें जैसें गुड़ में चेंट॥

 हों बारी मेरे कमल नैन पर

 Parmanand das ke Pad 

हों बारी मेरे कमल नैन पर स्याम सुंदर जिय भावै।

चरन कमल को रैनु जसोदा लै लै सीस चढ़ावै॥

रसन दसन धरि बाल कृस्न पर, राई लौन उतारै।

काहू निसचरि दृष्टि लगाई लै लै अंचर झारै॥

लै उछंग सुख निरखन लागी विस्व-भार जब दीनौ।

करते उतारि भूमि राखे इहि बालककहा कीनौ॥

तू मेरो ठाकुर तू मेरौ बालक तोहिं विस्वंभर राखैं।

परमानंद स्वामी चितचोर्यो चिरजीवौ यों भाखें॥

 देखौ माई रथ बैठे गिरधारी

 Parmanand das ke Pad 

देखौ माई रथ बैठे गिरधारी।

राजत परम मनोहर सब अंग अंग राधिका प्यारी॥

मनि मानिक हीरा कुंदन रुचि डांडी पांच प्रवारी।

विधिकरि रच्यो विचित्र विधाता अपने हाथ सवारी॥

गादी सुरंग ताफता सुंदर लरे बांह छवि न्यारी।

छत्र अनूपम हाटककलसा झूमक लर मुक्तारी॥

चपल बहै चलत हंस गति उपजत है छविभारी।

दिव्य डोरि पंचरंग पाट को कर गहे कुंज बिहारी॥

बिहरत ब्रज बीथिन वृंदावन गोपीजन मनुहारी।

कुसुमांजलि बरधत सुर नर मुनि परमानंद बलिहारी॥

 जा दिन कन्हैया मोसों

 Parmanand das ke Pad 

जा दिन कन्हैया मोसों मैया कहि बोलैगो।

तादिन अति आनंद गिनोंरी माई रुनक झुनक ब्रज गलिन में डोलेगो॥

प्रात ही खिरक गाय दुहिवे को धाई बंधन बछरवा के खोलेगो।

परमानंद प्रभु नवल कुमर मेरो ग्वालिन के संग बन में किलोलेगो॥

 चलि सखी मदन गोपाल बुलावै

 Parmanand das ke Pad 

चलि सखी मदन गोपाल बुलावै।

तैरोई नियाव लै लै बेनु बजावै॥

यह संकेत बद्यो बन महियां।

सघन कंदब मनोहर छहियां॥

मिलन परम सुख अद्भुत लीला।

परमानंद प्रभु भावन सीला॥

 मैया री मैं गाय चरावन जैहौं

 Parmanand das ke Pad 

मैया री मैं गाय चरावन जैहौं।

तू कहि महर नंद बाबा सौं बड़ौ भयो न डरैहौं॥

श्रीदामा आदि सखा सब और हलघर संग लैहौं।

दह्यो भात कांवरि भरि लैहौं भूख लगे तब खैहौं॥

बंसीबट की सीतल छैयां खेलत मैं सुख पैहौं।

परमानंद प्रभु तृसा लगे पै जमुना जलहि अचैहों॥

 डोलमाई झूलत हैं ब्रज नाथ

 Parmanand das ke Pad 

डोलमाई झूलत हैं ब्रज नाथ।

संग सोभित बृषभान नंदिनी ललिता बिसाखा साथ॥

बाजत ताल मृदंग मुरज डफ रंज मुरज बहु भांत।

अति अनुराग भरे मिलि गावत अति आनंद किलकात॥

चोवा चंदन बूका बंदन उड़त गुलाल अबीर।

परमानंद दास बलिहारी राजत हैं बलबीर॥

 रहिरी ग्वालिनि जोवन मदमाती

 Parmanand das ke Pad 

रहिरी ग्वालिनि जोवन मदमाती।

मेरे छगन मगन से लालहिं कित ले उछंन लगावति छाती॥

खीजत ते अबही राखे हैं न्हानी न्हानी दूध को दांती।

खेलन दै घर अपने डोलत काहे को एती इतराती॥

उठि चली गवालि लाल लागे रोबन तब जसुमति लाई बहु भांती।

परमानंद प्रीति अंतर गति फिरि आई नैननि मुसकाती॥

 देखो गोपालजू की लीला ठाटी

 Parmanand das ke Pad 

देखो गोपालजू की लीला ठाटी।

सुर ब्रह्मादक अचरज है जसुमति हाथ लिये रजु सांटी॥

ये सब ग्वाल प्रकट कहत हैं स्याम मनोहर खाई मांटी।

बदन उधारि भीतर देख्यो त्रिभुवन रूप वैराटी॥

केशव के गुन वेद बखाने सेष सहस मुखसाटी लाटी।

लख्यो न जाय अंत अंतरगति बुधि न प्रवेस कठिन यह घाटी॥

जनम करम गुन स्याम के बखानत समुझिन परै गूढ़ परिपाटी।

जाके सरन गये भय नाहीं सो सिंधु परमानंद दाटी॥

 नीकी खेली गोपाल की गैया

 Parmanand das ke Pad 

नीकी खेली गोपाल की गैया।

कूकें देत ग्वाल सब ठाड़े यह जु दिवारी नीकी गैया॥

नंदादिक देखत हैं ठाड़े यह जु पाहुनी की पैया।

बरस द्यौस लौं कुसल कुलाहल नाचौ गावौ करौ बधैया॥

धौरी धेनु सिंगारी मोहन बडरे वृषभ सिंगारे।

परमानंद प्रभु राई दामोदर गोधन के रखवारे॥

 मदन गोपाल झूलत डोल

 Parmanand das ke Pad 

मदन गोपाल झूलत डोल।

वाम भाग राधिका बिराजत पहरें नीले निचोल॥

गौरी राग अलापत गावत कहत भामते बोल।

नंदनंदन को भलो मनावत जासों प्रीति अतोल॥

नीको भेख बन्यो मनमोहन आज लईं हम मोल।

बलिहारी मन मोहन मूरति जगत दे हुं सब ओल॥

अद्भुत रंग परस्पर बाढ़यो आनंद हृदय कलोल।

परमानंद दास तिहि अवसर उड़त होलिका झोल॥

 सुनि मेरो बचन छबीली राधा

 Parmanand das ke Pad 

सुनि मेरो बचन छबीली राधा।

तै पायौ रस सिंधु अगाधा॥

जो रस निगम नेति नित भाख्यो।

ताको तैं अधरामृत चाख्यो।

सिवबिरंचि जाके ध्यान न आवै।

ता कौ कुंजनि कुसुम बिनावै॥

तू बृखभान गोप की बेटी।

मोहनलाल भावते भेंटी॥

तेरो भाग्य मोहि कहत न आवै।

कछु यकरस परमानंद गावै॥

 माधौ माई मधुवन छाये

 Parmanand das ke Pad 

माधौ माई मधुवन छाये।

कैसे रहें प्रान गोविंद पावस के दिन आये॥

हरित बरन बन सकल दुम पातें मारग बाढ़ी कीच।

जल पूरति रथ को गम नाहीं बैरिन जमना बीच॥

काके हाथ संदेसों पठवऊ कमल नैन के पास।

आवत जात इहां कोउ नाहिंन सुन परमानंददास॥

 आज दिवारी मंगल चार

 Parmanand das ke Pad 

आज दिवारी मंगल चार।

ब्रज जुवतिजन मंगल गावत चौक पुरावत नंद कुमार॥

मधु मेवा पकवान मिठाई भरि भरि लीने कंचन थार।

परमानंददास को ठाकुर पहिरे आभूषन सिंगार॥

 जिय की साध जिय ही रही री

 Parmanand das ke Pad 

जिय की साध जिय ही रही री।

बहुरि गोपाल देखन न पाए बिलपति कुंज अहीरी॥

एक दिन होंजु सखी इहि मारग बेचन जात दही री।

प्रीति कें लये दान मिस मोहन मेरी बांह गही री॥

बिनु देखै पल जात कलप भरि बिरहा अनल दहो री।

परमानंद स्वामी दरसन बिन नैनन नदी बही री॥

 केते दिन भये रैनि सुख सोये

 Parmanand das ke Pad 

केते दिन भये रैनि सुख सोये।

कछु न सुहाई गोपालहि बिछुरे रहे पूंजी सो खोये॥

जब तैं गये नंदलाल मधुपुरी चीर न काहू धोये।

मुख तंबोर नैन नहि काजर बिरह सरीर बिगोये॥

ढूंढत बाअ घाट बन परबत जहं जहं हरि खेल्यौ।

परमानंद प्रभु अपनो पीतांबर मेरे सीस पर मेल्यौ॥

 यह व्रत माघौ प्रथम लियौ

 Parmanand das ke Pad 

यह व्रत माघौ प्रथम लियौ।

जो मेरे भगतन को दुखवै ताको फारों नखन हियो॥

जो भगतन सों बैर करत है परमेसुर सों वैर करे।

रखवारी कौं चक्र सुदर्सन भेरौं सदा फिरे॥

पराधीन हूं अपने को जा कारन अवतार धर्यो।

सहज कही हरि मुनिजन आगें अभिमानी को गर्व हर्यौ॥

भजते भजौं तजैं नहिं कबहूं पारथ प्रति श्रीपति यों भाखी।

परमानंद दास को ठाकुर अखिल भुवन सब साखी॥

 औचकहिं हरि आइ गये

 Parmanand das ke Pad 

औचकहिं हरि आइ गये।

हौं दरपन लै मांग संभारत चार्यौ हूं नैना एक भये॥

नेक चितै मुसकाये हरिजू मेरे प्रान जुराइ लये।

अब तौ भई है चोंप मिलन की बिसरे देह सिंगार ठये॥

तब तें कछु न सुहाय बिकल मन ठगी नंद सुत स्याम गये।

परमानंद प्रभु सों रति बाढ़ी, गिरिधर लाल आनंद मये॥

 जब ते प्रीति स्याम सों कीनी

 Parmanand das ke Pad 

जब ते प्रीति स्याम सों कीनी।

ता दिन तें मेरे इन नैननि नेकहुं नींद न लीनी॥

सदा रहति चित चाक चढ्यौ सो और न कछु सुहाय।

मन में करत उपाय मिलन कौ इहै विचारत जाय॥

परमानंद प्रभु पीर प्रेम की काहू सो नहिं कहिये।

जैसे व्यथा मूक बालक की अपने तन मन सहिये॥

 प्रीति तो काहूं नहिं कीजै

 Parmanand das ke Pad 

प्रीति तो काहूं नहिं कीजै।

बिछुरै कठिन परै मेरो आली कहौ कैसे करि जीजै॥

एक निमिष या सुख के कारन युग समान दुख लीजै।

परमानंद प्रभु जानि बूझ कै कहो कि विष जल पीजै॥

 जागो गोपाल लाल जननी बलि जाई

 Parmanand das ke Pad 

जागो गोपाल लाल जननी बलि जाई।

उठो तात प्रात भयो रजनी को तिमिर गयो

टेरत सब ग्वालबाल-मोहना कन्हाई॥

उठो मेरे आनंद कंद गगन चंद मंद भयो

प्रगट्यो अंशुमान भानु-कमलन सुखदाई।

संगी सब पूरे बेन तुम बिना न छूटे धेन

लाडिले तुम तजो सेज सुंदर सुखदाई॥

मुखतें पट दूर कियो जसोदा कों दरस दियो

ओर दधि मांगि लयो विविध रस मिठाई।

जेमत दोऊ राम श्याम सकल मंगलगुन निधान

थार में कुछ झूठन रही सो परमानंद पाई॥

 चित को चोर अब जो पाउं

 Parmanand das ke Pad 

चित को चोर अब जो पाउं।

द्वार कपाट बनाय जतन कर नीके माखन दूध चखाउं।

जैसे निसंक धसत मंदिर में तिहि ओसर जो अचानक पाउं।

गहि अपने कर सुद्दढ मनोहर बहोत दिनन की रुचि उपजाउं।

राखो कुच बिच निरंतर प्रति दिनन को ताप बुझाऊं।

परमानंद नंदनंदन को परघर तें परिभ्रमन मिटाऊं॥

 भोजन कर उठे दोऊ भैया

 Parmanand das ke Pad 

भोजन कर उठे दोऊ भैया।

हस्त पखार सुधा अचवन कर वीरी लेत कन्हैया॥

मात जसोदा करत आरती पुनि पुनि लेत बलैया।

परमानंददास कों ठाकुर ब्रजजन केलि करैया॥

 ऐसी धूपन में पिय जाने न देऊंगी

 Parmanand das ke Pad 

ऐसी धूपन में पिय जाने न देऊंगी।

विनती कर जोर पिया के हाइ खात तेरे पैया परुंगी॥

तुमतो कहावत फूल गुलाब के संग के सखा ग्वालन गारी देऊंगी।

परमानंद दास को ठाकुर करते मुरलीया अचक हरूंगी॥

 आज गोकुल में बजत बधाई

 Parmanand das ke Pad 

आज गोकुल में बजत बधाई।

नंद महर के पुत्र भयो है आनंद मंगल गाई॥

गाम गाम ते जाति आपनी घर घरतें सब आईं।

उदय भयो जादौं कुल दीपक आनंद की निधि छाईं॥

हरदी तेल फुलेल अच्छत दधि बंदन वार बधाई।

बंदी सुत नंदराय घर घर सबहिन देत बधाई॥

आज लाला को जनम द्योस है मंगलचार सुहाई।

परमानंददास को जीवन तीन लोक सचुपाई॥

 नंदलाल सो मेरो मन मान्यों

 Parmanand das ke Pad 

नंदलाल सो मेरो मन मान्यों कहा करेगो कोय री।

हों तो चरन कमल लपटानी जो भावे सो होय री॥

गृहपति मात पिता मोहि त्रासत हंसत बटाऊ लोग री।

अब तो जिय ऐसी बनि आई विधना रच्यो है संयोग री॥

जो मेरो यह लोक जायगो और परलोक नसाय री।

नंद नंदन को तोऊन छांडू मिलेंगी निसान बजाय री॥

यह तन धर बहुर्यो नहीं पइये वल्लभ वेष मुरार री।

परमानंद स्वामी के ऊपर सर्वस्व डारों वार री॥

 सूची पढ़ि दीनी द्विजवर देवा

 Parmanand das ke Pad 

सूची पढ़ि दीनी द्विजवर देवा।

जाते पीर न होय करन को हम करिहें सब सेवा॥

कहत जसोदा द्विजवर देवा तुव मन भायो कहिये।

गोकुल के प्रति पालन लायक नंद गोप के रहिये॥

ऐसो सुख अपने हम देखों सबल संपदा बाढ़ी।

यातै कहा अधिक चहियतु है अस्ट महानिधि ठाढ़ी॥

चिरजीयो यह नंदलाल तेरो द्विजवर बोले बानी।

नंदराय जस जुग-जुग बाढ़ौ परमानंद बखानी॥

 अहो दधि मथन करें नंद रानी

 Parmanand das ke Pad 

अहो दधि मथन करें नंद रानी।

बारे कन्हैया आर न कीजै छांड अब दे हौ मथानी॥

बारी मेरे मोहन कर पिरायेंगे कौन चित्त मति ठानी।

हंसि मुसकाय जननी तन चितये सुधि सागर की आनी॥

जो गुन सरसुती छंदन, गावै नेति नेति मृदुबानी।

परमानंद जसोदा रानी सुत सनेह लपटानी॥

 सुंदर मुखकी हों बलि बलि जाऊं

 Parmanand das ke Pad 

सुंदर मुखकी हों बलि बलि जाऊं।

लावन्यनिधि गुन निधि सभा निधि देख जीवत सब गाऊं॥

अंग अंग प्रति अमित माधुरी प्रगटत रुचिर ठांऊ ठांऊ।

तामें मृदु मुसकाय हरत मन न्याय कहत कब मोहन नाऊं॥

सरग अंसपर बाहु वाम दिये या छवि की बिन मोल बिकाऊं।

परमानंद नंद नंदन को निरख निरख उर नैंन सिराऊं॥

 मंडल जोर सबै एकत्र भये

 Parmanand das ke Pad 

मंडल जोर सबै एकत्र भये निरतत रसिक सिरोमनी।

मुकुट धरे सिर पीत पट कटि तट बांधे तान लेत बनी ठनी॥

इक इक हरि कीनी ब्रज बनिता अरु सोहै मनी गनी।

चढ़ि विमान सुर जुवति कहें परस्पर गिरिवर धर पियुषधनी॥

गोप वधू बालक मिलि गावत मध्य निरत करत बलि मोहन।

परमानंददास को ठाकुर सब मिल गावत धन धन॥

 जहाँ गगन गति गर्ग कहयो

 Parmanand das ke Pad 

जहाँ गगन गति गर्ग कहयो।

यह बालक अवतार पुरुष है 'कृष्ण' नाम आनंद लह्यो॥

द्रोन धरावसु परम तपोवन, पुत्र नाम निरभय करी।

ते तुम नंद जसोदा दोऊबर मांग्यौ सुत देहु धरी॥

कहै नंदराय ग्वालिन सबन के आगे सकल मनोरथ पूरन करे।

परमानंददास कौ ठाकुर गोकुल की आपदा हरे॥

 सुंदर ढोटा कोंन को सुंदर मृदु बानी

 Parmanand das ke Pad 

सुंदर ढोटा कोंन को सुंदर मृदु बानी।

सुंदर भाल तिलक दिये सुंदर मुसिकानी॥

सुंदर नैनन हर लियो कमलन को पानी।

सुंदरता तिहुंलोक की या व्रज में आनी॥

भेद बतायो ग्वालिनी जायो नंदरानी।

परमानंद प्रभु जसोमति सब सुख लपटानी॥

 विजय सुदिन आनंद अधिक

 Parmanand das ke Pad 

विजय सुदिन आनंद अधिक छवि मोहन बसन विराजत।

सीस पग रही बाम भाग पर लटकि जवारे छाजत॥

तिलक तरल छै रेख भाल पर कुंडल तजत न द्वै कानन।

मुख की सोभा कहां लौं बरनौं मगन होत मन भावन॥

कटि पट छुद्र घंटिका मनिमय सोहत जोहत मन मोहत।

परमानंद निरख नंदरानी लेते बलैया दोऊ हथ॥

 आज पिय संग खेलवे को दाव

 Parmanand das ke Pad 

आज पिय संग खेलवे को दाव।

बेंन वजाय बुलावत माधो कुंवरी राधिका आव॥

हिलमिल केल करत जमुना जल आवो सहज सुभाव।

तुम विन ग्रीष्म ऋतु सब फीको सुनो कुंवरी मन राव॥

हम तुम चंद्रावली सब गोपी मिली खेवेगें नाव।

परमानंद प्रभु प्रथम समागम नयो नेह नयो भाव॥

 आज अयोध्या मंगल चार

 Parmanand das ke Pad 

आज अयोध्या मंगल चार।

मंगल कलस माल अरु तोरन बंदीजन गावत सब द्वार॥

दसरथ कौसल्या कैकई बैठे आये मंदिर के द्वार।

रघुपति भरत सत्रुघन लछमन बैठे चारों धीर उदार॥

इक नाचत इक करत कोलाहल पायन नूपुर की झनकार।

परमानंददास मन मोहन प्रगटे असुर संघार॥

 पिय मुख देखत ही पै रहिये

 Parmanand das ke Pad 

पिय मुख देखत ही पै रहिये।

नैननि कौ सुख कहत न आवै जा कारन सब सहिये॥

सुनहु गोपाल लाल पांइ लागी भलो पोच ले बहिये।

हौं आसक्त भई या रूपै बड़े भाग तैं लहिये॥

तुम बहुनायक चतुर सिरोमनि मेरी बांह दृढ़ गहिये।

परमानंद स्वामी मन मोहन तुम ही निरबहिये॥

 जसोदा पेंडे पेंडे डोले

 Parmanand das ke Pad 

जसोदा पेंडे पेंडे डोले।

यह गृहकाज उनें सुत को डर दुहु मांतिन मन डोले॥

अबहु कुंवर तुम भोजन जननी रोहिनी बोले।

परमानंद प्रभु वह फिर चितयो आनंद हृदे कलोले॥

 कोउ मेरे आंगन व्हे जु गयो

 Parmanand das ke Pad 

कोउ मेरे आंगन व्हे जु गयो।

जगमग जोत बदन को री माई सपनों सों जु भयो॥

हों दधिमेल भोर सुनि सजनी लेन गई जु मथानी।

कमलनयन की नांई चितयो वह मूरति मैं जानी॥

चल न सकत देह गति थाकी बहुत दुख मैं पायो।

परमानंद प्रभु चरन चलत गृह रहत कित घर आयो॥

 माई मौहें मोहन लागै प्यारो

 Parmanand das ke Pad 

माई मौहें मोहन लागै प्यारो।

जब देखों तन नैनन निरखों इन अंखियन कौ तारो॥

कंपित तन सीत अति धूजत थरथरात तन भारो।

परमानंद प्रभु या जाड़े को कीजिये मुंह कारो॥

 रावल में बाजत कहाँ बधाई

 Parmanand das ke Pad 

रावल में बाजत कहाँ बधाई।

प्रगट भई वृखभान गोप के नंद सुवन सुखदाई॥

घर घर तें आवत ब्रजनारी आनंद मंगल गावैं।

इक कुंकम रोरी ते मोतिन चौक पुरावें॥

हर रखत लोग नगर के बासी भेट बहोत बिधि लावैं।

परमानंददास को ठाकुर बानी सुनि गुन गावें॥

 चलि राधे तोहि स्याम बुलावै

 Parmanand das ke Pad 

चलि राधे तोहि स्याम बुलावै।

वह सुनि देखि वैनु मधुरे सुर तेरो नाम हि लै लै गावें॥

देखौ वृंदावन की सोभा ठौर ठौर द्रुम फूलें।

कोकिल नाद सुनत मन आंनद मिथुन बिहंगम झूलें॥

उन्मद जोवन मदन कुलाहल यह औसर है नीको।

परमानंद प्रभु प्रथम समागम मिल्यो भावतो जी को॥

 घाट पर ठाढ़े श्री मदन गोपाल

 Parmanand das ke Pad 

घाट पर ठाढ़े श्री मदन गोपाल।

कौन जुगती कर भरों जमुना चल पर्यो हमारे ख्याल॥

घोष बड़ौ घर सास रिसै हें चल न सकत एक चाल।

कहा करूं अब यों नहीं मानत सुंदर नंद को लाल॥

कछु संकोच कछु चोंप मिलन की परी प्रेम की जाल।

परमानंद स्वामी चित चोर्यो बैन बजाय रसाल॥

 सुंदर नंद नंदन जो पाऊं

 Parmanand das ke Pad 

सुंदर नंद नंदन जो पाऊं।

द्वार कपाट बनाय जतन के नीके माखन दूध खबाऊं॥

अति विचित्र सुंदर मुख निरखों करि मनुहार बनाऊं।

परमानंद प्रभु या जाड़े कौ देस निकासो दिबाऊं॥

 कहन लगे मोहन मैया मैया

 Parmanand das ke Pad 

कहन लगे मोहन मैया मैया।

बाबा नंददास सों और हलधर सों भैया भैया॥

छगन मगन मधुसूदन माधौ सब ब्रज लेत बलैया।

नाचत मोर रहत संग उनके तोतरे बोल बुलैया॥

 पिछवारें व्हे बोल सुनायो री

 Parmanand das ke Pad 

पिछवारें व्हे बोल सुनायो री ग्वालन। कमल नैन प्यारो करत

कलेऊ कोर न मुखलों आयो।

अरी मैया एक बन ब्याही गैया बछरा वहीं बसायो।

मुरली न लई लकुटिया न लीनी अरबराय कोऊ सखा न बुलायो॥

चकित भई नंदजू की रानी सत्य आय किधों सपनों पायो।

फूले गाल ने मात रसिकवर-त्रिभुवन आय सिर छत्र न छायो॥

बैठे जाय एकांत कुंज में कियो विविध भांत मन भायो।

परमानंद सयानी ग्वालन उलट अंके गिरिधर पिय पायो॥

 गोपाल फिरावत हैं बंगी

 Parmanand das ke Pad 

गोपाल फिरावत हैं बंगी।

भीतर भवन भरे सब बालक नाना विधि बहुरंगी॥

सहज सुभाय डोरी खेंचत हैं लेत उठाय करपें कर संगी।

कबहुक कर ले श्रवण सुनावत नाना भांति अधिक सुरंगी॥

कबहुक डार देत हैं भय में मुखहि बजावत जंगी।

परमानंद स्वामी मनमोहन खेल सर्यो चले सब संगी॥

 पीतांबर को चोलना पहेरावत मैया

 Parmanand das ke Pad 

पीतांबर को चोलना पहेरावत मैया।

कनकछाप तापर दई झीनी एक तैया॥

सूथन लाल चुनाव की और जरकसी चीरा।

हंसुली हेम जराव की उर राजत है हीरा॥

ठाड़ी निरखे जसोमति फूलि अंग न समाय।

काजर को बिंदुका दीयो ब्रजलन मुसिकाय॥

नंद बाबा मुरली दइ एकतान बजावे।

जोई सुने वाको मन हरे परमानंद गावे॥

 गिरधर हटरी भली बनाई

 Parmanand das ke Pad 

गिरधर हटरी भली बनाई।

दीपावलि हीरा मनि राजत देखि हरत होत अति भाई॥

भांति अनेक पकवान बनाये अति नौतन व्यंजन सुखदाई।

सुंदर भूखन पहरे सुंदरि सौदा करन लाल सौं आई॥

सावधान है सौदा कीजै जो दीजै तो तौल पुराई।

राखो चित चंचल नहि कीजे ग्वालिन हंसि मुसकाई॥

कैसे बोली बोलति ग्वालिन कहत जसोदा माई।

परमानंद हंसी नंद घरनी सबै बात मैं पाई॥

 नेकु गुपालहिं दीजों टेर

 Parmanand das ke Pad 

नेकु गुपालहिं दीजों टेर।

आज सवेरे कियो न कलेऊ सुरत भई बड़ी देर॥

ढूंढत फिरत जसोदा माता कहों कहां धों डोलत।

यह कहियो घर जाउ सांमरे बाबा नंद तोहि बोलत॥

इतनी बात सुनत ही आये प्रीत तो मन में जानी।

परमानंद स्वामी की जननी निरख बदन मुखकानी॥

 झूठे दोस गोपालै लावति

 Parmanand das ke Pad 

झूठे दोस गोपालै लावति।

जहाँ जहीं खेलै मेरो मोहन तहीं तहीं उठि धावति॥

कब तेरो दधि माखन खायो ऐसेई आवत हाथ नचावति।

परमानंद मदन मोहन कों ब्रज की लाली मन भावति॥

 मेरो मन गह्यौ माई मुरली कौ नाद

 Parmanand das ke Pad 

मेरो मन गह्यौ माई मुरली कौ नाद।

आसन पौन ध्यान नहिं जानौ कौन करै अब बाद बिबाद॥

मुकति देहु संन्यासिन कौं हरि कामिनि देहु काम की रास।

धरमिन देहु धरम कौ मारग मोमन रहै पद-अंबुज पास॥

जो कोऊ कहै जोति सब यामें सपनेहु छियौन तिहारौ जोग।

परमानंद स्याम रंग राती सबै सहौं मिलि इकअंग लोग॥

 हरि कौ विमल जस गावत

 Parmanand das ke Pad 

हरि कौ विमल जस गावत गोपांगना।

मनिमय आंगन नंदराय के बाल गोपाल तहां करें रिंगना॥

गिरि गिरि परत घुटरुवन टेकत जानु-पानि मेरे छंगन कौ भंगना।

धूसर धूर उठाय गोद लै मात जसोदा के प्रेम को भंजना॥

तिरपद भूमि मापौ न आलस भयो अबजो कठिन देहरी उलंघना।

परमानंद प्रभु भक्त वत्सल हरि रुचिरहार बर कंठ सो है बघनखा॥

 चंदन की खोर कीये

 Parmanand das ke Pad 

चंदन की खोर कीये चंदन सब अंग लगावे सोंधे की लपट-

झपट पवन फहरन में।

प्यारी के पिया को नेम पिय के प्यारी सो प्रेम अरस परस

रीझ रीझावे जेठ की दूपेरी में।

चहुं ओर खस संवार जल गुलाब डार डार सीतल भवन

कीयो कुंज महल में।

सोभा कछु कही न जाय निरख नैन सचु पाय पवन ढुरावे

परमानंद दास टहल में॥

 चरन कमल बंदौं जगदीस

 Parmanand das ke Pad 

चरन कमल बंदौं जगदीस के जे गोधन संग धाये।

जे पद कमल धूरि लपटाने कर गहि गोपिन उर लाये॥

जे पद कमल युधिष्ठिर पूजित राजसूय में चलि धाये।

जे पद कमल पितामह भीषम भारत में देखन पाये॥

जे पद कमल रमाउर भूषन वेद भागवत मुनि भाखे।

जे पद कमल संभु चतुरानन हृदै कमल अंतर राखे।

जे पद कमल लोकत्रय पावन बलि राजा के पीठ धरे।

सो पद कमल ‘दास परमानंद' गावत प्रेम पीयूष भरे॥

 नेकलाल टेकौ मेरी बहियां

 Parmanand das ke Pad 

नेकलाल टेकौ मेरी बहियां।

औघट घाट चढ्यो नहि जाई रपटत हों कालिंदी महियां॥

सुंदर श्याम कमल दल लोचन देख स्वरूप श्याम मुरझानी।

उपजी प्रीत काम उर अंतरगत तब नागर नागरी पहंचानी॥

हंस ब्रजनाथ गह्यो कर पल्लव जैसें गगरी गिरन न पावे।

परमानंद ग्वालनी सयानी कमल नयन कर परसोई भावे॥

 कौन रस गोपिन लीयो घूंट

 Parmanand das ke Pad 

कौन रस गोपिन लीयो घूंट।

जिन गोपाल निकट कर पाये प्रेम काम की लूट॥

निरख स्वरूप नंद नंदन को लोकलाज गई छूट।

परमानंद वेदमारग की मर्यादा गई टूट॥

 मेरो मन बावरो भयो

 Parmanand das ke Pad 

मेरो मन बावरो भयो।

लरका एक इहां हुतो ठाढ़ो ताही के संग गयो॥

जानी नहीं कौन को ढोटा चित्र विचित्र ठयो।

पीतांबर छवि निरख हरयो पढ़ कछु मोहि हियो॥

ग्वालिन एक पाहुनी आई ताकी यह मति कीनी।

परमानंद प्रभु हंसत सैन दे प्रेम पाणि गहि लीनी॥

 बांट बांट सबहिन कों देत

 Parmanand das ke Pad 

बांट बांट सबहिन कों देत।

ऐसे ग्वाल रहे जो भामते सेस रहत सोई आपुन लेत॥

आछो दूध सद्य धोरी को औट जमायो अपने हाथ।

हंड़िया भरी जसोदा मैया तुमकों दे पठई ब्रजनाथ॥

आनंद अंगन फिरत अपने रंग वृंदावन कालिंदी तीर।

परमानंद दास प्रभु खेले बांह पसार दियो बल बीर॥

 यह जल जिहहि पियो

 Parmanand das ke Pad 

यह जल जिहहि पियो।

जब आरोगे तब भर लाउं तातो डारि दियो॥

उठो मनमोहन बदन पथारो सुंदर लोट लियो।

तुम जानत हम अबही पोढ़े पहरहि द्योस रह्यो॥

सुन मृदु वचन श्याम उठ बैठे मान्यो मात कह्यो।

परमानंद प्रभु भूखे भये हैं मैया मेवा दियो॥

 राधे सों रस रीत बढ़ी

 Parmanand das ke Pad 

राधे सों रस रीत बढ़ी।

आदर करि भेटी नंद नंदन दूने चाव चढ़ी॥

वृंदावन में क्रीड़ित दोऊ जैसे संग करनी।

परमानंद स्वामी मनमोहन ताको मन हरनी॥

 तन मन धन न्यौछावर कीजे

 Parmanand das ke Pad 

तन मन धन न्यौछावर कीजे।

आरती जुगल किशोर की कीजे॥

प्रेम रूप नेंनन भर पीजे।

गौर श्याम मुख निरखत जीजे॥

रवि ससि कोटि वदन की सोभा।

ताहि देखत मेरो मन लोभा॥

नंद नंदन वृषभान किसोरी।

परमानंद अविचल यह जोरी॥

 भोजन को जेमत राम कृष्ण

 Parmanand das ke Pad 

भोजन को जेमत राम कृष्ण दोऊ भैया जननी जसोदा जीमावेरी।

खारे खाटे मीठे बिंजन स्वाद अधिक उपजाबे री॥

करत बियार सखी सहचरी मधुर वचन सुख भाखे री।

परमानंद प्रभु माता हित सों अधिक अधिक रस चाखे री॥

 वारों मीन खंजन आली के

 Parmanand das ke Pad 

वारों मीन खंजन आली के दृगन पर भ्रमरन गन।

अति ही सलोने लोने अति ही सुढार ढारे अति कजरारे भारे बिन ही अंजन॥

सेत असित कटाछन तारे उपमा को मृग न कंजन।

परमानंद प्रभु कर लीने प्यारी जु के मन के रंजन॥

 खेवटीयारे वीर अब मोहे

 Parmanand das ke Pad 

खेवटीयारे वीर अब मोहे क्यों न उतारे पार।

मेरे संग की सबही उतरके भेटी नंद कुमार॥

अति गहरी जमुना जु बहत है मैं जु रही चलवार।

परमानंद प्रभु सों मिलाय मोय तोही देउंगी गले को हार॥

 रसिकनी राधा पलना झूलें

 Parmanand das ke Pad 

रसिकनी राधा पलना झूलें। देखि देखि गोपीजन फूलें॥

रतन जटित को पलना सोहै। निरखि निरखि जननी मन मोहे॥

सोभा की सागर सुकुमारी। उमा रमा रति वारी डारी॥

डोरी ऐंचत भौंह मरोरै। बार बार कुंवरी तृन तोरै॥

तिहि छिन की सोभा कछु न्यारी। अखिल भुवनपति हाथ संवारी॥

मुख पर अंबर बारति मैया। आनंद भयो परमानंद भैया॥

 पहिरें लाल परदनी झीनी

 Parmanand das ke Pad 

पहिरें लाल परदनी झीनी।

मृगमद छाप कीनी केशर शीतल अरगजा भीनी॥

गौरोचन को तिलक बिराजत अति सुगंध कपूर मिलानी।

कमल लिये कर परमानंद शोभा निरख प्यारी लुभानी॥

 भोजन कीनो री गिरिवरधारी

 Parmanand das ke Pad 

भोजन कीनो री गिरिवरधारी।

कहा बरनों मंडली की सोभा मधुवन ताल कदंब तर॥

पहलें किये मनोरथ व्यंजन जे पठये ब्रज घर घर।

पाछें डला दीयो श्रीदामा मोहनलाल सुघर वर॥

हंसत सयानो सुबल सेंन दे लाल लियो दोना कर।

परमानंद प्रभु मुख अवलोकत सुरभि भीर पार पर॥

 राधा भाग सों रस रीति बढ़ी

 Parmanand das ke Pad 

राधा भाग सों रस रीति बढ़ी।

सादर करि भेटी नंद-नंदन दूने चाउ चढ़ी॥

वृंदावन में क्रीड़त दोऊ जैसे कुंजर क्रीडत करिनी।

परमानंद स्वामी मन मोहन ताहू कौ मन हरिनी॥

 आज दधि मीठो मदन गोपाल

 Parmanand das ke Pad 

आज दधि मीठो मदन गोपाल।

भावत मोहि तिहारो झूंठो चंचल नैन बिसाल॥

आने पात बनाये दोना दिये सबनको बांट।

जिन नहिं पायो सुनो रे भैया मेरी अंगुरिन चाट॥

बहुत दिनन हम रहे कुमुदवन कृष्ण तिहारे साथ।

ऐसो स्वाद हम कबहु न चाख्यो सुन गोकुल के नाथ॥

आपुन खात खवावत ग्वालन मानस लीला रूप।

परमानंद प्रभु हम सब जानत तुम त्रिभुवन के भूप॥

 अहो बलि! द्वारे ठाड़े बामन

 Parmanand das ke Pad 

अहो बलि! द्वारे ठाड़े बामन।

चार्यो वेद पढ़त मुख पाठी अति सुमंद सुरगावन॥

बानी सुनि बलि बूझन आये अहो देव कह्यौ आवन।

तीन पैंड़ वसुधा हम मांगो परन कुटी एक छावन॥

अहो विप्र कहा तुम मांगो अनेक रतन देउ गामन।

परमानंद प्रभु चरन बढ़ायो लागयो पीठ न पाव न॥

 सब बिध मंगल नंद को लाल

 Parmanand das ke Pad 

सब बिध मंगल नंद को लाल॥

कमलनयन बलि जाय जसोदा न्हात खिजो जिन मेरे लाल॥

मंगल गावत मंगल मूरति मंगल लीला ललित गोपाल।

मंगल ब्रजवासिन के घर-घर नाचत गावत देकर ताल॥

मंगल बृन्दावन के रंजन मंगल मुरली शब्द रसाल।

मंगलजस गावें परमानंद सखा मंडली मध्य गोपाल॥

 चिरजीवौ लाल गोवर्धन धारी

 Parmanand das ke Pad 

चिरजीवौ लाल गोवर्धन धारी।

साठ द्यौस जल वृद्धि निवारी या ढोटा पर वारी॥

देवराज परतिग्या मेटी गोप भेख लीला अवतारी।

नल कूबर मनिग्रीव उबारे बालकदसा पूतना मारी॥

देत असीस सकल गोपीजन राज करो वृंदावन चारी।

परमानंददास को ठाकुर अनुदिन आरति हरत हमारी॥

 राखी बंधन नंद कराई

 Parmanand das ke Pad 

राखी बंधन नंद कराई।

गर्गादिक सब रिसिन बुलाये लालहिं तिलक बनाई॥

सब गुरुजन मिलि देत असीसे चिरजीबहु ब्रज राही।

बड़ो प्रताप बड़ो ढोटा को प्रतिदिन दिनहिं सवाई॥

आनंदे ब्रजराज जसोदा मानो अधन निधि पाई।

परमानंद दास की जीवनि चरन कमल लपटाई॥

 ब्रज की बीथिन निपट सांकरी

 Parmanand das ke Pad 

ब्रज की बीथिन निपट सांकरी॥

यह भली रीति गाऊं गोकुल की जितही चलीए तितहिबां करी॥

जिहि जिहि बाट घाट बन उपवन तिहिं तिहिं गिरधर रहत ताफिरी।

तहां ब्रज बधु निकसत नहीं पावत इत उत डोलत रोरत कांकरी।

छिरकत पीकपट मुख दीये मुसिकत छाजे बैठे झरोखे झांकरी।

परमानंद डगमगत सीस घट कैसे कै जइये बदन ढांकिरी॥

 जानी जानी तिहारी बात

 Parmanand das ke Pad 

जानी जानी तिहारी बात।

गिरिधर ब्यारू करके आवत यहां कछु नहीं खात॥

तिहारो स्वभाव पयों है जनम को ओर कछु न सुहात।

नवल वस्तु जहां लख पावत चोरी बिना न रहात॥

परमानंद कहत नंदरानी प्रेम लपेटी बात॥

 अमृत निचोय कियो इकठोर

 Parmanand das ke Pad 

अमृत निचोय कियो इकठोर।

तुम्हरे वदन सुढार सुधा निधि तबतें विधना रची न ओर॥

सुन राधे उपमा कहा दीजे श्याम मनोहर भये री चकोर।

सादर पान करत तोहि देखत तृषित काम बस नंद किसोर॥

कौन कौन अंग करो री निरूपन गुन और शील रूप की रास।

परमानंद स्वामी मन बध्यो लोचन बंधे प्रेम की पास॥

 ललित लाल श्रीगोपाल सोइए

 Parmanand das ke Pad 

ललित लाल श्रीगोपाल सोइए न प्रातकाल,

जसोदा मैया लेत बलैया भोर भयो प्यारे।

उठो देव करुं हूं सेव जागिये देवाधिदेव,

नंदराय दुहत गाय पीजिये पय प्यारे॥

रवि के किरन प्रगट भये उठो देव निसही गई

जहां तहां दुहत गाय गावइ गुन ठिहारे।

नंदकुमार उठे विहंस कृपादृष्टि सब पे बरख

युगल चरन कमल पर परमानंद बारे॥

 भोजन कों बोलत महतारी

 Parmanand das ke Pad 

भोजन कों बोलत महतारी।

बल समेत आओ मेरे मोहन बैठे नंद परोसी थारी॥

खीर सिरात स्वाद नहिं आवत बेगि ग्रास तुम लेहो मुरारी।

चितवत चित नीकें करि जैवो पाछे कीजे केलि बिहारी॥

अहो अहो सुबल श्रीदामा बैठो नेंक करौं मनुहारी।

परमानंददास कौ जीवन मुख बिंजन दै जाउं बलिहारी॥

 यह तो भाग्य पुरुष मेरी माई

 Parmanand das ke Pad 

यह तो भाग्य पुरुष मेरी माई।

मोहन को गोदी में लिये जेमत हैं नंदराई॥

चुचकारत पोंछत अंबुज मुख उर आनंद न समाई।

लपटीकर लपटात थोंद पर पर दूध लार लपटाई।

चिबुक केस जब गहत केस कर तब जसोमत मुसकाई।

मांगत सिकरन देरी मैया बेला भर के लाई॥

अंग-अंग प्रति अमृत माधुरी सोभा सहज निकाई।

परमानंद नारदमुन तरसत घर बैठे निध पाई॥

 भोजन कों बोलत महतारी

 Parmanand das ke Pad 

भोजन कों बोलत महतारी।

बल समेत आओ मेरे मोहन बैठे हैं नंद परोसी हैं थारी॥

खीर सिरात स्वाद नहीं आवत वेग ग्रास तुम लेहु मुरारी।

इतवित चित नीके कर जेंवो पाछें कीजे खेल बिहारी॥

अहो अहो सुबल श्रीदामा बैठो नेक करो मनुहारी।

परमानंददास की जीवन मुख बिजन देजाऊं बलहारी॥

 लाड़िले बोलत है तोहि मैया

 Parmanand das ke Pad 

लाड़िले बोलत है तोहि मैया।

संझा समे संग आवत चुंबन लेकर गोद बिठैया॥

मधु मेवा पकवान मिठाई दूध भात अरु दार बनाई।

परमानंद प्रभु करत बियारू यशुमति देख बहुत सुख पाई॥

 चले खेलन को कुंज गोपाल

 Parmanand das ke Pad 

चले खेलन को कुंज गोपाल।

बैठे जाय कदमन की छैयां अंबुज नयन विशाल॥

सुन राधा हरख कियो मनलाई गूंथी कुसुमन की माल।

उन पहिराय आलिंगन दीनों सादर चुंबत बदन रसाल॥

नवल प्रिया प्रीतम मिल निहरत मंगल गावत ब्रज की बाल।

परमानंद दास तिहि औसर निरखत कोटि रहे त्रिय जाल॥

 जसोदा, तेरे भाग्य की कही न जाय

 Parmanand das ke Pad 

जसोदा, तेरे भाग्य की कही न जाय।

जो मूरति ब्रह्मादिक दुर्लभ सो प्रगटे हैं आय॥

सिव नारद सुक-सनकादिक मुनि मिलिबे को करत उपाय।

ते नंदलाल धूरि-धूसरि वपु रहत गोद लपटाय॥

रतन-जड़ित पौढ़ाय पालने, बदन देखि मुसुकाय।

झूलौ लाल, जाऊँ बलिहारी, ‘परमानंद' जसु गाय॥

 पिछोरा खासा को कटि बांधे

 Parmanand das ke Pad 

पिछोरा खासा को कटि बांधे।

वे देखो आवत नंद नंदन नैन कुसुम सर साधें॥

श्याम सुभगतन गोरज मंड़ित बाहु सखा के कांधे।

चलत मंद गति चाल मनोहर मानों नटवा गुन गाधें॥

यह पद कमल अबही प्राप्ति भये बहुत दिनन आराधे।

परमानंद स्वामी के कारन सुर मुनि सब धरत समाधे॥

 नवल कदंब छहतर ठाडे

 Parmanand das ke Pad 

नवल कदंब छहतर ठाडे सोभित हैं नंदलाल।

सीस टिपारो कटिलाल काछनी पीतांबर बनमाल॥

नृत्यत गावत बेन बजावत सुरभि समूहन जाल।

परमानंददास को ठाकुर लीला ललित गोपाल॥

 लाल को मीठी खीर जो भावे

 Parmanand das ke Pad 

लाल को मीठी खीर जो भावे।

बेला भर के लावत यसुदा चूसे अधिक मिलावे॥

कनिया लिये जसोदा ठाड़ी रुच कर कोर बनावे।

ग्वाल बाल नन चरन के आगे झूठेई आन दिखावे॥

ब्रजनारी जो चहुं धो चितवत तन मन मोद बढ़ावे।

परमानंददास को ठाकुर हंस हंस कंठ लगावे॥

 माई तेरो कान्ह कौन अब ढंग लाग्यौ

 Parmanand das ke Pad 

माई तेरो कान्ह कौन अब ढंग लाग्यौ।

मेरी पीठ पर मेलि करुरा वह देख जात भाग्यौ॥

पांच बरस को स्याम मनोहर ब्रज में डोलत नांगो।

परमानंद दास को ठाकुर कांधे पयो न तागों॥

 भोजन करत श्री गोपाल

 Parmanand das ke Pad 

भोजन करत श्री गोपाल।

खटरस धरे बनाय जसोदा साजे कंचन थाल॥

करत बियार निहारत हरि मुख चंचल नैन विसाल।

जो जो चाहो तेई ले ही माधुरी मधुर रसाल।

ब्रह्मादिक जाको पार नपावत दुहि देखत ब्रजबाल।

परमानंददास को ठाकुर चिरजीवों नंदलाल॥

 गिरधर सब ही अंग को बांको

 Parmanand das ke Pad 

गिरधर सब ही अंग को बांको।

बांकी चाल चलत गोकुल में छैल छबीलो काको॥

बांकी भोंह चरन गति बांकी बांको हृदय है ताको।

परमानंददास को ठाकुर कियो खोर ब्रज सांको॥

 करत गोपाल यमुना जल क्रीड़ा

 Parmanand das ke Pad 

करत गोपाल यमुना जल क्रीड़ा।

सुर नर असुर थकित भये देखत बिसर गई तनमन जिय पीड़ा॥

मृगमद तिलक कुंकुम चंदन अगर कपूर वास बहु भुरकन।

कुच युग मग्न रसिक नंदनंदन कमल पाणि परस्पर छिरकन॥

निर्मल शरद कमलाकृत शोभा बरखत स्वाति बूंद जलमोती।

परमानंद कंचन मणि गोपी मरकत मणि गोविंद मुख जोती॥

 सुफल भयोरी सिंगार कियो

 Parmanand das ke Pad 

सुफल भयोरी सिंगार कियो में पियसों रति मानी।

धन्य घरी धन्य धन्य यह मुहुर्त जात जामिनी॥

धन्य सुहाग भाग आज को सजनी कृपा की दृष्टिचित मो कामनी॥

परमानंद स्वामी अरस परस रस सानी॥

 धन तेरस रानी धन धोवति

 Parmanand das ke Pad 

धन तेरस रानी धन धोवति।

गर्ग बुलाई वेद बिधि पूजत ठौर ठौर घृत दीप संजोवति॥

धूपदीप नेवेद भोग धरि स्याम सुंदर एकटक मुख जोवति।

परमानंद त्यौहार मनावति सब ब्रज पुष्टि मारग धन बोवति॥

 दूध पियो मन मोहन प्यारे

 Parmanand das ke Pad 

दूध पियो मन मोहन प्यारे।

बल बल जाउं गहेरु जिन कीजे कमल नयन नेनन के तारे॥

कनक कटोरा भर पीजे सुख दीजे संग लेहो बलभद्र भैया रे।

परमानंद मोहि गोधन की सों उठत ही प्रात करुंगी धैया रे॥

 ललन उठाय देहु मेरी गगरी

 Parmanand das ke Pad 

ललन उठाय देहु मेरी गगरी।

बलि बलि जाऊं छबीले डोटा ठाड़े देत अचगरी॥

जमुना तीर अकेली ठाढ़ी दूसरों नाहिन कोऊ।

तासों कहों श्याम घन सुंदर संग बनाहिन सोऊ॥

नंद कुमार कहे नेक ठाडी रही कछुक बात कर लीजै।

परमानंद प्रभु संग मिले चलि बातन के रस भीजे॥

 जोतू अब की बेर बन जाय

 Parmanand das ke Pad 

जोतू अब की बेर बन जाय।

नंद नंदन को नीके देखे तन मन नैन सिराय॥

बैठे कुंज महल में मोहन सुंदर रूप सुहाय।

परमानंददास को ठाकुर हंसि भेटेंगे धाय॥

 श्याम ढाक तर मंडल जोर

 Parmanand das ke Pad 

श्याम ढाक तर मंडल जोर जोर बैठे छाक खात दधि ओदना।

सघन कुंज मध्य चंदन के महल में उसीर रावटी चहुं ओर

छिर्कयो करत गुलाब जल सोहना॥

आस पास बैठे सखा सब रुचिर डला भर प्रेम प्रयोदना।

परमानंद प्रभुगोपाल अद्भुत गुन रूप रसाल आरोगत मंडल मघ

से बल सुगोदना॥

 मांगे सुवारिन द्वार रुकाई

 Parmanand das ke Pad 

मांगे सुवारिन द्वार रुकाई।

झगरत अरत करत कौतूहल चिर जीवो तेरो कुंवर कन्हाई॥

चिरजीवौ वृषभान नंदिनी रूप सील गुन सागर माई।

निरख निरख मुख जीऊं सजनी यहै नेग बढ़ संपन जाई॥

दीनी धूमरि धौरी पियरी और तिनकौं सारी पहिराई॥

फिर सबहिन की महर जसोदा मेवा गोद भराई॥

आरती कर लिये रतन चौक में बैठारे सुंदर सुखदाई।

परमानंद आनंद नंद के भाग बड़े घर नव निधि आई॥

 सरद ऋतु सुभजानि अनूपम

 Parmanand das ke Pad 

सरद ऋतु सुभजानि अनूपम दसमी को दिन आयो री।

परम मंगल दिन आज ब्रज में सब मन हरखत आयो री॥

केसर सौंधी धोरि जननी प्रथम लाल अन्हवायो री।

नाना विधि के भूखन अभरन अंग सिंगार बनायो री॥

पाघ पिछौरा और उबटन बागो विचित्र धरायो री।

परमानंद प्रभु विजयादसमी ब्रज जन मंगल गायो री॥

 अदभुत देख्यो नंद भवन में

 Parmanand das ke Pad 

अदभुत देख्यो नंद भवन में लरिका एक भला।

कहा कहूं अंग अंग प्रति सोभा कोटिक काम कला॥

गावति हंसति हंसावति ग्वालिन झुलवति पकरि डला।

परमानंददास को ठाकुर मोहन नंदलला॥

 राखी बांधत जसोदा मैया

 Parmanand das ke Pad 

राखी बांधत जसोदा मैया।

मधु मेवा पकवान मिठाई आरोयो प्रभु घेया॥

बरस दिवस की कुसल मनावत विप्रन देत बधैया।

चिरजीवौ मेरो कुंवर लाड़िलो परमानंद बलि जैया॥

 लाल कौ सिंगार करावत मैया

 Parmanand das ke Pad 

लाल कौ सिंगार करावत मैया।

करि उबटनो अन्हबायें रुचि सो हरि हलधर दोऊ भैया॥

हंसुली हेम हमेल अरु दुलरी वन माला उर पहरैया।

परमानंददास को जीवन जसुमति लेत बलैया॥

 लाल को सिंगार बनावत मैया

 Parmanand das ke Pad 

लाल को सिंगार बनावत मैया।

कर उबटनो न्हवायो चाहत हर हलधर दोउ भैया॥

हार हमेल हंसुली और दुलरी अपने कर पहरैया।

परमानंद दास की जीवन पुनि पुनि लेत बलैया॥

 राधाजू को जन्म भयो सुनि माई

 Parmanand das ke Pad 

राधाजू को जन्म भयो सुनि माई।

सुकल पच्छ निसि आठें घर घर होत बधाई॥

अति सुकुमारी घरी सुभ लच्छन कीरति कन्या जाई।

परमानंद नंद नंदन के आंगन जसुमति दे बधाई॥

 बैठे घनश्याम सुंदर खेवत है नाव

 Parmanand das ke Pad 

बैठे घनश्याम सुंदर खेवत है नाव।

आज सखी मोहन संग खेलवे को दाव॥

यमुना गंभीर नीर अति तरंग लोले।

गोपिन प्रति कहन लागे मीठे मृदु बोले॥

पथिक हम खेवट तुम लीजिये उतराई।

बीच धार मांझ रोकी मिष ही मिष डुलाई।

डरपत हो श्याम सुंदर राखिये पद पास॥

याहि मिष मिल्यो चाहे परमानंद दास॥

 हरि राखै ताहि डर काको

 Parmanand das ke Pad 

हरि राखै ताहि डर काको।

महापुरुष समरथ कमलापति नरहरी से ईस है जाकौ॥

अनेक साधना करि करि देखीं निस्फल भई खिस्याय रह्यौ।

ता बालक को बार न बांकौ हरि की सरन प्रह्लाद गयो॥

हिरनकसिपु को उदर बिदार्यो अभयराज प्रह्लादै दीनों।

परमानंद दयाल दयानिधि अपने भगत कौ नीकौ कीनों॥

 गिरि पर चढ़ गिरिवरधर टेरे

 Parmanand das ke Pad 

गिरि पर चढ़ गिरिवरधर टेरे।

अहो भैया सुबल श्रीदामा लाओ गाय खिरक के नेरे॥

भई अबार छाक कछु खायें एक पैया पीयो सबेरे।

परमानंद प्रभु बैठे सिलन पर भोजन करत ग्वाल चहुं फेरे॥

 मोहन नेक सुनाहुगे गौरी

 Parmanand das ke Pad 

मोहन नेक सुनाहुगे गौरी।

वनतें आवत कुंवर कन्हैया पुहप माल लै दौरी॥

ग्वाल बाल के मध्य बिराजत टेरत ही घूमर-धौरी।

परमानंद प्रभु की छवि निरखत परि गई प्रेम ठगौरी॥

 नेकलाल टेकौ मेरी बहियाँ

 Parmanand das ke Pad 

नेकलाल टेकौ मेरी बहियाँ।

औघट घाट चढ्यो नहि जाई रपटत हों कालिंदी महियां॥

सुंदर श्याम कमल दल लोचन देख स्वरूप श्याम मुरझानी।

उपजी प्रीत काम उर अंतरगत तब नागर नागरी पहंचानी॥

हंस ब्रजनाथ गह्यो कर पल्लव जैसें गगरी गिरन न पावे।

परमानंद ग्वालनी सयानी कमल नयन कर परसोई भावे॥

 सिला पखारों भोजन कीजे

 Parmanand das ke Pad 

सिला पखारों भोजन कीजे।

नीके बिंजन बने कोंन के बांट बांट सबहिन कों दीजे॥

अहो अहो सुबल अहो श्रीदामा अर्जुन भोज विशाल।

अपने अपने ओदन लाओ आज्ञा देई गोपाल॥

फल अंगुल अंगुरी विच राखो बांट सबहिंन कों देत।

परमानंद स्वामी रस रीझे प्रेम पुंज को बांध्यो सेत॥

 गोपाल माई खेलत हैं चौगान

 Parmanand das ke Pad 

गोपाल माई खेलत हैं चौगान।

ब्रजकुमार बालक संग लीने वृंदावन मैदान॥

चंचल बाजि नचावत आवत होड़ लगावत यान।

सबही हस्त लै गेंद चलावत करत बाबा की आन॥

करत न संक निसंक महाबल हरत नयन को मान।

परमानंददास को ठाकुर गुर आनंद निधान॥

 कृष्ण को बीरी देत ब्रजनारी

 Parmanand das ke Pad 

कृष्ण को बीरी देत ब्रजनारी।

पान सुपारी काथो गुलाबी लोंगन कील समारी॥

ब्रजनारी जो कुंज लौ ठाडी कंचन की सी वारी।

लें लें बीरी करन कमल में ठाडी करत मनुहारी॥

कहत लाडले बीरी लीजे मोहन नंदकुमार।

परमानंद प्रभु बीरी अरोगत ब्रजजन प्रान अधार॥

 उपरना श्याम तमाल कों

 Parmanand das ke Pad 

उपरना श्याम तमाल कों।

कीधों कहां लयो बृज सुंदरी ललित त्रिभंगी लाल कों॥

सुभग कलेवर प्रकट देखियत हाथन श्रम कन जात कों।

तू रस मगन भई नहीं समुझत बाल केलि व्रज ख्याल कों।

निस निहरत गोप बालकसंग चंचल नैन विशाल कों।

परमानंद प्रभु गोवर्द्धन धर चलत गयंद वर चाल कों॥

 सोहत लाल लकुटी कर राती

 Parmanand das ke Pad 

सोहत लाल लकुटी कर राती।

सूथन कटि चोलना अरुन रंग पीतांबर की गाती॥

ऐसे गोप सबै बनि आये जो सब स्याम संगाती।

प्रथम गोपाल चले जु बच्छ लै असीस पढ़त द्विज जाती॥

निकट निहारत रोहिनी जसोदा आनंद उपज्यो छाती।

परमानंद आनंदित ह्वै दान देत बहु भांती॥

 आंधरे की दई चरावै

 Parmanand das ke Pad 

आंधरे की दई चरावै।

जाकौ कितहू ठौर नाहीं सो तुम्हरी सरन आवै॥

गंगा मिले सकल जल पावन लोकवेद कुल सब बिसरावै।

सुपच बलिष्ट होई परमानंद ऐसो ठाकुर काहे न भावे॥

 देखो री गोपाल कहां धों खेलत

 Parmanand das ke Pad 

देखो री गोपाल कहां धों खेलत।

के गायन संग गये अगाऊ के खिरक बछरु वन मेलत॥

कहत यशोदा सखियन आगें परोस धरी हैं थारी।

भोजन आन करो दोऊ भैया बालक सहित बनवारी॥

ऐसी प्रीत पिता माता को पलक ओट नहीं कीजे।

बार बार दास परमानंद हरख बलैया लीजे॥

 यह प्रसाद हो पाऊं श्रीजमुनाजी

 Parmanand das ke Pad 

यह प्रसाद हो पाऊं श्रीजमुनाजी।

तुम्हारे निकट रहौं निशवास रामकृष्ण गुण गाऊं॥

मज्जन करूं विमल जल पावन चिंता कलेश बहाऊं।

तिहारी कृपा तें भानु की तनया हरि पद प्रीत बढ़ाऊं॥

विनती करों यही वर मागों अधमन संग बिसराऊं।

परमानंद प्रभु सब सुखदाता मदन गोपाल लडाऊं॥

 कौन रसिक है इन बातन कौ

 Parmanand das ke Pad 

कौन रसिक है इन बातन कौ।

नंद-नंदन बिनु कासों कहिए, सुनि री सखी, मेरे दुखिया मन कौ॥

कहाँ वे जमुना-पुलिन मनोहर, कहाँ वह चंद सरद रातन कौ।

कहाँ वे मंद सुगंध कमल रस, कहाँ षट्पद जलजातन कौ॥

कहाँ वो सेज पौढ़ियो वन कौ, फूल बिछौना मृदुपातन कौ।

कहाँ वे दरस-परस ‘परमानंद', कोमल तन कोमल गातन कौ॥

 प्रथम गोचारन चले कन्हाई

 Parmanand das ke Pad 

प्रथम गोचारन चले कन्हाई।

माथे मुकुट पीतांबर की छवि बन माला पहराई॥

कुंडल स्रवन कपोल विराजत सुंदरता बन आई।

घर घर तें सब छाक लेत है संग सखा सुखदाई॥

आगे धेनु हांकि सब लीनी पाछें मुरलि बजाई।

परमानंद प्रभु मनमोहन ब्रजवासिन सुरत कराई॥

 ब्रजवासी जानें रस रीति

 Parmanand das ke Pad 

ब्रजवासी जानें रस रीति।

जाके हृदय और कछु नाहीं नंद सुवन पद प्रीति॥

करत महल में टहल निरंतर जाम जाम सब वीति।

सर्वभाव आत्मा निवेदित रहे त्रिगुनातीति॥

इनकी गति और नहिं जानत बीच जवनिका भीति।

कछुक लहत दास परमानंद गुरु प्रसाद परतीति॥

 जेहों दुल्हे लाल दुल्हैया

 Parmanand das ke Pad 

जेहों दुल्हे लाल दुल्हैया।

बहुविधि साक सुधारे बिंजन और बनायो पैया॥

कंचन थार कंचन की चौकी परोसत मोद बढ़या।

ठाड़ी पवन करत रोहिनी लेत वारने भैया॥

करि अचवन मुख वीरी दीनी आनंद उरन समैया।

लाल लाड़िली की छवि ऊपर परमानंद बल जैया॥

 आज माई मोहन खेलत होरी

 Parmanand das ke Pad 

आज माई मोहन खेलत होरी।

नौतन बेसु काछि ठाडे भये संग राधिका मोरी॥

अपने धाम आई देंखन कों जुरि जुरि नवल किसोरी।

चोवा चंदन और कुंकुंमा मुख मांडत लै लै रोरी॥

छुटी लाज तब तन न संभारत अति विचित्र बनी जोरी।

मच्यौ खेल रंग भयौ भारी या उपमा की कोरी॥

देत असीस सकल ब्रज बनिता अंग अंग सब मोरी।

परमानंद प्रभु प्यारी की छवि पर गिरधर देत अंकोरी॥

 नंद गोवर्धन पूजो आज

 Parmanand das ke Pad 

नंद गोवर्धन पूजो आज।

जाते गोप गुवाल गोपिका सुखी सबन को राज॥

जाकौं रुचि रुचि बलिहि बनावत कहा सक्र सों का।

गिरि के बल बैठे अपने घर कोटि इंद्र पर गाज॥

मेरो कह्यौ मान अब लीजै भर भर सकटन साज।

परमानंद आन के अर्पत वृक्षा करत कित नाज॥

 सुखद सेज पोढ़े श्री वल्लभ संग

 Parmanand das ke Pad 

सुखद सेज पोढ़े श्री वल्लभ संग सुख पोढ़े श्री नवनीत प्रिया।

ज्यों जसुमति सुन नंदनंदन को त्यों प्रमुदित मनमाहि हिया॥

हुलरावत दुलरावत गावत अंगुरिन अग्र दिखाय दिया।

कहत न बने देख हम नेंन सों दु:ख बिसरत सुख होत जिया॥

डरप जात बालक संग पोढ़े हाव भाव चित चाव किया।

परमानंददास गोपीजन सो जस गायो घोख त्रिया॥

 आवति आनंद कंद दुलारी

 Parmanand das ke Pad 

आवति आनंद कंद दुलारी॥

विधु बदगी मृग नयनी राधा दामोदर की प्यारी॥

जाके रूप कहत नहिं आवैं गुन विचित्र सकुमारी।

मानो कछू पर्यौ धन आखरि विधना रच्यो संवारी॥

प्रीति परस्पर ग्रंथि न छूटे ब्रजजन रहे बिचारी।

परमानंददास बलिहारी मानो सांचे ढारी॥

 बहुत बेर के भूखे हो लाल

 Parmanand das ke Pad 

बहुत बेर के भूखे हो लाल जेबों कछुइक लेहो बलैया।

जो तू कह्यो न माने हों अपनेहलधर जू की मैया॥

दोरी जाय कंठ लपटाने तू कह मैया मेरो कनैया।

गोद बैठ हरि जेंवन लागे परमानंद दास बलि जैया॥

 कापर ढोटा करत ठकुराई

 Parmanand das ke Pad 

कापर ढोटा करत ठकुराई।

तुमतैं घाटि कौन या ब्रज में नंदहु ते बृखभान सवाई॥

रोकत घाट बाट मधुवन को ढोरत माट करत लै बुराई।

निकसि लै हौ बाहिर होत ही लंपट लालच किये पत जाई॥

जान प्रवीन बड़े को ढोडा सो सुध तुम कहां बिसराई।

परमानंददास को ठाकुर दै आलिंगन गोपी रिझाई॥

 बलिराजा को समर्पन सांचो

 Parmanand das ke Pad 

बलिराजा को समर्पन सांचो।

बहुत कह्यो गुरु सुक्र देवता मन दृढ़ आप नहीं कांच्यो॥

जग्य करत है जाके कारने सो प्रभु आपहि जांच्यो।

परमानंद प्रसन्न भये हरि जो जनकौं जानत हैं सांच्यौ॥

 मनावत हार परी माई

 Parmanand das ke Pad 

मनावत हार परी माई।

तू चट ते मट होति नहि राधे उन मोहि लैन पठाई॥

राजकुमारी होय सो जाने के गुरु सीख सिखाई।

नंद नंदन कौ छांडि महातम अपनी रार बढ़ाई।

ठोढ़ी हाथ दे चली दूतिका, तिरछी भौंह चढ़ाई।

परमानंद प्रभु करूंगी दुल्हैया, तौ बाबा की जाई॥

 अब जानि मोहि मारो नंदनंदन

 Parmanand das ke Pad 

अब जानि मोहि मारो नंदनंदन हौं ब्याकुल भई भारी।

कहत ही रहत, कयौ नहिं मानत देखे नये खिलारी॥

काल्हि गुलाल पर्यो आंखिन मंह अजहूं नहि सारी।

परमानंद नंद के आंगन खेलत ब्रज की नारी॥

 देखो गोपाल की आवनी

 Parmanand das ke Pad 

देखो गोपाल की आवनी।

कमल नेंन श्याम सुंदर मूरत मन भावनी॥

वरुहा चंद सीस मुकुट गुंजा मन लावनी।

परमानंद स्वामी गुपाल अंग अंग नचावनी॥

 मोहन जेमंत छाक सलोनी

 Parmanand das ke Pad 

मोहन जेमंत छाक सलोनी।

सखन सहित हुलसे दोऊ भैया झपट करतें दोहनी॥

आछे फल लें चाखत चाहत हरकी कोनी।

परमानंद प्रभु कहत सखन सों पहले कीनी बोहनी॥

 ब्रजबसि बोल सबन के सहिये

 Parmanand das ke Pad 

ब्रजबसि बोल सबन के सहिये।

जो कोउ भली बुरी कहै, लाखे, नंद नंदन रस लहिये।

अपने गूढ़ मतै की बातैं, काहू सों नहिं कहिये।

परमानंद प्रभु के गुन गावत, आनंद प्रेम बढ़ैये॥

 उधौजू, मन की मनहिं रही

 Parmanand das ke Pad 

उधौजू, मन की मनहिं रही।

पंचमुख दृग आठ जाके द्वादस चर न यही।

आठ नारी छै भरतारी जुगल पुरुष इकनारी गही।

चारि वेद दुहि ललौ सांवरी नैनन सेन दई॥

परमानंददास के प्रभु पै यों पीवत है यही॥

 आज मदन महोत्छव राधा

 Parmanand das ke Pad 

आज मदन महोत्छव राधा।

मदन गोपाल बसंत खेलत है नागर रूप अगाधा॥

तिथि बुधवार पंचमी मंगल रितु कुसुमाकर आई।

जगत विमोहन मकरध्वज को जहां तहां फिरि दुहाई॥

मन्मथ राज सिंघासन बैठे तिलक पितामह दीनों।

छत्र चंवर तूनीर संख धुनि विकट चापकर लीनों॥

चलो सखी तहां खेलन जैये हरि उपजावत प्रीति।

परमानंद दास को ठाकुर जानत हैं सब रीति॥

 तेरे जिय बसत गोविंद पैयां

 Parmanand das ke Pad 

तेरे जिय बसत गोविंद पैयां।

काहे को अब दुराव करत हेरी मोसों जानत हूं परखत परछैयां॥

दृष्टि सुभाव जनवत हों भामिन सोई जकलाग रही मन महींयां।

परमानंद स्वामी की प्यारी हाव भाव दे चली गल बहीयां॥

 अपने हाथ कंस मैं मारो

 Parmanand das ke Pad 

अपने हाथ कंस मैं मारो।

हंसि गोपाल कहत ग्वालन सौं रंगभूमि में डार्यौ॥

अहो बलराम अहो श्रीदामा आज रात को सपनो।

हम तुम सबनि गये मधुपुरी मिल्यौ जाति कुल अपनो॥

प्रातकाल भयौ अब तौ आज संध्या पठयो दूत।

परमानंद प्रभु भावी भाखी भयो चलन कों सूतं॥

 छांड़ो मेरे लाल अजहुँ लरकाई

 Parmanand das ke Pad 

छांड़ो मेरे लाल अजहुँ लरकाई।

यही काल देखिकैं तोकों ब्याह की बात चलावन आई॥

हरि है सास सुसर चोरी तें सुनि हंसि हैं दुल्हैया सुहाई।

उबटि न्हवाय गूंथि चुटीया बल देख भलो बर करि हैं बड़ाई॥

मात वचन सुन बिहंसि बोले दे भई बड़ी बेर कालि तो तांई।

जब सोवै, काल तब है नयन मूंदत, पौढ़े कन्हाई॥

उठि कह्यौ भोर भयो झंगुली दै मुदित मन लिख आतुरताई।

बिहंसे गोपाल जान परमानंद सकुच चले जननी उर भाई॥

 सुआ पढ़ावत सारंग नैंनी

 Parmanand das ke Pad 

सुआ पढ़ावत सारंग नैंनी।

बदत संकेत लाल गिरिधर को गरजत गुप्त निकट मत केनी॥

अहो कीर तुम नील बरन तन नेक चिते मम बुध हर लेंनी।

होत अवेर जात दिनमनि यह हम तुम भेट होयगी गेंनी॥

तब लग तुम जो सिधारे सधन बन हों जु गई जमुना जल लेंनी।

परमानंद लाल गिरिधर सों मृदु बचनन चाहत पिकबेंनी॥

 निदंक मारिये त्रास न कीजै

 Parmanand das ke Pad 

निदंक मारिये त्रास न कीजै।

नाहिन दोष सुनहु नंदनंदन आपुन मधुपुरी लीजै॥

यहै धर्म नित प्रति स्रुति गावैं संतन कौं सुख दीजै।

दानव सेन समुद्र बढ्यो है सो अगस्त ज्यों पीजै॥

कहत ग्वाल सब हरि के आगै जदुकुल आनंद छीजै।

परमानंद स्वामी सुख सागर सो करि आनंद जीजै॥

 मोहन लई बातन लाई

 Parmanand das ke Pad 

मोहन लई बातन लाई।

खेलन मिसआऊं तेरे राखि दूध जमाई॥

कनक बरन सुढार सुंदर देखि मुरत मुसिकाई।

रूप राधे स्याम सुंदर नैन रहे अरुझाई॥

गुपुत प्रीति जिन प्रकट कीजै लाल रही अरगाई।

दास परमानंद संग लै चलु नांतर परति पांई॥

 हरि को टेरत फिरत गुवारी

 Parmanand das ke Pad 

हरि को टेरत फिरत गुवारी।

आन लेहु तुम छाक आपनी बालक बलि बनवारी॥

आज सबेरे कियो न कलेऊ बछरा ले वन धाये।

मेवा मोदक मैया जसुमति मेरेई हाथ पठाये॥

जब यह बानी सुनी मनोहर चल आये ता पास।

कीनी भली भूख जब लागी बलि परमानंद दास॥

 गोपालै माखन खान दै

 Parmanand das ke Pad 

गोपालै माखन खान दै।

बांह पकरि कर उहां लै जैहों मोहि जसोदा पैं जान दै॥

सुनरी सखी मौन है रही सगरो बदन दह्यो लपटान दै।

उनत जाय चौगुनों ले हौं नयन तृस बुझान दै।

जो कहति हरि लरका है सुनत मनोहर कान दै।

परमानंद प्रभु कबहूं न छांडूं राखोंगी तनमन प्रान दै॥

 आज धरे गिरिधर पिय धोती

 Parmanand das ke Pad 

आज धरे गिरिधर पिय धोती।

अति झीनी अरगजा झीनी पीतांबर घन दामिनी ज्योती॥

टेढ़ी पाग श्याम सिर शोभित अंग अंग अद्भुत छवि छाई।

मुक्ता माल फूली वन आई परमानंद प्रभु सब सुख दाई॥

 आज भूख अति लागी रे बाबा

 Parmanand das ke Pad 

आज भूख अति लागी रे बाबा।

भोजन भयौ अघानो नीकौ तृपति होय रुचि भागी॥

अचवन को यमुनोदक लैके आई परम सुहायी।

भोजन अंत सीत अति ‘परमानंद' दीजिये मेरी आंगी॥

 आवहुरे आवहुरे ग्वालो

 Parmanand das ke Pad 

आवहुरे आवहुरे ग्वालो या पर्वत की छहियां।

गावहु नाचहु करहु कुलाहल जिन डरपहु मन महियां॥

जिन तुम्हरी पकवान जो खायो अब सोइ रच्छा करिहै।

परमानंददास को ठाकुर गोवर्धन कर धरिहै॥

 माधौ भली जुकरति मेरे द्वारे

 Parmanand das ke Pad 

माधौ भली जुकरति मेरे द्वारे कै पाऊं धारत।

सांझ संवारे देखत हौं हीयो भरि प्रीति के भूखे मेरे लोचन आरत॥

बोलत यामें नागरता नितप्रति उठि चित लगति विचारत।

यह जुमती गृहपति नहिं जानत प्रीतम मिलन हिज गोसुत चारत॥

कुनित बेनु सुनि खग मृग मोहे मुनि मनसा समाधि टारत।

परमानंद प्रभु चलत ललित गति वासर जात ब्रजताप निवारत॥

 आछे बने देखों मदन गोपाल

 Parmanand das ke Pad 

आछे बने देखों मदन गोपाल।

बहुत फूल फूले नंद नंदन तुम को गूथूंगी माल॥

आय बैठो तरुवर की छैयां अंकुज नैन विशाल।

नैंक बयार करों अंचल की पाय पलोटोंगी बाल॥

आछें तब राधा माधों सों बोलत बचन रसाल।

परमानंद प्रभु यहां ही रहो ब्रज तें और नहीं चाल॥

 आई हूं अबहीं देख सुभग सुंदर

 Parmanand das ke Pad 

आई हूं अबहीं देख सुभग सुंदर भेख ठाड़ो लरका एकरूप को भी वरो।

परदनी फवत पटुका कंठ पर रुरत कर उनमात माई बदन नांई भांवरो॥

नीर यमुनातीर भर धरि गागर जबहीं उठाय देत देखत सब गांव रो।

टोकत आवतजात नर नारी कहत युं कियो कारज भलो भरत नहीं भा भरो॥

टरत कैसे अंक लिख्यो मम भाग्य में कहेवो करो को उधरत केरो नांव रो।

दास परमानंद नंदन कुंवर हृदय में बस तमाई मेरे री सांवरो॥

 जीत्यौ री जीत्यौ नंद नंदन

 Parmanand das ke Pad 

जीत्यौ री जीत्यौ नंद नंदन व्योम दमामे बाजे।

बरषत कुसुम देवगन गावत रितु बरषा ज्यों गाजे॥

नाचत ग्वाल बजावत मुरली रंग भूमि में राजे।

मल्ल पछारि कंस सिर तोर्यो नौतन भूषन साजे॥

तबहू हम आनंद में रहते मदन गोपाल निवाजे।

परमानंद प्रभु गोधन चारत डोलत कानन भाजे॥

 मदन गोपाल बलैये ले हौं

 Parmanand das ke Pad 

मदन गोपाल बलैये ले हौं।

बृंदा बिपिन तरनि तनया तट चलि ब्रजनाथ अलिंगन देहौं॥

सघन निकुंज सुखद रति आलय नव कुसुमनि की सेज बिछैहौं।

त्रिगुन समीर पंथ पग बिहरत मिलि तुम संग सुरति सुख पैहों॥

अपनी चौंप ते जब बोलहुगे तब गृह छांड़ि अकेली ऐहों।

परमानंद प्रभु चारू वदन कौ उचित उगार मुदित है खैहों॥

 जय जय श्री नरसिंह हरी

 Parmanand das ke Pad 

जय जय श्री नरसिंह हरी।

जय जगदीस भगत भय मोचन खंभ फारि प्रकट करुना करी॥

हिरनकसिपु को नखत बिदार्यो तिलक दियो प्रह्लाद अभय सिर।

परमानंददास को ठाकुर नाम लेत सब पाए जात जर॥

 सिर धरे परवौवा मोर के

 Parmanand das ke Pad 

सिर धरे परवौवा मोर के।

गुंजा फल फूलन के लटकन सोभित नंद किसोर के॥

ग्वाल मंडली मध्य विराजत कौतिक माखन चोर के।

नाचत गावत बेंन बजावत अंस भुजा सखी ओर कै॥

तेसेई फरहसत रंग भीने छवि पीतांबर छोर के।

परमानंददास को ठाकुर हरत नेंन की कोर के॥

 तुमकों टेर-टेर हों हारी

 Parmanand das ke Pad 

तुमकों टेर-टेर हों हारी।

कहां जो रहे अब लों मनमोहन ले हों न छाक तुमारी॥

भूल परी आवत मारग में पेंडो पायो।

बूझत बूझत यहां लों आई जब तुम बेन बजायो।

देखो मेरे अंग को पसीना उर को अंचल भीनों।

परमानंद प्रभु प्रीतजान के धाय आलिंगन दीनों॥

 गोविंद ग्वालिन ठगौरी लाई

 Parmanand das ke Pad 

गोविंद ग्वालिन ठगौरी लाई।

बंसी बट जमुना के तट मुरली मधुर बजाई॥

रह्यौ न परै देखे बिनु मोहन अलप कलप समजाई।

निस दिन गोहन लागी डोलै लाज सबै बिसराई॥

उठत बैठत सोवत जागत जपत कन्हाई कन्हाई।

परमानंद स्वामी मिलबैं कौं और न कछू सुहाई॥

 भयो नंदराय के धर खिच

 Parmanand das ke Pad 

भयो नंदराय के घर खिच।

सब गोकुल के लरकन के संग बैठे हैं आये बिच॥

परोसि थार घरे लै आगे सद मांखन घी खिच।

परमानंद प्रभु भोजन कीनौ अति रुचि मांग्यो इछ॥

 जागो मेरे लाल जगत उजियारे

 Parmanand das ke Pad 

जागो मेरे लाल जगत उजियारे।

कोटि मदनवारों मुसकन पर कमलनैन के तारे॥

संग लेहु ग्वाल बाल और बच्छ सब यमुना के तीर

जिन जाओ मेरे प्यारे।

परमानंद कहत नंदरानी दूर जिन जाओ मेरे ब्रज रखवारे॥

 चैत्र मास संवत्सर परिवा

 Parmanand das ke Pad 

चैत्र मास संवत्सर परिवा बरस प्रवेस भयौ है आज।

कुंज महल बैठे पिय प्यारी लाल तन हेरैं नौतन साज॥

आपु ही कुसुमहार गुहि लीने क्रीड़ा करत लाल मन भावत।

बीरी देत दास परमानंद हरखि निरखि जस गावत॥

 देव जगावत जसोदा रानी

 Parmanand das ke Pad 

देव जगावत जसोदा रानी बहु उपहार पूजा कै करिकै।

इच्छु दंड मंडप पोहपन के चौक चहुं दिसि दीवा धरिकै॥

ताल पखावज भेरि संख धुनि गावत निसि मिलि जागरन करिकैं।

धूप दीप करि भोग लगावत दै पोहपावलि अंजलि भरिकैं॥

घृत पकवान रुचिर परम रुचि बिंजन सगरे सुधरे सरकैं।

परमानंद जगदीस बिराजैं गोकुलनाथ सुमरि पद हरिकैं॥

 दानघाटी छाक आई गोकुलते

 Parmanand das ke Pad 

दानघाटी छाक आई गोकुलते कावर भर रावल के रावरे नेरा राखी सब घेर।

जानतो जबहीं देहों नंदजू की आन खेहों भोजन की रही न चाखों एकही बेर॥

अति प्रवीन जान राय कनक बेला कर में लिये बांटत में वामन प्रसन्न हेरत चहुंफेर।

सकल पाक परमानंद आरो गत परमानंद टोककरत सुबल टेर टेर॥

 गोवर्धन पूजि कै घर आये

 Parmanand das ke Pad 

गोवर्धन पूजि कै घर आये।

जननी जसोदा करत आरती मोतिन चौक पुराये॥

मंगल कलस विराजित द्वारे वंदनिवारि बनाये।

परमानंद गिरिधर गिरि पूज्यौ भोजन मन भाये॥

 कैसो माई अचरच उपजै भारी

 Parmanand das ke Pad 

कैसो माई अचरच उपजै भारी।

पर्वत लियो उठाय अकेलै सात बरस को बारौ॥

सात द्यौस निसि इकटकही याने बाम पानि पर धार्यो।

अति सुकुमार कुंवर नंद कैसे बोझ सहार्यो॥

बरखे मेघ महाप्रलय के तिनते घोष उबार्यो।

गोधन ग्वाल गोप सब राखे सुरपति गरब प्रहार्यो॥

भगत हेत अवतार लेत प्रभु प्रकट होत जुग चार्यो।

परमानंद प्रभु की बलि जैये जिन गोवर्धन धारयो॥

 मति गिरि! गिरै गोपाल के करते

 Parmanand das ke Pad 

मति गिरि! गिरै गोपाल के करते।

अरे भैया ग्वाल लकुटिया टेकी अपने अपने कर के बलते॥

सात द्यौस मूसलधार बरख्यौ बूंद न परी एक जलधरतें।

गोपी ग्वाल नंद सुराखे बरसि बरसि हार्यौ अंबर तें॥

अंतरिच्छ जल जयो सिखर पर नंदनंदन को कोप अनलतें।

परमानंद प्रभु राखि लियो ब्रज अमरापति आयो पायन परतें॥

 हरि ही बुलावो भोजन करन

 Parmanand das ke Pad 

हरि ही बुलावो भोजन करन।

खेलत वार भई मनमोहन गिरि गोवर्द्धन धरन॥

बैठे नंद बाट जोहत हैं ताती खीर सिराय।

बालक सकल संग ले आये कहत जसोदा माय॥

आज दूध रंधन अधिकाई सुन ले कुंवर कन्हाइ।

परमानंद प्रभुबल समेत तुम बेण चलो उठ धाइ॥

 गोपाल माई कानन चले सवारे

 Parmanand das ke Pad 

गोपाल माई कानन चले सवारे।

छीकें कांधे बांधि दधि ओदन गोधन के रखवारे॥

प्रात समय गोरंभन सुनि कै गोपन पूरे सिंग।

बजावत पत्र कमल दल लोचन जानो उठि चले भृंग॥

करतल बेनु लकुटिया लीनी मोर पंख सिर सोहै।

नटवर भेष बन्यो नंद नंदन देखत सुर नर मोहै॥

खग मृग तरु पंछी सचु पायो गोप बधू बिलखानी।

बिछुरत कृष्ण प्रेम की वेदन कछु परमानंद जानी॥

 भोगी के दिन अभ्यंग स्नान करि

 Parmanand das ke Pad 

भोगी के दिन अभ्यंग स्नान करि साज सिंगार स्याम सुभग तन।

पुनि फूलि तिलवा भोग धरि कै परम सुंदर आरोगावत सब निजजन॥

स्त्री धन स्याम मनोहर मूरत करत बिहार नित ब्रज वृंदावन।

परमानंददास को ठाकुर करत रंग निस दिन॥

 लटपटी पाग बनी सिर आज

 Parmanand das ke Pad 

लटपटी पाग बनी सिर आज।

टेढ़ी धरी चंद्रिका सुंदर भई मन्मथ मन लाज॥

नखसिख बानिक कहत न आवे लटपटे भूखन साज।

परमानंददास को ठाकुर नवल कुंवर ब्रजराज॥

 आज कुहू की रात माधौ

 Parmanand das ke Pad 

आज कुहू की रात माधौ दीप मालिका मंगल चार।

खेलौ द्यूत सहित संकर्षन मोहन मूरति नंदकुमार॥

कहत जसोदा सुनो मन मोहन चंदन लेप सरीर करो।

पान फूल चोवा दिव्य अंवर मार मिला लै कंठ धरो॥

गोक्रीड़न पुनि कान्ह होयगो नंदादिक देखेंगे आया।

परमानंददास संग लीने खिरक खिलावत धौरी गाय॥

 यह मेरे लाल कौ अनप्रासन

 Parmanand das ke Pad 

यह मेरे लाल कौ अनप्रासन।

भोजन दच्छना बहुत प्रियजन कौ देहू मनिमय आसन॥

पायस भरि कर पल्लव लैहों सब गुरुजन अनुसासन।

परमानंद अभिलाख जसोदा बेगि बढ़ै खटमासन॥

 ता दिलतें मोहि अधिक चटपटी

 Parmanand das ke Pad 

ता दिलतें मोहि अधिक चटपटी।

जा दिनते मोहि देख री इन नेंनन गिरिधर बांधे री पाग लटपटी॥

चले री जात मुसकात मनोहर हंस जो कही एकबात अटपटी।

सुन श्रवनन भई अति व्याकुल परी हैं हृदे मेरे मन जो सटपटी॥

कहा री कहों गुरुजन गये बैरी पर्यो मोसों करत खट पटी।

परमानंद प्रभुरूप विमोही नंद नंदन सों रूप जटी॥

 जेंमत नंद गोपाल खिजावत

 Parmanand das ke Pad 

जेंमत नंद गोपाल खिजावत।

पहर पन्हैंया बावाजू की निपट निकट डर पावत॥

ब्रजरानी बरजत गोपाल हरें हरें ढिंग आवत।

परमानंददास को ठाकुर पूत बबा कों भावत॥

 ग्वाल कहत सुनो हों कन्हैया

 Parmanand das ke Pad 

ग्वाल कहत सुनो हों कन्हैया।

धर जेबे की भई बिरीयां दिन रहयो घड़ी द्वैया॥

शंखधुन सुन उठे हैं मोहन लावो हो मुरली कहां धरैया।

गैया सगरी बगदावो रे घरको टेर कहत बलदाऊ भैया॥

कंदमूल फलतर मेवा धरी ओटि किये मुरकैया।

अरोगत व्रजराय लाडिला झूंटन देत लरकैया॥

उत्थापन भयो पहोर पाछलो ब्रज जन दरस दिखैया।

परमानंद प्रभु आये भवन में शोभा देख बल जैया॥

 आछो नीको लोनो मुख भोर ही दिखाइये

 Parmanand das ke Pad 

आछो नीको लोनो मुख भोर ही दिखाइये।

निसिके उनिंदे नैना तोतरात मीठे बेना भामते जिय के मेरे सुख ही बढ़ाइये॥

सकल सुख के करन त्रिविध ताप हरन उर को तिमिर बाढ्यो तुरत नसाइये॥

द्वार ठाड़े ग्वाल बाल कीजिए कलेऊ लाल मीसी रोटी छोटी मोटी माखन सों खाइये।

तनको मेरो बारो कन्हैया वार फेर डार मैया बेनी तो गुही बनाय गहरन लाइए।

परमानंद प्रभुजननी मुदितमन फूली-फूली-फूली अंग-अंग न समाईए॥

 हम नंद नंदन राज सुखारे

 Parmanand das ke Pad 

हम नंद नंदन राज सुखारे।

सबै टहल आगेई भुज बल गाय गोप प्रतिपारे॥

गोधन फैलि चरत बृंदावन राखत कान्ह पियारो।

सुरपति खुनस करी ब्रज ऊपर आपुन सोपचि हार्यो॥

गोपी और ग्वाल बनि आये अब बड़ भाग हमारे।

परमानंद स्वामी सरनागत सब जंजाल निवारे॥

परमानंद दास परिचय 

परमानन्ददास (जन्म संवत् १५५०) वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक कवि जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया। इनका जन्म काल संवत १५५० के आसपास है। अष्टछाप के कवियों में प्रमुख स्थान रखने वाले परमानन्ददास का जन्म कन्नौज (उत्तर प्रदेश) में एक निर्धन कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके ८३५ पद "परमानन्दसागर" में हैं।

अष्टछाप में महाकवि सूरदास के बाद आपका ही स्थान आता है। इनके दो ग्रंथ प्रसिद्ध हैं। ‘ध्रुव चरित्र’ और ‘दानलीला’। इनके अतिरिक्त ‘परमानन्द सागर’ में इनके ८३५ पद संग्रहीत हैं। इनके पद बड़े ही मधुर, सरस और गेय हैं। 


Parmanand das ji ke pad
Parmanand das ji krishna ji ke sammukh


No comments:

Featured post

हिंदी भजन लिरिक्स | भजन-संग्रह | Bhajan Lyrics in Hindi

लोकप्रिय हिंदी भजन लिरिक्स विभिन्न कलाकारों , भक्त कवियों और संतों द्वारा गाए और रचाए गए भजन गीत भक्ति गीत का लिखित संग्रह क्लिक कर पढ़ें एवं...

Labels

Aakhari Kalaam Aalam Sheikh Kavita Aansu Aao Aao Yashoda Ke Laal Aao Rama Bhog Lagao Shyama Aaradhya Shri Ram lyrics Aarti Geet Aawazon Ke Ghere Ab Kripa Karo Shri Ram Nath Dukh Taaro acharya ramchandra shukla Achyutashtakam lyrics Ada Jafri ada Zafri Adam Gondvi Adeem Hashmi Ghazal Adil Mansuri Ghazal ae maalik tere bande Agam Singh Giri Agyatvaas Katha Ahmad Mushtaq Ghazal Ahmed Faraz Ghazal Ahmed Nadeem Qasami Ghazal ai ishq hamein barbaad na kar Aisi Bhole Ki Re Chadhi Hai Baraat Aitbar Sajid Ghazal Ajneya ke quote Akbar Allahabadi Akbar Allahabadi Ghazal Akbar Allahabadi Ke Kisse Akbar-Birbal Akharavat Akhilesh Tiwari Ghazal Akhtar Shirani Ghazal AKHTAR SHIRANI NAZM AKHTARUL IMAN NAZM Akshay Upadhyay ki Kavita Albeli Ali ke Pad Ali Sardar Jafri Ghazal Allama Iqbal Ghazal Alok Dhanwa Kavita amarkant poet stories Ambika Datt Vyas Ameer Minai Ghazal ameer minai ghazals Amir Khusrow Dohe- Kavita-geet-paheliya Ana Qasmi Ghazal Anamika Anamika Suryakant Tripathi "Nirala" kavita Anand Bakshi Andher Nagri Chaupat Raja Angika Bhakti Geet Angika Bujoval Geet Angika Fekda Angika Koshi Geet Angika Lokgatha Angika Lori Geet- Lokgeet Angika Manon Geet Angika Ritu Geet Angika Sohar Geet Anjana Bhatt Ankhiyan Hari Darshan Ki Pyasi Ankita Jain Anmol Vachan Sangrah Hindi Anoop Jalota Ansar Kambari Ghazal Arjundas Kediya Arun Kamal Kavita ashaar Ashok Anjum Ghazal Ashok Anjum ghazals Ashok Chakradhar Ashtak ashtakam Asrar Ul Haq Majaz Ghazal Asrarul Haq Majaz Asrarul Haq Majaz ke kisse atal bihari vajpayi Ath Shri Krishnashtakam lyrics Ath Shri Shiv Ashtakam lyrics Atha Shri Ganeshashtakam lyrics athaniyan kahani Atima Awadhi lokgeet Ayodhya Singh Upadhyay Harioudh Kavita Aziz Azad Aziz Bano Darab Wafa Aziz Lakhnavi Aziz Warsi Baal Ali Baal Geet Baal Mahabharat Katha baal sahitya baalgeet baanke bihari ji ashtak baas kahani baba kavne nagariya bachchon ke gaane Bada Natkhat Hai Re Badhawa Geet Bagheli Lokgeet Bahadur Shah Zafar Ghazal Baiga Geet Baiga Lokgeet Bairisal Bakhna Banarasi Das ke Chhappay. Banarasi Das ke Kavitt Banarasi Das ke Pad Banarasi Das ke Sawaiya Bangla Geet Bangla Lokgeet Barahmasa Geet Barahmasi Geet Bari Aatik Geet Barve Ramayan Ji Bashar Nawaz Ghazal Bashir Badra Bashir Badra ke Kisse Batgamni Geet Beet Gaye Din lyrics Bekal Utsahi Bekal Utsahi Ghazals Betal Pachchisi Bhadawari lokgeet Bhagavad Gita Bhagavad Gita Chapter Bhagavad Gita Hindi Bhagwan Meri Naiya lyrics Bhagwati Charan Verma Bhagwwat Rasik Bhaj Man Mere Ram Naam bhajan bhajan lyrics bhajan lyrics in hindi bhajan sangrah bhajan-pad-mishrit Bhakt Rupkala Bhakt Surdas Ji bhaktikaal kavi bhakto ke dohe Bhanubhakta Acharya Bharat Bhushan Agrawal Bharat Bhushan Agrawal kavita Bharat Durdasha Bharatendu Harishchandra Bharatendu Harishchandra Ghazal Bharatendu Harishchandra Kavita Bheel Geet Bheru Bhairav Geet Bhil Lokgeet Bhojpuri Geet bhojpuri rakhi geet Bhole Nath ke Bhajan Bhupati Kavi ke Dohe Bhupi Sherchan Bihari bimalda kahani bindu je ke bhajan bindu ji maharaj rachna Bindu Ji Rachna Biography Birha Geet Biyah se Diragaman Geet Brij Narayan Chakbast Budhesar Biyah Geet Budhjan Bulla Sahab bulle shah Bundeli Banna Geet Bundeli Dadre Geet Bundeli Faag Geet Bundeli Gali Geet Bundeli Sohar Geet Bundeli Varsha Geet Chacha Hit Vrindavandas Chalisa Likhi hui Chalisa Lyrics chalisa lyrics hindi chalisa sangrah Chalo Re Sakhiyan lyrics Chanakya Chand Bardai's Doha Chand Bardai's Pad Chand Bardai's Raso Kavya Chandrakant Devtale Kavita Chandrakant Devtale poem Chandrakanta Upanyas Chaturbhuj Das ke Pad Chaturbhujdas Chaturthi Geet Chaumasa Geet Cheegat Geet Chetavar Geet Chhainya Chhainya Chhamasa Geet Chhatisgarh Lokgeet Chheehal Panch Saheli Geet Chhitswami ke Pad. छीतस्वामी के पद Chhitswami Pad Chhotelal Das Ji Ke Bhajan Children Stories Chitradhar Chitswami ke pad Chuhar Chori Pakaria Geet couplet Daag Dehalvi Daag Dehalvi ke kisse Dadu Dayal Dadu Dayal Bhajan dadu ke bhajan Dahkan Geet Damad Geet Dariya Bihar Wale das paise aur dadi Data Ram Diye Hi Jata daya kar daan Dayabai Dayaram Deendayal Giri deshbhakti kavita Devadas Devendra Kumar Bangali Devi Geet Devi Jagdamba Geet Devi-Devataak Geet Devkinandan Khatri Novel Devsen Dhanna Bhagat Dharmvir Bharti Dharmvir Bharti kavita Dharmvir Bharti poetry Dharnidas Bhajan Sangrah Dhol Nagada Dhruvdas ke Dohe Dhruvdas ke Pad Dhruvdas ke Savaiyya dhuan kahani Dinbandhu Deenanath dingal kavi Diva Ni Divete Doha doha of vidhyapati Dohawali Dohe dohe gurujan ke Dohe Of Bulleh Shah Dohe Sant Guru Ravidas Droupadi Swyamvar Katha Dukhiyaon Ke Dukhh Door Dukhiyaon Ke Dukhh Door Kare Dularelal Bhargav Dulha Ram Siya Dulhi Ri Dushyant Kumar Dushyant Kumar Kavita ek hajar naam Ek Kanth Vishpayi Ekadashi Geet Ekadashi Story Hindi Ekadashi Vrat Katha ekadsahi vrat katha Faag Geet faag languriya bhadawari Faagu Geet Fahmida Riaz Nazm Fairy Tales India famous poetry akbar allahabadi Firak Gorakhpuri Firaq Gorakhpuri Ghazal Firaq Gorakhpuri Ke Kisse folk lore Folk Song Lyrics folk song lyrics rajasthani Folk Stories Folk Tales Fulwari Darshan Geet funny poetry Gadadar Bhatt ke Pad Gadhwali Geet gadhwali kavya Gaiye Ganpati Jag Vandan lyrics Ganpati Bappa Ki Jai Bolo Ganpati Ganesh garhwali kavya rachnaen Garibdas Gaurik Geet Gavri Bai Gawribai Gazal Geet Geet Lyrics geeta rabari top ten Ghajal Ghazal Ghazal aur SHayari Ghazal of amir minayi ghazal of poet akbar allahabadi ghazal writer Ghazals Ghazals of Akbar Hyderabadi Ghazals of Akhilesh Tiwari Ghazals of Azhar Inayati Ghazals of Bashar Nawaz Ghazals of Fahmida Riaz Ghazals of Hasrat Mohani Ghazals of Mohammad Rafi Sauda Ghazals of Shaad Azimabadi Ghazals of Shahryar Ghazal Ghazals of Shakeel Azmi Ghazals of Shakeel Badayuni Ghazal शकील बदायूनी की ग़ज़लें Ghazals of Waseem Barelvi Ghazl Ghzal Giridharan gitawali God Kavita Poem Poetry Gond Lokgeet Gopal Bhand Gopal Das Neeraj Gopal Sharan Singh Gopal Singh Nepali Gopi Geet Hindi goswami tulsidas ji Govind Swami ke Pad Gramya Gujarati Lokgeet Gujrati Lokgeet Gulzar Gulzar Ghazal Gulzar Ghazals Gulzar introduction gulzar ki kahaniyan Gulzar Sangrah Gunjan Guru Aagya Mein Nish Din Rahiye Guru Amardas Guru Angad Dev Guru Angad Dev Ji Salok Guru Nanak guru nanak dev Guru Nanak Dev Ji Guru Nanak Ke Sabad Guru Tegh Bahadur Gwalari Geet Gyanendrapati Kavita Habib Jalib Habib Jalib Nazm ham honge kaamyab hamko man ki shakti Hanuman Bahuk har desh mein tu Har Saans Mein Har Bol Mein lyrics Hari Bhajan Bina Sukh Shanti Nahi Hari Tum Haro Jan Ki Bheer Haridas Ke Pad Harihar Prasad hariodh Hariom Panwar Hariram Vyas ke Pad Harishankar Parsai Ke Vyangya Harivyas Dev Hariyanvi Lokgeet hariyanvi village songs haryanvi folk song Hasya Vyang Sangrah Hasya Vyangya Urdu ke He Govind Rakho Sharan lyrics he prabho aanand He Re Kanhiya lyrics He Rom Rom Mein Basne Wale Ram lyrics He Rom Rom Mein lyrics he shaarde ma Hemchandra Himachal Ke Lokgeet hindi chalisa lyrics hindi dohe hindi font ghazal hindi kahani hindi kahani for kids hindi kahani premchand hindi kahaniya hindi kavita hindi kids children story Hindi Lyrics Hindi Nibandh hindi poetry freedom hindi poetry of nirmala putul hindi prathna Hindi quote hindi satire hindi stories hindi story hindi story by gulzar Hindi story for kids hindi vyangya Hit Harivansh ke Pad Humein Nand Nandan Mol Liyo i Kavita Important Days incorrect words in hindi Indeevar Indraprasth Katha Insha Allah Khan Insha Ghazals in Hindi introduction Isuri itni shakti hamein Jaamun ka Ped Story Jaan Kavi Jaant Geet Jab Se Lagan Lagi Prabhu Teri Jai Jai Giribar Raj Kisori Jai Ram Ramaramanam Shamanam lyrics Jai Shankar Prasad Hindi Stories Jai Shankar Prasad Hindi Story Jaishankar Prasad Jalte Hue Van Ka Vasant Jamal kavi Jan Nisar Akhtar Janaki Mangal Janm Sanskarak Geet japur ji sahib Jasuram Jaswant Singh Jat Jatin Geet Jaun Elia Jaun Eliya Jeevan Singh Jhamdas Jharna Jharni Geet Jhummari Geet Jigar Moradabadi Jigar Moradabadi Ghazal Jigar Moradabadi Ke Kisse jogira geet John Eliyaa Joindu Joodiram Josh Malihabadi Josh Malihabadi ke Kisse Judiram Bhajan Kaafi Of Bulleh Shah Kabeer kabeer bhajan kabir bhajan Kabir Bhajan Sangrah Lyrics Kabir ke Bhajan Kabir Ke Dohe kafiya Kahani kahaniyan Kaifi Azmi Kailash Gautam kajli lokgeet Kajli lokgeet khari boli Kajri Geet Kaka Hathrasi Kala Aur Boodha Chand Kamayani Kanan-Kusum Kanauji Lokgeet Kanhiya Kanhiya Tujhe Aana Padega Karikanha Biyah Geet Karuna Bhari Pukar Sun kashmiri lok katha Kaushalya Rani Apne Lala Ko Dulrave Kavi Daulat Kavi Pradeep Lyrics kaviraja bankidas Kavit Kavita Kavita Sangrah kavita sangrah आवाज़ों के घेरे दुष्यन्त kavitaa Kavitt kaviyon ke dohe Kavya Natak Kedarnath Agrawa Kedarnath Singh Keshavdas ke Savaiya khadi boli wedding geet Khadi Ke Phool Khari Boli Lok Geet Khelauna Geet Khuman Bandijan Khumar Barabankvi Ghazal Kishan Saroj kiski kahani Kisse Kobar Geet Korku Geet Korku Lokgeet Kripanivas Kriparam Kriparam Khidiya sauratha Krishn Bihari Noor Krishna Bhajan Lyrics Krishna Chander krishna gitawali Krishnadas ke Pad kshatriya naai aur bhikhari ki kahani Kuch bhi ban bas kayar mat ban Kuchh Aur Nazmein Kumauni Lokgeet Kunkada Geet Kunwar Mahendra Singh Bedi ke Kisse Kunwar Narayan Kusma Haran Geet Kusumagraj Kutban ke Kadvak l Kavita Laakh ka Ghar Katha Laal Kavi ki Rachnaen Laalju Priyaju Naamavali Lachika Rani Lagni Geet Lalil Kishori Bhajan Lalitkishori Lalitmohini Dev Lalnath latife Latife बशीर बद्र के क़िस्से Latiife Laxmi Prasad Devkota Lehar Lekhnath Paudyal Llatiife Lok katha Lok-Katha Chhattisgarh Lok-Katha Manipuri Lok-Katha Uttarakhand Lokgeet Lokgeet Lyrics Lokpriya krishna bhajan lyrics Lyrics Lyrics from movie lyrics of kids song lyrics of krishna bhajan popular Ma Tara Ashirvad maa shaarde Madanashtak Rahim Madhujwal Madhurashtakam lyrics magahi geet magahi lokgeet maghi geet Mahadevi Verma Mahakavi poet kalidas mahakavya Mahalakshmiashtakam Mahapatra Narhari Bandijan Mahuak Geet Maithili Lokgeeet Maithili lokgeet Majaj Lakhnavi Ghazal Makhan Chor Makhanlal Chaturved Malaar Geet Malik Muhammad Jayasi Malukdas Malukdas Pad malvi ganesh geet malvi lokgeet Malvi Lokgeet lyrics in Hindi Man Tadpat Hari Darshan Ko Aaj lyrics manavta ke mandir MangalGaan Manikdeh Salhes Darshan Geet Manjhan ke Kadvak mansarovar story collection Manu Hariya Marathi Lokgeet Matiram Mayawi Sarovar Katha meer taqi meer ghazal meer taqi meer ghazals Meerabai Ke Bhajan Lyrics Meghdoot Mahakavi Kalidasa Meri Tan Heriye milti hai zindagi mein mohabbat mir taqi mir ghazal Mira Bai Ke Pad Mira ke Bhajan MiraBai pad explanation Mirza Ghalib MIRZA GHALIB Ghazal Mirza Ghalib Latiife Misc Poetry Misc. Poetry Gulzar Mishrit Geet Mitadas Mohan Momin Khan Momin moral story for kid Motiram Biyah Geet Motivational Story mrigavati Mubarak ke Dohe Muktak Mukund Madhav Govind Mulla Nasruddin Muna Madan Mundan Geet Munj munshi premchand Munshi Premchand kahani Munshi Premchand ke Upanyas munshi premchand ki kahani munshi premchand ki kahanni Munshi Premchand Quote Muztar Khairabadi Ghazal na tha kuchh to KHuda tha Nabhadas Nachyo Bahut Gopal Nagar-Shobha Rahim Nagaridas Nakta Geet nanakdev ji Nand Kishore lyrics Nanddas ji ka Pad Nanddas Ji ki Rachna Nandoi Geet Naqsh Layalpuri narendra sharma Narottamdas Ji Granth Nasir Kazmi Ghazal Nasir Kazmi Ghazal Ghazals नासिर काज़मी ग़ज़लें navgeet Nawaz Deobandi Nawaz Deobandi Ghazal Naye Subhashit Nazeer Banarasi Nazm Nazmein Nazms Nazms Of Fahmida Riaz Nepali Kavi Nida Fazli nimadi geet Nimari geet Nipat Niranjan Nirgun Geet Nirmala Putul Kavita निर्मला पुतुल की कविताएँ Nirmala Putul poem Noon Meem Rashid Ghazal Novel Obaidullah Aleem Ghazal old Wedding Song Paat Bhari Sahari Pabani Geet Pad pad Vyakhya Padawali Raidas Padmakar Padmavat Padmavati Pallav Panchtantra Hindi Kahani Pandav Dhritrashtra Katha Panwari Lokgeet Parba Pokhri Yagya Geet Parichay Parichhan Geet Parmanand das Parmanand das ke Pad Parsat Pad Pavan Parvati mangal Parveen Shakir Ghazal Parwati Mangal Paryayvachi Shabd patriotic poe patriotic poem patriotism hindi poem Pavas Geet Pawan Karan Kavita Pawan Karan pem Pawari Lok geet Pawari Lokgeet Phanishwar Nath Renu Phooli Bai Pirzada Qasim Ghazal Ghazals poem Poem for Kids Poems poet poetry poetry Pawan Karan popular ghazals Popular Poems of Manglesh Dabral Prabal Prem Ke Paale Prabhu Ko Bisar lyrics Prabhu Tero Naam prasidh bhajan prayer in hindi Premchand Stories Premlata Prithviraj Raso Puchhta kyon shesh kitni raat Puhkar bhaktikaal kavi Puhkar ke Dohe Pukhraj Punjabi folk song Punjabi Lokgeet Qateel Shifai Qita Quote quote in hindi Quote of Acharya Ramchandra Shukla Quote of Antonio Gramsci Quote of Bhuvaneshvar Quote of Chanakya Quote of Dharmveer Bharti Quote of Dhumil धूमिल के कोट्स उद्धरण Quote of Doodhnath Singh Quote of Elfriede Jelinek Quote of Gabriel Garcia Marquez Quote of Gajanan Madhav Muktibodh Quote of Ganganath Jha Quote of George Orwell Quote of Gorakh Pandey Quote of Gyanranjan Quote of Harishankar Parsai Quote of Hindi Poet Agyeya Quote of Jaishankar Prasad Quote of Jean Cocteau Quote of Kedarnath Singh Quote of Krishn Baldev Vaid Quote of Kunwar Narayan Quote of Mahatma Gandhi Quote of Malyaj Quote of Manglesh Dabral Quote of Manohar Shyam Joshi Quote of Mark Twain Quote of Mohan Rakesh Quote of Mridula Garg Quote of Namvar Singh Quote of Naveen Sagar Quote of Nirmal Verma Quote of Peter Handke Quote of Phanishwarnath Renu Quote of Premchand Quote of Rabindranath Tagore Quote of Raghuvir Sahay Quote of Rajkamal Choudhary Quote of Ranier Maria Rilke Quote of Trilochan Quote of Yun Fusse quotes Raag Halur Geet Raas Geet Raat Pashmine Ki Radha Krishna Bhajan Radha Raas Bihari Raghubar Tumko Meri Laaj Raghurajsingh Rahim ki Rachnaen Raidas Raja Mehdi Ali Khan Lyrics Rajasthani Geet Rajasthani Lokgeet Lyrics Rajasthani lyrics Rajasthani song lyrics in hindi Rajesh Joshi Rajinder Manchanda Bani Ram Bin Tan Ko Ram Birajo Hriday Bhavan Mein Ram Bolo Ram Ram Do Nij Charno Mein Sthaan Ram Kare So Hoy Re Manwa ram ki shakti pooja suryakant tripathi nirala Ram Prasad Bismil Ram Ram Kahe Na Bole Ram Sahay Das Ram Sumir Ram Sumir lyrics Ramagya Prashna Ramanath Awasthi Geet Ramashankar Yadav VIdrohi Ramavtar Tyagi Kavita Ramcharandas Ramcharitmanas Ramcharitmanas Tulsidas Ramdarsh Mishra Ramdarsh Mishra Kavita Ramdev Ji ke Geet Ramdhari Singh Dinkar Ramdhari Singh Kavyateerth Ramhi Ram Bas Ramhi Ramkumar Verma Ramrasrangmani Rasik Ali Raskhan Biography Raskhan ke Dohe Raskhan ke Savaiya Raskhan Poems Rasleen Rasnidhi Raso Kavya Ratnawali ravi par kahani Ravidas ji ke Shabad Ravindra Jain Ravindra Jain Hindi Geet Ray Deviprasad Poorn Ritu aa Parvak Geet Rom Rom Mein Rama Hua Hai lyrics RONA SER MA Roopsaras Ropani Geet Roti Geet Rukmani Sammari Geet Saanjh Geet Sabad Sagar Siddiqui sahastra naam sahastra namawali Sahir Ludhianvi Ghazal sahir ludhiyanvi Sahjobai Sain Bhagat Sakhin Madhya Siya Sohati Salhes Geet salok salok nanakdevji ke Sama Chakeba Geet Samdaun Geet Sammari Geet Sankata Mochana Hanumanashtaka Sanskrit lok geet Sanskrit Shlok Sant Babalal Sant Kavi Vrind sant keshavdas Sant Laldas ke Shabd aur Dohe Sant Parshuram Sant Peepa Sant Pipa Sant Ravidas Sant Ravidas ke Pad Sant Saligram Sant Shivdayal Singh Sant Shivnarayan sant surdas bhajan Sant Tukaram Sant Tukaram ke Pad Santhali Lokgeet santo ke dohe Saqi Faruqi saravati prathna Sarv Shaktimate Paramatmane satire Satyanarayan Kaviratn Savaiya Savaiyya Saveya Sawan Geet Sawan lokgeet khari boli school prayers Senapati ke Kavitt Shaad Azimabadi Ghazal Shaan Shabad Shabad Of Bulleh Shah Shabd Shabd Raidas Ji Shad Azimabadi Ghazal Shaharyar Ghazal Shahryar Ghazal Shail Chaturvedi Shail Chaturvedi Kavita Shailendra Shakuni Pravesh Katha shalok Shambhunath Singh Sharan Mein Aaye Hain lyrics Shariq Kaifi Shaukat Thanvi Shaukat Thanvi ke Kisse Shayari shayari of ameer minai Sheikh Chilli Sher Sher Shayari on Various Topics Shiv Ashtakam lyrics Shiv Bhajan Lyrics Shiv Sampati Shivji Ka Byah lyrics shlok Shree Nandkumarashtakam lyrics Shri Dinabandhvashtakam lyrics Shri Ganesh Vandana Shri Gaurishashtakam lyrics Shri Govindashtakam lyrics Shri Hanuman Chalisa Shri Hari Sharanashtakam Shri Hathi ki Rachnaen Shri Hit Chaurasi Shri Hit dhruvdas ji Shri Kalikashtakam Shri Kamalapatyashtakam Shri Krishna Bal-Madhuri Shri Krishna Gitavali Shri Krishna Krupa Kataksh Shri Krishna Saral Shri Lingashtakam lyrics Shri Narayanashtakam lyrics Shri Radha Chalisa Shri Radha krupakataksh Shri Rama Ashtakam lyrics Shri Ramachandra Ashtakam lyrics Shri Ramaprema Ashtakam Shri Rudrashtakam lyrics Shri satleela Shri Shiva Ramashtakastotram lyrics Shri Surya Mandala Ashtakam Shri Vishvanath Ashtakam lyrics Shribhatt ke Pad Shridhar Pathak Shrikant Verma Shringar-Soratha Rahim Shubh Din Pratham Ganesh Manao Shyam Teri Bansi Pukare Radha Naam lyrics Shyambihari Shrivastava Sinhasan Battisi Sohar Geet Somprabh Suri Songs Lyrics radha krishna stories in hindi Story story in hindi Story panchtantra hindi Stotra/Shloka Subhadra Kumari Chauhan Subramanyam Bharti Kavita Sudama Charit sudama chrit kavita Sudama Panday Dhumil Sudarshan Fakir Ghazals Sudhakar Dwivedi Sujan Raskhan Rachna Sukh-Varan Prabhu sukt sangrah suktam Sumiran Salhes Geet Sumitranandan Pant Sundardas Sundardas ke Savaiyya Sur Ki Gati Main lyrics Sur Sukhsagar Surdas surdas bhajan surdas bhajan lyrics Surya Ka Swagat Suryakant Tripathi Nirala Suryamal Mishran Swarna Kiran Swarndhuli taqseem kahani Tenali ram ki kahaniyan Tenali rama Tenali Raman Tirhut Geet Tora Man Darpan Kahlaye lyrics Triveni Tu Pyar Ka Sagar Hai lyrics tukhari barah maah Tulsidas tulsidas ji tulsidas ji ramcharitmanas Tum Meri Rakho Laaj Hari Tum Utho Siya Singar Karo tumhi ho mata pita Tyagi ki kavita Udasi Geet Udayraj Jati Uncategorized unchi edi wali mam Upanyas Upnayan Geet Urdu Shabdawali Uttra Vairagya Sandipani Vaivahik Lokgeet Rajasthani Var ke khayaba kaal Geet Vasant Geet Vidayi Geet Vidhyapati ki rachnaen Vidur Niti Hindi Vidyapati ke dohe Vidyapati ke geet Vikram Vikramorvasiyam Play Kalidasa Vikrat ka Bhram Katha vinay pachasa baanke bihari ji Vinod Kumar Shukl Kavita Vishnu Vaman Shirwadkar Vivah Geet vivah lokgeet khari boli Vividh Geet Viyogi Hari Vrat Kathaen vyangya vyangya kavita Wali Dakni Ghazal Wali Dakni Ki Ghazal aur SHayari ya kundendutusharhardhavala Yaar Julahe Yaari Sahab Yagana Changezi Yash Malviya Kavita Yash Malviya poem Yash Malviya poetry Yashomati Maiya Se Bole Nandlala lyrics Yog Geet Yudhishtar Vedna Katha Yugaant Yuglaananysharan Yugpath Yugvani Zafar Iqbal Ghazal अ से ज्ञ तक विलोम शब्द हिंदी संग्रह अकबर इलाहाबादी अकबर इलाहाबादी के क़िस्से अकबर इलाहाबादी ग़ज़ल अकबर हैदराबादी अकबर हैदराबादी की ग़ज़लें अकबर-बीरबल अंकिता जैन अक्षय उपाध्याय की कविताएँ अखरावट अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी अखिलेश तिवारी अख़्तर शीरानी ग़ज़ल अख़्तर शीरानी नज्म अख़्तर-उल-ईमान नज़्म अगमसिँह गिरी अंगिका ऋतु गीत अंगिका कोशी गीत अंगिका फेकड़ा गीत अंगिका बुझौवल गीत अंगिका भक्ति गीत अंगिका मनौन गीत अंगिका लोकगाथा अंगिका लोकगीत अंगिका लोरियाँ अंगिका सोहर गीत अच्युताष्टकम् अंजना भट्ट अज़हर इनायती की ग़ज़लें अज़ीज़ आज़ाद अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा अज़ीज़ लखन अज़ीज़ लखनवी ग़ज़लें अज़ीज़ लखनवी शेर अज़ीज़ वारसी अज्ञातवास अज्ञेय अज्ञेय के उद्धरण अटल बिहारी वाजपेयी अतिमा अंतोनियो ग्राम्शी के कोट्स अथ श्री कृष्णाष्टकम् अथ श्री गणेशाष्टकम् अथ श्री शिवाष्टकम् अदम गोंडवी अदा ज़ाफ़री अदीम हाशमी गजल अदीम हाशमी ग़ज़लें अंधेर नगरी चौपट्ट राजा अनमोल वचन अना क़ासमी की गजलें अनामिका अनूप जलोटा अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो अंबिकादत्त व्यास अमीर खुसरो के दोहे- गीत -कविता -पहेलियाँ अमीर मीनाई ग़ज़ल अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध कविताएँ अरुण कमल की कविताएँ अर्जुनदास केडिया अर्थ सहित Rahim ke Dohe अलबेलीअलि के पद अली सरदार जाफ़री ग़ज़ल अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल अवधी गीत अवधी जाँत गीत अवधी देवी गीत अवधी नकटा गीत अवधी निर्गुण गीत अवधी फाग गीत अवधी बारामासी गीत अवधी बाल-गीत अवधी बिरहा गीत अवधी रोटी गीत अवधी रोपनी गीत अवधी लोकगीत अवधी विदाई गीत अवधी विवाह गीत अवधी सावन गीत अवधी सोहर गीत अशोक अंजुम ग़ज़लें अशोक चक्रधर अष्टक अष्टकम असरार-उल-हक़ मजाज़ असरार-उल-हक़ मजाज़ ग़ज़ल अंसार कंबरी की हिंदी ग़ज़लें अहमद नदीम क़ासमी ग़ज़ल अहमद फ़राज़ ग़ज़ल अहमद मुश्ताक ग़ज़ल आओ आओ यशोदा के लाल आओ रामा भोग लगाओ श्यामा आखरी कलाम आचार्य रामचंद्र शुक्ल आचार्य रामचंद्र शुक्ल के कोट्स आदिल मंसूरी ग़ज़ल आनंद बख्शी आराध्य श्रीराम आलम शेख की कविता आल्हा ऊदल गीत भोजपुरी आवाज़ों के घेरे इंद्रप्रस्थ इंशा अल्ला खाँ 'इंशा' की ग़ज़लें ईश्वर पर कविताएँ ईसुरी की फाग उत्तरा उदयराज जती उद्धरण उबटन मगही उबैदुल्लाह अलीम ग़ज़ल उर्दू शब्दावली उर्दू-हिन्दी शब्दकोश एक कंठ विषपायी एक क्षत्रिय एकादशी व्रत कथा एल्फ्रीडे येलिनेक के कोट्स ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर ऐतबार साजिद ग़ज़ल ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात कजरी झूला उत्सव गीत क़तील शिफ़ाई कन्नौजी लोकगीत कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा कबीर के दोहे कबीर के भजन कबीर भजन करुणा भरी पुकार सुन कला और बूढ़ा चाँद कवि आलोक धन्वा कविता कवि चन्द्रकान्त देवताले कविता कवि जमाल कवि भूषण कविता कविता नेपाली कविताएँ कविताएं कवित्त कहानियाँ कहानियां कहानी काका हाथरसी कातक न्हाण के गीत काफिया काव्य काव्य-नाटक क़िता किशन सरोज कुंकड़ा (प्रभाती) गीत कुछ और नज्में कुछ भी बन बस कायर मत बन कुंडलियाँ कुतुबन के कड़वक कुंदनलाल कुमाँऊनी लोकगीत कुंवर नारायण कुँवर नारायण के कोट्स कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर के क़िस्से कुंवा पूजन गीत कुसुमाग्रज कुसुमाग्रज मराठी कविताएँ कृपानिवास कृपाराम कृपाराम बारहठ खिड़िया का सोरठा कृष्ण चंदर कृष्ण बलदेव वैद के कोट्स कृष्ण बिहारी नूर कृष्ण भक्ति कवि कृष्ण भजन लिरिक्स कृष्ण लौकिक गीत गढ़वाली कृष्णदास के पद केदारनाथ अग्रवाल केदारनाथ सिंह केदारनाथ सिंह के कोट्स केशवदास के सवैया कैफ़ी आज़मी कैलाश गौतम कोट्स कोरकू खांचा ऊमून गीत कोरकू मिमलाव गीत कोरकू लोकगीत कोरकू विवाह गीत कोरकू विविध गीत कोरकू सिडोली गीत कौशल्या रानी अपने लला को दुलरावे खादी के फूल खुमान बंदीजन ख़ुमार बाराबंकवी ख़ुमार बाराबंकवी की ग़ज़लें खेती-बाड़ी के गीत गंगा स्नान गीत भोजपुरी गंगानाथ झा के कोट्स गजल ग़ज़ल ग़ज़ल ghazal ग़ज़ल Ghazal गजलें ग़ज़ले ग़ज़लें गजानन माधव मुक्तिबोध के कोट्स गढ़वाली काव्य रचनाएँ गढ़वाली प्रमुख काव्य रचनाएँ गढ़वाली लोकगीत गणपति गणेश गणपति बप्पा की जय बोलो गदाधर भट्ट के पद गरीबदास गवरी बाई गाइए गणपति जग वंदन गारी गीत गिरिधारन गीत गीत गढ़वाली गीतकार- इंदीवर गुंजन गुजराती लोकगीत गुरु अमरदास गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये गुरु तेग़ बहादुर गुरु नानक गुरु नानक के सबद गुरु नानक देव जी की रचनाएँ गुरू अंगद देव जी गुलज़ार गुलज़ार ग़ज़ल गुलज़ार परिचय गेब्रियल गार्सिया मार्ख़ेस के कोट्स गोंड गीत गोंड लोकगीत गोपाल भाँड़ गोपाल सिंह नेपाली गोपालदास नीरज गोपालशरण सिंह गोपी गीत गोरख पांडेय के कोट्स गोविंद स्वामी के पद गोस्वामी तुलसीदास ग्यारस (एकादशी) गीत ग्राम्या चक्की के गीत चक्रवर्ती राजगोपालाचारी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी Bheem aur Hanuman Ji Katha चतुर्भुजदास चतुर्भुजदास के पद चंद्रकांता उपन्यास चाचा हितवृंदावनदास चाणक्य के कोट्स चालीसा चालीसा लिरिक्स चालीसा संग्रह चालीसा हिंदी चालो रे सखियाँ चीगट गीत चौथ चन्दा गीत भोजपुरी चौंफला गीत गढ़वाली चौमासा बारामासा गीत गढ़वाली छत्तीसगढ़ी गीत छप्पय छीहल की रचना छैंया-छैंया छोटेलाल दास भजन जन्म के गीत जन्म गीत ज़फ़र इक़बाल की ग़ज़लें जब से लगन लगी प्रभु तेरी जय जय गिरिबरराज किसोरी जय राम रमारमनं शमनं जय शंकर प्रसाद हिंदी कहानियां जयशंकर प्रसाद जयशंकर प्रसाद के कोट्स जयशंकर प्रसाद हिंदी कहानी जलते हुए वन का वसन्त जसवंत सिंह जसुराम जाँ निसार अख्तर जागो बंसीवारे ललना जान कवि जानकी -मंगल जामुन का पेड़ जिगर मुरादाबादी जिगर मुरादाबादी के क़िस्से जिगर मुरादाबादी ग़ज़लें जीवन परिचय जीवन सिंह जैन कवि जॉर्ज आरवेल के कोट्स जोइंदु जोश मलीहाबादी जोश मलीहाबादी के क़िस्से ज्ञानरंजन के कोट्स ज्ञानेन्द्रपति ज़्यां कॉक्त्यू के कोट्स झामदास डग्गा तिनताला गीत तुम उठो सिया सिंगार करो तुम मेरी राखो लाज हरि तुलसीदास तुलसीदास जी तू प्यार का सागर है तेनाली रमन तेनाली रामा तेनालीराम तोरा मन दर्पण कहलाये त्रिलोचन के कोट्स त्रिवेणी दयाबाई के दयाराम दरिया (बिहार वाले) दाग़ देहलवी दाग़ देहलवी के क़िस्से दाता राम दिये ही जाता दादरा गीत दादू के भजन दादू दयाल दादू दयाल भजन दामाद के गीत दीनदयाल गिरि दीनबन्धु दीनानाथ दुखियों के दुख दूर करे दुलारेलाल भार्गव दुष्यंत कुमार दुष्यन्त कुमार दूधनाथ सिंह के कोट्स दूलह राम सीय दुलही री देवकीनन्दन खत्री उपन्यास देवठणी के गीत देवसेन देवादास देवी के गीत देवी जगदम्बा गीत देवी माँ के गीत देवी-देवता गीत देवीशंकर अवस्थी के कोट्स देवेंद्र कुमार बंगाली देशभक्ति कविता देशभक्ति गीत भोजपुरी देसी गीत दोहा दोहावली दोहे दौलत कवि द्रौपदी स्वयंवर धन्ना भगत धरनीदास जी के भजन धर्मवीर भारती कविता धर्मवीर भारती के कोट्स ध्रुवदास के दोहे ध्रुवदास के पद ध्रुवदास के सवैया न था कुछ तो ख़ुदा था नक़्श लायलपुरी नज़ीर बनारसी नज़्म नज़्में नणदोई के गीत नंददास जी की रचनाएं नंददास पद नये सुभाषित नरेन्द्र शर्मा नरोत्तमदास नरोत्तमदास कविता नवमी गीत भोजपुरी नवाज़ देवबंदी ग़ज़ल नवीन सागर के कोट्स नाई और भिखारी की कहानी नागरीदास नाच्यो बहुत गोपाल नाभादास के छप्पय नाभादास के पद नामवर सिंह के कोट्स नामावली नामावली भगवान की नारायण नासिर काज़मी ग़ज़ल निदा फाज़ली निपट निरंजन निमाड़ी गीत निमाड़ी लोकगीत निर्गुण गीत भोजपुरी निर्मल वर्मा के कोट्स नून मीम राशिद ग़ज़लें नेपाली कविता पंच सहेली गीत पंचतंत्र की कहानी पंजाबी लोकगीत पतित पावन सुने. Hari Patit Pavan Sune पद पद अर्थ पदावली संत रैदास पद्माकर-रीतिकाल कवि पद्मावत पनघट के गीत परछन गीत परमानंद दास के पद परवीन शाकिर की ग़ज़लें परसत पद पावन पराती गीत भोजपुरी परिचय पर्यायवाची शब्द पर्व गीत पल्लव पवन करण की कविताएँ पँवारी लोक गीत पवारी लोकगीत पँवारी लोकगीत पांडवों का धृतराष्ट्र के प्रति व्यवहार पाण्डव लौकिक गाथाएँ गढ़वाली पात भरी सहरी पार्वती-मंगल पिंडदान गीत भोजपुरी पितर नेवतौनी गीत भोजपुरी पितु मातु सहायक स्वामी . Pitu Matu Sahayak Swami lyrics पीटर हैंडके के कोट्स पीरज़ादा क़ासीम ग़ज़ल पुखराज पुहकर कवि के कवित्त पूछता क्यों शेष कितनी रात पौराणिक कथाएं प्रदीप प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को बिसार प्रभु तेरो नाम प्रार्थना प्रार्थना संग्रह प्रेमगीत प्रेमचंद की कहानियाँ प्रेमचंद के कोट्स प्रेमलता प्रेरक प्रसंग फगुआ गीत भोजपुरी फणीश्वर नाथ रेणु फणीश्वरनाथ रेणु के कोट्स फ़हमीदा रियाज़ की ग़ज़लें फ़हमीदा रियाज़ की नज़्में फ़हमीदा रियाज़ नज़्म फागण के गीत फ़िराक़ गोरखपुरी फ़िराक़ गोरखपुरी के क़िस्से फ़िराक़ गोरखपुरी ग़ज़ल फिल्मी गीत फूलीबाई बखना बघेली गीत बघेली लोकगीत बच्चों की कहानियाँ बड़ा नटखट है रे बधावा गीत बनारसी दास के पद बरवै रामायण हिंदी बरूआ गीत बशर नवाज़ की ग़ज़लें बशर नवाज़ ग़ज़ल बशीर बद्र बहादुर शाह ज़फ़र ग़ज़लें बांग्ला गीत बाबाफाग दहका गीत बारहमासा गीत भोजपुरी बाल अली बाल कविताएँ बाल महाभारत बाल-कविता बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत बिहारी बीत गये दिन बुधजन बुन्देली गारी गीत बुन्देली दादरे गीत बुन्देली बन्ना गीत बुन्देली वर्षा गीत बुन्देली सोहर गीत बुल्ला साहब बुल्ले शाह की काफियां बुल्ले शाह के दोहे बुल्ले शाह के शबद बृज नारायण चकबस्त की ग़ज़लें बेकल उत्साही की ग़ज़लें बेटा -बेटी विवाह मगही बेताल पच्चीसी बैगा गीत बैगा लोकगीत बैरीसाल भक्त रूपकला भक्त सूरदास जी रचना भक्तिकालीन रचनाकार भगवत रसिक भगवतीचरण वर्मा भगवान मेरी नैया भज मन मेरे राम नाम तू भजन भजन गीत भजन लिरिक्स भजन-संग्रह भदावरी भदावरी लोक गीत भानुभक्त आचार्य भारत भूषण अग्रवाल भारतदुर्दशा भारतेंदु हरिश्चंद्र भारतेंदु हरिश्चंद्र की कविताएँ भारतेंदु हरिश्चंद्र ग़ज़ल भारतेंदु हरिश्चंद्र नाटक भीम और हनुमान भील जनजाति गीत भील जन्म गीत भील झूमरली गीत भील फाग गीत भील भजन गीत भील मृत्यु गीत भील लोकगीत भील विवाह गीत भील सावां गीत भुवनेश्वर के कोट्स भूपति के दोहे भूपि शेरचन भेरू (भैरव) के गीत भोजपुरी लोकगीत भोले नाथ के भजन लिरिक्स मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं मगही उबटन लोकगीत मगही गुरहत्थी गीत मगही जनेऊ गीत मगही जन्मोत्सव गीत मगही बन्ना गीत मगही मुण्डन गीत मगही मृत्यु गीत मगही मेहँदी गीत मगही लोकगीत मगही विवाह लोकगीत मगही शिव विवाह राम विवाह गीत मगही सोहर लोकगीत मजाज़ लखनवी की ग़ज़लें मंझन के कड़वक मतिराम मधुज्वाल मधुराष्टकम् मन तड़पत हरि दरसन को आज मनवा मेरा कब से प्यासा मनोहर श्याम जोशी के कोट्स मन्नू हरिया मराठी मराठी कविता मराठी लोकगीत मलयज के कोट्स मलिक मुहम्मद जायसी मलूकदास मलूकदास जी के पद महत्त्वपूर्ण दिवस महाकवि कालिदास महाकाव्य महात्मा गांधी के कोट्स महात्मा गांधी के गीत महादेवी वर्मा महापात्र नरहरि बंदीजन महालक्ष्म्यष्टकम् माखन चोर नन्द किशोर माखनलाल चतुर्वेदी मांगल गीत गढ़वाली मायावी सरोवर मारवाड़ी लोकगीत ब्याह के मार्क ट्वेन के कोट्स मालवी गणेश गीत मालवी लोकगीत मिर्ज़ा ग़ालिब मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लें मिर्ज़ा ग़ालिब के क़िस्से मिर्ज़ा ग़ालिब ग़ज़ल मिश्रित गीत मीतादास मीर तकी मीर की ग़ज़लें मीरा के भजन मीराबाई के पद मीराबाई के भजन मुकुन्द माधव गोविन्द मुक्तक मुंज मुज़्तर ख़ैराबादी की ग़ज़लें मुंडन संस्कार गीत मुना मदन मुबारक के दोहे सवैया कवित्त मुल्ला नसरुद्दीन मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद हिन्दी कहानियाँ मृगावती मृत्यु गीत मृदुला गर्ग के कोट्स मेघदूत खण्डकाव्य कालिदास मैथिली गीत मैथिली आरती गीत मैथिली उदासी गीत मैथिली उपनयन गीत मैथिली ऋतू आ पर्वक गीत मैथिली कजरी गीत मैथिली करिकन्हा बिआह गीत मैथिली कुसमा हरण गीत मैथिली कोबर गीत मैथिली खेलौना गीत मैथिली गीत मैथिली गौरीक गीत मैथिली ग्वालरि गीत मैथिली चतुर्थी गीत मैथिली चुहर चोरि पकरिया गीत मैथिली चैतावर गीत मैथिली चौमासा गीत मैथिली छौमासा गीत मैथिली जट-जटिन गीत मैथिली जन्म-संस्कारक गीत मैथिली झरनी गीत मैथिली झुम्मरि गीत मैथिली डहकन गीत मैथिली तिरहुत गीत मैथिली देवता गीत मैथिली परबा-पोखरि यज्ञ गीत मैथिली परिछन गीत मैथिली पाबनि गीत मैथिली पावस गीत मैथिली फागु गीत मैथिली फुलवाड़ि दरशन गीत मैथिली बटगबनी गीत मैथिली बरिआतीक गीत मैथिली बारहमासा गीत मैथिली बिरहा गीत मैथिली बुधेसर -बियाह गीत मैथिली मलार गीत मैथिली महुअक गीत मैथिली मानिकदह सलहेस दर्शन गीत मैथिली मिश्रित गीत मैथिली मुंडन गीत मैथिली मोतीराम-बियाह गीत मैथिली योग गीत मैथिली रास गीत मैथिली रुक्मिनि सम्मरि गीत मैथिली लगनी गीत मैथिली लोकगीत मैथिली वर कें खयबा काल गीत मैथिली वसन्त गीत मैथिली विविध गीत मैथिली समदाउन गीत मैथिली सम्मरि गीत मैथिली सलहेस गीत मैथिली सांझ गीत मैथिली सामा-चकेबा गीत मैथिली सुमिरन एवं सलहेस द्विरागमन गीत मैथिली सोहर गीत मोमिन ख़ाँ मोमिन मोहन मोहन राकेश के कोट्स मोहम्मद रफ़ी सौदा की ग़ज़लें यगाना चंगेज़ी यश मालवीय की कविताएँ यशोमती मैया से बोले नंदलाला यार जुलाहे यारी साहब युगपथ युगलान्यशरण युगवाणी युगांत युधिष्ठिर की वेदना यून फ़ुस्से के कोट्स रक्षा बंधन गीत भोजपुरी रघुबर तुमको मेरी लाज रघुराजसिंह रघुवीर सहाय के कोट्स रत्नावली रमानाथ अवस्थी के गीत रमाशंकर यादव विद्रोही रविदास जी रविदास जी पद रविन्द्र जैन रवींद्रनाथ टैगोर के कोट्स रसखान रसखान की रचनाएँ रसखान के दोहे रसखान के सवैया अर्थ रसखान परिचय रसनिधि रसलीन रसिक अली रसिक संप्रदाय रहन-सहन के गीत रहीम रहीम की रचनाएँ रहीम के दोहे राग हलूर गीत राजकमल चौधरी के कोट्स राजस्थानी लोकगीत राजस्थानी विवाह गीत राजा मेंहदी अली खान राजेन्द्र मनचंदा बानी राजेश जोशी रात पश्मीने की राधा कृष्णा भजन राधा रास बिहारी राम करे सो होय रे मनवा राम की शक्ति-पूजा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला राम गीत राम दो निज चरणों में स्थान राम प्रसाद बिस्मिल राम बिनु तन को राम बिराजो हृदय भवन में राम बोलो राम राम राम काहे ना बोले राम सुमिर राम सुमिर रामकुमार वर्मा रामचरणदास रामचरितमानस रामचरितमानस तुलसीदास रामदरश मिश्र रामदेव जी के गीत रामधारी सिंह काव्यतीर्थ रामधारी सिंह दिनकर रामरसरंगमणि रामसहाय दास रामहि राम बस रामहि राम रामाज्ञा प्रश्न रामावतार त्यागी की कविताएँ राय देवीप्रसाद ‘पूर्ण’ रासो काव्य रीतिकाल रीतिकाल कवि रीतिकाल के कवि सुंदरदास सवैया रूपसरस रेनर मारिया रिल्के के कोट्स रैदास जी दोहे रोम रोम में रमा हुआ है लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा लचिका रानी ललित किशोरी भजन ललितकिशोरी ललितमोहिनी देव लाख का घर लाल कवि की रचनाएँ लालनाथ लिरिक्स लिरिक्स चालीसा लेखनाथ पौड्याल लोक कथा लोकगीत लोरियाँ भोजपुरी लौकिक गाथाएँ गढ़वाली वली दक्कनी की ग़ज़ल वसीम बरेलवी की ग़ज़लें विक्रम विक्रमोर्वशीयम् (नाटक) विदाई गीत भोजपुरी विदुर नीति हिंदी विद्यापति के गीत विद्यापति के दोहे विद्यापति जीवन परिचय विद्यापति ठाकुर की रचनाएं विनय पचासा विनोद कुमार शुक्ल की कविताएं विभिन्न विषयों पर शेर शायरी वियोगी हरि विराट का भ्रम विलोम शब्द विवाह गीत विविध कविता विविध गीत गढ़वाली विविध रचनाएँ विविध हरियाणवी गीत वीर रस वृंद वैराग्यसंदीपनी हिंदी शकील आज़मी की ग़ज़लें शकील बदायूनी की ग़ज़ल शकुनि का प्रवेश शब्द संत रविदास जी शंभुनाथ सिंह शरण में आये हैं शहरयार की ग़ज़लें शाद अज़ीमाबादी की ग़ज़लें शादी-ब्याह के गीत शान शायरी शारिक़ कैफ़ी शिव सम्पति शिवजी का ब्याह शिवजी भजन हिंदी लिरिक्स शिवाष्टकम् शुभ दिन प्रथम गणेश मनाओ शृंगारी कवि शेखचिल्ली शेर शैल चतुर्वेदी शैल चतुर्वेदी कविता शैलेन्द्र शौकत थानवी शौकत थानवी के क़िस्से श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम. श्यामबिहारी श्रीवास्तव श्री कमलापत्यष्टकम् श्री कालिकाष्टकम् श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष श्री गणेश वंदना श्री गौरीशाष्टकम श्री दीनबन्ध्वष्टकम् श्री नारायणाष्टकम् श्री राधा कृपा कटाक्ष श्री राधा चालीसा श्री लिङ्गाष्टकम् श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम् श्री हठी श्री हनुमान चालीसा श्री हरि शरणाष्टकम् श्री हित चतुरासी जी श्री हित चौरासी जी श्रीकांत वर्मा श्रीकृष्ण गीतावली श्रीकृष्ण बाल-माधुरी श्रीकृष्ण सरल श्रीगोविन्दाष्टकम् श्रीधर पाठक श्रीनन्दकुमाराष्टकम् श्रीभट्ट के पद श्रीरामचन्द्राष्टकम् श्रीरामप्रेमाष्टकम् श्रीरामाष्टकम् श्रीरुद्राष्टकम् श्रीविश्वनाथाष्टकम् श्रीसूर्यमण्डलाष्टकम् श्रीहित मंगलगान संकट मोचन हनुमानाष्टक सखिन्ह मध्य सिय सोहति कैसे संत और कवि वृन्द संत गुरु रविदास संत जूड़ीराम के भजन संत तुकाराम संत परशुरामदेव संत पीपा संत बाबालाल संत रैदास संत लालदास के सबद संत शिवदयाल सिंह संत शिवनारायण संत सालिगराम सत्यनारायण कविरत्न संथाली लोकगीत सबद सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीताBhagavad Gita Chapter सर्व शक्तिमते परमात्मने सलहेस वंदी आ चोरमोट पकड़ब सलहेस हाजत गीत सवैया सवैये संस्कृत लोकगीत सहजोबाई सहस्त्र नामावली साक़ी फ़ारुक़ी साग़र सिद्दीक़ी सांझी के गीत सावन के गीत साहिर लुधियानवी साहिर लुधियानवी की ग़ज़लें सिंहासन बत्तीसी सीताराम सीताराम सीताराम कहिये Sitaram Kahiye सुख-वरण प्रभु सुजान रसखान सुजान-रसखान सुंदरदास सुंदरदास के सवैया सुदर्शन फ़ाकिर की ग़ज़लें सुदामा चरित सुदामा पांडेय धूमिल सुधाकर द्विवेदी सुब्रह्मण्य भारती कविता सुभद्राकुमारी चौहान सुमित्रानंदन पंत सुर की गति मैं सूक्त संग्रह सूक्तम् सूर सुखसागर सूरदास सूरदास के भजन सूरदास जी सूर्य का स्वागत सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" कविता सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' सूर्यमल्ल मिश्रण सेनापति के कवित्त सैन भगत सैनिक गीत सोमप्रभ सूरि सोहर गीत सोहर गीत भोजपुरी सोहर मगही सोहाग गीत स्तोत्र/श्लोक स्वर्णकिरण स्वर्णधूलि स्वामी हरिदास के पद हनुमान बाहुक हबीब जालिब हबीब जालिब की ग़ज़लें हबीब जालिब की नज़्म हमें नन्द नन्दन मोल लियो हर सांस में हर बोल में हरि हरि तुम हरो जन की भीर हरि भजन बिना सुख शान्ति नहीं हरिओम पंवार हरियाणवी लोकगीत हरिव्यास देव हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाएँ हरिशंकर परसाई के कोट्स हरिहर प्रसाद हरीराम व्यास के पद हसरत मोहानी की ग़ज़लें हास्य कविता हास्य कविता संग्रह हिंडौले गीत हित हरिवंश जी रचना हितहरिवंश के पद हिंदी कविता हिंदी कहानी बच्चों की हिंदी के अशुद्ध शब्द हिंदी चालीसा हिंदी भजन लिरिक्स हिंदी लोकगीत हिन्दी कविता हिन्दी कविताएँ हिन्दी निबंध हिमाचली गीत हिमाचली लोकगीत हे गोविन्द राखो शरन हे रे कन्हैया हे रोम रोम में हे रोम रोम में बसने वाले राम हेमचंद्र